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चुनाव लड़ सकेंगे कर्नाटक के बागी विधायक

सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला सही ठहराया है, हालांकि, उन पर २०२३ तक चुनाव न लड़ने की पाबंदी के फैसले को पलटते हुए इन विधायकों को चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है। साथ ही कोर्ट ने राजनीतिक दलों में नैतिकता को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की है और कहा है कि यह तमाम दलों के लिए लागू होती है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विधायकों ही नहीं भाजपा को भी राहत मिली है, जिसने कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों के बागी हो जाने के बाद सरकार गिर जाने से अपनी सरकार बनाई थी। यदि विधायकों को दुबारा चुनाव की पाबंदी लगी रहते तो भाजपा के लिए बड़ा सिरदर्द हो सकता था।

अपने फैसले में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की सदस्यता रद्द करने का अधिकार रखते हैं लेकिन वे किसी के चुनाव लड़ने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक नहीं लगा सकते। लिहाजा जो विधायक अपनी सदस्यता खो बैठे थे, वे चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस के १४ और जेडीएस के ३ विधायक अदालत में गए थे अब यह ५ दिसंबर के उपचुनाव में हिस्सा ले सकेंगे।

हम चुनाव नहीं चाहते लेकिन शिव सेना से कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण ज़रूरी : एनसीपी-कांग्रेस

एनसीपी-कांग्रेस ने मंगलवार देर शाम कहा कि शिव सेना के साथ सरकार बनाने पर बात होगी, लेकिन दोनों ने कहा है कि कई स्पष्टीकरण बाकी हैं उसके बाद ही कोइ अंतिम फैसला किया जाएगा। दोनों ने राष्ट्रपति शासन की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इसकी कोइ जरूरत नहीं थी। न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण के बाद ही कोइ अंतिम बात होगी। पवार ने कहा है कि हम दोबारा चुनाव नहीं चाहते हैं। दोनों की बातों से साफ़ है कि बहुत ठोक-बजाकर ही शिव सेना को अपनी शर्तों पर समर्थन दिया जाएगा। यह भी साफ़ है कि महाराष्ट्र में बहुत जल्दी सरकार शायद नहीं बनेगी।

एनसीपी नेता शरद पवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुम्बई में एक प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। कहा कि जिस दिन सहयोगी शिव सेना-एनसीपी-कांग्रेस में पूरी बात फाइनल हो जाएगी उसके बाद सरकार के लिए रास्ता साफ़ हो पायेगा । गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने आज शाम ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी प्रदान की थी।

प्रफुल्ल पटेल ने कहा – कांग्रेस और एनसीपी जिन्होंने महाराष्ट्र में गठबंधन करके लड़ा था। वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा की। शिव सेना ने सरकार की बात की थी, हमने कोइ फैसला अभी नहीं किया है। आम सहमति बनाने के बाद ही कोइ रणनीति तय की जाएगी। आगे बातचीत जारी रहेगी।

अहमद पटेल ने कहा – हम राष्ट्रपति शासन की कड़ी आलोचना करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन हैं, लेकिन भाजपा ने हमेशा मनमानी की है। यह संबिधान और लोकतंत्र का मजाक उड़ाने की कोशिश राज्यपाल ने की है। कांग्रेस को कोइ न्योता नहीं आया। यह गलत बात हुई है।

शरद पवार ने कहा – कई मुद्दे हैं जिनपर बात किये बिना सरकार की बात नहीं हो सकती। यह ज़रूरी है कि यह पहले तय कि इसकी नीति क्या हो, क्या मुद्दे हों।” कहा कि अभी हम दोनों के बीच ही बात चल रही है उसके बाद देखेंगे क्या करना है।

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा

महाराष्ट्र में सरकार बनाने की ख़बरों के बीच राष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश मानते हुए इस पर मुहर लगा दी है जिसके बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। वहां विधानसभा को ”सस्पेंडेड एनीमेशन” में रखा गया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सुबह वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी। मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी की इस संबंध में सिफारिश को मानते हुए यह सिफारिश की थी। शिव सेना फैसले के खिलाफ पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की शरण में है।

