Home Blog Page 79

खुदरा चेतावनी : मिलावट पर लगे अंकुश

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा हाल ही में लोकसभा में जारी अखिल भारतीय निगरानी डेटा ने देश में खाद्य सुरक्षा के बारे में गंभीर चिन्ताएँ बढ़ा दी हैं। 2022-23 में 172,687 खाद्य नमूनों के विश्लेषण में आश्चर्यजनक रूप से 44,421 नमूने सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं पाये गये, जिसके कारण 38,053 सिविल और 4,817 आपराधिक मामले दर्ज किये गये थे।

जनहित की पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध एक मीडिया संगठन के रूप में ‘तहलका’ की एसआईटी जब पहले से ही एक बड़े खुदरा घोटाले का पर्दाफ़ाश करने की तैयारी कर रही थी, तब सितंबर, 2024 में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के लड्डुओं में मिलावटी घी के कथित उपयोग पर विवाद खड़ा हो गया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के दौरान तिरुपति मंदिर में विराजमान श्री वेंकटेश्वर भगवान को चढ़ाये जाने वाले पवित्र प्रसाद में पशु वसा सहित घटिया सामग्रियों का उपयोग किया गया था। हाल ही में बीती दीपावली के मौसम में पूरे भारत में खाद्य पदार्थों में मिलावट की ख़बरों में वृद्धि देखी गयी। यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए एक ख़तरनाक स्वास्थ्य-जोखिम पैदा करती है। एक परेशान करने वाली बात यह है कि अक्सर कुछ बाज़ारों में मिठाइयों के लिए कच्चा माल तैयार उत्पादों की तुलना में अधिक महँगा होता है।

‘तहलका’ की आवरण कथा- ‘स्वास्थ्य से खिलवाड़’ इस बात की पड़ताल है कि कैसे दिल्ली-एनसीआर में एक प्रमुख खुदरा श्रृंखला के फ्रेंचाइजी मालिक अनधिकृत और घटिया उत्पाद बेचकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य ख़तरे में पड़ रहा है। इस पड़ताल से इस क्षेत्र में फ्रेंचाइजी खुदरा दुकान (रिटेल स्टोर) चलाने वाले एक उद्यमी का पता चलता है, जो इन अनैतिक गतिविधियों में लिप्त है। खुदरा श्रृंखला फलों और सब्ज़ियों के लिए भारत का सबसे बड़ा संगठित नेटवर्क है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 400 और बेंगलूरु में 23 आउटलेट संचालित करके प्रतिदिन 1,50,000 से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान करता है। केंद्र के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत एक ब्रांड के स्वामित्व वाली यह खुदरा श्रृंखला शहरी उपभोक्ताओं और किसानों को समर्थन देने के लिए शुरू की गयी थी। हालाँकि ‘तहलका’ के ख़ुफ़िया कैमरे में क़ैद हुए नोएडा के दो स्टोर के मालिक ने इस नेटवर्क के वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी के बिना घटिया उत्पाद बेचने की बात क़ुबूल की। उसने टिप्पणी की- ‘ईमानदारी की क़ीमत नहीं होती। लाभ कमाने के लिए बेईमानी का सहारा लेना पड़ता है।’ उसने बाहरी बाज़ारों से प्राप्त अनधिकृत वस्तुओं का स्टॉक करने की बात भी स्वीकार की और प्रति माह 1.5 लाख रुपये कमाने का दावा किया, जो कि केवल कम्पनी के अनुमोदित उत्पादों को बेचने से होने वाले कम लाभ के बिलकुल विपरीत है। उसने कहा कि छापेमारी के दौरान पकड़े जाने पर भी ज़ुर्माना न्यूनतम ही लगता है।

