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दिल्ली हिंसा के प्रभावितों को मुआवजे का केजरीवाल का ऐलान

नागरिकता क़ानून के खिलाफ और समर्थन में प्रदर्शनों के हिंसा में बदलने से मौत का शिकार लोगों के परिजनों या घायल हुए लोगों के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने गुरूवार को मुआवजे का ऐलान किया है। केजरीवाल ने कहा कि हिंसा में हिंदू और मुसलमान दोनों का नुकसान हुआ है।

एक प्रेस कांफ्रेंस करके केजरीवाल ने बताया कि हिंसा के बाद अस्पताल में घायलों का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घायलों पर दिल्ली सरकार की ”फरिश्ते योजना” लागू होगी। सीएम केजरीवाल ने यह भी बताया कि मृतकों के िक्त परिजनों को १०-१० लाख रूपये का मुआवजा दिया जाएगा जबकि नाबालिग की मौत पर परिजनों को ५-५ लाख रुपये की राशि दी जाएगी।

उन्होंने बतया कि घटनाओं में कम घायलों को २०-२० हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा हिंसा में जिनके रिक्शे को नुकसान हुआ उन्हें २५ हजार,
ई-रिक्शा के लिए ५० हजार, जिनका घर जला है उन्हें पांच लाख रूपये का मुआवजा दिया जाएगा। उनके मुताबिक जिन लोगों की दूकान जाली है उन्हें भी ५-५- लाख की सहायता राशि दी जाएगी।

केजरीवाल ने कहा कि जिन लोगों के पशु आग में जल गये उन्हें पांच हजार प्रति पशु दिया जाएगा। इसके अलावा जिनके आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड जले हैं उनके नए दस्तावेज बनाए जाएंगे। यह कार्ड बनाने के लिए बाकायदा विशेष शिविर लगाए जायेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा – ”सरकार दंगा पीड़ितों को मुफ्त में खाना पहुंचाएगी। हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए जा रहे हैं। मोहल्लों में शांति और अमन कमेटियां सक्रिय की जा रही हैं।” उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से जो कदम उठाया जा सकता था वो हमने उठाया है। ”कल से हिंसा की वारदात कम हुई है और आज हमने कई बैठकें की हैं।”

उनके प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों ने आप पार्षद ताहिर हुसैन को लेकर सवाल पूछा तो केजरीवाल ने कहा कि ”दंगों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। मेरे पास पुलिस नहीं है।  मैं कैसे एक्शन ले सकता हूं। ताहिर हुसैन हो या कोई भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि यदि कोई आप नेता भी पकड़ा जाता है तो जो सजा बनती है उससे दोगुनी सजा दो। हमें इसमें कोइ ऐतराज नहीं, लेकिन इस तरह की घटनाओं का किसी भी सूरत में राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।

शिवसेना ने सावरकर को लेकर संघ पर किया कड़ा प्रहार

कल वीर सावरकर की पुण्य तिथि के अवसर पर महाराष्ट्र बजट सेशन में बीजेपी ने सावरकर के मामले में महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की, विधानसभा में सावरकर गौरव प्रस्ताव की मांग को लेकर। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने सावरकर के गौरव प्रस्ताव की मांग को नामंजूर कर दिया।

दूसरी तरफ एनसीपी नेता और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए पूछा कि पिछले 5 साल तक जब राज्य में बीजेपी की सरकार थी और केंद्र में तो अभी भी है तभी विधानसभा के सेशन के दौरान सावरकर की पुण्यतिथि आई तब इस तरह के प्रस्ताव क्यों नहीं लाए गए? इस प्रस्ताव को लाने के पीछे कोई राजनीतिक स्वार्थ है ।अजित पवार ने यह भी पूछा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो बार पत्र लिखकर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की थी फिर भी केंद्र सरकार ने सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया ?

