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जिसे जाना है, वो जाएगा : राहुल गांधी

राजस्थान में सचिन पायलट के बागी तेवर के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक बड़ा ब्यान आया है जिससे सचिन की कांग्रेस में वापसी पर ग्रहण लगता दिख रहा है। राहुल गांधी ने बुधवार शाम छात्र संगठन एनएसयूआई की बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा – ”जिसे जाना है, वो जाएगा। इससे युवा नेताओं के लिए जगह बनेगी”। राहुल की सचिन संकट के बाद यह पहली टिप्पणी है
इस ब्यान से राहुल गांधी का रुख सख्त दिख रहा है और जाहिर है कि कांग्रेस आलाकमान के पास सचिन पायलट के ”भाजपा के लिंक” को लेकर कुछ पुख्ता चीजें हैं। अब आज राहुल ने युवा कांग्रेस के कार्यक्रम में कहा है कि ”जिसे जाना है जाएगा, पार्टी छोड़ कर जाने वालों से डरने की जरूरत नहीं है। इससे युवाओं के लिए रास्ता निकलेगा”।
राहुल की कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी छोड़ कर जाने वालों से घबराने की जरूरत नहीं है, उल्टे ऐसे लोग युवा पीढ़ी के लिए रास्ते खाली कर रहे हैं। बैठक में राहुल ने कहा, ”जिसे जाना है, वो जाएगा”।
जानकारी के मुताबिक बैठक में राहुल गांधी के साथ एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन, प्रभारी रुचि गुप्ता और राष्ट्रीय पदाधिकारी भी थे जबकि कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ख़ास तौर पर उपस्थित रहे। वे जयपुर में हैं। राहुल के ब्यान के बाद यह कयास लगने शुरू हो गए हैं कि वास्तव में अब सचिन पायलट के पार्टी में वापसी की कितनी संभावनाएं बचती हैं।
माना जाता है कि जिस तरह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा सोनिया ने सचिन को ”समझाने” की कोशिश की और वे अड़े रहे उससे उनके प्रति बहुत सहानुभूति रखने वाले राहुल गांधी भी नाराज हैं। राहुल का बयान पार्टी के सख्त रुख को दर्शाता है। सचिन कह रहे हैं कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उनके घर वापसी की संभावना भी कम लग रही है।
इस बीच बैठक में राहुल ने कहा कि आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था के हालात काफी खराब होंगे। राहुल ने कहा कि उन्होंने फरवरी की शुरुआत में ही आर्थिक सुनामी की चेतावनी दे दी थी, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। राहुल ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बिगड़ते हालात की वजह कोरोना तो है ही साथ ही इसके पीछे मोदी सरकार के ए नोटबंदी जैसे गलत फैसले और गलत तरीके से लागू किया गया जीएसटी भी है। राहुल गांधी ने कांग्रेस के छात्र संगठन के नेताओं को आने वाले दिनों में मुश्किलों में फंसे लोगों की मदद करने को कहा है।

खट्टर की ”मेजबानी” छोड़ जयपुर आएं सचिन : सुरजेवाला

रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस प्रवक्ता

कांग्रेस ने बुधवार को ”बागी” बने बैठे सचिन पायलट को एक और मौका देते हुए उन्हें हरियाणा की ”खट्टर सरकार की मेजबानी छोड़कर” तत्काल जयपुर आकर पार्टी के बीच अपनी बात रखने को कहा है। उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्तमान हालात  और सचिन पायलट की महत्वाकांक्षा पर चुटकी लेते हुए कहा है कि ”प्लेट में सोने की छुरी खाने के लिए नहीं होती है”।

सचिन पायलट को मौका देने का ऐलान कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से बातचीत करते हुए  किया और सचिन को ”हरियाणा सरकार की मेजबानी छोड़कर” जयपुर आकर पार्टी के बीच अपनी बात रखने को कहा है। एक तरह से गहलोत से बाजी हार चुके सचिन के लिए निश्चित ही बहुत दुविधा की स्थिति बन गयी है।