इस बीच शाम को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, खड़गे और वेणुगोपाल मुंबई पहुँच गए हैं। वहां वे सरकार बनाने और उसका क्या स्वरुप हो, इस पर एनसीपी और संभवता शिव सेना से भी बात करेंगे। राष्ट्रपति शासन लग जाने के बाद भी शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन सरकार बनाने का रास्ता बंद नहीं हो गया है।

नियमों के मुताबिक राष्ट्रपति शासन के बाद भी यदि शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने करते हैं तो उन्हें उसे सरकार बनाने के लिए बुलाना होगा। हां, दावे के साथ उन्हें बहुमत विधायकों का पत्र राज्यपाल को देना होगा। जानकारों के मुताबिक अभी महाराष्ट्र में शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार की संभावना बनी हुई है।

राष्ट्रपति शासन छह महीने तक रह सकता है और इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। राष्ट्रपति  दौरान कोइ भी दल, चाहे भाजपा भी बहुमत के साथ ऐसा दावा करती है तो, राज्यपाल को उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाना होगा।

वैसे अभी तक के संकेत से लगता है कि महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस शिव सेना को समर्थन से पहले सारी बाते फाइनल करना चाहते हैं जिसके कारण वहां सरकार बनाने में देरी हुई है। अहमद पटेल, वेणुगोपाल , खड़गे जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का मुम्बई जाना इस बात का संकेत है कि सरकार बनाने की कोशिश जारी है। मामला पदों, शर्तों को लेकर अटका हुआ है।

उधर शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल और कपिल सिब्बल से सुबह बात की थी। सेना ने चेतावनी दी थी कि यदि उन्हें राज्यपाल की तरफ से दिए गए समय से पहले राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गयी तो यह गैरकानूनी होगा और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी जो उसने किया भी है।  शिव सेना ने इसके लिए कपिल सिब्बल को जिम्मा सौंपा है। अहमद पटेल शाम को मुम्बई आने वाले हैं।

उधर एनसीपी नेता नवाब मालिक ने कुछ देर पहले प्रेस कांफ्रेंस करके कहा है कि शरद पवार सरकार को लेकर फैसला करेंगे और सरकार में तीनों दल शामिल होंगे।

इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल की पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गयी है। पीएम मोदी आज ही ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने ब्राज़ील जाने वाले हैं।

आज एनसीपी की बैठक हुई। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता नवाब मालिक ने पत्रकारों को बताया कि कांग्रेस के बिना सरकार बनना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से बातचीत के बाद फैसला किया जाएगा।

केंद्रीय केबिनेट की महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश

महाराष्ट्र में सरकार बनाने की ख़बरों के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। मंत्रिमंडल के इस फैसले पर आश्चर्य जताया जा रहा है कि क्योंकि महाराष्ट्र के राज्यपाल कोशियारी ने रात ८.३० बजे तक का समय पहले ही एनसीपी को सरकार बनाने का फैसला बताने के लिए दे रखा है। केंद्रीय केबिनेट बिना राज्यपाल की सिफारिश के ऐसा फैसला नहीं कर सकती जिससे जाहिर होता है कि राजभवन से ऐसी सिफारिश आई है। हालांकि, बीच में ख़बरें थीं कि राज्यपाल ने ऐसी सिफारिश नहीं भेजी है। राज्यपाल को भी केंद्र से फैसले की आधिकारिक जानकारी अभी नहीं मिली है।

उधर शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल और कपिल सिब्बल से बात की है। सेना ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें राज्यपाल की तरफ से दिए गए समय से पहले राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गयी तो यह गैरकानूनी होगा और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है। खबर है कि शिव सेना ने इसके लिए कपिल सिब्बल को जिम्मा सौंपा है। अहमद पटेल शाम को मुम्बई आने वाले हैं।

