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सऊदी से लौटे ‘प्रभु’ आइसोलेशन में दाखिल

एनडीए सरकार में मंत्री रहे और भाजपा सांसद सुरेश प्रभु ने खुद को क्वारंटाइन में रख लिया है। प्रभु पिछले दिनों सऊदी अरब की यात्रा करके लौटे हैं। वे अपने घर पर हैं और एहतियातन अगले 14 दिनों तक आइसोलेशन में रहेंगे। हालांकि उन्होंने टेस्ट करवाया है, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके बावजूद वह सावधानी बरत रहे हैं। प्रभु दूसरी शेरपा मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए 10 मार्च को सऊदी अरब गए थे।

मंत्री मुरलीधरन खुद को कर चुके हैं क्वारंटाइन
भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभु ने खुद को होम क्वारंटाइन किया है। इस दौरान दो हफ्ते वह न तो किसी से मिलेंगे और न ही कोई उनके पास जाएगा। घर पर एक मेडिकल टीम तैनात की गई है। इससे पहले तमिलनाडु के रहने वाले मोदी सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने खुद को होम क्वारंटाइन किया हुआ है। वह केरल में एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने गए थे, जहां पर एक डॉक्टर कोरोना संक्रमित मिला था। मुरलीधरन ने मंगलवार को हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक से भी दूरी बनाई रखी।

देश में 10 नए मामले, आंकड़ा पहुंचा 148
देश में कोरोना वायरस धीरे-धीरे विस्तार करता जा रहा है। बुधवार सुबह 10 नए मामले सामने आने के साथ अब पॉजिटिव मामलों की संख्या 148 हो चुकी है। इनमें से 25 विदेशी भी शामिल हैं। तीन अलग-अलग राज्यों में एक-एक शख्स की मौत हो चुकी है। अकेले महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से सक्रमित मरीजों की संख्या 42 हो चुकी है। पुणे में 28 वर्षीय जिस महिला को संक्रमित पाया गया, वह फ्रांस और नीदरलैंड की यात्रा करके लौटी थी।  महिला 15 मार्च को भारत वापस आई थी और उसे 17 मार्च को अस्पताल में दाखिल कराया था।

विधायकों से मिलने बेंगलुरु गए कांग्रेस नेता दिग्विजय को हिरासत में लिया, धरने पर बैठे

मध्य प्रदेश के कथित बागी कांग्रेस विधायकों से मिलने बेंगलुरु गए एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को वहां हिरासत में ले लिया गया है। कर्नाटक पुलिस ने उन्हें और अन्य कांग्रेस नेताओं को होटल के बाहर ही रोक लिया। इसके बाद सभी कांग्रेस नेता सड़क पर धरने पर बैठ गए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया समेत करीब १०  कांग्रेस नेताओं को हिरासत में ले लिया है। कथित बागी २२ विधायक पिछले १० दिन से बेंगलुरु में हैं। फ्लोर टेस्ट पर घमासान मचा हुआ है और मामला  सुप्रीम कोर्ट में   चल रहा है।

दरअसल कांग्रेस बागियों को मनाने की कोशिश में है। वो आरोप लगा चुकी है कि उसके विधायकों को बेंगलरू में बंधक बनाकर रखा गया है। उनसे बात के लिए बुधवार सुबह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार के कुछ मंत्री बेंगलुरु पहुंचे, लेकिन कर्नाटक पुलिस ने उन्हें होटल के बाहर ही रोक दिया। इसके बाद सभी कांग्रेस नेता सड़क पर धरने पर बैठ गए।

दिग्विजय ने कहा है कि अब वे थाने में भूख हड़ताल करेंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पुलिस की इस कार्रवाई को हिटलरशाही बताया है। उन्होंने कहा कि ”अगर जरूरत पड़ी तो मैं भी उन विधायकों से मिलने बेंगलुरु जाऊंगा”। इससे पहले कांग्रेस ने अपने एक नेता जीतू पटवारी से भी बेंगलुरु में हाथापाई करने का कर्नाटक पुलिस पर आरोप लगाया था और एक वीडियो भी जारी किया था।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को कहा कि ‘पूरा देश आज देख रहा है कि एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिये किस प्रकार से भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या कर रही है। क्यों विधायकों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। आख़िर भाजपा को किस बात का डर है?”

