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शिव सेना अटकी, राज्यपाल का अब एनसीपी को न्योता

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिव सेना सरकार का मामला अटकने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी को मौक़ा देते हुए २४ घंटे (मंगलवार रात ८.३० बजे तक) का समय दिया है ताकि वह समर्थन के साथ अपना दावा कर सके। पार्टी नेता छगन भुजबल और अजित पवार राज्यपाल से ”दावे” के लिए आधे घंटे के भीतर मिलेंगे। इससे पहले शिव सेना राज्यपाल से मिली लेकिन समर्थन पत्र न होने की बात कहकर ४८ मांगा जिसे देने से राज्यपाल ने इंकार कर दिया।
पहले की ख़बरों के विपरीत तीन घंटे की बैठक के बाद कांग्रेस ने दिल्ली में साफ़ किया कि उसने शिव सेना को अभी समर्थन का फैसला नहीं किया है और पवार के साथ बातचीत के बाद ही इसे लेकर फैसला किया जाएगा। राजभवन ने बाकायदा रिलीज जारी कर कहा है कि शिव सेना ने तीन दिन का वक्त मांगा था जो उसे नहीं दिया गया है।
एनसीपी ने भी शिव सेना को समर्थन पत्र नहीं दिया है। यह बात कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे ने कही है। इस तरह मामला बहुत दिलचस्प हो गया है। यह भी हो सकता है शिव सेना एनसीपी को समर्थन कर दे क्योंकि उसके पास और कोइ चारा नहीं है।
इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि शरद पवार को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बना दिया जाये। पहले इस तरह की चर्चा थी कि ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर पहले शरद पवार को सीएम बनाकर ढाई साल बाद शिव सेना के आदित्य ठाकरे को सीम बनाया जाये ताकि उनको अनुभव मिल सके।
शिव सेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि वे राज्यपाल से मिले हैं जिसमें उन्होंने ४८ घंटे का वक्त राज्यपाल से मांगा है लेकिन उन्होंने वक्त देने से मना किया है। ऐसी स्थिति में हो सकता है कि राज्यपाल एनसीपी-कांग्रेस को भी सरकार बनाने की बाबत पूछ सकते हैं और न्योता दे सकते हैं। कुल मिलाकर स्थिति दिलचस्प बनी हुई है।

शिवसेना लीडर संजय राउत अस्पताल में

सीने में दर्द की शिकायत के चलते शिवसेना के सबसे सक्रिय नेता संजय राऊत अस्पताल में एडमिट हैं।

मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में एडमिट संजय राउत की तबीयत फिलहाल ठीक बताई जा रही है। उनके भाई सुनील राऊत के अनुसार उन्हें एक दो दिन में डिस्चार्ज किया जा सकता है। पिछले 15 दिनों से राहुल को सीने में दर्द की शिकायत थी।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही संजय राउत ने बीजेपी को जिस तरह से आड़े हाथों लिया है, उससे बीजेपी ने खुद स्वीकार किया कि वह आहत हुई है। वह शिवसेना के माउथपीस’ सामना’ के कार्यकारी संपादक भी हैं।
महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शिवसेना को अपना दावा पेश करने के लिए न्योता दिए जाने के बाद भी वह ज्यादा एक्टिव हो गए थे। आज शाम 7:30 बजे तक शिवसेना को अपना दावा पेश करना है राउत ने मांग की थी कि शिवसेना को अपना दावा पेश करने के लिए और ज्यादा समय देना चाहिए था।
सामना के जरिए और खुद भी संजय राऊत बार-बार बीजेपी व चीफ मिनिस्टर फडणवीस को अपना निशाना बनाते रहे। उन्होंने पहला दावा किया कि महाराष्ट्र का अगला चीफ मिनिस्टर शिवसेना का होगा। इस दावे को पूरा करने के लिए वे हर फ्रंट पर बेहद सक्रिय रहे। जिस वक्त बीजेपी शिवसेना के बीच टकराव अपने शुरुआती चरण में था, उस वक्त शिवसेना सरकार की पैरवी को लेकर समर्थन के मुद्दे पर राऊत एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मिल चुके थे। इस बात में दो राय नहीं शिवसेना और शरद पवार की नज़दीकी बढ़ाने में संजय राऊत की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

