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कृषि ढांचे को एक लाख करोड़, माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज के लिए १० हजार करोड़, मत्स्य पालन के लिए ११ हजार करोड़ : सीतारमण

कोविड-१९ के कारन लॉक डाउन के मद्देनजर सरकार ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन कुछ और ऐलान किये जो सेक्टोरल रियायतों से जुड़े हैं। कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इससे कोल्ड चेन, फसल कटाई के बाद प्रबंधन की सुविधाएं मिलेंगी और किसान की आय भी बढ़ेगी। माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज के लिए १० हजार करोड़ रुपये दिया जाएगा। लोकल स्‍तर पर उत्‍पादों की ब्रांडिंग होगी और भंडारण में आपूर्ति में फंड का इस्‍तेमाल किया जाएगा

तीसरी कांफ्रेंस को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने संबोधित की। सीतारमण ने कहा फूड एंटरप्राइजेज माइक्रो साइज के लिए १० हजार करोड़ रुपये दिया जाएगा। डेयरी के लिए कर्ज पर ब्‍याज में दो प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इससे दो लाख खाद्य संस्करण इकाइयों को फायदा होगा। लोकल स्‍तर पर उत्‍पादों की ब्रांडिंग होगी और भंडारण में आपूर्ति में फंड का इस्‍तेमाल किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य क्लस्टर आधार पर उन्हें ग्लोबल स्टैंडर्ड के प्रोडक्ट बनाने का अवसर देना है। इससे वेलनेस, हर्बल, ऑर्गनिक प्रोडक्ट करने वाले लगभग दो लाख माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज को फायदा होगा। आंध्र में मिर्च और तेलंगाना में हल्‍दी और बिहार में मखाना, कश्‍मीर में केसर, और कर्नाटक में रागी का उत्‍पादन इससे ख़ास तौर पर लाभान्वित होंगे।

सरकार के इस ऐलान के लगभग दो लाख सूक्ष्‍म इकाइयों को फायदा होगा। सूक्ष्‍म इकाइयों के लिए १० हजार करोड़ रुपये आवंटित होगा। भंडारण की सुविधा के लिए भी फंड का इस्‍तेमाल होगा। सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश करेगी।

मत्स्य संपदा योजना की घोषणा बजट के दौरान घोषित की गई थी। इसे लागू कर रहे हैं। इससे ५० लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। भारत का एक्सपोर्ट बढ़ेगा। मत्स्य पालन बढ़ाने के लिए मछुआरों को नावें और नावों के बीमा की सुविधा देंगे।

समुद्री और अंतरदेशीय मत्स्य पालन के लिए ११ हजार करोड़ रुपए और नौ हजार करोड़ रुपए इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जारी किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि खुरपका-मुंहपका से पीड़ित जानवरों को वैक्सीन नहीं लग पा रहे। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। सभी भैंसों, भेड़ों और बकरियों का वैक्सिनेशन किया जाएगा। वैक्सिनेशन में १३,३४३ करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे ५३ करोड़ पशुधन को बीमारी से मुक्ति मिलेगी। जनवरी से अब तक डेढ़ करोड़ गाय और भैंसों को अब तक वैक्सीन लगाए जा चुके हैं। पशुपालन के इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए १५ हजार करोड़ रुपए का फंड दिया जाएगा।

कहा कि हर्बल खेती के लिए ४ हजार करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। अगले दो साल में १० लाख हेक्टेयर जमीन पर हर्बल खेती होगी। हर्बल खेती से किसानों को ५ हजार करोड़ की आय होगी। हर्बल प्लांट की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। कोविड-१९ के समय हमारे हर्बल प्लांट बहुत काम आए हैं।

दो लाख मधुमक्खी पालकों के लिए ५०० करोड़ रुपए की योजना है। उनकी आय बढ़ेगी और लोगों को अच्छा शहद मिल पाएगा। ऑपरेशन ग्रीन के तहत टमाटर, आलू, प्याज योजना में बाकी सब्जियों को भी लाया गया है। टीओपी योजना के लिए ५०० का प्रावधान किया है। ट्रांसपोर्टेशन में ५० फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। भंडारण के लिए भी ५० फीसदी सब्सिडी दी जाएगी।

