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छत्तीसगढ़ में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरू, पहली क़िस्त में  किसानों को १,५०० करोड़ रुपये ट्रांसफर किये

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने ”राजीव गांधी किसान न्याय योजना” गुरूवार को शुरू कर दी। योजना के तहत खरीफ २०१९ से धान और मक्का लगाने वाले किसानों को अधिकतम १० हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि दी जाएगी। योजना से राज्य के १९ लाख किसानों को कुल ५७०० करोड़ रूपए की राशि चार किश्तों में सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की जाएगी।

आज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि भी है। दोनों की मौजूदगी में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गुरुवार को पहली किस्त के रूप में १८ लाख ३४  हजार ८३४ किसानों को किसानों के खातों में १,५०० करोड़ रुपये ट्रांसफर किये। छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जो कोरोना वायरस संकट के दौर में भी किसानों को आर्थिक मदद दे रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए राज्य में इस योजना की शुरुआत की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ”न्याय योजना” का खाका २०१९ के लोकसभा चुनाव में खींचा था, जिसका मकसद किसानों और गरीब-जरूरतमंदों तो आर्थिक राहत देना है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी वीडियो कांफ्रेंसिंग से समारोह को संबोधित किया और मुख्यमंत्री को यह योजना शुरू करने के लिए बधाई दी। इसमें कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला भी शामिल रहे।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना किसानों को खेती-किसानी के लिए प्रोत्साहित करने की देश में अपने तरह की एक बड़ी योजना है। राज्य सरकार इस योजना के तहत खरीफ २०१९ से धान और मक्का लगाने वाले किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से उपार्जित मात्रा के आधार पर अधिकतम १० हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि दे रही है।

गन्ना फसल के लिए पेराई वर्ष २०१९-२० में सहकारी कारखाना द्वारा क्रय किए गए गन्ने की मात्रा के आधार पर एफआरपी राशि २६१ रूपये प्रति क्विंटल और प्रोत्साहन और  सहायता राशि ९३.७५ रूपए प्रति क्विंटल अर्थात अधिकतम ३५५ रूपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। इसमें राज्य के ३४ हजार ६३७ किसानों को ७३  करोड़ ५५ लाख रूपए चार किश्तों में मिलेगा जिसमें से प्रथम किश्त १८ करोड़ ४३  लाख आज हस्तांतरित की गयी।

सीएम भघेल ने भगेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के भूमिहीन कृषि मजदूरों को भी ”न्याय” योजना के द्वितीय चरण में शामिल करने का फैसला किया है।  बघेल ने इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की है। यह समिति दो माह में विस्तृत कार्ययोजना का प्रस्ताव तैयार कर मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार इसके साथ ही वर्ष २०१८-१९ में सहकारी शक्कर कारखानों के माध्यम से खरीदे गए गन्ने की मात्रा के आधार पर ५० रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि (बकाया बोनस) भी प्रदान करने जा रही है। इसके तहत राज्य के २४ हजार ४१४ किसानों को १० करोड़ २७ लाख रूपए दिया जाएगा।

रामजन्मभूमि पर खुदाई में मिली मूर्तियाँ

वर्षों तक चले रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद किये जा रहे समतलीकरण में ऊबड़-खाबड़ जगह की खुदाई में अनेक पुरातात्त्विक मूर्तियाँ मिली हैं। इन मूर्तियों में कई मूर्तियाँ, प्रतीक चिह्न, खम्भे और शिवलिंग मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, मलबा हटाने के दौरान क़रीब पाँच फीट ऊँचा एक शिवलिंग मिला है। इन अवशेषों में अनेक देवी-देवताओं की खण्डित मूर्तियाँ, कलाकृतियाँ, सात काले पत्थर के स्तम्भ और छः लाल पत्थर (रेड सैंड स्टोन) के स्तम्भ भी शामिल हैं।
मूर्तियां मिलने पर हिंदू महासभा के वकील विष्णु जैन ने कहा कि रामजन्मभूमि से पुरातात्त्विक मूर्तियों का मिलना सारे आरोपों का जवाब है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान मुस्लिम पक्ष ने हमें (रामजन्मभूमि के दावेदारों को) हिंदू तालिबान कहा था। उनका आरोप था कि वहाँ पर मंदिर के अवशेष तक नहीं है। लेकिन आज बड़ी तादाद में पुरातात्त्विक मूर्तियों का मिलना उनके सभी ग़लत आरोपों का जवाब है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दावा कर रहे थे कि यह रामजन्मभूमि ही है और आज यह बात स्वतः साबित हो गयी। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि परिसर में अनेक मंदिरों के अवशेष होने का ज़िक्र सुप्रीम कोर्ट पहले भी कर चुका है। क्योंकि पहले भी जब खुदाई का आदेश हुआ था, तब एएसआई को एक शिवलिंग मिला था। प्राचीनकाल में वहाँ कोई भव्य मंदिर था, जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने हमें वही जगह दी। एएसआई की रिपोर्ट में भी यह साफ़ किया गया था कि बाबरी मस्जिद के नीचे (रामजन्मभूमि पर) अनेक मंदिरों के अवशेष हैं। अब यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने हमारे द्वारा रखा गया तर्क कितना मजबूत था।
मूर्तियों के मिलने पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की देखरेख में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि का समतलीकरण हो रहा है, जिसके लिए पुराने ऊबड़-खाबड़ स्थानों को खोदा जा रहा है। कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन यहाँ हो रहा है। रामजन्मभूमि परिसर के पुराने गर्भगृह के समतलीकरण का कार्य 11 मई से चल रहा है।

