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लॉकडाउन का समय बढ़ाये जाने से कई लोगों में आक्रोश

कोरोना वायरस के कहर को देखते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने संबोधन में साफ कर दिया है कि लॉक डाउन आगामी 3 मई तक जारी रहेगा और 15 अप्रैल से एक सप्ताह तक विशेष सख्ती के साथ नजर रखी जाएगी। ताकि कोरोना वायरस के मामलों को रोका जा सके। प्रधानमंत्री के संबोधन को लेकर पूरे देश को इंतजार था और उम्मीद थी कि लॉक डाउन में राहत के साथ कुछ विशेष छूट अपने घर गांव में आने- जाने को मिल सकती है। पर ऐसा नहीं हो सका। इसके कारण कुछ लोगों को सरकार की नीतियों को लेकर काफी आक्रोश भी है।
तहलका संवाददाता को दिल्ली के व्यापारियों, दिहाड़ी मजदूरों और छात्रों ने बताया कि सरकार अब कोरोना वायरस के नाम पर ज्यादा सख्ती कर रही है। जिसके कारण लोगों में काफी हीन भावना और तनाव वाली स्थिति पैदा हो रही है। अब बात करते हैं दिल्ली के व्यापारियों का लक्ष्मी नगर मेें इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाने वाले सुरेश ने बताया कि गर्मी के मौसम में ही फ्रिज और ए सी की बिक्री होती है। होली के बाद से दुकान में ग्राहक अपने घरों में ए सी और फ्रिज खरीदकर ले जाते रहे हैं। पर अब तो कोरोना वायरस के कहर के बाद से ही 22 मार्च से उनकी दुकान पूरी तरह से बंद है। उन्होंने अपनी दुकान में जनवरी और फरवरी में काफी इलेक्ट्रॉनिक सामान को जमा कर रखा था, जो वो सालों से करते आ रहे थे। पर इस बार कोरोना वायरस का सितम लोगों को काफी परेशान कर रहा है। सुरेश ने सरकार से अपील की है कि कोरोना वायरस के साथ साथ व्यापारियों के लिये कोई रास्ता निकाले अन्यथा सब बर्बाद हो जाएगा। क्योंकि गर्मी निकल जाने पर कोई फ्रिज और ए सी नहीं खरीदता है। दरियागंज के व्यापारी विजय जैन और सदर बाजार व्यापार संघ के अध्यक्ष राकेश यादव ने बताया कि अब तक के इतिहास में व्यापार में ऐसा घोर अंधकार उन्होंने कभी नहीं देखा है। अगर सरकार व्यापारियों के हित को नजरअंदाज किया और लॉक डाउन बढाते गये तो वो दिन दूर नहीं है, जब व्यापारी सड़कों पर होगा। राकेश यादव का कहना है कि कोई ऐसी नीति सरकार बनाती की लॉक डाउन के दौरान भी व्यापार भी चलता रहता। पर ऐसा नहीं होने से व्यापारियों में काफी हताशा है। उन्होंने बताया कि व्यापारी बाजार का पैसा भी अपने कारोबार में लगाता है। अगर बाजार का पैसा ही व्यापार में लाभ नहीं दे पाया, तो निश्चित ही व्यापारी काफी संकट में आ जाएगा।
दिहाड़ी मजदूर जो आज कल घर में बैठकर इंतजार कर रहे है कि लॉक डाउन खुले और वे अपने घर गांव में जाएं। पर आज प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद वे काफी निराशा में है कि अब क्या किया जाये? दिहाड़ी मजदूर धनी सिंह और सुखदेव ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले है। परिवार सहित दिल्ली में कही भी मकान में चुनाई का काम करते आ रहे हैं और वे दिल्ली में करीब दो साल से बड़े मजे से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है, तबसे उनको काम के साथ दाम की दिक्कत काफी हो रही है। मजदूर धनी सिंह  का कहना है कि सरकार मजदूरों को घर गांवों में पहुंचाने का इंतजाम करे, अन्यथा वे पैदल ही सही पर दिल्ली को छोड़कर अपने गांवों में चले जाएंगे। क्योंकि गांव में खेती का काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सरकार पर तानाशाही होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोना वायरस से तो वो बच सकते हैं। पर आर्थिक तंगी के कारण उनको काफी दिक्कत हो सकती है।
छात्रों की अपनी भी अलग पीड़ा है। छात्र राघव पांडेय और अभिषेक गुप्ता का कहना है कि वे सीए फाइनल की परीक्षा को देने होली के बाद दिल्ली आये थे, क्योंकि सीए फाइनल की परीक्षा हर साल मई के पहले सप्ताह में शुरू हो जाती है। पर इस बार तो परीक्षा के होने और न होने को लेकर असंमजस में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया है कि 3 मई तक लॉकडाउन रहेगा । ऐसे में तो आगे भी लॉकडाउन को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि अब देश में जिस गति से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। उससे तो यहीं लगता है कि कोरोना वायरस का कहर अभी हाल में रुकने वाला नहीं है। बताते चले राघव पांडेय और अभिषेक गुप्ता दोनो बिहार के गोपाल गंज के रहने वाले है। दोनों छात्रों ने बताया कि उन्होंने बिहार सरकार से अपील की है कि बिहार के छात्रों को बिहार बुलाने के लिये कोई समाधान निकाले जिससे छात्र बिना परेशानी के अपने घर गांव आ सकें। एमबीए की पढ़ाई करने वाले वाले आर के पारासर ने बताया कि सरकार भी गरीबों के साथ अजीब मजाक करती है। कहती है कि कोई मकान मालिक अभी लॉक डाउन के दौरान किरायेदारोें से किराये न मांगे, पर कहीं ऐसा होता है। खासकर दिल्ली जैसे शहर में जहां पर मकान मालिकों का रोजी-रोटी का जरिया ही किराये पर मकान देना है। आरके पारासर का कहना है कि 10 अप्रैल को उनके मकान मालिक ने किराया मांग लिया था, क्योंकि किराया देने की तारीख ही हर महीने को 10 तारीख होती है।

