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लॉक डाउन बिना तैयारी था, आर्थिक पैकेज मजाक ही साबित हुआ : सोनिया गांधी  

कोविड-19 और लॉक डाउन के चलते राजनीति में जो ठहराव सा आ गया था, उसे ख़त्म करते हुए कांग्रेस ने विपक्ष को एक बार फिर मोदी सरकार के ख़िलाफ सक्रिय करने की पहल की है। कांग्रेस के नेतृत्व में हुई इस बैठक में २२ विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया। सोनिया गांधी ने बैठक में मोदी सरकार के लॉक डाउन लागू करने के तरीके  को बिना तैयारी का फैसला बताया और आर्य ठीक पैकेज को लेकर भी मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार किया।

यूपी की दो पार्टियों बसपा और सपा ने इस बैठक से किनारा किया, जिसका कारण कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की यूपी में जबरदस्त सक्रियता को बताया जा रहा है। अन्य बड़े नेताओं के आलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, डीएमके नेता एमके स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस बैठक में उपस्थित रहे, हालाँकि दिल्ली में सत्तारूढ़ आप को बैठक में आमंत्रित ही नहीं किया गया था।

इस बैठक में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया गया लॉक डाउन का फैसला तो ठीक था लेकिन उसे सही तरीके से नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास कोइ ”एग्जिट प्लान” नहीं था जिससे यह मजाक बन कर रह गया। सिर्फ ४ घंटे के नोटिस पर किया गया जिससे करोड़ों लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ी।

गांधी ने कहा कि लॉक डाउन का हमने भी समर्थन किया लेकिन सरकार ने बिना योजना इसे लागू कर दिया किया जिससे यह करोड़ों लोगों की मुसीबत बन गया।  कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि मोदी सरकार का घोषित २० लाख करोड़ का पैकेज भी देश के लिए मजाक ही साबित हुआ है।

सोनिया ने कहा कि सारी ताक़तें अब एक दफ्तर में सिमटकर रह गई हैं और इसका नाम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) है। सोनिया ने कहा – ”संघवाद की भावना हमारे संविधान का अटूट अंग है, लेकिन इसे भुला दिया गया है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है और हर अर्थशास्त्री इस बात को कह रहा है कि इस समय बड़े वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की ज़रूरत है लेकिन प्रधानमंत्री का घोषित २० लाख करोड़ का पैकेज देश के लिए मजाक साबित हुआ है। उन्होंने आरोप लगया कि वर्तमान सरकार के पास मुसीबतों का कोई हल न होना चिंताजनक है लेकिन ग़रीबों और कमजोरों के लिए किसी तरह की हमदर्दी या दया न होना बहुत ही निराश करता है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के अलावा देश की आबादी के १३ करोड़ ग़रीब लोगों को बेदर्द तरीक़े से नज़रअंदाज कर दिया गया है। इसमें किराये पर खेती करने वाले किसान, नौकरी से निकाले गए लोग, दुकानदार और ख़ुद का काम करने वाले शामिल हैं। सोनिया ने कहा कि प्रधानमंत्री को लगता था कि वायरस के ख़िलाफ़ यह जंग २१ दिन में ख़त्म हो जाएगी, लेकिन वह ग़लत निकले। ऐसा लगता है कि यह वायरस तब तक रहेगा, जब तक इसकी वैक्सीन नहीं मिल जाती। मेरा यह मानना है कि सरकार लॉकडाउन को लेकर निश्चित नहीं थी और न ही उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति है।

बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन के दो लक्ष्य हैं,  बीमारी को रोकना और आने वाली बीमारी से लड़ने की तैयारी करना। लेकिन आज संक्रमण बढ़ रहा है और हम लॉकडाउन खोल रहे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि एकाएक बग़ैर सोचे किए गए लॉकडाउन से सही नतीजा नहीं आया। लॉकडाउन से करोड़ों लोगों को ज़बरदस्त नुक़सान हुआ है। अगर आज उनकी मदद नहीं की गई, अगर उनके खातों में ७५०० रुपये नहीं डाले गए, राशन का इंतज़ाम नहीं किया गया, प्रवासी मज़दूरों, किसानों और एमएसएमई की मदद नहीं की गई तो आर्थिक तबाही हो जाएगी।

खशोगी के बेटे ने पिता के कातिलों को किया माफ

सऊदी अरब के चर्चित पत्रकार जमाल खशोगी के परिवार ने उनके हत्यारों को माफ कर दिया है। खशोगी के बेटे सालेह खशोगी ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। सालेह ने ट्वीट किया, ‘ हम शहीद जमाल खशोगी के पुत्र यह घोषणा करते हैं कि हम उन लोगों को माफ करते हैं जिन्होंने हमारे पिता की हत्या की। मामले में दोषी पाए गए 11 लोगों में से पांच को मौत की सजा सुनाई गई, तीन को कुल 24 वर्ष जेल की सजा हुई और अन्य बरी हुए थे।
वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार की हत्या ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं। कुछ पश्चिमी सरकारों के अलावा अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसी सीआइए ने कहा कि उनका मानना है कि प्रिंस सलमान ने हत्या का आदेश दिया था। हालांकि सऊदी अधिकारियों इससे इनकार कर दिया था।

