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प्राइवेट लैब्स में कोरोना टेस्ट की फीस से सुप्रीम कोर्ट नाराज, इन लैब्स में भी मुफ्त टेस्ट करने के लिए केंद्र को दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि कोरोना की टेस्टिंग फ्री हो। प्राइवेट लैब में भी कोरोना की टेस्टिंग का कोई शुल्क न लिया जाए। केंद्र सरकार इस बाबत जरूरी दिशा-निर्देश जल्द से जल्द जारी करे।

कोविड-19 की जांच आईसीएमआर से मंजूरी वाली लैब में या फिर एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैब में ही करने की अनुमति दी गई है। इस मामले में दो हफ्ते बाद फिर सुनवाई होगी।
कोरोना वायरस का टेस्ट फ्री करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया।

याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि निजी लैब्स में कोरोना टेस्ट के लिए वसूल किये जा रहे ४५०० रूपये की राशि बहुत ज्यादा है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है।

याचिका में मांग की गई है कि देश के हर जिले में कम से कम 100 या 50  वेंटिलेटर होने चाहिए। कोरोना वायरस संक्रमण के कितने मामले बढ़े हैं, इनकी  संख्या भी बताई जाए।
केंद्र की ओर से बताया गया कि 118 लैब रोज़ाना 15000 टेस्ट कर रही थीं। 47 प्राइवेट लैब  को शामिल किया है। अभी नहीं पता कि कितने की जरूरत होगी और कब तक तालाबंदी जारी रहेगी।

गौरतलब है कि पहले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) ने निजी लैब्स में कोरोना कोविड-१९ के टेस्ट के लिए ४५०० रूपये की कीमत तय की थी। लेकिन सरकार लोगों को यह भी कह रही थी कि यदि वे कोइ समस्या या सिम्टम नहीं देख रहे तो उन्हें टेस्ट की जरूरत नहीं है। साथ ही यह भी जरूरी किया था कि यदि किसी को जांच करवानी ही है तो उसे क्वालिफाइड फिजिसियन से लिखवाना होगा।

वुहान में लॉक डाउन ख़त्म करने की घोषणा, पटरी पर लौटेगी ज़िंदगी

चीन के जिस शहर वुहान से शुरू हुआ कोरोना कोविड-१९ विषाणु दुनिया भर में तबाही मचा रहा है, उस वुहान में ११ हफ्ते के बाद लॉक डाउन ख़त्म करने का ऐलान किया गया है। दुनिया भर में अभी तक ८२,१३१ लोगों की मौत कोविड-१९ विषाणु से हो चुकी है।

वुहान में ११ हफ्ते पहले लॉक डाउन घोषित किया गया था। अब बुधवार की रात से यह लॉक डाउन ख़त्म हो रहा है। चीन में इस विषाणु से अब तक ३,३३३ लोगों की जान गयी है जबकि अमेरिका में १२,८५७, स्पेन में ४,०४५, इटली में १७,१२७ और फ़्रांस में १०,३२८ लोगों की जान जा चुकी है। भारत में अब तक १६४ लोगों की मौत हुई है।

उधर चीन के वुहान, जहां से कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई और पूरी दुनिया में फैल गई, वहां ११ हफ्ते के बाद लॉकडाउन खत्म हो गया है। वुहान के लोग बाहर जा सकेंगे और इस तरह ढाई महीने तक क्वारंटीन में रहा यह शहर फिर से दौड़ पाएगा।

वुहान में यातायात की सुविधाएं आज से फिर शुरू हो रही हैं। स्टेशनों से ट्रेनें लोगों को लेकर निकलेंगी तो एयरपोर्ट पर विमान भी उड़ान भरेंगे।

बुधवार की मध्य रात्रि से लॉकडाउन खत्म होने के बाद शहर के १.१ करोड़ लोगों को अब कहीं भी आने-जाने के लिए विशेष अनुमति की जरूरत नहीं होगी बशर्ते अनिवार्य स्मार्ट फोन एप्लिकेशन में ये पता चलता हो कि वो स्वस्थ हैं और किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए हैं।

