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डमी स्कूलों के धंधे का पर्दाफ़ाश

विद्यार्थियों के कल्याण के बारे में चिन्तित शिक्षा मंत्रालय ने देश भर में तेज़ी से बढ़ते डमी स्कूलों के लिए कई दिशा-निर्देशों की घोषणा की है। ये निर्देश तब आये, जब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट आयी कि देश भर में हर 42 मिनट में एक विद्यार्थी ने अपनी जान ले ली। या दूसरे शब्दों में, हर दिन 34 विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं। इसका कारण कड़ी प्रतिस्पर्धा और डमी स्कूलों में प्रवेश की आसान उपलब्धता है। इसके लिए कई कोचिंग सेंटर्स भी ज़िम्मेदार हैं, जो बिचौलिये के रूप में काम करते हैं। शिक्षा प्राप्त करने की यह दुर्भावना इतनी व्यापक है कि इंजीनियरिंग के लिए मेडिकल कॉलेजों में दाख़िला लेने के मक़सद से जेईई और एनईईटी जैसी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए हर साल दो लाख से अधिक विद्यार्थी राजस्थान के कोटा में पहुँचते हैं, जिनमें अधिकांश बिना आवश्यक उपस्थिति वाले डमी स्कूलों में प्रवेश लेते हैं और इन स्कूलों के प्रबंधकों का धन्यवाद करते हैं। सीयूईटी में सफलता पाने के लिए भी विद्यार्थी स्कूल छोड़कर कोचिंग सेंटर्स में दाख़िला लेकर पढ़ाई करते हैं। नये दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोचिंग सेंटर अब केवल कम-से-कम 16 वर्ष से ज़्यादा उम्र के विद्यार्थियों को ही दाख़िला दे सकते हैं। हालाँकि देश भर के कई कोचिंग सेंटर्स ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कक्षा आठ से लेकर 12वीं तक के बच्चों को दाख़िला दे रखा है।

‘तहलका’ की आवरण कथा ‘डमी स्कूलों का जाल’ कोचिंग सेंटर्स और डमी स्कूलों के बीच अनैतिक साँठगाँठ को उजागर करती है। हमारी एसआईटी ने गुप्त कैमरे में रिकॉर्ड किया कि कैसे पूरे भारत में कोचिंग सेंटर्स की मिलीभगत से डमी स्कूल फल-फूल रहे हैं। ‘तहलका’ एसआईटी ने कोचिंग सेंटर्स के साथ मिलकर संचालित होने वाले डमी स्कूलों की उत्सुकता की गहन पड़ताल की। कई कोचिंग सेंटर चलाने वालों ने डमी व्यवसाय में अपनी विशेषज्ञता का दावा करते हुए एनईईटी / जेईई परीक्षा की तैयारी के लिए हमारी टीम के अनुरोध पर प्रस्तावित (काल्पनिक) बच्चे को कोचिंग में इस तरह का दाख़िला दिलानेके लिए सहमति व्यक्त की और आश्वासन दिया कि बच्चे की सुविधा के लिए वे बिना पाठ्यक्रम और बिना उपस्थिति वाले सीबीएसई-संबद्ध डमी स्कूल में बच्चे का दाख़िला भी कराएँगे। एक गुप्त नेटवर्क के तहत ये कोचिंग सेंटर इस संदिग्ध गठजोड़ से लाभ के लिए विद्यार्थियों और डमी स्कूलों के बीच दलाली वाले समझौते की व्यवस्था करते हैं, जिससे बेईमान स्कूल और कोचिंग संचालकों को लाभ पहुँचता है। ये डमी स्कूल, जो अपेक्षित संख्या में शिक्षकों या स्कूल के लिए पर्याप्त जगह के बिना ही जमकर पैसा कमाते हैं; कोचिंग सेंटर्स को कमीशन भी देते हैं। जबकि इन स्कूलों में दाख़िला दिलाकर कोचिंग सेंटर विद्यार्थियों को ट्यूशन देने की सुविधाओं से अतिरिक्त लाभ उठाते हैं। विडंबना यह है कि यह सब हाल ही में देश भर में- दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड, असम और मध्य प्रदेश के कई असंबद्ध और डाउनग्रेड स्कूलों में सीबीएसई द्वारा औचक निरीक्षण करने के बावजूद हो रहा है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस बात से सहमत हैं कि डमी स्कूलों के मुद्दे को अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता और इस विषय पर गंभीर चर्चा करते हुए विचार-विमर्श करने का समय आ गया है। विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि नियमित स्कूलों से दूर रहने वाले विद्यार्थी अक्सर प्रतिबंधित व्यक्तित्व के होते हैं, जिससे वे उन्नति और वृद्धि के लिए संघर्ष करते हैं। यह रहस्योद्घाटन शिक्षा प्रणाली की अखण्डता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक बदलाव और कड़े नियमों की माँग करता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति और एयरोस्पेस वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था- ‘शिक्षण एक बहुत ही महान् पेशा है, जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता और भविष्य को आकार देता है।’ आइए, हम उस ऊँचे आदर्श पर खरा उतरने का प्रयास करें!