उधर एनसीपी नेता नवाब मालिक ने कुछ देर पहले प्रेस कांफ्रेंस करके कहा है कि शरद पवार सरकार को लेकर फैसला करेंगे और सरकार में तीनों दल शामिल होंगे।
वैसे राष्ट्रपति शासन लग जाने के बाद भी शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस का सरकार बनाने का रास्ता बंद नहीं हो जाएगा क्योंकि नियमों के मुताबिक उसके बाद भी यदि कोइ एक या कोइ गठबंधन बहुमत लायक विधायकों के समर्थन का दस्तावेजों के साथ सरकार बनाने का दावा करता है तो राज्यपाल को उन्हें आमंत्रित करना होगा।

इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल की पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गयी है। पीएम मोदी आज ही ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने ब्राज़ील जाने वाले हैं।

आज एनसीपी की बैठक हुई। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता नवाब मालिक ने पत्रकारों को बताया कि कांग्रेस के बिना सरकार बनना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से बातचीत के बाद फैसला किया जाएगा।

महाराष्ट्र में सत्ता का म्यूज़िकल चेयर्स !

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जिस तरह से गवर्नर द्वारा सियासी दलों को एक के बाद एक कर न्योता दिया जा रहा है और वे अपना दावा करने में असफल हो रहे हैं उससे तो यही लग रहा है जैसे यहां पर सत्ता के लिए’ म्यूजिकल चेयर’ का खेल चल रहा है।

शिवसेना द्वारा सत्ता स्थापना का दावा तयशुदा वक्त में पूरा न कर पाने की स्थिति में गवर्नर ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया है। फिलहाल समय रेत की तरह हथेली से फिसलता जा रहा है भले ही एनसीपी ने यह कह दिया कि वह अपना दावा पेश करने में सफल होगी लेकिन मैजिक फिगर तक पहुंचने के लिए उसे भी पापड़ बेलने पड़ेंगे।

शिवसेना इधर इसलिए बिफरी पड़ी है कि उसे एंड टाइम पर कांग्रेस और NCP से.लिखित आश्वासन नहीं मिला और दूसरी तरफ कांग्रेस एनसीपी इसके लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे हैं। हालात भले ही ऐसे हैं फिर भी एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना मिलकर सत्ता बनाने के ख़्वाब बुन रहे हैं। हालांकि यहां भी सीएम पोस्ट के लिए पेंच फंसा हुआ है। शिवसेना सीएम पोस्ट चाहती है और एनसीपी इस पर तैयार नहीं दिखती। यदि आज शाम तक सत्ता समीकरण का कोई ठोस आधार सामने नहीं आता तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन इंपोज किया जा सकता है। हालांकि शिवसेना का कहना है कि वह इसे कोर्ट में चुनौती दे सकती है।

इससे पहले महाराष्ट्र की सेकंड लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते शिवसेना गवर्नर के न्योते पर पहुंची और उनसे अधिक समय की मांग की। लेकिन गवर्नर ने उन्हें अतिरिक्त समय देने पर असमर्थता जाहिर की।

इसके पहले महाराष्ट्र की सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बीजेपी को गवर्नर ने सरकार बनाने का न्योता दिया था। बीजेपी और शिवसेना के बीच 5050 फार्मूले की सच्चाई को लेकर चल रही जंग के चलते BJP ने बीजेपी ने सबसे पहले सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर की थी।

यह बात अलग है 14 वीं असम्बली इलेक्शन बीजेपी शिवसेना महागठबंधन के तौर पर लड़ा था। लेकिन चुनावी नतीजे आने के बाद दोनों के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर घमासान छिड़ गया। शिवसेना ने दावा किया इलेक्शन के पहले महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर पोस्ट ढाई- ढाई साल के लिए बांटने का वादा किया गया था लेकिन बीजेपी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। और दोनों के बीच अहम की लड़ाई ने तकरीबन 2 सप्ताह से ज्यादा महाराष्ट्र की जनता को अपनी नौटंकी में उलझाए रखा।

शिवसेना का दावा था यदि उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया जाएगा तो उनके पास एनसीपी और कांग्रेस के अलावा अन्य इंडिपेंडेंट विधायक और का सपोर्ट होगा मैजिक नंबर उनके बाएं हाथ का खेल होगा।