उधर बेंगलरू में दिग्विजय सिंह ने कहा – ”पुलिस हमें विधायकों से मिलने नहीं दे रही। मैं मध्य प्रदेश का राज्यसभा उम्मीदवार हूं। राज्यसभा चुनाव के लिए २६ मार्च को विधानसभा में वोटिंग होनी है। हमारे विधायकों को यहां होटल में बंधक बनाकर रखा गया है। वे हमसे बात करना चाहते हैं, लेकिन उनके मोबाइल छीन लिए गए। भाजपा नेता अरविंद भदौरिया और कुछ गुंडे अंदर हैं। विधायकों की जान को खतरा है। मेरे पास हाथ में न बम है, न पिस्तौल और न कोई हथियार है। फिर भी पुलिस मुझे क्यों रोक रही है। मुझे मिलवा दें, उसके बाद चला जाऊंगा। इसमें क्या परेशानी है।”

राज्य सभा मनोनयन पर आलोचना से घिरे रंजन गोगोई

भले पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राज्यसभा के लिए अपने मनोनयन को स्वीकार कर लिया है और कहा है कि वे शपथ लेने के बाद बताएंगे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, इस मसले पर वे आलोचनाओं से घिर गए हैं। पूर्व न्यायाधीशों सहित कई गणमान्य लोगों ने उनके राज्यसभा में जाने को लेकर सवाल खड़े किये हैं और आशंका जताई है कि निष्पक्ष न्यायपालिका को इससे नुक्सान पहुंचेगा।
सुप्रीम कोर्ट में गोगोई के साथी जज रहे जस्टिस कुरियन जोसेफ ने राज्‍यसभा मनोनयन के लिए जस्टिस गोगोई की स्‍वीकृति पर उनकी आलोचना की है। एक ब्यान में कुरियन ने कहा कि ”यह न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता में आम लोगों के भरोसे को हिलाकर रख देने वाला है, जो भारतीय संविधान का एक मौलिक ढांचा है।
जस्टिस कुरियन ने कहा कि ”१२ जनवरी, २०१८ की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हमने राष्‍ट्र के प्रति अपना कर्ज अदा किया। मैं हैरान हूं कि न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता बरकरार रखने को लेकर कभी इस तरह की दृढता और  साहस दिखाने वाले जस्टिस रंजन गोगोई ने न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता और निष्‍पक्षता के महत्‍वपूर्ण सिद्धांतों से कैसे समझौता कर लिया। हमारा देश आज भी अगर संवैधानिक मूल्‍यों को बरकरार रखे हुए है तो इसका श्रेय मुख्‍य रूप से स्‍वतंत्र न्‍यायपालिका को जाता है। लेकिन इस वक्‍त लोगों का यह विश्‍वास हिल गया है।”
प्रेस कॉन्‍फ्रेंस का हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा कि ”हम लोग राष्‍ट्र को यह बताने के लिए सार्वजनिक तौर पर सामने आए थे कि जिस ठोस नींव पर राष्‍ट्र की संरचना निर्मित होती है, वह खतरे में है और अब मुझे यह खतरा कहीं अधिक नजर आता है। यही वजह है कि मैंने सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लेने का फैसला किया। मेरे ख्‍याल से देश के पूर्व मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा राज्‍यसभा का मनोनयन स्‍वीकार करने से निश्चित रूप से न्‍यायपालिका में आम लोगों का भरोसा डिग गया है।”
यहां यह भी गौरतलब है कि रंजन गोगोई वो जज हैं जिन्होंने जनवरी, २०१८ में तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्य प्रणाली से नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट के ही तीन अन्य जजों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। वह उन चार जजों में एक रहे जिन्‍होंने रोस्‍टर विवाद को लेकर यह ऐतिहासिक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की। यह देश के इतिहास में ऐसी पहली घटना थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायालय के आंतरिक मामलों को लेकर  सार्वजनिक रूप से बोले थे। इसके अलावा, उनपर यौन उत्‍पीड़न के भी आरोप लगे।
हालांकि, अब जबकि उन्होंने राज्य सभा के लिए अपने मनोनयन को स्वीकार कर लिया  है, उनकी आलोचना होने लगी है। सिर्फ़ अयोध्या ही नहीं, उन्होंने कई ऐसे अहम फ़ैसले सुनाए जिनमें मोदी सरकार की राजनीतिक साख दांव पर थी। इन मामलों में रफ़ाल की ख़रीद का विवाद, तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाना जैसे मसलों पर फैसले शामिल हैं। आश्चर्य यह भी है कि गोगोई को सेवानिवृत्ति के सिर्फ चार महीने बाद ही राज्य सभा के लिए मनोनीत कर दिया गया।
उधर गोगोई ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उन्हें राज्यसभा सदस्य के तौर पर नामित करने के विवाद पर गोगोई ने कहा, ”मैं संभवत कल दिल्ली जाऊंगा। मुझे पहले शपथ लेने दीजिए। इसके बाद मैं विस्तार से मीडिया से बात करुंगा कि आखिर मैंने ऐसा क्यों किया और मैं राज्यसभा क्यों जा रहा हूं।”
उनके मनोनयन पर विपक्षी कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना था कि उन्हें इसे स्वीकार करने से मना कर देना चाहिए क्योंकि इससे न्यायापालिका की निष्पक्षता पर प्रभाव पड़ेगा। वहीं कुछ नेताओं ने उन्हें उनके पुराने बयान याद दिलाते हुए इस मनोनयन को अस्वीकार करने की सलाह दी है।