भले ही इन तर्कों के साथ शिवसेना, बीजेपी को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की वीर सावरकर की कट्टर समर्थक रही शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बाद इस मुद्दे पर बैकफुट पर आती दिख रही है।

इस बार सावरकर की पुण्यतिथि पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में वीर सावरकर को लेकर न कोई लेख छपा और न ही संपादकीय में उनका उल्लेख किया गया। सामना के संपादक संजय राऊत की एक्टिविटी भी ट्विटर पर खानापूर्ति करने वाली रही।

खैर आज शिवसेना ने सामना के अपने संपादकीय में सावरकर के मुद्दे पर ही बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि वीर सावरकर का स्मरण करने वाले खुद वीर सावरकर को अच्छी तरह से नहीं समझ पाए हैं यह उनका ढोंग है।

आर एस एस को अपना निशाना बनाते हुए सामना लिखता है,वीर सावरकर का स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ा योगदान था। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में भाजपा या उस समय का ‘संघ’ परिवार कहां था? वर्ष 1947 स्वतंत्रता दिन को भी संघ ने नहीं माना और राष्ट्रध्वज तिरंगा संघ मुख्यालय पर नहीं लहराया। कुछ जगहों पर तिरंगे का घोर अपमान करने का प्रयास हुआ, ये सब इतिहास में दर्ज है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर सरदार पटेल ने दो बार प्रतिबंध लगाया। दोनों ही बार ‘प्रतिबंध’ हटाते हुए सरदार ने एक शर्त कायम रखी। वो मतलब, ‘तिरंगा राष्ट्रध्वज है और इसे मानना ही होगा।’ ये शर्त गोलवलकर गुरु जी ने मान ली लेकिन 2002 तक संघ ने ये वचन नहीं निभाया, ऐसा ‘रिकॉर्ड’ बताता है। राष्ट्रध्वज का अपमान करनेवाले देशद्रोही ठहराए जाते हैं। खुद को राष्ट्रवादी कहनेवाले संगठन 2002 तक ‘राष्ट्रध्वज’ लहराने को तैयार नहीं थे। भगवा ध्वज शिवसेना का भी प्रतीक है लेकिन भगवा के साथ-साथ ‘तिरंगा’ भी फहराया जाता है। ये हमारा राष्ट्रवाद है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर को ‘ढाल’ बनाकर भाजपा नई राष्ट्रवाद की राजनीति खेल रही है।

दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या ३४ हुई

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में जान गंवाने वालों की संख्या ३४ पहुँच गयी है। बड़े पैमाने पर संपत्ति का भी नुक्सान हुआ है। ताजा ख़बरों के मुताबिक तनाव वाले क्षेत्रों में लोगों को दूसरी जगह पलायन करते देखा गया है। अस्पतालों में गंभीर घायलों की जान जाने से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है। फिलहाल ताजा हिंसा की कोइ खबर नहीं है।

अस्पतालों में अभी भी बड़ी संख्या में गंभीर घायल ज़िंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इनमें से कई गोलियों से घायल हैं। डाक्टर पूरी कोशिश से इन लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे कई इलाकों में अभी तक तनाव बना हुआ है और लोग सुरक्षित स्थानों को पलायन करते देखे गए हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके परिजनों को उनकी कोई  जानकारी नहीं है।

कल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने हिंसा प्रभावित कुछ इलाकों का दौरा किया था और लोगों को उनकी सुरक्षा का भरोसा दितया था। हालांकि इस दौरान बुरखा पहने एक युवा लड़की ने डोवल से कड़े सवाल किये थे और उनके सामने अपना दर्द बयां किया था

पुलिस का दावा है कि पिछले २४ घंटे के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है और सुरक्षा बल वहां गश्त कर रहे हैं। पुलिस पर आरोप लगते रहे हैं कि शुरुआत में वह महज तमाशबीन बनी रही थी और उसने कोइ सक्रिय भूमिका नहीं रही जिसके चलते हिंसा बड़े पैमाने पर फ़ैल गयी और इतने लोगों की जान चली गयी।

कांग्रेस ने दिल्ली हिंसा के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा, शाह के इस्तीफे की मांग

