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सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण अवमानना मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी है। सर्वोच्च अदालत की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पहले अदालत ने भूषण को 30 मिनट का समय दिया था और कहा था कि इसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी।

आज सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए, हालांकि, मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। इसके बाद अदालत ने भूषण को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए 30 मिनट का समय दिय, हालांकि उन्होंने अपना कल के फैसले पर रहने की बात कही। ।

जहाँ तक नए अवमानना मामले की बात है उसपर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। आज अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। पीठ ने कहा कि हमने प्रशांत भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि प्रशांत भूषण का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का पतन हुआ है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है। अदालत ने भूषण को अब 30 मिनट का समय दिया है, जिसके बाद बेंच अपना फैसला सुनाएगी।

याद रहे, सर्वोच्च अदालत ने 20 अगस्त को भूषण की सजा पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था, हालंकि, भूषण ने पिछले कल माफी मांगने से इन्कार कर दिया था। अदालत में दायर अपने बयान में प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर वह माफी मांगते हैं तो ऐसा करना उनकी नजर में उनकी अंतरात्मा और इस संस्था की अवमानना होगी।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण के ही खिलाफ 2009 के एक अन्य अवमानना मामले में सुनवाई 10 सितंबर तक टाल दी है। यह मामला ”तहलका” पत्रिका में प्रशांत भूषण के छपे एक इंटरव्यू से जुड़ा है। इस इंटरव्यू में भूषण ने भ्रष्टाचार के संबंध मे न्यायपालिका पर टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि राजीव धवन की ओर से उठाए गए सवालों पर लंबी सुनवाई की जरूरत है। अभी समय कम है। मामला उचित पीठ में लगाने केलिए सीजेआइ के समक्ष पेश किया जाए।

गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष – सरकार पर अधिक हमलावर हो सकता है

अगर सही मायने में कांग्रेस को भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी जैसे वक्ता का सामना करना है और तमाम कांग्रेस के ऊपर लगे आरोपों से बचना है,  तो गांधी परिवार को ही गैर गांधी परिवार के युवा कांग्रेसी नेता को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना होगा  । जिन 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखे है, उस पर गौर ना करके देश की राजनीति को भांप कर मोदी सरकार का सामना करें। तो निश्चित ही कांग्रेस का भला होगा।

कांग्रेस एक के वरिष्ठ नेता ने तहलका संवाददाता को बताया कि राहुल गांधी एक नेक इरादों वाले नेता है , उनकी मेहनत और देश के प्रति वफादारी पर किसी को कोई शक नहीं है। पर वे मोदी के मुकाबले प्रखर वक्ता नहीं है । ऐसे में  हिन्दी भाषी क्षेत्र से जमीनी नेता को अगर कांग्रेस मौका देती है । तो निश्चित ही वो तमाम आरोपों से बच सकती है। जैसे कांग्रेस पर जो परिवारवाद का आरोप लगता है, उससे बच सकती है। क्योंकि देश की मौजूदा राजनीति का मिजाज बदला हुआ है। ऐसे में उसी मिजाज में सेंध लगाने की जरूरत है ना कि पार्टी के अंदर ही पुराने वफादार नेताओँ को शक की नजर से देखने की जरूरत है। जैसे इस समय देश में जब भी कांग्रेस मोदी सरकार पर आरोप लगाती है तो सरकार पलटवार करने में देरी नहीं करती है। कांग्रेस- मोदी सरकार पर प्रेस की आजादी पर जब भी आरोप लगाती है ,तो सरकार पल भर में इंदिरा गांधी के आपातकाल का प्रचार –प्रसार कर कांग्रेस को चुप कर देती और कठघडें में ही खडा कर देती है। इसी तरह मोदी सरकार द्वारा जो चीन को लेकर जो लीपा –पोती का आरोप कांग्रेस के नेता लगाते है, तो मोदी सरकार आक्रामक होकर कांग्रेस की गलतियों को नतीजा बताकर कांग्रेस पर  हमलावर होकर और जबाब देती है कि 1962 में जवाहरलाल नेहरू ने ही चीन के समर्पण किया था ।

