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पार्टी पद देती है, वापस भी ले सकती है, जनता से सत्ता के किए वादे पूरे करेंगे : सचिन पायलट

आखिर सचिन पायलट ने लंबी चुप्पी तोड़ते हुए सोमवार देर रात पहली बार ब्यान दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि पार्टी पद देती है, वह इसे वापस भी ले सकती है। सचिन ने कहा उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के सामने अपनी बात रखी है। कुछ मुद्दों को उठाना बहुत जरूरी था, मुझे पद की कोई लालसा नहीं है।

कांग्रेस में ही बने रहने की उनकी संभावना तभी बहुत पुख्ता हो गयी थी, जब वे आज दिन में गांधी परिवार से मिले थे। वह राहुल गांधी और प्रियंका से मिले। यह मुलाकात खासी लंबी चली। इसमें काफी गहन मंत्रणा उनकी कांग्रेस के दोनों प्रमुख नेताओं से हुई। पायलट को दोनों के नजदीक माना जाता रहा है।

देर शाम सचिन ने कहा वह पार्टी आलाकमान से मिले हैं।  उन्होंने कहा – ”मुझे बहुत कुछ सुनने को मिला। मैंने अपनी सारी बातें आलाकमान के सामने रखी हैं। पार्टी पद देती है, ले भी सकती है। मुझे पद की कभी लालसा नहीं रही।” काफी दिन से नाराज चल रहे नेता ने कहा कि जो वादा करके हम सत्ता में आये थे, उन्हें पूरा करेंगे।

सचिन पायलट ने कहा कि उन्होंने अपनी बात पार्टी आलाकमान के सामने रखी है। आलाकमान ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है। मैं पार्टी प्रमुख का इसके लिए शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। मुद्दों को उठाना बहुत जरूरी था। हमें कई बिंदुओं पर आपत्तियां थीं। मैंने सब आलाकमान के सामने रखीं।’

पता चला है कि पायलट ने नाराज विधायकों की मुलाकात राहुल गांधी से भी करवाई है। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल भी उपस्थित थे।

राजस्थान कांग्रेस का संकट टला, सोनिया ने कमेटी बनाई

कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सचिन पायलट और उनके साथी विधायकों का मसला हल करने के लिए एक तीन सदस्यी समिति का गठन किया है। यह समिति इन लोगों से बातचीत करके उनकी ‘वापसी’ और अन्य मुद्दों पर बात करेगी। उधर पायलट गुट के विधायक भंवर लाल शर्मा सोमवार शाम एक महीने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले। सचिन पायलट और अन्य ‘बागी’ विधायकों के भी आज रात या कल जयपुर लौटने की संभावना है।

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने एक तरह से इन विधायकों की पार्टी में ‘वापसी’ को हरी झंडी दिखा दी है। आज सचिन पायलट की राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी से भी मुलाकात की चर्चा है। पायलट खेमे ने कहा है कि उन्हें उनकी शिकायतें दूर करने का भरोसा दिलाया गया है, जिसके बाद वे अपनी नाराजगी दूर करने को तैयार हुए हैं।

पायलट, जिनके साथ अपेक्षाकृत कम विधायक हैं, भाजपा में जाने की अनेक चर्चाओं के बावजूद कांग्रेस में ही रहे, जिससे कांग्रेस आलाकमान उनके प्रति नरम हुई है। पायलट गुट के विधायकों की सरकार में भागीदारी का फैसला सोनिया गांधी की बनाई तीन सदस्यी समिति उनसे बातचीत के बाद करेगी।

इस तरह अब पक्की संभावना बन रही है कि राजस्थान में कांग्रेस और सरकारका संकट टल गया है। भंवर लाल शर्मा ने गहलोत से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा कि ‘नाराजगी अब दूर हो गयी है’। अभी यह साफ़ नहीं है कि सचिन पायलट को पार्टी अब क्या रोल देगी। उनके राजस्थान में रहने की संभावना कम ही है, और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कोई जिम्मा दिया जा सकता है।

पायलट ने न तो कोई अलग पार्टी बनाई न भाजपा में उनके जाने की कोई पुख्ता जानकारी कभी आई। यह भी हो सकता है भाजपा ने इतने कम विधायकों के समर्थन के कारण ‘अपने काम का’ नहीं समझा हो। या यह भी हो सकता है भाजपा अभी कुछ इन्तजार करना चाहती हो। राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिश के पीछे उसके होने के आरोपों से निश्चित ही भाजपा की छवि को बट्टा लगा है, भले उसने इससे साफ़ इंकार किया हो।

