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हनीप्रीत को जमानत मिली

जेल की सजा काट रहे दुष्कर्म के दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की निकट सहयोगी हनीप्रीत को बुधवार को पंचकुला में हुए दंगों के मामले में जमानत मिल गयी है। पहले हुई सुनवाई में न्यायालय ने इस मामले में देश द्रोह की धारा हटा दी थी।

पंचकुला में २५ अगस्त, २०१७ को भड़के दंगों, जिसमें बड़े पैमाने पर आगजनी भी हुई थी, के मामले में एडिशनल सेशन जज संजय संधीर की कोर्ट में सुनवाई हुई। जानकारी के मुताबिक कोर्ट से आज हनीप्रीत को राहत मिली है। पंचकुला दंगों में दायर की गयी एफआईआर नंबर ३४५ में हनीप्रीत को जमानत मिली है। हनीप्रीत के वकील ने कोर्ट में जमानत याचिका दायर की हुई थी।

हनीप्रीत आज के मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुई। वह आजकल  अंबाला जेल में बंद है। गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम को साध्वियों से दुष्कर्म  मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकुला में हुई हिंसा के मामले में हनीप्रीत पर देशद्रोह समेत विभिन्‍न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में  हनीप्रीत ही मुख्‍य आरोपी है।

अहमद पटेल गडकरी, राउत शरद पवार से मिले

महाराष्ट्र में सरकार के गठन की कोशिशों के बीच दिल्ली में बुधवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर नए कयास शुरू हो गए हैं। उधर शिव सेना नेता संजय राउत ने मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात के है।

दिल्ली में पटेल ने गडकरी से मुलाकात के बाद कहा कि वे बढ़ते हादसों और किसानों  के मसले को लेकर गडकरी से मिले हैं और महाराष्ट्र की राजनीति पर उनकी कोइ बात नहीं हुई लेकिन इस मुलाकात को महाराष्ट्र में सरकार से गठन से जोड़कर देखा जा रहा था। भले पटेल ने इससे इंकार किया है और कहा कि मुलाकात में उन्होंने ”महाराष्ट्र का एम भी डिस्कस नहीं किया”।

पटेल ने मुलाकात के बाद कहा – ”मैंने किसानों के मसले पर गडकरी से मुलाकात की है, यह न तो राजनीतिक और न ही महाराष्ट्र पर मुलाकात थी।” यह दिलचस्प है कि कल ही शिवसेना के एक नेता ने कहा था कि नितिन गडकरी ही भाजपा-शिवसेना के बीच फंसे पेंच का सुलझा सकते हैं।

इस बीच महाराष्ट्रमें राष्ट्रपति शासन लगाने की चर्चा भी शुरू हो गयी है क्योंकि ९ नवम्बर से पहले सरकार का गठन ज़रूरी होगा। यदि कोइ रास्ता नहीं निकलता है तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। शिव सेना नेता संजय राउत ने कहा है कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूर पड़ती है तो ये जनता के साथ अन्याय होगा। ”महाराष्ट्र अगर राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं।”

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी और ”कोइ राह” निकलने का आग्रह किया था। इस बीच  शिव सेना नेता संजय राउत ने बुधवार को मुम्बई में एनसीपी नेता शरद पवार से मुलाकात की जो ”देखो और इन्तजार करो ” की नीति पर चलते दिख रहे हैं।

पुलिस कर्मियों से धरना ख़त्म करने की अपील

विरोध प्रदर्शन और धरना कर रहे पुलिस कर्मियों के परिजनों के भी उनके साथ आ जुड़ने के बाद दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे पुलिसवालों से धरना खत्म करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि आपकी मांगों को ध्यान में रखा जाएगा और घायल कर्मियों का इलाज किया जाएगा। उन्हें कम से कम २५,००० रूपये की मदद दी जाएगी। हालांकि यह रिपोर्ट लिखे जाने तक धरने पर बैठे पुलिस कर्मियों की तरफ से कोइ फैसला अभी नहीं किया गया है। कहा गया है कि प्रदर्शनकारी पुलिस कर्मी लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं।

इससे पहले दिल्ली के एलजी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि घायल वकीलों और पुलिसवालों का इलाज कराया जाए। साथ ही एलजी ने कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। दिल्ली पुलिस के घायल अधिकारियों-कर्मचारियों को उपयुक्त मुआवजा राशि देने के लिए भी कहा है। बड़े पुलिस अधिकारियों ने धरने पर बैठे एक-एक कर्मी को उठाने की कोशिश की लेकिन ज्यादातर लोग अभी धरने पर बैठे हैं।

करीब साढ़े छह बजे दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव ने प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सभी मांगें स्वीकार की जाएंगी। साकेत और तीस हजारी कोर्ट के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं। जो पुलिसकर्मी प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की जाएगी और जो घायल हुए हैं उनका इलाज किया जाएगा। उन्हें कम से कम २५,००० रूपये की मदद दी जाएगी।

तीस हजारी कोर्ट परिसर में पार्किंग को लेकर वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई हिंसा के बाद गुस्से से भरे हजारों पुलिसकर्मियों ने मंगलवार को आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करते हुए वकीलों पर कार्रवाई की मांग की। पुलिसकर्मियों ने कहा कि उनके साथियों की पिटाई हुई अरे केस उलटे पुलिस कर्मियों पर बना दिए गए जो शर्मनाक है।

उधर दोपहर के बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली में वकीलों के साथ झड़प के बाद पुलिसकर्मियों के प्रदर्शन से पैदा हुयी स्थिति की समीक्षा की।

उपराज्यपाल ने स्थिति की समीक्षा करने के बाद कहा कि पुलिस और वकीलों के बीच विश्वास बहाल करना अनिवार्य है।

दिल्ली पुलिस में बगावत

तीस हजारी कोर्ट में हिसंक झड़प के बाद सोमवार को साकेत कोर्ट के बाहर एक बाइक सवार पुलिस कर्मी को वकील के पिटाई के विरोध में दिल्ली में पुलिस सड़कों पर उतर आई है। एक तरह से बगावत जैसे हालात पैदा हो गए हैं क्योंकि दिल्ली पुलिस कमिश्नर के समझाने के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी है। कमिश्नर ने उनसे शांति बनाये रखने और डयूटी पर लौटने की अपील की है। करीब १०,००० पुलिस कर्मी इस समय सड़क पर जमा हैं।