ऐसे तमाम सवालों से घिरी कांग्रेस  हमलावर ना होकर खुद जबाबों से ज्यादा सवालों से घिर जाती है। गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष होने से कांग्रेस के साथ पूरा गांधी परिवार कई आरोपों से बच सकता है और सरकार को सीधे गांधी परिवार पर हमला करने में दिक्कत होगी ।क्योंकि मौजूदा दौर में देश कई संकटों से जूझ रहा है, जैसे कोरोना महामारी के कारण आर्थिक सकंट, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं संकट आदि जैसे तमाम सवाल है जिसमें मोदी सरकार को घेरा जा सकता है। बताते चले 2014 में केन्द्र की सत्ता से कांग्रेस के बाहर होने के बाद लगातार पार्टी मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी स्वस्थ्य नहीं है और राहुल गांधी दोबारा जिम्मेदारी उठाने के लिये तैयार नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के सामने एक अवसर व मौका है जिसकी सियासत में जरूरत है कि गैर गांधी परिवार को फिलहाल मौका मिलना चाहिये ताकि एक नया संदेश जा सकें कि कांग्रेस में सभी को अवकर मिलता है।ये सर्वविदित है कि कांग्रेस का अस्तित्व गांधी परिवार की निष्ठा के बिना नहीं है। और जो भी गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष बनेगा उसकी डोर भी गांधी परिवार के हाथ ही होगी। ऐसे में कांग्रेस को नया अध्यक्ष चुनने में देरी नहीं करनी चाहिये।

यूपी के बलिया में पत्रकार को घेरकर बदमाशों ने सिर में मारी गोली, मौत  

यूपी हत्या, डकैती और फिरौती जैसी वारदात का गढ़ बनता जा रहा है। कोई भी शख्स सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। कोरोना संकट के बीच बदमाशों के हौसले और बढ़ गए हैं। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार तक सुरक्षित नहीं हैं। ताजा मामला बलिया का है, जहां पर सहारा समय न्यूज चैनल के पत्रकार रतन सिंह (42) की सोमवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई।
वारदात के पीछे जमीन की रंजिश बताई जा रही है। रंजिश के चलते ही दो साल पहले पत्रकार के भाई की भी हत्या हो चुकी है। फेफना थाना क्षेत्र के गांव फेफना में रतन सिंह का पुराना मकान है, जिसको लेकर पट्टीदारों से विवाद है। सोमवार देर शाम रतन सिंह अपने पुराने मकान पहुंचे थे, जहां बदमाशों ने दौड़ा लिया। वहां से वह भागते-भागते ग्राम प्रधान सीमा सिंह के घर में घुसे, जहां पर बदमाशों ने उनके सिर में गोली मार दी। उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
हत्या होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस सक्रिय हुई और आला अफसर समेत भारी फोर्स मौके पर पहुंचा। पत्रकार की पहले ही मौत हो चुकी थी। आनन-फानन में मामला दर्ज किया गया। हत्या के मामले में देर रात ही पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ ही योगी सरकार ने फेफना थानाध्यक्ष शशिमौलि पांडेय को निलंबित कर दिया है।

महाराष्ट्र में पांच मंजिला ईमारत ढही ; 70 लोग मलबे में दबे, बचाव अभियान शुरू

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक पांच मंजिला भवन गिरने से 70 से ज्यादा लोग उसके भीतर मलबे में फंस गए हैं। अभी तक कुछ लोगों को निकाला गया है और अन्य को बचाने की कोशिश की जा रही है।

जानकारी के मुताबिक यह घटना रायगढ़ के महाड इलाके की है। वहां सोमवार शाम एक बहुमंजिला इमारत ढह गयी है। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक इस भवन के मलबे में 70 के करीब लोग दबे होने की आशंका है। अभी तक 15 लोगों के हादसे में घायल होने की जानकारी है, जबकि मलबे में फंसे लोगों को निकलने की कोशिश शुरू कर दी गयी है।