पहले यह चर्चा थी कि उनके जो तीन चार समर्थक विधायक पिछले तीन दिन से पाला बदलकर गहलोत के समर्थन में जा खड़े हुए हैं, वे वापस सचिन के पास आ सकते हैं, लेकिन इसके विपरीत ऐसा लग रहा है कि जो विधायक सचिन पायलट के साथ हैं और हरियाणा के होटल में रुके हैं, वो भी सचिन से छिटकने की तैयारी में हैं। उन्हें अपनी चिंता सताने लगी है।

उधर सुरजेवाला ने आज मीडिया से बातचीत में सचिन को लेकर जैसे तेवर बनाये रखे, उससे साफ़ लग रहा है कि उन्हें ”बिना शर्त” कांग्रेस में वापस आना होगा। या फिर, जैसा कि उनपर भाजपा से ”मिलीभगत” का आरोप है, उन्हें अपना कोई रास्ता खोजना पड़ेगा। अभी तक के हालत से लग रहा है कि सचिन बहुत जल्दी और बिना सोचे-बिचारे फैसला कर गए जिससे उनके कांग्रेस में बहुत शानदार चल रहे करियर पर ग्रहण लग गया है, भले वे बार-बार सफाई दे रहे हों कि भाजपा में वे किसी सूरत में नहीं जायेंगे और कांग्रेस में ही हैं।

सुरजेवाला ने आज की मीडिया कांफ्रेंस में सचिन को जिस तरह ”हल्का” बनाकर पेश किया है, उससे साफ़ लग रहा है कि कांग्रेस में सचिन की वापसी बहुत ”कमजोर” रहेगी और राजस्थान में तो शायद ही उन्हें रखा जाए। दिल्ली में भी उन्हें वापसी करने में अभी महीनों लग जायेंगे। हालांकि, हो सकता है कि कुछ महीने का ”ईमानदार धैर्य” उनकी कांग्रेस राजनीति को पटरी पर ले आये। फिलहाल तो देखना यह है कि वे कांग्रेस में ही रहती भी हैं या नहीं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी आज मीडिया से बातचीत करते हुए सचिन के प्रति बहुत तल्ख़ दिखे हैं। वे साफ़ तौर पर यह आरोप लगा रहे हैं कि ”उप मुख्यमंत्री और   प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होते हुए भी उन्होंने (सचिन) भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र किया। गहलोत ने एक तरह से साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस में रहे भी तो भी वे सचिन को अब राजस्थान में किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। गहलोत ने यह भी साफ़ कहा है कि सारे षड्यंत्र के ”सबूत” उनके पास हैं। उन्होंने मीडिया के एक वर्ग को भी आईना दिखाया कि कैसे ”उलटे सीधे कयासों” के जरिये उनकी सरकार गिराने की ”मुहिम” ही शुरू कर दी गयी और यह अभियान चलाया गया कि राहुल गांधी और गांधी परिवार जानबूझकर सचिन और उन जैसे युवाओं को किनारे करना चाहता है।

उधर सुरजेवाला ने जिस तरह सचिन पायलट पर हमला किया है उससे साफ़ जाहिर है कि पूरी कांग्रेस आलाकमान में सचिन के प्रति ”नाराजगी” है। ऐसा लगता है कि गहलोत ने आराम और बहुत तैयारी से सचिन को आलाकमान के पास ”कमजोर” किया। शायद इसलिए वे कुछ सबूतों का दावा कर रहे हैं।

राजस्थान में भी सचिन पायलट ”सहानुभूति” खोते दिख रहे हैं। उनके साथ रहने वाले ”भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र रचने” के आरोपों से बेचैन हैं और जानते हैं राजस्थान जैसे मूल्यों वाले प्रदेश में जनता इसके लिए उन्हें सजा दे सकती है। इसलिए खबर आ रही है कि सचिन की साथ वाले विधायक कांग्रेस से माफी मांगने की तैयारी में हैं।