संजय राउत चुनावी नतीजों के बाद से सुर्खियों में बने रहे. वह शिवसेना के मुखपत्र सामना या तो मीडिया के जरिए बीजेपी पर निशाना साधते रहे हैं. शिवसेना प्रवक्ता शुरू से ही कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही होगा. यही कारण है कि शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और अब NCP-कांग्रेस के साथ जाने के लिए तैयार है. एनसीपी और शिवसेना में अगर करीबी बढ़ी है तो उसका श्रेय संजय राउत को ही जाता है. नतीजों के बाद बीजेपी से सीएम पद को लेकर खींचतान के बीच उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी, जिसके बाद से ही चर्चा होने लगी थी

आदित्य ठाकरे और शिंदे राजभवन पहुंचे, सोनिया से उद्धव की टेलीफोन पर बात

महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिशों के बीच कुछ देर पहले शिव सेना नेता आदित्य  ठाकरे और विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे राजभवन पहुँच गए हैं। वे सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं या कुछ और वक्त देने की बात कर सकते हैं। उधर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उद्धव ठाकरे की कुछ देर पहले टेलीफोन पर बात हुई है जिससे साफ़ संकेत मिलता है कि कांग्रेस शिव सेना सरकार को समर्थन की तैयारी कर चुकी है।

इसके अलावा एक खबर शिवसेना सांसद संजय राउत की तबीयत खराब होने से जुड़ी है। पता चला है कि उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। संजय राउत की गिनती शिवसेना के बड़े नेताओं में है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही संजय राउत बीजेपी पर काफी हमलावर रहे हैं। राउत शिवसेना के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक भी हैं। संजय राउत की तबीयत ऐसे समय खराब हुई है जब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया है।

सरकार बनाने का दावा करने के लिए शिव सेना नेता आदित्य ठाकरे और विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे राज्यपाल कोशियारी से मिले राजभवन पहुंचे हैं।

लता मंगेशकर अस्पताल में भर्ती

प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर को सांस लेने में लक्लीफ के बाद मुंबई के ब्रीच क्रैंडी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। अपुष्ट ख़बरों के मुताबिक उनकी हालत पर डाक्टर गहन नजर रखे हुए हैं। उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया  है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सुबह सांस लेने में तकलीफ के बाद लता दीदी को तड़के करीब २ बजे अस्पताल ले जाया गया है और उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है।

इसी २८ सितंबर को जीवन के ९० वर्ष पूरी करने वाली लता मंगेशकर देश के कई मसलों पर सोशल मीडिया में टिप्पणी करती रहती हैं। वे फिल्म इंडस्ट्री की अपने तमाम सहयोगियों के जम्दीन पर बधाई देना भी नहीं भूलतीं।

अभी तक अस्पताल की तरफ से कोइ आधिकारिक जानकारी लता के स्वास्थ्य को लेकर नहीं आई है। हालांकि, रिपोर्ट्स में बताया गया है कि उनकी स्थिति को देखते हुए ही उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है।

फीस बढ़ौतरी के खिलाफ जेएनयू छात्र सड़कों पर

फीस बढ़ोत्तरी और ड्रेस कोड के खिलाफ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों का आंदोलन सोमवार को तेज हो गया। बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर हैं और पुलिस से उनकी तनातनी भी देखी गयी है। आज जेएनयू में कन्वोकेशन भी थी।

छात्रों को इस बात पर गुस्सा है कि हॉस्टल की फीस ६ से ७ हजार बढ़ा दी गई है। गरीब छात्र यहां कैसे पढ़ सकेंगे।
नेल्सन मंडेला मार्ग पर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन की ‘‘छात्र-विरोधी’’ नीति के खिलाफ ही वे  विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्र जब अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की तरफ बढ़ने की कोशिश में थे तो गेटों पर अवरोधक लगा दिए गए। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू उस समय दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

सुबह शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद परिसरों के बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया गया है। जेएनयू परिसर के उत्तरी और पश्चिमी द्वारों के अलावा बाबा बालकनाथ मार्ग पर एआईसीटीई ऑडिटोरियम और जेएनयू के बीच स्थित सड़क पर बैरिकेड लगाये गये लेकिन छात्रों ने इन्हें तोड़ दिया। इसके बाद वे एआईसीटीई की तरफ मार्च करने लगे। कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया।