यह स्थिति एफएसएसएआई के मौज़ूदा उपायों की प्रभावहीनता को उजागर करती है, जिसमें यूट्यूब पर उपलब्ध डार्ट (डिटेक्ट अडल्टेरेशन विद रेपिड टेस्ट) सुरक्षा मैनुअल जैसे उपभोक्ता जागरूकता अभियान भी शामिल हैं। इन प्रयासों के बावजूद डिटर्जेंट, यूरिया, स्टार्च, ग्लूकोज और फॉर्मेलिन जैसे हानिकारक पदार्थों का उपयोग करके दूध में मिलावट जैसे मुद्दे बने रहते हैं। ऐसे में दो महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं। पहला- क्या खाद्य सुरक्षा अधिकारी इन भ्रष्टाचारों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहे हैं? और क्या इन स्वास्थ्य ख़तरों के सम्बन्ध में उपभोक्ताओं में पर्याप्त जागरूकता है? खाद्य सुरक्षा एजेंसियों को सक्रिय रुख़ अपनाना चाहिए। कठोर निरीक्षण करना चाहिए; और नियमों की अनदेखी करने पर सख़्त सज़ा का प्रावधान होना चाहिए। खाद्य पदार्थों में मिलावट न पकड़ पाने की विफलता न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य को कमज़ोर करती है, बल्कि उन लोगों को भी प्रोत्साहित करती है, जो खाद्य सुरक्षा से समझौता करके लाभ कमाते हैं।

कहीं चुनाव जीतने का पैंतरा तो नहीं कोटे में कोटा?

हरियाणा में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनते ही दोबारा मुख्यमंत्री बने नायब सिंह सैनी ने अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण करते हुए आरक्षण में आरक्षण देने यानी कोटे के भीतर कोटा बनाने का फ़ैसला ले लिया। यह काम उन्होंने इतनी शीघ्रता से किया कि 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 18 अक्टूबर को ही कैबिनेट की बैठक बुलाकर यह प्रस्ताव पारित कर दिया। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उनके फ़ैसले की तारीफ़ करते हुए इसका स्वागत किया है। इससे साफ़ है कि उत्तर प्रदेश में साल 2027 के विधानसभा चुनाव में योगी सरकार इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए करेगी।

इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने दलितों के 22 फ़ीसदी आरक्षण में बँटवारे के साथ-साथ पिछड़ों के 27 फ़ीसदी आरक्षण में भी बँटवारे के लिए सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट और सुझाव को आधार बनाया है। प्रदेश सरकार ने दलितों को तीन वर्गों- दलित, अति दलित और महादलित में विभाजित करने की योजना बनायी है, और इन्हें क्रमश: सात, सात और आठ फ़ीसदी आरक्षण देना चाहती है। इसमें चार जातियों को दलित वर्ग में, 37 जातियों को अति दलित वर्ग में और 46 जातियों को महादलित वर्ग में शामिल किया गया है। इसी प्रकार से पिछड़ा वर्ग में पिछड़ी, अति पिछड़ी और सर्वाधिक पिछड़ी जातियों में बाँटकर सभी को नौ-नौ फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव है। पिछड़ों में भी 12 जातियों को पिछड़ा वर्ग में, 59 जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में और 79 जातियों को सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग रखा गया है।

दरअसल, भाजपा नेता जानते हैं कि अपवाद के रूप में तीन-चार फ़ीसदी को छोड़कर अमूमन अनुसूचित जातियों और तक़रीबन 56 फ़ीसदी पिछड़ी जातियों के वोटर किसी भी राज्य में उसे वोट नहीं देते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि उनके पास अपने दलित और पिछड़ा वर्ग के नेता हैं, जो उनकी बात करते हैं; जबकि भाजपा ने अभी तक के अपने राजनीतिक इतिहास में दलितों और पिछड़ों के लिए कोई ऐसा क़दम नहीं उठाया, जिसके लिए दलित वोटर उसके साथ खड़े हों। इसके अलावा दोनों वर्गों के आरक्षण का विरोध खुलकर नहीं, तो दबी ज़ुबान से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही करती रही हैं। अभी पिछले साल ही जब कांग्रेस ने जातिगत जनगणना और हर जाति के लोगों को हिस्सेदारी के हिसाब से आरक्षण की जब वकालत की, तो भाजपा ने इसका विरोध किया। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में भी कहा कि वह किसी भी प्रकार के आरक्षण को पसंद नहीं करते हैं। हालाँकि इसके विपरीत 8,00,000 रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय होने, नगर पालिका के अंतर्गत 200 वर्ग गज़ तक का मकान या गाँव में इससे बड़े मकान में रहने वाले और पाँच एकड़ से कम कृषि ज़मीन वाले सवर्णों को ग़रीब मानते हुए भाजपा ने उन्हें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत अलग से 10 फ़ीसदी आरक्षण साल 2019 में दे दिया। कांग्रेस के जातिगत जनगणना को बढ़ावा देने और उसके आधार पर आरक्षण देने के वादे का नुक़सान भाजपा को चुनावों में हुआ। इसका सीधा-सा तोड़ भाजपा ने अब यह निकाला है कि आरक्षण में आरक्षण निकालकर दबी-कुचली अनुसूचित जातियों और अति पिछड़ी जातियों को तोड़ लो। इससे न सिर्फ़ दलित और ओबीसी नेता कमज़ोर होंगे, बल्कि भाजपा को चुनाव जीतने में आसानी भी रहेगी। और हरियाणा में दलितों में विभाजन का प्रयोग भाजपा के लिए संजीवनी बना भी है। कांग्रेस भी ऐसे ही प्रयोग करने की ताक में थी। उसने जनगणना और जनगणना के आधार पर आरक्षण का मुद्दा इसलिए ही उठाया है।