हिंदुओं को मनाने में लगे योगी

सुनील कुमार

कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों का रोना प्रदेश की जनता से रो रहे हैं एवं बार-बार यह कह रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। अभी शीघ्र ही में उन्होंने अपने भाषण में तो यह तक कह दिया कि हिंदू बटेंगे, तो कटेंगे। ऐसा लगने लगा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी सत्ता बचाकर रखने के लिए हिंदू-मुस्लिम करने के सिवाय कोई दूसरा उपाय अब नहीं सूझ रहा है। उनके शासन में हिंदुओं के प्रति भी स्पष्ट भेदभाव भी दिखता है। पिछड़ा एवं दलित वर्ग के लोग ही उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संख्या वाले मतदाता हैं; मगर चुनाव के अवसर के अतिरिक्त इनके साथ भेदभाव ही होता है। अब पुन: जब सत्ता पर आँच आ रही है, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदुओं को एकजुट करने की चिन्ता सता रही है। हालाँकि अभी उत्तर प्रदेश में भाजपा के हाथ में 2027 तक सत्ता है। मगर भाजपा के प्रति मतदाताओं का रोष दिखने लगा है। एकता की बात करें, तो भाजपा में ही एकता नहीं है। योगी आदित्यनाथ की सरकार में ही कई मंत्री उनके धुर-विरोधी हैं। अपनी पार्टी में ही मतभेद एवं मनभेद के अतिरिक्त एक-दूसरे पर अविश्वास करने वाले भाजपा नेताओं के उत्तर प्रदेश में अगुवा बने योगी आदित्यनाथ हिंदुओं की एकता को लेकर चिन्तित इसलिए भी हैं, क्योंकि अब मतदाता ही उनकी सत्ता बचा सकते हैं।

राजनीति के जानकार एवं अनेक बार छोटे चुनाव लड़ चुके प्रदीप कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को हिंदुओं की चिन्ता से अधिक अपनी सत्ता की चिन्ता है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा बुरी तरह पिछड़ गयी है, जिसके चलते योगी आदित्यनाथ को भविष्य का डर है। अब विधानसभा के उपचुनावों में जीत के आसार नहीं दिख रहे हैं, जिसके चलते उप चुनाव नहीं कराये जा रहे हैं। इसी डर के चलते योगी आदित्यनाथ हिंदुओं को बिना मतलब का डर बार-बार दिखा रहे हैं। वास्तव में इस प्रकार डराने के पीछे उनका अपना डर है। भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही हिंदुओं को सचेत किया था कि वो एकजुट रहें। इसके उपरांत भी हिंदू बँट रहे हैं। अगर इसी तरह चलता रहा, तो बांग्लादेश जैसी स्थिति यहाँ भी हो सकती है। हालाँकि भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र यह स्पष्ट नहीं कर सके कि बांग्लादेश की स्थिति से उनका क्या तात्पर्य है? बांग्लादेश में सत्ता पलट का खेल हो गया एवं वहाँ स्थितियाँ अलग थीं। यह पूछने पर कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में हिंदुओं को क्या लाभ हुआ है? देवेंद्र इतना ही बोलते रहे, हिंदू आज खुलकर जी रहे हैं एवं सुरक्षित हैं। पहले हिंदुओं डरकर रहना पड़ता था। भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र के इस उत्तर का भी कोई औचित्य समझ नहीं आता।

उपचुनाव में हार का डर

वास्तव में लोकसभा चुनाव नतीजों का डर भाजपा में दिखने लगा है। विश्लेषक कहते हैं कि 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में स्थिति को लेकर भाजपा की आंतरिक पड़ताल भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बेचैन किये हुए है। विश्लेषक कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा एवं योगी आदित्यनाथ सरकार कई मोर्चों पर विफल हुए हैं। योगी आदित्यनाथ न विकास के नाम पर रामराज्य की कल्पना को साकार कर सके एवं न प्रदेश की व्यवस्था में सुधार ला सके। केवल विज्ञापनों एवं भाषणों में ही रामराज्य आया है एवं व्यवस्था में सुधार हुआ है। धरातल पर तो स्थिति कुछ और है।

लगता है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 29 सीटों की हानि होने से योगी आदित्यनाथ थर्राये हुए हैं। ऊपर से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उनके पद पर वक्र-दृष्टि गढ़ाए बैठे हैं। सत्ता के लिए भाजपा नेताओं में व्याप्त यह मनमुटाव योगी आदित्यनाथ को जनता के रोष से अधिक हानि पहुँचा रहा है। लगता है उपचुनाव में भाजपा के हार का डर भी चुनाव नहीं होने दे रहा है।

सोशल मीडिया पर कृपा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगभग सात वर्ष के शासन में सरकार की कमियों को उजागर करने वाले पत्रकारों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं हुआ। योगी आदित्यनाथ के शासन के इन सात वर्षों में कई पत्रकारों की हत्या हुई, कई पत्रकारों के विरुद्ध पुलिस ने आपराधिक मुक़दमे दायर किये एवं कई पत्रकारों को जेल भेजा गया। हालात ये रहे कि सच लिखने वाले पत्रकारों को धमकियाँ मिलती रहीं। मगर अब स्थिति यह आ पहुँची है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोशल मीडिया संचालकों को साधने का प्रयास करना पड़ रहा है।