भाजपा में भी जबरदस्त सुगबुगाहट इस सारे घटनाक्रम को लेकर रही है। इस सारे एक महीने में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया खामोश रहीं। पिछले दिनों वे अचानक सक्रिय हुईं और दिल्ली जाकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं से मिलीं। वे पीएम मोदी से भी मिलीं। अपुष्ट जानकारी के मुताबिक उन्हें राज्यपाल बनाने की ‘ऑफर’ की गयी थे, लेकिन उन्होंने इससे साफ़ मना कर दिया।

अब अगले दो-तीन दिन में कांग्रेस की स्थिति साफ हो जाएगी। यह तय है कि सचिन पायलट और उनके सभी समर्थक विधायक कांग्रेस में ही रह रहे हैं। उन्हें पद वापस मिलेंगे या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।

पॉयलट रहेंगे कांग्रेस में ही, बदलेगा रोल !

राजस्थान में कांग्रेस के संकट का 14 अगस्त के विधानसभा सत्र से पहले ही पटाक्षेप होने को है। नाराज सचिन पायलट एक महीने के ‘अज्ञातवास’ से ‘ऊब’ गए हैं। वे कांग्रेस में ‘सम्मानजनक वापसी” के साथ अपनी पार्टी में बने रहने की तैयारी में हैं। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक आज उनकी दिल्ली में ‘गांधी परिवार’ से अपने कांग्रेस में बने रहने और पार्टी में रोल को लेकर गहन मंत्रणा हुई है। सचिन को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव या उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। राहुल गांधी ने उन्हें ‘भविष्य के भरोसे’ भी दिलाये हैं।

राजस्थान सरकार को जब से संकट हुआ, सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ अज्ञातवास पर थे। कभी हरियाणा तो कभी कहीं और उनके होने की ख़बरें मीडिया में आती रहीं। सचिन पायलट ने बार-बार यह कहा था कि वे कांग्रेस से बाहर  नहीं जायेंगे और उनकी लड़ाई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ही है, पार्टी से नहीं।

‘तहलका’ ने संकट के समय भी यही लिखा था की सचिन कांग्रेस से बाहर नहीं जायेंगे। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जिन्हें लेकर पिछले दिनों में मीडिया के एक वर्ग ने उनकी रिहाई से जोड़कर कुछ अलग तरह की ख़बरें दी थी, उन्हें लेकर सही खबर यही है कि वे सचिन के कांग्रेस में रहने के पक्ष में थे। सचिन अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में ही रहना चाहते हैं। चाहे महासचिव या उपाध्यक्ष बनाये जाए, या  सचिन को दोबारा राजस्थान भेजकर उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाये, इसपर चर्चा के लिए कांग्रेस एक कमेटी बना सकती है। उसके बाद ही कोई फैसला होगा।

जानकारी के मुताबिक सचिन पायलट को लेकर राहुल गांधी काफी संवेदनशील थे। उनका पार्टी में कहना था कि सचिन को उन्होंने भरोसा दिया था, जिसे पूरा नहीं किया गया। ऐसे में उन्हें राजस्थान में सम्मानजनक तरीके से रखा जाना चाहिए। हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी खटपट चलती रही। आज ही गहलोत के समर्थकों ने यह भी कहा कि सचिन और उनके लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये।

अब ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक सचिन पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से पहले दौर की मुलाकात हुई। वे आज ही दोबारा राहुल गांधी से मिल सकते हैं। यह माना जा रहा है कि 11 अगस्त को सोनिया गांधी के कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में एक साल पूरा होने के बाद राहुल गांधी को अध्यक्ष का जिम्मा देने की कांग्रेस ने तैयारी कर ली है। ऐसे में उनकी बात को गंभीरता से सुना जाने लगा है। सचिन के मामले में राहुल गांधी ने ही जोर दिया है कि उन्हें पार्टी में बनाये रखा जाना चाहिए।

जानकारी के मुताबिक सचिन को कांग्रेस में ही रखने पर उन्हें खाली नहीं रखा जाएगा। आने वाले समय में, या उनके कांग्रेस में ही रहने की आधिकारिक घोषणा के बाद ही, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कोई भूमिका दी सकती है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक यह जिम्मा महासचिव या उपाध्यक्ष का हो सकता है।