मीडिया को आवश्यक सेवा मानें और सम​र्थन दें सरकारें : यूनेस्को

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने फेक न्यूज को रोकने के लिए सभी सरकारों को समाचार मीडिया को आवश्यक सेवा के तौर पर मान्यता व समर्थन देने को कहा है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) में संचार और सूचना संबंधी नीतियों व रणनीतियों के निदेशक गाइ बर्जर ने कहा कि मुश्किल से ही ऐसा कोई इलाका बचा होगा, जहां कोरोना संकट के संबंध में गलत सूचनाएं नहीं पहुंची होंगी।

गलत सूचनाएं कोरोना वायरस की उत्पत्ति से लेकर,  चाव उपाय व इलाज से लेकर सरकारों, कंपनियों, हस्तियों और अन्य द्वारा उठाए जा रहे कदमों तक से जुड़ी हुई हैं। इनसे निपटना भी बेहद जरूरी है। फेक न्यूज सोशल मीडिया व अन्य माध्यम से इस हद तक फैल रही हैं कि कुछ समालोचक इसे ‘गलत सूचनाओं की महामारी’ तक की संज्ञा दे रहे हैं।

बर्जर ने कहा कि यूनेस्को की दुनियाभर की सरकारों से अपील है कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध न लगाएं, जो स्वतंत्र प्रेस की आवश्यक भूमिका को नुकसान पहुंचा सकता है। बल्कि पत्रकारिता को गलत सूचनाओं के खिलाफ एक ताकत के रूप में पहचानें। जब वह ऐसी प्रमाणित सूचनाएं व राय प्रकाशित-प्रसारित करें जो सत्ता में मौजूद लोगों को नागवार गुजरती हो। सरकारें मीडिया को इस वक्त आवश्यक सेवा के तौर पर पहचानें और उनको मान्यता देने के साथ ही सहयोग दें।

