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झारखंड में मास्क नहीं पहना तो एक लाख रुपये जुर्माना

देश में कोरोना वायरस का कहर अब उन राज्यों में फैलने लगा है, जहां संक्रमण के मामले कम थे। झारखंड सरकार ने कोरोना वायरस के बनाए नियमों की अनदेखी करने वाले लोगों पर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। सरकार ने कहा है कि नियमों की अनदेखी करने वाले और मास्क नहीं पहनने वाले लोगों को एक लाख रुपये जुर्माना और दो साल की कैद हो सकती है।
झारखंड कैबिनेट ने वीरवार को ‘संक्रामक रोग अध्यादेश 2020’ पारित कर दिया है। इसमें कहा गया है कि राज्य के भीतर सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने और मास्क नहीं पहनने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, अध्यादेश में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है या फिर मास्क नहीं पहनता है तो उसे दो साल कैद की सजा हो सकती है।
झारखंड में वीरवार को उल्लंघनकर्ताओं को रोकने के लिए सड़कों पर चेकिंग की कोई खास व्यवस्था नहीं नहीं देखी गई। झारखंड की राजधानी रांची में लोग बिना मास्क घूमते देखे गए।
बता दें पिछले दिनों प्रवासी मजूदरों के लौटने और लोगों की लापरवाही बरतने की वजह से राज्य में मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़े हूं। इसीलिए सरकार को कुछ बड़े निर्णय लेने पड़े हैं, इनमें से एक निर्णय यह है कि अब राज्य के बैंकेट हॉल का प्रयोग आइसोलेशन वार्ड के तौर पर किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, झारखंड में कुल मरीजों की संख्या 6458 हो गई है। इसमें से 64 लोगों की इस वायरस से मौत हुई है, जबकि 3024 मरीज इलाज के बाद ठीक हुए हैं।

राजस्थान मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट में अब सोमवार को सुनवाई

राजस्थान की राजनीतिक लड़ाई अब क़ानून के मामले में बदल गयी लगती है।  विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के सचिन पायलट गुट के विधायकों को नोटिस जारी करने के फैसले को दी चुनौती को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में हुई सुनवाई पर कल फैसला आएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगाने से मना कर दिया है। हाई कोर्ट का फैसला, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के अधीन होगा अर्थात उसपर अमल तब तक नहीं होगा जब तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता। स्पीकर की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि इस मामले में जो मुद्दे उसके सामने आये हैं उन्हें तय करने में वक्त लगेगा। यह एक तरह का संबैधानिक मसला बन गया है। स्पीकर की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के अधीन होगा, अर्थात उसका फैसला तभी लागू होगा जब सुप्रीम कोर्ट इसपर कोई  अंतिम फैसला करेगा।

वर्तमान हालत में अब देखना होगा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्या फैसला करते हैं। हो सकता हैं वे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बहुमत साबित करें। सुप्रीम कोर्ट में आजकी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल हाई कोर्ट जो भी फैसला दे लेकिन उसपर अमल हमारे फैसले के बाद होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस पूरे मामले को कानून के तहत सुनेगा। राजस्थान हाई कोर्ट कल बागी गुट की अपील पर अपना फैसला सुनाएगा।

राजस्थान संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने संतुलन बनाते हुए कहा है कि हम हाईकोर्ट को आदेश पर रोक नहीं लगा सकते, हालांकि हाइकोर्ट के किसी आदेश पर अभी अमल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई सोमवार को होगी। अदालत का कहना है कि पहले हाई कोर्ट अपना फैसला दे दे, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट फिर इस मामले को सुनेगा।

स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान आशंका जताई कि राजस्थान सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो सकती है, इसलिए मामले को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए। राजस्थान के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरुरत है, इस पर जल्दबाजी में फैसला नहीं हो सकता।

पायलट गुट के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हाई कोर्ट में सारे तथ्यों पर बहस हुई है अब फैसले पर रोक नहीं लगनी चाहिए, जबकि कपिल सिब्बल की मांग है कि हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने जब सवाल किया कि आखिर विधायकों को नोटिस किस आधार पर दिया गया, तो स्पीकर का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि पायलट गुट के विधायकों की गतिविधियां पार्टी विरोधी लग रही हैं इसलिए नोटिस दिया गया।