छात्र हाथों में ‘‘दिल्ली पुलिस वापस जाओ’’ के नारे लिखी तख्तियां लिए दिखे। यही नहीं कुछ में कुलपति एम जगदीश कुमार को एक ‘‘चोर’’ बताया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल कार्यक्रम स्थल से काफी देर तक बाहर नहीं आ पाए। पुलिस ने मंत्री को रास्ता देने का छात्रों से आग्रह किया लेकिन उन्होंने इसे नहीं माना।

प्रदर्शनकारी ”हम कुलपति से मिलना चाहते हैं’’ जैसे  रहे थे। पुलिस को छात्रों को प्रदर्शन स्थल से उठाकर बस में डालते हुए देखा गया। छात्र कुलपति से मिलना चाहते थे और उनकी मांग थी कि मसौदा छात्रावास मैनुअल को वापस लिया जाये जिसमें उनके अनुसार फीस वृद्धि, कर्फ्यू का वक्त और ड्रेस कोड जैसी छात्र विरोधी पाबंदियों हैं।

वे हॉस्टल मैनुअल, पार्थसारथी चट्टानों पर प्रवेश और छात्रसंघ कार्यालय पर ताला लगाने का विरोध कर रहे हैं। छात्रों के मुताबिक मैनुअल में शुल्क वृद्धि और ड्रेस कोड जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं। वे १५ दिन से विरोध कर रहे हैं, लेकिन कुलपति उनसे  बात करने को तैयार नहीं हैं। छात्रों के मुताबिक जेएनयू में ४० फीसदी छात्र गरीब परिवारों से आते हैं और हॉस्टल की फीस ६ से ७ हजार बढ़ाई गई है जो गरीब छात्रों पर कुठाराघात है।

मिशन महाराष्ट्र सरकार: डेटलाइन 7.30 शाम। सोनिया परेशान, पवार अशांत और शिवसेना हैरान!, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा

गवर्नर से महाराष्ट्र में सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद  शिवसेना सभी फ्रंट पर एक्टिव हो गई है। वह नहीं चाहती कि उसके हाथ से यह सुनहरा मौका जाए।

हालांकि सरकार बनाने के लिए शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग की ज़रूरत पड़ेगी ही। एनसीपी द्वारा बीजेपी से संबंध तोड़ने की शर्त पर गंभीरता से पहल करते हुए शिवसेना के केंद्र में एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने ट्वीट कर अपने पद से रिजाइन दिया है। एनसीपी की शर्त के साथ साथ अब मामला कांग्रेस के समर्थन का भी है। शिवसेना को समर्थन देने से पहले एनसीपी शरद पवार चाहते हैं कि इस मसले पर कांग्रेस की एंटरिम चीफ सोनिया गांधी से हरी झंडी मिल जाए।
समर्थन के मसले पर सोनिया गांधी के निवास स्थान पर मीटिंग हुई है सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार समर्थन को लेकर कांग्रेस में पेच फंसा नजर आ रहा है या एक और महाराष्ट्र के 39 विधायकों ने पत्र लिखकर शिवसेना को समर्थन की मांग की है वहीं पर केरल कांग्रेस वा अन्य शिवसेना जैसे राइट विंग को पार्टी को अपना समर्थन देने का विरोध कर रहे हैं । फिलहाल शाम4 बजे तक एक और मीटिंग होने की खबर है। माना जा रहा है कि समर्थन का मुद्दा महाराष्ट्र के नेताओं पर छोड़ दिया जाएगा।
मुंबई में शरद पवार की कोर टीम मे भी शिवसेना के साथ सरकार बनाए जाने की सूरत में सरकार में उनकी ठोस भूमिका और पोस्ट को लेकर भी चर्चा की खबर है।
अजीत पवार को डिप्टी चीफ मिनिस्टर की भूमिका में देखा जा सकता है। क्योंकि बीजेपी से भी शिवसेना चीफ मिनिस्टर पद को लेकर ही अलग हुई थी इसलिए एनसीपी डिप्टी स्पीकर के तौर पर खुद को देख सकती है। लेकिन अब कांग्रेस को भी सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका मिलनी चाहिए इस बात पर भी चर्चा को भी हो सकती है। एक और डिप्टी सीएम की पोस्ट कांग्रेस को भी दी जा सकती है। फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
जहां एक और सरकार बनाने के लिए कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना की मीटिंग लोगों का दौर जारी है वहीं राज्यपाल से सत्ता गठन पर असमर्थता बताने के जाहिर करने के बाद भी बीजेपी शांत नहीं बैठी है। केयरटेकर चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस के निवास स्थान पर मीटिंग चल रही है।
आज शाम 7:30 बजे तक शिवसेना को महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी मिलकर सरकार के गठन को लेकर अपनी स्थिति साफ करनी है। शिवसेना चीफ़ उद्धव ठाकरे कल दावा किया था कि इस बार चीफ मिनिस्टर की पालकी में शिवसैनिक ही बैठेगा। फिलहाल शिवसेना नेता संजय राउत ने बीजेपी पर एक और आरोप जड़ते हुए कहा कि बीजेपी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन चाहती है इसलिए गवर्नर की तरफ से उन्हें कम समय दिया गया है। शिवसेना ने फिलहाल इस समय सीमा को बढ़ाने की मांग की है।