उन्होंने कहा, सरकारों को अफवाहें रोकने के क्रम में ज्यादा पारदर्शी होना चाहिए। साथ ही सूचना के अधिकार, कानून और नीतियों के तहत ज्यादा डाटा सामने रखें। इस संकट में लोगों की जानकारी का एक-दूसरे तक पहुंचना बेहद जरूरी है। इसके लिए पेशेवर पत्रकारिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

लॉक डाउन-२ : फ्लाइट्स, ट्रेन, मेट्रो भी ३ मई तक बंद

आज घोषित लॉक डाउन की १९ दिन की और अवधि यानी ३ मई तक देश में सभी अंतर्राष्टीय, घरेलू उड़ानें, सभी ट्रेनें और मेट्रो भी बंद रहेंगे। पीएम ने आज सुबह ही लॉक डाउन को बढ़ाने का ऐलान किया है। इस बीच कांग्रेस ने लॉक डाउन ३ मई तक बढ़ाने का स्वागत किया है लेकिन गरीबों और मजदूरों के लिए पैकेज जारी करने की मांग की है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मोदी के देश के नाम संबोधन के बाद कहा कि सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स ३ मई तक बंद रहेंगी। मंत्रालय ने कहा कि सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स भी ३ मई की रात ११.५९ बजे तक बंद रहेंगी। इससे पहले सभी उड़ानें १४ अप्रैल तक के लिए बंद थी, लेकिन अब लॉकडाउन पार्ट-२ के ऐलान के बाद फ्लाइट भी बंद रहेंगी।

उधर रेलवे का बयान है कि सभी पैसेंजर ट्रेन लॉकडाउन जारी रहने तक ही बंद रहेंगी यानी ३ मई तक कोई भी पैसेंजर ट्रेन नहीं चलेगी। मेट्रो सेवा भी पहले की तरह ही बंद रहेगी। बसों को लेकर हालांकि, अभी कोई जानकारी नहीं है। वैसे वर्तमान परिस्थिति में बसों के चलने की संभावना कतई नहीं है। परिवहन खोलने को लेकर मुख्यमंत्रियों ने भी आना किया था।

उधर रबी की फसल कटाई का वक्त है लिहाजा किसानों के लिए दिक्क्तें हैं। न  मजदूर मिल पा रहे हैं न ही मशीनों की आवाजाही है। पीएम ने आज जरूर कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर प्रयास कर रही हैं कि किसानों को कम से कम दिक्कत हो लेकिन इसका कोइ रास्ता नहीं सुझाया गया है।