कुछ देर पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायकों को जनता ने चुनकर भेजा है और अगर इनको कोई असंतोष है तो उसको सुना जाना चाहिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के पास संवैधानिक अधिकार हैं और वो विधायकों को नोटिस भेज सकते हैं।

आज की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मान लीजिए किसी नेता का किसी पर भरोसा नहीं, तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा। पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते, फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा। लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती। कपिल सिब्बल ने कहा कि सिर्फ विधायक दल की बैठक में न आने का सवाल नहीं है, इन विधायकों की गतिविधयां पार्टी विरोधी लग रही हैं।

अदालत ने पूछा कि क्या कांग्रेस ने विधायकों को पार्टी से निकाला है तो कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी विधायक पार्टी में ही हैं, लेकिन बार-बार पार्टी बैठकों में नहीं आने के बाद जब व्हिप जारी किया गया तो इसका भी विधायकों ने उल्लंघन किया है। उन्होंने हेमाराम चौधरी का नाम लेते हुए कहा कि विधायक पार्टी बैठक में तो आए नहीं और सीधा मीडिया में चले गए। ये पूरी तरह गलत है।

देश में कोविड-19 से एक ही दिन में 1129 की मौत, कुल संक्रमित 12 लाख के पार

भारत में कोविड-19 के अब तक के सबसे बड़े आंकड़े में पिछले 24 घंटों में देश में 1,129 लोगों की जान चली गयी और रेकॉर्ड 45,720 नए मामले सामने आये हैं। इस तरह देश में अब तक संक्रमितों की कुल संख्या 12 लाख के पार चली गयी है।
देश में कोविड-19 के एक दिन में सर्वाधिक 45,720 नए मामले सामने आने के बाद गुरुवार को देश में संक्रमितों की कुल संख्या 12 लाख के को पार कर गई। वहीं 1,129 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 29,861 हो गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में तीन दिन के ही भीतर कोविड-19 के मामले 11 लाख से सीधे 12 लाख से आगे निकल गए हैं। मंत्रालय के सुबह आठ बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में अब केविड-19 के कुल  12,38,635 मामले हो गए हैं जिनमें से 7,82,606 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें विदेशी नागरिक भी शामिल हैं।
देश में आजकी तारीख में 4,26,167 लोगों का कोरोना वायरस का इलाज चल रहा है। देश में कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर अभी 63.18 प्रतिशत है।  पिछले 24 घंटे में जिन 1,129 लोगों की मौत हुई है, उनमें से सबसे अधिक 518 तमिलनाडु से, जबकि महाराष्ट्र के 280, आंध्र प्रदेश के 65, कर्नाटक के 55, पश्चिम बंगाल के 39, उत्तर प्रदेश के 34, दिल्ली के 29, गुजरात के 28, मध्य प्रदेश के 14, जम्मू-कश्मीर के 10, तेलंगाना और झारखंड के 9-9, हरियाणा में 8, असम, पंजाब और राजस्थान के 6-6, ओडिशा के 5, गोवा और उत्तराखंड में दो-दो, केरल, पुडुचेरी, त्रिपुरा और चंडीगढ़ में एक-एक व्यक्ति की जान गयी है।

राजस्थान की राजनीतिक जंग सुप्रीम कोर्ट पहुंची

राजस्थान की सियासी जंग सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गई है। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने सर्वोच्च अदालत में याचिका (एसएलपी) दाखिल कर राजस्थान हाईकोर्ट के स्पीकर को विधायकों को नोटिस जारी करने के मामले में दिए गए निर्देश पर सवाल उठाए गए हैं। इसके बाद सचिन पायलट गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि उनका पक्ष भी जरूर सुना जाए। सुप्रीम कोर्ट स्पीकर की अर्जी पर कल (गुरूवार को) सुनवाई करेगा।

स्पीकर की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में यह गुहार भी लगाई गयी है कि राजस्थान हाई कोर्ट के 24 जुलाई को आने वाले फैसले पर रोक के आदेश जारी किये जाएं। सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर की तरफ से यह एसएलपी आज सुबह ही दायर कर दी गई थी जिसे मंजूर भी कर लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर का पक्ष वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल रख रहे हैं। इस मामले में कोर्ट से यह गुजारिश की गई थी कि वो इस मामले में आज ही अपना निर्णायक फैसला दे, हालांकि, इसपर कल सुनवाई होगी।