सुरजेवाला ने आज साफ़ कहा कि 14-15 साल में ही कांग्रेस ने उन्हें इतना आगे बढ़ाया। शायद ही कांग्रेस, यहाँ तक कि भाजपा में भी ऐसा प्रोत्साहन किसी नेता को मिला हो। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने सचिन को अवसर दिया कि भूल हो सकती है और उसे सुधारा जा सकता है लेकिन उन्होंने (सचिन) नहीं माना। सुरजेवाला के मुताबिक सचिन को इतना तक कहा गया कि आपका राजस्थान में विधायक दल में बहुमत है तो साबित करिये और अपना मनपसंद (सीएम) पद पा लीजिये।

इस बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस जारी कर 17 जुलाई को दोपहर एक बजे तक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लिखित जवाब मांगा है। विधानसभा की ओर से इन 19 विधायकों को तमाम माध्यमों से नोटिस के संबंध में सूचना भिजवाई गयी है। कांग्रेस विधायक दल की व्हिप की अवेहलना करके पार्टी की बैठक में नहीं आने पर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष मंगलवार देर रात एक मेल के जरिए एक याचिका लगाई थी, जिसके बाद स्पीकर ने यह नोटिस जारी किये।
इस स्थिति में यदि 19 विधायकों की सदन की प्राथमिक सदस्यता खत्म होती है (यदि कोइ विधायक वापस नहीं लौटता है), तो  200 सदस्यों वाली विधानसभा में 19 विधायकों की प्रथमिक सदस्यता खत्म होते ही 181 सदस्य रह जाएंगे। सदन में अभी कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं जिनमें से 19 निकलने पर कांग्रेस के पास 88 सदस्य ही बचेंगे। इस तरह 181 की संख्या में बहुमत का आंकड़ा 92 हो जाएगा और कांग्रेस के पास इससे ज्यादा संख्या है।

भाजपा में भी हलचल
भले राजस्थान की सरकार गिराने के आरोप भाजपा पर लगाए जा रहे हों, खुद राजस्थान भाजपा में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा। मुख्यमंत्री रहीं और ताकतवर नेता  वसुंधरा राजे सिंधिया आज भाजपा की बैठक में नहीं आईं। वो नाराज बताई जा रही हैं और उन्हें लग रहा है कि पायलट को भाजपा में लाने की ”कोशिश करके” उन्हें कमजोर करने का ”षड्यंत्र” रचा जा रहा है।

कोविड-19 से अब तक 24,309 की मौत, देश में पिछले 24 घंटे में 29,429 मामले

भारत में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या तेजी से 10 लाख की तरफ बढ़ती दिख रही है। इस वायरस से मौतों की संख्या भी 24,309 हो गयी है, हालांकि, देश में अब तक 5,92,032 लोग ठीक हो चुके हैं और अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। उधर अमेरिका में वायरस से मरने वालों की संख्या 1.39 लाख से पार चली गयी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को जो आंकड़े जारी किये उनके मुताबिक पिछले 24 घंटे में देश में 29,429 नए मामले सामने आए हैं। कुल  582 लोगों की जान गयी है। देश में 25 जनवरी से लेकर अब तक कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 9,36,181 हो गई है। इनमें से 3,19,840 सक्रिय मामले हैं।  अच्छी खबर यह है कि अब तक 5,92,032 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।

भारत सरकार की ओर से बताया गया कि ‘देश में कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर बढ़कर 63.20 फीसदी हो गई है। अब रिकवरी और मृत्यु का अनुपात 96.05: 3.95 फीसदी है।’

मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना मरीजों के वायरस से ठीक होने की दर बढ़कर 63.20 फीसदी हो गई है और अब रिकवरी और मृत्यु का अनुपात 96.05: 3.95 प्रतिशत है। मंत्रालय के मुताबिक देश में आज तक कुल 24,309 लोगों की मौत हुई है।

उधर देश में कोविड-19 के टेस्ट की संख्या भी बढ़ रही है। आईसीएमआर के मुताबिक देशभर में 14 जुलाई तक कोरोना के लिए 1,24,12,664 नमूनों का परीक्षण किया गया है जिनमें से 3,20,161 टेस्ट पिछले 24 घंटे में किये गए हैं।