देश में बढ़ रहे कोविड-19 के मामले, लॉकडाउन बढ़ते ही बिफरे लोग

देश में 14 अप्रैल तक कोरोना वायरस (कोविड-19) के 10 हज़ार 360 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है। सरकारी सूत्रों की मानें, तो यह संख्या 10383 है। समस्या यह है कि अभी देश में नये मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसी के मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन पीरियड 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री के लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा के बाद लोग ग़ुस्सा निकालने लगे हैं। हालाँकि कुछ लोगों का कहना है कि कोरोना पीड़ितों की संख्या काफ़ी ज्यादा है और देश को इस बड़े संकट से इसी तरह बचाया जा सकता है, इसीलिए सरकार को लॉकडाउन का समय बढ़ाना पड़ा। वहीं कुछ लोग सरकार द्वारा कोई ठोस क़दम न उठाये जाने पर प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहे हैं। विदित हो कि 14 अप्रैल की सुबह प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्वीटर अकाउंट पर उन्होंने ट्वीट किया- ‘सभी का यही सुझाव है कि लॉकडाउन का बढ़ाया जाए। कई राज्य तो पहले से ही लॉकडाउन को बढ़ाने का फ़ैसला कर चुके हैं। साथियो, सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए ये तय किया गया है कि भारत में लॉकडाउन को अब 3 मई तक और बढ़ाना पड़ेगा : पीएम’ इसके बाद उनका दूसरा ट्वीट आया, जिसमें लिखा- ‘यानी 3 मई तक हम सभी को, हर देशवासी को लॉकडाउन का उसी तरह पालन करना है, जैसे हम करते आ रहे हैं : पीएम’  इस मामले में कई राजनीतिज्ञों और कलाकारों ने प्रधानमंत्री पर टिप्पणी करनी शुरू कर दी है। कुछ ने प्रधानमंत्री पर सरकार की नाकामी छिपाने का आरोप लगाया है, तो कई ने उनके इस निर्णय का स्वागत किया है। वहीं सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर निंदा और बहस हो रही है। यूँ तो प्रधानमंत्री के देश से मुख़ातिब होने से पहले ही कुछ लोगों ने टिप्णियाँ शुरू कर दी थीं। उनके ख़ास प्रशंसक अनुपम ख़ैर ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा कि मुझे नहीं लगता हम में से किसी ने भी अपने जीवनकाल में कभी भी सुबह के 10 बजने का इतनी बेसब्री से इंतज़ार किया होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या बोलेंगे 99 प्रतिशत लोगों को इसका अंदाज़ा है। लेकिन देश के प्रधान सेवक हमें सांत्वना देंगे और थोड़ी ऊर्जा भी। ये भी हम सब जानते हैं। अनुपम खैर का यह ट्वीट प्रधानमंत्री पर तंज जैसा लगता है। हालाँकि, सही भी है। क्योंकि, प्रधानमंत्री ने वाक़ई हमें सांत्वना दी और थोड़ा-सा हौंसला बढ़ाया यानी ऊर्जा दी। बाक़ी कुछ भी नहीं।

महाराष्ट्र 121 और उत्तर प्रदेश में 110 नये मामले

इधर कोरोना वायरस के पीड़ितों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। 14 अप्रैल की दोपहर तक देश भर में 1200 से अधिक नये मामले सामने आ चुके हैं और 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र में नये मामलों की संख्या सबसे अधिक है। 14 अप्रैल की दोपहर तक कुल 121 नये मामलों की पुष्टि के साथ यहाँ कुल कोरोना वायरस पीड़ित मरीज़ों की संख्या 2455 पर पहुँच चुकी है। वहीं उत्तर प्रदेश में 110 नये मामले सामने आये हैं। इस समय महाराष्ट्र सबसे ज़्यादा संवेदनशील राज्य है। अकेले मुम्बई में 24 घंटे में 92 नये मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें नवी मुम्बई में 13, ठाणे में 10, वसाई विरार में 3 और रायगढ़ में एक मामले की पुष्टि हुई है। वहीं, उत्तर प्रदेश में 2634 कोविड-19 से पीड़ित संग्दिधों की जाँच की गयी, जिसमें 110 मरीज पॉजिटिव मिले। इसी के साथ उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की संख्या 650 से अधिक हो चुकी है।
दिल्ली में भी कोरोना वायरस के संग्धिग्धों की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा है। 13 अप्रैल तक यहाँ कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 1510 हो गयी थी। सोमवार यानी 13 अप्रैल को देश की राजधानी में 356 नये मामले सामने आये थे। दिल्ली में अब तक 28 मौते हो चुकी हैं। वहीं 30 लोग ठीक भी हुए हैं। यहाँ अभी जाँच जारी है। दिल्ली सरकार सड़कों पर सैनिटाइजर का छिड़काव भी करा रही है।
अगर दुनिया की बात करे, तो अभी तक कुल 19 लाख 20 हज़ार 918 मामलों की दुनिया भर में पुष्टि की जा चुकी है। इनमें से 4 लाख 53 हज़ार 289 लोग ठीक हो चुके हैं और एक लाख 19 हज़ार 686 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।

पीएम मोदी ने कोरोनावायरस को हराने के लिए देशवासियों से सात संकल्प लेने की अपील की