इससे पहले स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि ”स्पीकर को कारण बताओ नोटिस भेजने का पूरा अधिकार है। मैंने अपने वकील से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर की तरफ से नोटिस जारी करने पर अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती। स्पीकर के आदेश जारी के करने के अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।

गैंगस्टर विकास दुबे कांड में सुप्रीम कोर्ट बनाएगा नया न्यायिक आयोग

कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की अदालत की निगरानी में जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि वह एक नए न्यायिक आयोग का गठन करेगा।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच टीम का नाम सौंप दिया है। इसमें पूर्व न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान और पूर्व डीजीपी के तौर पर केएल गुप्ता का नाम प्रस्तावित किया गया है।
यूपी सरकार की ओर से कहा है कि पूर्व न्यायाधीश चौहान इस समिति का हिस्सा बनने की सहमति दी। वहीं, सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पैनल उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिनके तहत गैंगस्टर विकास दुबे को जमानत पर रिहा किया गया था।
दूसरी तरफ, कोर्ट ने यूपी सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि यूपी पुलिस मुठभेड़ का सहारा न लें। पिछली सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने ऐसी टिप्पणी की थी जिससे मुख्यमंत्री योगी भी घेरे में आ सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि जांच में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के उन बयानों को भी शामिल करें जिसमें दोनों ने संकेत दिया था कि विकास दुबे जैसों को निपटा दिया जाएगा।

गाजियाबाद में बदमाशों की गोली से घायल पत्रकार की मौत पर राहुल, प्रियंका, ममता की संवेदना, कहा यूपी में हो गया गुंडाराज

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बदमाशों की गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए पत्रकार विक्रम जोशी की मौत हो गयी है। घायल जोशी का गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में इलाज चल रहा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पत्रकार की मौत पर संवेदना और आक्रोश जताते हुए आरोप लगाया है कि देश भर में डर का माहौल बना दिया गया है।

जोशी को बीते सोमवार की रात बदमाशों ने इसलिए गोली मार दी थी कि क्योंकि उन्होंने भांजी से छेड़छाड़ और अभद्र कमेंट करने वाले युवकों की शिकायत पुलिस से की थी। परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने विक्रम की शिकायत को लेकर लापरवाही बरती। इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने अब तक 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

गोली लगने से गंभीर घायल जोशी की हालत नाजुक बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। जोशी ने अस्पताल में उपचार के दौरान आज सुबह करीब चार बजे दम तोड़ दिया। शिकायत के बाद इस मामले में लापरवाही बरतने वाले चौकी इंचार्ज राघवेंद्र को सस्पेंड किया जा चुका है।

इस बीच पत्रकार विक्रम जोशी की मृत्यु होने पर कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संवेदना और यूपी की लचर  क़ानून व्यवस्था स्थिति पर आक्रोश जताया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा – ”अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी गयी। शोकग्रस्त परिवार को मेरी सांत्वना। वादा था राम राज का, दे दिया गुंडाराज।”

कांग्रेस ने भी एक ट्वीट कर कहा – ”भाजपा ने यूपी के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया है। वरना भला अपराध को इस स्तर पर कौन पहुंचने देता है। जो हितैषी होता है, वो तो बिलकुल नहीं। बेटी बचाओ का नारा कहीं पीछे छूट गया; अपराध खत्म करने के दावे धराशायी हो गए। ऐसा यूपी तो नहीं चाहिए था किसी को !”

उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा – ”एक निडर पत्रकार विक्रम जोशी के परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। अपनी भांजी से छेड़छाड़ करने वालों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए उन्हें यूपी में गोली मार दी गई थी। देश में भय का माहौल हो गया है। आवाजों को दबाया जा रहा है और मीडिया को नहीं बख्शा जा रहा है।”

बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि पूरे यूपी में हत्या और महिला असुरक्षा सहित जिस तरह से हर प्रकार के गंभीर अपराधों की बाढ़ लगातार जारी है उससे स्पष्ट है कि यूपी में कानून का नहीं बल्कि जंगलराज चल रहा है अर्थात् यूपी में कोरोना वायरस से ज्यादा अपराधियों का क्राइम वायरस हावी है। जनता त्रस्त है। सरकार इस ओर ध्यान दे।

राजा मानसिंह हत्याकांड में सभी दोषियों को आजीवन कारावास

राजा मानसिंह की हत्या में दोषी पाए गए 11 पुलिसकर्मियों को मथुरा में सीबीआई की विशेष अदालत ने  बुधवार को सजा का ऐलान कर सभी दोषी पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषियों पर फैसला सुनाने के दौरान राजा मानसिंह का परिवार वहां मौजूद रहा। राजा मानसिंह की पुत्री कृष्णेंद्र कौर उर्फ दीपा सिंह अपने परिजनों के साथ पहुंचीं।
भरतपुर के राजा मानसिंह और दो अन्य की हत्या के मामले में मंगलवार को 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया था। 21 फरवरी 1985 को हुए इस बहुचर्चित हत्याकांड की सुनवाई के दौरान 1700 तारीखें पड़ीं और 25 जिला जज बदल गए। वर्ष 1990 में यह केस मथुरा जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किया गया था। 35 साल बाद 21 जुलाई 2020 को राजा मानसिंह हत्याकांड में फैसला सुनाया गया।
मामले में वादी पक्ष के अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने बताया कि अब तक आठ बार फाइनल बहस हुई और कुल 78 गवाह पेश हुए, जिनमें से 61 गवाह वादी पक्ष ने तो 17 गवाह बचाव पक्ष ने अपनी दलीलें रखने को पेश किए।
इन्हें हुई सजा
– कान सिंह भाटी, सीओ
– वीरेन्द्र सिंह, एसएचओ
– रवि शेखर, एएसआई
– सुखराम, कांस्टेबल
– जीवन राम, कांस्टेबल
– भंवर सिंह, कांस्टेबल
– हरि सिंह, कांस्टेबल
– शेर सिंह, कांस्टेबल
– छत्तर सिंह, कांस्टेबल
– पदमा राम, कांस्टेबल
– जगमोहन, कांस्टेबल
ये किए गए बरी
– कान सिंह सिरवी, निरीक्षक
– गोविंदराम, कांस्टेबल (जीडी लेखक)
– हरिकिशन, कांस्टेबल (जीडी लेखक)

अमरनाथ यात्रा रद्द, कोविड-19 के चलते फैसला

श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इस साल की अमरनाथ यात्रा रद्द कर दी है। कोविड-19 को देखते हुए यह।
”तहलका” की जानकारी के मुताबिक श्री अमरनाथ बोर्ड ने एक बैठक में इसका फैसला किया है। बोर्ड ने कहा है कि कोविड-19 के चलते ऐसा करना यात्रियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं होगा। हालांकि, सुबह-शाम की आरती के दर्शन यात्री और श्रद्धालु ऑनलाइन कर सकेंगे।
याद रहे यह लगातार दूसरा साल है जब अमरनाथ यात्रा नहीं होगी। पिछले साल यात्रा शुरू होने के बाद भी अगस्त में जम्मू कश्मीर को लेकर किये गए धारा 370 ख़तम करने के फैसले के बाद बनी स्थितियों को देखते हुए यात्रा को बीच में रोक दिया गया था। छड़ी मुबारक यात्रा हालांकि, अपने समय पर होगी।

राहुल गांधी, जावेड़कर में ”कैलेंडर युद्ध”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार का ”कैलेंडर” जारी कर उसपर हमला किया है। राहुल गांधी ने फरवरी से जुलाई तक के मोदी सरकार के ”काम” गिनवाए और कटाक्ष करते हुए उसपर हमला किया है। इसके बाद इसी तरह भाजपा ने राहुल गांधी को लेकर ”कैलेंडर” जारी किया है।

