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नियमित जांच न होने के कारण लोगों में बढ़ रहा मानसिक तनाव

कोरोना वायरस नामक विचित्र बीमारी ने सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य सहित पूरे सिस्टम को अस्त-व्यस्त इस कदर कर दिया है कि अब लोगों में कोरोना वायरस के साथ -साथ तमाम वे उलझनें सामने आ रही हैं, जिनकी उनको उम्मीद तक नहीं थी। दिल्ली में लोगों का हाल बेहाल है। लोग मानसिक रोग की चपेट में आ रहे हैं। स्वास्थ्य संबंधी तकलीफे लोगों को झझकोर कर रख दे रही हैं। लॉकडाउन होने के कारण और सोशल डिस्डेंस होने की वजह से लोगों में कोरोना वायरस के अलावा उन रोगियों में अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा डर सता रहा है। जो हार्ट, मधुमेह, मोटापा, अस्थमा और न्यूरों जैसी बीमारी का नियमित इलाज करा रहे थे। अब उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच नहीं हो पा रही है। इसके कारण वे मानसिक रोग के साथ उनका रोग और भी गंभीर होता जा रहा है। तहलका संवाददाता ने दिल्ली के डाक्टरों से बात की और इस समय बीमारियों से बचाव की जानकारी ली। तो उन्होंने बताया कि मौजूदा हाल में हालात ऐसे नहीं हैं कि कोरोना जैसे संक्रमण को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही बरती जाए। क्योंकि जरा सी लापरवाही काफी घातक हो सकती है। दिल्ली मेडिकल ऐसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल बंसल ने बताया कि भारत देश में 30 प्रतिशत सरकारी और 70 प्रतिशत प्राइवेट स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे हमारे देश का स्वास्थ्य सिस्टम चलता है। और इसमें भी आम आदमी को इलाज बेहत्तर मिलता भी रहा है। पर किसी को क्या पता था कि कोरोना वायरस सारी दुनिया के स्वास्थ्य सिस्टम को तोड़ कर रख देगा। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के कारण प्राइवेट स्वास्थ्य सेवायें बंद हैं। ऐसे में इन प्राइवेट अस्पताल में जिन रोगियों को इलाज होता था  उनको काफी दिक्कत हो रही है। डॉ बंसल का कहना है और सरकार से मांग है कि वे कोरोना के अलावा उन रोगियों के लिये पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था करें, ताकि किसी मरीज को इलाज के अभाव में कोई परेशानी का सामना ना करने पड़े।
साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डॉ विवेका कुमार ने कहा कि हार्ट रोगियों को नियमित जांच की जरूरत होती है। शुगर और बीपी की जांच भी जरूरी होती है। पर ऐसे समय में कोरोना वायरस के कहर के सामने रोगियों का घर पर ही रहना अच्छा है। डॉ. विवेका कुमार का कहना है कि पूरे देश से मरीज मैक्स में हार्ट का इलाज कराने आते है । पर इस समय लॉक डाउन के कारण आना जाना बंद है। ऐसे हालात में रोगियों को फोन पर ही बचाव की जानकारी दें रहे हैं, ताकि रोगी घर बैठे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें।
कालरा अस्पताल के हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ आर एन कालरा ने बताया कि कोरोना वायरस के कहर के कारण लोगों में एक भय है, और लॉकडाउन होने की वजह से ओपीडी बंद हैं । जिसके कारण रोगियों को दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि दिल्ली जैसे महानगर में मोटापा और मधुमेह रोगियों को नियमित व्यायाम की जरूरत होती है। पर इस समय लॉकडाउन होने के कारण घरों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। जिसके कारण कुछ लोगों में मानसिक तनाव और मानसिक विकार शिकायत होना स्वाभाविेक है। क्योंकि दिल्ली में ज्यादात्तर लोग अपने छोटे- छोटे, घरों में रहने को ही मजबूर हैं। एम्स के नैत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक कुमार का कहना है कि कोरोना वायरस एक घातक महामारी है। पर इसमें जरा सी सावधानी और साफ -सफाई पर ध्यान दिया जाये, तो कोरोना वायरस का खात्मा किया जा सकता है। डॉ आलोक कुमार ने कहा कि आंखों में और नाक में बार -बार हाथों को न लगाये । बार -बार साफ पानी से अपने हाथों को धोएं जिससे संक्रमण ना पनपने पाये।