दरअसल, आरक्षण में आरक्षण की शुरुआत कुछ साल पहले मडिगा आरक्षण पोराटा समिति (एमआरपीएस) ने अविभाजित आंध्र प्रदेश में एक जन-आन्दोलन के रूप में की थी। इसकी माँग मडिगाओं ने एमआरपीएस के संस्थापक मंदा कृष्ण मडिगा के नेतृत्व में की थी। अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव से पहले नायब सिंह सैनी की सरकार ने अनुसूचित जातियों को राज्य में मिलने वाले 20 फ़ीसदी आरक्षण के कोटे में से कोटा बनाने के लिए एक कमेटी गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट चुनाव से पहले ही आ गयी थी। चुनावी मौक़े का फ़ायदा उठाने के लिए नायब सिंह सैनी की सरकार-1 ने इसे लागू करने की अनुमति माँगते हुए चुनाव आयोग के सामने पेश किया। हालाँकि चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू होने के चलते इसकी अनुमति नहीं दी; लेकिन हरियाणा में कमज़ोर अनुसूचित जातियों के बीच यह मैसेज चला गया कि भाजपा सरकार उन्हें अलग से आरक्षण की व्यवस्था देने को तैयार है। इसका लाभ भाजपा को चुनाव में मिला। अब मुख्यमंत्री नायब ने अनुसूचित जातियों के लिए राज्य में दिये जा रहे 20 फ़ीसदी आरक्षण में से 10 फ़ीसदी आरक्षण अति पिछड़ी अनुसूचित जातियों को देने का फ़ैसले को मंज़ूरी दे दी। और बड़ी होशियारी से मुख्यमंत्री सैनी ने अपने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट पर डाल दिया है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया है।

दरअसल, इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों में उप वर्गीकरण का फ़ैसला सुनाया था। इस फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यों को पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों के आधार पर एससी और एसटी को उप-वर्गीकृत करने की संवैधानिक अनुमति है। हालाँकि साल 2006 में जब पंजाब सरकार ने फ़ैसला किया था कि मज़हबी सिख और वाल्मीकि जाति के लोगों को अलग से आरक्षण दिया जाएगा; लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दे दी गयी और तब सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था कि साल 2004 में ही हमने एक फ़ैसला दिया था कि किसी भी राज्य सरकार को यह फ़ैसला लेने का अधिकार नहीं है। क्योंकि यह तय करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों में अनुसूचित जातियों के बीच ही भेदभाव और कुछ जातियों को आरक्षण का फ़ायदा न मिलने की स्थितियों और तर्कों को देखते हुए जातियों में उप वर्गीकरण करने का फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि कोई भी राज्य सरकार चुनावी फ़ायदे के लिए जातियों के वर्गीकरण का फ़ैसला न ले। जातियों में वर्गीकरण के लिए उसके पास पुख़्ता आधार और सही आँकड़े होने चाहिए।