बीजेपी ने सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर की और सरकार बनाने का न्योता सेकंड लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते अब शिवसेना को मिला है। शिवसेना को 288 मेंं से56 सीटें मिली हैंं। सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों की जरूरत है शिवसेना को 8 इंडिपेंडेंट और एक अन्य पार्टी के विधायक का समर्थन प्राप्त है कुल मिलाकर शिवसेना के पास 64 विधायक हैं शिवसेना को फिलहाल 80 विधायकों की जरूरत है यदि शिवसेना को एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों का समर्थन मिल जाताा है तो तीनों पार्टियों की विधायकों की संख्या 162 हो जाती है।

यदि एनसीपी कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देती है तो

*पर्याय 1*

*शिवसेना : इंडिपेंडेंटस के समर्थन के साथ (64) + काँग्रेस (44) + एनसीपी (54) = 162 बविआ (3) + समाजवादी पार्टी (02) + स्वाभिमानी पार्टी (01) 162+06 = 168*
*बहुमत के लिए आंकड़ा – 145

*पर्याय 2*

* यदि एनसीपी समर्थन देती है और कांग्रेस तटस्थ रहती है तो फ्लोर में संख्या बल 288 – 44 = 224

शिवसेना : इंडिपेंडेंटस के समर्थन के साथ (64) +
एनसीपी (54)+ काँग्रेस समर्थक इंडिपेंडेंट (04) =
122
*बहुमत के लिए आंकड़ा – 123

मैजिकल फिगर है 145।
कुल सदस्य संख्या है 288।

बीजेपी के पास 105, शिवसेना के पास 56, एनसीपी के पास 54, कांग्रेस के साथ 44 और independent व अन्य मिलाकर 29

आदित्य नहीं, उद्धव ठाकरे होंगे सीएम !

महाराष्ट्र में रिश्तों की नई स्क्रिप्ट राजनीति की पुस्तक के लिए तैयार है। दोस्त दुश्मन हो गए हैं और दुश्मन दोस्ती की दहलीज पर खड़े हैं। राजनीति में कुछ स्थाई नहीं।  न दोस्ती, न दुश्मनी। और अभी तक जिन आदित्य ठाकरे को शिव सेना अपना मुख्यमंत्री बता रही थी, वह खुद अपने प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी कर रही है। उद्धव ने कुछ उलझन महसूस की तो एकनाथ शिंदे।

नई दोस्ती की यह स्क्रिप्ट कोइ पिछले २४ घंटे में नहीं लिखी गयी। नतीजों के बाद भाजपा के ”अहंकार भरे” रुख से ”खफा” शिव सेना ने कोइ १४ दिन पहले ही तय कर लिया था, वह भाजपा को झटका देगी। संकेत एनसीपी-कांग्रेस दोनों को भेज दिए गए थे। साफ़ जाहिर था, बगैर शिव सेना के भाजपा किसी भी सूरत में सरकार नहीं बना सकती थी।

एनसीपी दिग्गज शरद पवार चुनाव के दौरान भाजपा की अपने प्रति ”कटु वाणी” से सख्त नाराज थे। यहां तक कि पीएम मोदी ने भी कोइ बहुत सम्मानजनक रवैया उनके प्रति नहीं दिखाया था। शायद भाजपा और इसके नेताओं को १०० फीसदी भरोसा था कि भला मोदी की विराट छवि के आगे कांग्रेस-एनसीपी, यहां तक कि शिव सेना की भी क्या विसात ! लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भाजपा की ही विसात लघु हो गयी।