बड़े पैमाने पर पुलिस कर्मी सड़कों पर उतर आये हैं। इनमें कई बर्दी में हैं और महिला कर्मी भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। इनमें कुछ अधिकारी स्तर के पुलिस कर्मी भी हैं। कमिश्नर के इन कर्मियों के बावजूद उनका धरना जारी है और उनमें बहुत आक्रोश दिख रहा है।

प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मी आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। ‘हमें न्याय चाहिए’ जैसे नारे लगाते हुए यह पुलिस कर्मी जबरदस्त प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए क्योंकि वे वकीलों से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

पुलिस कर्मियों के सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के साथ आ जाने से यह मामला गंभीर हो गया है। दिल्ली पुलिस के इतिहास में पहली बार है जब दिल्ली पुलिस अपने मुख्यालय के बाहर धरना दे रही है। सुबह ९ बजे से हजारों को संख्या में दिल्ली पुलिस के जवान नारे लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे है। प्रदर्शन के कारण आईटीओ पर भारी जाम लग गया है। मुख्यालय का गेट बंद कर दिया गया है। न तो कोई अफसर बाहर निकल पा रहे हैं, न कोई बाहर से अंदर जा पा रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक धरने की वजह से ट्रैफिक पुलिस ने आरटीओ से लक्ष्मीनगर जाने वाले रास्ते को डायवर्ट कर दिया है। पुलिस ने वाहन चालकों को दिल्ली गेट और राज घाट की सड़कों से होकर जाने की सलाह दी है।

वकीलों के खिलाफ पुलिसकर्मियों के प्रदर्शन पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा – ”७२  साल में पहली बार हुआ है जब पुलिस प्रदर्शन कर रही है।”

सुबह नौ बजे ही सेवानिवृत पुलिसकर्मियों के अलावा दिल्ली पुलिस कर्मी और उनके परिजन पुलिस मुख्यालय पहुंच गए थे। उनका कहना है कि हम भी इंसान हैं। हम पर हमला क्यों किया जा रहा है। पुलिसकर्मियों की मांग है कि उनका मुखिया सुपर कॉप किरण बेदी और दीपक मिश्रा जैसा होना चाहिए।

उधर तीसरी बटालियन के पुलिस कर्मियों का प्रदर्शन विकासपुरी में भी चल रहा है। दिल्ली पुलिस की थर्ड बटालियन जो जेल से कैदियों को कोर्ट लाने ले जाने का काम करती है और कोर्ट में जो लॉकअप होते हैं उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होती है। आज पूरी बटालियन के लोगों ने हाथों में काली पट्टी बांध ली है वे वकीलों की हिंसा का विरोध कर रहे हैं।

इस बीच साकेत जिला कोर्ट के वकीलों की हड़ताल से आम लोगों को काफी परेशानी हुई। जिन लोगों की कोर्ट में सोमवार को तारीख थी, वे सुबह-सुबह कोर्ट पहुंचे लेकिन उनको निराश होकर वापस लौटना पड़ा। कुछ मुवक्किलों ने आरोप लगाया कि जब वे कोर्ट पहुंचे तो वकीलों ने कथित तौर पर उनके साथ भी बदसुलूकी की। कोर्ट परिसर में तैनात पुलिसकर्मियों ने भी मारपीट का आरोप लगाया है। वकीलों का एक पुलिसकर्मी और एक ऑटो चालक की पिटाई का वीडियो भी वायरल हुआ है।

महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश से सब्जियां महंगी

बेमौसम बारिश का कहर अब किसानों के साथ साथ शहर में रहने वालों को भी चपेट में लेने लगा है ।महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश ने किसानों की फसलें चौपट कर दी है इसका सीधा असर किचन पर पड़ा है। सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। बेमौसम बारिश ने टमाटर, प्याज, मेथी, पत्ता गोभी, पालक धनिया जैसी सब्जियों चौपट कर दी हैंं। मौसमी फसल रबी बर्बाद हो गयी है। सब्जियों की किल्लत के चलते सब्जियों के दाम बढ़ चुके हैं। मार्केट में धनिया की कीमत लगभग ₹300 तक पहुंच गई है तो टमाटर ₹60 किलो अदरक ₹200 की कीमत छू रहा है। गाजर ₹100 किलो, मटर 160 किलो, भिंडी ₹100, ग्वार 120, पत्ता गोभी 80 फूलगोभी 100और फरसी ₹100 किलो बिक रही है।

मार्केट का कहना है कि सब्जियों की किल्लत इसी तरह बढ़ती रही तो सब्जियों की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। फिलहाल महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की फसलों की बर्बादी के मद्देनजर मुआवजे के तौर पर 10,000 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है।

महाराष्ट्र सरकार का मामला दिल्ली फेल, सत्ता का पेंच अभी भी क़ायम !

महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर चल रहे गतिरोध सुलझाने मे दिल्ली की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। लेकिन दिल्ली में चले पूरे घटनाक्रम के मद्देनजर कहां जा सकता है कि यह मामला सुलझाने में दिल्ली भी नाकाम रही है।

बीजेपी चीफ अमित शाह से चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस की मीटिंग के बाद सूत्रों के हवाले से खबर है कि केंद्र ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना करते हुए फडणवीस को यह मामला राज्य स्तर पर ही सुलझाने का आदेश दिया है।

मीटिंग के बाद फडणवीस ने पत्रकारों से कहा कि वे महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के चलते किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के सिलसिले में शाह से मिले थे। उन्होंने यह भी साफ किया कि महाराष्ट्र में जल्द ही सरकार बन जाएगी और उन्हीं की सरकार बनेगी। सूत्रों का मानना है कि अमित शाह ने भी 50:50 वाले फार्मूले से इनकार किया है और चीफ मिनिस्टर पोस्ट व होम मिनिस्ट्री शिवसेना को देने से मनाही की है। फिलहाल इन बातों की पुष्टि नहीं हो पाई है। बीजेपी सूत्र बताते हैं कि वह महाराष्ट्र में अल्पमत सरकार नहीं बनाएगी। फिलहाल बीजेपी ने शिवसेना के लिए विकल्प खुले रखे हैं।

इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोशियारी से मिलकर महाराष्ट्र में सरकार गठन मे हो रही देरी के लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं है,यह कहकर देरी का ठीकरा बीजेपी के सिर फोड़ दिया है। अपनी मुलाकात को एक शिष्टाचार मुलाकात बताते हुए राउत ने कहा, ‘ महाराष्ट्र मे सरकार नहीं बन रही है और जो एक कन्फ्यूजन बन गया है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैंं। हम चाहते हैं कि सरकार बने। सरकार बनने में हम किसी तरह का रोड़ा नहीं डाल रही हैंं।’

दूसरी ओर दिल्ली में ही महाराष्ट्र में सत्ता के नए समीकरणों को आयाम देने एनसीपी चीफ शरद पवार कांग्रेस मुखिया सोनिया गांधी से मुलाकात यह तय करने में नाकाम मालूम हो रही है कि महाराष्ट्र में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा?
हालांकि शरद पवार ने यह स्वीकार किया कि सोनिया गांधी के साथ उन्होंने महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक
हालात पर चर्चा की लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि शिवसेना के साथ दोनों दलों के क्या राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।
शरद पवार ने यह भी साफ किया की सरकार बनाने के लिए उनके पास उचित संख्या नहीं है और जिनके पास नंबर है सरकार बनाने की जिम्मेदारी उनकी ही है।वह महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते हैं।
जिनके खिलाफ चुनाव लड़ा है उनके साथ कैसे जाएं?और शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर उनके बीच चर्चा नहीं हुई कहकर शरद पवार ने फिर साबित यह है कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है यह जानना आसान नहीं है। राजनीतिक पंडित यही कहने लगे हैं कि यदि उन्हें इतनी सी बात करनी थी तो सोनिया गांधी को दिल्ली आकर मिलने की क्या जरूरत थी?
वैसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस मीटिंग में शिवसेना को सपोर्ट करने के लिए कांग्रेस की भूमिका पर चर्चा की जाएगी। एनसीपी नेता क ई बार समय आने पर वैकल्पिक सत्ता बनाने की बात स्वीकार कर चुके हैं। यह बात अलग है एनसीपी कह रही है कि उसे अभी तक शिवसेना की तरफ से कोई निमंत्रण नहीं मिला है। गौरतलब है कि शिवसेना सांसद संजय राउत शरद पवार से मुंबई में उनके निवास स्थान सिल्वर ऑक में मुलाकात कर चुके हैं।अब मामला कांग्रेस की भूमिका को लेकर है कि वह शिवसेना को किस तरह सपोर्ट करेगी? हालांकि कांग्रेस में ही शिवसेना को सपोर्ट करने को लेकर दो अलग-अलग गुट बन चुके हैं।
शिवसेना, चीफ मिनिस्टर पोस्ट को लेकर 50:50 फार्मूले पर अड़ी हुई है वहीं चीफ मिनिस्टर फड़णवीस के इस दावे को खारिज किए जाने से गतिरोध बढ़ता ही चला गया। खबर है कि दिल्ली जाने से पहले बीजेपी ने शिवसेना दो महत्वपूर्ण मंत्री पद फाइनेंस और रिवेन्यू का ऑफर किया है।
याद रहे कि मौजूदा सरकार का कार्यक्रम 9 तारीख को खत्म हो रहा है ।नई सरकार के गठन के लिए सिर्फ 5 दिन बचे हैं।

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स्विस बैंक में काले धन वालों पर अभी भी गोपनीयता

आखिरकार भारत को पहली बार स्विस बैंक खातों की पहली सूची मिली है और यह मोदी सरकार की काले धन के खिलाफ लड़ाई की बड़ी सफलता है। हालांकि डेटा के साथ अभी गोपनीयता का अनुच्छेद बचा हुआ है। क्या यह सूचना प्रयास के लायक है?

स्विस अधिकारियों की जानकारी एईओआई की संरचना के तहत है जो उन वित्तीय खातों पर सूचना का आदान-प्रदान का व्यवस्था करता है जो वर्तमान में सक्रिय हैं और साथ ही उन खातों की जिन्हें 2018 में बंद कर दिया गया है, जिस साल यह संरचना समझौता लागू हो गया था। अब तक यह बहुत अच्छा है, लेकिन सूचना का आदान-प्रदान सख्त गोपनीयता अनुच्छेद द्वारा नियंत्रित है।

गोपनीयता अनुच्छेद की ओर ध्यान दिलाते हुए एफटीए अधिकारियों ने खातों की संख्या और स्विस बैंक के साथ भारतीयों से सबंधित वित्तीय लेनदेन की मात्रा के बारे में विशेष विवरण देने से इंकार कर दिया।

स्विस सरकार के संघीय राजपत्र में प्रमुख रूप से शामिल नामों में कृष्ण भगवान रामचंद्र, पोटलपुरी, राजमोहन राव, कल्पेश हर्षद किनारीवाला, कुलदीप सिंह ढींगरा, भास्करन नलिनी, ललिताबिन चिमनभाई पटेल, संजय डालमिया, पंकज कुमार सरोगी, अनिल भारद्वाज,महेश टीकमदास थरानी, सावनी विजय कन्हैयालाल, भास्करन थरूर, कल्पेशभाई पटेल महेंद्रभाई, अजोय कुमार और दिनेश कुमार हिम्मतसिंगका, रतन सिंह चौधरी और कथोटिया राकेश कुमार शामिल है।

बेशक स्विस सरकार के संघीय राजपत्र में कुछ नामों का उल्लेख किया गया है, लेकिन फिर भी कई और मामले हैं जिनमें केवल भारतीय नागरिकों के प्रारंभिक नामों का खुलासा किया गया है । इनमें केवल संक्षिप्त नाम या प्रारंभिक नाम जैसे एनएमए, एमएमए, पीएएस, आरएएस, एपीएस, एएसबीके, एमएलए, एडीएस, आरपीएन, एमसीएस, जेएनवी, जेडी, एडी, यूजी, वाईए, डीएम, एसएलएस, यूएल, एसएस, आरएन, वीएल, यूएल, ओपीएल, पीएम, पीकेके , बीएलएस, एसकेएन और जेकेजे शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई लोग और उनकी कंपनियां कोलकाता,गुजरात, बेंगलुरू, दिल्ली और मुंबई में स्थित हैं।

