जनसंख्या नियंत्रण कानून पर मोदी सरकार की सुप्रीम कोर्ट में ना

देश में बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर इसे नियंत्रित करने के कानून की मांग समय-समय पर उठती रही है। राजनीतिक दल भी जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग उठाते रहे है। जनसंख्या नियंत्रण की एक जनहित याचिका पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि परिवार नियोजन के लिए लोगों को मजबूर नहीं किया जा सकता है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, वह परिवार नियोजन में ‘अनैच्छिक तरीकों’ के इस्तेमाल के खिलाफ है और दंपती पर अधिकतम दो बच्चे करने का दबाव नहीं डाल सकते। इस तरीके से मोदी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने पर एक तरह से मना कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव से साफ है कि बच्चा पैदा करने की अधिकतम संख्या जबरन तय करने का प्रतिकूल असर पड़ता है। यह जनसांख्यिकीय विकृति की ओर ले जाता है। इसलिए पति-पत्नी पर दो बच्चे पैदा करने का दबाव नहीं डाल सकते।

भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा, सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है। राज्य को स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया का नेतृत्व करना चाहिए ताकि आम व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाया जा सके। राज्यों को निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार विभिन्न योजनाओं को लागू करने का अधिकार प्राप्त है। याचिका में दो बच्चों के मानक को सख्ती से लागू करने की मांग की गई थी।

वहीं, सांसद साध्वी बोली-क्षत्रिय ज्यादा बच्चे पैदा करें
अपने विवादित बयानों में अक्सर चर्चा में रहने वाली भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा फिर सुर्खियों में हैं। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भोपाल में साध्वी प्रज्ञा ने कहा है कि यह उन लोगों पर लागू होना चाहिए जो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं। राष्ट्र की रक्षा क्षत्रिय करते हैं, उन्हें अधिक संख्या में बच्चे पैदा करना चाहिए।