सुनने में आया है कि लोकसभा चुनाव में मनचाहे परिणाम न आने के कारणों पर भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में पता चला है कि लोकसभा चुनाव में हार का एक बड़ा कारण सोशल मीडिया पर भाजपा के विरुद्ध चली मुहिम भी थी। विपक्ष को इसका बड़ा लाभ हुआ। अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोशल मीडिया नीति को मंत्रिमंडल में पारित किया है, जिसके तहत सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर अर्थात् संचालकों को हर महीने दो लाख रुपये से लेकर आठ लाख रुपये तक सरकार दे सकती है।

विश्लेषक कहते हैं कि यह राशि सोशल मीडिया पर योगी सरकार की प्रशंसा के हिसाब से वितरित हो सकती है। क्योंकि सरकार ने सभी सोशल मीडिया संचालकों को एक समान तय राशि देने पर विचार नहीं किया है। मगर अभी तक पत्रकारीय संस्थानों से जुड़े पत्रकारों के लिए कोई लाभ देने की बात कानों तक नहीं पहुँची है। हालाँकि यह पैसा सरकार किसी को सीधे-सीधे न देकर उन्हें विज्ञापन देकर उसके भुगतान के रूप में देगी, जो सोशल मीडिया एवं अन्य डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से अच्छी सामग्री उपलब्ध कराएँगे अथवा सरकार के कार्यों एवं उपलब्धियों का सकारात्मक विश्लेषण करेंगे।

दण्ड मिलेगा, अगर…

उत्तर प्रदेश में वास्तविक पत्रकारिता करने वालों के दिन तो अच्छे नहीं आये हैं; मगर सरकार का महिमामंडन करने वाले सोशल मीडिया संचालकों के दिन अच्छे आ ही गये। मगर इसके साथ ही उन पत्रकारों एवं सोशल मीडिया संचालकों को दण्डित भी किया जा सकता है, जो योगी सरकार के हिसाब से कोई अनर्गल सूचना अथवा समाचार फैलाते हैं।

विश्लेषक कहते हैं कि सरकार के विरुद्ध कोई समाचार अथवा सूचना प्रकाशित अथवा प्रसारित होने पर भी उसे राज्य एवं राष्ट्र विरोधी घोषित किया जा सकता है। हालाँकि सरकार कह रही है कि राष्ट्र विरोधी सामग्री प्रकाशित एवं प्रसारित करने पर सज़ा का प्रावधान किया है। मगर इसके पीछे सरकार का मतलब अपने ही विरोध से है। इसके अतिरिक्त अभद्र एवं अश्लील सामग्री प्रसारित करने पर मानहानि के मुक़दमे का सामना करना पड़ सकता है एवं दंड भरना पड़ सकता है। हालाँकि यह क़ानून पहले से ही है। अब तक राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ चलाने वालों के विरुद्ध धारा-66(ई), धारा-66(एफ) के तहत कार्रवाई होती थी।

यूनिफाइड पेंशन योजना

कुछ हो अथवा न हो मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर उस योजना को उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं को सर्वप्रथम लागू करते हैं। अगस्त के तीसरे सप्ताहांत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन योजना स्वीकृत की गयी। प्रधानमंत्री के इस निर्णय पर विपक्ष ने प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए एक्स पर पोस्ट कर लिखा है- ‘140 करोड़ देशवासियों के जीवन को सुगम बनाने हेतु सतत समर्पित आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के यशस्वी नेतृत्व में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (ups) को दी गयी मंज़ूरी अभिनंदनीय है। केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों को लाभान्वित करता यह युगांतरकारी निर्णय उनके जीवन में आर्थिक सुरक्षा और सुखद भविष्य की सुनिश्चितता का नया सूर्योदय लेकर आया है। आपका हार्दिक आभार प्रधानमंत्री!’

विश्लेषक कहते हैं कि यदि सभी राज्य सरकारें इसे लागू करती हैं, तो लगभग 25 लाख केंद्रीय कर्मचारियों समेत लगभग 90 लाख सरकारी कर्मचारियों को इसका लाभ होगा। यह योजना 01 अप्रैल, 2025 से लागू होगी। इसके तहत 10 साल से अधिक एवं 25 साल से कम समय सरकारी सेवा करने वालों को न्यूनतम 10,000 रुपये मासिक पेंशन मिलेगी। हालाँकि इसमें संदेह है कि अगर यह पेंशन मिलेगी, तो पुरानी पेंशन का क्या होगा? इस पेंशन से पुरानी पेंशन अधिक है।

एक्सप्रेस-वे का निर्माण

उत्तर प्रदेश सरकार प्रयागराज में महाकुंभ के सजने से पूर्व की तैयारियाँ आरंभ करने में लग गयी है। महाकुंभ से पूर्व मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण होगा। यह एक्सप्रेस-वे लगभग 594 किलोमीटर लंबा बन रहा है, जिसे बनाने के लिए योगी सरकार ने मंत्रिमंडल में 5,664 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। समाचार मिला है कि गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए केंद्र सरकार से व्यावहारिकता अंतर अनुदान के मद से मदद प्राप्त नहीं हुई है। अत: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नमूना बोली आलेख व छूट समझौता के तहत पीपीपी मोड पर डीबीएफओटी के आधार पर पहल की गयी है। इस मद में शत-प्रतिशत भुगतान राज्य सरकार करेगी।