सुप्रीम कोर्ट में एमपी मामले पर कल सुनवाई, सीएम और स्पीकर को नोटिस  

मध्य प्रदेश के सियासी घमासान को  लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में भाजपा की फ्लोर टेस्ट की मांग वाली याचिका पर बुधवार सुबह साढ़े १० बजे सुनवाई होगी। सर्वोच्च अदालत ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर २४ घंटे में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि उसके आदेश की कॉपी ईमेल और वाट्एसएप के जरिये बागी विधायकों को भी उपलब्ध करवाई जाये। उधर कांग्रेस ने भी बेंगलुरु में ठहरे २२ विधायकों को वापस लाने के लिए सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है।

मध्य प्रदेश के भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान सहित १० विधायकों ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने आज सभी पक्षकारों  सीएम कमलनाथ और विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति आदि को नोटिस देकर २४ घंटे में जवाब मांगा है। कोर्ट ने अपने आदेश की कॉपी ईमेल और वाट्एसएप के जरिये बागी विधायकों को भी उपलब्ध करवाने को कहा है।

सर्वोच्च अदालत अब इस मामले की सुनवाई कल १०.३० बजे करेगी।

इस बीच बेंगलुरु में पिछले एक हफ्ते से रह रहे कांग्रेस के कथित बागी विधायकों ने कहा कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस के चलते विधानसभा की कार्यवाही २६ मार्च तक स्थगित कर दी थी। राज्यपाल लालजी टंडन ने सोमवार को भी सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट के लिए कहा था। जबकि सीएम कमलनाथ जोर देकर कह रहे हैं कि बेंगलुरु में ”कैद” किए गए उनके विधायकों को छुड़ाने के बाद और खुले माहौल में ही फ्लोर टेस्ट संभव है। कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र में कहा कि हमारे १६ विधायकों को रिहा किया जाए, जिन्हें बंदी बना लिया गया है। उन्हें ५-७ दिनों तक बिना किसी भय के अपने-अपने घरों में रहने दें ताकि वे स्वतंत्र निर्णय कर सकें।

भाजपा की याचिका  सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस की ओर से कोई वकील मौजूद नहीं होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दूसरे पक्ष को भी सुनेंगे। इसके बाद अदालत ने सभी पक्षकारों से २४ घंटे में जवाब मांगा है। ये नोटिस ईमेल और वॉट्सऐप के जरिए भेजे जाएंगे। इसके साथ ही ईमेल पर बागी विधायकों की अर्जी और याचिका की कॉपी भी पक्षकारों को भेजी जाएगी।