फिलहाल की स्थिति यह है कि 14 अगस्त को राजतक्षण विधानसभा का सत्र होना है। बसपा के 6 विधायकों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में है, जिसमें उन्होंने उनके कांग्रेस में विलय को चुनौती देने वाली बसपा और भाजपा की याचिकाओं के मामले  को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करनी की गुहार लगाई है। भाजपा अपने विधायकों में ‘टूट’ के डर से उन्हें संभालने में जुटी है और कांग्रेस के विधायक भी राज्य के दूसरे हिस्से में ‘यात्रा’ पर निकले हुए हैं।

वैसे तो पायलट के राजस्थान की राजनीति में फिलहाल काम ही रहने की संभावना है, पार्टी के बीच यह भी चर्चा रही कि गहलोत को कांग्रेस का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जा सकता है। ऐसे में सचिन की राजस्थान में वापसी हो सकती है। एक यह भी दावा है कि सचिन को दोबारा राजस्थान भेजकर उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाये। वैसे सचिन ने जिस तरह ट्वीटर पर पिछले दिनों कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ‘हाथ’ वापस लगा दिया था।

यदि सचिन कांग्रेस में ही रहते हैं और उन्हें राज्य से निकालकर केंद्र की राजनीति में कोइ रोल दे दिया जाता है तो अशोक गहलोत को भी इससे कोई दिक्कत नहीं होगी। राहुल पहले से सचिन को मुख्यमंत्री बनाने के हक़ में रहे हैं, लिहाजा यह तय है कि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने, सचिन कांग्रेस में ही रहे तो भविष्य में सचिन ही मुख्यमंत्री बनेंगे। गहलोत खेमा उन्हें लेकर दबाव जरूर बना रहा, लेकिन राहुल के कमांड में आने की स्थिति में इस बार शायद बुजुर्ग नेताओं के लिए चीजें उतनी आसान नहीं रहेंगी !

शाह फैसल ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ा, प्रशासनिक सेवा में वापसी संभव

यूपीएससी के टॉपर रहे और आईएएस की नौकरी छोड़कर जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के जरिये सियासत की शुरुआत करने वाले वाले शाह फैसल ने फिलवक्त राजनीति से तौबा कर ली है। उनको पार्टी प्रमुख पद से हटाकर उप प्रमुख फिरोज पीरजादा को नई जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के नेता जावेद मुस्तफा मीर का इस्तीफा भी मंजूर कर लिया गया है। चर्चा है कि फैसल फिर से प्रशासनिक सेवा में वापसी कर सकते हैं।
दरअसल, अधिकारियों ने शाह को अवगत कराया है कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। यह जानकारी शीर्ष अधिकारियों ने दी है। फैसल द्वारा इस्तीफा देने और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) नामक एक राजनीतिक पार्टी बनाने के बावजूद उनका नाम सरकार के आधिकारिक वेबसाइट पर जम्मू-कश्मीर के कैडर आईएएस की सूची में अब भी है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त को अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद सभी प्रमुख दलों समेत नई पार्टी के सभी नेताओं को भी हिरासत में ले लिया था। पिछले कुछ महीनों से नेताओं को रिहा किया जाना शुरू किया गया है। पूर्व सीएम व पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती अब भी हिरासत में हैं। पर राजनिकटिक गतिविधियां कश्मीर घाटी में बिल्कुल ठप हैं।
शाह फैसल को भी पिछले 3 जून को पीएसए हटाया गया। और उनकी रिहाई हुई। इसके अलावा कई अलगावववादी व अन्य नेताओं से बांड भरवाकर छोड़ा गया है, कि वे सियासी गतिविधियों या प्रदर्शनों में शामिल नहीं होंगे। प्रदेश से बाहर की जेलों में भेजे गए नेताओं व युवाओं को भी छोड़ा गया है।