घटना के बाद वहां एनडीआरएफ की तीन टीमें बुलाई गयी हैं। यह इलाका मुंबई से सटा है। महाड नगर के पुलिस थाना अंतर्गत काजलपुरा इलाके में एक यह पांच  मंजिला इमारत देर शाम सात बजे ढह गई। इमारत में 45 से 47 फ्लैट हैं। इनमें लगभग 70-80 लोगों के फंसे होने की आशंका है।

जानकारी के मुताबिक 15 लोगों को मलबे से निकला गया है जबकि अन्य को निकालने के लिए अभियान शुरूकिया गया है। स्थानीय लोग भी इसमें मदद कर रहे हैं। घायलों को नजदीकी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। मुंबई और पुणे से  एनडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर भेजी गयी हैं।

सोनिया गांधी अभी रहेंगी अध्यक्ष, एआईसीसी के अधिवेशन में होगा नए अध्यक्ष का फैसला

कांग्रेस में नए अध्यक्ष को लेकर आज हुए मंथन के बाद यह खबर सामने आई है कि सोनिया गांधी अभी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। पार्टी की वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की आज हुई बैठक में नेताओं के विचारों के बाद यह फैसला हुआ है। बैठक में यह विचार किया गया कि जल्दी ही अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का अधिवेशन बुलाया जाए और तब तक सोनिया गांधी अंतरिम रूप से अध्यक्ष का जिम्मा संभाले रहेंगी ।

आज सीडब्ल्यूसी के बैठक की अध्यक्षता अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की। बैठक में कई मुद्दे उभरे और नेताओं ने अपने विचार रखे। बैठक में यह विचार भी आया है कि जल्दी ही अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का अधिवेशन बुलाया जाए और तब तक सोनिया गांधी अंतरिम रूप से अध्यक्ष का जिम्मा संभाले रहें।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी से कहा है कि उन्हें नया अध्यक्ष चुनना चाहिए। आज की इस वर्चुअल बैठक में कई मसलों पर नेताओं के बीच तनातनी की भी ख़बरें आई हैं। यह भी खबर आई थी कि बैठक के बीच राहुल गांधी ने नेतृत्व के मसले पर 23 नेताओं की सोनिया गांधी को भेजी चिट्ठी को लेकर कहा कि जब पार्टी राजस्थान में भाजपा से लड़ रही थी, इस तरह की चिट्ठी के क्या मायने माने जाएं।

लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करके बताया कि राहुल ने ऐसा कुछ नहीं कहा है। सुरजेवाला का यह ट्वीट तब आया जब वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट करके कहा कि चिट्ठी और अन्य कुछ घटनाओं को राहुल गांधी ने भाजपा की साजिश से जोड़कर नाराजगी जताई है, हालांकि बाद में सिब्बल ने कहा कि वे अपना ट्वीट वापस ले रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से इसे लेकर कहा कि ऐसी बात उन्होंने नहीं की है। यह भी चर्चा रही कि इस मसले पर राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने ”इस्तीफे की पेशकश” की।

इस आभासी बैठक की शुरुआत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इ अपने विचार रखे। उन्होंने सोनिया गांधी से आग्रह किया कि वे अभी अपने पद पर बने रहें। अन्य नेताओं ने भी अपने विचार रहें। वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने राहुल गांधी से पार्टी अध्यक्ष का जिम्मा संभालने का आग्रह किया। पटेल की इस मांग को महत्पूर्ण माना जायेगा, क्योंकि उनकी बात को 10 जनपथ की बात माना जाता है।

बैठक में यह विचार भी आया है कि जल्दी ही अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का अधिवेशन बुलाया जाए और तक तक सोनिया गांधी अंतरिम रूप से अध्यक्ष का जिम्मा संभाले रहें। हालांकि, इसे लेकर अंतिम फैसला होता है या नहीं, यह देखना होगा।