चीन के राष्ट्रपति के खिलाफ कोरोना वायरस फैलाने का केस दर्ज

कोरोना वायरस का दायरा रोजाना बढ़ता जा रहा है। आज महाराष्ट्र मेें एक बुजुर्ग की कोरोना वायरस से मौत के साथ ही भारत में तीसरी मौत हुई। इससे पहले कर्नाटक और दिल्ली में एक-एक मरीज की मौत इस वायरस की वजह से हो चुकी है। लेकिन हम यहां बात कर रहे हैं, इस वायरस को फैलाने के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? इसकी शुरुआत चीन के वुहान से हुई, इससे सभी वाकिफ हैं। लेकिन चीन का कहना है कि अमेरिकी सेना ने वुहान में यह वायरस फैलाया, जिस पर अमेरिका में भी चीन के राजदूत को तलब किया गया। अब मामला भारत में कैसे पहुंचा और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

बिहार के मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में सोमवार को चीन के राष्ट्रपति और भारत में चीन के राजदूत के खिलाफ देश में कोरोना वायरस फैलाए जाने की साजिश रचने की शिकायत दर्ज कराई गई है। ध्यान देने वाली बात ये है कि मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध भी कर लिया गया है। अब इस मामले की पर 11 अप्रैल को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई होगी।

वकील सुधीर कुमार ओझा द्वारा दायर शिकायत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत में चीन के राजदूत सुन वेदोंग पर आरोप लगाया गया कि दोनों ने कोरोनो वायरस फैलाने की देश में साजिश रची। कोर्ट 11 अप्रैल की सुनवाई की तारीख तय कर दी।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस का पहला मामला पिछले साल दिसंबर में चीन के वुहान शहर में सामने आया था, और अब तक 150 से अधिक देशों में यह फैल चुका है। पूरा यूरोप इसकी चपेट में है। पूरी दुनिया में डेढ़ लाख से अधिक मामले दर्ज किये जा चुके हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में चीन के बाद इटली, स्पेन और ईरान हैं।

क्या आरोप लगाए
याचिका में कहा गया है कि आरोपियों ने साजिश के तहत कोरोना वायरस का ईजाद किया। इसका मकसद बायोलॉजिकल हथियार के रूप में प्रयोग कर अपने आपको विश्व शक्ति के रूप में स्थापित करना है। इसका नाम वुहान-400 रखा था।  साजिशन वायरस का प्रयोग किया गया और इसने पूरी दुनिया में कहर बरपाया है जिससे हजारों लोगों की मौत भी हो चुकी है। इतना ही नहीं, अब भी कोरोना वायरस से हजारों लोगों के संक्रमित होने का खतरा बरकरार है।

भारत में कोरोना से तीन मौतें, १२६ संक्रमित

कोरोना से भारत में एक और व्यक्ति की मौत के वाद मरने वालों की संख्या बढ़कर तीन हो गयी है जबकि १२६ इससे प्रभावित हैं । इस बीच भारत के स्वास्थ्य राज्यमंत्री मुरलीधरन ने खुद को आईसोलेशन में रखने की बात कही है क्योंकि वे कुछ समय पहले कोरोना के संक्रमित डाक्टर के संपर्क में आये थे। हालांकि, उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव निकला है।
मुंबई में दुबई से लौटे व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गयी है। यह व्यक्ति करीब ६४ साल का था। वो हिंदुजा अस्पताल में भर्ती था जिसके बाद उसे कस्तूरबा अस्पताल शिफ्ट किया गया था। भारत में अब तक १२६ लोक इस वायरस से प्रभावित बताये गए हैं। अब तक १३ मरीज पूरी तरह स्वस्थ भी हो गए हैं और उन्हें घर वापस भेज  दिया गया है।
इस बीच भारत के स्वास्थ्य राज्य मंत्री मुरलीधरन ने भी क्वारंटाइन में जाने की बात कही है क्योंकि उनके मुताबिक वे हाल में एक डाक्टर के संपर्क में आये थे जिसने कोरोना के संक्रमित व्यक्ति का इलाज किया था। हालांकि, उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव निकला है।
भारत की बात करें तो यहां लाल किले और क़ुतुब मीनार से लेकर तमाम बड़े स्मारक एएसआई ने बंद करने का ऐलान किया है। बहुत से मंदिर भी दर्शनों के लिए बंद कर दिए गए हैं। लोगों को सलाह दी जा रही है कि बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें। यह माना  गया है कि घर पर रहने और भीड़ वाली जगहों पर न जाने से इस वायरस से बचा जा सकता है।
इसके अलावा बाहर जाने पर हाथ को साबुन से धोने को भी जरूरी बताया गया है। उससे काफी हद तक बचाव हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सावधानी ही इस वायरस से बचने का सबसे आसान तरीका है।