राजधानी दिल्ली में हिंसा और इसमें बड़े पैमाने पर लोगों की जान जाने के मामले को लेकर अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरूवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन सौंपकर इन घटनाओं पर विरोध दर्ज कराया। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में राष्ट्रपति से गृह मंत्री को हिंसा पर काबू पाने में फेल होने के कारण तुरंत हटाने की मांग की है।

राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्रकारों को बताया – ”हमने नागरिकों के जीवन, आजादी और संपत्ति की सुरक्षा करने की मांग की है। हमने यह भी मांग की है कि हिंसा को काबू करने में फेल होने के कारण गृह मंत्री (अमित शाह) तो तुरंत उनके पद से हटाया जाए।

सोनिया गांधी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी थे। उन्होंने इस मौके – ”हमने राष्ट्रपति से अपील की है कि वह अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके राजधर्म की रक्षा करें। राष्ट्रपति से हमने पिछले दिनों में दिल्ली में जो कुछ हुआ है, उस पर चिंता जताई है। यह शर्म की बात है कि ३४ लोगों की मौत हो गयी है और २०० लोग घायल हो गए हैं। ये बताता है कि सरकार किस तरह से नाकाम हो गई है।”

प्रतिनिधमंडल में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के अलावा गुलाम नबी आज़ाद, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, आनंद शर्मा, रणदीप सुरेजवाला समेत कई नेता शामिल थे।

भारत महिला टी-२० विश्व कप क्रिकेट के सेमीफाइनल में पहुंचा, न्यूजीलैंड को पीटा

भारत की महिला टीम आईसीसी महिला टी२० वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल में पहुँच गया है। एक रोमांचक मैच में भारतीय महिला टीम ने गुरूवार को मेलबर्न में न्यूजीलैंड को चार रन से हरा दिया। भारतीय टीम ने २० ओवर में ८ विकेट खोकर १३३ रन बनाए और १३४ रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी न्यूजीलैंड की टीम २० ओवर में ६ विकेट पर १२९ रन ही बना पाई। शानदार ४६ रन बनाने वाली शेफाली वर्मा को ”प्लेयर ऑफ द मैच” चुना गया।

भारत को अभी श्रीलंका से एक मैच खेलना है लेकिन उसमें हार-जीत से भारत को कोइ फर्क नहीं पड़ेगा। अभी तक खेले तीनों मैच भारत ने जीते हैं। पहले भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश को हराया था।

मेलबर्न के जंक्शन ओवल मैदान में आज खेला गया मैच काफी रोमांचक रहा। भारत की स्टार गोलंदाज पूनम यादव ने जब १९वें ओवर में १८ रन दे दिए तो एक मौके पर लगा कि न्यूजीलैंड यह मैच जीत सकता है। लेकिन अंतिम ओवर में पहली ही गेंद पर चौक्का मारने के बाद न्यूजीलैंड की खिलाड़ी आखिरी गेंद पर रन आउट हो गयी।

भारत ने पहले खेलते हुए १३३/८ का स्कोर बनाया। शेफाली वर्मा ने ३४ गेंद में तीन छक्कों और चार चौक्कों की मदद से शानदार ४६ रन की धुआंधार पारी कहेली। उन्हें ”प्लेयर ऑफ द मैच” भी चुना गया।

टॉस हारकर पहले खेलते हुए भारतीय टीम में स्मृति मंधाना ने वापसी की, लेकिन सिर्फ ११ रन बनाकर तीसरे ही ओवर में १७ के स्कोर पर आउट हो गई। शेफाली ने तानिया भाटिया (२५ गेंद २३ रन) के साथ दूसरे विकेट के लिए ५१ रन जोड़े।
भारतीय टीम के मध्यक्रम को दुबारा फ्लॉप होना पड़ा। इसी कारण बड़ा स्कोर नहीं बन सका। जेमिमा रॉड्रिग्स ९, कप्तान हरमनप्रीत कौर एक, दीप्ति शर्मा ८ और वेदा कृष्णमूर्ति ६ रन बनाकर आउट हो गईं। राधा यादव ने ९ गेंद में नाबाद १४ और शिखा पांडे १४ गेंदों में नाबाद १० रन बनाकर स्कोर को सम्मानजनक स्थिति तक पहुँचाया।