पीएम मोदी ने कोरोनावायरस को हराने के लिए देशवासियों से सात संकल्प लेने के की अपील की है पीएम मोदी ने कहा कि ये संकल्प भारत से कोरोनावायरस को खत्म कर देगा।

पीएम मोदी के सात संकल्प:

1. अपने घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें- विशेषकर ऐसे व्यक्ति जिन्हें पुरानी बीमारी हो, उन्हें कोरोना से बहुत बचाकर रखना है।

2. लॉकडाउन और सोशल डिस्टन्सिंग की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पालन करें , घर में बने फेसकवर या मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें।

3. अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें, गर्म पानी, काढ़ा, इनका निरंतर सेवन करें।

4. कोरोनावायरस संक्रमण फैलने को रोकने के लिए आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करें।

5. जितना हो सके गरीब परिवार की देखरेख करें, उनकी भोजन की आवश्यक्ता पूरी करें।

6.आप अपने व्यवसाय, अपने उद्योग में अपने साथ काम करे लोगों के प्रति संवेदना रखें, किसी को नौकरी से न निकालें।

7. कोरोना वारियर्स (डॉक्टर, पुलिस और सफाईकर्मी) का सम्मान करें, उनका आदर करें।

लॉक डाउन ३ मई तक बढ़ाया, अनुशासन का पालन करें : पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम संबोधन में कोरोना कोविड-१९ के कारण लॉक डाउन को ३ मई तक बढ़ाने का ऐलान किया है। जनता से कहा है कि अनुशासन का सख्ती से पालन करें। पीएम ने कहा कि नए हाट स्पॉट बने तो हमारी मेहनत बेकार चली जायेगी, लिहाजा कठोरता बढ़ाई जाएगी और २० अप्रैल तक हर जिले को बहुत बारीकी से परखा जाएगा। इसका मूल्यांकन किया जायेगा। जो क्षेत्र हाट स्पॉट नहीं बढ़ने देंगे वहां २० अप्रैल से जरूरी गतिविधियों की अनुमति दी जा सकती है। यह भी शर्त के साथ होगी। बाहर निकलने की शर्तें भी सख्त होंगी। कुछ भी गड़बड़ हुई तो अनुमति वापस ले ली जाएगी।

पीएम ने कहा कि  बुधवार को गाइडलाइन जारी की जाएंगी। गरीबों और दिहाड़ीदारों का ख्याल रखा जायेगा। उनकी मुश्किल काम करने का लक्ष्य है। पीएम गरीब कल्याण योजना से मदद की कोशिश की है। पहले से भी ज्यादा सख्ती करनी पड़ेगी। हाट स्पॉट पर कड़ी नजर रखी जाएगी। किसानों की दिक्क्तों का भी ख्याल रखा जायेगा। पीएम ने कहा कि दवाईं और जरूरी चीजें देश में उपलब्ध हैं। कोरोना टेस्टिंग का दायरा भी बढ़ाया गया है।

मोदी ने सात बातों पर जोर दिया। बुजुर्गों का जिन्हें पहले से बीमारी हैं का ख़ास ख्याल रखें, आपसी दूरी का पूरा पालन करें, घर में बने मास्क का उपयोग करें, आयुष मंत्रालय की निर्देशों-सलाह का का पालन करें, कोरोना को रोकने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल एप्प डाउन लोड करें, जितना हो सके गरीबों की मदद और देख रेख करें, आपने व्यवसाय के साथी लोगों का ख्याल रखें किसी को नौकरी से न निकालें और कोरोना की लड़ाई में जुटे का सम्मान करें। जो लोग डाक्टर, नर्सें, सफाई कर्मचारी और अन्य सभी आदि जो कोरोना की जंग में फील्ड में काम कर रहे हैं उनका गौरव और सम्मान करें।

उन्होंने कहा कि कोरोना जिस तरह फ़ैल रहा है उसने सरकारों को और सतर्क किया है। हम कोरोना से जीतें कैसे, इन पर राज्यों के साथ निरंतर चर्चाएं हुई हैं। हर किसी का यही सुझाव है कि लॉक डाउन की अवधि को बढ़ाया जाए।