अप्रैल आखिर तक लॉक डाउन बढ़ाने का आज ऐलान कर सकते हैं पीएम मोदी

देश में लॉक डाउन दो हफ्ते और बढ़ाने की तैयारी है। कमोवेश सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को पीएम मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसके बाद पीएम मंत्रिमंडल सहयोगियों से इसपर चर्चा कर आज ही या कल इसका ऐलान कर सकते हैं। चूंकि, लॉक डाउन से किसानों को फसल की कटाई आदि को लेकर दिक्क्तें हैं और मुख्यमंत्रियों ने इस मसले को पीएम से उठाया है, इसे देखते हुए पीएम किसानों के लिए भी कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

देश में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों के संख्या और पूरी स्थिति को लेकर पीएम मोदी ने आज लॉकडाउन के मद्देनजर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग की और इसमें लॉकडाउन को आगे बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई। जानकारी के मुताबिक राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन बढ़ाने का समर्थन किया है।

इस वीडियो कांफ्रेंसिंग में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे, पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लॉकडाउन अवधि बढ़ाने की मांग की। उनका कहना था कि लॉकडाउन की मियाद ३० अप्रैल तक कर दी जानी चाहिए। पीएम ने कहा  कि राज्य सरकारों की बात पर अमल किया जाएगा।

उधर पश्चिम बंगाल की मख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस दौरान राज्य के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक मदद की भी मांग की। अब पीएम लॉकडाउन को बढ़ाने या हटाने को लेकर आज या कल कोइ ऐलान कर सकते हैं। पीएम ने इस दौरान मुख्यमंत्रियों से यह भी कहा – ”मैं २४ घंटे आपके लिए उपलब्ध हूं। सीएम कभी भी मुझसे बात कर सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं। इस संकट में हम सभी को कंधे से कंधा मिला कर खड़े होना है।”

पीओके में आतंकी ठिकाने ध्वस्त, बौखलाई पाकिस्तानी सेना

पिछले दिनों पाकिस्तान की ओर से सीमा पर आतंकियों को घुसपैठ कराने की फिराक में की गई भारी गोलाबारी की आड़ में भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। अब इसका बदला भारतीय सेना ने शुक्रवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले पीओके में बड़ा जवाबी हमला कर कई आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए हैं। इसमें कई दहशतगर्द मारे गए हैं। जवाबी हमले का भारतीय सेना ने एक वीडियो भी जारी किया है।

पीओके में भारतीय सेना के हमले के बाद से पाकिस्तान की सेना बौखला गई है। पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने भारी तोपखाने और मोर्टार की मदद से नियंत्रण रेखा पर स्थित शाहकोट सेक्टर में ये हमले किए।

सेना की बोफोर्स तोपों ने भारतीय सीमा में आतंकियों की घुसपैठ नापाक साजिश रचने वाले पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी है। भारत ने ड्रोन विमान से लिए आतंकी ठिकाने पर हमले के वीडियो को जारी करके पाकिस्तान के सत्ताधारियों और सेना को चेताया है कि हम न सिर्फ मारेंगे, बल्कि पूरी दुनिया को भी दिखाएंगे।

सब्जी विक्रेताओं से मांगा जा रहा आधार कार्ड

कोरोना वायरस नामक आपदा से आज सारी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। अब सरकार के लाख दावों के बावजूद दिल्ली में राशन, किराना स्टोर वाले और सब्जी वाले अपनी मनमर्जी के मुताबिक रेट पर बिक्री कर रहे हैं। लोगों को महंगा सामान खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। तहलका संवाददाता ने राशन, किराना स्टोर और सब्जी बिक्रेताओं से बात की, तो उन्होंने बताया कि थोक में सामान व सब्जियां जब महंगी हो जाती हैं, तब उनको फुटकर भी महंगी ही बेचने पड़ती है। 22 मार्च तक जो खुला चक्की का आटा 25 रुपये किलो बेचा जा रहा था, 23 मार्च से 27 रुपये प्रति किलो हो गया था। अब 3 अप्रैल से 30 और 32 रुपये किलो बेचा जा रहा है। ऐसे में गरीबों को काफी दिक्कत हो रही है। इसी तरह दालों के दाम दिन ब दिन दुकानदार बढ़ा-चढ़ाकर बेच रहे हैं। यही हाल सब्जी के दामों का है। मसलन टमाटर 4 अप्रैल तक 20 रुपये किलो बिक रहा था, वह 40 से 50 रुपये किलो बिकना शुरू हो गया है। इसी तरह आलू 30 से 35 रुपये किलो तक बिक रहे हैं।