दरअसल शिवसेना को झटका कांग्रेस की तरफ से सहमति पत्र न मिलने से लगा।हालांकि एनसीपी ने शिवसेना को समर्थन देने की बात कही थी लेकिन साथ साथ यह भी जोड दिया था , चूंकि उसने विधानसभा इलेक्शन कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था इसलिए समर्थन के मुद्दे पर मित्रपक्ष कांग्रेस की ओर से लिखित आश्वासन जरूरी है ।

शिवसेना को समर्थन देने के मामले में कांग्रेस पशोपेश में रही। कांग्रेस का एक दल आईडियोलॉजी डिफरेंसेस की वजह से शिवसेना को समर्थन देने से इंकार करता रहा। उनका कहना था कि rightist हिंदुत्ववादी पार्टी के साथ सत्ता का सौदा कांग्रेस सेक्युलर इमेज को तोड़ देगा जिसकी भरपाई मुश्किल होगी। मुश्किलात महाराष्ट्र के लगभग 40 विधायकों की भी थी जो शिवसेना को समर्थन देने के लिए दबाव डाल रहे थे, उनको अनदेखा करना भी कांग्रेस को भारी पड़ सकता था। कांग्रेस का यह पशोपेश भरा रवैया शिवसेना को भारी पड़ गया। जब शिवसेना गवर्नर दरबार में पहुंची तो उसके पास लिखित आश्वासन था ही नहीं किसी भी पार्टी का। गवर्नमेंट गवर्नर ने अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया।

जहां तक एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की बात है उनकी शिवसेना और बीजेपी साथ बढ़िया रिश्ते हैं। वह बीजेपी या शिवसेना के समर्थन से सरकार बना सकते हैं कांग्रेस तो एनसीपी का मित्र पक्ष है। सत्ता वह भले ही शिवसेना को साथ लेकर बनाए या फिर बीजेपी के साथ उन्हें कांग्रेस का समर्थन जरूरी होगा।

अब सत्ता का समीकरण बिना कांग्रेस के संभव नजर नहीं आता।

गवर्नर से मिलने के बाद आदित्य ठाकरे ने विश्वास दर्शाते हुए कहा था कि गवर्नर ने उनके क्लेम को नकारा नहीं है लेकिन 24 घंटे से ज्यादा वक्त नहीं दिया। आदित्य ने बताया उन्होंने गवर्नर को कन्विन्स करने की कोशिश की कि, समर्थन को लेकर शिवसेना की अन्य दलों से मीटिंग चल रही है । उनका कहना था कि गवर्नर को मियाद खत्म होने के बाद भी डेमोक्रेटिक सरकार के गठन के लिए और अधिक समय देना चाहिए था। उन्होंने गवर्नर से और 2 दिन की मांग की थी। गौरतलब है कि इसके पहले संजय राऊत आरोप लगा चुके हैं भाजपा नहीं चाहती शिवसेना को अपना बहुमत साबित करने के लिए ज्यादा वक्त मिले।

महाराष्ट्र में तेजी से बदलते हुए घटनाक्रम को देखते हुए राजनीतिक पंडितों ने यहां तक कयास लगाने शुरू कर दिए हैं कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है या फिर mid-term पोल हो सकते हैं। इस बीच बीजेपी ने यह कहकर कि वह सारे घटना क्रम पर नज़र रखे हुई है ने सरकार बनाने के नवीन समीकरणों पर चर्चा शुरू कर दी है।

झारखंड में भी भाजपा को सहयोगियों से झटका

महाराष्ट्र में ३० साल पुरानी साथी शिव सेना से बड़ा झटका खाने के बाद अब झारखंड में भी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। वहां केंद्र में उसकी साथी रामविलास पासवान की एलजेपी ने भाजपा को विधानसभा चुनाव में झटका देते हुए उससे अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। एलजेपी का ही नहीं भाजपा को एक और साथी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन ने भी अंगूठा दिखाते हुए अपने अलग उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।

इन झटकों से झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा का दोबारा सत्ता में आना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। एलजेपी के झटके के बाद भाजपा को सबसे बड़ा झटका उसकी सहयोगी आजसू ने दिया है जो इस समय भाजपा सरकार में सहयोगी है।