न्यूजीलैंड के लिए एमेलिया केर और रोजमैरी मैर ने दो-दो विकेट लिए।

न्यूजीलैंड की पारी शुरू हुई तो बहुत बेहतरीन तरीके से जब पहले ही ओवर में स्कोर बोर्ड पर १२ रन टंग गए लेकिन इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने मैच में शानदार वापसी करते हुए ९ ओवर तक न्यूजीलैंड के ३४ रन तक ३ विकेट गिरा दिए। उनकी स्टार बल्लेबाज सोफी डिवाइन १४, रचेल प्रीस्ट १२ और सूजी बेट्स महज ६ रन बनाकर आउट हो चुकी थीं।
इसके बाद मैडी ग्रीन (२३ गेंद में २४ रन ) और केटी मार्टिन (२८ गेंदमें २५ रन) ने चौथे विकेट के लिए ४३ रन की साझेदारी निभाकर भारीतय खेमे में चिंता पैदा कर दी। ग्रीन १५वें ओवर में चलती बनीं जिसके बाद उनपर दबाव बन गया। अंतिम पांच ओवर में न्यूजीलैंड को जीत के लिए ५५ रन चाहिए थे लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने दबाव बनाये रखा।

एमेलिया केर ने १९ गेंद में नाबाद ३४ और हेली जेन्सेन ने ७ गेंद में  ११ रन बनाकर छठे विकेट के लिए ३९ रन की उम्मीद भरी साझेदारी निभाई, लेकिन जीत की देहरी पर हार कर टीम थक गयी। भारत के लिए शिखा पांडे, दीप्ति शर्मा, पूनम यादव, राधा यादव और राजेश्वरी गायकवाड़ ने एक-एक विकेट लिया। शानदार ४६ रन बनाने वाली शेफाली वर्मा को ”प्लेयर ऑफ द मैच” चुना गया।

भड़काऊ भाषणों को लेकर सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने वाले जज मुरलीधर का आधीरात को तबादला

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा और भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को लेकर बुधवार को पुलिस और सरकार को कड़ी फटकार लगाने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर का आधी रात को ही तबादला कर दिया गया। क़ानून मंत्रालय ने बुधवार देर रात को ही उनके तबादले की अधिसूचना जारी कर दी और उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट तब्दील कर दिया गया है। कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस तबादले को ”ईमानदार न्यायपालिका का मुंह बंद करने की कोशिश” बताया है।

कानून मंत्रालय ने उनके तबादले की अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के साथ विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला किया गया है। इससे पहले १२ फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर समेत तीन जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी, हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पिछले हफ्ते कॉलेजियम से ट्रांसफर पर पुनर्विचार की मांग की थी।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध और समर्थन में आंदोलन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा और भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को लेकर बुधवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर ने पुलिस और सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। अब उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया गया है। जस्टिस मुरलीधर उच्च न्यायालय में जजों के वरिष्ठता क्रम में तीसरे स्थान पर थे।

हालांकि, जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर देश की राजनीति गरमा गयी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा – ”बहादुर जज लोया को याद करो, जिनका ट्रांसफर नहीं हुआ था। वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सबकुछ तय प्रक्रिया के मुताबिक ही किया गया है।” कांग्रेस महसचिव  प्रियंका गांधी ने कहा – ”ईमानदार न्यायपालिका का मुंह बंद करने से देश के करोड़ों लोगों का विश्वास टूटा है। रातोंरात जज का ट्रांसफर कर देना शर्मनाक है।”