बड़ी संख्या में भारतीय जिन्हें नोटिस जारी किया गया है, उनमें वे लोग शामिल हैं जिनके नाम एचएसबीसी और पनामा सूचियों में शामिल हैं, साथ ही आयकर विभाग और प्रवर्तन द्वारा और अन्य एजेंसियों की बीच जांच की जा रही है।

बिडंवना यह है कि स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा लगाए गए धन में वृद्धि हुई है और 2017 में यह 50फीसद तक बढ़ गया । दिलचस्प बात यह है कि स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा किया गया धन कई गुणा बढ़ गया है, लेकिन पडोसी देश पाकिस्तान कें लोगों का धन 21 फीसद से अधिक कम हुआ है। आंकडों से पता चलता है कि 2017 में भारतीयों के पास 6,891 करोड़ की राशि थी। इसमें 3200 करोड़ रुपए ग्राहक जमा के रूप में, अन्य बैंकों के माध्यम से 1050 करोड़ और 2640 करोड़ रुपए शामिल थे।

आयकर विभाग ने एक ट्वीट में कहा,‘‘भारत कों स्विटजरलैंड में भारतीयनागरिकों द्वारा रखे गए सभी वित्तीय खातों के संबंध में कैलेंडर साल 2018 की जानकारी प्राप्त होगी। स्विस बैंक के गोपनीयता का युग की समाप्ति काले धन के खिलाफ सरकार की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

इस ट्वीट के बाद राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्विस प्रतिनिधिमंडल की बैठक कर विभाग के उप अध्यक्ष और अंतराष्ट्रीय राज्य सचिव निकोलस मारियो लूसर के साथ हुई। सामान्य रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के तहत वित्तीय खातों की जानकारी का स्वचालित विनिमय इस विचार-विर्मश का परिणाम है।

बैठक में अंदरूनी सूत्रों ने ‘तहलका’ को बताया कि 29-30 अगस्त को नई दिल्ली में दो दिवसीय बैठक के दौरान भारतीय अधिकारियों और स्विस अधिकारियों ने विशेष मामलों में भारत द्वारा किए गए अनुरोध के निष्पादन में तेजी लाने के लिए सूचना मामलों के द्विपक्षीय आदान.प्रदान पर चर्चा की। सूत्रों ने कहा कि स्विस प्रतिनिधिमंडल का दृष्टिकोण सकारात्मक था। सूचना ढांचे के वैश्विक स्वचालित विनिमय पर हस्ताक्षर करने के बाद, स्विस प्राधिकरण स्विट्जरलैंड स्थित बैंकों में कम से कम 50 भारतीय नागरिकों के खातों के विवरण साझा करने की प्रक्रिया में है। दोनों देशों में विनियामक और प्रर्वतन एजेंसियां अवैध धन रखने वाले व्यक्तियों पर शिकंजा कसने वाली हैं। इन में रियल स्टेट, वित्तीय सेवाओं, प्रौद्योगिक, और दूरसंचार से लेकर पेंट, घर की सजावट, वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों के व्यक्ति और दोनों देशों में प्रशासनिक सहायता देने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी भी हैं।

विशेषज्ञ बताते है कि स्विट्जरलैंड विदेशों में काले धन को छुपाने के लिए एक सुरक्षित ठिकाना होने के नाते स्विस बैंकों के बारे में लोगों की धारणा को बदलने की पुनजोर कोशिश कर रहा है। भारत और स्विस ने सहयोग को बढ़ाने के लिए अपने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को भी मज़बूत किया है विशेष रूप से अवैध घन रखने वाले संदिग्ध रिकॉर्ड वाले लोगों को पकडऩे के लिए। दोनों देशों की सूची में शीर्ष एजेंडा निश्चित रूप से स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा रखा गया काला धन है।

वर्तमान स्विस कानून के अनुसार, स्विस बैंक में खाता रखने वाले किसी भी व्यक्ति को इन बैंकों में अपने खातों और जमा राशिी के बारे में जानकारी साझा करने के खिलाफ अपील करने का अवसर दिया जाता है। एक जमाकर्ता 30 दिनों में अपील दायर कर सकता है। प्रभावित व्यक्ति को अपील के अवसर की अनुमति देने के बाद स्विस सरकार संघीय राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से जमाकर्ता के नाम सहित विवरण, खातों में वास्तविक राशि, की जानकारी दे सकता है।

सुत्रों ने कहा कि स्विस बैंक प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने की वर्तमान सफलता विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ सरकार की लड़ाई में एक प्रमुख मील का पत्थर है। वास्तविक कार्रवाई अगले साल शुरू होगी जब सितंबर 2020 में स्विस बैंक में खातों के विवरण का अगला आदान-प्रदान होगा। भारत अब उन 75 देशों में शामिल है जिनके साथ स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स प्रशासन (एफटीए) ने एईओआई पर वैश्विक मानकों के ढांचे के अनुसार वित्तीय खातों की जानकारी का आदान-प्रदान किया है।

एईओआई एक जनवरी 2017 को 36 देशों में लागू हुआ और वर्तमान में स्विट्जरलैंड में लागू है। अब आर्थिक सहयोग और विकास संगठन का ग्लोबल फोरम नामक एक प्राधिकरण है जो ईओआई कार्यान्वयन की देखरेख करता है। संघीय कर प्रशासन कुल मिलाकर अब तक भागीदार राज्यों को लगभग 3.1 मिलियम वित्तीय खातों के बारे में जानकारी दे चुका है और भागीदार राज्यों से लगभग 2.4 मिलियन की जानकारी प्राप्त की है।

भारत द्वारा प्राप्त डेटा उन लोगों के खिलाफ एक मजबूत अभियोजन मामले को स्थापित करने के लिए काफी उपयोगी हो सकता है जिनके पास बेहिसाब धन है, क्योंकि यह जमा और हस्तांतरण के साथ-साथ अर्जित आय और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश के माध्यम से संपूर्ण विवरण प्रदान करता है

ठसके अलावा भारतीयों के 2018 से पहले बंद किए गए पुराने खातों के कम से कम 100 मामले हैं जिनके लिए स्विट्जरलैंड आपसी प्रशासनिक सहायता के एक पुराने ढांचे के तहत भारत के साथ विवरण साझा करने की प्रक्रिया में है । भारतीय अधिकारियों ने उन खाताधारकों के द्वारा कर से संबंधित गलत कार्य करने के सबूत प्रदान किए थे। ये विभिन्न व्यवसायों जैसे ऑटो पुरजे, रयायनों, कपड़ा, रियल एस्टेट हीरे आभूषण और इस्पात उत्पादों आदि से संबंधित लोग हैं।