पिछले साल सितंबर में सऊदी क्राउन प्रिंस ने कुछ व्यक्तिगत जवाबदेही का संकेत देते हुए कि ऐसा उनके निगरानी में हुआ। सऊदी अरब ने पिछले दिसंबर में खशोगी की हत्या के लिए पांच लोगों को मौत की सजा और तीन को कैद की सजा सुनाई थी। संदिग्धों के खिलाफ सऊदी अरब की राजधानी रियाद में गुप्त तरह से केस चलाया गया। इसकी संयुक्त राष्ट्र और अधिकार समूहों द्वारा निंदा की गई थी। हालांकि, सलाह खशोगी ने दिसंबर के फैसले पर संतुष्टि जताई थी और कहा था कि उन्हें इंसाफ मिला है।

जमाल खशोगी के बेटों ने शुक्रवार को घोषणा की कि उन्होंने अपने पिता के हत्यारों को माफ कर दिया है, जिससे सऊदी के पांच सरकारी एजेंटों की मौत की सजा पर रोक लग गई है। सलाह खशोगी ने ट्वीट किया, हम शहीद जमाल खशोगी के बेटे अपने पिता के हत्यारों को माफ करते हैं, जिसका  अज्र अल्लाह से मिलेगा।

सलाह खशोगी सऊदी अरब में रहते हैं और पिता की हत्या के मामले में उन्हें शाही अदालत से वित्तीय मुआवजा भी मिल चुका है। अरब न्यूज ने खशोगी के बेटों की घोषणा पर स्पष्टता देते हुए कहा कि बेटों के माफ कर देने से हत्यारे मौत की सजा से बच सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं है कि उनको कोई भी सजा नहीं मिलेगी।

पाकिस्तान में विमान हादसा, १०७ की मौत की आशंका

पाकिस्तान में एक बड़ा हवाई हादसा हुआ है। वहां शुक्रवार दोपहर बाद हुए इस हादसे में बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने की आशंका है। पाकिस्तान एयरलाइंस (पीआईए) के इस प्लेन में हादसे के वक्त ९९ सवारियां और आठ क्रू मेंबर (कुल १०७) सवार थे। घना रिहायशी इलाका होने के कारण वहां आम लोगों की मौत होने की आशंका है।
आशंका है कि हादसे में सभी लोगों की मौत हो गयी है। जहाँ यह हादसा  वह आबादी वाला इलाका बताया गया है लिहाजा मरने वालों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है।  यह प्लेन पीआईए की एयरबस ३२० थी जिसमें १०७ लोग सवार थे।
हादसा लैंडिंग होने से सिर्फ ६ मिनट पहले ही हुआ। उसका सम्पर्क टूट गया। फ्लाइट का नंबर ३०३ बताया गया है। जहाँ हादसा  पूरे इलाके में काला धुआं उठता दिख रहा है। वहां आग लग गयी है जिससे नुक्सान ज्यादा हुआ हो सकता है।
जानकारी के मुताबिक यह हादसा तब हुआ जब प्लेन पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट लैंड होने वाला था। जहाँ यह प्लेन हादसे का शिकार हुआ है वह घनी आबादी वाला क्षेत्र बताया गया है जिससे मरने वालों की संख्या बड़ी हो सकती है। यह हादसा जहाँ हुआ, वो इलाका जिन्हा गार्डन (मॉडर्न कालोनी) के नाम से जाना जाता है।
पता चला है कि प्लेन लाहौर से कराची आ रहा था कि लैंडिंग के ऐन वक्त पर हादसे का शिकार हो गया। यह प्लेन पीआईए की एयरबस ३२० थी जिसमें ९९ लोग सवार थे जबकि ८ क्रू मेंबर अलग से थे।
पता चला है कि प्लेन मकानों को रौंदता हुआ निकल गया। जहाँ यह हादसा हुआ वहां मस्जिद भी है। यह फ्लाइट लाहौर से १.१० बजे उड़ी थी और हादसे का शिकार  हो गया। हादसा स्थल पर बड़ी संख्या में ऐंम्बुलेंस दिख रही है जबकि फायर ब्रिगेड भी हैं।

मोदी, ममता का चक्रवात का जायजा लेने के लिए हवाई सर्वेक्षण शुरू, अब तक ८० की मौत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य  अधिकारियों के साथ बंगाल और ओडिशा का अम्फन चक्रवात से हुए नुक्सान का जायजा लेने के लिए हवाई सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। इस बीच बंगाल में चक्रवात से मरने वालों की संख्या ८० हो गयी है।

प्रधानमंत्री मोदी आज कोलकाता पहुंच गए जहां सीएम ममता बनर्जी ने उनका स्वागत किया। अब वे हवाई सर्वेक्षण के लिए रवाना हो चुके हैं। सीएम ममता बनर्जी ने गुरूवार को ही कहा कि पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान अम्फन की वजह से भीषण तबाही मची है जो एक लाख करोड़ से ज्यादा हो सकती है। यहां पिछले २८३ साल में यह सबसे भयावह तूफान है।

ममता ने गुरूवार को बातचीत कर प्रधानमंत्री मोदी से अम्फन प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने का आग्रह किया था। पीएम मोदी, मुख्यमंत्री बनर्जी के अलावा  राज्यपाल जगदीप धनकड़ और केंद्रीय मंत्रियों का एक समूह भी हेलिकॉप्टर में हवाई सर्वे में शामिल है। बाद में पीएम ओडिशा जायेंगे।

यह हवाई सर्वेक्षण फिलहाल नॉर्थ और साउथ २४ परगना का होगा जिसके बाद यह नेता बसीरहाट जाएंगे जहां एक साझी बैठक प्रस्तावित है जिसमें नुक्सान को लेकर चर्चा की जाएगी। शुक्रवार को पीएम मोदी कोरोना और उसके बाद लगे लॉक डाउन के ८३ दिन बाद राजधानी दिल्ली से बाहर गए हैं।