बैकों के बाहर उड़ रहीं सोेशल डिस्डेंस की धज्जियां

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एक ओर तो देश कोरोना वायरस के संकट से देश जूझ रहा है। वहीं कुछ अराजक तत्वों द्वारा अफवाहें फैलाये जाने से मध्य प्रदेश के शहरों से लेकर गांवों तक में लॉकडाउन के दौरान भी सोशल डिस्डेंस की धज्जियां उडाई जा रही है। सबसे हैरान और परेशान करने वाली बात तो ये है कि अफवाह उड़ायी जा रही है कि विधवा पैेशन और वृद्वा पेंशन के नाम पर सरकार ने हजारों रुपये बैकों में जमा कर दिये है। इस कारण महिलायें बैकों में रुपये निकालने को आ जाती है और बैक के कर्मचारियों से कहती हैं कि प्रदेश  सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेंशन का पैसा जमा करवाया है, वह निकाल दो। ऐसे माहौल में बैेकों के कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जो महिलाएं पैसा निकालने बैकों में आती हैं, उनको पता तक नहीं होता है कि कितना पैसा उनके खाते में जमा है और कितना पैसा सरकार ने जमा किया है? फिर भी वे बैकों में आकर लम्बी-लम्बी लाइनों में लगकर सोशल डिस्डेंस की धज्जियों उड़ा रही हैं।
मध्य प्रदेेश के छतरपुर जिलेे में महिलाएं बैकों में आकर बैक के कर्मचारियों से कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो विधवा और वृद्वा पेशन का पैसा जमा किया है, इलाज और खर्च के नाम पर, वो  वह पैसा निकाालने आई हैं। ऐसे में बैक के कर्मचारियों के सामने बड़ी ही विकट समस्या बन जाती है। दतिया जिले में तो हालत ऐसे हो गये थे कि बैकों के बाहर इस कदर भीड़ लग गयी थी कि पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद महिलाओं की बैक के बाहर खड़ी भीड को काबू किया।
गौर करने वाली बात है कि ये कि शहरों में तो पुलिस की चौकसी के बाद लॉकडाउन का पालन हो ही रहा है, पर कस्बों और गांवों में पुलिस की सख्ती कम होती है । ऐसे में यहां पर सोशल डिस्डेंस का पालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। बताते चलें कि मध्य प्रदेश में तेजी से कोरोना वायरस के मामले के चलते पूरे प्रदेश में हड़कंप है। यहां पर मेल-मिलाप लगभग बंद है । क्योंकि ग्वालियर, मुरैना, विदिशा और भोपाल सहित इंदौर में कोरोना वायरस का प्रकोप लोगों में दहशत पैदा कर रहा है। ऐसे में जरा-सी लापरवाही लोगों के लिए खतरा साबित हो सकती है। मुरैना के ठाकुर सुरेन्द्र गुर्जर ने बताया कि मुरैना में दिल्ली से डेली अपडाउन करने वालों की काफी संख्या है, जो टृेन, बसों और कारों से आते-जाते हैं। ऐसे में मुरैना में कोरोना के पॉजीटिव के मामले भी सामने आये हैं। बैक के बाहर खड़ी महिलाओं के दिमाग में न जाने कहां से यह बात भर दी गयी है कि लॉकडाउन के चलते सरकार खाने को सामान भी देगी और बैकों में सरकार पैसा जमा कर रही है। दतिया में बैक के बाहर रुपये निकालने लगी महिला ने बताया कि सरकार तब तक खर्चा महिलाओं को देगी, जब तक कोरोना वायरस नामक महामारी है। बैक कर्मचारी एस.के. शर्मा ने बताया कि अभी भी बैक में तमाम खाताधारकों में जागरूकता का अभाव है। इसलिए ये लोग बिना जाने-समझे बैकों में आकर रूपये निकालने की बात करते हैं। उनका कहना है बैक में आने पर किसी को कोई दिक्कत नहीं है,पर इस समय महामारी का कहर है। ऐसे में बैकों में आना सबके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।

30 अप्रैल तक नहीं चलेंगी ये ट्रेनें

लॉकडाउन के बाद भारतीय रेलवे कुछ ट्रेनों के संचालन की तैयारी कर रहा है। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, 15 अप्रैल से यात्री ट्रेनों का संचालन संभव है। हालाँकि शुरुआत में सभी ट्रेनें नहीं चलेंगी और यात्रियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। वहीं भारतीय रेलवे कुछ ट्रेनों का संचालन 30 अप्रैल तक रद्द रख सकता है। इनमें प्राइवेट ट्रेनें भी शामिल हैं। आईआरसीटीसी के मुताबिक, तीन प्राइवेट ट्रेनों का परिचालन 30 अप्रैल तक नहीं किया जाएगा। इनमें वाराणसी से इंदौर के बीच चलने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस के अलावा लखनऊ से दिल्ली और अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली तेजस शामिल हैं। आईआरसीटीसी ने देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र यह निर्णय लिया है। सवाल यह है कि आईआरसीटी ने इन तीन प्राइवेट ट्रेनों को रद्द क्यों किया? इस मामले में रेलवे मंत्रालय ने पहले ही कह दिया है कि लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद भी दूसरी भी यात्री ट्रेनें रद्द हो सकती हैं, इसलिए इन तीन ट्रेनों के रद्दीकरण के फैसले को दूसरी यात्री ट्रेनों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। मंत्रालय ने कहा है कि आईआरसीटीसी के पास ट्रेनों को रद्द करने और चलाने का अधिकार है। फ़िलहाल उसने ये तीन ट्रेनें रद्द की हैं, अन्य ट्रेनों के बारे में अभी फ़ैसला नहीं लिया गया है। लॉकडाउन खुलने में अभी एक सप्ताह का समय है। इस बीच और भी निर्णय लिये जा सकते हैं।

बता दें कि 15 अप्रैल से यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए रेलवे मंत्रालय रेलवे के साथ लगातार बैठकें कर रहा है। विदित हो कि केंद्र सरकार के देश भर में लॉकडाउन के निर्णय के बाद सभी यात्री ट्रेनों और सेवाओं को रेलवे ने रद्द कर दिया था।

लाॅकडाउन लंबा न चले, इसके लिए क्या कर रही है सरकार?

कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने के लिए अपनाए जा रहे लाॅकडाउन के दो हफ्ते बीत चुके हैं। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से इशारा कर दिया गया है कि जब तक वायरस का खतरा है, इस पर ढील देने का मतलब है कि लोगों के बीच में वायरस के प्रकोप को दावत देना। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रोजाना दिए जाने वाले अपडेट के दौरान बताया गया सिर्फ एक व्यक्ति सैकड़ों इंसानों को संक्रमित कर सकता है।

सवाल यह उठता है कि तमाम एहतियात बरतने के बावजूद संक्रमण का प्रकोप दिन ब दिन बढ़ता क्यों जा रहा है। आखिर कहां चूक हो रही है? अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ पर भी खतरा बरकरार है। दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों के बहुत से मेडिकल स्टाफ इसकी चपेट में आ चुके हैं साथ ही उनसे कहीं ज्यादा ने खुद को क्वारंटीन कर लिया है। मुंबई के एक बड़े अस्पताल में भी चिकित्सा कर्मियों में इसके लक्षण पाए जाने के बाद पूरे अस्पताल को सील कर दिया गया है।

एक तो अपने यहां बचाव के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। दूसरा, मेडिकल स्टाफ भी आबादी के लिहाज से नपा तुला ही है, उसमें भी अगर वह संक्रमण की गिरफ्त में आता है तो आने वाले समय में ये अच्छे संकेत कतई नहीं हो सकते हैं। इसलिए इस ओर सरकार को खास ध्यान देने की जरूरत है। मध्य प्रदेश में तो आला अफसरों का अमला चपेट में आ चुका है जिसमें तीन आईएएस अफसर पाॅजिटिव पाए गए हैं और दर्जनभर से अधिक क्वारंटीन में चले गए हैं।

डाॅक्टरों के साथ ही पैरा मेडिकल स्टाफ को उचित प्रोत्साहन देने के साथ ही पर्सनल प्रोटेक्षन इक्विपमेंट (पीपीई) उपलब्ध कराए जाएं और उनको आराम व जरूरी संसाधन तत्काल मुहैया कराए जाएं। सुरक्षा उपकरणों को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।

सरकार को चाहिए कि टेस्टिंग का दायरा बढ़ाए ताकि लोगों के बीच स्थिति स्पश्ट हो सके कि कहीं उनके आसपास भी वायरस नहीं पहुंच गया है क्योंकि मुंबई के स्लम धारावी में पहुंचने के बाद नोएडा के कुछ गांवों में भी इसके पैर पसारने की खबरें मिली हैं। हालांकि इलाकों को सील करके सैनिटाइज किया जा रहा है और संदिग्धों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन में रखा जा रहा है।

लेकिन क्या सैनिटाइज, क्वारंटीन और लाॅकडाउन ही इसके विकल्प हैं? इस पर गंभीरता से विचार करने की आवष्यकता है। इससे देशमें दूसरे तरह की कई दर्जनों समस्याएं सामने आ सकती हैं। सबसे बड़ी समस्या लोगों के रोजगार को लेकर है, दूसरी जरूरी सामान यानी प्रवासी मजदूरों के लिए खाने की चीजें मुहैया कराना। किसानों की फसल आने लगी है और मजदूर मजबूर है।

वर्तमान में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे महानगरों में जो हालात हैं, उससे लगता नहीं है कि यह लाॅकडाउन जल्द खत्म होने वाला है। अगर ये दोनों मेट्रो ष्षहर बंद रहते हैं तो इससे लाखों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट आने वाला है। इनमें से ज्यादातर गैर पंजीकृत या रिकाॅर्ड में नहीं हैं। इस तरफ मोदी सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी गंभीरता से विचार करके समय रहते कदम उठाने ही होंगे वरना आने वाले समय में वायरस से ज्यादा मौतें बेरोजगारी, भुखमरी और कुपोषण से हो सकती हैं।

पीपीई पोशाक बनाने की तैयारी में रेलवे

रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए रेलवे ख़ुद हर रोज़ 1000 पीपीई पोशाकों का निर्माण करेगा। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के मद्देनज़र रेलवे चिकित्साकर्मियों की पीपीई पोशाकों की कुल माँग की 50 फ़ीसदी की आपूर्ति करने पर विचार कर रहा है। फ़िलहाल जगाधरी स्थिति रेलवे कार्यशाला में पीपीई पोशाक तैयार की जा रही हैं। लगभग 17 कार्यशालाएँ का भी जल्द ही निर्माण कार्य शुरू करेंगी। भारतीय रेल ने अपनी कार्यशालाओं में पीपीई पोशाक के उत्पादन की शुरुआत की है। जगाधरी कार्यशाला के द्वारा तैयार पीपीई पोशाक को हाल ही में डीआरडीओ से मंज़ूरी मिली है, जो इस कार्य के लिए अधिकृत संस्था है। मंज़ूर किये गये डिजाइन और सामग्री के आधार पर इन पोशाकों का विभिन्न जोन स्थित कार्यशालाएँ निर्माण करेंगी। रेलवे के अस्पतालों में कोविड-19 मरीज़ों की देखभाल में जुटे रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को इस पीपीई पोशाक से सुरक्षा मिलेगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए इन सुरक्षात्मक पोशाकों के निर्माण हेतु सुविधाएँ तैयार की जा रही हैं, जहाँ हर रोज़ 1000 पोशाकों का निर्माण किया जाएगा। लगभग 17 कार्यशालाएँ इस कार्य में योगदान देने के लिए प्रयासरत हैं। पोशाक के लिए सामग्री की ख़रीद पंजाब के कई बड़े कपड़ा उद्योगों के निकट स्थित केन्द्रीकृत जगाधरी कार्यशाला द्वारा की जा रही है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में उत्पादन सुविधाओं को और बढ़ाया जाएगा। कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुटी सरकारी एजेंसियों ने रेलवे के इस प्रयास का स्वागत किया है। माना जा रहा है कि अब इस पीपीई पोशाक की उत्पादन सही तरीक़े से शुरू किया जा सकता है, कयोंकि तकनीकी विवरण और सामग्री आपूर्तिकर्ता दोनों तैयार हैं। माँग के अनुरूप एचएलएल को इसकी जानकारी दी गयी है। यह भी कहा जा रहा है कि इतने कम समय में पीपीई का विकास करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जिसका अनुसरण अन्य एजेंसियाँ भी करना चाहेंगी।

सोनिया गांधी ने पीएम को लिखी चिट्ठी, सांसदों का वेतन काटने का स्वागत किया, सरकार को दिए पांच सुझाव

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार के सभी सांसदों के वेतन से ३० फीसदी राशि काटने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। साथ ही इस चिट्ठी में उन्हें पांच सुझाव भी दिए हैं।

जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी ने सरकार को सुझाव दिया है कि तमाम सरकारी विज्ञापन तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए जाएँ। इसके अलावा उन्होंने सरकार के लोगों की आधिकारिक विदेश यात्राओं पर रोक लगाने का भी सुझाव दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी चिट्ठी में एक और अहम बात कही है। गांधी ने पीएम से आग्रह किया है कि पीएम केयर फंड को पीएम राष्ट्रीय राहत राशि फंड (पीएम-एनआरएफ) में ट्रांसफर कर दिया जाये। गौरतलब है कि अभी तक इस तरह की माहमारी या प्रकोप की स्थिति में पीएम रिलीफ फंड में ही दान का पैसा जाता रहा है।

सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में सरकार से यह भी कहा है कि विज्ञापनों पर खर्च किया जा रहा पैसा कोरोना की लड़ाई में इस्तेमाल किया जाये। गांधी ने २०,००० करोड़ की  लागत वाले संसद प्रोजेक्ट को भी स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि पीएम रहत फंड में ३८०० करोड़ की राशि का उपयोग नहीं हुआ लिहाजा उसे कोरोना की लड़ाई में इस्तेमाल किया जाये। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने खर्चे में भी ३० फीसदी कटौती करनी चाहिए और यह पैसा कोरोना के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।

पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को अस्थाई जेल से हिरासत में उनके घर में ही शिफ्ट किया

जम्मू कश्मीर में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पिता फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला पर से पीएसए हटाकर उन्हें रिहा करने के बाद अब मंगलवार को पीडीपी की प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को रिहा तो नहीं किया गया है लेकिन अस्थाई जेल से उन्हें उनके घर शिफ्ट कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक महबूबा की हिरासत ख़त्म नहीं की गयी है सिर्फ उन्हें जेल से घर शिफ्ट कर दिया गया है। उन्हें भी अन्य की तरह पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाए जाने के बाद हिरासत में लिया गया था  फरवरी में उनपर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगाकर हिरासत में लिया गया है।
”तहलका” की जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर यूटी के गृह विभाग ने पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती (६१) को जेल से उनके घर शिफ्ट करने का आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि मौलाना आजाद रोड स्थित अस्थायी जेल से उन्हें उनके आधिकारिक निवास स्थान फेयरव्यू, जो गुपकर रोड पर स्थित है, में शिफ्ट किया जाएगा। इस तरह महबूबा के घर को ही अस्थायी जेल बना दिया गया है।

भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामॉल  के निर्यात से बैन हटाया  

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी के बाद भारत सरकार ने मंगलवार को  कोरोना विषाणु के मुकाबले में प्रभावी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामॉल  के निर्यात से बैन हटाने का फैसला किया है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि सैद्धांतिक तौर पर फैसला किया गया है कि  कोरोना वायरस से प्रभावित अमेरिका समेत पड़ोसी देशों को इन जरूरी दवाओं की सप्लाई की जाये। कोरोना का प्रकोप बढ़ने के बाद भारत ने इन दो दवाइयों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

अब भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि कोरोना महामारी से इस समय भारत समेत दुनिया के सभी देश जूझ रहे हैं और मानवीय आधार पर हमने फैसला किया है कि पड़ोसी देशों को पैरासिटामॉल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाओं की पर्याप्त मात्रा की सप्लाई की अनुमति दी जाए।

अमेरिका ही नहीं ब्राजील, स्पेन और जर्मनी समेत करीब ३२ देशों से कोरोना संकट के दौरान हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात के लिए अनुरोध किया गया है और इनमें से ज्यादातर देशों ने बैन हटाने की भारत से मांग की थी। अब भारत सरकार ने निर्यात से बैन हटाने का फैसला किया है।

गौरतलब है कि पहले से ही भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा निर्यातक देश रहा है। इसका कच्चा माल चीन से आता है जिसकी कीमत भी हाल के दिनों में कोरोना वायरस की वजह से बढ़ गई है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में होता है और भारत में मलेरिया के मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है।

राहुल गांधी की डोनाल्ड ट्रम्प की भारत को धमकी पर सलाह, ‘दोस्ती पलटवार के लिए नहीं होती’  

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा नहीं भेजने पर भारत को धमकी देने पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि ”’दोस्ती पलटवार के लिए नहीं होती है”।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा उसे नहीं भेजने की सूरत में धमकी दे दी थी। दरअसल भारत ने इस दवाई ने निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा रखा था। जैसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत को धमकी सामने आई, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसपर पलटवार किया।

अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा – ”दोस्ती पलटवार के लिए नहीं होती है।” राहुल के इस ब्यान के पीछे कारण ट्रम्प का हाल के महीनों में भारत को बार-बार अपना ”सबसे बड़ा दोस्त” कहना रहा है। राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति की ”खिंचाई” करने के अलावा केंद्र सरकार को भी सलाह दी है कि ”भारत को मुश्किल घड़ी में सभी देशों को मदद करनी चाहिए। लेकिन जीवनरक्षक दवाइयों भारतीयों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए।”

जाहिर है राहुल ने मोदी सरकार को दूसरे देशों की मदद करने के साथ-साथ यह भी सुझाव दिया है कि उसकी प्राथमिकता अपने देश के नागरिक होने चाहिए और दवा पर्याप्त मात्रा में हो तो जरूरतमंद देशो जरूर मदद करनी चाहिए।

राहुल गांधी का ट्वीट –

Rahul Gandhi

@RahulGandhi
Friendship isn’t about retaliation. India must help all nations in their hour of need but lifesaving medicines should be made available to Indians in ample quantities first.