रेलवे स्टेशनों के बदले नाम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जगहों एवं रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने में पूरे देश में प्रथम हो गये हैं। विकास हो अथवा न हो; मगर जगहों के नाम बदलना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं भूलते। प्रदेश में कई जगहों के नाम बदलने के बाद अब 27 अगस्त को आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की आधिकारिक घोषणा की गयी है। ये सभी रेलवे स्टेशन उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के हैं। इन स्टेशनों को अब संतों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जाना जाएगा। प्रशासन ने जायस रेलवे स्टेशन का नाम गुरु गोरखनाथ धाम, बनी रेलवे स्टेशन का नाम स्वामी परमहंस, मिसरौली रेलवे स्टेशन का नाम माँ कालिकन धाम, फ़ुरसतगंज रेलवे स्टेशन का नाम तपेश्वर धाम, अकबरगंज रेलवे स्टेशन का नाम नाम माँ अहोरवा भवानी धाम, वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नाम अमर शहीद भाले सुल्तान, निहालगढ़ स्टेशन का नाम महाराजा बिजली पासी रेलवे स्टेशन रखा है।

मगर इसे लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं सांसद अखिलेश यादव ने तंज किया है कि भाजपा सरकार से आग्रह है कि केवल रेलवे स्टेशनों के नाम ही न बदलें, हालात भी बदलें। जब नाम बदलने से फ़ुरसत मिल जाए, तो रेल दुर्घटनाओं की रोकथाम को लेकर भी कुछ विचार करें। सोशल मीडिया को पैसा देने को लेकर भी योगी को विपक्ष ने घेरा है।

गुजरात में प्रत्यक्ष बिक्री कारोबार 10 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,000 करोड़ रुपये के पार

अहमदाबाद, 29 अगस्त ; देश के पश्चिमी क्षेत्र में महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर कब्जा बरकरार रखते हुये गुजरात में प्रत्यक्ष बिक्री कारोबार वर्ष 2022-23 में लगभग दस प्रतिशत की विकास दर दर्ज करते हुये 1,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है, इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) ने वीरवार को यहां एक कार्यक्रम में जारी की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह जानकारी दी। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनाकाल की तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद स्वरोजगार, आय के अतिरिक्त साधन, आजीविका और सूक्ष्म उद्यमिता के असीम अवसर पैदा करने की क्षमता वाले प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग ने तेजी से पटरी पर लौटते हुये राज्य में इस अवधि के दौरान वर्ष 2021-22 के 923 करोड़ रूपये के मुकाबले 9.86 प्रतिशत से अधिक की मजबूत विकास दर हासिल कर 1,014 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार किया। 

स्वतंत्र एजेंसी ‘कंतार‘ द्वारा तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार सतही स्तर पर लोगों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के लिये गुजरात देश में नौवां शीर्ष बाजार है। देश में 21,282 करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष बिक्री कारोबार में राज्य 4.8 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। राज्य में 2.1 लाख से अधिक लोग इस उद्योग के साथ जुड़े हुये जिनमें से 77 हजार से अधिक महिलाएं हैं। उद्योग करों के माध्यम से राज्य के खजाने में सालाना 150 करोड़ रुपये से अधिक का अहम योगदान भी करता है। 

राज्य के खाद्य, आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मामलों के मंत्री कुंवरजीभाई मोहनभाई बावलिया ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के लिए अनुकूल कारोबारी माहौल बनाने के साथ ही उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उन्होंने इस उद्योग को अपने विभाग की ओर से हरसम्भव मदद का भी भरोसा दिया। उन्होंने यह जानकारी भी साझा की कि उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम 2021 की अनुपालना में राज्य में निगरानी समिति (मॉनिटरिंग कमेटी) गठित करने पर भी काम कर रहा है। इस अवसर पर उन्होंने राज्य में आईडीएसए से सम्बद्ध कम्पनियों की उत्कृष्ट कारोबार करने वाली 12 महिला उद्यमियों को भी सम्मानित किया।   

आईडीएसए अध्यक्ष विवेक कटोच ने इस अवसर पर देश में प्रत्यक्ष बिक्री परिदृश्य की जानकारी दी और कहा कि ‘गुजरात प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के लिये प्रमुख और प्राथमिकता वाले बाजारों में शामिल है। लगभग दस प्रतिशत की सालाना विकास दर स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि राज्य में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग नये आयाम छूने की ओर अग्रसर है और इसमें प्रत्यक्ष बिक्रेताओं की अथक मेहनत की भी पुष्टि होती है‘। 

उन्होंने कहा ‘प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग देश में लगभग 86 लाख लोगों के लिये स्थायी स्वरोजगार और सूक्ष्म उद्यमिता के अवसर प्रदान कर रहा है और इसने गत चार वर्षों में लगभग आठ प्रतिशत की औसतन सीएजीआर के साथ प्रगति की है। आईडीएसए की 19 सदस्य कम्पनियां गर्व और आत्मविश्वास के साथ उपभोक्ता हितों के साथ राज्य के 2.1 लाख से अधिक प्रत्यक्ष विक्रेताओं के हितों की सफलतापूर्वक रक्षा करने का दावा कर सकती हैं।“  