पीएम ने जनता से कहा कि आपके त्याग के कारण हम इसपर काफी हद तक काबू पाने में सफल रहे हैं। काफी लोगों को दिक्क्तें भी आई हैं। यह बाबा साहब आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजली है। उनसे प्रेरणा मिलती है। देश भर में त्योहारों का भी समय है। हम उत्सवों से हरे-भरे रहते हैं। बैसाखी और उथांडू , बिहू, बिशु  से देश के नए साल की शुरुआत हुई है।

पीएम ने कहा कि लोगों ने जितने संयम से लॉक डाउन का पालन किया है उससे मदद मिली है। घर पर रहकर त्यौहार मना रहे लोग, यह प्रेरक है और प्रशंसनीय है। पीएम ने जनता के स्वास्थ्य की मंगल कामना की है।

मोदी ने कि आज पूरे विश्व में कोरोना की जो स्थिति है उससे हम सब परिचित हैं। भारत ने कैसे अपने यहाँ संक्रमण को रोकने की कोशिश की आप भी इसके सहभागी  हैं। जब हमारे यहाँ एक भी केस नहीं था तभी एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी गयी थी। फिर १४ दिन का आईसोलेशन शुरू कर दिया था। जब ५५० केस थे लॉक डाउन कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि किसी से तुलना नहीं की जा सकती। लेकिन कुछ सचाइयाँ हैं कि दुनिया के सामर्थ्यवान देशों को देखें तो भारत की स्थिति कहीं अच्छी है। आज कई देशों में भारत के मुकाबले कोरोना के केस २५-३० फीसदी ज्यादा बढ़ गए हैं। हजारों लोगों की दुखद मृत्यु हो चुकी है।

अपनी सरकार के फैसलों के लिए पीठ थपथपाई। बीते दिनों के अनुभवों से साफ़ है हमने जो रास्ता चुना आज की स्थिति में वही हमारे लिए ठीक है। आपसी दूरी का लाभ देश को मिला है। आर्थिक दृष्टि से जरूर महंगा है। बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है लेकिन भारतवासियों के जीवन की ज्यादा कीमत है। दुनिया भर में भारत की चर्चा है।
राज्य सरकारों ने भी इसमें बहुत जिम्मेदारी के साथ काम किया है। उन्होंने २४ घंटों हालत को संभाला है।

लेकिन कोरोना जिस तरह फ़ैल रहा है उसने सरकारों को और सतर्क किया है। हम कोरोना से जजीते कैसे इन पर राज्यों के साथ निरंतर चर्चाएं हुई हैं। हर किसी का यही सुझाव है कि लॉक डाउन को बढ़ाया जाए।

याद रहे इससे पहले २४ मार्च को पीएम ने अपने संबोधन में लॉक डाउन का ऐलान करते २१ दिन को इसे १४ अप्रैल तक के लिए लागू करने की घोषणा की थी।