एक स्विस प्रतिनिधिमंडल अगस्त में भारत में था, इससे पहले कि विवरणों का पहला सेट साझा किया जा सके और दोनों पक्षों ने विशिष्ट मामलों में भारत द्वारा किए गए कर सूचना-सांझा करण अनुरोधों के निष्पादन में तेजी लाने के लिए संभावित कदमों पर चर्चा की। ऐसे आरोप हैं कि कई मूल निवासियों ने अपने खातों को बंद कर दिया है क्योंकि स्विस बैंकों के काकले धन पर वैश्विक दबाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग के तहत अपने बैंकिंग क्षेत्र को खोलने के लिए दबाव डाला जा रहा है। स्विट्जरलैंड लंबी प्रक्रिया के बाद भारत के साथ एईओआई के लिए सहमत हुआ, जिसमें डेटा सुरक्षा और गोपनीयता पर भारत में आवश्यक कानूनी ढांचे की समीक्षा भी शामिल थी।

गेंद अब अभियोजन पक्ष की अदालत में है। यह बेहिसाब धन का पता लगाने के लिए प्राप्त आंकडों का उपयोग करना चाहिए। जिन लोगों के नाम एचएसबीसी सूची, पनामा और पैराडाइज पेपर्स और अब स्विस बैंक सूची में शामिल किया गया है उन्हें पकडा जाना चाहिए और जांच को अपने तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचना चाहिए। उन्हें दंड मिलना चाहिए।

सावरकर को भारत रत्न देने पर उठते सवाल

जब हाल ही में के कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक ट्वीट के माध्यम से विनायक दामोदर सावरकर की प्रशंसा की, तो सिंघवी को एक पार्टी के वरिष्ठ नेता का ट्वीट और इसकी टाइमिंग के बारे में फोन आया। कथित तौर पर यह कॉल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर की गई थी, जो पार्टी के संकटमोचक से उनके ट्वीट के कारण नाराज थीं।

सिंघवी ने ट्वीट किया था, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से सावरकर की विचारधारा की सदस्यता नहीं लेता हूं, लेकिन इस तथ्य को दूर नहीं करता है कि वह एक निपुण व्यक्ति थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, दलित अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और देश के लिए जेल गए’। यहां तक कि इस ट्वीट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट करना पड़ा, ‘हम सावरकर जी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम हिंदुत्व विचारधारा के पक्ष में नहीं हैं कि सावरकर जी ने प्रत्येक को संरक्षण दिया और दोनों के लिए खड़े हुए।’

सावरकर को भारत रत्न देने के बीजेपी के धक्का-मुक्की के बीच राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान यह देखा था कि इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से फिर से लिखने की ज़रूरत है। भाजपा नेता सावरकर के लिए ‘भारत रत्न’ की वकालत कर रहे हैं, जिन पर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने आरोप लगाया गया था। वह गांधी की हत्या की साजिश का हिस्सा था या नहीं यह प्रमाणित नही है। । सावरकर गांधी के हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रति ‘जुनून’ के खिलाफ थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने सावरकर को पूरे महाराष्ट्र में चुनावी रैलियों में बार-बार याद किया। वास्तव में सरदार पटेल या डॉ बीआर अंबेडकर जैसे दिग्गज लंबे समय से भारत रत्न के हकदार हैं और स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपनी अलग आवाज के लिए सावरकर ।

जब इंदिरा ने सावरकर की प्रशंसा की

विडंबना यह है कि वर्तमान समय में कांग्रेस का नेतृत्व सिंघवी की सावरकर की प्रशंसा के लिए सिंघवी की आलोचना कर रहा है, लेकिन तथ्यों से पता चलता है कि 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर के योगदान की सराहना की थी। स्वातंत्त्रर्यवीर सरवरकार राष्ट्रीय स्मार्क के सचिव पंडित बाकले को लिखे गए पत्र में, इंदिरा गांधी ने लिखा था, ‘वीर सावरकर की ब्रिटिश सरकार की साहसी अवज्ञा का हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के उद्घोषों में अपना महत्वपूर्ण स्थान है’।

प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी के पत्र क्रमांक 836-पीएमओ 80 मई 20, 1980 को वीर सावरकर को ‘भारत के उल्लेखनीय पुत्र’ के रूप में मान्यता दी गई थी। यह याद किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी ने भी सावरकर की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया था।

वीर सावरकर के योगदान पर मतभेद हो सकता है, लेकिन तथ्य यह है कि वह एक फायरब्रांड क्रांतिकारी थे, जिन्होंने देश का पहला रहस्य ‘मित्रा मेला’ नामक समाज का गठन किया था जिसे बाद में स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए ‘अभिनव भारत’ कहा जाता था। अंग्रेजी शासक उसकी गतिविधियों से इतने भयभीत थे कि उन्होंने उसे ‘डी’ या खतरनाक अपराधी के रूप में वर्गीकृत कर दिया और उसे भारत से लंदन ले गए और उसे 50 साल की सजा सुनाई और उसे दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई और अंडमान की सेलुलर जेल में बंद कर दिया। अपने पूरे जीवन में, सावरकर ने दलितों के लिए संघर्ष किया। 1937 में सक्रिय राजनीति में आने के बाद, सावरकर अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में हिंदू समुदाय की आवाज बने

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के सीनियर फेलो और सावरकर: इकोस इन ए फॉरगॉटेन पास्ट के लेखक डॉ विक्रम संपत, ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘भारत रत्न इस बड़े ऐतिहासिक गलत को ठीक करने का एक बहुत छोटा तरीका हो सकता है’। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सावरकर को अपना आदर्श मानते हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सावरकर के कट्टर अनुयायी हैं। थोड़ा संदेह है कि भाजपा का नेतृत्व सावरकर पर भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने के विचार पर गंभीरता से विचार कर रहा है।

भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे का सुझाव है कि ‘भारत रत्न एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनीतिक दूरदर्शी के रूप में भारत में सावरकर के योगदान की एक मान्यता होगी।’ यह कि सावरकर गांधी की हत्या में एक अभियुक्त थे, लेकिन यह भी सच है कि उनके खिलाफ सबूतों की कमी के कारण उन्हें छोड़ दिया गया था। नेहरू सरकार ने सावरकर की रिहाई के खिलाफ उच्च न्यायालय में कभी अपील नहीं की, इस बात का और सबूत है कि उनके खिलाफ मामला कमजोर था। वास्तव में सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित करने की भाजपा की चाल में योग्यता है! हालाँकि, शेक्सपियर की तरह ‘होना या न होना’ यह सवाल है, अभी दुविधा बनी हुई है!!

