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सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख जरूरतमंदों के लिए १० किलो राशन तीन महीने तक बढ़ाने का आग्रह किया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पीएम मोदी को एक और चिट्ठी लिखकर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत आने वालों को १० किलो राशन तीन महीने तक बढ़ाने का आग्रह किया है। सोनिया गांधी ने इसके अलावा यह भी कहा है कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनको भी १० किलो राशन छह महीने तक दिया जाए।

अपनी चिट्ठी में सोनिया गांधी ने  प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध की इस घड़ी में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी नागरिक के समक्ष भूखमरी का संकट पैदा न हो। कांग्रेस अध्यक्ष ने चिट्ठी में पीएम के  उस फैसले का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध‍िनियम के तहत प्रति व्यक्ति ५ किलो अनाज अप्रैल से जून तक मुफ्त में देने की घोषणा की थी और कि इसे बढ़ाकर १० किलो कर दिया जाना चाहिये।

गांधी ने चिट्ठी में कहा – ”लॉकडाउन की वजह से देश भर में लाखों लोगों को भोजन की समस्या से जूझना पड़ रहा है। यह दुखद है क्योंकि भारत के पास खाद्यान्न का इतना बड़ा भंडार है, विशेषकर ऐसी महामारी जैसी परिस्थ‍ितियों से निपटने के लिए। लॉकडाउन के प्रतिकूल प्रभाव और लोगों की आजीविका पर पड़ने वाले इसके दूरगामी असर को देखते हुए आप मेरे इन सुझावों पर विचार करें।”

अपने सुझावों में सोनिया गांधी ने कहा कि पहला तो ये कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध‍िनियम के तहत प्रति व्यक्त‍ि १० किलो अनाज देने के प्रावधान को और तीन महीने के लिए यानी सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया जाए। ऐसा उन लोगों के लिए‍ भी किया जाना चाहिए जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं लेकिन वो मुसीबत में हैं।

असम की गाँवों में महिलाएँ बना रहीं सेनिटाइज़र और मास्क

आज जब कोविड-19 से निपटने के लिए देश भर के लोग एकजुट होकर सरकार द्वारा किये गये लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं, वहीं देश में सैनिटाइजर और मास्कों की कमी को पूरा करने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। ऐसे में अनेक लोग कई तरह से कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ सेवाएँ दे रहे हैं। असम के गाँवों की महिलाएँ इसके लिए चर्चा में आयी हैं। ये महिलाएँ घरों में सैनिटाइजर और मास्क बना रही हैं, ताकि आज के समय में इन ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति की जा सके। दरअसल, इन महिलाओं को सीएसआईआर-उत्तर-पूर्व विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान, जोरहाट के तहत ग्रामीण महिला प्रौद्योगिकी पार्क (आरडब्ल्यूटीपी) ने हैंड सैनिटाइज़र, मास्क और तरल कीटाणुनाशक आदि के निर्माण के लिए तैयार किया है। आरडब्ल्यूटीपी, जोरहाट ने क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को पारम्परिक गमोछा (असम का पारम्परिक सूती तौलिया) से मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया है। मास्क के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया, 150 गमोछा ख़रीदे गये तथा दो सिलाई मशीनों की व्यवस्था की गयी। बता दें कि एक गमोछा से 6 होममेड मास्क तैयार किये जा सकते हैं। महिलाओं को 15/ – रुपये प्रति मास्क की दर से भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा सैनिटाइजर और कीटाणुनाशक का उत्पादन भी किया जा रहा है। कोविड-19 से बचाव के लिए आस-पास के गाँवों के ग़रीबों में ये उत्पाद निःशुल्क बाँटे जाएँगे।