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई राज्य सभा के लिए मनोनीत

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत किया।

एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है, ”भारत के संविधान के अनुच्छेद ८० के खंड (३) के साथ पठित खंड (१) के उपखंड (क) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति, एक नामित सदस्य की सेवानिवृति के कारण हुई रिक्ती भरने के लिए, राज्यसभा में रंजन गोगोई को नामित करते हैं। यह सीट केटीएस तुलसी का राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने से खाली हुई थी।

प्रधान न्यायाधीश रहते रंजन गोगोई ने  ९ नवंबर, २०१९ को राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था और सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया था। रंजन गोगोई १७ नवंबर, २०१९ को रिटायर हुए थे।

रंजन गोगोई जाने माने कांग्रेस नेता और असम के मुख्यमंत्री रहे केशब चन्द्र गोगोई के बेटे हैं। उन्होंने १९७८ में वकालत शुरु की और २००१ में गुवाहाटी हाईकोर्ट के स्थाई जज बने। साल २०११ में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और २३  अप्रैल, २०१२ को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए। तीन अक्टूबर, २०१८ को वे भारत के ४६वें प्रधान न्यायाधीश बने। वो तब भी चर्चा में आये थे जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जजों के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस की थी।

करोना कहर : महाराष्ट्र सेकंड स्टेज पर !

महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे ने तेजी से बढ़ते करोना वायरस के मद्देनजर अगले 15 दिनों को बेहद चुनौती भरा बताया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि सार्वजनिक स्थानों पर भीड़-भाड़ ना करें और आवश्यकता होने पर ही घरों से बाहर निकलें।

सीएम ने जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल रेलवे एवं बस सेवा बंद करने के बाबत कोई निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन मॉल्स जैसे भीड़भाड़ वाले जगहों को बंद करने कहा गया है। सरकार ने धर्म स्थानों में भीड़ न करने की अपील की है। शासकीय सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। राज्य में होने वाली सभी परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ा दी गई हैं।

चीफ मिनिस्टर ठाकरे ने नागरिकों से अपील की है कि इस संकट का सामना करने के लिए है सभी नागरिक अपने तौर पर खुद नियमों का पालन करें और अनावश्यक यात्राएं टालें। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के किसी भी शहर को लॉक आउट नहीं किया जाएगा और न ही किसी शहर को पूर्णतः करने के बाबत सोचा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इलेक्शन कमिशन निवेदन किया गया है महाराष्ट्र में होने वाले इलेक्शन्स की तारीखें आगे बढ़ा दी जाएं ।

करोना पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार एवं प्रशासन अलर्ट है। महाराष्ट्र शासन ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार द्वारा 7 देशों के अलावा दुबई , सऊदी अरेबिया और अमेरिका से लौटे हुए यात्रियों को भी सख्ती के साथ क्वॉरेंटाइन पीरियड पूरा करना होगा। घरों में 100 फ़ीसदी क्वॉरेंटाइन एडवाइज्ड के लेफ्ट हैंड पर स्टाम्प लगाया जा सकता है।

उद्धव ठाकरे का कहना था कि करोना पोजिटिव व्यक्ति को उचित उपचार और मानसिक सांत्वना की जरूरत है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि वह इस मामले में लोगो को जागरूक करें। अस्पतालों में रोगियों के इलाज के नतीजे पोजिटिव बताते हुए उन्होंने नागरिकों से पैनिक न होने की अपील की।

निर्भया के तीन दोषी आईसीजे की शरण में, फांसी रोकने, निचली अदालत का सारा रेकॉर्ड मंगाने की गुहार लगाई

निर्भया गैंगरेप के तीन दोषियों ने एक और पैंतरा अपनाते हुए अब अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) का रुख किया है। निर्भया के चार दोषियों को २० मार्च को फांसी की तारीख तय हुई है। आईसीजी से इन दोषियों ने अपनी फांसी पर रोक लगाने और  निचली अदालत का सारा रेकॉर्ड मंगाने की भी गुहार लगाई है।