कोरोना इफेक्ट : ब्रिटेन तोड़ सकता है चीन से आर्थिक रिश्ता

कोरोना वायरस के कहर के कई साइड इफेक्ट आने वाले हैं। इससे पूरी दुनिया प्रभावित है, इसलिए वैश्विक स्तर पर संबंधों पर भी असर पड़ना तय है। पूरी दुनिया में चीन के प्रति गुस्सा भी बढ़ा है। ​फिलहाल खुलकर ब्रिटेन सामने आया है, संक्रमण के चलते ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आईसीयू से बाहर आ चुके हैं।
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का मानना है कि उनके देश को चीन के साथ रिश्तों का फिर से मूल्यांकन करने का समय आ चुका है। हाई-टेक तथा रणनीतिक उद्योग में चीनी निवेश पर नियंत्रण होना चाहिए। चीन पश्चिमी देशों को प्रतियोगिता के रूप में देखता है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस से अब तक 10 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने दावा किया है कि वह महामारी से सफलतापूर्वक निपटा है और अब वह अपनी वन-पार्टी मॉडल का बचाव करेगा। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बोरिस जॉनसन और अन्य मंत्रियों को यथार्थवादी सोच अपनानी होगी और उन्हें विचार करना होगा कि ब्रिटेन अब चीनी संबंध पर आगे क्या रुख करते हैं। अब ये आने वाला समय बताएगा कि क्या यूके डिजिटल कम्युनिकेशन व आर्टि​फिशियल इंटेलीजेंस जैसी कंपनियों पर बैन लगाएगा।
ब्रिटेन के गृह मंत्री प्रीति पटेल, रक्षा मंत्री बेन वॉलेस, संसद में लीडर ऑफ हाउस जैकब रीस-मॉग भी चीन को संदेह की नजर से देखते हैं। हालांकि, डेविड कैमरन और जॉर्ज ऑस्बोर्न की सरकारों में चीनी निवेश को महत्वपूर्ण बताया गया था।

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख जरूरतमंदों के लिए १० किलो राशन तीन महीने तक बढ़ाने का आग्रह किया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पीएम मोदी को एक और चिट्ठी लिखकर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत आने वालों को १० किलो राशन तीन महीने तक बढ़ाने का आग्रह किया है। सोनिया गांधी ने इसके अलावा यह भी कहा है कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनको भी १० किलो राशन छह महीने तक दिया जाए।

अपनी चिट्ठी में सोनिया गांधी ने  प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध की इस घड़ी में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी नागरिक के समक्ष भूखमरी का संकट पैदा न हो। कांग्रेस अध्यक्ष ने चिट्ठी में पीएम के  उस फैसले का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध‍िनियम के तहत प्रति व्यक्ति ५ किलो अनाज अप्रैल से जून तक मुफ्त में देने की घोषणा की थी और कि इसे बढ़ाकर १० किलो कर दिया जाना चाहिये।

गांधी ने चिट्ठी में कहा – ”लॉकडाउन की वजह से देश भर में लाखों लोगों को भोजन की समस्या से जूझना पड़ रहा है। यह दुखद है क्योंकि भारत के पास खाद्यान्न का इतना बड़ा भंडार है, विशेषकर ऐसी महामारी जैसी परिस्थ‍ितियों से निपटने के लिए। लॉकडाउन के प्रतिकूल प्रभाव और लोगों की आजीविका पर पड़ने वाले इसके दूरगामी असर को देखते हुए आप मेरे इन सुझावों पर विचार करें।”

अपने सुझावों में सोनिया गांधी ने कहा कि पहला तो ये कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध‍िनियम के तहत प्रति व्यक्त‍ि १० किलो अनाज देने के प्रावधान को और तीन महीने के लिए यानी सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया जाए। ऐसा उन लोगों के लिए‍ भी किया जाना चाहिए जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं लेकिन वो मुसीबत में हैं।

असम की गाँवों में महिलाएँ बना रहीं सेनिटाइज़र और मास्क

आज जब कोविड-19 से निपटने के लिए देश भर के लोग एकजुट होकर सरकार द्वारा किये गये लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं, वहीं देश में सैनिटाइजर और मास्कों की कमी को पूरा करने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। ऐसे में अनेक लोग कई तरह से कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ सेवाएँ दे रहे हैं। असम के गाँवों की महिलाएँ इसके लिए चर्चा में आयी हैं। ये महिलाएँ घरों में सैनिटाइजर और मास्क बना रही हैं, ताकि आज के समय में इन ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति की जा सके। दरअसल, इन महिलाओं को सीएसआईआर-उत्तर-पूर्व विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान, जोरहाट के तहत ग्रामीण महिला प्रौद्योगिकी पार्क (आरडब्ल्यूटीपी) ने हैंड सैनिटाइज़र, मास्क और तरल कीटाणुनाशक आदि के निर्माण के लिए तैयार किया है। आरडब्ल्यूटीपी, जोरहाट ने क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को पारम्परिक गमोछा (असम का पारम्परिक सूती तौलिया) से मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया है। मास्क के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया, 150 गमोछा ख़रीदे गये तथा दो सिलाई मशीनों की व्यवस्था की गयी। बता दें कि एक गमोछा से 6 होममेड मास्क तैयार किये जा सकते हैं। महिलाओं को 15/ – रुपये प्रति मास्क की दर से भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा सैनिटाइजर और कीटाणुनाशक का उत्पादन भी किया जा रहा है। कोविड-19 से बचाव के लिए आस-पास के गाँवों के ग़रीबों में ये उत्पाद निःशुल्क बाँटे जाएँगे।

अंधविश्वास : कोरोना को हराने के लिए जादू-टोना

कहते हैं कि जब कोई मुसीबत आती है, तब कई मुसीबतों को साथ लाती है। ऐसा ही हो रहा है। 12 और 13 अप्रैल को आये भूकम्प के बाद लोगों में एक दशहत और डर का माहौल बनता जा रहा है। कि कहीं कोई विपदा और अनिष्ट या कोई अनहोनी न कर दे। दिल्ली में लोगों का कहना है कि मानव समाज पर अब दिन ब दिन संकट बढ़ रहा है। क्योंकि अभी कोरोना वायरस नामक महामारी से लोग जूझ ही रहे हैं। लॉकडाउन के कारण आना-जाना बंद है। ऐसी स्थिति में भी धर्म गुरुओं ने अपनी-अपनी दुकानें चलानी शुरू कर दी हैं। मौजूदा हालात में धामिक स्थल तो बंद हैं, पर उनके गुरुओं ने घर बैठे लोगों को इसे विपदा बताकर उनका उद्धार करने के अवसर निकाल ही लिये हैं। तहलका संवाददाता को कुछ लोगों ने बताया कि धार्मिक स्थल तो पूरी तरह से बंद हैं, पर आधुनिक युग में आज सभी धर्म गुरुओं के पास मोबाइल नम्बर हैं। ऐसे में वे अपने भक्तों को घर पर हवन और पूजा-पाठ करने की बात कर रहे हैं और दान-दक्षिणा भी मांग रहे हैं। सबसे मजे की बात तो यह है कि लोग धार्मिक गुरुओं के झांसे में आ भी रहे हैं। रविवार को जब भूकम्प आया तो लोगों ने अपने अपने गुरुओं से संपर्क साधा और वर्तमान में हो रहे अनिष्ट के बारे में पूछा, तो गुरुओं ने भक्तों को विपत्ति में जानकर उन्हें बचने के उपाय बताये। इस बात का ख़ुलासा तो तब हुआ, जब धर्म गुरुओं द्वारा बताये गये पूजा-पाठ की साम्रगी खरीदने वालों की दुकानों में भीड़ देखी गयी। इस बारे में पंडित दीन दयाल उपाध्याय का कहना है कि ये तो निश्चित है कि देश आज एक संकट में फंसा है और इससे बचने के लिए लोगों को अपने अपने ईश्वर को याद करना चाहिए, ताकि ये आने वाली विपदा को टाला जा सके।

बताते चले देश आज भी अंधविश्वास पर पूरा विश्वास कर कोरोना वायरस के दौर में जादू और टोना पर विश्वास कर रहा है। सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन के दौर में भी लोग अंध विश्वास के दौर में पूरा जादू और टोना के भरोसा के अपने को सुरक्षित मानकर चल रहे हैं। इसी कारण धार्मिक गुरुओं की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। यमुना पार कुछ तांत्रिक भेषधारी लोगों को कोरोना से बचाने के नाम पर जादू-टोना कर रहे हैं। दिल्ली जैसे शहर में जादू-टोना करने वालों की दुकानें जगह-जगह देखी जा सकती हैं।