उपचुनावों में भाजपा की सीटें घटीं

देश में दो विधानसभाओं – हरियाणा और महाराष्ट्र – के चुनाव में भाजपा को जहां सीटें घटने का संताप झेलना पड़ा है वहीं देश भर में हुए 52 उपचुनावों में भी भाजपा की सीटें पहले से घट गयी हैं। विधानसभा चुनाव के अलावा देश के 18 सूबों की 52 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी सामने आये हैं। इनमें देखा जाये तो भाजपा के लिए कोई बहुत अछ्हा संकेत नहीं मिला है। उपचुनाव 50 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर थे।

उत्तर प्रदेश की 11, बिहार की 5,  गुजरात की 6, मध्यप्रदेश की एक, पंजाब की 4 और राजस्थान की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बहुत उत्साह वाले नहीं रहे। केरल की 5, सिक्किम की तीन और तमिलनाडु की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी आये हैं। अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय, ओडिशा, पुडुचेरी और तेलंगाना की एक-एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के अलावा बिहार की समस्तीपुर और महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट के उपचुनान के नतीजे भी आये हैं। नतीजों के मुताबिक महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट पर एनसीपी के श्रीनिवास दादासाहेब पाटील ने जीत दर्ज की. वहीं बिहार की समस्तीपुर सीट पर लोक जन शक्ति पार्टी के प्रिंस राज ने जीत दर्ज की।

इसी तरह उत्तर प्रदेश की 11 में से सात सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। गंगोह, लखनउ कैन्टोनमेंट, इगलास, गोविन्दनगर, मानिकपुर, बलहा और घोसी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। वहीं प्रतापगढ़ सदर सीट अपना दल और जैदपुर, जलालपुर और रामपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के जीत दर्ज की। उत्तर प्रदेश में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली जो मायावती के लिए गंभीर चिंता का कारण हो सकता है। गुजरात की छह सीटों पर चुनाव हुए उनमें थराद, राधनपुर, खेरालु, बायड, अमराईवाडी और लुणावाडा है। गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ने ही 3-3 सीटें जीतीं।  इस तरह पीएम मोदी के गृह राज्य में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहा है। बायड, थराद और राधनपुर सीटें कांग्रेस के तो खेरालु, अमराईवाडी और लुणावाडा सीटें बीजेपी के हिस्से में गईं।

बिहार की किशनगंज में एआईएमआईएम, सिमरी बख्तिायारपुर और बेलहर में राष्ट्रीय जनता दल, नाथनगर में जनता दल (यूनाइटेड) और दरौंदा में निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली। वहीं असम की राताबाडी, रंगापारा और सोनारी सीटों पर बीजेपी ने तो जनिया सीट पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जीत दर्ज की।     पंजाब में कांग्रेस ने तीन सीटों फगवाड़ा, मुकेरिया और जलालाबाद तो शिरोमणि अकाली दल ने एक सीट दाखा में जीत दर्ज की। वहीं मध्य प्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट कांग्रेस की झोली में गई। वहीं राजस्थान की मंडावा सीट पर कांग्रेस ने तो खींवसर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की। केरल की एरनाकुलम और अरूर सीट कांग्रेस के हिस्से में गईं। वहीं कोन्नी और वट्टीयूरकावू सीटें सीपीआई (माकपा) को जीत हासिल हुई। वहीं मंजेश्वर सीट पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के एमसी कमरुद्दीन ने जीत दर्ज की। सिक्किम में बीजेपी ने मारतम-रूमटेक और गंगटोक सीट जीत ली। वहीं एक सीट पोकलोक-कामरंग, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने जीती। इसके अलावा तमिलनाडु की विक्रावांडी और नानगुनेरी सीट पर एआईएडीएमके को जीत मिली।

अरुणाचल प्रदेश की खोन्सा पश्चिम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार चकात आबोह ने जीत दर्ज की। वहीं छत्तीसगढ़ की चित्रकोट सीट पर कांग्रेस के राजमन वेंजाम ने जीत दर्ज की। मेघालय की शेल्ला विधानसभा सीट, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के हिस्से में गई है। ओडिशा की बिजेपुर सीट पर बीजू जनता दल के रीता साहु ने जीत दर्ज की है। वहीं पुडुचेरी की कामराज नगर सीट पर कांग्रेस केए जानकुमार और तेलंगाना की हुजूरनगर सीट पर तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के सैदि रेड्डी शानंपुडि ने जीत दर्ज की।

आप भी हो सकते है साइबर अपराधियों के नए शिकार

साइबर अपराधी 21वीं सदी के बढ़ते हुए नए अपराध उद्योग का हिस्सा हैं, जहाँ स्मार्ट और बुद्धिमान अपराधियों ने दूसरों को धोखा देने और ठगने के लिए नए-नए तरीके खोजे हैं। पिछले कुछ वर्षों में दुनिया में साइबर धोखाधड़ी से संबंधित अपराधों में वृद्धि देखी गई है, ये अपराध छोटे-छोटे धोखाधड़ी से लेकर साइबर हमलों तक होते हैं जो पूरे देश को प्रभावित करते हैं। पिछले एक साल में 658 बड़े साइबर हमलों के साथ ब्रिटेन को निशाना बनाया गया था। साइबर सुरक्षा केंद्र ने अपनी वार्षिक समीक्षा में बताया कि 1 सितंबर 2018 से 31 अगस्त 2019 तक क्रेडिट कार्ड से संबंधित साइबर धोखाधड़ी कई लाख मामले सामने आए।

इसी तरह अमेरिका, जो साइबर अपराधों से लडऩे में अरबों डॉलर खर्च कर रहा है, हाल ही में वहां साइबर हमलों में भारी वृद्धि देखी गई है। 2018 में, अमेरिका में साइबर अपराधों से संबंधित लाखों मामले सामने आए। कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, टेक्सास, मिशिगन और न्यूयॉर्क के लोग इन हमलों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए क्योंकि 700 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि इन साइबर अपराधियों ने लूटी है ।