इसके पीछे बाजारों में घूमते दलालों का वर्चस्व का होना है। वे गली-मोहल्लों में अब बड़ी आसानी से पता लगा रहे हैं कि कहां पर किस सामान की कमी है। ऐसे में जो जमाखोर हैं, जो पुलिस और दिल्ली सरकार की नजरों में नहीं हैं, वे बड़ी आसानी से मौके का फायदा उठा रहे हैं। त्रिलोकपुरी और कोण्डली में दिल्ली के अन्य बाजारों की तुलना में सामान और सब्जी सस्ते दामों में मिलते रहे हैं। पर दिनों वहां पर भी कालाबाजारी और सामानों को काफी महंगा बेंचा जाने लगा है। यहां के ही निवासियों के अनुसार, इसी क्षेत्र में तमाम जमाखोर ऐसे हैं, जिनकी पुलिस और दिल्ली सरकार में पकड़ है। इसके कारण जमाखोर अब इस विपदा के समय में जमकर पैसा कमाने में लगे हैं। बताते चले कि यह एरिया काफी पिछड़ा माना जाता है। इस कारण यहां का बाजार कभी भी चर्चा में नहीं रहा है। पर इन दिनों महंगे बिकते सामानों की वजह से काफी चर्चा में है।

त्रिलोकपुरी और कोण्डली में दिनों यहां पर एक नया माहौल बनता जा रहा है कि अब सब्जी विक्रेताओं के आधार कार्ड देखकर ही सब्जी की खरीददारी की जा रही है, जिससे माहौल बनने और बिगड़ने में देर नहीं लग सकती है। क्योंकि कुछ सब्जी विक्रेता अपना आधार कार्ड को नहीं बताते हैं, इससे अब यहां पर सब्जी विक्रेता और ग्राहक बीच झगड़ा आम बात हो गयी है।

यहां के स्थानीय निवासियों- अमरीश और अजीत का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान जो माहौल यहां बना था, उसी तर्ज पर कोरोना वायरस लड़ाई में बनता जा रहा है। इसलिए अब आधार कार्ड से ही कोरोना कार्ड खेला जा रहा है। सब्जी वालों ने बताया कि वे असल में पढ़ाई और अन्य काम में लगे थे। पर कुदरत का कहर ऐसा बरपा कि सब काम-काज बंद हो गये। लोगों का आना-जाना भी बंद हो गया सोशल डिस्डेंस के कारण मेल-मिलाप भी बंद हो गया है। ऐसे में रोजी-रोटी के कारण मजबूरी में उनको सब्जी बेचनी पड़ रही है। अगर इस हालात में उनसे कोई आधार कार्ड मांगता है, तो उन्हें काफी दिक्कत होती है।

सरकार ने सभी नागरिको से आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करने की अपील की

आरोग्य सेतु ऐप’ के जरिए आप कोरोना वायरस के जोखिम, प्रसार, उपचार सहित कई बातों को जान सकते हैं। ब्लूटूथ और जीपीएस के द्वारा इस एप का इस्तेमाल किया जा सकता है।

ऐसे करें ऐप डाउनलोड

इस ऐप को आप आईओएस और एंड्रॉयड दोनों पर ही डाउनलोड किया जा सकता है। एंड्रायड के प्ले स्टोर और आईओएस के एप स्टोर में जाकर आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) टाइप करें। जिसके बाद आप इसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

ऐसे पता करे ​कोरोना संक्रमण

इस ऐप में आप रंग के कोड्स के आधार में जान पाएंगे कि आप खतरे में है या नहीं।

हरा रंग

यदि आपको हरा रंग दिखाई देता है तो समझ लें कि आप सुरक्षित हैं। लेकिन इससे आगे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा खयाल रखें।

पीला रंग

यदि आपको पीला रंग दिखाई देता है तो इसका मतलब है कि आप बहुत जोखिम में हैं। और तुरंत एप में दिए हुए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।