श्री कटोच के अनसुार केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने देश में प्रत्यक्ष बिक्री कम्पनियों के परिचालन को लेकर नियामक स्पष्टता लाने और उपभोक्ता संरक्षण हेतु दिसम्बर 2021 में उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम अधिसूचित किये हैं। अब तक दस राज्यों ने इन नियमों के तहत अपने यहां निगरानी समितियां (मॉनिटरिंग कमेटी) गठित कर ली हैं और आशा करते हैं कि गुजरात सहित अन्य राज्य भी इसे जल्द पूरा कर लेंगे।

आज जन्मदिवस पर विशेष : भारत का रत्न, हॉकी का जादूगर दादा ध्यानचंद

नई दिल्ली : आज 29 अगस्त है। जन्मदिवस उस महान खिलाड़ी का जो आज भी हॉकी की दुनियां का बेताज बादशाह है। अपने करोड़ों चाहने वालों में ‘दादा’ के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद आज भी हर उस बशर के दिल में जिंदा हैं जो देश को प्यार करता है। आज भी उनका नाम हॉकी का पर्याय बन गया है।

तीन ओलंपिक खेलों एमेस्टरडम (1928) लॉस एंजेलिस (1932) और बर्लिन (1936) में ध्यानचंद ने भाग लिया। बर्लिन में तो वे भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी थे। 1928 में जब भारत की टीम समुद्र के रास्ते एमेस्टरडम के लिए रवाना हुई तो उसे विदा करने केवल तीन लोग आए थे। इनमे दो  हॉकी फेडरेशन के पदाधिकारी और एक पत्रकार था। यह बात अलग है कि टीम की वापसी पर उसके स्वागत के लिए जनता का हजूम था। दादा ने तीन ओलंपिक खेलों में कुल 12 मैच खेले और 40 गोल किए। इन तीनों ओलंपिक खेलों में भारत ने प्रति मैच 8.5 की औसत से कुल 102 गोल किए और उनके खिलाफ मात्र तीन गोल हुए। दादा की प्रति मैच औसत 3.33 गोल की बैठती है।

एलान तो ऑटोग्राफ दे रहे थे:

इन तीनों ओलंपिक खेलों में जो तीन गोल भारत पर हुए उनमें अमेरिका का गोल तो इसलिए हो गया क्योंकि गोलकीपर एलेन अपनी पोस्ट को छोड़ कर अपने फैंस को ऑटोग्राफ देने में व्यस्त थे। असल में भारत के हाफ में गेंद आ ही नहीं रही थी। एलेन भी अकेले खड़े बोर हो गए थे इसलिए  अपने चाहने वालों को खुश करने चले गए। इतने में एक लंबी गेंद निकली। भारतीय रक्षापंक्ति को विश्वास था कि एलेन आगे बढ़ कर गेंद रोक ही लेंगे, पर एलेन थे ही नहीं। जब तक भारतीय टीम को पता चला की गोलपोस्ट तो खाली है तब तक देर हो चुकी थी। अमेरिका एक गोल कर गया। अंत में भारत 24-1 के अंतर से जीता। ओलंपिक हॉकी के इतिहास की अब तक भी यही सबसे बड़ी जीत है। ध्यान रहे उस ज़माने में कृत्रिम खेल मैदान नहीं होते थे, अगर कहीं एस्ट्रो टर्फ होती तो शायद गोलों की गिनती कहीं अधिक होती।1936 के बाद 1940 और 1944 के ओलंपिक दूसरे विश्व युद्ध के कारण नहीं हो सके। फिर 1948 तक आते आते दादा 43 साल के हो चुके थे और खेलना छोड़ चुके थे फिर भी 31 साल की उम्र में उन्होंने अपना आखरी ओलंपिक खेल था।

दादा ने भारतीय हॉकी को उरूज़ से रसातल की तरफ जाते देखा। पर तीन दिसंबर 1979 को 74 बरस की आयु में संसार छोड़ने से पहले उन्होंने भारत को कुआलालंपुर (1975) में तीसरा विश्व कप जीतते देखा। उनके लिए इससे अधिक खुशी की बात क्या होगी की फाइनल में पाकिस्तान को हराने वाला गोल उनके अपने पुत्र अशोक कुमार की स्टिक से आया। भारत ने यह फाइनल 2-1 के अंतर से जीता था। अशोक कुमार आज भी हॉकी को समर्पित हैं। हॉकी के विकास में लगे हैं। पिछले दो ओलंपिक खेलों में भारत ने लगातार दो कांस्य पदक जीत कर यह साबित कर दिया है कि यदि ओडिशा के पूरब मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जैसे कुछ और लोग आगे आ कर हॉकी को बढ़ावा दें तो हमारे खिलाड़ी हॉकी को ध्यानचंद के सपनों की उड़ान दे सकते हैं। ….दादा को नमन।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X फिर से ग्लोबल आउटेज का शिकार