इसके अलावा कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और निवेश बढ़ाने के लिए १९५५ के जरूरी कमोडिटी एक्ट में बदलाव किया जा रहा है। इससे किसानों की आय बढ़ने की संभावना ज्यादा रहेगी। किसान अपने उत्पाद उचित दामों पर बेच सकें, इसके लिए राज्यों के बीच आने वाली खरीद-बिक्री से जुड़ी मुश्किलें दूर की जाएंगी। ई-ट्रेडिंग की सुविधा दी जाएगी।

विश्व बैंक से भारत को सरकार के कार्यक्रमों के लिए एक अरब डॉलर की मदद मिली

कोविड-१९ के संकट के बीच विश्व बैंक से भारत को बड़ी मदद मिली है। बैंक ने भारत को सरकार के कार्यक्रमों के लिए एक अरब डॉलर (करीब ७५६३ करोड़ रुपये) की  सामाजिक सुरक्षा पैकेज की घोषणा की है।  विश्व बैंक तीन क्षेत्रों- स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम में भारत की मदद करेगा।

भारत में लॉक डाउन के बाद आर्थिक हालत और खराब हो गए हैं और करोड़ों मजदूर, अन्य नौकरी पेशा बेरोजगारी  झेल रहे हैं। भारत को कोविड-१९ के संकट के बीच यह दूसरी बड़ी विदेशी मदद है।

इससे पहले अप्रैल में ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ने भारत को एक अरब डॉलर की आपात सहायता राशि देने का ऐलान किया था। इसके अलावा एशियन डिवेलपमेंट बैंक (एडीबी) ने भी भारत सरकार को आर्थिक मदद के तौर पर  १.५ अरब डॉलर के कर्ज की मंजूरी दी थी।

भारत की पटरी से बुरी तरह उतरी अर्थव्यवस्था और सरकार के कामकाज के लिए इससे काफी सहारा मिल सकेगा। विश्व बैंक तीन क्षेत्रों- स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम में भारत की मदद करेगा।

संक्रमित व्यक्ति से बात करने पर भी फैल सकता है कोरोना वायरस : अध्ययन

लोगों के साथ बातचीत या भाषण सुनने से भी संक्रमित व्यक्ति से कोरोना वायरस फैल सकता है। एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, बोलने के दौरान हवा में माइक्रोप्लेटलेट उत्पन्न होते हैं, जिनसे आसपास करीब 10 मिनट तक इसके कण मौजूद रहते हैं। इन्हीं सूक्ष्म कणों से कोविड-19 फैलने का खतरा बना रहता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिसीजिज के किए गए अध्ययन के मुताबिक एक बंद कमरे में जोर से दिए जाने वाले भाषण के दौरान 25 सेकंड दौरान दोहराव को अपनाया गया। कमरे के अंदर ड्राॅपलेट देखे गए और उनकी गिनती की गई। इसमें पाया गया कि ये ड्राॅपलेट हवा में करीब 12 मिनट तक रहे हैं।
यह अध्ययन अमेरिका के जर्नल प्रोसीडिंग्स आॅफ नेशनल अकेडमी आॅफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है। हवा में मौजूद थूक में कितनी मात्रा और किस-किस में कोरोना होता है, इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रति मिनट तेज आवाज में दिए गए भाषण के दौरान 1000 से ज्यादा वायरस के ड्राॅपलेट जारी होते हैं और ये आसपास की हवा में करीब 8 मिनट तक जिंदा रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य तौर पर बातचीत करने में भी हवा से वायरस फैलने का खतरा 10 या 12 मिनट तक रह सकता है यानी संक्रमित व्यक्ति से बात करना भी खतरे से खाली नहीं है। उसके आसपास जो भी लोग सुन रहे होते हैं या रह रहे होते हैं, उन सबमें इस वायरस के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