ऐसे करें जांच खुद की

आरोग्य सेतु ऐप में जाकर ‘ सेल्फ एसेसमेंट टेस्ट’ के फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके ऑप्शन में जाकर क्लिक करें। जहां पर एक चैट विंडो खुलेगी। जिसपर आपसे कुछ हैल्थ संबंधी सवाल पूछे जाएंगे। जिनका जवाब देकर आप आसानी से जान सकते हैं कि आप कोरोना से संक्रमित हैं या नहीं। इस ऐप के जरिए आप खुद कोरोना के प्रति सावधान रख सकते हैं।

पंजाब में कर्फ्यू पहली मई तक बढ़ाने को मंत्रिमंडल की मंजूरी, १३२ लोग संक्रमित

पंजाब मंत्रिमंडल ने सूबे में कर्फ्यू की अवधि पहली मई तक बढ़ाने को मंजूरी प्रदान कर दी है। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए यह फैसला किया गया है।

चंडीगढ़ में आज पंजाब मंत्रिमंडल की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया गया। सीएम ने गुरूवार को ही राज्य में लॉकडाउन की अवधि आगे बढ़ाने के संकेत दे दिए थे। सीएम ने कहा था कि १५ अप्रैल से किसानों को फसलों की कटाई के लिए लॉकडाउन में ढील दी जाएगी हालांकि इसमें सामाजिक दूरी का ध्यान रखा जाएगा।

सीएम ने वीडियो लिंक के जरिये पत्रकारों को जानकारी दी कि उनकी सरकार ने पहले लॉकडाउन किया और बाद में कर्फ्यू लगाया। सिंह ने कहा – ”इसके बाद हमने  लोगों तक जरूरी वस्तुओं को पहुंचाना सुनिश्चित किया। सरकारी लोग हर मोहल्ले में पहुंचकर जरूरी चीजें लोगों तक पहुंचा रहे हैं।”

कैप्टेन ने कहा कि करीब डेढ़ लाख लोग विदेश से पंजाब में आए हैं। उनके मुताबिक इन लोगों की जांच की गयी और उन्हें आम जनता या उनके परिजनों से अलग (आईसोलेशन में) रखा गया। इनमें से ज्यादातर स्वस्थ होकर घर भेजे जा चुके हैं। सीएम ने कहा – ”प्रदेश में अब तक ११ लोगों की जान गयी है हालांकि स्थिति नियंत्रण में है। कुल १३२ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है जबकि अब तक २८७७ लोगों की जांच की जा चुकी है”।

लगातार तीन दिन १४०० किलोमीटर तक स्कूटी चला फंसे बेटे को घर ले आई मां

कोरोना काल की ब्रेव स्टोरीज का जब भी जिक्र होगा तो हैदराबाद की रजिया बेगम की कहानी जरूर याद की जाएगी। लॉक डाउन के बीच यह कहानी अपने बेटे को लाने के लिए १४०० किलोमीटर का लंबा सफर दोपहिया स्कूटी में तय करने वाली ५० साल की एक मां की है। उनके पति की बहुत पहले मृत्यु हो गयी थी।

रजिया बेगम तेलंगाना में निजामाबाद के बोधन नगर में रहती हैं। उनका बेटा लॉक डाउन के कारण आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में फंस गया था। दरअसल उनका बेटा मोहम्मद निजामुद्दीन हैदराबाद में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। वो अपने दोस्त के साथ नेल्लोर गया था, जहां दोस्त के पिता अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे। अचानक २३ मार्च को लॉकडाउन घोषित हो गया और वो दोस्त के घर ही फंस गया।

एक सरकारी शिक्षिका रजिया अपने बेटे को लाने के लिए प्रशासन से बात करती हैं और उन्हें इसकी इजाजत मिल जाती है। यह मां अपनी स्कूटी स्टार्ट करती है और अपने बेटे को लाने के लिए ७०० किलोमीटर के एकतरफा लंबे सफर पर निकल जाती है।

सोमवार सुबह स्कूटी से निकलकर वो ७०० किलोमीटर का लम्बा सफर तय करके  मंगलवार की दोपहर आंध्र प्रदेश के नेल्लोर पहुंचती हैं। वहां वह अपने १७ साल के बेटे मोहम्मद निजामुद्दीन को देखकर भावुक हो रो पड़ती हैं और उसे गले लगा लेती हैं। बेटा भी मां का यह त्याग और प्रेम देखकर भावुक हो जाता है। फिर रजिया उसे अपने साथ स्कूटी पर बिठाकर वापस घर के लिए लौट पड़ती हैं।