सवाल यह है कि क्या कोई भी सरकार या पार्टी बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के कोई फ़ैसला लेती है? हरियाणा सरकार ने भी तो राजनीतिक फ़ायदे के लिए यह फ़ैसला लिया है। और भविष्य में उत्तर प्रदेश सरकार भी ऐसा फ़ैसला लेकर उसका चुनावी फ़ायदा लेना चाहती है। ज़ाहिर है कि भाजपा सरकारों के फ़ैसलों को राष्ट्रपति की मंज़ूरी बड़ी आसानी से मिल जाएगी। यह अलग बात है कि विपक्षी पार्टियों की राज्य सरकारों के फ़ैसलों में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल और उपराज्यपाल टाँग अड़ा देते हैं। लेकिन भाजपा सरकारों के फ़ैसलों को पलटने की हिम्मत कोई नहीं दिखा सकता, भले ही वो फ़ैसला आम जनता के ख़िलाफ़ क्यों न हो। बहरहाल, मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए हरियाणा की नायब सरकार ने करते हुए अनुसूचित जातियों में वंचित अनुसूचित जाति (डीएससी) नाम की एक नयी श्रेणी बनायी है, जिसमें 36 अनुसूचित जातियों- वाल्मीकि, खटीक, कोरी, जुलाहा, धानक, धोगरी, बरार, बंगाली, बंजारा, बोरिया, बटवाल, अद धर्मी, दागी, दरेन, देहा, चनल, डुमना, गगरा, गंधीला, मरीजा, मज़हबी, मेघ, नट, ओड, पेरना, पासी, फरेरा, सांसी, संसोई, संहाई, संहाल, सपेला, सरेरा, सिकलीगर और सिरकीबंद आदि जातियों को किया गया है। दरअसल, हरियाणा में अनुसूचित जातियों के आरक्षण में से वंचित अनुसूचित जातियों के लिए अलग से आरक्षण देने की माँग लंबे समय से उठती रही है, जिसे भाजपा लंबे समय से भुनाना चाहती थी। भाजपा ने साल 2014 और साल 2019 के विधानसभा चुनावों बाक़ायदा अपने घोषणा-पत्र में वंचित अनुसूचित जातियों को आरक्षण में से अलग आरक्षण देने का वादा भी किया था। हरियाणा में तक़रीबन 3.12 करोड़ से ज़्यादा आबादी है, जिसमें तक़रीबन 26 से 27 फ़ीसदी अनुसूचित जातियों की आबादी है, जिसमें तक़रीबन 14 फ़ीसदी से ज़्यादा वंचित अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी है। हालाँकि ये अनुमानित आँकड़े हैं। क्योंकि अगर अपवाद के तौर पर बिहार को छोड़ दें, तो देश के किसी दूसरे राज्य में पिछले क़रीब 13 वर्षों से जातिगत जनगणना नहीं हुई है। साल 2011 की जनगणना के आँकड़ों के मुताबिक, उस समय हरियाणा की कुल आबादी 2.5 करोड़ से ज़्यादा थी, जिसमें से क़रीब 27.5 लाख से ज़्यादा यानी तक़रीबन 11 फ़ीसदी हिस्सेदारी वंचित अनुसूचित जातियों की थी। हरियाणा सरकार के साल 2011 के आँकड़ों के मुताबिक, सामान्य अनुसूचित जातियों में ग्रुप-ए की हिस्सेदारी 4.5 फ़ीसदी, ग्रुप-बी की हिस्सेदारी 4.14 फ़ीसदी और ग्रुप-सी की हिस्सेदारी 6.27 फ़ीसदी थी। इसी प्रकार से वंचित अनुसूचित जातियों के ग्रुप-ए की हिस्सेदारी 11 फ़ीसदी, ग्रुप-बी की हिस्सेदारी 11.31 फ़ीसदी और ग्रुप-सी की हिस्सेदारी 11.8 फ़ीसदी थी। साल 2011 के आँकड़ों के मुताबिक, राज्य में वंचित अनुसूचित जातियों में सिर्फ़ 3.53 फ़ीसदी आबादी ग्रेजुएट थी। इसके अलावा 12वीं तक पढ़े-लिखे लोगों की आबादी महज़ 3.75 फ़ीसदी और हाईस्कूल तक पढ़े लोगों की आबादी महज़ 6.63 फ़ीसदी थी, जबकि इन जातियों में निरक्षर यानी अनपढ़ लोगों की आबादी 46.75 फ़ीसदी थी। ज़ाहिर है कि अब शिक्षा में इतनी ख़राब स्थिति इन लोगों की नहीं होगी। अनुसूचित जातियों में उप वर्गीकरण करने के फ़ैसले के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि इस फ़ैसले से हरियाणा सरकार अब राज्य में अनुसूचित जातियों में वंचित जातियों को भी आरक्षण दे सकेगी। लेकिन बसपा की मुखिया मायावती, रामदास अठावले और दूसरे कई दलित नेताओं हरियाणा सरकार के इस फ़ैसले का विरोध किया है। मायावती ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है- ‘हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह भाजपा भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अंतत: इसे समाप्त करने के षड्यंत्र में लगी है, जो घोर अनुचित है। बसपा इसकी घोर विरोधी है। वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में फूट डालो-राज करो व इनके आरक्षण विरोधी षड्यंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बसपा है। इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा।’