नई दिल्ली : पॉपुलर माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स ने आज सुबह 9 बजे के करीब एक बार फिर से ग्लोबल आउटेज का सामना किया। इस तकनीकी गड़बड़ी के कारण एक्स की अधिकांश सर्विसेज अचानक डाउन हो गईं, जिससे यूजर्स को ऐप एक्सेस करने में परेशानी हुई। भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में लोगों ने इस समस्या का सामना किया।

आउटेज के दौरान, कई इंटरनेट यूजर्स ने एक्स सर्विस सस्पेंड होने और ऐप को एक्सेस न कर पाने की शिकायत की। डाउन डिटेक्टर, जो आउटेज को ट्रैक करता है, ने भी इस मामले की पुष्टि की है। सुबह करीब 9 बजे तक, डाउन डिटेक्टर पर 1,200 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं।

यह पहली बार नहीं है जब एक्स ने ग्लोबल आउटेज का सामना किया है। अगस्त 2024 में भी प्लेटफॉर्म की सर्विसेज कुछ समय के लिए डाउन हो गई थीं, जिसके बाद यूजर्स को पोस्ट्स एक्सेस करने में कठिनाई हुई थी। आउटेज के बाद, सोशल मीडिया पर एक्स के विषय में मीम्स भी शेयर किए जाने लगे।

ग्लोबल आउटेज के दौरान, जब यूजर्स एक्स को एक्सेस करने की कोशिश कर रहे थे, तो उन्हें “Something Went Wrong” और “Try Reloading” की वार्निंग देखने को मिली। हालांकि, कुछ समय के लिए सर्विसेस बाधित रहीं, लेकिन ऐप को पुनः चालू करने पर यह सामान्य रूप से काम करने लगा।

एलन मस्क ने 2022 में एक्स को 44 अरब डॉलर में खरीदा था। प्लेटफॉर्म के अधिग्रहण के बाद, मस्क ने कई बड़े बदलाव किए, जिनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव ट्विटर का नाम बदलकर एक्स करना था।

नैतिक जागरूकता लाने के लिए जमाअत-ए-इस्लामी हिंद महिला विभाग का राष्ट्रव्यापी अभियान

नई दिल्ली- : जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के महिला विभाग की ओर से सितंबर 2024 में एक महीने का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया जा रहा है।  इस अभियान का विषय है ‘नैतिकता ही स्वतंत्रता का आधार’। अभियान का उद्देश्य लोगों में जागरूकता पैदा करना और उन्हें यह बताना है कि सच्ची स्वतंत्रता क्या है और इसे नैतिकता से कैसे जोड़ा जाए। ये बातें : जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की राष्ट्रीय सचिव सुश्री रहमतुन्निसा ने नई दिल्ली स्थित जमाअत के मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं। उन्होंने देश में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती यौन हिंसा और हत्याओं पर दुख जताया और कहा, “हमारे समाज में महिलाओं के प्रति गहरी सामाजिक असमानताएं, स्त्रीद्वेष, पूर्वाग्रह और भेदभाव स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। विशेषकर जब बात उपेक्षित वर्गों जैसे दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और विकलांग महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की हो।

 कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या, गोपालपुर (बिहार) में 14 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या, उधम सिंह नगर (उत्तराखंड) में एक मुस्लिम नर्स के साथ बलात्कार और हत्या तथा बदलापुर (महाराष्ट्र) के एक स्कूल में दो किंडरगार्टन बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं साबित करती हैं कि हमारे देश में महिलाओं और लड़कियों के प्रति मानसिकता और दृष्टिकोण पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।

केरल में आंशिक रूप से जारी हेमा समिति की रिपोर्ट से पता चलता है कि मनोरंजन उद्योग जैसे अत्यंत उदार कार्यस्थलों पर भी महिलाओं की सुरक्षा में कमी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध साल दर साल बढ़ रहे हैं। हालाँकि, ये संख्याएँ तो केवल एक झलक है, क्योंकि ये दर्ज मामलों पर आधारित हैं। जानबूझकर या अन्यथा दबाए गए या अनदेखा किए गए मामलों की संख्या काफी अधिक है। इस चिंतनीय प्रवृत्ति का एक और उल्लेखनीय पहलू बिलकिस बानो (जिनके साथ 2002 के गुजरात दंगे में सामूहिक बलात्कार हुआ था) द्वारा न्याय के लिए किया गया कठिन संघर्ष है। उसका (बिलकिस) मामला हमारी संस्थाओं में व्याप्त प्रणालीगत पूर्वाग्रह और असंवेदनशीलता का स्पष्ट प्रमाण है।