इस तरह यह मां लगातार तीन दिन से भी ज्यादा तक स्कूटी चलाकर १४०० किलोमीटर का सफर तय करती है। दरअसल उनका बेटा नेल्लोर में दोस्त के घर पर फंस गया था। लॉकडाउन के कारण यह काम बहुत असंभव सा था लेकिन बोधन जिले के उप पुलिस कमिश्नर वी जयपाल रेड्डी ने उनकी काफी मदद की।

लौटकर रजिया बताती हैं कि बेटे को लेने जाने की मंजूरी प्रशासन से मांगने पर  जयपाल रेड्डी ने उन्हें एक विशेष लेटर (पास) जारी किया ताकि उन्हें कोइ रास्ते में रोके नहीं। वैसे रास्ते में उन्हें काफी रोका-टोका गया। हालांकि रेड्डी का पात्र उनके काफी काम आया। इस तरह रजिया बेगम बेटे को घर लाने में सफल हुईं।

धारावी में पॉजिटिव मामले २२ हुए, देश भर में मौत का आंकड़ा २०० के पार

मुंबई के धारावी, जो एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है, में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से चिंता जताई जाने लगी है। वहां शुक्रवार को पांच नए मामले सामने के बाद कोरोना पॉजिटिव की संख्या २२ हो गयी है। वहां अब तक तीन लोगों की मौत भी हुई है। उधर देश भर में मौत का आंकड़ा २०० के पार निकल गया है जबकि ५०४ लोग स्वस्थ होकर घर भेज दिए गए हैं।
उधर भारत में केंद्र सरकार के घोषित लॉकडाउन का १७वां दिन है जबकि १४ अप्रैल को लॉकडाउन खत्म करने या न करने को लेकर चर्चा जारी है। फिलहाल शनिवार को पीएम मोदी की सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग होंगी जिसके बाद इसपर कोइ घोषणा हो सकती है। अभी तक के संकेत यही हैं सभी राज्य लॉक डाउन बढ़ाने के हक़ में हैं।
बीएमसी के मुताबिक धारावी के ५ नए कोरोना पॉजिटिव मामलों वाले लोगों में से दो दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज सभा से लौटे थे। वे पहले से ही राजीव गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में क्वारंटाइन में थे और अब उन्हें एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है।
संक्रमित लोगों में दो महिलाएं हैं जिनमें से एक महिला (२९) वैभव नगर के पहले से ही संक्रमित एक डॉक्टर की पत्नी है, जबकि दूसरी (३१) कल्याणवाड़ी की है। याद रहे  धारावी एशिया का सबसे बड़ा झुग्गी बस्ती इलाका है, जहां करीब १५ लाख लोगों का ठिकाना है।
इस बीच देश भर में अब कोरोना विषाणु से मरने वालों की संख्या २०० के पार चली गयी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले १२ घंटे में ५४७ नए मामले सामने आए हैं, वहीं ३० लोगों की जान गयी है। कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या भी बढ़कर ६४१२ पहुंच गई है, जिनमें से ५७०९ लोगों का इलाज चल रहा है जबकि ५०४ लोग स्वस्थ होकर अपने घरों को चले गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति नहीं है लेकिन हमें बेहद सावधान रहने की जरूरत है। इसके  अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी डी रवि ने कहा कि विदेशों से अबतक २० हजार से ज्‍यादा भारतीय निकाले गए हैं। यह चलने वाली प्रक्रिया है। हम इस काम में बेहतर सहयोग हासिल कर रहे हैं।

केंद्र का कोरोना के लिए १५,००० करोड़ रूपये के इमरजेंसी पैकेज का ऐलान, पीएम बोले उचित सावधानी जरूरी

केंद्र सरकार ने कोरोना के लिए १५,००० करोड़ रुपए के इमरजेंसी पैकेज का ऐलान किया है। इस पैसे को कोरोना के लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्र ने विशेषज्ञों की टीमें कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में भेजने का फैसला भी किया है।