भाजपा से गठबंधन तोड़ते हुए आजसू ने १२ सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इनमें से तीन सीटों पर भाजपा पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।

आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने सिल्ली से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। झारखंड में फिलहाल भाजपा और आजसू गठबंधन की ही सरकार है। रांची में आजसू प्रवक्ता देवशरण भगत ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। गौरतलब है कि भाजपा ने रविवार को ५२ प्रत्याशियों की सूची जारी की थी।

पिछले विधानसभा (२०१४) में भाजपा ने ३७ सीटें जीती थीं जबकि उसके सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ने पांच सीटें जीती थीं। इस तरह दोनों पार्टियों के गठबंधन वाली सरकार झारखंड में बनी जो अभी चल रही है। आजसू का कहना है कि बात सीट बंटवारे की नहीं, सीट जीतने की है। इसी तरह एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष  चिराग पासवान कह चुके हैं कि भाजपा से बात नहीं बनी तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। झारखंड की ८१ सीटों के लिए पांच चरण में ३० नवंबर से २० दिसंबर के बीच होंगे और वोटों की गिनती २३ दिसंबर को होनी है।

बांग्लादेश ट्रेन हादसे में १५ की मौत

बांग्लादेश में दो पैसेंजर ट्रेनों के बीच भिड़ंत में कमसे कम १५ लोगों की मौत हो गई है। हादसे में दर्जनों लोग घायल हुए हैं। आशंका है कि मरने वालों के संख्या ज्यादा हो सकती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश के ब्राह्मणबरिया जिले में बीती देर रात करीबी दो बजे दो पैसेंजर ट्रेनों में आमने-सामने जोरदार भिड़ंत हो गई। हादसे के वक्त उदयन एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ रही थी तभी उसकी टक्कर एक अन्य ट्रेन से हो गई। इसमें दो कोच बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। हादसे में १५ लोगों की मौत हो गयी जबकि  करीब ५० लोग घायल हुए हैं।

सिलहट से चटगांव जा रही उद्यान एक्सप्रेस की ढाका जा रही तुर्ना निशिता ट्रेन से मन्दोबाग स्टेशन पर मंगलवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे टक्कर हो गई। टक्कर लोको मास्टर के सिग्नल का पालन नहीं करने की वजह से हुई। खबर में रेल मंत्रालय के सचिव मोफज्जल हुसैन के हवाले से कहा गया कि घटना की जांच के लिए तीन अलग-अलग जांच समितियों का गठन किया गया है।

मृतकों की शिनाख्त की जा रही  है। ख़बरों के मुताबिक १२ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन ने अस्पताल जाकर दम तोड़ा। बचाव अभियान जारी है। मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है क्योंकि अभी कई लोग क्षतिग्रस्त डिब्बों में फंसे हैं। ढाका-चटगांव, ढाका-नोआखली और चटगांव-सिलहट पर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी गई है।

बेअंत के कातिल की फांसी सजा उम्रकैद में तब्दील

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के कातिल बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी गयी है। सरकारी स्तर पर औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आदेश  जारी कर दिए गए हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन को  इस मामले में आदेश जारी किए गए हैं। आदेश को लागू कराने का जिम्मा चंडीगढ़ प्रशासन को सौंपा गया है। गौरतलब है कि ३१ अगस्त, १९९५ को चंडीगढ़ सचिवालय के बाहर बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी।

आतंकवादियों ने उनकी कार को बम से उड़ा दिया था। इस घटना में १६ अन्य लोगों की भी जान चली गयी थी। हत्या मामले में बलवंत सिंह राजोआना को साल २००७ में सीबीआई की विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। नवंबर २०१७ में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर करके बलवंत सिंह राजोआना की बहन ने उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी, लेकिन याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब उनकी फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया है।

कातिक पूर्णिमा पर घाटों पर उमड़े भक्त

आज कार्तिक पूर्णिमा है। देशभर में हर्षोल्लास के साथ कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। प्रमुख तीर्थ स्थलों पर भक्तों का तांता लगा है और घाटों पर खासी रौनक है। श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। कार्तिक माह को दामोदर के नाम के रूप में भी जाना जाता है, ये भगवान विष्णु का ही नाम है।