यदि दुनिया भर की बात करें तो अमेरिका में मृतकों की संख्या 1.39 लाख से पार चली गयी है। करीब 35.45 लाख से ज्यादा लोग अभी संक्रमित हैं। ब्राज़ील में भी मौतों की संख्या बहुत तेजी से बड़ी है। वहां पिछले 24 घंटे में 1341 लोगों की जान गयी है जबकि अमेरिका में 935 लोगों की मौत हुई है।

पीएम ओली बोले, भगवान राम नेपाली हैं और भारत ने बनाई है ‘नकली अयोध्या’, संतों ने किया उनपर जवाबी हमला, माफी की मांग  

भारत से रिश्तों को तल्ख़  करने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कई बार विवादित ब्यान दिए हैं। अब राजनीति से हटकर वे धर्म पर आ गए हैं। उन्होंने नए ब्यान में कहा है कि ”भगवान राम नेपाली हैं और भारत ने ”नकली अयोध्या” खड़ी की है। उधर अयोध्या के संतों ने ओली के ब्यान पर कड़ा विरोध जताते हुए आरोप लगाया है कि ”चीन के उकसावे पर” नेपाल इस तरह की बयानबाजी कर रहा है।

इस ब्यान में ओली ने भारत पर ”सांस्कृतिक अतिक्रमण” का आरोप लगाया है।  प्रधानमंत्री निवास में आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने‌ कहा ”भारत ने नकली अयोध्या को खड़ा कर नेपाल के सांस्कृतिक तथ्यों का अतिक्रमण किया है। भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि नेपाल के वाल्मीकि आश्रम के पास है। हम लोग आज तक इस भ्रम में हैं कि सीताजी का विवाह जिस भगवान श्रीराम से हुआ है, वो भारतीय हैं। भगवान श्रीराम भारतीय नहीं, बल्कि नेपाल के हैं”।

उधर अयोध्या के संतों ने ओली के ब्यान पर कड़ा विरोध जताते हुए आरोप लगाया है कि ”चीन के उकसावे पर” नेपाल इस तरह की बयानबाजी कर रहा है। हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने नेपाल के प्रधानमंत्री से माफी मांगने के लिए कहा है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि नेपाल के पीएम ओली से कहें कि वह माफी मांगे।

याद रहे भानु जयंती के अवसर पर ओली ने यह ब्यान दिया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या, जनकपुर से पश्चिम में रहे बीरगंज के पास ठोरी नामक जगह में एक वाल्मीकि आश्रम है। वहां एक राजकुमार रहते थे। वाल्मीकि नगर नामक जगह अभी बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में है, जिसका कुछ हिस्सा नेपाल में भी है। उन्होंने कहा कि भारत के दावा किए जाने वाले स्थान पर राजा से शादी करने के लिए अयोध्या के लोग जनकपुर में कैसे आए?

भाजपा की साजिश नाकाम, पॉयलट खेल रहे थे विरोधी दल के हाथ, सीएम गहलोत बोले

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि पिछले छह महीने से उनकी सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचा जा रहा था। उन्होंने कहा कि भाजपा यह षड्यंत्र कर रही थी और सचिन पॉयलट भाजपा के हाथ खेल रहे हैं। गहलोत ने यह बात मंगलवार दोपहर राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने के बाद कही।

गहलोत ने कहा कि ”भाजपा की साजिश” नाकाम हो गयी है। वह खुला खेल खेल रही थी। ऐसा ही उसने मध्य प्रदेश में भी किया था। गहलोत ने इस मौके पर यह भी दावा किया कि ”बहुमत से ज्यादा” विधायकों का समर्थन उन्हें प्राप्त है। गहलोत ने सचिन पायलट और उनके समर्थकों से ज्यादतीन के आरोपों को लेकर कह कि ”मैंने कोई भेदभाव नहीं किया”।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि सचिन को अवसर भी दिया गया। कहा कि मजबूरी में कांग्रेस आलाकमान ने यह फैसला किया है। हमने उनको वापसी का पूरा अवसर दिया।
जनता समझ गयी है, उनपर दबाव है।