रेपो रेट घटाकर ४ फीसदी किया, जीडीपी ग्रोथ शून्य रहने का अंदेशा

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को रेपो रेट में ४० बेसिस पॉइंट की कटौती का ऐलान किया है। रेपो रेट को अब ४.४० प्रतिशत से कम करके चार  प्रतिशत करने की घोषणा की गयी है। रिवर्स रेपो रेट में, अलवत्ता, कोई फेरबदल नहीं किया है। आरबीआई ने कहा है कि वित्त वर्ष २०२०-२१ में देश की जीडीपी ग्रोथ शून्य (नेगेटिव) रहेगी और देश में आने वाले समय में महंगाई को कम रखना एक बड़ी चुनौती होगी।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक प्रेस कांफ्रेंस में रेपो रेट में ०.४० प्रतिशत की कटौती का ऐलान किया। अब रेपो रेट चार प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने अपनी तीन दिन की बैठक में रेपो रेट में कटौती करने को लेकर निर्णय किया है। अभी एक रेपो रेट ४.४ प्रतिशत था।

दास ने कहा कि कोरोना वायरस से उपजे संकट के बीच इकॉनमी को जबरदस्त झटका लगा है। हालांकि, साझे प्रयासों से हालात को संभाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष २०२०-२१ में देश की जीडीपी ग्रोथ निगेटिव रहेगी। साथ ही आगामी दिनों में महंगाई देश में महंगाई को कम रखना एक चुनौती से कम नहीं हैं।

रेपो रेट काम होने से ईएमआई पर असर पड़ेगा कम हो सकती है। इससे कर्ज  भी सस्ते दर पर मिल सकते हैं। दास ने प्रेस कांफ्रेंस में यह भी बताया कि लॉकडाउन के चलते छह बड़े प्रदेशों में औद्योगिक उत्पादन ठप हुआ है। बिजली, पेट्रोलियम की खपत में कमी आई है और मार्च में सीमेंट उत्पादन १९ फीसदी काम हो गया। यही नहीं भारत में निवेश में भी बड़ी कमी दर्ज की गई है।

चक्रवात में बंगाल में ७२ की मौत, एक लाख करोड़ का नुक्सान : ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल में अम्फन चक्रवात के कारण बड़े पैमाने पर तबाही हुई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे कुदरत का बड़ा कहर बताते हुए कहा है कि प्रदेश को इससे उबरने में महीनों लग जाएंगे। अभी तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक बंगाल में ७२ से ज्यादा लोगों की जान गयी है। बनर्जी के मुताबिक इस चक्रवात में एक लाख करोड़ का नुक्सान हुआ है।

चक्रवात को लेकर ममता सरकार की पहले से की गयी काफी तैयारियों के बावजूद इतनी तबाही हुई है। पांच लाख लोगों को सुरक्षित जगह पहुँचाने  सफल रही जिससे मौतों का आंकड़ा कम रहा। हालांकि, सीएम ममता बनर्जी ने इतनी ज्यादा जानें पर गहरा दुःख व्यक्त किया है।

बंगाल के कई जिलों में भीषण तबाही  इस चक्रवात ने मचाई है। विनाशकारी तूफान ने न केवल ७२ लोगों की जान चली गयी है, बल्कि बंगाल को भीषण रूप से  पहुंचाया है। कहा गया है कि साल १७३७ के बाद कभी इतना भयंकर तूफान नहीं आया।

ममता बनर्जी ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस भी की जिसमें उन्होंने कहा – ”ऐसा तूफान कभी देखा नहीं था। कई जिलों से संपर्क कट गया है। पीएम से अनुरोध है कि वे आकर बंगाल की त्रासदी को देखें और मदद दें।”

इस तूफ़ान में हजारों मकान, पेड़-पौधे, फसलें, दुकानें, बिजली के खंभे, मोबाइल टावर, लैंप पोस्ट तबाह हो गए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में वाहन, तटबंद, पुल और पुलिया धवस्त हो गए हैं। कोलकाता एयरपोर्ट के रनवे पर जमा पानी है। पूरे सूबे में बड़ी संख्या में झुगियां भी तबाह हो गईं हैं जिससे गरीबों को बड़ी मार पड़ी है।

तूफ़ान के बाद तबाही का मंजर साफ़ दिख रहा है। सड़कों पर गिरे पेड़, बिजली और केबल के टूटे तार और खंभे, क्षतिग्रस्त हुई गाड़ियां, गलियों और सड़कों पर बिखरे शीशे तबाही दास्तां कह रहे हैं।
हावड़ा, पूर्व मेदिनीपुर, दक्षिण और उत्तर २४ परगना, नदिया और  कोलकाता के कई इलाकों में बिजली गुल है और हर तरफ तबाही ही तबाही दिख रही है।

सीएम ममता बनर्जी ने बताया कि समीक्षा बैठक में उन्होंने अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर करने के निर्देश दिए हैं। अकेले कोलकाता में १५ लोगों की जान गई है, जबकि दक्षिण और उत्तर २४ परगना जिले में ३५, हावड़ा में ७ लोगों की जान गयी है।

तत्काल राहत के रूप में सीएम ने मृतकों के परिजनों को ढाई-ढाई लाख रुपये देने का ऐलान किया है। सीएम के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को फोन कर उन्होंने तबाही के विस्तृत जानकारी दी है, हालांकि अभी नुक्सान का पूरा आकलन करने में वक्त लगेगा। शाह ने ममता को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है।