जानकारी के मुताबिक केंद्र ने टीमें उन जिलों में भेजने का फैसला किया है जो कोरोना से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। देश में कोरोना के अब तक ५७३४ मामले आ चुके हैं जबकि १६६ लोगों की मौत होने का सरकारी आंकड़ा आज जारी किया गया है।

इससे पहले भी सरकार ने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए १.७० लाख करोड़ रूपये जारी करने का ऐलान किया था। अब १५,००० करोड़ रूपये देश भर में कोरोना से लड़ने के लिए जारी किये गए हैं। इसका फैसला अब से कुछ देर पहले केंद्र सरकार ने किया है।

इसे इमरजेंसी पैकेज का नाम दिया गया है। इससे पहले पीएम मोदी विपक्ष के नेताओं के अलावा, अधिकारियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करते रहे हैं। इन वीडियो कांफ्रेंसिंग में वे उनसे सुझाव भी लेते रहे हैं। लॉक डाउन को लेकर भी कहा जा रहा है कि इसे १४ अप्रैल से आगे तक बढ़ाया जा सकता है।

पीएम का ट्वीट
इस बीच पीएम मोदी ने कोरोना को लेकर ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि महामारी से निबटने के लिए उचित सावधानी बरतनी होगी। कहा कि सिर्फ डरने से कुछ लाभ नहीं होगा। उन्होंने लोगों से आरोग्य सेतु डाउनलोड करने का भी आग्रह किया है।

सोनिया गांधी विज्ञापन प्रतिबंध पर अपना सुझाव वापस लें, इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी ने की मांग

इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सरकार और पीएसयू के मीडिया को दिए जाने वाले विज्ञापनों पर दो साल तक प्रतिबंध लगाने के सुझाव की निंदा की है। इंडियन न्यूज पेपर्स सोसायटी (आईएनएस) सदस्यों के समस्त समुदाय की ओर से सोसायटी के अध्यक्ष शैलेश गुप्ता ने एक बयान में इसपर असहमति जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष के सुझाव की निंदा की है।

बयान ऐसे समय में आया है जब मीडिया कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर महामारी की ज़मीनी स्थिति पर लगातार ख़बरें कर रहे हैं। आईएनएस प्रमुख ने कहा कि सोनिया गांधी का प्रस्ताव ”वित्तीय सेंसरशिप” जैसा है। उन्होंने कांग्रेस प्रमुख से ”जीवंत और स्वतंत्र प्रेस” के हित में यह सुझाव वापस लेने को कहा।

INS President Shailesh Gupta

आईएनएस के बयान में कहा गया है, ”जहां तक इस सरकारी खर्च का संबंध है, यह बहुत छोटी राशि है लेकिन यह अखबार उद्योग के लिए एक बड़ी राशि है, जो किसी भी जीवंत लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है”। उन्होंने कहा “प्रिंट एकमात्र उद्योग है, जिसमें एक वेतन बोर्ड है और सरकार यह तय करती है कि कर्मचारियों को कितना भुगतान किया जाना चाहिए। यह एकमात्र उद्योग है जहां बाजार की ताकतें वेतन का फैसला नहीं करती हैं लिहाजा सरकार की इस उद्योग के प्रति एक जिम्मेदारी है”।

यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि मंदी और डिजिटल विस्तार के चलते पहले ही विज्ञापन और प्रसार राजस्व में गिरावट आई हुई है। बयान में कहा गया, “संपूर्ण लॉक डाउन के कारण उद्योगों और व्यापार के बंद होने से हमें पहले ही गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।”

आईएनएस का यह ब्यान न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के उस ब्यान के एक दिन बाद आया है जिसमें उसने (एनबीए) भी सोनिया गांधी के दो साल के लिए सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मीडिया विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के सुझाव की कड़ी निंदा की थी। एनबीए ने कांग्रेस अध्यक्ष को “स्वस्थ और स्वतंत्र मीडिया” के हित में दो साल के लिए मीडिया विज्ञापनों पर “पूर्ण प्रतिबंध” के बारे में प्रधानमंत्री को दिए गए अपने सुझाव को वापस लेने के लिए कहा है।

याद रहे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में, गांधी ने कोविड-19 से लड़ने के लिए कई सुझाव दिए थे, जिसमें टेलीविजन, प्रिंट और आन लाइन जैसे मीडिया संस्थानों को सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विज्ञापनों पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगाने का सुझाव भी शामिल था।