यहाँ यह भी गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा और पीड़ितों के इलाज को लेकर मंगलवार रात साढ़े १२ बजे जस्टिस मुरलीधर के घर पर सुनवाई हुई थी। इसमें जस्टिस अनूप भंभानी भी शामिल थे। याचिकाकर्ता वकील सुरूर अहमद की मांग पर दिल्ली पुलिस को हिंसाग्रस्त मुस्तफाबाद के अल-हिंद अस्पताल में फंसे हुए मरीजों को पूरी सुरक्षा के साथ बड़े अस्पताल पहुंचाने का आदेश दिया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई की थी। इस दौरान दिल्ली में हिंसा और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाई थी। बेंच ने कहा था कि ”हिंसा रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाने की जरूरत है। हम दिल्ली में  १९८४ जैसे हालात नहीं बनने देंगे। इसलिए जो जेड सिक्योरिटी वाले नेता हैं, वे लोगों के बीच जाएं। उन्हें समझाएं, ताकि उनमें भरोसा कायम हो सके।”

जस्टिस मुरलीधर ने सुनवाई के दौरान ही दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भड़काऊ भाषणों के सभी वीडियो देखने का आदेश दिया था। उन्होंने कोर्ट में भाजपा नेता कपिल मिश्रा का वायरल वीडियो भी प्ले कराया था।

विपक्षी दल कांग्रेस ने आधी रात को हाईकोर्ट के जज के तबादले को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते हुए उसकी मंशा पर सवाल उठाए हैं। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा – ”यह भाजपा सरकार के हिट-एंड-रन और नाइंसाफी का बेहतर उदाहरण है। यह बदले की राजनीति है। सरकार ने भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं को बचाने के लिए जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर किया है। ऐसा लगता है कि जो न्याय के लिए आवाज उठाएगा, उस पर कार्रवाई होगी।”

दंगाइयों के लिए दिल्ली पुलिस, धारा-144 और ‘कर्फ्यू’ बने मजाक

उत्तर पूर्वी दिल्ली में 72 घंटे तक आगजनी, लूटपाट, मार-काट का नंगा खेल होता रहा और इस बीच केंद्र व दिल्ली सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। कहने को तो दिल्ली पुलिस ने हिंसा प्रभावित इलाकों में धारा-144 लगा दी, पर दंगाई और गुंडे खुलेआम हेलमेट पहनकर लोहे के रॉड, डंडे, पेट्रोल बम के साथ घरों, दुकानों और वाहनों को आग लगाते रहे। लोगों को पकड़-पकडक़र धार्मिक पहचान के आधार पर पीटते और लहूलुहान करते रहे। समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटकर नफरत फैलाते रहे।

इस बीच, केंद्र की मोदी सरकार, अमित शाह के तहत आने वाला केंद्रीय गृह मंत्रालय जिसके अंतर्गत दिल्ली पुलिस है, जिसकी राजधानी में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है। वह निष्क्रिय रही या कहें कि कुछ जगह तो दंगाइयों के साथ खड़ी दिखी। दंगाई यहां तक कि आगजनी मार-काट करने के बाद जब वापस निकले तो दिल्ली पुलिस जिंदाबाद और जयश्रीराम जैसे नारे लगाए।

शुरुआत में दंगों की जानकारी मिलने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शांति के लिए राजघाट जाकर ‘नाटक’ करते दिखे। बाद में हालात न संभलते देख सीएम कहते हैं कि प्रभावित इलाके में सेना की तैनाती की जाए। इससे बेकाबू हालात का अंदाजा लगा सकते हैं। यानी कि धारा-144 और कर्फ्यू भी दंगों को काबू करने में नाकाम रहे।

बुधवार को जब दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि जेड प्लस सेक्योरिटी वाले दंगा से प्रभावित इलाकों का दौरा करें और लोगों में भरोसा जताएं। इसके बाद कहीं कुछ हद तक नेताओं, पुलिसकर्मियों की आंखें खुलती हैं। कोर्ट ने सीधे तौर पर भडक़ाऊ बयान देने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया और कहा कि हम दूसरा 1984 नहीं बनने देंगे। इस सबके बावजूद, मामला शांत होता फिर भी नहीं दिखता।

