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पैसों से जुड़े ऑनलाइन गेम पर सरकारें लगा सकती हैं प्रतिबंध : मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें रमी, कार्ड गेम समेत उन सभी ऑनलाइन गेमों पर पाबंदी लगाने के लिए कानून बना सकती हैं, जिसमें पैसे का लेनदेन शामिल है।
हाईकोर्ट ने हाल ही में तेलंगाना सरकार के एक अध्यादेश के बाद तेलंगाना गेमिंग कानून-1974 में संशोधन करते हुए ऑनलाइन रमी गेम पर प्रतिबंध लगा दिया था। राज्य के यूजर्स के रियल कैश गेम खेलने पर पूरी तरह से रोक है।
हाईकोर्ट ने अपना आदेश तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम के सिलुवई की याचिका पर दिया। सिलुवई और उसके दोस्तों के खिलाफ कुडनकुलम पुलिस द्वारा एक ग्रामीण इलाके में निजी भूमि पर ताश खेलने का मामला दर्ज किया था। आरोपियों ने कोर्ट में दलील दी थी कि दोस्तों ने फुटपाथ को अवरुद्ध नहीं किया और न ही उनके खेलने से किसी को असुविधा हुई। इसलिए मामले को खत्म कर देना चाहिए।
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी पुगलेंधी ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने 2003 में लॉटरी टिकटों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर जुए की लत के कारण कई अप्रिय घटनाओं को रोका था। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में ऑनलाइन गेम्स जैसे रमी, कार्ड गेम में लोग पैसे खर्च करते हैं। खासकर युवा अपने मूल्यवान समय और सोचने की क्षमता को बर्बाद कर रहे हैं। समाज भी अच्छा संदेश नहीं जा रहा, परिणाम भी नकारात्मक आ रहे हैं।
जस्टिस ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस तरह के ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाकर कानून पारित कर सकती हैं।  इसके पीछे की वजह बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा इसमें शामिल हो रहे हैं।

जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति भवन भी जाएंगे : गहलोत, समर्थक विधायकों ने बैठक में किया पूरा समर्थन  

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कांग्रेस विधायकों के बैठक की जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी, चाहे उन्हें राष्ट्रपति भवन तक क्यों न जाना पड़े और उनसे गुहार लगानी पड़े। गहलोत का एक बार फिर राज्यपाल से मिलकर विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह करने का भी कार्यक्रम है। उधर भाजपा के नेता भी आज शाम राज्यपाल कलराज मिश्र से मिले हैं।

संभावना है कि गहलोत सोमवार को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए नए पत्र के साथ राजभवन जाएंगे। आज हुई बैठक में गहलोत ने विधायकों से कहा – ”भाजपा की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी। जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति भवन जाऊंगा। अगर हमें राष्ट्रपति भवन या यहां तक कि प्रधानमंत्री के निवास पर धरना देना पड़े, तो हम यह भी करेंगे”।  गहलोत की इस बात पर तमाम विधायकों ने उनके समर्थन में हाथ उठाया।

गहलोत ने विधायकों को एकजुटता बनाए रखने और मजबूत रहने के लिए कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि उन्हें 21 दिन तक होटल में रुकना पड़ सकता है। इस समय यह विधायक जयपुर के फेयरमोंट होटल में रुके हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा – ”बहुमत हमारे साथ है”। गहलोत के यह कहते ही विधायकों ने दोबारा हाथ उठाकर उनका समर्थन किया।

याद रहे गहलोत शुक्रवार को भी राजभवन में समर्थक कांग्रेस विधायकों के साथ राज्यपाल से मिले थे और सत्र बुलाने का आग्रह किया था। बाद में गहलोत ने आरोप लगाया था कि ”राज्यपाल किसी के दवाब में सदन आहूत करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं”’। गहलोत ने देर रात केबिनेट की बैठक भी ली थी।

आज काफी देर चली केबिनेट बैठक में विधानसभा सत्र के आह्वान को लेकर राज्यपाल के उठाए गए छह बिंदुओं पर चर्चा की गयी। सुबह राज्यपाल को एक प्रस्ताव भेजा गया, जिसमें यह बताया गया कि विधानसभा सत्र का फोकस, कोरोनावायरस का प्रकोप और परिणामी आर्थिक संकट होगा।