दोषियों के वकील एपी सिंह ने सोमवार को फांसी के खिलाफ आईसीजे की शरण ली है। वकील एपी सिंह ने आईसीजे को एक पत्र लिखा है जिसमें २० मार्च को होने वाली दोषियों की फांसी पर रोक और निचली अदालत के सभी रिकॉर्ड अपने पास (आईसीजे) मंगाने का आग्रह किया है ताकि वो अपना पक्ष अंतरराष्ट्रीय अदालत में रख सकें।

रिपोर्ट्स के मुताबिक दोषियों के वकील ने यह चिट्ठी नीदरलैंड के दूतावास को सौंपी है। निर्भया के चार दोषियों में से तीन अक्षय सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा आईसीजे की शरण में पहुंचे हैं।

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को  २० मार्च सुबह साढ़े पांच बजे फांसी के लिए डेथ वारंट जारी किया है। आईसीजे क्या फैसला सुनाता है, इसपर  नजर है।

राज्यपाल ने कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट के लिए फिर पत्र लिखा, भाजपा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई

मध्य प्रदेश में सोमवार सुबह स्पीकर एनपी प्रजापति ने विधानसभा की कार्यवाही को कोरोना वायरस का हवाला देते हुए २६ मार्च तक स्थगित कर दिया था, लेकिन अब शाम को राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर उनसे मंगलवार को फ्लोर टेस्ट करवाकर अपना बहुमत सिद्ध करने को कहा है। दिलचस्प यह है कि स्पीकर के फैसले के बाद भाजपा सुप्रीम कोर्ट पहुँच गयी और उसमें एक याचिका डालकर १२ घंटे में फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की है। मामला तब भी दिलचस्प हुआ जब भाजपा के एक विधायक नारायण त्रिपाठी सीएम से मिले।

भाजपा ने सुबह १०६ विधायकों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र भी राज्यपाल को सौंपा था। उसका दावा था था कि उसके पास बहुमत की सीटें हैं। अब राज्यपाल के सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर मंगलवार को बहुमत सिद्ध करने को कहने से मामला दिलचस्प हो गया है जबकि भाजपा की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में है। इस याचिका पर कल सुनवाई होनी है और जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच यह सुनवाई करेगी।

गौरतलब है कि हंगामे के बीच आज सुबह मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही २६ मार्च तक स्थगित कर दी गयी थी। राज्यपाल ने कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा कि आज फ्लोर टेस्ट के लिए कहा गया था लेकिन नहीं किया गया। राज्यपाल ने कहा कि यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि आप बहुमत हो चुके हैं।

हालांकि, कमलनाथ कह चुके हैं कि विधानसभा को लेकर फैसले का अधिकार राज्यपाल का नहीं और वे सिर्फ सलाह दे सकते हैं निर्देश नहीं और अधिकार स्पीकर के पास है। यह माना जा रहा है कि भाजपा को खुद अपने विधायकों का खतरा है। आज उसके १०७ से १०६ विधायक ही राज्यपाल के पास गए थे। नारायण त्रिपाठी राज्यपाल के पास जाने के बजाए सीएम कमलनाथ से मिलने चले गए।

उधर बेंगलुरु गए कांग्रेस के कथित बागी विधायकों को लेकर कुछ पक्का नहीं कि वे कब भोपाल आएंगे। कांग्रेस इसे भी एक मुद्दा बना रही है और उसका आरोप है कि उन्हें बंधक  बनाया गया है।

दोपहर को मध्यप्रदेश विधानसभा के २६ मार्च तक स्थगित होने के कुछ देर बाद ही मध्यप्रदेश भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान फ्लोर टेस्ट की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गए। भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर १२ घंटे में फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की  है। जानकारी के मुताबिक, कोर्ट कल इस याचिका पर सुनवाई कर सकता है। बता दें कि सोमवार को जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई और राज्यपाल का अभिभाषण हुआ तो उसके तुरंत बाद कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। भाजपा विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया और कहा कि कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट से डर रही है।