पहले बात कांग्रेस नेता राहुल गांधी की। उन्होंने दोपहर को ट्वीट करके एक ”कैलेंडर” जारी किया जिसमें कटाक्ष करते हुए मोदी सरकार के पिछले छह महीने के काम का जिक्र किया। राहुल ने कहा – ”फरवरी में सरकार ने नमस्ते ट्रंप किया और मार्च में मध्य प्रदेश में सरकार गिरा दी। मई में मोदी सरकार ने अपनी छठी सालगिरह मनाई और जून में बिहार में वर्चुअल रैली की। जुलाई में उसने राजस्थान सरकार गिराने की कोशिश शुरू कर दी।

इस ट्वीट के आखिर में राहुल ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि ”इसीलिए देश कोरोना की लड़ाई में आत्मनिर्भर है”। राहुल पिछले छह महीने में मोदी सरकार को कोरोना से लेकर चीन तक घेरते रहे हैं। चीनी घुसपैठ को लेकर राहुल मोदी सरकार पर काफी आक्रमक रहे हैं। याद रहे राहुल गांधी ने 12 फरवरी को ही मोदींवसरकार को कोरोना के प्रति आगाह किया था लेकिन उसपर कोई नोटिस नहीं लिया गया था।

राहुल के ट्वीट के बाद भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी ट्विटर पर इसका जवाब दिया। जावडेकर ने इसमें सिलसिलेवार सरकार की उपलब्धियां गिनाई हैं और राहुल पर तंज कैसा है। उन्होंने कांग्रेस की पिछले महीनों में हुई ”विफलताओं” का ब्योरा दिया है।

जावडेकर ने कहा कि कांग्रेस ट्वीट पार्टी बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि देश की जनता प्रधानमंत्री के साथ है। जावडेकर ने अपने  कैलंडर में कहा – ”जुलाई में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ढहती दिखाई दे रही है। कांग्रेस ने पिछले 6 महीने में फरवरी में कांग्रेस ने शाहीन बाग करवाकर दिल्ली में खूनी दंगे करवाए। मार्च में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार और ज्योतिरादित्य सिंधिया को खो दिया। अप्रैल में कांग्रेस कोरोना काल की वजह से गांव लौट रहे मजदूरों को भड़काने में लगी रही। मई का महीना संसदीय चुनावों में कांग्रेस की ऐतिहासिक पराजय के नाम रहा और जून में प्रभावी तरीके से चीन को जवाब दिया गया”।

पॉयलट गुट की याचिका पर फैसला 24 को सुनाएगा राजस्थान हाई कोर्ट

राजस्थान हाई कोर्ट सचिन पॉयलट गुट के विधायकों की तरफ से दायर याचिका पर 24 जुलाई को फैसला सुनाएगा। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई होने के बाद  न्यायालय ने अपना फैसला 24 जुलाई तक सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने तब तक स्पीकर को भी कोई कार्रवाई नहीं करने का आग्रह किया है।

इस तरह दोनों गहलोत और पॉयलट गुट को तीन दिन और अपनी तैयारियों के लिए मिल गए हैं। देखना है कि क्या इस दौरान दोनों गुटों में कोई समझौता हो पाता या नहीं। हालांकि, एक दिन पहले जिस तरह के तेवर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पॉयलट को लेकर दिखाए थे, उससे इसकी संभावना ज्यादा दिखती नहीं है।

पॉयलट गुट के लिए सुनवाई में जाने माने वकील हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी, जबकि स्पीकर के लिए अभिषेक मनु सिंघवी ने जिरह की।

उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केबिनेट की बैठक तीन बजे बुलाई जो उनके आवास पर शुरू हो गयी है। एक यह भी संभावना है कि गहलोत आज राज्यपाल से मिले और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपना बहुमत सिद्ध कर दें।

सचिन पॉयलट, जिनके विधायकों को लेकर अभी साफ़ नहीं है कि वे सभी हरियाणा के मानेसर में ही हैं या कहीं और। राजस्थान एसओजी की टीम जब इन विधायकों में से एक भंवर लाल से पूछताछ करने गयी थी, तो उसे वे नहीं मिले थे। साथ ही हरियाणा पुलिस ने एसओजी की टीम को उनसे मिलवाने के लिए काफी इंतजार भी करवाया था। राजस्थान में चल रही इस कश्मकश में न्यायालय से बाहर राजनीतिक दांवपेच भी जारी हैं।