ममता ने कहा – ”कोरोना की वजह से राज्य की माली हालत पहले ही बदहाल है। इस तूफान ने अब बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। फिर भी हमारी सरकार प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। एक हजार करोड़ रुपये का फंड तैयार किया गया है। संबंधित विभागों को तूफान से हुए नुकसान का आकलन और उठाए गए कदमों को लेकर सात दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।”

ममता खुद शनिवार को उत्तर और दक्षिण २४ परगना जिले का दौरा कर वहां जमीनी हालत देखने जा रही हैं। साथ ही वे तूफान प्रभावित लोगों से भी मिलेंगी। मृतकों के निकट परिजनों और घायलों को आर्थिक मदद के चेक भी सौंपेंगी। उन्होंने अपने  मंत्रियों को प्रभावित जिलों का जिम्मा भी सौंप दिया है। वे उन जिलों में जाकर हालात का जायजा लेंगे और बचाव-राहत कार्य देखेंगे।

कोरोना सेनानी सम्मान से नवाजी गई आईपीएस अफसर – तेजस्विनी सातपुते

कोरोना तूफान के कारण 24 मार्च, 2020 से भारत में तालाबंदी चल रही है . नागरिकों ने ऐसी अभूतपूर्व स्थिति का अनुभव अभी तक  नहीं किया .  उसके अलावा, सरकारी एजेंसियों के पास भी ऐसा कोई अनुभव नहीं था .  इसलिए शुरुआती दिनों में लॉकडाउन को लागू करने में प्राकृतिक कठिनाइयाँ आम लोगो के साथ साथ सरकारी लोगो में भी थीं . इसी तरह, एक व्हाट्सएप मीडिया समूह पर, महाराष्ट्र के  सातारा जिले की पुलिस अधीक्षका  तेजस्वी सातपुते के पति का वायरल हुआ  . उस विडियो में यह दिखाई  दिया के  एस पी मैडम के पति कोरोना के त्रासदी के चलते स्वयं ही घर में खाना बनाकर उनके दप्तर के जाकर देते थे . साथ ही मैडम लोगो की सेवा में मशुगुल होते देखकर वर उनके पति खुद ही घर का सारा काम संभले हुए है करके वीडियो सामने आया . उसके अलावा एस पी तेजस्विनी सातपुते जी की  पुलिस सहयोगियों से अपील की हुईं अपील हमें भी हमें एक विडियो के ज़रिए सुनने को मिली . एसपी  मैडम का  लेआउट तो  बहुत सटीक था ;  लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि उस अपील में उनकी दोहरी संवेदनशीलता नजर आईं . समाज और अपने सहयोगियों जे  हितो का अपनापन कुट कूटकर  भरा उसमे नजर आ रहा था . जिससे हम स्वयं भी काफी प्रभावित हुए .

कुछ समय तक उलटफेर के लॉकड़ाउन के बंद के बाद सतारा जिले की  स्थिति, पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई, और उसमें भी शानदार तेजस्विनी  सातपुते मैडम, जो इस तरह के एक  प्रभावी तरीके से सफल काम कर रही थी , उनसे  हमने संपर्क किया . हमने उनसे कहा कि हम  उनके बारे में, उनके वर्तमान काम और समग्र रूप से यात्रा के बारे में लिखना चाहेंगे . वह उस समय बहुत जल्दी में थी . फिर भी  उन्होंने  संक्षेप में बताया कि अब कैसे और क्या चल रहा है

उन्होंने  कहा के  ” हमने समय-समय पर नागरिकों को सतारा जिले में तालाबंदी में सहयोग करने का आह्वान किया  है . पुलिस को इस तरह की परिस्थितियों से निपटने का कोई पिछला अनुभव नहीं था .  इसलिए सारे पुलिस महकमें को  मार्गदर्शन की आवश्यकता थी  .  नागरिकों को संवेदनशील पूर्वक समझाकर बताना , उनकी समस्या पर गौर करना ,  और यदि कोई कानून की भाषा नहीं समझते तो ,  ऐसे नागरिकों को हाथ में लिए बिना थाने लाकर अपराध दर्ज करवा लेना ,  यह सुझाव  हमने दिए थे . इसका सही प्रभाव पड़ा . समुदाय और पुलिस के बीच एक समझ बन गईं . लोग भी  स्थिति को समझने लगे . पुलिस ने भी लोगों की समस्याओं को समझना शुरू किया . हमने अवाम की  जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाओं पर काम करना शुरू किया इसके परिणामस्वरूप मुख्य रूप से जिले की ओर जाने वाली सभी सड़कों पर नाकेबंदी की गई .  सभी आने वाले यात्रियों की पूरी जानकारी लेते हुए, इसे आगे की उचित कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को सौंप दिया जाने लगा .  विदेशों से आने वाले नागरिकों पर अधिक गहराई  से जांच  पर जोर दिया गया . इसके अलावा, सतारा जिले के लाखों नागरिक नौकरी और व्यावसायिक कारणों से मुंबई-पुणे में हैं . नाकाबंदी के कारण, लगभग 4 लाख नागरिक सतारा जिले में लौट आए हैं . उनके बारे में जानकारी उपलब्ध करा ली गई . राजस्व और स्वास्थ्य प्रणाली को यह जानकारी दी गई , जो उस विभाग के लिए  बहुत उपयोगी बन गई . कुछ गतिविधियां सामाजिक प्रतिबद्धता से की गई थीं . इसमें उन्होंने पारधी समुदाय के बारे में जानकारी इकट्ठा कर  उनके लिए कुछ चीजें की . यह देखा गया कि  सातारा जिले में पारधी समाज के  900 परिवार हैं . वही जानकारी यह भी बताती है कि तालाबंदी के दौरान वे भूखे रह सकते थे . इस समुदाय के अधिकांश लोग मजदूर के रूप में काम कर रहे थ .  उनके हाथों का काम इस स्थिति में चला गया था .  इसके अलावा, इस समुदाय पर चोरी करने की  एक मोहर काफी सालो से  है . जबकि  केवल कुछ लोग  ही चोरी करने के मामले में सबसे आगे हैं . वहीं इस संकट की स्थिस्थीं में यही लोग कई गुर से चोरी चकारी के काम को ना अपनाए उस गहराई से मद्देनजर रखते हुए सातारा पुलिस ने उन्हें वक़्त वक़्त तैयार खाना मूहैया किया गया .

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस आज भी हाई अलर्ट पर है .  पुलिस  अलग-अलग पृष्ठभूमि पर जिले में गश्त करती रहती हैं . इसलिए स्वाभाविक रूप से वे  जिले की जगह की वास्तविकताओं से अवगत हैं .  ऐसे गश्त करने वाले पुलिस सहयोगियों से यह समझा जाता था कि कहां और किसे  मदद की जरूरत है . इस अवधि के दौरान, उदार व्यक्तियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों द्वारा दी जाने वाली सहायता को एकत्र किया गया और जरूरतमंद लोगों तक  मौके पर उपलब्ध कराया गया . एसपी . तेजस्वी सातपुते  को हाल ही में दिल्ली में भारत गौरव अवार्ड फाउंडेशन द्वारा कोरोना की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए “कोरोना फाइटर अवार्ड” से सम्मानित किया गया है . हमने इस सरल, कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस अधिकारी के ठिकाने के बारे में और जानने के लिए तेजस्वि सतपुते से फिर से संपर्क किया .  उस वक़्त भी  वह स्वाभाविक रूप से काम पर जी थे .  अब उनके पास उनकी यात्रा  के बारे में बताने का समय उनके पास  नहीं था .

फिर भी उन्होंने कहा के  आप कुछ बुनियादी बातों को जानने के लिए यूट्यूब पर उपलब्ध मेरे वीडियो को देखकर समझ सकते हैं, इसे देखने के बाद, यदि आप कोई और विवरण चाहते हैं, तो हम वापस बात करेंगे .

हमने उनके यूट्यूब वीडियो और उनके साथ बातचीत के  उनके शानदार नाम से मेल खाती प्रेरणादायक कहानि  को उजागर करने का फैसला  किया .  हमें  यकीन है कि आप पाठको के रूप में इसे पसंद करेंगे .

तेजस्वी  की शिक्षा महाराष्ट्र के  अहमदनगर जिले में औरंगाबाद की सीमा के पास शेवगाँव में बारहवीं कक्षा तक हुई थी माता कृष्णाबाई एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका हैं और पिता बालासाहेब एक पेशेवर हैं . तेजस्वी का व्यक्तित्व उनके माता-पिता से काफी प्रभावित है . पिता एक बहुत ही विचारशील गृहस्थ है, वह कहती है  कारण वही हैं ,  जब उनके माता-पिता का विवाह हुआ, तब वे दोनों 11 वी तक शिक्षित थे . उनके  पिता एक साधारण मजदूर थे, जिन्होंने अपनी शिक्षा रोक दी और घर के कामों में लगे रहे .  हालाँकि, उस समय, उनकी माँ सीखना चाहती थी . बहुत ही सामान्य माहौल में, पिता  ने उनकी माँ को अपनी शिक्षा जारी रखने की अनुमति दी थी . वह यह भी नोट करती है कि स्कूल के बाद उनजर पिता ने उनकी मा को जो प्रोत्साहन दिया वह उनके  परिवार के बदलाव की अनमोल  कुंजी थी . उनकी मां अपनी आईडी से प्राथमिक शिक्षक बन गई . नौकरी करते हुए बी.ए. एन एम  ए भी हुईं . आगे उनकी मा ने  अपनी पीएचडी करने की इच्छा रखी . चूंकि वह एक शिक्षक थी, वह चाहती थी कि उनके  बच्चे बहुत कुछ सीखें . वह शुरू से ही जिद कर रही थी .अपनी माँ के आग्रह के बारे में बताते हुए, तेजस्वी कहते मजाकर में  कहती हैं कि “मेरा स्कूल हर दिन दो जगहों पर भरा जाता था  एक असली स्कूल था जो कक्षा में सभी के लिए भरता था, और दूसरा घर  भी स्कूल था  वैसे भी, मुझे एक बच्चे के रूप में अध्ययन करना पसंद नहीं था तेजस्वी कहती हैं . मैं खेलने पर ज्यादा ध्यान देती थी .  लेकिन एक बात बहुत कम उम्र में हुई, वही  अध्ययन एक पसंदीदा विषय बन गया . जैसा कि यह पता चला, मेरी मां ने मुझे एक व्यावसायिक प्रश्नावली लाकर दी थी ताकि मैं लगातार  घर पर अध्ययन कर सकूं.  उन्होंने और उनकी छोटी बहन ने इसे हल किए बिना महीनों के लिए यूहीं छोड़ दिया था  पर एक बार उन्हे  याद आने पर उनकी मा ने इस बारे पूछा था , पर  मां को तब  बहुत तकलीफ हुई जब उन्हें पता चला कि प्रश्नावली अनुत्तरित रह गई थी . बहुत गुस्सा था ,  ठंड के  दिन  थे .  मॉम ने गुस्से में कहा, अगर आप पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं, तो इस व्यवसाय को घर पर रखने का क्या फायदा है ?  उसे भीतर  लगी आग में फेंक दो !  हालांकि, यह सुनकर दोनों बहनें बहुत शर्मिंदा हुईं . उन्होंने अपनी मां से कबूल किया कि वह दोबारा ऐसा नहीं करेंगे . उन्होंने जल्द ही उन सभी सवालों को हल कर दिया . उसी से दोनों बहनों को हमेशा के लिए पढ़ाई करने का सुख मिला . प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में, तेजस्वी चौथी कि  परीक्षा  में केंद्र में पहले स्थान पर आईं .  जब वह  अध्ययन  में रुचि रखने लगे  तो वह नंबर एक बनगए गए . उनकी गुणवत्ता, उनका चरित्र स्कूल में चर्चा का विषय बन गया और उनसे उम्मीदें  भी बढ़ गईं  उनके शिक्षकों को उम्मीद थी कि पढ़ाई में उनकी निरंतरता के कारण उन्हें 10 वीं की मेरिट सूची में शामिल किया जाएगा . इसलिए तेजस्वी का  जुनून जिम्मेदारी में बदल गया  इससे पहले * 12 * साल उनके स्कूल में कोई भी मेरिट सूची में नहीं था .  हालांकि, तेजस्वी ने शिक्षकों की अपेक्षाओं को पूरा किया . उन्होंने साबित कर दिया कि अध्ययन और योग्यता के साथ योग्यता सूची में स्थान प्राप्त करवा लिया .

मेरिट सूची में शामिल सभी बच्चों का मुख्य लक्ष्य डॉक्टर या इंजीनियर बनना होता है .  हालाँकि, तेजस्वि में यह सब नहीं  था . जब वह स्कूल में थी , तो वह पायलट बनना चाहता थी , क्यों के उनके  स्कूली जीवन में  शहीद पायलट निर्मल सिंह के जीवन पर एक पाठ  था . जिससे  पायलट के जीवन के बारे में क्या क्या बाते है यह  उस पाठ से तेजस्वी नी  सीख लिया  था, जिसपर उन्होंने पायलट बनने का सपना देख .  लेकिन उन्हें जल्द ही इस सपने को भूल जाना  पड़ा . वह भी गलतफहमी के कारण  , या उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध अपर्याप्त जानकारी के कारण कहो . तो यह था कि 11  वी कक्षा तक  तेजस्वी को चश्मा लगा .  किसी ने उसे बताया कि वह पायलट नहीं हो सकती .  तो उनका सपना चकनाचूर हो गया . और यह  पहले ही तय किया गया कि बे  डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनना चाहती . यद्यपि उन्होंने 10 वीं कक्षा के बाद विज्ञान शाखा में प्रवेश किया, लेकिन वह एक अलग राह की तलाश में थी .  वह कुछ नया और चुनौतीपूर्ण करने के लिए दृढ़ थी . इसके अलावा, उनके माता-पिता हमेशा उनका  समर्थन करते ही थे . उनके पिता ने उन्हें हमेशा कहा, आप जैसा चाहें वैसा करें, अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ भी न करें .  इसलिए, जब 12 में प्राप्त अंकों को आसानी से मेडिकल या इंजीनियरिंग में एक अंक मिल जाएगा, तो उन्होंने महाराष्ट्र में आए  नए बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) पाठ्यक्रम के लिए जाने का फैसला किया .  इसके लिए उन्होंने पुणे के  बारामती में विद्या प्रतिष्ठान संस्थान में प्रवेश लिया . उन्होंने इस डिग्री में उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए . इसी कोर्स के दौरान, उन्हें वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने के लिए बैंगलोर में सीएनआर राव द्वारा शुरू किए गए 3 साल के अनुसंधान पाठ्यक्रम जेएनसी एएसआर के लिए चुना गया था . बी.एस.सी करते हुए, उन्होंने हर साल दिवाली और गर्मियों की छुट्टियों के दौरान  भी इस कोर्स को पूरा किया . भारत के केवल दस छात्रों को इसके लिए चुना गया था . जिनमें  तेजस्वी महाराष्ट्र से एकमात्र थी . वास्तव में, छात्रों के पास एक सवाल है कि स्नातकोत्तर शिक्षा को कहाँ तक आगे बढ़ाया जाए . स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्हें भारत के एक प्रतिष्ठित संस्थान में भर्ती कराया गया . हालाँकि, दो साल तक उस कोर्स को करने के बाद, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें वैज्ञानिक बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है . प्रश्न यह था कि बीएससी करने के बाद आगे क्या करना है ?  उन्हें नियमित एमएससी करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी .  तेजस्वी कुछ हद तक एमबीए करना चाहता थी . हालाँकि, उनके आवेदन की समय सीमा समाप्त हो गई थी . आईएलएस लॉ कॉलेज  में प्रवेश जारी था . वहां आवेदन भरा गया .कला के छात्रों की एक उच्च प्रवृत्ति है .  तो प्रतियोगिता बड़ी थी . कला के छात्रों में इसके उच्च अंक हैं .  उसकी तुलना में, बायोटेक जैसे नए विषयों को स्नातक में कम अंकों के कारण पहले दो सूचियों में नंबर नहीं मिला . तीसरी सूची में मात्र  सफलता मिल गई . जब तेजस्वी को  वहां प्रवेश मिला तो वे साल के बचत की उन्हे  खुश थी . कानून की पढ़ाई में  उनको  मिठास पैदा हुई . उन्होंने अपने परिवार को सपना दिखाया कि मैं अब जज बनूंगि . जब लड़की  ने डॉक्टर बनने से इनकार कर दिया, तो उनकी माँ समझ गई थी के , बेटी ने  फिर से वैज्ञानिक बनना छोड़ दिया,  माँ बेटी के जज बनने के अपने सपने से संतुष्ट  थी . फिर कानून की पढ़ाई का दूसरा साल शुरू किया . वे स्वयं अध्ययन में रुचि रखती थी .  इसी तरह, जब कक्षा के कुछ बच्चे घंटों तक  देखा गया कि वे आखिरी बेंच पर बैठे रहते  थे और प्रसिद्ध अखबार “हिंदू” पढ़ते थे .  जिज्ञासा से बाहर, उन्होंने उन विद्यर्थियो से  पूछताछ की तो पता चला कि यू.पी एस. सी के  अनुलेख परीक्षा के लिए द हिंदू अखबार बलो  को पढ़ना आवश्यक है . तब तक तेजस्वी को हा  यूपी एस सि के बारे  में कुछ पता था ना कभी उन्होंने उसे पढ़ा था . वह एस.सी या द हिंदू के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे .  फिर उन्होंने अधिक जानकारी के लिए इंटरनेट पर शोध शुरू  किया . पुणे में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा कक्षाओं का दौरा किया .  नतीजतन, वह यूपीएससी की प्रतियोगी परीक्षा में रुचि रखने लगी .

2009 में, उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी उनकी रुचि को समझते हुए, उन्होंने मुख्य परीक्षा के लिए मराठी और इतिहास को चुना .  पहला प्रयास बुरी तरह विफल रहा . दूसरे वर्ष में, उन्हें राज्य प्रशासनिक व्यवसाय संस्थान, महाराष्ट्र सरकार, मुंबई में चुना गया . दूसरे प्रयास में, वह 198 में स्कोर के साथ 2012  में देश की  आईपीएस अधिकारी बन गई .  यू परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, उन्होंने दिल्ली स्थित श्री .किशोर रक्ताट से शादी कर लीया . उस समय किशोर आरकत केंद्रीय योजना आयोग में कार्यरत थे .  परिणामों के बाद, तेजस्वी के  प्रशिक्षण की अवधि दो से तीन महीने तक चली .वह अगस्त 2012 में प्रशिक्षण के लिए मसूरी गई थी . 100 दिनों के लिए अपना फाउंडेशन कोर्स पूरा करने के बाद, उन्होंने हैदराबाद के प्रसिद्ध वल्लभभाई पटेल पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया . उन्होंने यह प्रशिक्षण दिसंबर 2012 से जनवरी 2014 तक पूरा किया . उन्होंने इस प्रशिक्षण में बड़ी सफलता भी हासिल की . इस प्रशिक्षण में, वे पुलिस के नेतृत्व के आधार पर लिखित परीक्षा के मानक वाहक बन गए . कठोर प्रशिक्षण से गुजरने के बाद, वह महाराष्ट्र पुलिस सेवा में शामिल हो गईं .  उन्होंने फरवरी 2014 से सितंबर 2014 तक जलगाँव में अपनी परिवीक्षा अवधि पूरी की . इस अवधि के दौरान, उन्होंने मातृत्व अवकाश लिया और दो जिलों, जलगाँव और जालना में अपने परिवीक्षा काल को पूरा किया .  बाद में उन्हें जालना जिले के भागुर में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात किया गया .

अब यह पुलिसिया तेजस्विनी महाराष्ट्र के सतारा जिला की तेजस्वी सातपुते के रूप में एस पी पदभार गहराइयों से संभाल रही हैं

घरेलू उड़ानों के अनुभव के आधार पर ही करेंगे अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने का फैसला : पुरी

देश में 25 मई से शुरू हो रही घरेलू उड़ानों को दोबारा शुरू करने के अनुभव के आधार पर कुछ प्रक्रियाओं में तब्दीली करनी पड़ सकती है और उसके बाद ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को शुरू करने के बारे में कोइ फैसला किया जाएगा। यह बात

केंद्रीय नागरिक उड्ड्यन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरूवार को कही। उन्होंने यह भी कहा है कि जो नियम तय किये गए हैं वे फिलहाल २४ अगस्त तक लागू रहेंगे।
पुरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि २५ मई से देश में घरेलू उड़ानों का संचालन  क्रमिक तरीके से शुरू होगा। एयपोर्ट्स और एयरलाइंस कंपनियों को इसकी तैयारी करने के लिए सूचित किया जा रहा है।

पुरी ने कहा कि घरेलू उड़ानों के लिए अधिकतम और न्यूनतम किराया सीमा तय कर दी गयी है जिसका सभी एयरलाइंस को पालन करना होगा। उदाहरण के लिए दिल्ली और मुंबई के बीच ९० से १२० मिनट की उड़ान का कम से कम किराया ३५०० रुपये होगा और अधिकतम किराया १०,००० रुपये होगा। ये नियम फिलहाल तीन महीने के लिए होगा जो २४ अगस्त (आधी रात) तक लागू रहेगा।