दरअसल, मायावती अब तक उत्तर प्रदेश में अकेली बड़ी दलित नेता के रूप में रही हैं और दलितों में उनका ख़ास सम्मान भी है। लेकिन हाल के तीन-चार साल में उनके इस वोट बैंक में जबरदस्त सेंध आज़ाद समाज पार्टी प्रमुख और नगीना से हाल ही में चुने गये सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने तो लगा ही दी है, अब भाजपा के इस पैंतरे से उन्हें अपने पाले से दलितों के खिसकने का भी डर सताने लगा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में भाजपा पिछले दो लोकसभा चुनावों की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव में कमज़ोर हुई। ज़ाहिर है कि अगर उसने दूसरी पार्टियों के वोट नहीं काटे, तो साल 2027 के विधानसभा चुनाव में भी उसकी स्थिति ख़राब होनी तय है, जो कि भाजपा और संघ किसी भी हाल में नहीं चाहेंगे। इसलिए भाजपा नेता, ख़ासतौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी वाला फॉर्मूला अपनाएँगे। अब देखना यह है कि दलित नेता भाजपा के इस तुरुप के पत्ते की क्या काट निकालेंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

अमित शाह ने कराई कनाडा मेें हिंसा, ट्रूडो सरकार ने फिर लगाए आरोप

टोरंटो : कनाडा और भारत के रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। अब खबर है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो की सरकार ने भारत के गृहमंत्री अमित शाह पर हिंसा कराने के आरोप लगाए हैं। हालांकि, इसके लिए कोई सबूत नहीं दिए गए। फिलहाल, इसे लेकर भारत की तरफ से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इससे पहले कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को एक मामले की जांच में पर्सन ऑफ इंटरेस्ट बताया था। भारत ने कनाडा के आरोपों का खंडन किया था।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को कनाडा सरकार ने आरोप लगाए हैं कि कनाडा में सिख अलगाववादियों को निशाना बनाने में भारत के गृह मंत्री अमित शाह का हाथ है। रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पहले वॉशिंगटन पोस्ट अखबार ने बताया था कि कनाडा के अधिकारियों के आरोप हैं कि सिख अलगाववादियों के खिलाफ हिंसा में शाह शामिल हैं।

समाचार एजेंसी के मुताबिक, कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने संसदीय पैनल को बताया कि उन्होंने पोस्ट को जानकारी दी थी कि साजिशों के पीछे शाह का हाथ था। मॉरिसन ने कमेटी से कहा, ‘पत्रकार ने मुझसे पूछा कि क्या वह यानी शाह वही व्यक्ति हैं, तो मैंने पुष्टि की था कि हां वही वह शख्स हैं।खास बात है कि इस बार भी उन्होंने कोई जानकारी या सबूत साझा नहीं किए।

बीते साल कनाडा के पीएम ट्रूडो ने भी खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के तार भारत सरकार से जोड़ने की कोशिश की थी। हालांकि, तब भी उन्होंने इसे जुड़े कोई सबूत पेश नहीं किए थे। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने स्वीकार किया था कि आरोप लगाते समय उनके पास सिर्फ खुफिया जानकारी थी, लेकिन कोई पुख्ता सबूत नहीं थे।