भारत में, अगस्त 2019 के महीने में, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी, पंजाब की सांसद प्रनीत कौर, साइबर अपराध के हालिया पीडि़तों में से एक बन गईं। झारखंड के जामताड़ा के अताउल अंसारी ने धोखे से उनके खाते से 23 लाख रुपये निकाल लिए। उसने प्रनीत कौर को तब $फोन किया जब वह संसद सत्र में भाग ले रही थीं और बताया कि वह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में प्रबंधक हैं और उन्हें तुरंत अपने एटीएम पिन और ओटीपी नंबर की आवश्यकता है क्योंकि उनके वेतन को उनके खाते में स्थानांतरित करने में कुछ समस्या है। महत्वपूर्ण जानकारी मिलने के बाद, तीन बारी में प्रनीत कौर के खाते से 23 लाख रुपये निकाल लिए गए। प्रनीत कौर ने पंजाब पुलिस में शिकायत दर्ज की और पूरी जाँच के बाद और झारखंड पुलिस की मदद से, अताउल अंसारी को पकड़ लिया गया।

इसी तरह केरल के एक सांसद को 1.60 लाख रुपये का चूना लगाया गया, एक केंद्रीय मंत्री को 1.80 लाख रुपये का नुकसान हुआ और यूपी के एक विधायक को 5,000 रुपये का धोखा दिया गया।

अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए आम जनता में जागरूकता की कमी और तकनीक का पूरी तरह से उपयोग करने की उनकी क्षमता के कारण ये अपराधी सफल होते हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ऑफ़ इंडिया द्वारा सांझा की गई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में भारत भर में साइबर अपराध के 21796 मामले दर्ज किए गए, वर्ष 2016 में यह लगभग 12,317 से दोगुना था, जिसमें से धोखाधड़ी के लेनदेन सबसे अधिक साइबर अपराध थे।

2017 के भारत के आधिकारिक साइबर अपराध रिकॉर्ड के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने 2017 में सबसे अधिक साइबर अपराध दर्ज किए हैं, जिसमें कुल 21,796 मामलों में से 4,971 मामले हैं। साइबर अपराध के 3,604 मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर रहा, इसके बाद कर्नाटक 3,174 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।

पूरे भारत में ऑनलाइन ठगी पर 1896 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद एटीएम धोखाधड़ी के 1543 मामले, ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के 804 मामले, ओटीपी धोखाधड़ी के 334 मामले दर्ज किए गए। अधिकांश साइबर अपराधों के पीछे धोखाधड़ी प्रमुख उद्देश्य था।

आधिकारिक तौर पर बताए गए मामलों की संख्या गहन जानकारी प्रदान करता है लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं जो अक्सर अप्राप्य हो जाते हैं। ऐसे कई कारण हो सकते हैं जिनके कारण लोग ऐसे मामलों की रिपोर्ट नहीं करते हैं और वे हो सकते हैं – व्यक्तियों में जागरूकता की कमी, अधिकारियों के बीच जागरूकता की कमी, साइबर अपराधियों और अन्य लोगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अभिनव तरीके। साइबर सुरक्षा अधिकारियों के लिए उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि ये अपराधी विकसित होते रहते हैं और हमेशा एक कदम आगे रहते हैं।

दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते इंटरनेट बाजारों में से एक होने के नाते, भारत इन साइबर अपराधियों का पसंदीदा गंतव्य बन गया है। ये अपराधी देश में धोखाधड़ी करने और व्यक्तियों को धोखा देने के लिए उपलब्ध सभी प्रकार की तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।

भारत के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के अनुसार, साइबर अपराध को ‘किसी भी गैरकानूनी कार्य जहां कंप्यूटर या संचार उपकरण या कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग अपराध के कमीशन को कम करने या सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है’ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। अपराध करने के लिए साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न तरीके हैं।

ऑनलाइन जॉब फ्रॉड

ऑनलाइन जॉब फ्रॉड उन लोगों को ठगने का एक प्रयास है, जिन्हें रोजगार की जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में कई मामले सामने आए हैं जहां साइबर अपराधी पैसे निकालने के लिए इस पद्धति का उपयोग कर रहे हैं।

विशिंग

विशिंग एक ऐसा प्रयास है जहां जालसाज व्यक्तिगत जानकारी जैसे ग्राहक आईडी, नेट बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम पिन, ओटीपी, कार्ड एक्सपायरी तिथि, सीवीवी आदि फोन कॉल के माध्यम से प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। बहुत से लोगों को बैंकों और अन्य एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करने वाले इन नकली ग्राहक सेवा एजेंटों से बैंकों के ग्राहकों के बीच भय पैदा करने या बैंकों की ओर से आकर्षक प्रस्तावों का वादा करके लोगों को ठगने के लिए फोन आए हैं। बहुत सारे मामले सामने आए हैं जहां लोगों ने इन फर्जी एजेंटों के साथ अपना विवरण सांझा किया है और अपने खातों से पैसे खोए हैं।

स्मिशिंग

स्मिशिंग एक प्रकार की धोखाधड़ी है जो फोन नंबर पर कॉल करने, धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइटों पर जाने या फोन या वेब के माध्यम से दुर्भावनापूर्ण सामग्री डाउनलोड करने के लिए मोबाइल फोन टेक्स्ट संदेशों का उपयोग करती है। लोग अपने फोन पर पाठ संदेश प्राप्त करते हैं, जहां उन्हें पैसों का आश्वासन या उपहार के साथ लालच दिया जाता है । यह पता चला है कि कई लोग इन साइबर अपराधियों द्वारा बिछाए गए जाल में गिर रहे हैं ।

फि़शिंग

फि़शिंग एक प्रकार की धोखाधड़ी है जिसमें व्यक्तिगत जानकारी चोरी करना शामिल है जैसे कि ग्राहक आईडी, आईपीआईएन, क्रेडिट/ डेबिट कार्ड नंबर, कार्ड समाप्ति की तारीख, सीवीवी नंबर आदि। यह साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला डेटा चोरी का एक और सामान्य प्रकार है। लोग नकली बैंक साइटों, सरकारी साइटों और अन्य सहयोगी वेबसाइटों से ईमेल प्राप्त करते हैं जो मूल साइटों के समान दिखते हैं। साइबर अपराधी फि़शिंग के माध्यम से कई महत्वपूर्ण जानकारी चुराने में सक्षम हैं।