उन्होंने बताया कि देश के सभी हवाई रूट्स को सात रूट्स में वर्गीकृत किया गया है। इसके तहत पहला रूट ४० मिनट से कम का, दूसरा ४० से ६० मिनट के बीच, तीसरा ६० से ९० मिनट, चौथा ९० से १२० मिनट, पांचवा १२०-१५०, छठा १५०-१८० मिनट जबकि सातवां रूट १८० से २१० मिनट का होगा। देश के सभी रूट इन्हीं सात  रूटों के तहत संचालित होंगे।

नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि मेट्रो टू मेट्रो शहरों में अलग नियम होंगे और मेट्रो टू नॉन मेट्रो शहरों के लिए अलग नियम होंगे। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे शहर मेट्रो शहरों में शामिल हैं और शुरुआत में एहतियात के तौर पर एयरपोर्ट का एक तिहाई हिस्सा ही शुरू होगा।

पुरी ने बताया कि २५ मई से जो उड़ानें शुरू की जा रही हैं उनमें यात्रा करने वाले यात्रियों को प्रोटेक्टिव गियर, फेस मास्क पहनना जरूरी होगा और सैनिटाइजर की बोतल साथ रखना अनिवार्य होगा। एयरलाइंस उड़ानों के दौरान खाना नहीं परोसेंगी और पानी की बोतल भी गैलरी एरिया और सीटों पर मुहैया कराई जाएंगी।

उन्होंने कहा कि घरेलू उड़ानों को दोबारा शुरू करने के हमारे अनुभव के आधार पर, हमें कुछ प्रक्रियाओं में तब्दीली करनी पड़ सकती है, उसके बाद ही हम अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बारे में सोचेंगे।

पीएम केयर्स फंड के बारे में ट्वीट को लेकर सोनिया के खिलाफ एफआईआर

कोरोना संकट के बीच अभी मजदूरों के लिए बसों को लेकर जारी सियासत का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब भाजपा और कांग्रेस पीएम केयर्स फंड को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। कर्नाटक के शिवमोगा जिले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पर पीएम केयर्स फंड को लेकर गलत जानकारी प्रसारित की है।
पीएम केयर्स फंड के खिलाफ कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट के संबंध में गांधी के खिलाफ कर्नाटक में एक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि ट्वीट में कोष के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
शिवमोगा जिले में प्रवीण के वी नामक शख्स की शिकायत पर मामला दर्ज किया। आरोप लगाया है कि कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट में निराधार आरोप लगाकर जनता के बीच अविश्वास पैदा करने का प्रयास किया गया है। इस पर एक बार फिर दोनों प्रमुख पार्टियों के नेताओं के बीच बयानों का दौर शुरू हो गया है।

शिकायतकर्ता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और ट्विटर हैंडल को संभालने में शामिल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। कर्नाटक कांग्रेस के प्रवक्ता सुभाष अग्रवाल ने मामला दर्ज होने की निंदा करते हुए कहा, विपक्ष की जिम्मेदारी होती है कि वह सरकार पर सवाल खड़े करे। अगर विपक्ष की आवाज दबा दी गयी तो लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा। अग्रवाल ने यह भी कहा कि पार्टी ने हमेशा कहा है कि जब प्रधानमंत्री राहत कोष पहले से ही कार्य कर रहा है तो ऐसे संकट के समय में पीएम केयर्स जैसा फंड बनाए जाने की क्या जरूरत थी।

बस मामले में ट्वीट से कांग्रेस की फजीहत करने वाली विधायक अदिति सिंह पार्टी से निलंबित

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के गरीब मजदूरों के लिए १००० बसें उपलब्ध करवाने वाले मामले में एक ट्वीट करके अपनी ही पार्टी के खिलाफ स्टैंड लेने वाली उत्तर प्रदेश के रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह को कांग्रेस ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करके उनके जबाब-तलबी की गयी है।

यूपी के दिल्ली और आसपास इलाके में फंसे मजदूरों के लिए प्रियंका गांधी ने इन बसों का इंतजाम किया था। हालांकि, यूपी सरकार ने इन्हें अंतिम समय तक रोके रखा,  जिससे यह बसें बिना मजदूरों को उनके घर लाए, वापस भेजनी पड़ी थीं। यह भी आरोप भाजपा ने लगाया था कि कांग्रेस ने जो नंबर दिए हैं, इनमें १००० में से आधी ही बसें हैं, बाकी नंबर ऑटो, स्कूटर आदि के हैं, या कबाड़ बसें हैं।

बाद में इसे लेकर प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया और यह कि चाहे भाजपा के झंडे लगा लो, बसों को गरीबों को घर छोड़ने के लिए जाने दो। इसी दौरान कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने मजदूरों के लिए भेजी गयी इन बसों को लेकर एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कहा कि ‘यदि बसें हैं तो राजस्थान, पंजाब और महाराष्ट्र में क्यों नहीं लगाईं?” उन्होंने अपनी ही पार्टी को कहा कि कोरोना के इस संकट की घड़ी में निम्न दर्जे की सियासत नहीं की जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने सीएम योगी की भी तारीफ़ की थी।

यहाँ यह बताना भी दिलचस्प है कि अदिति सिंह को गांधी परिवार का बहुत नजदीकी माना जाता है। जाहिर है ऐसे में उनके ट्वीट से पार्टी में नाराजगी पैदा हुई है। अदिति,  जो महिला कांग्रेस की महासचिव भी हैं, को पार्टी से निलंबित करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है। वह पार्टी और पार्टी के महिला विंग के पदाधिकारी पद से भी निलंबित रहेंगी।