इस बीच पार्टी के अपने प्रति फैसले के बाद सचिन पायलट ने ट्वीट करके कहा – ”सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं”। चर्चा है कि सचिन या तो अपनी पार्टी बना सकते हैं या भाजपा में जा सकते हैं, हालांकि, उनके बहुत से समर्थक भाजपा में जाने के खिलाफ हैं। संभावना है कि पॉयलट क्षेत्रीय दल या किसान मोर्चा जैसा कोई संगठन बनाने का आने वाले दिनों में ऐलान कर सकते हैं। वैसे वे अभी भी कांग्रेस के प्राथमिक सदस्य हैं, और उन्हें इससे नहीं हटाया गया है।

इस बीच सचिन पॉयलट को लेकर हुए फैसले के बाद दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी स्वे मुलाकात की है। इसमें दोनों में किस बात पर चर्चा हुई, इसकी जानकारी नहीं है।

इससे पहले राजस्थान कांग्रेस के संकट के बीच पार्टी ने मंगलवार को घोषणा की कि भाजपा के साथ मिलकर गहलोत सरकार गिराने का षडयंत्र रचने और उन्हें समझाने के बावजूद सरकार गिराने की कोशिश करने के आरोप में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, दो मंत्रियों विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया है। सचिन को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है। गोबिंद सिंह डोटासरा को नया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है।

दोपहर एक साझी प्रेस कांफ्रेंस में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं और आलाकमान के दूतों रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन और प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। सुरजेवाला ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हेम सिंह शेखावत को सेवा दल का अध्यक्ष जबकि विधायक गणेश घोगरा को प्रदेश युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। पॉयलट को हालांकि, अभी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से नहीं हटाया गया है, लेकिन उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस शब्द हटा लिया है।

 सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा ने एक षड्यंत्र करके पूर्ण बहुमत से चुनी सरकार को गिराने की कोशिश की है। ईडी और आयकर विभाग के जरिये सरकारी इदारों का केंद्र की भाजपा सरकार ने गहलोत सरकार को कमजोर करने का षड्यंत्र रचा।

विधायक दल की बैठक में यह सारे फैसले किये गए और एक प्रस्ताव पास किया गया। गहलोत खेमे ने दावा किया है उसके पास बहुमत है और सरकार को कोई खतरा नहीं है। अब देखना है कि सचिन पायलट क्या फैसला करते हैं उनके गुट के ज्यादातर विधायक किसी भी सूरत में भाजपा में नहीं जाना चाहते हैं।

तीन दिन से चल रहे घटनाक्रम के बाद यह नतीजा निकला है। बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपनी पूरी ताकत कांग्रेस के सरकार बनाने के लिए झौंक देने वाले सचिन पायलट को ऐसे कांग्रेस से जाना पडेगा, शायद इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।

बिहार भाजपा मुख्यालय में कोरोना विस्फोट, 75 नेता संक्रमित

बिहार में कोरोना का कहर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ताज़ा मामला बिहार का भाजपा मुख्यालय का है, जो इसकी गिरफ्त में आ गया है। दफ्तर के स्टाफ समेत 75 नेता कोरोना संक्रमित मिले हैं। इन लोगों की टेस्ट रिपोर्ट मंगलवार को सामने आई है। सोमवार को ही 100 नेताओं का टेस्ट कराया गया था। पॉजिटिव मामले आने के बाद बीजेपी दफ्तर को सील कर दिया गया है। अब इसे सैनिटाइज किया जाएगा।
बिहार में कुल मरीजों का आंकड़ा 18 हजार पहुंच गया है।  यहां अब तक 160 लोगों की मौत हो चुकी है। राहत की बात है कि अब तक 12 हजार 317 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या 5482 है। लिजिन डराने वाली बात ये है कि पिछले कुछ दिनों कोरोना मरीजों के मामले तेजी से बढ़े हैं।
कोरोना संक्रमित मिले भाजपा नेताओं में संगठनात्मक महासचिव नागेंद्र और राज्य महासचिव देवेश कुमार भी शामिल हैं। नागेंद्र का कुछ माह पहले हार्ट का ऑपरेशन हुआ है। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश वर्मा और पूर्व एमएलसी राधा मोहन शर्मा की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। भाजपा मुख्यालय में कार्यरत तीन कर्मचारियों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है।
प्रशासन ने पार्टी नेताओं और कर्मचारियों के पॉजिटिव मिलने के बाद भाजपा कार्यालय को सील कर दिया है। पटना के बीर चंद पटेल मार्ग पर स्थित भाजपा कार्यालय को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है।