स्पैमिंग

स्पैमिंग तब होती है जब किसी को ईमेल, एसएमएस, एमएमएस और किसी अन्य समान इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग मीडिया के माध्यम से भेजे गए एक अवांछित वाणिज्यिक संदेश मिलते हैं। वे किसी उत्पाद या सेवा को खरीदने के लिए प्राप्तकर्ता को मनाने की कोशिश कर सकते हैं या एक वेबसाइट पर जा सकते हैं जहाँ वह खरीदारी कर सकता है या वे उसे बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड के विवरण में फंसाने का प्रयास कर सकते हैं।

सिम स्वैप घोटाला

सिम स्वैप घोटाला तब होता है जब धोखेबाज मोबाइल सेवा प्रदाता के माध्यम से एक पंजीकृत मोबाइल नंबर के खिलाफ धोखाधड़ी से जारी एक नया सिम कार्ड प्राप्त करने का प्रबंधन करते हैं। इस नए सिम कार्ड की मदद से, उन्हें पीडि़त के बैंक खाते के माध्यम से वित्तीय लेनदेन करने के लिए आवश्यक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) और अलर्ट मिलते हैं।

रैनसमवेयर

रैनसमवेयर एक प्रकार का कंप्यूटर मालवेयर है जो संचार उपकरणों पर डेस्कटॉप, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि जैसे फाइलों, भंडारण मीडिया, डेटा/सूचना को बंधक के रूप में रखने के लिए एन्क्रिप्ट करता है। पीडि़त को अपने डिवाइस को डिक्रिप्ट करने के लिए मांगे गए फिरौती का भुगतान करने के लिए कहा जाता है।

कंप्यूटर वायरस, वर्म्स और ट्रोजन

कंप्यूटर वायरस आपके कंप्यूटर में प्रवेश करने और आपकी फ़ाइलों / डेटा को नुकसान/ परिवर्तित करने और स्वयं को दोहराने के लिए लिखा गया प्रोग्राम है। वर्म्स दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम हैं जो स्थानीय ड्राइव, नेटवर्क आदि पर बार-बार खुद की प्रतियां बनाते हैं। ट्रोजन हॉर्स वायरस नहीं है। यह एक विनाशकारी कार्यक्रम है जो एक वास्तविक अनुप्रयोग के रूप में दिखता है। वायरस के विपरीत, ट्रोजन हॉर्स खुद को दोहराते नहीं हैं लेकिन वे विनाशकारी हो सकते हैं। ट्रोजन आपके कंप्यूटर पर एक बैकडोर एंट्री खोलते हैं जो दुर्भावनापूर्ण उपयोगकर्ताओं / कार्यक्रमों को आपके सिस्टम तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे गोपनीय और व्यक्तिगत जानकारी चोरी हो सकती है।

साइबर अपराध और साइबर सुरक्षा पर ध्यान और जागरूकता में काफी सुधार हुआ है, क्योंकि सरकार, साइबर सतर्कता निकायों और अन्य कॉर्पोरेट एजेंसियों ने लोगों की सुरक्षा के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाया है।

साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष साइबर विंग स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसमें ऑनलाइन अपराधों की प्रभावी जांच के लिए पुलिस स्टेशनों, जिलों, क्षेत्रों और मुख्यालय में उपस्थिति होगी।

इन साइबर विंग में एटीएम, क्रेडिट कार्ड, ई-वॉलेट, फर्जी प्रोफाइल और पासवर्ड हैकिंग से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों की जांच के लिए साइबर अपराध विशेषज्ञों की एक टीम होगी। सेल संभावित दुरुपयोग के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की निगरानी भी करेगा और साइबर अपराधों पर जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में इंटरैक्टिव कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।

सभी ज़ोनल, जिला और पुलिस स्टेशन स्तर के साइबर विंग के कामकाज की निगरानी के लिए, एक राज्य-स्तरीय साइबर सेल पहले से ही यूपी पुलिस मुख्यालय में चालू है। नोएडा और लखनऊ में विशिष्ट साइबर पुलिस स्टेशन भी काम कर रहे हैं। साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यूपी पुलिस आगरा, कानपुर, बरेली, वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज में छह और विशेष साइबर पुलिस स्टेशन खोलने जा रही है।

कर्नाटक एक और राज्य है जहां साइबर अपराध उच्च स्तर पर है, बेंगलुरु में साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के अनुसार, जनवरी 2018 और सितंबर 2019 के बीच शहर में 12,700 से अधिक साइबर अपराध के मामले सामने आए हैं। साइबर पुलिस के अनुसार, हर तीसरे मामले की रिपोर्ट में, कर्नाटक में आर्थिक धोखाधड़ी शामिल है और नौकरी के घोटाले से संबंधित हैं, उनमें से एक तिहाई ओटीपी और यूपीआई धोखाधड़ी से संबंधित हैं, और शेष लॉटरी संबंधित घोटाले हैं।

साइबर पुलिस के अनुसार, आर्थिक अपराधों से संबंधित साइबर अपराधों की जांच करना बहुत मुश्किल है क्योंकि आईपी पते या अपराध के लिए उपयोग किए जाने वाले फोन नंबर अफ्रीकी या पूर्वी यूरोपीय देशों के हैं। ऐसे लोगों को उनके निपटाने में जिस तरह की तकनीक उपलब्ध है, उसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।

जैसे-जैसे साइबर अपराधों से संबंधित मामले बढ़ रहे हैं, सरकारी निकाय और अन्य एजेंसियां इनका मुकाबला करने और इन साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न तरीकों के लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए अधिक सक्रिय हो रही हैं। कई राज्यों में पुलिस अब इन साइबर अपराधियों पर नजऱ रखने और उनके द्वारा अपनाए जा रहे नए तरीकों पर नजऱ रखने के लिए नवीनतम उपकरणों और आईटी इंजीनियरों के साथ खुद को तैयार कर रही है।

अब समय बताएगा कि साइबर अपराधियों के इस बढ़ते अपराध उद्योग को नियंत्रित करने के लिए हमारी पुलिस कितनी प्रभावी होगी।