इस बीच विपक्षी भाजपा के नेता भी आज शाम राज्यपाल से मिले। बाद में पत्रकारों से बातचीत में भाजपा नेताओं ने कहा कि शुक्रवार को राजभवन में कांग्रेस विधायकों का व्यवहार चिंताजनक था। उन्होंने गहलोत के कथित तौर पर राज्यपाल के घेराव वाले ब्यान पर भी चिंता जताई।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज कोविड-19 पॉजिटिव, खुद को क्वारंटाइन किया

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोनो वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। खुद ट्वीट करके उनहोंने यह जानकारी दी है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा – ”मेरे प्रिय प्रदेशवासियों मुझमें कोविड-19 के लक्षण आ नजर रहे थे, टेस्ट के बाद मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मैं सभी दिशानिर्देशों का पालन कर रहा हूं।” सीएम ने इसके बाद कहा है कि मैं कोरोना गाइडलाइन का पूरा पालन कर रहा हूं। मेरे संपर्क में जो भी लोग आए हों वो तुरंत अपनी जांए करवाए। इसके पहले उनके मंत्री अरविंद भदौरिया कोरोना पॉजिटिव मिले थे, साथ ही उनके स्टॉफ के कुछ लोग भी कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं

चौहान ने कहा कि वे डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्वयं को क्वारंटाइन कर रहे हैं  और इलाज कराएंगे। ”मेरी प्रदेश की जनता से अपील है कि सावधानी रखें, जरा सी असावधानी कोरोना को निमंत्रण देती है”। चौहान कुछ दिन पहले लालजी टंडन के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने गए थी, आशंका है कि इसी दौरान वे किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आये, जो संक्रमित था।

सीएम ने कहा – ”मैंने कोरोना से सावधान रहने के हर संभव प्रयास किए लेकिन समस्याओं को लेकर के लोग मिलते ही थे। मेरी उन सब को सलाह है कि जो मुझसे मिले वह अपना टेस्ट करवा लें। कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना का समय पर इलाज होता है तो कोरोना बिल्कुल ठीक हो जाता है। मैं 25 मार्च से प्रत्येक शाम को कोरोना की समीक्षा बैठक करता रहा हूं”।

उन्होंने कहा कि ”मैं यथासंभव अब वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोरोना की समीक्षा करने का प्रयास करूंगा और मेरी अनुपस्थिति में यह बैठक गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, नगरीय विकास और प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभु राम चौधरी करेंगे। मैं स्वयं भी क्वारंटाइन रहते हुए इलाज के दौरान प्रदेश में कोरोना नियंत्रण के हर संभव प्रयास करता रहूंगा। आप सब सावधान रहें, सुरक्षित रहे और गाइडलाइन का पालन जरूर करें”।

चौहान का ट्वीट –

@ChouhanShivraj
मेरे प्रिय प्रदेशवासियों, मुझे #COVID19 के लक्षण आ रहे थे, टेस्ट के बाद मेरी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है। मेरी सभी साथियों से अपील है कि जो भी मेरे संपर्क में आए हैं, वह अपना कोरोना टेस्ट करवा लें। मेरे निकट संपर्क वाले लोग क्वारन्टीन में चले जाएँ।

राजस्थान में आज मंत्रिपरिषद की बैठक, फिर होगी राज्यपाल से विधानसभा सत्र की मांग

राजस्थान में गहलोत मंत्री परिषद् की शनिवार शाम 4 फिर बैठक बुलाई गयी है जिसमें राज्यपाल से विधानसभा का सत्र दोबारा बुलाने के लिए प्रस्ताव पास किया जाएगा। पिछली रात भी राज्यपाल के सत्र को लेकर उठाए गए कुछ सवालों पर चर्चा के लिए गहलोत मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र को लेकर सत्तापक्ष से कुछ सवाल किए हैं जिनमें छह बिंदु शामिल हैं। मंत्रिपरिषद् की आज की बैठक में इनका जवाब राज्यपाल को भिजवाएगी। मंत्रिपरिषद की बैठक का समय भी बदला गया है लेकिन अब इसके लिए अब 4 बजे का समय तय किया गया है।

याद रहे गहलोत शुक्रवार शाम अपने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन गए थे और राज्यपाल से मिलकर विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह किया था। जिसके बाद राज्यपाल कलराज मिश्र ने यह भी कहा था कि अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इसके अलावा भी उन्होंने कुछ सवाल किये थे।

इसके बाद राजभवन परिसर में कांग्रेस विधायकों ने धरना दिया था। बाद में इस  मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम गहलोत ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा था। मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी विधायकों से कहा, गांधीवादी तरीके से पेश आना है। ये हमारे राजप्रमुख हैं संविधान के हेड हैं। हम कोई टकराव नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि ऐसा देश के इतिहास में कभी नहीं हुआ कि राज्यपाल महोदय ने विधानसभा सेशन आहूत करने के लिए मंजूरी न दी हो। राज्यपाल महोदय केबिनेट के निर्णय से बंधे होते हैं। गहलोत ने कहा था – ”लगता है कि ऊपर से दबाव के कारण विधानसभा सत्र बुलाने के कैबिनेट के प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है”।

श्रीनगर में 2 आतंकी ढेर, एक जवान घायल

जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में शनिवार को एक मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 2 आतंकियों को मार गिराया है। सीआरपीएफ का एक जवान भी इस मुठभेड़ में घायल हुआ है।

जानकारी के मुताबिक यह मुठभेड़ श्रीनगर के रणबीरगढ़ इलाके में हुई। सुरक्षा बलों को सूचना मिली थी कि इलाके में आतंकी छिपे हैं जिसके बाद उन्होंने वहां पहुंचकर सर्च अभियान शुरू किया। जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के बाहरी इलाके में सेना का आतंकियों के खिलाफ यह अभी भी जारी है। अभी तक वहां 2 आतंकियों को मार गिराया गया है। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने जवानों पर फायरिंग कर दी जिसके बाद सुरक्षा बलों ने आपरेशन शुरू किया जिसमें आतंकी मारे गए जबकि  सीआरपीएफ का एक जवान भी घायल हुआ।

शनिवार सुबह ही इलाके में आतंकियों के छिपे होने की सूचना सुरक्षा बलों को मिली थी। सेना की 29 राष्ट्रीय राइफल्स ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की एसओजी और सीआरपीएफ जवानों के साथ इस इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया। अभियान के दौरान अफवाहें रोकने के लिए इलाके में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। वहां करीब दो घंटो तक गोलीबारी हुई है।

असम के बाद बिहार में बाढ़ का कहर : 10 की मौत, 10 लाख लोग प्रभावित

असम के बाद अब बिहार में बारिश और बाढ़ का कहर जारी है। बिहार में  भारी बारिश से बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है। राज्य के 10 जिलों में 10 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। इस बीच, बिहार मेंअलग अलग जगहों पर  10 लोगों की मौत हो गई। भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
राज्य आपदा नियंत्रण विभाग के मुताबिक, गोपालगंज जिले में मांझा ब्लॉक के पुरैया गांव, सारण जिले के बरौली ब्लॉक के देवापुर गांव और पूर्वी चंपारण जिले के भवानीपुर गांव में गंडक नदी के तटबंध टूट गए जिससे कई गांवों में पानी भर गया। बाढ़ के चलते दरभंगा और समस्तीपुर के बीच ट्रेन सेवा ठप है। रेलवे ने दरभंगा दिल्ली बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर या सीतामढ़ी नरकटियागंज होकर चलाने का फैसला लिया है।
तटबंध टूटने से गोपालगंज जिले के 45 गांवों के 50 हजार लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। प्रभावित लोगों को खाद्य सामग्री वितरित करने के लिए हेलिकॉप्टरों की मदद मांगी है। वाल्मीकि बैराज से 4,36,500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से गंडक नदी में बाढ़ आई है।
राहत और बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की 22 और एसडीआरएफ की आठ टीमों को तैनात किया है। ये टीमें अब तक करीब 93,891 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से बचा चुकी हैं। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, श्योहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और खगड़िया जिले बाढ़ की चपेट में हैं। गंगा, बागमती, बूढ़ी गंडक, कंलाबालन, लालबकेया, अध्वरा, खिरोई और महानंदा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
पानी के सैलाब से असम में 130 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में 70 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल प्रभावित इलाकों का दौरा कर चुके हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भी बाढ़ प्रभावित राज्यों के सीएम से बात कर चुके हैं। इस बीच, हालत में खास सुधार नहीं देखने को मिला है। कई प्रदेशों में आने वाले दिनों में भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

राजस्थान में राज्यपाल के सत्र नहीं बुलाने के विरोध में राजभवन परिसर में धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक, गहलोत बोले बहुमत है  

राजस्थान में राजनीति अब सरकार बनाम राज्यपाल हो गयी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुमत का दावा करते हुए अपने समर्थक विधायकों को राजभवन ले गए हैं और उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर एक बार विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह किया है ताकि वे अपना बहुमत साबित कर सकें। हालांकि, राज्यपाल ने राजस्थान विधानसभा के स्पीकर का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने का हवाला देते हुए अभी इसपर सहमति नहीं जताई है। इसके बाद तमाम विधायक राजभवन में ही जम गए हैं। गहलोत ने चेतावनी दी है कि ‘यदि जनता राजभवन का घेराव करती है, तो इसके लिए वो जिम्मेदार नहीं होंगे’।

गहलोत गुट का दावा है कि उनके पास 109 विधायक हैं। कितने विधायक राजभवन गए हैं इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन राजभवन जाते कांग्रेस के दो विधायकों ने विक्टरी का ‘वी’ चिन्ह बनाया, जिससे जाहिर होता है कि गहलोत के पास बहुमत है। हालांकि, राज्यपाल के विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर अभी फैसला न करने और कानूनी राय लेने की बात कहने के बाद सभी विधायक राजभवन में ही ‘जम’ गए हैं।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक वहां विधायकों की तरफ ‘लोकतंत्र बचाओ’ के नारे भी लगे हैं। सुबह ही राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला आया था, जिसमें स्पीकर को नोटिस से जुड़े किसी भी फैसले को लेने से रोक दिया गया है। राज्य में अब सियासी हलचल तेज हो गई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार बचाने की कवायद तेज कर दी है।

गहलोत ने इसके बाद विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्रा से मुलाकात की। उनकी बात नहीं मानने पर गहलोत समर्थक तमाम कांग्रेस विधायक राजभवन में धरने पर बैठ गए हैं।

राज्यपाल से  मिलने के बाद गहलोत ने आरोप लगाया ”राज्यपाल ऊपरी दबाव के कारण विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे हैं”। गहलोत ने कहा – ”राज्यपाल हमारे संवैधानिक प्रमुख हैं। मैं यह कहने में संकोच नहीं करता कि वह ऊपर से कुछ दबाव के बिना विधानसभा सत्र रोक नहीं सकते थे। उन्होंने कल फैसला क्यों नहीं किया। हमने उनसे (राज्यपाल) जल्द ही फिर से निर्णय लेने का अनुरोध किया है और लोग इंतजार कर रहे हैं। मुझे यकीन है कि राज्यपाल किसी दबाव में नहीं आएंगे वह कोई निर्णय लेंगे। हमें उम्मीद है कि विधानसभा सत्र जल्द शुरू होगा। इसलिए हम यहां विरोध में बैठे हैं। वह हमें पत्र दें फिर हम उसके बाद आगे की कार्रवाई करेंगे”।

राजस्थान सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता रघु शर्मा का कहना है कि राज्यपाल अगर कोरोना वायरस के कारण विधानसभा सत्र आयोजित नहीं कर रहे हैं, तो हम सभी 200 विधायकों का कोरोना टेस्ट कराने को तैयार हैं। राज्यपाल से मुलाकात के पहले कांग्रेस विधायक दल ने जयपुर के फेयरमोंट होटल में एक बैठक की थी। इस बैठक में कांग्रेस नेता अजय माकन और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद थे।

इस बीच राजस्थान भाजपा नेता जीसी कटारिया ने कहा कि जिस तरह से गहलोत ने राजभवन में विरोध प्रदर्शन किया और जिस तरह के नारे लगाए गए, मुझे लगता है कि कोई अन्य मुख्यमंत्री इस तरह निंदनीय कुछ नहीं कर सकता।

अशोक गहलोत विधायकों की राजभवन में परेड करवाएंगे, शक्ति परीक्षण की तैयारी

राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब क़ानून से दूर अपना पूरा फोकस राजनीति पर कर दिया है। गहलोत कुछ देर पहले अपने समर्थक सभी विधायकों को राज्यपाल से मिलाने के लिए निकल गए हैं। गहलोत खेमे ने दावा किया है कि उनके पास बहुत से ज्यादा विधायक हैं। गहलोत समर्थक एक विधायक की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है।

गहलोत अपना बहुमत साबित करके फिलहाल अपनी सरकार को खतरे बे बाहर निकालने की कोशिश में हैं। कुछ देर पहले होटल से उनके समर्थक विधायकों को लेकर बसें राज भवन के लिए निकल गयी हैं। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक गहलोत के पास 102 से 106 विधायकों के बीच समर्थन है।

उनके समर्थक एक विधायक की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। गहलोत समर्थक विधायकों की परेड राज्यपाल के सामने करवाकर उनसे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बहुमत सिद्ध करने की मांग कर सकते हैं। गहलोत पहले भी राज्यपाल को तीन बार मिले हैं और उन्होंने ज़ुबानी तौर पर विधानसभा सत्र की बात कह चुके हैं। मंत्रिमंडल ने गहलोत को इसके लिए अधिकृत किया था।

राजस्थान हाई कोर्ट ने स्पीकर नोटिस मामले में यथास्थिति बनाए रखने को कहा, अयोग्यता की कार्रवाही नहीं होगी, मामला सुप्रीम कोर्ट में

राजस्थान हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सचिन पायलट गुट को बड़ी राहत देते हुए शुक्रवार को स्पीकर के नोटिस को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।  इस तरह बागी 19 विधायकों पर अयोग्यता की कार्यवाही नहीं होगी। इससे पहले हाई कोर्ट ने केंद्र को भी इस मामले में पार्टी बनाने की याचिका को स्वीकार कर लिया। अब लगता है इस मामले का सारा परिदृश्य सुप्रीम कोर्ट में बदल गया है।

हाई कोर्ट को आज स्पीकर के 19 विधायकों को नोटिस जारी करने के फैसले को सचिन गुट की तरफ से चुनौती के मामले में कहा कि यथास्थिति बनी रहेगी। गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यह फैसला उसके अधीन रहेगा। इस बीच मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुलाकर अपना बहुमत सिद्ध करने की तैयारी कर ली है। संभावना है कि सोमवार को कोई बिल लाकर यह काम हो सकता है।

 याद रहे राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट गुट के विधायक पृथ्वीराज मीणा की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिका पर तीन दिन लगातार मैराथन सुनवाई हुई थी। मुख्‍य न्‍यायाधीश इंद्रजीत माहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और 24 जुलाई फैसले की तारीख तय की थी लेकिन गुरुवार को कॉजलिस्ट में मामला फैसले के लिए लिस्ट नहीं हुआ था, जिससे संभावना बन गयी थी कि अदालत शायद शुक्रवार को फैसला न सुनाए।

याद रहे बुधवार को सचिन पायलट गुट की ओर से एक प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट में दायर किया गया था जिसमें कहा गया है कि मामले में शेड्यूल 10 के 2-1-ए को चुनौती दी गई है। ऐसे में याचिका में केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया जाए। पार्टी नहीं बनाने से याचिकाकर्ता के हित प्रभावित होंगे, ऐसे में हो सकता है कि अदालत शुक्रवार को इस प्रार्थना पत्र पर ही सुनवाई करे।

इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट फैसले पर रोक लगाने की स्पीकर की मांग को स्वीकार नहीं किया था। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन रहेगा। अर्थात हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद भी लागू नहीं होगा। ऐसे में फैसले से कोई भी पक्ष सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होगा, लेकिन फैसला किसके पक्ष में आता है और किसके खिलाफ यह जरूर साफ़ हो जाएगा।

पलायन मजदूरों के घरों में बढे रहे पारिवारिक कलह बजह बेरोजगारी  

कहते है कि मुशीबत अकेले नहीं आती है। बल्कि झुण्ड में आती है । ऐसा ही हाल आज कल देश – दुनिया का है। देश एक ओर कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है । वही लाँकडाउन के दौरान जो शहरों से गांवों की ओर पलायन हुआ है । गांवों में मजदूर आ तो गये , लेकिन अब वो गांवों में आकर पूरी तरह से बेरोजगार हो गये है । ऐसे में मानसिक तनाव के कारण या परिवारिक विवाद की वजह से उनके घरों में घरेलू -कलैश व पारिकवारिक हिंसा के मामले तेजी से बढ रहे है। उत्तर – प्रदेश, मध्य- प्रदेश, बिहार और राजस्थान में सबसे ज्यादा मजदूर अपने घरों में कोरोना के डर से या कंम्पनियों के बंद होने की वजह से आ गये थे। मजदूरों का कहना है कि अब वे अपनी रिस्क पर शहरों में रोजगार के लिये जाना चाहते है । ताकि काम कर सकें। उनकी सरकार से एक ही मांग है कि वे मजदूरों के लिये साधन मुहैया करा दें, ताकि फिर से काम तलाश कर रोजी –रोटी शुरू कर सकें।उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के पुगंरी गांव के रहने वाले ग्यादीन ने बताया कि अब तो कोरोना का कहर पूरे देश में फैल रहा है, तो ऐसे में अब वो शहर में रह कर काम करना चाहते है। जहां पर अपनी रोजी –रोटी कमा सकें। उनका कहना है, कि हरियाणा में काम सही चल रहा था लेकिन कोरोना के डर से और कंपनी के बंद होने के भय से वे वहां से भागकर आ गये । अब उनका परिवार में आये दिन कलह होता रहता है। वजह साफ है, कि रोजगार ना होने के कारण आर्थिक तंगी के कारण पैसों को लेकर परिवार व दोस्तों से झगडा । ऐसे ही तमाम मामले अब बुन्देलखण्ड में हर रोज गृह कलह के सामने आ रहे है।

मध्य प्रदेश के छत्तरपुर जिले के बमीठा के रहने वाले ब्रजेन्द्र पटेल का कहना है कि दिल्ली से अपने जिले में कोरोना से डर कर काम-धंधा छोड कर आ गये थे लेकिन अब तो यहां पर  भी कोरोना का कहर सितम ठहा रहा है । उनका कहना है कि जिससे डरकर आये तो वो यहां पर भी आ गया है। तो ऐसे में अब वे दिल्ली जाकर ही काम करना चाहते है। उनका कहना है कि घर में फालतू होने पर उनके घर में झगडा आम बात हो रही है। उनको डर लगा रहता है कि घर में महिलाओं के झगडे इस कदर बढ जाते है, कि कई बार लगता है कि पुलिस को बुलाने तक की नौबत आ जाती है। बिहार निवासी जयरंजन का कहना है कि बिहार में शराब बंदी होने के कारण यहां पर शराब की बिक्री नहीं है। ऐसे में जो पलायन होकर आये दिल्ली , हरियाणा, महाराष्ट्र से आये मजदूरों को शराब की लत  होने की वजह से वे बिहार बार्डर, उत्तर –प्रदेश से शराब लाकर जम कर पी रहे है। घर – गांव में आकर पूरी तरह से बेरोजगार है। जो पैसा कमाकर लाये थे। अब उसको शराब में उडा रहे है।जिसके कारण पुरूष और महिलाओं में झगडा आम बात हो रही है। जयरंजन ने केन्द्र और बिहार सरकार से अपील की है कि कोरोना के कहर को रोकने के साथ-साथ पलायन होकर गांवों में आये मजदूरों के रोजगार पर ध्यान दें ताकि मजदूरों को काम के साथ उनके घरों में हो रही हिंसा को रोका जा सकें।