दिल्ली में भूकंप के झटके, तीव्रता २.२

मई में दिल्ली में शुक्रवार को दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं। हालांकि, इसकी तीव्रता काम थी जिससे लोगों को इनका अहसास नहीं हुआ। इनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर २.२ बताई गयी है और इनका केंद्र दिल्ली का पीतमपुरा का क्षेत्र था। यह झटके ११.२८ बजे महसूस किये गए।
इससे पहले अप्रैल में भी लगातार दो दिन भूकंप के झटके दिल्ली में महसूस किये गए थे। उनका केंद्र भी दिल्ली ही था। इससे लोगों में चिंता भी पसर रही है। भूकंप में किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। इतनी काम तीव्रता के भूकंप को खतरनाक की श्रेणी में नहीं माना जाता है।
याद रहे १० मई को भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। उस दिन दिल्ली में आंधी-तूफान भी आया था। तब इन झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर ३.५ मापी गई थी। कोरोना संकट के बाद लॉकडाउन के दौरान  दिल्ली में चौथी बार भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं। पहले दिल्ली में अप्रैल में लगातार दो दिन भूकंप के झटके लगे थे।

किसानों के लिए ३०,००० करोड़ का ऐलान, राशन कार्ड पूरे देश में चलेगा, रेहड़ी-पटरी वालों को १० हजार कर्ज : सीतारमण

केंद्र सरकार ने बुधवार को ऐलान किया कि गरीब प्रवासियों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना किफायती किराये पर मकान योजना शुरू करेगी। राशन कार्ड से अब किसी भी राज्य में राशन मिल सकेगा। किसानों के लिए ३०,००० करोड़ की योजना का ऐलान किया गया है और पचास लाख रेहड़ी-पटरी कारोबारियों के लिए १० हजार रुपये का विशेष लोन दिया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने पीएम मोदी की घोषित पैकेज के दूसरे हिस्से को लेकर बुधवार को दूसरी प्रेस कांफ्रेंस में प्रवासी मजदूरों, छोटे किसानों, स्ट्रीट वेंडर्स (रेहड़ी वाले) के लिए नौ ऐलान किए। इनमें तीन  घोषणाएं प्रवासी श्रमिकों के लिए और दो छोटे किसानों के लिए हैं। इसके अलावा मुद्रा के भीतर शिशु ऋण, स्ट्रीट वेंडर्स, और आदिवासियों के लिए एक-एक ऐलान शामिल है।

वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि शहरी गरीब प्रवासियों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना किफायती किराये पर मकान की योजना शुरू करेगी। वन नेशन-वन राशन कार्ड की योजना पर काम होगा और हर राज्य में यह लागू होगा। प्रवासी किसी भी राज्य के राशन डिपो से इस कार्ड की मदद से राशन ले सकता है।

उन्होंने कहा कि जिनके पास राशन कार्ड या कोई कार्ड नहीं है, उन्हें भी 5 किलो गेहूं, चावल और एक किलो चना की मदद मिलेगी। आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों को इसका फायदा होगा। इसमें ३५०० करोड़ रुपये का खर्च होगा। राज्य सरकारों के जरिए इस कारगर बनाया जाएगा। राज्यों के पास ही इन मजदूरों की जानकारी है। अगले दो महीने तक यह प्रक्रिया लागू रहेगी।

सीतारमण ने कहा कि शिशु मुद्रा लोन में रिजर्व बैंक ने तीन महीने का मॉरिटोरियम दिया है, लेकिन इसके बाद समस्या हो सकती है तो शिशु मुद्रा लोन में ५०,००० रुपये तक लोन लेने वाले को मॉरिटोरियम के बाद दो फीसदी सबवेंशन स्कीम यानी ब्याज में छूट का फायदा अगले १२ महीने के लिए होगा। तीन करोड़ लोगों को इससे कुल १५०० करोड़ रुपये का फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ २.५ करोड़ नए किसानों को दिया जा रहा है। मछुआरों और पशुपालकों को भी इसका लाभ मिलेगा। नाबार्ड को किसानों के लिए ३०,००० करोड़ रुपये का अतिरिक्त इमरजेंसी वर्किंग कैपिटल फंड मुहैया होगा। यह नाबार्ड को मिले ९० हजार करोड़ के पहले फंड के अतिरिक्त होगा और तत्काल जारी किया जाएगा।