यह भी अलग बात है कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर का बुधवार रात ही तबादले का आदेश जारी कर दिया जाता है। इससे अब इन नेताओं के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई होगी या नहीं, इस पर संशय कायम है। जज का ट्रांसफर किए जाने के बाद भी सियासी तूफानी भी खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने जहां केंद्र को निशाना बनाया तो भाजपा ने इस पर सफाई दी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के प्रभावित इलाकों में दौरे के बावजूद बुधवार देर रात भी मौजपुर, मुस्तफाबाद, खजूरी खास के  कुछ इलाकों में हिंसक घटनाएं हुईं, जबकि दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं। इन सबसे इतर जब लोगों को पुलिस पर से भरोसा उठता दिखा तो वे खुद ही दंगाइयों से निपटने की रणनीति बनाते हैं और दोनों समुदाय के लोग मिलकर उनको खदेड़ते हैं और मोर्चा संभालकर एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं।

तीन दिनों के बाद देश के प्रधानमंत्री का बयान भी आता है, वह भी ट्विटर पर, जिसमें वे लोगों से शांति और भाईचारा बनाए रखने की अपील करते हैं। इससे पहले तो वे अपने दोस्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगवानी में मशगूल थे। यह अलग बात है कि उनके दोस्त ट्रंप को दंगों की खबर मिल चुकी थी, पर मोदी से इस पर चर्चा करके उन्हें ‘असहज’ नहीं करना चाह रहे थे। इस पर अमेरिका में राष्ट्रपति की आलोचना भी की जा रही है।

हिंसा के लिए केंद्र जिम्मेवार, शाह इस्तीफा दें : सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली में हो रही हिंसा पर गहरी चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को दिल्ली में हिंसा बढ़ने का जिम्मेवार ठहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है। दिल्ली के जाफराबाद में कर्फ्यू लगा दिया गया है। कुछ पत्रकार भी हिंसा में घायल हुए हैं। अभी तक २० लोग इस हिंसा में जान गंवा चुके हैं।

सोनिया गांधी ने दिल्ली के केजरीवाल सरकार पर भी जिम्मेवारी में ढील बरतने का आरोप लगाया है। सोनिया गांधी की प्रेस कांफ्रेंस के तुरंत बाद पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा कि ”दिल्ली के भाई-बहन अमन बनाये रखें। जल्द से जल्द शांति बहाल करना जरूरी है।” इस बीच दिल्ली में एक आईबी अधिकारी का शव मिला है और आशंका है कि वह भी हिंसा का शिकार हुआ है।

सोनिया गांधी ने यह प्रेस कांफ्रेंस कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद की। कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी समेत सभी नेताओं ने दिल्ली की हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की और मृतकों के परिजनों से गहरी संवेदना जताई। सोनिया ने कहा कि इतने दिन से हिंसा फ़ैली है और गृह मंत्री को इसकी कोइ चिंता नहीं है। उन्हें इसकी जिममेवारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।

इस बीच दिल्ली में हिंसा वाले इलाके में आईबी के एक अधिकारी का शव मिला है। उनकी पहचान अंकित शर्मा के रूप में की गयी है। बताया गया है कि उनका शव वहां छिपाकर रखा गया था। अभी यह मालुम नहीं है कि उनकी ह्त्या किसने की है। हालांकि, परिजनों ने कुछ आरोप लगाए हैं।

दिल्ली के जाफराबाद में कर्फ्यू लगा दिया गया है। हिंसा में कई पत्रकार घायल हुए हैं। आरोप हैं कि हिंसा करने वाले लोग लोगों से उनके धर्म के बारे में पूछ रहे थे और उसी के आधार पर उनसे मारपीट कर रहे थे।

उधर सोनिया गांधी की प्रेस कांफ्रेंस के कुछ देर बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा – ”दिल्ली के भाई-बहन अमन बनाये रखें। जल्द से जल्द शांति बहाल करना जरूरी है।”