 सुश्री रहमतुन्निसा ने कहा कि “महिलाओं पर अत्याचार की मानसिकता एक महामारी की तरह फैल गई है जो हमारे देश की शांति और विकास को प्रभावित कर रही है।” इस अभिशाप का मुख्य कारण स्वतंत्रता के नाम पर नैतिक मूल्यों का पतन है। समाज में नैतिक मूल्यों की कमी, महिलाओं को वस्तु मानना, यौन शोषण और दुर्व्यवहार, वेश्यावृत्ति, विवाहेतर संबंध, शराब और नशीली दवाओं का बढ़ता उपयोग आदि जैसी समस्याएं उत्पीड़न और शोषण को जन्म देती हैं। इसी तरह, यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई), गर्भपात, यौन हिंसा और बलात्कार में वृद्धि के अलावा, पारिवारिक इकाई का टूटना एवं निर्लज्जता की व्यापकता समाज के नैतिक ताने-बाने को तेजी से नष्ट कर रही है। इसके अलावा, सांप्रदायिक और जाति-आधारित राजनीति के बढ़ते प्रभाव, कुछ समुदायों और जातियों को नीच समझने और उन पर हावी होने की चाहत ने स्थिति को और खराब कर दिया है। अपराधियों और आरोपियों को राजनीतिक और भौतिक हितों के लिए नायक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि उनकी निंदा की जानी चाहिए।

‘नैतिकता ही स्वतंत्रता का आधार’ शीर्षक वाले राष्ट्रव्यापी अभियान के बारे में बात करते हुए, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव सुश्री शाइस्ता रफत ने कहा कि “इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति केवल नैतिक मूल्यों का अनुसरण करके ही वास्तविक जीवन और स्थायी स्वतंत्रता प्राप्त कर सकता है। इस अभियान का उद्देश्य जाति, समुदाय, रंग और नस्ल, लिंग, धर्म और क्षेत्र के भेदभाव के बिना सभी के लिए बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और बुनियादी अधिकारों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। अभियान के दौरान राष्ट्रीय, राज्य, जिला और जमीनी स्तर पर शिक्षाविदों, परामर्शदाताओं, वकीलों, धार्मिक विद्वानों और सामुदायिक नेताओं को शामिल करते हुए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। छात्रों और युवाओं को सच्ची स्वतंत्रता और नैतिक मूल्यों से परिचित कराने के लिए परिसर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रत्येक धर्म और संस्कृति में समान नैतिक मूल्यों पर सार्वजनिक चर्चा के लिए विभिन्न धर्मों के विद्वानों को शामिल करते हुए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

बीसीसीआई सचिव जय शाह चुने गए ICC के नए चेयरमैन

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। जय शाह इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के नए चेयरमैन बन गए हैं। जय शाह अब अब ग्रेग बार्कले की जगह लेंगे।

आईसीसी ने बताया कि शाह को निर्विरोध चेयरमैन चुना गया है। वह 1 दिसंबर को आईसीसी चेयरमैन का पद संभालेंगे। वह फिलहाल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिव हैं। अब बीसीसीआई को सचिव पद पर नई पोस्टिंग करनी होगी।

आईसीसी के मौजूदा चेयरमैन ग्रेग बार्कले का कार्यकाल 30 नवंबर को खत्म हो रहा है। वह लगातार दूसरी बार इस पद पर रहे हैं। मगर उन्होंने हाल ही में तीसरे कार्यकाल की दौड़ से खुद को अलग कर लिया है। ऐसे में खेल की वैश्विक संचालन संस्था आईसीसी में जय शाह के भविष्य की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही थी। आईसीसी चेयरमैन दो-दो साल के तीन कार्यकाल के लिए पात्र होता है और न्यूजीलैंड के वकील ग्रेग बार्कले ने अब तक 4 साल पूरे कर लिए हैं।

आईसीसी चेयरमैन के लिए ये हैं नियम
आईसीसी के नियमों के अनुसार चेयरमैन के चुनाव में 16 वोट होते हैं और अब विजेता के लिए 9 मत का साधारण बहुमत (51%) आवश्यक है। इससे पहले चेयरमैन बनने के लिए निवर्तमान के पास दो-तिहाई बहुमत होना आवश्यक था। आईसीसी ने हाल ही में कहा था, ‘मौजूदा निदेशकों को अब 27 अगस्त 2024 तक अगले अध्यक्ष के लिए नामांकन प्रस्तुत करना होगा और यदि एक से अधिक उम्मीदवार हैं तो चुनाव होगा और नए चेयरमैन का कार्यकाल एक दिसंबर 2024 से शुरू होगा।’

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुटेरेस ने पाकिस्तान में आतंकी हमलों की निंदा की

संयुक्त राष्ट्र  : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सोमवार को हुए आतंकी हमलों में 70 से अधिक लोग मारे गए हैं। इस घटना की संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कड़ी निंदा की है।संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 26 अगस्त को हुए आतंकी हमलों की निंदा की है।समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि महासचिव ने इस बात पर जोर दिया है कि बेकसूर नागरिकों पर हमला स्वीकार नहीं किया जा सकता।दुजारिक ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और पाकिस्तान सरकार से इस मामले में जांच करने का आह्वान किया।