पॉयलट कांग्रेस के जहाज से ‘बाहर’, मंत्री पद, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त, डोटासरा नए कांग्रेस अध्यक्ष

राजस्थान कांग्रेस के संकट के बीच पार्टी ने मंगलवार को घोषणा की कि भाजपा के साथ मिलकर गहलोत सरकार गिराने का षडयंत्र रचने और उन्हें समझाने के बावजूद सरकार गिराने की कोशिश करने के आरोप में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, दो मंत्रियों विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया है। सचिन को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है। गोबिंद सिंह डोटासरा को नया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है। हेम सिंह शेखावत सेवा दल का अध्यक्ष बनाया गया है। पॉयलट को हालांकि, अभी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से नहीं हटाया गया है।

एक साझी प्रेस कांफ्रेंस में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं और आलाकमान के दूतों रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन और प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने इसका ऐलान किया। सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा ने एक षड्यंत्र करके पूर्ण बहुमत से चुनी सरकार को गिराने की कोशिश की है। ईडी और आयकर विभाग के जरिये सरकारी इदारों का केंद्र की भाजपा सरकार ने गहलोत सरकार को कमजोर करने का षड्यंत्र रचा।

विधायक दल की बैठक में यह सारे फैसले किये गए और एक प्रस्ताव पास किया गया। गहलोत खेमे ने दावा किया है उसके पास बहुमत है और सरकार को कोई खतरा नहीं है। अब देखना है कि सचिन पायलट क्या फैसला करते हैं उनके गुट के ज्यादातर विधायक किसी भी सूरत में भाजपा में नहीं जाना चाहते हैं। ऐसे में संभावना है कि पॉयलट क्षेत्रीय दल या किसान मोर्चा जैसे कोई संगठन बनाने का ऐलान करें।

तीन दिन से चल रहे घटनाक्रम के बाद यह नतीजा निकला है। बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपनी पूरी ताकत कांग्रेस के सरकार बनाने के लिए झौंक देने वाले सचिन पायलट को ऐसे कांग्रेस से जाना पडेगा, शायद इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।

दुष्कर्म की धमकी देने में यूट्यूबर शुभम मिश्रा के खिलाफ केस दर्ज

गुजरात की स्टैंडअप कॉमेडियन को दुष्कर्म की धमकी देने वाले यूट्यूबर शुभम मिश्रा के खिलाफ आखिरकार पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। वडोदरा पुलिस ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने शुभम को हिरासत में ले लिया है। आरोपी के खिलाफ धारा 294 (अश्लीलता), 354 (ए), 504 व अन्य धाराओं  के तहत मामला दर्ज किया है।
दरअसल, कॉमेडियन का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसको लेकर उनपर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का मजाक उड़ाया है। ये वीडियो अप्रैल 2019 का है। इसके बाद कॉमेडियन की काफी अलोचना भी हुई।
शुभम ने बाकायदा वीडियो बनाया
यूट्यूबर शुभम मिश्रा ने उभरती कॉमेडियन के खिलाफ छत्रपति शिवाजी महाराज का मजाक उड़ाने का आरोप लगाते हुए एक वीडियो अपलोड किया था। इस वीडियो पर कई लोगों ने आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि शुभम ने उनको दुष्कर्म की धमकी दी।
स्वरा भास्कर ने की थी शिकायत
शुभम मिश्रा का वीडियो सामने आते ही अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और इस बात की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग से लेकर पुलिस और महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख से भी की। हालांकि दोनों ने अपने अपने वीडियो के लिए माफी मांग ली।  इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने गुजरात पुलिस को तत्काल धमकी देने वाले के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार करने को कहा। उसी के बाद मामला दर्ज किए आरोपी को दबोच लिया गया।