ब्राहमणों को रिझानें में लगे राजनीतिक दल

एक दौर था जब उत्तर –प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणों और क्षत्रियों का बोलबाला रहा है। इन दोनों जातियों के नेताओं की कांग्रेस में अच्छी पकड भी रही है । कांग्रेस में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में ब्राह्मणों और क्षत्रियों का वोट एक मुश्त कांग्रेस में जाता रहा है। फिर समय ने ऐसी करवट ली कि 1990 में भाजपा के उदय होने से और 1992 में राममंदिर आंदोलन के दौरान ब्राह्मणों और क्षत्रियों का सीधा झुकाव भाजपा की ओर आ गया ।बताते चले उत्तर –प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के आने के बाद ब्राह्मणों के वोटों का बंटबारा इस कदर हो गया कि ब्राह्मण मतदाता उपेक्षित माना जाना लगा। मुलायम सिंह यादव जरूर समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया को मानते रहे है। उनके साथी रहे जो छोटे लोहिया के नाम से जाने जाते रहे जनेश्वर मिश्रा को मानते रहे और उनके नाम पर ही ब्राह्मणों को मान –सम्मान देते रहे है। लेकिन समाजवादी पार्टी में ब्राह्मणों का कोई खास वर्चस्व नहीं रहा है। लेकिन आज की राजनीति में हिदुत्व की राजनीति का जो खेल -खेला जा रहा है । उसमें कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं रहना चाहता है। जानकारों का कहना है उत्तर – प्रदेश में ब्राह्मण  17 से 18 प्रतिशत है । जो किसी भी राजनीतिक दल के निर्णोयक हो सकते है। ऐसे में अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ब्राह्मणों को अपने पक्ष में लुभाने के लिये ब्राह्मणों को साधने का दांव चला है। इसी क्रम में अखिलेश यादव ने भगवान परशुराम की 108 फुट ऊंची प्रतिमा लगवाने की घोषणा की है।ऐसा नहीं है कि बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मणों को साथ लेकर राजनीति ना की हो ,बसपा प्रमुख मायावती ने 2007 के उत्तर – प्रदेश के विधान सभा चुनाव में बसपा में मायावती के बाद अगर कोई हैसियत रखता है तो सतीश मिश्रा के साथ मिलकर ब्राह्मण और दलित गठजोड कर पूर्ण बहुमत के साथ 2007 में मायावती उत्तर – प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी। लेकिन 2012 आते ही उत्तर – प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण मतदाता बसपा से खिसक गया था। 2012 में सपा की सरकार बनी और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बन गये थे।फिर देश की राजनीति एक नया बदलाब 2014 के लोकसभा के चुनाव में देखने को मिला।भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई  और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बने ।भाजपा ने ये मैसेज दिया कि भाजपा को अन्य जातियों के साथ – साथ ब्राह्मणों का शत-प्रतिशत वोट मिला। फिर 2017 के उत्तर –प्रदेश के चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कर योगी आदित्य नाथ की सरकार बना कर ये मैसेज दिया है कि भाजपा के साथ ब्राह्मण मतदाता आज भी गर्व के साथ जुडा है और जुडा रहेगा।

उत्तर –प्रदेश की राजनीति के जानकार विनोद शुक्ला का कहना है कि उत्तर –प्रदेश का इतिहास रहा है कि यहां पर किसी भी पार्टी की सरकार रही हो पर अगले चुनाव तक यहां का मतदाता किसी भी पार्टी या जाति का हो पर वो परिवर्तन के नाम पर खिसक जाता है। अब रहा सवाल ब्राह्मणों के वोट बैंक में सेंध लगाने का तो ये तो आने वाला ही समय बताएगा कि ब्राह्मण मतदाता एक मुश्त किस पार्टी के साथ जाता ये बंटता है फिलहाल उत्तर –प्रदेश के विधानसभा चुनाव में  2022 में है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव

पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। खुद प्रणब मुखर्जी ने अपने ट्वीटर पर इसके जानकारी दी है। पूर्व राष्‍ट्रपति ने हाल में उनके संपर्क में आए लोगों से खुद को आइसोलेट करने और कोविड-19 टेस्‍ट कराने को कहा है।
मुखर्जी ने अभी दोपहर को ट्वीट करके यह जानकारी साझी की है। मुखर्जी ने बताया कि वे अन्‍य किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के सिलसिले में अस्‍पताल गए जहां उनकी कोविड-19 टेस्‍ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई। पूर्व राष्‍ट्रपति ने उनके संपर्क में आए लोगों से खुद को सेल्‍फ आइसोलेट करने और अपना कोविड-19 टेस्‍ट कराने की अपील की है।
कुछ समय पहले गृह मंत्री अमित शाह भी कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए थे जिसके बाद उनका मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनके अलावा तीन और केंद्रीय मंत्री भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और संसदीय मामलों के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की शनिवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनसे पहले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी कोविड पॉजिटिव पाए जा चुके थे।
उनसे पहले एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान कोरोना पॉजिटिव निकले थे। शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल भी वायरस से संक्रमित पाए गए थे। भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा भी कोरोना से संक्रमित हुए थे, लेकिन अब ठीक हो गए हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी कोरोनावायरस से संक्रमित हैं। बीते शुक्रवार को कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के 40 वर्षीय बेटे यतींद्र सिद्धारमैया कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उत्‍तर प्रदेश की मंत्री कमल रानी का बीते दिनों कोरोना के चलते निधन हो गया था।

प्रणब मुखर्जी का ट्वीट –
Pranab Mukherjee
@CitiznMukherjee
On a visit to the hospital for a separate procedure, I have tested positive for COVID19 today. I request the people who came in contact with me in the last week, to please self isolate and get tested for COVID-19.

रामदेव की पतंजलि भी आईपीएल टायटल स्पांसर की दौड़ में शामिल, प्रस्ताव भेजने की तैयारी में !

क्रिकेट के कारपोरेट स्वरुप इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के टाइटल स्पांसर के रूप में  योगगुरु बाबा रामदेव की कंपनी पंतजलि  का नाम भी सामने आ रहा है। चीनी कंपनी वीवो के इस साल के लिए टाइटल स्पांसर के रूप में हट जाने के बाद पतंजलि ने इसकी पुष्टि की है कि वह स्पांसर की दौड़ में शामिल है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पतंजलि कंपनी इस बारे में गंभीरता से सोच रही है। संभावना है कि पतंजलि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को इस बारे में एक प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। यदि ऐसा है तो पतंजलि टायटल स्पांसर के लिए एक मजबूत नाम हो सकता है। इसका एक कारण उसका स्वदेशी होना है, जिसपर केंद्र सरकार भी आजकल खूब जोर दे रही है।

हालांकि, बीसीसीआई एक स्वतंत्र बोर्ड है और उसका सरकार से कुछ लेना देना नहीं है, इसके बावजूद बीसीसीआई के ढाँचे पर नजर दौड़ाने से साफ़ पता चलता है कि वहां भाजपा से जुड़े नेताओं का बोलबाला है। ऐसे में ‘स्वदेसी’ वाला मामला पतंजलि के हक़ में जा सकता है।

पतंजलि काफी समय से इस कोशिश में है कि अपने ब्रांड को वैश्विक मंच पर ले जाए। लिहाजा क्रिकेट से बेहतर मंच और नहीं हो सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि पतंजलि का स्वरुप अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड वाला नहीं है। याद रहे सीमा पर भारत-चीन के बीच तनाव जारी है और इसी के चलते हाल में चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो ने ‘इस साल’ टाइटल स्पांसरशिप से हटने की घोषणा की थी। बीसीसीआई पर भी दबाव था कि वीवो को हटा दिया जाये। वैसे और नामी कंपनियां भी टायटल स्पांसर की दौड़ में हैं।

जल, जंगल, जमीन के रखवाले भी हैं और हकदार भी

देश के आदिवासी बहुल राज्यों में विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया। दरअसल, सबसे पहले समझने की जरूरत है कि आदिवासी हैं कौन? आदिवासी समुदाय एक ऐसा समूह है, जो अपनी परंपरा-संस्कृति को अपने सीने से लगा कर सदैव चलता रहा है। हड़प्पा संस्कृति और मोहनजोदड़ो में मिले बर्तन में आज भी आदिवासी समुदाय के लोग खाना खाते हैं। उनकी नृत्य कला और जीवन शैली आम लोगों से भिन्न है। भारत में 1951 की जनगणना में करीब 30 से 35% आदिवासी हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी आबादी घटकर करीब 26 फीसदी बची है।
कांग्रेस केपूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर बधाई दी और कहा कि आदिवासी समुदायों की जीवन शैली में प्रकृति के प्रति आस्था, प्रेम और सम्मान होता है, जिससे पूरा विश्व संरक्षण और मिल-जुलकर रहने की सीख पाता है। हम सबको मिलकर इस सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना होगा। वहीं, प्रियंका गांधी ने लिखा-जल उनका जमीन उनकी वो जल, जंगल, जमीन के रखवाले भी हैं और हकदार भी। विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी के धिकारों की रक्षा के संकल्प को मजबूत करें।

रविवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मौके पर आदिवासी समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। आदिवासी कलाकारों ने भूपेश बघेल के सामने लोक नृत्य पेश कर मन मोह लिया। इससे पहले भूपेश बघेल ने ट्वीट कर आदिवासी दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी। बघेल ने ट्वीट किया, विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी समाज सहित सभी प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं। हम छत्तीसगढ़ के लोग भाग्यशाली हैं जो हमारे प्रदेश में 32 फीसदी आदिवासी समाज के रूप में एक गौरवशाली इतिहास, एक समृद्ध भाषा और एक अद्भुत संस्कृति यहां हमारा गौरव बढ़ाती है। जय आदिवासी! जय छत्तीसगढ़।

सुधरा है जीवन स्तर
2011 की जनगणना के अनुसार, शहरी क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के 71 फीसदी लोगों के पास टेलीफोन है। शहरों में कुल 70.3 फीसदी घरों में टेलीफोन हैं। इनमें अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के 70.9 फीसदी और सामान्य वर्ग के 70.1 फीसदी लोगों के घरों में फोन है। देश में 47.2 फीसदी परिवारों के पास टेलीविजन है। एससी वर्ग के 39.1 फीसदी और सामान्य वर्ग के 52.5 फीसदी परिवारों में टेलीविजन उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कुल 21.9 फीसदी आदिवासी परिवारों के घरों में टीवी है।

जोधपुर के लोड़ता गांव में मिले 11 पाकिस्तानी शरणर्थियों के शव, सभी एक परिवार के सदस्य

राजस्थान के जोधपुर के एक गांव में रविवार को 11 पाकिस्तानी शरणर्थियों के शव मिले हैं। जानकारी के मुताबिक यह सभी लोग एक ही परिवार के हैं। इनकी मौत कैसी हुई इसकी अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। पुलिस जांच में जुट गयी है।

जानकारी के मुताबिक यह शव जोधपुर जिले के एक गांव में मिले हैं जिसका नाम लोड़ता बताया गया है। यह सभी शव एक खेत में पड़े मिले। गांववालों ने शव देखने के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी। इन लोगों की मौत कैसी हुई, इसकी अभी जानकारी नहीं है।

पता चला है कि यह सभी लोग एक ही परिवार के सदस्य थे। लोड़ता गांव में सुबह लोगों ने इन शवों को देखा। यह 11 लोग  पाक शरणार्थी हैं। शव मिले खेल में मिले इससे वहां हड़कंप मच गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। शवों का पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है।

आंध्र प्रदेश के कोविड-19 सुविधा से जुड़े होटल में आग लगने से 10 लोगों की मौत

गुजरात में एक कोविड-19 के निजी अस्पताल में आग से 8 मरीजों की मौत के बाद अब रविवार को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के नवरंगपुर इलाके में स्थित कोविड-19 सुविधाओं से जुड़े होटल में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गयी है। घटना के दौरान 30 लोगों की जान बचा ली गयी।

जानकारी के मुताबिक आग की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंची। जिस होटल में आग की घटना हुई उसे कोविड-19 सुविधाओं के लिए प्रयोग किया जा रहा है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक इस घटना में 10 लोगों की जान चली गयी है जबकि 30 लोगों को बचा लिया गया है।

घटना के बाद पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी से बात हुई है। मोदी ने उन्हें मदद का पूरा भरोसा दिलाया है। मोदी ने इस घटना पर शोक जताया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने होटल में आग की घटना में जान गंवाने वाले लोगों के निकट परिवारों को 50-50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है।

पुलिस के मुताबिक कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए चिह्नित नवरंगपुर इलाके के श्रेय अस्पताल में तड़के करीब साढ़े तीन बजे आग लगी। हादसे में आईसीयू वार्ड में भर्ती पांच पुरुष और तीन महिलाओं की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि अस्पताल में कोविड-19 के करीब 40 अन्य मरीजों को बचा लिया गया और उन्हें शहर के दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पीएम ने ट्वीट करके घटना पर शोक जताया – ‘विजयवाड़ा के एक कोविड केंद्र में आग लगने की घटना से क्षुब्ध हूं। मेरी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की मैं कामना करता हूं।’