घरेलू उड़ानों के लिए गाइडलाइन्स जारी हुईं, सख्ती से करना होगा इनका पालन

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने २५ मई से लॉक डाउन के बीच शुरू होने जा रही घरेलू विमान उड़ानों को लेकर गाइडलाइन्स (एसओपी) जारी कर दी हैं। यात्रा में आपसी दूरी के हिसाब से  व्यवस्था होगी जबकि १४ साल से ज्यादा  को अपने फोन पर आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड (पंजीकरण करना) ज़रूरी होगा।

उड़ानों के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) में  कहा गया है कि हर यात्री के मोबाइल फोन में न केवल आरोग्‍य सेतु एप्‍लिकेशन इंस्‍टॉल होना चाहिए, बल्कि उसका स्‍टेटस भी ग्रीन होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर यात्री को एयरपोर्ट टर्मिनल के भीतर इंट्री नहीं मिलेगी। एयरपोर्ट पर फ्लाइट के निर्धारित समय से दो घंटे पहले पहुंचना होगा।

इनके मुताबिक एयरपोर्ट पहुंचने के लिए ऑथराइज्ड टैक्‍सी का ही इस्तेमाल करना होगा। एयरपोर्ट पर पेमेंट के लिए सिर्फ डिजिटल मोड का इस्तेमाल होगा। एयरपोर्ट पर अन्‍य किसी भी शख्स या यात्री से छह फुट की दूरी जरूरी तौर पर बनाए रखनी होगी। सिर्फ वेब चेक-इन की सुविधा मिलेगी। एयरपोर्ट के लगे चेक-इन कियॉस्‍क का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

कहा गया है कि एयरपोर्ट टर्मिनल में प्रवेश से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि आपने मास्‍क, शू-कवर पहना है। इसे अनिवार्य बनाया गया है। विमान में दाखिल होने से पहले टेंपरेचर एक बार फिर चेक किया जाएगा। टेंपरेचर निर्धारित मानक से अधिक पाए जाने पर हवाई यात्रा की इजाजत नहीं मिलेगी।

विमान में अपनी सीट में बैठने के बाद यात्री को एक बार फिर सैनिटाइज किया जाएगा। साथ ही, यात्रा के दौरान क्रू के साथ यात्री को कम से कम संवाद करना होगा।

कुछ एयरपोर्ट्स पर जरूरत को देखते हुए यात्रियों को पीपीई किट भी पहननी पड़ सकती है।

यात्रियों को सिर्फ चेकइन बैगेज ले जाने की होगी इजाजत, पहले चरण में केबिन बैगेज पर पूरी तरह से मनाही रहेगी। एक यात्री को २० किलो भार वाले एक ही चेक-इन बैगेज ले जाने की इजाजत मिलेगी। चेकइन के दौरान, आपको खुद अपना बैग उठाकर बैगेज बेल्‍ट में रखना होगा।

इसके मुताबिक पहले चरण में ८० वर्ष से अधिक उम्र वाले यात्रियों को हवाई यात्रा की इजाजत नहीं होगी। टिकट बुकिंग के दौरान एयरलाइंस यात्रियों को एक फार्म उपलब्‍ध कराएगी, जिसमें उन्‍हें अपनी कोविड-१९ हिस्‍ट्री की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा, यदि कोई यात्री बीते एक महीने के दौरान क्‍वारंटाइन में रहा है तो इसकी जानकारी भी एयरलाइंस को देनी होगी।