एम्स में प्रशासन की मनमर्जी से पोस्टिंग के विरोध में कर्मचारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोरोना काल में, इस समय प्रशासन और कर्मचारियों के बीच परस्पर तालमेल के अभाव में मामला इस कदर गरमाता जा रहा है। कि कर्मचारियों को इसकी शिकायत सीधी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाँ हर्षवर्धन  से की है।एम्स के कर्मचारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण सैकडों स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना जैसी बीमारी से जूझना पडा है।बताते चले एम्स में तमाम पदों पर , पदों के विरूद्ध सैकडों कर्मचारी कार्य को अंजाम दे रहे है।इसकी पुष्टि एम्स की वेबसाइट पर प्रशासन द्वारा विभिन्न कैडर की वरीयता  सूची में साफ झलक रहा है।गत 6 माह पहले ही प्रोजेक्ट कार्य में बरसों से काम कर रहे तीन दर्जन से अधिक कर्मियों को न्यायालय के आदेशों से स्थायी किया गया है।नियमानुसार यह पोस्ट अस्पताल की किचन में होती है और इन्हें नियुक्ति के साथ ही सीधे वहां पदस्थापित किया जाना था ।परन्तु इन सभी को एम्स प्रशासन के भर्ती कार्यालय में लंबे समय तक पदस्थापन की प्रतीक्षा में रखा गया । जबकि  वहां मात्र बामुश्किल से दस ही कर्मी  ही बैठाये जा सकते है। चौकाने वाली बात ये है कि इनमें ज्यादात्तर को कुक, मशालची बेयर्स पद पर नियुक्ति दी गई थी।जबकि प्रोजेक्ट में यह अन्य पदों पर कार्यरत थे।सबसे गंभीर बात एम्स में इस ये बात उभर कर आयी है कि एम्स में ऐसी घटनाओं के होने से एम्स की साख और विश्वसीनता को धक्का लगता है।

कमोबेश स्थिति ये बहुत से कैडर के कर्मी के साथ है।एम्स के कर्मचारी प्रसासन पर अपनी मनमर्जी से अपने चहेतों को पोस्टिंग देते रहे है।मेडिकल रिकार्ड का काम देखने की बजाय मेडिकल रिकार्ड तकनीशियन एग्जाम सेक्शन , स्थापना कार्यालय व अन्य विभागों में कार्यरत है। इसी तरह लैब कार्य के लिये नियुक्त किये  गये तकनीकी कैडर के बहुत से कर्मी अपना मूल काम ना कर अन्य विभागों में कम्प्यूटर, स्टोर्स, मीडिया सहित अन्य महत्वपूर्ण विभागों में कार्य कर रहे है।एम्स के कर्मचारियों का कहना है कि एम्स में प्रसासन की लापरवाही का नतीजा ये है कि गत एक दशक से अधिक समय से एम्स के जनसंपर्क अधिकारी का पद खाली पडा है जिसके कारण एम्स में मीडिया को जानकारी प्राप्त करने में काफी दिक्कत का सामना करना पडता है।

आरटीआई कार्यकर्ता अजात शत्रु का कहना है कि एम्स प्रशासन स्वयं स्वीकार करता है कि बहुत से कैडर की वर्क प्रोफाइल में मौजूद नहीं है।उनका कहना है कि एम्स में फैली धाधंलीबाजी के विरोध में कर्मचारी चुप बैठने वाले नहीं है । इसकी शिकायत जल्द से जल्द प्रधानमंत्री से करेंगे ताकि भ्रष्ट्राचार को रोका जा सकें।

‘जादूगर’ अशोक गहलोत सरकार की जंग में विजयी, साथ 108 विधायक, पॉयलट के भी फिलहाल कांग्रेस में रहने की संभावना