चुनाव में न भाजपा ने ईमानदारी से सहयोगी शिव सेना के लिए काम किया था, न शिव सेना ने भाजपा के लिए। दोनों अपने बूते ताकतवर बने रहना चाहते थे। और यह एक-दूसरे को कमजोर किये बिना नहीं हो सकता था। दोनों ने इसी लाइन पर काम किया। दोनों का नुक्सान हुआ लेकिन सरकार खोई सिर्फ भाजपा ने। ऊपर से उसके ”ओवर कॉन्फिडेंट” सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपनी वाणी से कसर पूरी कर दी। इस चुनाव और उसकी बाद की परिस्थितियों में यदि भाजपा से ज्यादा किसी ने खोया है, तो वे फडणवीस ही हैं।

खुद उद्धव ठाकरे कुछ देर पहले शरद पवार से मिलने पहुंचे हैं। रिश्तों की नई पटकथा लिखने की तैयारी है। जो ख़बरें छान कर ”तहलका” को मिली हैं, उसके मुताबिक उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे में से कोइ मुख्यमंत्री होगा। शिंदे बने तो बड़े ठाकरे की तरह मातो-श्री से राज चलेगा। जैसा बड़े ठाकरे साहब ने मनोहर जोशी को सीएम बनाकर किया था, और बाद में नारायण राणे को बनाकर।

शिव सेना एनडीए से बाहर आ चुकी है। यही कांग्रेस-एनसीपी की उससे सबसे बड़ी शर्त थी। शिव सेना के मंत्री अरविंद सावंत ने मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया है और शिव सेना पूरी तरह भाजपा से बाहर आ गयी है। भाजपा ने एनडीए में अपना सबसे पुराना और बड़ा सहयोगी खो दिया है।

यह भाजपा का राजनीति और रणनीति दोनों लिहाज से बहुत बड़ा नुक्सान है। इसे भाजपा की रणनीति की नाकामी कहा जाएगा। हरियाणा में बहुमत न पाकर भी नड्डा-अनुराग की मेहनत से जीपीपी को अपने साथ मिलाकर सरकार बना ली लेकिन महाराष्ट्र में तो उसने अपना बहुत पुराना सहयोगी खो दिया।

हो सकता कांग्रेस इस सरकार को बाहर से समर्थन करे या फिर सरकार में विधायकों के दबाव के चलते शामिल भी हो जाए। लेकिन यह पक्का है कि विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस का होगा। उप मुख्यमंत्री एनसीपी का होगा और गृह विभाग भी शायद उसी के पास होगा। सोनिया गांधी की सरकार को समर्थन की स्वीकृति मिल चुकी है, कांग्रेस की सरकार में कैसी भागीदारी होगी, यह शाम ५-६ बजे पता चलेगा। कांग्रेस और एनसीपी की साझा बैठक शाम ४ बजे के आसपास होनी है।

न्यूनतम साझा कार्यक्रम (कॉमन मिनिमम प्रोग्राम) बनेगा और उसमें साफ़ तौर पर सरकार के प्राथमिकताएं तय होंगी। इसमें किसानों से लेकर वो तमाम मुद्दे होंगे जो कांग्रेस और एनसीपी भाजपा-शिवसेना की सरकार रहते हुए उठाते रहे हैं।

साफ़ है कि शिव सेना अपने एजंडे को सरकार में सीएम पद पाकर भी पूरी तरह नहीं चला पाएगी। पवार जैसे मझे और समझदार नेता के होते हुए कांग्रेस इस लेकर निश्चिंत भी दिखती है। सच यह कि यह शरद पवार ही हैं जिन्होंने सोनिया गांधी को शिव सेना सरकार के समर्थन के लिए मनाया। सोनिया खुद इसे लेकर उलझन में थीं और समर्थन को लेकर उनके मन में हिचक थी। वैसे पवार चाहते हैं कि कांग्रेस सत्ता में भागीदार बने। कांग्रेस के ज्यादातर विधायक भी यही चाह रखते हैं।

कांग्रेस, जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ इस तरह सरकार चलाने का प्रयोग कर चुकी है। उसे ऐसी सरकार चलाने का ख़ासा अनुभव है। इसलिए शिव सेना कांग्रेस के चौथे बड़े दल होने के बावजूद उसे अपने हिसाब से हांक नहीं पाएगी। कुल मिलाकर नया घटनाक्रम भाजपा के लिए बड़ा झटका है और उसके नेतृत्व के लिए भी, जिसकी यह छवि पिछले सालों में बनी है कि ”वह कुछ कर सकता है।”