अंधविश्वास : कोरोना को हराने के लिए जादू-टोना

कहते हैं कि जब कोई मुसीबत आती है, तब कई मुसीबतों को साथ लाती है। ऐसा ही हो रहा है। 12 और 13 अप्रैल को आये भूकम्प के बाद लोगों में एक दशहत और डर का माहौल बनता जा रहा है। कि कहीं कोई विपदा और अनिष्ट या कोई अनहोनी न कर दे। दिल्ली में लोगों का कहना है कि मानव समाज पर अब दिन ब दिन संकट बढ़ रहा है। क्योंकि अभी कोरोना वायरस नामक महामारी से लोग जूझ ही रहे हैं। लॉकडाउन के कारण आना-जाना बंद है। ऐसी स्थिति में भी धर्म गुरुओं ने अपनी-अपनी दुकानें चलानी शुरू कर दी हैं। मौजूदा हालात में धामिक स्थल तो बंद हैं, पर उनके गुरुओं ने घर बैठे लोगों को इसे विपदा बताकर उनका उद्धार करने के अवसर निकाल ही लिये हैं। तहलका संवाददाता को कुछ लोगों ने बताया कि धार्मिक स्थल तो पूरी तरह से बंद हैं, पर आधुनिक युग में आज सभी धर्म गुरुओं के पास मोबाइल नम्बर हैं। ऐसे में वे अपने भक्तों को घर पर हवन और पूजा-पाठ करने की बात कर रहे हैं और दान-दक्षिणा भी मांग रहे हैं। सबसे मजे की बात तो यह है कि लोग धार्मिक गुरुओं के झांसे में आ भी रहे हैं। रविवार को जब भूकम्प आया तो लोगों ने अपने अपने गुरुओं से संपर्क साधा और वर्तमान में हो रहे अनिष्ट के बारे में पूछा, तो गुरुओं ने भक्तों को विपत्ति में जानकर उन्हें बचने के उपाय बताये। इस बात का ख़ुलासा तो तब हुआ, जब धर्म गुरुओं द्वारा बताये गये पूजा-पाठ की साम्रगी खरीदने वालों की दुकानों में भीड़ देखी गयी। इस बारे में पंडित दीन दयाल उपाध्याय का कहना है कि ये तो निश्चित है कि देश आज एक संकट में फंसा है और इससे बचने के लिए लोगों को अपने अपने ईश्वर को याद करना चाहिए, ताकि ये आने वाली विपदा को टाला जा सके।

बताते चले देश आज भी अंधविश्वास पर पूरा विश्वास कर कोरोना वायरस के दौर में जादू और टोना पर विश्वास कर रहा है। सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन के दौर में भी लोग अंध विश्वास के दौर में पूरा जादू और टोना के भरोसा के अपने को सुरक्षित मानकर चल रहे हैं। इसी कारण धार्मिक गुरुओं की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। यमुना पार कुछ तांत्रिक भेषधारी लोगों को कोरोना से बचाने के नाम पर जादू-टोना कर रहे हैं। दिल्ली जैसे शहर में जादू-टोना करने वालों की दुकानें जगह-जगह देखी जा सकती हैं।

दिल्ली में फिर भूकंप के झटके

देश की राजधानी दिल्ली में लगातार दूसरे दिन भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। लॉक डाउन के समय में भूकंप ने लोगों में दहशत भर दी है। आज भूकंप की तीव्रता २.5 बताई गयी है।
कल भी ३.5 की तीव्रता के भूकंप के झटके दिल्ली में महसूस किये गए थे। उनका एपिसेंटर दिल्ली ही था। जानकारी के मुताबिक दिल्ली में आज के भूकंप के झटकों की तीव्रता २.5 थी जिसे ज्यादा नहीं माना जाता लेकिन इसने लोगों में दहशत भर दी है।
पिछले काफी दिन से हिमाचल के चम्बा में लगातार भूकंप आ रहे हैं। वहां पिछले १५ दिन में कमसे कम पांच बार भूकंप के झटके महसूस किये हैं।

पीएम कल १० बजे देश को संबोधित करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को सुबह १० बजे देश को संबोधित करेंगे। अभी यह पता नहीं है कि अपने संबोधन में वे क्या ऐलान करेंगे। वे किसानों और मजदूरों के लिए पैकेज का ऐलान कर सकते हैं। हालांकि आपसी दूरी बनाए रखने को अभी जारी राख्या जाएगा, लिहाजा संभावना यही है कि लॉक डाउन चरणवद्ध तरीके से ही ख़त्म किया जाएगा।