ब्रिटिश पुलिस से सीख ले दिल्ली पुलिस : सुप्रीम कोर्ट

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) कि खिलाफ और समर्थन में हिंसा, भडक़ाऊ बयानों पर रोक न लगाने में नाकाम रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। शाहीन बाग मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, दिल्ली की हिंसा में लोगों की मौत से हैरान हैं। इसे रोकने में पुलिस ने प्रोफेशनल तरीके से कार्रवाई नहीं की, हमें ब्रिटिश पुलिस से सीख लेनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, पुलिस की निष्क्रियता के बारे में कुछ कहना चाहेंगे। अगर, ऐसा नहीं कहा तो हम अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर पाएंगे। देश और संस्थान न के प्रति मेरी निष्ठा है। पुलिस की तरफ से इस मामले में निष्पक्षता और और प्रोफेशनलिज्म की कमी रही। 13 लोगों की मौत ने अदालत को भी हैरान किया, तभी एक वकील ने उन्हें बताया कि हिंसा में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। जस्टिस जोसेफ ने कहा- पूरे मामले में दिल्ली पुलिस में प्रोफेशनलिज्म की कमी दिखाई दी। अगर समय से रहते पहले ही कार्रवाई की गई होती, तो ऐसे हालात पैदा नहीं होते।

शीर्ष अदालत ने कहा, आप देखिए ब्रिटेन की पुलिस कैसे कार्रवाई करती है। अगर कोई लोगों को भडक़ाने की कोशिश करता है, तो ब्रिटेन पुलिस तुरंत एक्शन लेती है। वह आदेश का इंतजार नहीं करती। ऐसे हालात में पुलिस को आदेश के लिए इधर-उधर नहीं देखना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, पुलिस पर सवाल उठाने का यह सही समय नहीं है। इससे पुलिसकर्मियों में हताशा बढ़ेगी। उन्होंने कहा- ‘डीसीपी को भीड़ ने मारा। वे अभी वेंटिलेटर पर हैं। हम जमीनी हालात से वाकिफ नहीं हैं। पुलिस किन हालात में काम करती है।’ उन्होंने पीठ से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसक घटनाओं की मीडिया रिपोर्टिंग रोकने की मांग की। साथ ही मीडिया को अदालत की टिप्पणियों को हेडलाइन न बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आदेश दे कि जजों की टिप्पणी को मीडिया में हेडलाइन न बनाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग इलाके से प्रदर्शनकारियों को हटाने की याचिका पर बुधवार को कोई अहम आदेश नहीं दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि मध्यस्थों की रिपोर्ट देखकर लगता है कि प्रदर्शनकारियों से बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली। ऐसे माहौल में सुनवाई करना ठीक नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी।

राजस्थान में बस हादसा, २५ की मौत

एक बड़े सड़क हादसे में राजस्थान के बूंदी जिले में २५ लोगों की मौत हो गयी है। यह हादसा एक बस के बुधवार को नदी में गिर आने से हुआ। यह बस बारातियों से भरी हुई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कोटा-दौसा मेगा हाइवे पर ३० बरातियों को लेकर जा रही बस एक नदी में जा गिरी। हादसे में कुछ यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। राहत और बचाव कार्य जारी है।

हादसे का शिकार बस दादीबाड़ी (कोटा) से बरातियों को लेकर सवाई माधोपुर जा रही थी कि कोटा-लालसोट मेगा हाइवे पर अनियंत्रित होकर मेज नदी में जा गिरी।  हादसे की जानकारी लगते ही ग्रामीण मौके पर पहुंचे और लोगों को बचाने की कोशिश में जुट गए।

इस बीच गहलोत सरकार ने हादसे में जान गंवाने वाले लोगों तत्काल मदद देने का निर्देश दिया है। मृतकों को २-२ लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हादसे पर दुःख जताया है और मृतकों के परिजनों से संवेदना जताई है।