एलएसी पर देपसांग और डेमचॉक में मिलेंगे भारत-चीन के लोकल मिलिट्री कमांडर

लद्दाख : ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर देपसांग और डेमचॉक में आज भारत और चीन  के लोकल मिलिट्री कमांडर  मिलेंगे। शुक्रवार से दोनों जगह पेट्रोलिंग  शुरू होगी। देपसांग में कल डिसइंगेजमेंट और वेरिफिकेशन  पूरा हो गया था, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से डेमचॉक में एरियल वेरिफिकेशन नहीं हो पाया है। डेमचॉक में एरियल वेरिफिकेशन आज किया जाएगा।

भारत  और चीन के बीच बनी सहमति के मुताबिक देपसांग और डेमचॉक में डिसइंगेजमेंट और वेरिफिकेशन 29 अक्टूबर तक पूरा करना था। मंगलवार शाम तक दोनों जगहों से टेंट और टेंपरेरी स्ट्रक्चर हटा लिए गए थे। जहां पर गाड़ियां और सैनिकों को पीछे करना था, वह भी पूरा हो गया है। डिसइंगेजमेंट और वेरिफिकेशन साथ-साथ चल रहा था। मंगलवार को देपसांग में यूएवी के जरिए एरियल वेरिफिकेशन पूरा हो गया था।

ऐसे में बृहस्पतिवार यानी 31 अक्टूबर से पेट्रोलिंग शुरू हो जाएगी। इस दौरान सैनिकों की ज्वाइंट पेट्रोलिंग नहीं होगी यानी दोनों देशों के सैनिक एक साथ पेट्रोलिंग नहीं करेंगे। थोड़े टाइम गैप के साथ एक ही दिन में दोनों देशों के सैनिक पेट्रोलिंग पर जा सकते हैं। इसे लेकर भी आज भारत और चीन की सेना के लोकल मिलिट्री कमांडर मिलेंगे तब बातचीत होगी। अब दोनों देशों के सैनिक उन सभी जगहों पर पेट्रोलिंग कर सकेंगे जहां अप्रैल 2020 से पहले करते रहे हैं। इसके साथ ही देपसांग और डेमचॉक में अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति की बहाली हो जाएगी।

कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत, सस्ती होंगी 3 जरूरी दवाएं ; सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली : दिवाली से पहले कैंसर मरीजों के लिए सरकार ने राहत की खबर दी है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तीन प्रमुख दवाओं—ट्रैस्टुजुमाब, ओसिमर्टिनिब और डुर्वालुमाब—की अधिकतम खुदरा कीमत में कमी का आदेश दिया है।

सरकार का यह कदम आवश्यक दवाओं की सस्ती उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने इन दवाओं पर कस्टम ड्यूटी समाप्त कर दी है, और GST दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। यह नई दरें 10 अक्टूबर 2024 से लागू होंगी।

उत्पादकों को निर्देश दिया गया है कि वे MRP कम करने के साथ-साथ डीलरों, राज्य औषधि नियंत्रकों और सरकार को मूल्य परिवर्तन की जानकारी समय पर दें। इस कदम के माध्यम से सरकार ने किफायती दामों पर दवाओं की उपलब्धता को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया है, जिससे कैंसर के मरीजों को इलाज के लिए आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी।

राजस्थान के सीकर में पुलिया से टकराई बस, 10 लोगों की मौत; 20 से अधिक घायल

सीकर :  राजस्थान के सीकर जिले में मंगलवार को एक भीषण सड़क हादसा हुआ। लक्ष्मणगढ़ इलाके में एक निजी बस पुलिया से टकरा गई, जिसके परिणामस्वरूप 10 लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस तेज रफ्तार में थी और अचानक नियंत्रण से बाहर हो गई। बस का अगला हिस्सा पुलिया से टकराने के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। हादसे के समय बस में करीब 40 यात्री सवार थे।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और हादसे के कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रही है। सीकर एसपी भुवन भूषण यादव ने बताया कि हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई है और 20 से अधिक लोग घायल हैं। उन्होंने बताया कि बस में 40 से अधिक लोग सवार थे।