अभी तक यह कयास लगाए जा रहे हैं कि लॉक डाउन को आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन साथ ही पीएम कुछ रियायतों का भी ऐलान कर सकते हैं। वैसे अभी तक ज्यादातर विशेषज्ञ और राज्यों के मुख्यमंत्री भी लॉक डाउन कमसे काम ३० अप्रैल तक बढ़ाने का समर्थन करते दिखे हैं।

लॉक डाउन का फायदा दिखा है और यह भी दिख रहा है कि देश में कोरोना के मामले भी बढ़ रहे हैं। मरने वालों की संख्या भी ३०० के पार चली गयी है। ऐसे में लॉक डाउन को इस मौके पर ख़त्म करना बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है।

दूसरे गरीबों, मजदूरों और किसानों को लॉक डाउन से बहुत मुश्किल दौर देखना पड़ रहा है। यह माना जा रहा है कि मजदूर और गरीब लॉक डाउन अचानक लगने और उनका कोइ इंतजाम न किये जाने से सरकार से नाराज हैं। लिहाजा उनके लिए मोदी पैकेज का ऐलान कर सकते हैं।

पालघर की फैक्ट्ररी में घमाका, २ कर्मियों की मौत

महाराष्ट्र के पालघर में एक फैक्टरी में ब्लास्ट होने से दो लोगों की मौत हो गयी है और कुछ लोग घायल हुए हैं। अभी यह पता नहीं है कि घमाका कैसे हुआ।

जानकारी के मुताबिक यह धमाका फैक्टरी के रिएक्टर में हुआ है। जिन दो लोगों की मौत होने की खबर है वे दोनों फैक्टरी में कर्मचारी थे। इस धमाके में कुछ लोग घायल भी हुए हैं। अभी यह पता नहीं है कि घमाका कैसे हुआ।

यह धमाका पालघर की एक फैक्टरी के रिएक्टर में सोमवार दोपहर हुआ है। उस समय वहां बहुत कम लोग थे। हालांकि, कितने लोग थे, इसका सही-सही पता नहीं है क्योंकि लॉक डाउन के कारण कायदे से वहां किसी को होना नहीं चाहिए था।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक जिन दो लोगों की जान गयी है वे दोनों फैक्टरी के ही कर्मचारी थे।

दिल्ली में भूकंप के झटके

दिल्ली में ५.४७ पर भूकंप के तेज झटके महसूस किये गए हैं। यह झटके बहुत ज्यादा तेज थे।  लोग घबरा कर घरों से बाहर निकल आये। बताया गया है कि इसका एपिसेंटर दिल्ली में ही बताया गया है। शुरुआती ख़बरों में बताया गया है कि इसकी तीव्रता ३.४ थी।

यह झटके इतने तेज थे कि दीवारें और पंखे तेज हिलते महसूस किये गए। अभी तक किसी नुक्सान की कोइ खबर नहीं है। लोग अभी भी दर के कारण घरों के बाहर खड़े हैं।

यह झटके तेज थे। इनका एपिसेंटर कहाँ था अभी तक मालूम नहीं है। यह भी नहीं पता कि इनकी सेंटर कहाँ था। झटके गाजियाबाद में महसूस किये गए।

‘सोशल डिस्टेंसिंग’ नहीं ‘फिजिकल डिस्टेंसिंग’ शब्द बोला और लिखा जाए

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते और लॉकडाउन के बीच सोशल डिस्टेंसिंग शब्द का इस्तेमाल गलत है और इस शब्द के इस्तेमाल से बचना चाहिए। समाज विज्ञानियों और डब्ल्यूएचओ का भी मानना है कि वायरस के चलते एक-दूसरे से दूर रहने को सोशल डिस्टेंसिंग कहने से लोगों में गलत संदेश जा रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने भी सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) शब्द इस्तेमाल करने की बात कही है। इतना ही नहीं, डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल अपने ट्वीट में भी फिजिकल डिस्टेंसिंग ही लिख रहे हैं।
पर, भारत में सोशल डिस्टेंसिंग शब्द का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। समाज शास्त्रियों का कहना है कि महामारी में बचाव के लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग रखने की जगह अपने सामाजिक रिश्ते और मजबूत रखने होंगे।
अमेरिका की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर डेनियल अल्ड्रिच शुरुआत से ही ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ शब्द के इस्तेमाल पर ऐतराज जताते रहे हैं। अपने शोधपत्र में  प्रोफेसर डेनियल अल्ड्रिच ने युद्ध, आपदा और महामारियों से उबरने में सामाजिक संबंधों की भूमिका पर एक शोध किया है उनका कहना है कि आपातकाल में उन लोगों के बचने की संभावना ज्यादा होती है जो सामाजिक तौर पर सक्रिय होकर जिंदादिल बने रहते हैं।
कड़वा सच तो यह भी है कि अधिक जनसंख्या घनत्व वाले मेट्रो व अन्य शहरी इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग का अमल किसी भी हालत में मुमकिन नहीं है। एक कमरे दर्ज़न भर लोग और एक टॉयलेट से कैसे इस पर अमल हो सकता है।
सोशल मीडिया ही नहीं, मेन स्ट्रीम मीडिया में भी सोशल डिस्टेंसिंग का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है और इस शब्द के इस्तेमाल से जाने-अनजाने समुदायों के बीच दूरी बढ़ाई जा रही है, जो समाज के साथ ही देश के लिए भी घातक साबित हो सकती है।

रोक के बावजूद तम्बाकू उत्पादों की बिक्री जोरों पर

कोरोना वायरस के तांड़व को रोकने के लिये केन्द्र और राज्य सरकारें जी-जान से प्रयासरत हैं। पर वहीं दिल्ली – एनसीआर में तम्बाकू उत्पाद की बिक्री जोरों पर है। हालांकि सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुये 22 मार्च 2020 के बाद ही तम्बाकू की बिक्री और उसके सेवन पर रोक लगा दी थी । फिर भी आज भी तम्बाकू की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इसके कारण तम्बाकू का सेवन करने वाले जमकर तम्बाकू का सेवन कर जगह -जगह सड़कों पर थूक रहे हैं। हालांकि सरकार ने सख्त आदेश दिये है कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक पर थूकते पाया गया तो कानूनी कार्रवाई होगी। उसके बावजूद थूकने वालों को कोई डर नहीं है। वे जहां- तहां सार्वजनिक स्थानों पर थूकते देखे जा सकते है। तहलका संवाददाता ने दिल्ली के उन इलाकों में राशन और पान विक्रेताओं के घरों के आस-पास देखा तो तम्बाकू उत्पाद और गुटखा की बिक्री हो रही है। गुटखा खरीदने वाले महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर है। क्योंकि उनको गुटखा खाने की लत ने इस कदर आदि कर दिया हैै। कि वे पान वालों के घरों में जाकर और राशन की दुकान पर गुटखा खरीदते देखे जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक जब दिल्ली सरकार ने सिनेमा घरों और कई सार्वजनिक स्थानों को बंद करने की बात ही की थी। तब नशीले पदार्थ विक्रेताओं और तम्बाकू उत्पाद बिक्रेताओं ने ये जान लिया था। कि तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगेगी। ऐसे में गुटखा और बीडी, सिगरेट की जमाखोरी कर इन उत्पादों में मंहगे दामों में बेचा जाना लगा है। बताते चले नशीले पदार्थो की बिक्री करने वालों का नेटवर्क इस कदर है कि आज भी वे इस सोशल डिस्डेंस और लॉकडाउन के दौरान भी तम्बाकू उत्पादों को बडी सरलता से अपने ग्राहक तक पहुंचा रहे है। इस नेटवर्क में  शामिल लोग सप्लाई पैदल चलकर और सब्जियों के थैले में रखकर तम्बाकू और बीडी सिगरेट भेजी जा रही है। ऐसा नहीं है कि इस खेल में कोई सरकारी अफसर शामिल न हो।
तम्बाकू और बीडी ,सिगरेट का सेवन करने वालों का कहना है। कि लॉकडाउन और सोशल डिस्डेंस ही तो है। इसका मतलब ये नहीं है कि वे अपने शौक पूरे न करें। रहा सवाल तो वे सार्वजनिक स्थानों पर गुटखा का सेवन नहीं करते हैं।
सबसे गंभीर बात तो ये है कि इस समय सारा सरकारी महकमा और पुलिस कोरोना वायरस के कहर से दो -चार हो रही है। ऐसे में कुछ व्यापारी वर्ग अपने लाभ को देखते हुये कोई मौका नहीं गंवाते है। जिसका नतीजा ये है। तम्बाकू और बीडी, सिगरेट की बिक्री जोरों पर है।
सूत्रों के मुताबिक इस समय तम्बाकू उत्पाद की जमाखोरी के कई स्थान दिल्ली में है जिनमें चावड़ी बाजार, शाहदरा, आनंद बिहार, मयूर विहार फेस 3, बंगाली मार्केट, पंजाबी बाग, बजीरपुर इंडस्ट्री और नेहरू पैलेस आदि शामिल हैं। जहां पर सुबह-सुबह ही माल की सप्लाई हो जाती है। किसी को भनक तक नहीं लगती है ।
ऐसी स्थिति सरकारी राजस्व को चूना लगाया जा रहा है और जमाखोर मुनाफाखोर बन कर चांदी कूट रहे हैं।
राशन की दुकान में गुटखा बेचने वाले नाम बदला हुआ  रमन ने बताया कि इस समय टीवी चैनलों में गुटखा का प्रचार किया जा रहा है, तो दुकानदार को बेचने में क्या दिक्कत है। सरकार को गुटखा की सप्लाई को पूरी तरह से बंद करनी होगी, तभी तम्बाकू उत्पाद पर रोक लगेगी अन्यथा कुछ नहीं होगा।