मिडिल इनकम ग्रुप ६ से १८ लाख सालाना इनकम वालों को हाउसिंग लोन पर क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम मई २०१७ में शुरू हुई है। इसे ३१ मार्च 2020 तक बढ़ाया गया था और अब बढ़ाकर मार्च २०२१ तक किया जा रहा है। पचास लाख रेहड़ी-पटरी कारोबारियों के लिए १० हजार रुपये का विशेष लोन दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ५००० करोड़ खर्च करेगी।

इससे पहले वित्त मंत्री ने पिछले तीन महीनों में  सुविधाओं और लाभों का ब्यौरा दिया। कहा कि तीन करोड़ किसानों को कृषि ऋण में अगले तीन महीने तक छूट मिलेगी। करीब २५ लाख किसान क्रेडिट कार्ड सेंक्शन हुए, इनकी लोन लिमिट २५ हजार रुपये की गयी है। पिछले मार्च और अप्रैल महीने में ६३ लाख ऋण मंजूर किए गए जिसकी कुल राशि ८६६०० करोड़ रूपया है जिससे कृषि क्षेत्र को बल मिला है। किसानों की फसल खरीद के लिए ६७०० करोड़ रुपये, नाबार्ड में सहकारी बैंक ऑफ ग्रामीण बैंकों की मदद के लिए २८,५०० करोड़ रुपये मार्च में दिए।

अपने राज्यों को लौटे प्रवासियों को मनरेगा के तहत काम दिया जाएगा। मजदूरों की दिहाड़ी १८२ रुपए से बढ़ाकर २०२ रुपए कर दी गई है। इसके लिए १०,००० करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया ताकि वापस गए मजदूरों को काम मिल सके। प्रवासी मजदूरों की मदद मनरेगा के माध्यम से कैसे की जाए उसके लिए हम योजना लेकर आए हैं। कहा कि १३ मई तक १४.६२ करोड़ दिन जनरेट किए जा चुके हैं।

कॉर्पोरेटिव बैंक और रिजनल रुरल बैंक को मार्च २०२० नाबाड ने २९,५०० करोड़ के रिफाइनेंस का प्रावधान किया। ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए राज्यों को मार्च में ४२०० करोड़ की रुरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड राशि दी गई। वित्त मंत्री ने कहा, बेशक लॉकडाउन है मगर सरकार काम कर रही है, गरीब हमारी प्राथमिकता में है।

दिल्ली एयरपोर्ट से नोएडा-गाजियाबाद का किराया 10 हजार पर आई सफाई

दिल्ली एयरपोर्ट से गाजियाबाद, नोएडा जाने पर क्या 10 हजार रुपये किराया लगेगा? इसको लेकर बने असमंजस को उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने वीरवार को सफाई जारी की है। सफाई में कहा गया है कि दिल्ली एयरपोर्ट से नोएडा और गाजियाबाद तक यात्रियों से कोई किराया नहीं लिया जाएगा। 10 हजार रुपये का जो किराया है वह यूपी, नोएडा आकर आगे अपने गृह नगर जाने वालों के लिए लागू होगा।
दरअसल, इससे पहले यह खबर सामने आई थी कि वंदेभारत मिशन के तहत जो भारतीय लोग विदेश से आ रहे हैं अगर उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से नोएडा या गाजियाबाद जाना है तो टैक्सी के लिए 10 हजार रुपये किराया देना होगा। इस पर बवाल मचने के बाद यूपी परिवहन निगम ने स्पष्टीकरण जारी किया है। इसमें कहा गया है कि एयरपोर्ट से नोएडा, गाजियाबाद आ रही कैब फ्री हैं।

परिवहन निगम के एमडी राज शेखर ने कहा कि दिल्ली एयरपोर्ट से लाने की सुविधा बिल्कुल फ्री है। यहां (यूपी, नोएडा, गाजियाबाद) लाकर उन्हें पहले क्वारंटाइन में रखा जाता है। फिर जब अगर वे लोग अपने घर जाना चाहते हैं तो चाहें तो निजी वाहन से जा सकते हैं। अगर नहीं है तो यूपी परिवहन निगम व्यवस्था करता है। एक ही जगह से ज्यादा लोग हैं तो बस करवा दी जाती है। जिसका किराया लगेगा। इसी तरह अगर लोग कैब से जाना चाहते हैं तो कैब सर्विस दी जाती है जिसका किराया लगेगा।

10 हजार किराया आगे लगेगा, इस र राज शेखर ने कहा कि फिलहाल तीन मेंबर की एक कमिटी बनाई गई है। वह इसको देख रही है। 24 घंटे में इसपर कोई फैसला लिया जाएगा।
बता दें कि इससे पहले कहा गया था कि एयरपोर्ट से टैक्सी में नोएडा, गाजियाबाद आते हैं तो 10 से 12 हजार रुपये खर्च करने होंगे। जब आप इससे आगे जाएंगे, मतलब जिस जिले में आपका घर है वहां का किराया लिया जाएगा। यह 250 किलोमीटर के लिए 10 से 12 हजार होगा। खबर में कहा गया था कि नॉन एसी बस में एक सीट के 1 हजार रुपये हैं। एसी बस में टिकट 1320 की है। यह किराया 100 किलोमीटर तक का है। 101 से 200 किलोमीटर पर किराया डबल होगा। बस में एक बार में 26 लोग जाएंगे।

व्यापारियों को सरकार आंकडे बाजी में ना उलझांये

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना जैसी बीमारी के कारण हुये नुकसान की भरपाई के 20 लाख करोड का जो पैकेज दिया है । उसका व्यापारियों ने स्वागत कर सरकार से मांग रखी है। कि देशभर के छोटे और बडे व्यापारिक संस्थानों को खोलने की अनुमति सरकार प्रदान करें। जिससे देश की अर्थ व्यवस्था को संजीवनी मिल सकें। पर समय देश में कोरोना का संक्रमण तेज गति से फैल रहा है । ऐसे में सरकार की क्या रूप रेखा है उसको लेकर भी सरकार को अपनी तैयारियों की जानकारी व्यापारियों को और जनमानस को देने होगी, अन्यथा कोरोना के कहर से बच पाना मुश्किल होगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लोगों को सरकार ने जो मंत्र दिया है । कि कैसे हम संकट की घडी में विपत्तियों का सामना कर सकते है। इसी मंत्र पर चलकर छोटे और मध्यम वर्ग का व्यापारी आज भी देश की अर्थ व्यवस्था को आगे लाने के लिये प्रयासरत है।लाँकडाउन -4 को लेकर देशवासियों की नजर इस बात पर टिकी है, कि लाँकडाउन को खोला जाएगा या इसी तरह जारी रखा जायेगा । क्योंकि लाँकडाउन को लेकर अभी आशा और निराशा है । कि अगर लाँकडाउन को यथावत जारी ऱखा गया तो अर्थ व्यवस्था और रोजगार जैसी समस्यायें बरकरार रहेगी और अगर खोल दिया गया तो कोरोना के कहर से कैसे बचेगें। फिलहाल 17 मई तक लाँकडाउन है। 18 मई से लाँकडाउन के बारे में सही जानकारी सामने आयेगी। बताते चले कि प्रधानमंत्री नरेन्र्द मोदी ने 12 मई को अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था, कि अब जो अगला लाँकडाउन होगा वो नये तरीके से होगा।

ऐसे में व्यापारी सूरज गुप्ता का कहना है, कि सरकार से व्यापारियों को एक ही उम्मीद है, कि व्यापारियों को पहले की तरह व्यापार करने का अवसर दें । ताकि व्यापारी आत्मनिर्भर होकर व्यापार कर सकें। क्योंकि 50 दिनों से व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में अगर व्यापारियों को व्यापार करने का म़ौका ना मिला तो उन्हें अपने कर्मचारियों की वेतन और दुकानों , गोदामों का किराया निकालना मुश्किल हो जायेगा ।

चाँदनी चौक दिल्ली व्यापार संघ के नेता रामप्रसाद का कहना है कि कोरोना नामक महामारी का पूरी दुनिया सामना कर रही है। ऐसे में सभी देशवासियों ने सरकार के बताये दिशा – निर्देशों का पालन किया है । पर अब सरकार को भी चाहिये कि वह भी व्यापारियों को अफसर –शाही, प्रथा से और पुलिस के ठंडे से आजादी दिलाये । क्योंकि आज भी व्यापारियों को काफी दबाव में अपने व्यापार को करने में मजबूर होना पड रहा है।

उनका कहना है कि सरकार आंकडे बाजी के खेल में व्यापारियों को ना उलझांये । बल्कि जो पैकेज सरकार ने दिया है।उसमें से बिना समय गंवाये सरकार व्यापारियों को राहत दें। जिससे छोटे और बडे व्यापारी अपने व्यापार को कर सकें। सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव का कहना है कि सरकार बाजारों को खोलने की अनुमति दें ताकि सुस्त पडी अर्थ व्यवस्था को बल मिल सकें। राकेश यादव का कहना है कि सरकार छोटे और मध्यम व्यापारियों को आर्थिक लाभ दें । क्योंकि कोरोना काल में भी इन व्यापारियों ने देश की अर्थ व्यवस्था में अहम योगदान दिया है।

व्यापारियों का कहना है कि पैकेज को लेकर अभी सही तरीके से व्यापारियों को समझ में ये नहीं आ रहा है कि पैकेज के तहत कर्ज और लोन जैसी सुविधायें कब से मिलेंगी या सरकार के आंकडों बाजी के खेल में उलझ कर रह जायेगें।

रेलवे ने फिर दिया बड़ा झटका

कोरोना वायरस महामारी के मद्दे नज़र चल रहे लॉकडाउन का सबसे बुरा असर प्रवासी श्रमिकों पर पड़ रहा है। इन लोगों के आगे रोज़ी-रोटी का संकट तो है ही, साथ ही इन्हें अपने घऱ पहुँचने में जो तकलीफ़ हो रही है, वह शब्दों से बयाँ नहीं की जा सकती। ऐसे में रेलवे ने सेवाएँ देनी शुरू कीं। इस पर किराये को लेकर काफ़ी खींचतान हुई, जिसमें रेलवे ने कहा था कि उसने 85 फ़ीसदी किराया माफ़ कर दिया है, जबकि 15 फ़ीसदी राज्य सरकारें देंगी। इसका मतलब तो यही हुआ था कि यात्रियों यानी प्रवासी श्रमिकों को अपने घर पहुँचने के लिए किराया नहीं देना पड़ेगा। लेकिन लोगों की मानें, तो रेलवे ने उनके साथ धोखा किया और एसी का किराया वसूला। इस पर भी दूसरे राज्यों में फँसे मजबूर श्रमिक जैसे-तैसे जुगाड़ करके घर जाने की कोशिश में लगे रहे। पर अब रेलवे ने कई ट्रेनें 30 जून तक रद्द करके उन्हें एक और बड़ा झटका दे दिया है। भारतीय रेलवे ने 30 जून तक के सभी टिकटों को रद्द कर दिया है। रेलवे का कहना है कि श्रमिक और स्पेशल ट्रेनें चलती रहेंगी।
सूत्रों ने बताया कि जिन लोगों ने पहले ही टिकट बुक करवा दिये थे, उनकी बुकिंग रद्द कर दी गयी है। अब अगर 30 जून के बाद बुकिंग शुरू होती है, तो ऐसे यात्री दोबारा टिकिट बुक कर सकते हैं। विदित हो कि रेलवे ने 12 मई से 15 स्पेशल ट्रेन चलायी हैं, जो कि दिल्ली से देश के अन्य 15 शहरों तक जा रही हैं। रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, अगले सात दिनों के लिए क़रीब 2.34 लाख लोगों ने स्पेशल ट्रेन का टिकट बुक किया है। रेलवे को इनसे कुल 45.30 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।

पैकेज में एमएसएमई के लिए बिना गारंटी ३ लाख करोड़ का कर्ज, २०० करोड़ से कम के सरकारी काम में ग्लोबल टेंडर नहीं : सीतारमण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की गयी थी और जिसे ”आत्मनिर्भर भारत” का नाम दिया गया है, को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को एमएसएमई सेक्टर के पैकेज की ब्योरेवार जानकारी दी। अगले दिनों में वे अन्य सेक्टर की जानकारी देंगी। वित्त मंत्री ने एमएसएमई यानी सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग के लिए छह बड़े कदम का ऐलान आज किया। उन्होंने कहा कि पैकेज में एमएसएमई के लिए बिना गारंटी ३ लाखकरोड़ का कर्ज देगी और १५ हजार रुपये से कम सैलरी वाले कर्मचारियों का ईपीएफ अगस्त एक सरकार देगी।

उन्होंने कहा कि तीन लाख करोड़ का कर्ज एमएसएमई को बिना गारंटी चार साल के लिए दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए २०,००० करोड़ की राशि रहेगी। पहले साल मूलधन नहीं चुकाना होगा। इससे ४५ लाख एमएसएमई को लाभ मिलेगा। संकट वाले (स्ट्रेस्ड) एमएसएमई (दो लाख एमएसएमई) को लाभ होगा। जो एमएसएमई अच्छा कर रहे हैं और विस्तार करना चाहते हैं उनके लिए ”फंड आफ फंड्स” का प्रावधान किया जा रहा है। इसमें ५०,००० करोड़ की इक्विटी सरकार कर रही है। जिस एमएसएमई का टर्नओवर १०० करोड़ है वे २५ करोड़ तक कर्ज ले सकते हैं। कहा कि ४५ दिन के अंदर मध्‍यम, लघु और सूक्ष्‍म उद्योगों को सरकारी स्‍तर पर बकाया धनराशि का भुगतान करने का प्रयास किया जाएगा।

प्रेस कांफ्रेंस में हिंदी में जानकारी वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने दी। विभाग के  अधिकारी भी प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित थे। सीतारमण और अनुराग ने कि कहा प्रधानमंत्री के नाते मोदी ने कई सुधारवादी फैसले किये हैं जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखी है। उन्होंने कहा कि २० लाख करोड़ का पैकेज ऐतिहासिक है और बड़े बदलाव की नींव रखने वाला है। इस पैकेज में १.७ लाख करोड़ रुपये का पहला पैकेज भी शामिल है। वित्त मंत्री ने कहा कि ये पैकेज देश के श्रमिकों, किसानों, मध्यम वर्ग, कुटीर उद्योग  और एमएसएमई सेक्टर के लिए हैं।

उन्होंने कहा कि एमएसएमई बड़ा बनने का सपना नहीं देख पाते थे। जिससे पीछे रह जाते थे। लेकिन अब क्राइटेरिया बदला गया है। इसमें कारोबार को भी जोड़ा जा रहा। है माइक्रो को २५ लाख से एक करोड़ रूपये के बीच रखा गया है। इसी तरह १०  करोड़ के निवेश और ५० करोड़ के टर्न ओवर वाले उत्पादन आधारित उद्योग को लघु उद्योग माना जाएगा। जबकि २०० करोड़ तक का टेंडर अब ग्लोबल टेंडर नहीं होगा और आत्मनिर्भर इंडिया में मेक इन इंडिया की बड़ी भूमिका होगी।

अब २०० करोड़ रूपये तक के (काम) टेंडर में विदेशी ग्लोबल टेंडर नहीं होंगे। खासकर सरकारी कामों में यह लागू होगा। इससे देशी उद्योग को लाभ मिलेगा।

कहा कि १५ हजार रुपये से कम सैलरी वाले कर्मचारियों का ईपीएफ सरकार देगी।  सरकार अगस्‍त तक यह देगी। इससे ७२.२२ लाख कर्मचारियों को लाभ होगा।  सरकार १२ फीसदी नियोक्‍ता का हिस्‍सा और १२ फीसदी कर्मचारी का हिस्‍सा देगी।

अगले तीन महीने तक एम्‍प्‍लॉयर और एम्‍प्‍लाई के लिए पीएफ में १२-१२ फीसदी के बजाय १०-१० फीसदी जमा करने का प्रावधान होगा।  सीपीएसई और स्‍टेट पीएसयू में एम्‍पलॉयर १२ फीसदी ही हिस्‍सा डालेंगे। यह नीति उनके लिए है जिन्‍हें पीएम गरीब कल्‍याण पैकेज के तहत सरकार की ओर से २४ फीसदी ईपीएफ की सहायता नहीं मिल पाएगी।

सीतारमण ने आर्थिक पैकेज प्रेस कांफ्रेंस १.० में कहा कि लॉकडाउन के बाद गरीब कल्याण योजना का ऐलान किया गया था। लॉकडाउन में राशन और अनाज का वितरण किया गया। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनको भी राशन मुहैया करवाया गया। लोगों के खाते में पैसे पहुंचाए गए।

उन्होंने २० लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के बारे में कहा कि सभी पक्षों से बातचीत के बाद यह पैकेज तैयार हुआ है। सीतारमण ने कहा कि पैकेज में इंडस्ट्री का ध्यान रखा गया। उन्होंने कहा – ”ग्रोथ में तेजी लाने के लिए यह पैकेज जरूरी था।  पीएम मोदी ने देश के सामने आत्मनिर्भर भारत का विजन पेश किया। इस पैकेज से भारत आत्म-निर्भर बनेगा। लोकल ब्रांड को ग्लोबल बनाना आत्मनिर्भर भारत मिशन का हिस्सा है।”

67 फीसदी की नौकरी गई, 74 फीसदी आधा पेट खाकर सोने को मजबूर

कोरोना महामारी के चलते देश में 50 से ज़्यादा दिन से देशभर में सब ठप है। लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर बुरी तरह तोड़ दी है। तालाबंदी के चलते मजदूर असहाय और लाचार हो गए हैं। ना चाहते हुए भी रोटी के लिए अपने तमाम दुश्वारियों के साथ अपने गांव जाने को मजबूर हैं।
लॉक डाउन की वजह से  से भारी संख्या में श्रमिकों और कामगारों को नौकरी गंवानी पड़ी है। एक सर्वे के मुताबिक, लॉकडाउन से 67 फीसदी लोगों की नौकरी चली गई है। शहरी क्षेत्र में 10 में से 8 श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्र में 10 में से 6 मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इतना ही नहीं। सबसे दुखद पहलू यह है कि देश की 74 फीसदी आबादी भर पेट भोजन नहीं कर रही है यानी 4 कि जगह दो ही रोटी कहकर गुजर करने को मजबूर हैं।
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इंप्लॉयमेंट (सीएसई) ने 10 नागरिक सामाजिक संगठनों के सहयोग से ये सर्वे कराया है। 13 अप्रैल से 9 मई के बीच 4000 लोगों से फोन पर सर्वे किया गया है। इसके तहत आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना, यूपी, पश्चिम बंगाल में रोजगार और सरकारी योजनाओं के हालात की जानकारी ली गई।
सर्वे में पता चला है कि करीब 61 फीसदी परिवारों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे एक हफ्ते का राशन खरीद पाएं। सीएसई की रिसर्च फेलो डॉ. रोजा अब्राहम बताती हैं, ‘मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए ये जरूरी था कि हम सबसे कमजोर वर्गों से बात करते और उसे सबके सामने रखते।
उन्होंने बताया कि हम जानना चाहते थे कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। नागरिक सामाजिक संगठनों की मदद से कराए सर्वे में हमने तीन बिंदुओं पर फोकस रखा है- उनके कार्य/ रोजगार पर प्रभाव, उनके घरों पर प्रभाव और सरकारी राहत तक पहुंच।