चुनाव नतीजों से साफ़ हो गया है कि एक पार्टी या उसके ताकतवर नेता भी नहीं कर सकते यदि जनता अपनी करने पर आ जाए या सहयोगी उससे रिश्ता तोड़ने की ठान लें। हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजे भाजपा के लिए बड़े सुखद नहीं रहे हैं। और अब महाराष्ट्र में उसका सरकार गंवा देना उसके लिए बड़ी राजनीतिक और रणनीतिक हार के रूप में सामने आया है। भाजपा के लिए यह गंभीर रूप से सोचने का वक्त है !

24 घंटे।सोमवार सरकार ! न्योता शिवसेना को।

बीजेपी द्वारा सरकार बनाने से इंकार करने के चलते गवर्नर भगत सिंह नए सेकंड लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते शिवसेना से सरकार स्थापना करने कहा है। सरकार बनाने के लिए शिवसेना को एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है।खबर है कि समर्थन जुटाने के लिए शिवसेना सांसद संजय राऊत, NCP chief शरद पवार और कांग्रेस की चीफ सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचेंगे।

खबरों है कि शरद पवार आज कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली जा रहे हैं। संजय राउत की कोशिश है कि वह शरद पवार से मुलाकात करें। राउत चाहते हैं कि वह समर्थन जुटाने के सिलसिले में सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सके। शरद पवार के साथ उन्हें सोनिया को कन्वींस करने में आसानी होगी। सूत्रों का मानना है शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच मीटिंग कराने में संजय राउत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। गौरतलब है कि राउत पहले भी दो बार शरद पवार से मिलने उनके निवास स्थान सिल्वर ओक में मुलाकात कर चुके हैं। हालांकि उस वक्त उन्होंने इस मुलाकात को कर्टसी विजिट कहा था। खबर य भी है कि उद्धव ठाकरे और सरकार के बीच टेलिफोनिक वार्ता हो चुकी है।

महाराष्ट्र की तेरहवीं विधानसभा के कार्यकाल के साथ-साथ महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस का कार्यकाल भी पूरा हो गया है। फड़नवीस फिलहाल केयरटेकर चीफ मिनिस्टर के तौर पर हैंं। सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते महाराष्ट्र के गवर्नर कोश्यारी ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था। बीजेपी ने सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर की और सरकार बनाने का न्योता सेकंड लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते अब शिवसेना को मिला है। शिवसेना को 288 मेंं से56 सीटें मिली हैंं। सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों की जरूरत है शिवसेना को 8 इंडिपेंडेंट और एक अन्य पार्टी के विधायक का समर्थन प्राप्त है कुल मिलाकर शिवसेना के पास 64 विधायक हैं शिवसेना को फिलहाल 80 विधायकों की जरूरत है यदि शिवसेना को एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों का समर्थन मिल जाताा है तो तीनों पार्टियों की विधायकों की संख्या 162 हो जाती है।

यदि एनसीपी कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देती है तो

*पर्याय 1*

*शिवसेना : इंडिपेंडेंटस के समर्थन के साथ (64) + काँग्रेस (44) + एनसीपी (54) = 162 बविआ (3) + समाजवादी पार्टी (02) + स्वाभिमानी पार्टी (01) 162+06 = 168*
*बहुमत के लिए संख्याबल – 145**

पर्याय 2*

* यदि एनसीपी समर्थन देती है और कांग्रेस तटस्थ रहती है तो फ्लोर में संख्या बल 288 – 44 = 224

शिवसेना : इंडिपेंडेंटस के समर्थन के साथ (64) +
एनसीपी (54)+ काँग्रेस समर्थक इंडिपेंडेंट (04) =
122
*बहुमत के लिए संख्याबल – 123*

यह यह बात दीगर है कि एनसीपी और कॉन्ग्रेस बार-बार इस बात की दुहाई देती रही है कि उन्हें जनादेश विपक्ष में बैठने का मिला है फिर भी एनसीपी ने इस बात पर भी सहमति जताई थी कि यदि शिवसेना, बीजेपी से अपने संबंध तोड़ देती है तो वह उसे समर्थन देने की सोच सकती है।