5 बच्चों के साथ माँ गंगा में कूद गई

लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश के भदोही के जहांगीराबाद गंगा घाट पर रविवार तड़के एक महिला ने अपने पांच बच्चों को लेकर गंगा में छलांग लगा दी। महिला खुद तो तैरकर बाहर आ गई, लेकिन पांचों बच्चे डूब गए। बच्चों में तीन बेटियां और दो बेटे हैं।
पुलिस और ग्रामीणों के अनुसार, गोपीगंज इलाके के जहांगीराबाद गांव निवासी मृदुल यादव की पत्नी मंजू यादव (36) देर रात अपने पांच बच्चों में शिवशंकर (6) केशव प्रसाद (3), आरती (11), सरस्वती (7) और मातेश्वरी (5) को लेकर जहांगीराबाद घाट पहुंची। सभी बच्चों को लेकर गंगा में छलांग लगा दी। पांचों बच्चे गंगा में डूब गए, वही मंजू तैरकर घाट के किनारे बैठी रही। सुबह जब ग्रामीणों ने पूछा रो मामले का खुलासा हुआ।
पूछताछ में मंजू ने बताया कि मैंने अपने पांचों बच्चों को गंगा में डुबोकर मार दिया। बताया गया कि बच्चों के पिता मृदुल यादव के अनुसार, वह बीती रात किसी रिश्तेदार को लेकर झारखंड गए थे। घटना की सूचना के बाद तत्काल बच्चों के पिता भी मौके पर पहुंच गए जिन्होंने बताया कि पत्नी दिमागी तौर पर फिट है। समझ में नहीं आ रहा है कि उसने ऐसा कदम कैसे और क्यों उठाया।
वहीं, बच्चों की मां ने आरोप लगाया कि पति से किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। जिसके बाद ही उसने यह कदम उठाया। फिलहाल मामले की पड़ताल जारी है और शवों की तलाश की जा रही है। इलाके में माहौल गमगीन हो गया है।