उन्होंने पाकिस्तान सरकार से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इस घटना में शामिल लोगों की जवाबदेही तय हो।स्थानीय मीडिया ने सेना और पुलिस अधिकारियों के हवाले से बताया कि दक्षिणपश्चिमी पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुए आतंकवादी हमलों में 70 से अधिक लोग मारे गए हैं।अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की सेना ने कहा कि लासबेला जिले के एक शहर बेला में एक प्रमुख राजमार्ग पर वाहनों को निशाना बनाकर किए गए एक बड़े हमले में 14 सैनिक और पुलिस के साथसाथ 21 आतंकवादी मारे गए।स्थानीय अधिकारियों ने कहा, “मुसाखेल जिले में हमलावरों ने कथित तौर पर उनके काफिले को रोका और इसके बाद उनकी आईडी की जांच की। इस दौरान उन्होंने 35 वाहनों को आग लगा दी और पंजाब से ताल्लुक रखने वाले 23 नागरिकों को मार दिया।रेलवे अधिकारी मुहम्मद काशिफ ने बताया कि सोमवार को बोलन शहर में एक रेल पुल पर विस्फोट के बाद क्वेटा रेल यातायात निलंबित कर दिया गया। यह रेल मार्ग क्वेटा को पाकिस्तान के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। साथ ही पड़ोसी ईरान के साथ रेल लिंक भी है। रेलवे पुल पर हमले वाली जगह के पास अब तक पुलिस को छह अज्ञात शव मिले हैं।वहीं, पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने कहा कि मारे गए लोग निर्दोष नागरिक थे। घायलों को डेरा गाजी खान के एक अस्पताल में ले जाया गया, जो वहां का सबसे नजदीकी अस्पताल है।इस बीच राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने इन हमलों को बर्बर बताया और कहा कि हमलावर बच नहीं पाएंगे।

  

महिलाओं और युवाओं को सम्मान देने में सर्वोपरि रही प्रधानमंत्री जन धन योजना :पीएम मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री जनधन योजना के शुभारंभ के 10 साल पूरे हो गए हैं। पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री जनधन योजना की 10वीं वर्षगांठ पूरे होने पर खुशी जाहिर की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट शेयर किया और लाभार्थियों को बधाई दी।

पीएम मोदी ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “आज हम एक महत्वपूर्ण अवसर मना रहे हैं। जनधन योजना के 10 साल पूरे हुए। सभी लाभार्थियों को बधाई और इस योजना को सफल बनाने के लिए काम करने वाले सभी लोगों को बधाई। जन धन योजना वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और करोड़ों लोगों, विशेषकर महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों को सम्मान देने में सर्वोपरि रही है।”

इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को प्रधानमंत्री जनधन योजना के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि पिछले 10 वर्षों में गरीबों के लिए 53.13 करोड़ जन धन खाते खोले गए हैं। इनमें 2.3 लाख करोड़ रुपये जमा हैं।

सीतारमण ने कहा, “हमारा लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान तीन करोड़ से अधिक पीएमजेडीवाई खाते खोलना है।”

उन्होंने कहा कि पीएमजेडीवाई दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है। मार्च 2015 में प्रति खाते में औसत बैंक बैलेंस 1,065 रुपये था, जो अब बढ़कर 4,352 रुपये हो गया है। करीब 80 फीसदी खाते सक्रिय हैं। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 66.6 फीसदी जनधन खाते खोले गए हैं, इनमें से 29.56 करोड़ (55.6 फीसद) महिला खाताधारकों के हैं।

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के 10 साल पूरे हो गए हैं। सरकार ने 28 अगस्त 2014 को इस योजना की शुरुआत की थी। जनधन योजना के जरिए सरकार देश के गरीब, वंचित तबके को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने में कामयाब रही है। इसके साथ साथ ही डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर यानी डीबीटी के माध्यम से सोशल सिक्योरिटी स्कीम्स का भी फायदा सीधे लाभर्थियों तक इसके जरिए पहुंचाया जा रहा है।

कंगना के किसान आंदोलन में रेप वाले बयान से बीजेपी ने काटी कन्नी, दी ये चेतावनी

नई दिल्ली : भाजपा ने किसान आंदोलन को लेकर हिमाचल प्रदेश की मंडी से पार्टी की लोकसभा सांसद कंगना रनौत के बयान से किनारा करते हुए उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई है।

भाजपा ने बॉलीवुड अभिनेत्री के बयान को लेकर सोमवार को स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी कंगना रनौत के बयान से “असहमति व्यक्त करती है”। पार्टी ने नीतिगत विषयों पर उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी है और न ही वह इसके लिए अधिकृत हैं। भाजपा ने इसके साथ ही कंगना रनौत को कड़ी चेतावनी देते हुए भविष्य में इस तरह का कोई भी बयान न देने की नसीहत भी दी।

पार्टी आलाकमान के निर्देश पर भाजपा के केंद्रीय मीडिया विभाग ने कंगना रनौत के विवादास्पद बयान पर पार्टी का आधिकारिक स्टैंड जारी करते हुए कहा, “भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में दिया गया बयान, पार्टी का मत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है। पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं।” बयान में आगे कहा गया है कि पार्टी की ओर से “कंगना रनौत को निर्देशित किया गया है कि वह इस प्रकार के कोई बयान भविष्य में न दें। भारतीय जनता पार्टी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ तथा सामाजिक समरसता के सिद्धांतों पर चलने के लिए कृतसंकल्प है।”

बता दें कि कंगना ने एक निजी समाचार पत्र के साथ बातचीत करते हुए कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान रेप और हत्याएं हुई। कंगना ने कहा कि अगर सरकार कमजोर होती तो पंजाब भी बांग्लादेश बन जाता।