चूंकि इसे पहले शिवसेना के पास एनसीपी से समर्थन मांगने के लिए कोई ठोस आधार नहीं था इसलिए एनसीपी बहुत गंभीर नहीं थी। लेकिन अब जबकि शिवसेना को राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए कहा गया है ऐसे में एनसीपी ने शिवसेना के सामने शर्त रखी है कि समर्थन के लिए शिवसेना को बीजेपी से संबंध तोड़ना होगा व केंद्र में शिवसेना के मंत्री को इस्तीफा देना होगा।

कांग्रेस में भी शिवसेना को समर्थन देने को लेकर दो गुट बन चुके हैं। फिलहाल मामला एक बार फिर दिल्ली पहुंच गया है और समर्थन पाने के लिए शिवसेना नेता संजय राउत भी। फिलहाल इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए यह समीकरण सफल हो जाए। आज शाम 7:30 बजे तक शिवसेना को अपना पक्ष पेश करना है।

पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का निधन

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार देर रात निधन हो गया। वे ८६ साल के थे। उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ है। शेषन भारत के दसवें मुख्य चुनाव आयुक्त थे और उन्हें देश में चुनाव आयोग की संस्था को एक अलग स्वरूप देने का श्रेय दिया जाता है। उनके समय में दर्जनों चुनाव सुधार हुए।

शेषन जब मुख्य चुनाव आयुक्त बने तो उसकी पहचान उतने मजबूत संस्थान की नहीं थी लेकिन शेषन ने न केवल इसे स्वंत्रत स्वरुप दिया, बल्कि उसे बहुत ताकतवर  भी बना दिया। वे २१ साल की उम्र में आईएएस की परीक्षा में टॉपर रहे थे।

वे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे जिन्होंने चार चरणों में चुनाव करवाना शुरू किया। शेषन अपने छह भाई-बहनों में सबसे छोटे थे और उनके पिता एडवोकेट थे। शेषन नौकरशाह के पद पर रहते हुए केबिनेट सचिव भी बने।

इस बीच एक ट्वीट कर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने शेषन के निधन की पुष्टि की है। कुरैशी ने वीट में लिखा – ”वह एक सच्चे नेता थे, मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।”

कुरैशी का ट्वीट –

@DrSYQuraishi
Sad to announce that Shri TN Seshan passed away a short while ago. He was a true legend and a guiding force for all his successors. I pray for peace to his soul.

भारत ने बंगलादेश से टी-२० सीरीज २-१ से जीती

नागपुर के निर्णायक टी-२० मैच में भारत ने बंगलादेश को ३० रन से हराकर तीन मैचों की श्रृंखला २-१ से जीत ली है। दीपक चाहर की शानदार गेंदबाजी से भारत ने बांग्लादेश को आसानी से हरा दिया। चाहर ने हैट्रिक सहित महज ७ रन देकर ६ विकेट लिये।

भारत ने नागपुर के विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेले गए तीसरे मैच में  पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित २० ओवर में पांच विकेट पर १७४ रन बनाए और बांग्लादेश को जीत के लिए १७५ रन का लक्ष्य दिया। भारत के लिए श्रेयस अय्यर ने  टी-२० करियर का पहला अर्धशतक लगाते हुए ६२ रन की शानदार पारी खेली।  लोकेश राहुल ने भी टी-२० का अपना छठा अर्धशतक लगाते हुए ५२ रन बनाये।

मनीष पांडे ने नाबाद २२ और शिखर धवन ने १९ रन का योगदान दिया। बांग्लादेश के लिए सौम्य सरकार और शैफुल इस्लाम ने दो-दो और अल अमिन हुसैन ने एक विकेट लिया।

जवाब में बांग्लादेश ने १९.२ ओवर में १४४ रन पर आउट हो गयी। भारत के लिए दीपक चाहर ने जबरदस्त गेंदबाकी करते हैट्रिक के सात ६ विकेट लिए। उन्होंने इसके लिए महज ७ रन खर्चे।  शिवम् दुबे ने ३ विकेट लिए।

गौरतलब है कि पहले मैच में बांग्लादेश ने भारत को दिल्ली में ७ विकेट से हरा दिया था लेकिन भरतने दूसरा मैच जीत कर १-१ की बराबरी कर ली थी।