यह 2018 के दिसंबर की बात है जब राजस्थान के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत का चयन किया। इसके तुरंत बाद तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर अपने दाएं-बाएं गहलोत और सचिन पॉयलट की फोटो डालकर लिखा – ”यूनाइटेड कलर्स ऑफ  राजस्थान”। आज करीब 19 महीने के बाद राजस्थान कांग्रेस की एकता का यह रंग दोनों की जंग खुलकर सामने आने के बाद थोड़ा ”मटमैला” हो गया है। अनुभवी अशोक गहलोत ने सोमवार को अपने से कहीं कम अनुभवी सचिन पॉयलट को सरकार बचाने की जंग में संख्या बल के आधार पर ”मात” दे दी। उनके साथ 108 विधायक (गहलोत समेत 109) हैं। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कल और आज परदे के पीछे से ”रोल” निभाया है और सचिन पॉयलट के कांग्रेस में बने रहने की भी बहुत संभावना है।

सचिन पॉयलट इस ”हार” के बावजूद कांग्रेस से बाहर चले जायेंगे, अभी कहना मुश्किल है। हो सकता है सचिन कांग्रेस के भीतर ही रहकर अपनी लड़ाई लड़ें। हो सकता है कि उनके कुछ लोगों को मंत्री पद दे दिए जाएं। सुबह जयपुर में कांग्रेस दफ्तर के बाहर पॉयलट की तस्वीर वाले जो पोस्टर हटाए गए थे, उन्हें फिर लगाने की कोशिश दिखी है। यह दिलचस्प है। सचिन के कांग्रेस के भीतर रहने से गहलोत  सरकार की मजबूती की ज्यादा गारंटी रहेगी, यह कांग्रेस भी समझती है।

भाजपा में उनके जाने की अटकलें सिर्फ इस आधार पर लगीं कि वे अपने समर्थक विधायकों को जयपुर से एक ऐसे राज्य के रिजॉर्ट (मानेसर, हरियाणा) में ले गए, जहाँ भाजपा की सरकार है। बहुत ज्यादा संभावना नहीं है कि ज़िंदगी भर भाजपा से लड़ने वाले पॉयलट मध्य प्रदेश के अपने पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह भाजपा में चले जायेंगे। पिछले दो दिन के राजनीतिक संकट के दौरान पॉयलट ने एक बार भी कांग्रेस नेतृत्व, गहलोत या पार्टी की निंदा नहीं की है। न भाजपा या उनके बीच किसी गठजोड़ के कोई साफ़ संकेत मिले हैं, जैसा सिंधिया के मामले में हुआ था।

”तहलका” की जानकारी के मुताबिक संकट के इस दौर में सचिन पॉयलट की जम्मू  कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और अपनी पत्नी के भाई उमर अब्दुल्ला से भी बात हुई थी। इसमें क्या चर्चा हुई पता नहीं, लेकिन समझा जाता है कि अब्दुल्ला ने उन्हें सोच समझकर ही फैसला करने का सुझाव दिया। पक्का नहीं, लेकिन अब्दुल्ला ने उन्हें कांग्रेस नहीं छोड़ने की सलाह दी।

विधायक दल की बैठक के बाद भी सचिन ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद या उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा अभी नहीं दिया है। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी चाहते हैं कि सचिन पॉयलट कांग्रेस में रहें और उनकी कुछ ”नाराजगियों” को दूर किया जाये, भले गहलोत ”सरकार में सुपर बॉस” रहें। सारे घटनाक्रम में प्रियंका गांधी को राहुल ने ही आगे किया और कहते हैं उमर अब्दुल्ला का भी इसमें ”रोल” दिखा है।

विधायक दल की बैठक में 102 विधायक थे, और कुछ किन्हीं कारणों से नहीं आ सके। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक गहलोत संख्या बल के आधार पर सचिन पर भारी रहे हैं, और सचिन समर्थक विधायकों को छोड़कर भी उनके साथ 108 विधायक हैं। हालात बता रहे हैं कि संकट फिलहाल टल गया है।  सचिन कांग्रेस में ही रहेंगे, यही ज्यादा संभावना है।

यह पॉयलट ही हैं जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीता था। ज़मीन पर सारा काम सचिन ने ही किया था, कांग्रेस में दिल्ली से लेकर जयपुर तक सभी इसे जानते हैं। गहलोत को शायद अब आलाकामन कहेगी, टकराव नहीं सचिन से प्यार के साथ चलें !