अम्फान चक्रवात से बंगाल में १२ की मौत, सीएम ममता बनर्जी ने कहा यह तूफ़ान कोरोना से भी भीषण, हालात पर नजर

अम्फान चक्रवात ने बंगाल में जबरदस्त तबाही मचाई है। अब तक वहां इस तूफ़ान से १२ लोगों की मौत हो गयी है। सूबे में हजारों की संख्या में मकान ढह गए हैं जबकि बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित जगह पहुँचाया गया है।  राज्य सरकार ने पांच लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

चक्रवात का असर सूबे की राजधानी कोलकाता में दिखा है। राज्य के निचले इलाकों में पानी भर गया है। अधिकारियों के मुताबिक चक्रवाती तूफान के कारण जान-माल को हुए नुकसान का अनुमान लगाना अभी संभव नहीं है, क्योंकि जिन क्षेत्रों में सर्वाधिक तबाही मची है, उनमें अब भी जाना संभव नहीं है। कोलकाता सहित उत्तर २४ परगना और दक्षिण २४ परगना में लंबे समय तक बिजली आपूर्ति ठप रही। मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी बाधित हुई हैं। सुंदरवन डेल्टा के तटबंध इस चक्रवात के कारण टूट गए।

भारी बारिश और १९०  किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं के साथ अम्फान बुधवार दोपहर पश्चिम बंगाल के दीघा तट पर पहुँच गया। इसके बाद राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश और तूफान आया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य सचिवालय से मंगलवार रात से हालात पर नजर रख रही हैं। उन्होंने कहा कि अम्फान का प्रभाव कोरोना वायरस से भी भीषण है।

पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण २४ परगना जिलो में चक्रवात के कारण भारी बारिश और तूफान आने से खपरैल वाले मकानों के ऊपरी हिस्से तेज हवाओं में उड़ गए, पेड़ और बिजली के खम्भे उखड़ गए हैं। निचले शहरों और गांवों में पानी भर गया है। कोलकाता में १२५ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं ने कारों को पलट दिया और पेड़ और खम्भे उखड़कर गिर जाने से कई अहम रास्ते बाधित हो गए।

उत्तर २४ परगना जिले में एक पुरुष और एक महिला के ऊपर पेड़ गिर जाने से उनकी मौत हो गई। इसके अलावा हावड़ा में भी इसी प्रकार की घटना में १३ वर्षीय बच्ची की मौत हो गई। करंट लगने के कारण हुगली और उत्तर २४ परगना जिलों में तीन लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता के रीजेंट उद्यान क्षेत्र में एक महिला और उसके सात वर्षीय बेटे पर पेड़ गिर जाने से उनकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि तूफान के कारण उड़कर आई किसी वस्तु के टकरा जाने से कोलकाता में एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई।

महाराष्ट्र सरकार ने मंत्रालय के अफसरान व कर्मचारियों को मुंबई पुलिस की मदद के लिए किया डेप्यूट

महाराष्ट्र सरकार ने मंत्रालय के 40 साल से कम उम्र के अफसरान व कर्मचारियों को मुंबई पुलिस की मदद के लिए डेप्यूट किया है।

दरअसल मुंबई महानगर, पुणे महानगर से प्रवासी मजदूर अपने गांव पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।इन हालात में मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान में पहुंचाने के लिए पुलिस और राज्य सरकार के कंट्रोल रूम में कर्मचारियों की काफी कमी है जिसके चलते मजदूरों को भेजने में काफी अड़चनें आ रही हैं। इन परेशानियों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए राज्य कर्मचारियों को पुलिस की मदद में जुट जाने का आदेश दिया है। हालांकि इस आदेश के चलते कर्मचारियों में नाराजगी की खबरें हैं।

आईपीएस अधिकारी अमिताभ गुप्ता की अध्यक्षता में प्रवासी मजदूरों को उनके गृह नगर भेजने के लिए गठित टीम के बाद यह निर्णय लिया गया। 40 वर्ष से कम उम्र के अफसर एवं कर्मचारियों की फ़ेहरिस्त तैयार की गई और 1421लोगों को पुलिस की मदद कार्य को अंजाम देने के लिए डेप्यूट कर दिया गया।

अगले आदेश तक इन कर्मचारियों को मुंबई पुलिस के साथ रहना पड़ेगा। इस आदेश के अनुसार पुलिस कमिश्नर इन अफ़सर एवं कर्मचारियों को पुलिस स्टेशन में डेप्यूट करेंगे। इन सभी अफसरों और कर्मचारियों को 19 मई से मंत्रालय के कामकाज से कार्यमुक्त किया गया है ताकि वह पुलिस डिपार्टमेंट के साथ मिलकर कार्य कर सकें अब उन्हें पुलिस महकमे के अधीन काम करना होगा। इन कर्मचारी व अफसरों को ताकीद दी गई है कि यदि उन्होंने नए निर्देशों के अनुसार अपने कार्यों को अंजाम नहीं दिया उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा फिल्म इंडस्ट्री के साथ है सरकार। जल्दी शुरू हो सकती है शूटिंग

महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे ने आज एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में फिल्म इंडस्ट्री को दिलासा देते हुए कहा कि यदि उचित गाइडलाइंस का पालन करते हुए फिल्मों की शूटिंग एवं पोस्ट-प्रोडक्शन को अंजाम देने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर सौंपा जाएगा तो महाराष्ट्र सरकार करोना के खिलाफ लड़ाई में फिल्म इंडस्ट्री को सहयोग करने के लिए तैयार है। इस मीटिंग में चित्रपट महामंडल और मराठी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने चेहरे शामिल थे।

मराठी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े नितिन वैद्य बताया कि लॉक डाउन के दौरान कोरोना के कारण 110 सीरियल, 70 हिंदी, 40 मराठी और 10 ओटीटी की शूटिंग रोक दी गई है। कोरोना के कारण तीन लाख मजदूर और तकनीशियन प्रभावित हुए हैं। हर साल 30,000 एपिसोड का तैयार किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी सीरियल में पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश और मराठी में 250 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। प्रोड्यूसर को असुरक्षित ऋण के साथ-साथ कम ब्याज ऋण, सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों को बचाने, गरीब संगीतकारों की मदद करने, मराठी फिल्मों को सब्सिडी देने, फिल्म निर्माण पर जीएसटी माफ करने, सांगली-कोल्हापुर में शूटिंग की अनुमति देने की मांग की गई।

इससे पहले फैडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एमप्लॉइज ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का काम शुरु करने की गुज़ारिश चुकी है।
सीएम को भेजे गए एक पत्र में फिल्म इंडस्ट्री के पोस्ट-प्रोडक्शन कार्य को शुरु करने की इजाजत देने की मांग की है। पत्र कहता है , ‘अगर पोस्ट-प्रोडक्शन जैसे कामों के लिए अनुमति मिल जाती है तो कम से कम वर्कफ्रोस के साथ बंद स्टूडियो में काम किया जा सकता है और इससे बहुत राहत मिलेगी। लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद निर्माता अपने प्रोजेक्ट्स रिलीज करने को लिए तैयार रहेंगे।’

साथ ही फेडरेशन ने पत्र में आश्वासन देते हुए लिखा है कि फेडरेशन सरकार को यह भरोसा दिलाती है कि इस काम के दौरान सरकार स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित जो भी गाइडलाइन तय करेगी उनका कार्य स्थलों पर पूरी तरह से पालन होगा।

एफडब्लूआइसीई के चीफ एडवाइजर अशोक पंडित के अनुसार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और टीवी शो से जुड़े 32 क्राफ्ट संस्थाओं की मदर बॉडी फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज के तहत तकरीबन पांच लाख दिहाड़ी मजदूर व तकनीशियन काम करते हैं। इन पांंच लाख सदस्यों की ओर से चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा गया है और सभी ने इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला लेने की अपील की है।

फेडरेशन के मुताबिक देश में अकस्मात हुए लॉकडाउन की वजह से मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान से गुजरना पड़ रहा है। सभी फिल्मों और टीवी की शूटिंग रुकी हुई है जबकि कुछ फिल्में ऐसी हैं जिनकी शूटिंग पूरी हो चुकी है लेकिन सिर्फ पोस्ट प्रोडक्शन का काम जैसे; एडिटिंग, म्यूजिक रिकॉर्डिंग, साउंड रिकॉर्डिंग, आदि ही बाकी हैं। यह कुछ ऐसे काम है जिनको थोड़े से ही कर्मचारी एक बंद स्टूडियो में अंजाम दे सकते हैं।

एफडब्लूआइसीई के प्रेजिडेंट बीएन तिवारी के अनुसार जिन फिल्म निर्माताओं ने फिल्मों में एक बड़ी रकम लगाई है उनके लिए यह पोस्ट प्रोडक्शन का काम हो जाना ही एक बड़ी राहत होगी। जिस प्रोड्यूसर के प्रोजेक्ट अटके हुए हैं और उन्हें काफी नुकसान हो रहा है। इसके अलावा दिहाड़ी मजदूरों और जूनियर आर्टिस्ट के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। तिवारी कहते हैं, ‘हमें में उम्मीद है कि चीफ मिनिस्टर को हमारी इस मांग पर कोई आपत्ति नहीं होगी। मई के अंत तक हमें यह इजाजत मिल जाये, तो बेहतर होगा। हमें चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे के जवाब का इंतजार रहेगा।’

नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी को लेकर जारी किया नया नक्शा

पिछले दिनों नेपाल में जिस तरह से विरोध और प्रदर्शन किए गए और जैसा अंदेशा था, वैसा ही कुछ सामने आया है जिससे भारत के सबसे पुराने और पड़ोसी मुल्क के प्रति दोस्ती में दरार आ सकती है। भारत सरकार के विरोध के बावजूद नेपाल सरकार ने अपने देश का नया राजनीतिक और प्रशासनिक नक्‍शा जारी कर दिया है। इस नए नक्‍शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय क्षेत्र को अपना बताया है। इससे दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं।

नेपाल के भू-प्रबंधन और सुधार मंत्रालय की ओर से मंत्री पद्मा अरयाल ने नेपाल का यह नया नक्‍शा जारी किया। इससे पहले नेपाल में भारत के खिलापफ विरोध प्रदर्शन किए गए थे साथ ही उसने भारतीय राजदूत को भी तलब किया था। इसके बाद नेपाल की सरकार ने घोषणा की थी कि वह नया नक्‍शा जारी कर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र में शामिल करेगी। इस सरकारी नक्‍शे को अब स्‍कूलों और सभी सरकारी कार्यालयों में इस्‍तेमाल किया जाएगा। पद्मा ने बुधवार को बताया कि नक्‍शे को संसद के समक्ष रखा जाएगा ताकि उसमें किए गए संशोधनों को मंजूरी दिलाई जा सके।

लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा गुंजी, नाभी और कुटी गांवों को भी उसने इस नक्शे में जगह दी है। कालापानी के कुल 60 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर दावा किया है। पहले सोमवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्‍व में कैबिनेट की बैठक के दौरान इस नए नक्शे को मंजूरी दी थी।

लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल ने भले ही अपना हिस्सा बताया हो, पर ये भारतीय क्षेत्र में आते हैं और भारत का हिस्सा हैं। नेपाली कैबिनेट से नए नक्‍शे के प्रस्‍ताव को मंजूरी मिलने के बाद नेपाल की राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने कहा था, लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके नेपाल में आते हैं और इन इलाकों को वापस पाने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। इसके बाद संसद में मंगलवार को नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली कह चुके हैं कि कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख हमारे हैं और हम इनको लेकर रहेंगे।

कालापानी और लिपुलेख जैसे इलाके रणनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनकी अहमियत को चीन की सीमा से लगते दोकलम से समझा जा सकता है। नेपाल के बीच कालापानी बॉर्डर का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। नेपाल इस मुद्दे पर भारत से बात करना चाहता है। नेपाल का कहना है कि आपसी रिश्तों में दरार पड़ने से रोकने के लिए कालापानी मुद्दे को सुलझाना अब बहुत जरूरी है।

पिछले दिनों चीन के साथ ही सैनिकों की झड़प, दूसरी ओर पाकिस्तान सीमा पर लगातार गोलाबारी के साथ आतंकी वारदात सुर्खियों में रही हैं। अब ऐसे में नेपाल जैसे छोटे से देश का भारत के प्रति यह रुख कहीं न कहीं कूटनीतिक असफलता को दर्शाता है। इसके अलावा पड़ोसी और पुराने दोस्त के साथ अच्छे रिश्तों में कड़ुवाहट पैदा होने के आसार भी नजर आ रहे हैं। समय रहते उचित कदम उठाने होंगे साथ ही ड्रैगन की विस्तार की नीति पर भी शिकंजा कसना होगा।

श्रीनगर में बीएसएफ कैंप पर आतंकी हमला, २ जवान शहीद

श्रीनगर में बीएसएफ कैंप के पास उसकी टीम पर आतंकी हमला हुआ है। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक इसमें बीएसएफ के २ जवान शहीद हो गए हैं। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक यह हमला शाम सवा पांच बजे के आसपास श्रीनगर के गांदरबल इलाके में हुआ है। अज्ञात आतंकियों ने बीएसएफ के कैंप पर हमला कर दिया। अभी तक यह जानकारी नहीं मिली है कि आतंकी वहां कैसे पहुंचे।
बीएसएफ के शिविर पर गोलीबारी होने की भी जानकारी है। इसमें दो जवान शहीद  हो गए हैं। आतंकियों को घेरने के लिए ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। इस हमले में कितने आतंकी शामिल हैं, यह अभी साफ़ नहीं है।

घरेलू उड़ानें २५ मई से शुरू हो जाएंगी : पुरी

देश में २५ मई से घरेलू उड़ानें शुरू करने की तैयारी कर ली गयी है। एक ट्वीट के जरिये नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने इसकी जानकारी दी है।
यह एक बड़ी खबर है क्योंकि रेलवे ने भी जून के पहले हफ्ते से नान-एसी ट्रेन्स चलनी की बात आज ही कही है। अब सरकार ने घरेलू उड़ानें शुरू करने की भी तैयारी कर ली है।
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने जो ट्वीट किया है उसके मुताबिक सभी हवाई अड्डों और एयरलाईंस को भी इस फैसले की जानकारी दे दी गयी है। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक कुछ एयरलाईंस ने अपने पायलट और क्रू मेंबर्स को ४८ घंटे के नोटिस में फ्लाइट उड़ान के लिए तैयार रहने के लिए कहा है।
हरदीप पूरी ने कहा कि २५ फरवरी से घरेलू उड़ानें शुरू कर देने का फैसला कर लिया गया है। और जानकारी उन्होंने नहीं दी है लेकिन ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक इसमें आपसी दूरी के नियम का पूरा पालन करना होगा। साथ ही मास्क पहनना सभी के लिए अनिवार्य होगा। इसके अलावा प्लेन के भीतर एक तिहाई सवारियां ही रहेंगी। साथ ही प्लेन के भीतर उन्हें खाने की चीजें सर्व नहीं होंगी और सवारियों को प्लेन में चढ़ने से पहले अपना टेस्ट करवाना होगा।

चाहे भाजपा के झंडे-स्टीकर लगा लें, जरूरतमंदों के लिए हमारी भेजी बसें चलने दें : प्रियंका गांधी

लॉकडाउन के बीच गरीब मजदूरों को बसें उपलब्ध करवाने को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बुधवार शाम एक लाइव ऑनलाइन प्रसारण में यूपी सरकार से कहा कि चाहे तो वह भाजपा के झंडे और स्टिकर लगा लें, कांग्रेस की तरफ से उपलब्ध करवाई गयी बसों को जरूरतमंदों को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दे, क्योंकि यह जरूरतमंदों और मुसीबत के मारों के लिए हैं। प्रियंका गांधी के इस ब्यान के बाद बस मामले ने नया मोड़ ले लिया है।

प्रियंका गांधी ने यूपी की योगी सरकार से कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं है। अपने लाइन ऑनलाइन ब्यान में गांधी ने कहा – ”हमारी बसें उपलब्ध हैं। हम यूपी के मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं कि वे इन बसों का प्रयोग करें। बसों को चलने दें। यह बसें ४ बजे तक बार्डर पर खड़ी हैं।”

उन्होंने कहा कि भाजपा कह रही है कि कांग्रेस ने ८७९ बसें ही उपलब्ध करवाई हैं। प्रियंका ने कहा कि ठीक है इतनी बसें ही चलवा दो। जरूरत मंदों को इससे बहुत राहत मिल जाएगी। प्रियंका ने आरोप लगाया कि बसों को लेकर भाजपा बहुत ही गिरी हुई राजनीति कर रही है।

कांग्रेस नेता ने अपने ब्यान में पार्टी की तरफ से प्रदेश सरकार को सौंपी गई बसों की सूची में बाइक और टेम्पो के नंबर होने पर कहा कि अगर ऐसे कुछ नंबर हैं भी, हम नए नंबर देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में हम सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

गांधी ने कहा कि जो प्रवासी मजदूर पैदल चलकर अपने घरों को जा रहे हैं वो केवल भारतीय नहीं, बल्कि भारत की रीढ़ की हड्डी हैं। देश उनके खून पसीनों से चलता है। उनका ख्याल रखना सभी की जिम्मेदारी है। यह राजनीति का समय नहीं है। कृपया बसें चलने की इजाजत दे दें।