पुलिस अभी भी हादसे के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। यह जांच की जा रही है कि क्या बस की खराब तकनीकी स्थिति या ड्राइवर की लापरवाही हादसे का कारण बनी। हादसे के बाद प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। घायलों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन व्हाइट हाउस में भारतीय-अमेरिकियों के साथ मनाएंगे दीपावली

वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सोमवार शाम व्हाइट हाउस में भारतीय-अमेरिकियों के साथ दीपावली का जश्न मनाएंगे। व्हाइट हाउस के अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में यह उनकी अंतिम दीपावली होगी क्योंकि वह अगले चुनाव में भाग नहीं ले रहे हैं।

यह दिन भारतीय संस्कृति और विरासत का सम्मान करते हुए अमेरिका और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के बीच बढ़ते संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक बनेगा। राष्ट्रपति पिछले वर्षों की तरह इस बार भी व्हाइट हाउस के ब्लू रूम में दीप जलाएंगे और फिर भारतीय-अमेरिकी मेहमानों के लिए एक स्वागत समारोह में भाषण देंगे।

इस अवसर पर राष्ट्रपति के परिचय के लिए सुनीता विलियम्स का एक वीडियो संदेश भी शामिल होगा, जो नासा की एक मशहूर अंतरिक्ष यात्री और रिटायर्ड नौसेना कैप्टन हैं। उन्होंने यह संदेश अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से रिकॉर्ड किया है, जहां उन्होंने हाल ही में कमांडर के रूप में पदभार संभाला है।

सुनीता विलियम्स हिंदू धर्म का पालन करती हैं और पहले भी आईएसएस से दीपावली की शुभकामनाएं भेज चुकी हैं। व्हाइट हाउस के अनुसार वह अंतरिक्ष में अपने साथ समोसे, उपनिषद, और भगवद गीता जैसी भारतीय सांस्कृतिक वस्तुएं भी लेकर गई हैं।

इस कार्यक्रम में वाशिंगटन दक्षिण एशिया का संगीत और नृत्य व मरीन कॉर्प्स बैंड द्वारा मेहमानों के लिए म्यूजिक की प्रस्तुति भी दी जाएगी।

पिछले साल दीपावली के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा किया था, जिसमें वह अपनी पत्नी के साथ व्हाइट हाउस में दीया जलाते दिखे थे।

जम्मू-कश्मीर  के अखनूर में आतंकियों ने सेना के काफिले पर घात लगाकर किया हमला,सर्च ऑपरेशन जारी

श्रीनगर :जम्मू-कश्मीर  के अखनूर में आतंकियों  ने सेना के काफिले पर गोलाबारी की। इस घटना के बाद इलाके में बड़ा तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, फायरिंग करने वाले आतंकियों की संख्या 3 से 4 बताई जा रही है, जो कि कयास लगाए जा रहे हैं कि स्थानीय मंदिर के आसपास छिपे हुए हैं।

हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीमों ने मिलकर व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। आज सुबह करीब 7 बजे घात लगाकर बैठे 3 अतंकियों ने सेना के काफिले पर फायरिंग की। यह घटना अखनूर के बटाल गांव के शिव मंदिर के पास बताई जा रही है। हमले के बाद 32 फील्ड रेजिमेंट ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है।

वहीं, आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के गगनगीर में 20 अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमले की जांच के दौरान खुफिया जानकारी की कमी और नियंत्रण रेखा पर पिछले एक साल से निगरानी व्यवस्था को चकमा देकर घुसपैठ होने की जानकारी सामने आई है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। गगनगीर में हुए हमले में एक स्थानीय डॉक्टर और बिहार के दो मजदूरों सहित सात लोगों की जान चली गई थी। गगनगीर हमले ने कश्मीर में स्थानीय युवकों के आतंकवादी समूहों में शामिल होने की ‘‘गुप्त प्रवृत्ति’’ के बारे में चिंता पैदा कर दी है।

देश में 2025 में हो सकती है जनगणना, जानें कब तक मिलेगी रिपोर्ट

नई दिल्ली : कोविड-19 के कारण लंबे समय तक टली भारत की जनगणना दोबारा शुरू होने जा रही है। खबरें हैं कि 2025 में जनगणना का आगाज हो सकता है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है। बता दें इससे पहले जनगणना 2011 में हुई थी। कहा जा रहा है कि ताजा जनगणना पूरी होने के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन हो सकता है।

एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि देश की जनसंख्या का आधकारिक सर्वे 2025 में शुरू हो सकता है, जो साल 2026 तक जारी रहेगी। रिपोर्ट के अनुसार, जनगणना के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन शुरू होगा। यह प्रक्रिया 2028 तक चल सकती है।

भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के रूप में कार्यरत मृत्युंजय कुमार नारायण की सेंट्रल डेप्युटेशन को अगस्त 2026 तक बढ़ाया गया है। इससे उनके लंबे अरसे से लंबित दशकीय जनगणना की कवायद को पूरा करने के लिए टीम का नेतृत्व करने का मार्ग तैयार हो गया है। नारायण 1995 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। वह 2020 से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन प्रमुख पद (महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त) पर कार्यरत हैं।

देश में पहली बार जनगणना के आंकड़े डिजिटल तरीके से जुटाए और संकलित किए जाएंगे। इसके लिए विशेष पोर्टल तैयार किया गया है।  इस पोर्टल में जातिवार जनगणना के आंकड़ों के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक जातिवार जनगणना होने की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों और अन्य मतों के अनुयायियों की भी जातियां गिनी जाएंगी। सांख्यिकी और विधि मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने को लेकर फिलहाल औपचारिक फैसला नहीं किया है। लेकिन पूरे आसार हैं कि भविष्य के मद्देनजर अभी जनगणना को बहुआयामी, भविष्योन्मुखी और सर्व समावेशी बनाया जाए। सूत्रों के मुताबिक कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनाव के कारण अटकी हुई 2021 की जनगणना 2025 में हो सकेगी।

वायनाड के लोगों ने लोकतंत्र को मजबूत करने का काम किया : प्रियंका गांधी

वायनाड : कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी आज वायनाड में होंगी। वो उपचुनाव के लिए प्रचार करने पहुंचेंगी। इससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पोस्ट में वायनाड की जनता को खूब सराहा। कहा कि यहां के लोगों ने लोकतंत्र की भावना को बखूबी समझा है और उसे मजबूत भी किया है।

प्रियंका गांधी ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “वायनाड की जनता पहले भी सत्य, न्याय और लोकतंत्र के साथ खड़ी हुई है और संविधान की भावना को मजबूत करने का काम किया है। वायनाड के लोग आगे भी संविधान और लोकतंत्र को मजबूत करते हुए विकास और प्रगति का नया अध्याय लिखेंगे। जनता का जोश और उत्साह देखने लायक है।”

इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने बताया कि वो सोमवार को वायनाड की जनता के साथ संवाद करेंगी।

दरअसल, देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाया है, जो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के रायबरेली सीट चुनने के बाद खाली हो गई थी।

बता दें कि इससे पहले शनिवार को प्रियंका गांधी ने वायनाड की जनता के नाम एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने हाल ही में वायनाड में आई त्रासदी का जिक्र करते हुए लिखा था कि ‘वायनाड के मेरे प्यारे बहनों और भाइयों। मैं अपने भाई के साथ कुछ महीने पहले चूरामाला और मुंडक्कई गई थी। मैंने वहां भूस्खलन से हुई तबाही और आपके नुकसान को बहुत करीब से देखा। इस दौरान मैं उन बच्चों से मिली, जिन्होंने अपने सभी प्रियजनों को इस तबाही में खो दिया। माताएं अपने बच्चों और परिवारों के लिए दुखी थीं, जिनका पूरा जीवन प्रकृति के प्रकोप में बह गया था। फिर भी इस त्रासदी के बीच मुझे जो चीज दिखाई दी, वह था आपका असीम साहस और धैर्य।’

केरल की वायनाड सीट से प्रियंका के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी ने नव्या हरिदास को अपना उम्मीदवार बनाया है। ये भाजपा संसदीय दल की नेता और कोझिकोड निगम में दो बार पार्षद रही हैं और भाजपा महिला मोर्चा की राज्य महासचिव भी हैं। वायनाड उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होना है, वहीं इसके नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे।