घर – गांव जाने की स्वीकृति मिलने से खुश है मजदूर और छात्र

सरकार की सारी शर्तें मानने को भी तैयार है अपने राज्यों के आँफिस में संपर्क साध रहे है ताकि कोई दिक्कत ना हो

विषम परिस्थितियों में आम जन- मानस इस कदर टूटने लगता है। कि उसे उन दिनों में अपने ही याद आते है । ऐसा ही आज- कल कोरोना वायरस के कहर के कारण, लाँक डाउन के दौरान लोगों में जो झटपटाहट घर-गांव अपनों के बीच जाने की देखी गई है । लेकिन वो लाँकडाउन के कारण अपने घरों में ना जा सकें।  लाचार व बेबस होने के कारण अपने आप को ओर सरकार तंत्र को कोसते रहे है।समय – समय पर वे आवाजें भी उठातें रहे है, कि उन्हें घर –गांव जाने की इजाजत मिलनी चाहिये ओर सरकार इस के लिये वाहनों का पुख्ता इंतजाम करें।अन्यथा वो लाँक डाउन का उल्लघंन कर अपने रास्ते जाने को मजबूर होगें।

सरकार ने ऐसे में उन मजदूरों ओर छात्रों की आवाजों के दर्द को जाना ओर इस के लिये स्वीकृति ही प्रदान कर दी ।गृह मंत्रालय से जाने की स्वीकृति मिलने के बाद तहलका संवाददाता ने मजदूरों ओर छात्रों से संपर्क किया तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं था।

उन छात्रों ने आप बीती बताते हुये कहा कि लाँक डाउन के दौरान उन्हें सही मायने में वो शिक्षा मिल गयी है। जो उन्हें यूं ही ना मिलती। जैसे विषम परिस्थिति में घरों में रहना ओर खाना -पीना की व्यवस्था करना आदि । राजस्थान के धौलपुर के पवन यादव जो दिल्ली में रह कर सी.ए की पढाई कर रहे है। उन्होंने  धौलपुर जाने के काफी सिफारिश भी लगाई थी । पर कोई सिफारिश काम ना आ सकीं , पर आज वो काफी खुश है। कि सरकार ने आखिरकार घर जाने वालों के लिये रास्ता खोल ही दिया है।यही हाल उत्तर – प्रदेश के वनारस के जुगल ओर विवेक का है। वे दिल्ली में पढाई के साथ –साथ बच्चों को घर –घर में टयूशन पढाते थे। लेकिन कोरोना के कहर ओर टयूशन बंद होने के कारण उनको काफी दिक्कत आने लगी थी । ऐसे हालात में उन्होनें अपने घर जाने के लिये तामाम प्रयास भी किये थे । लेकिन वो पुलिस के पहरे ओर डर के कारण ना जा सकें थे। पर अब वो घर जाने की खुशी में गदगद है।छात्रों ने बताया कि सरकार ने जो भी गाइड लाइन निर्धारित की है। उसका वो पूरी तरह से पालन करेंगें। बिहार के रवि रंजन ने बताया कि उन्होंने आज ही दिल्ली स्थित  बिहार राज्य के आँफिस में संपर्क कर घर जाने के  लिये अपनी बात रखी है। ताकि किसी प्रकार की कोई दिक्कत आगे ना  हो।रहा सवाल मेडिकल जांच को तो वो करवाने को तैयार है।

यही हाल मध्य- प्रदेश और बिहार के मजदूरों का है उनका कहना है कि सरकार ने देर से ही सही पर मजदूरों की आवाज को सुना है।मध्य- प्रदेश के मजदूर रतन जो सागर जिले के रेहली के रहने वाले है उनका कहना है कि सरकार ने मजदूरों के साथ धोखा दिया है क्योंकि जब मजदूरों के पास कुछ पैसा था तब वो घर नहीं जाने दिया , अब पैसा भूख के कारण खर्च हो गया तो जाने की अनुमति दें रहे है। बिहार के उमदा कुमार का कहना है कि सरकार ने बीमारी के नाम पर मजदूरों को आर्थिक रूप से बीमार कर दिया है । ना काम अब शहरों में बचा है ना गांवों में ऐसे हालात में गरीब –मजदूर भूख के कारण तडपेंगा।मजदूरों ने सरकार से अपील की है कि जब 4 मई के बाद गरीब – मजदूर अपने – अपने घरों को जाने को मजबूर होगा तब उसे कुछ पैसा दिया जाये अन्यथा सब अनर्थ हो जायेगा क्योंकि मजदूरों के पास अब पैसा नहीं बचा है।

मौजूदा हालात में हर कोई जो देश के अन्य राज्यों में फंसा है चाहे वो कोई भी काम करता हो वो अब हर हालत में अपने घर –गांव आने को तैयार है ओर सरकार की जो भी शर्ते है उन्हें मानने को भी तैयार है।