कार्तिक पूर्णिमा का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, ये पूरा महीना भगवान विष्णु का प्रिय होता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान करने का बड़ा महत्व है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाते हैं और पापों की मुक्ति की कामना करते हैं।

तीर्थ स्थलों पर भक्तों का तांता लगा रहता है। घाटों पर रौनक रहती हैं और स्नान के साथ दीप-दान करना भी शुभ होता है। इस अवसर पर लोग गौ दान भी करते हैं। शिव की नगरी वाराणसी से लेकर, प्रयागराज और राम मंदिर पर फैसला आने के बाद कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अयोध्या में श्रद्धालुओं हर्षोल्लास के साथ आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।

शिव की नगरी वाराणसी में भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नानार्थियों का जमघट लगा हुआ है। दशाश्वमेघ घाट पर स्नान करने वाला का जमावड़ा है। भक्त गंगा में डुबकी लगा दान-पुण्य कर रहे हैं। अयोध्या में सरयु नदी में श्रद्धालु डुबकी लगा रहे हैं। मथुरा में यमुना के घाटों पर लोग आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पर संगम नगरी प्रयागराज में  गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी  में आस्था की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। दूर-दूर से आये हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम की धारा में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्ध्य दे रहे हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना कर साल भर अपने परिवार के निरोग रहने की कामना कर रहे हैं।

संगम पर सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही हजारों श्रद्धालु  इकट्ठे हो गए थे। कई घाटों पर तो तिल रखने की भी जगह नहीं बची। ग्रह नक्षत्रों के दुर्लभ संयोग की वजह से इस बार कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का विशेष महत्व है। प्रयागराज नामकरण के बाद संगम नगरी की आज दूसरी कार्तिक पूर्णिमा है।

कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ था, जबकि स्रष्टि के पालनहार भगवान विष्णु ने आज ही के दिन मत्स्यावतार रूप धारण किया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और पूजा अर्चना करने वाले को अक्षय पुण्य और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। इसी वजह से संगम नगरी प्रयागराज में त्रिवेणी की धारा में स्नान करने वालो की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। संगम समेत प्रयागराज के तमाम घाटों पर आज शाम को देव दीपावली भी धूम- धाम से मनाई जाएगी।

प्रकाश पर्व की देश भर में धूम

सिख समुदाय के प्रथम गुरु श्रीगुरुनानक देवजी की ५५०वीं जयंती पर देश भर में धूम है। प्रकाश पर्व पर देशभर के गुरुद्वारों में खास सजावट की गई है। करतारपुर कॉरिडोर के शुभारंभ के बाद वहां भी जबरदस्त रौनक है और श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष, भाजपा अध्यक्ष सहित तमाम बड़े नेताओं ने देशवासियों को प्रकाश पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। प्रकाश पर्व की तैयारियां बहुत पहले से शुरू हो गयी थीं। इस बार प्रकाश पर्व खास तरीके से मनाया जा रहा है। देशभर के गुरुद्वारों में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

इस बार करतारपुर कॉरिडोर की वजह से प्रकाश पर्व भारतीयों के लिए और भी ज्यादा खास हो गया है। नौ नवंबर से भारतीयों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खुल गया है। पिछले दो दिन में हजारों सिख श्रद्धालु करतारपुर साहिब दर्शन के लिए गए हैं।

पंजाब में गुरु नानक देवजी की ५५० वीं जयंती को लेकर गुरुद्वारों में खास सजावट की गई है। पंजाब के सुल्तानपुर लोधी में बेर साहिब गुरुद्वारा में भक्तों से तांता सोमवार शाम से ही लगने लगा था।

दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा में प्रकाशपर्व के मौके पर बहुत ही खास तरीके से सजाया गया है। यहां कल से ही लोगों की भारी भीड़ दर्शन के लिए पहुंच रही है। पूरा इलाका रौशनियों से जगमगा रहा है।