बैठक को लेकर अभी तक जो ख़बरें छन कर बाहर आई हैं उनसे ऐसा लगता है कि वरिष्ठ नेताओं और युवा नेताओं में तनातनी है। बैठक अभी चल रही है लिहाजा अंतिम क्या फैसला होता है यह शाम तक ही पता चलेगा। पार्टी के बीच कुछ नेता सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाये रखने तो बाकी राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की बकालत कर रहे हैं।

भुखमरी से मर जाना सरकार के माथे पर कलंक

मृतक बच्ची की बड़ी बहन
आगरा में गरीब परिवार की पांच वर्षीय बेटी की भूख से मौत ने सबको झकझोर दिया है। मौत को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका ने फेसबुक पर लिखा है कि आगरा जिले की बच्ची का इस तरह भुखमरी से मर जाना सरकार के माथे पर कलंक है। बच्ची का पूरा परिवार दुखी और सदमे में है। प्रियंका ने पूछा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ये बताए कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिये क्या कदम उठाए जा रहे हैं ?
आगरा के बरौली अहीर ब्लॉक में शनिवार को पांच वर्षीय बच्ची सोनिया की मौत हो गई थी। मासूम की जान निकलने पर उसकी मां शीला देवी ने कहा कि बच्ची की जान भूख से गई है। भूखे रहने के कारण वो कमजोर हो गई और बुखार आ गया। हालांकि उसके घर राशन सामग्री लेकर पहुंचे तहसीलदार प्रेमपाल सिंह ने बताया कि बच्ची की मौत भूख से नहीं, बीमारी के कारण हुई है।
मृतक बच्ची के 40 वर्षीय पिता पप्पू सांस रोगी हैं।
मासूम की मां शीला देवी ने बताया कि सोनिया को तीन दिन से तेज बुखार था। बुखार भूखे रहने के कारण हुआ। महीनेभर से घर में राशन नहीं था। 15 दिन पड़ोसियों से मांगकर गुजारा किया। पिछले कुछ दिनों से घर में एक दाना नहीं था। तीन दिन पहले उसे बुखार आया। पीली पड़ गई थी, लग रहा था कि उसमें खून की कमी हो गई है। पैसे न होने की वजह से ही उसे डॉक्टर के पास नहीं ले गए। शनिवार को उसने दम तोड़ दिया।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने मृतक बच्ची की बड़ी बहन का वीडियो फेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा है कि योगी सरकार इतनी आत्ममुग्ध हो गई है कि किसी भी गरीब और असहाय की आवाज सुनने को तैयार नहीं है। आत्महत्या और भुखमरी की बढ़ती हुई घटनाएं उत्तर प्रदेश की सच्चाई है। विफलता का पर्यायवाची बन चुकी वर्तमान सरकार सिर्फ और सिर्फ दिखावा और कागजी दावों के माध्यम से काम चला रही है।

अध्यक्ष के मसले पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक जारी

कांग्रेस में नए अध्यक्ष को लेकर मंथन चल रहा है। इस समय पार्टी की वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक चल रही है जिसकी अध्यक्षता अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कर रही हैं। बैठक में अभी तक कई मुद्दे उभरे हैं और नेताओं ने अपने विचार रखे हैं। बैठक में यह विचार भी आया है कि जल्दी ही अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का अधिवेशन बुलाया जाए और तक तक सोनिया गांधी अंतरिम रूप से अध्यक्ष का जिम्मा संभाले रहें।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी से कहा है कि उन्हें नया अध्यक्ष चुनना चाहिए। आज की इस वर्चुअल बैठक में कई मसलों पर नेताओं के बीच तनातनी की भी ख़बरें आई हैं। यह भी खबर आई थी कि बैठक के बीच राहुल गांधी ने नेतृत्व के मसले पर 23 नेताओं की सोनिया गांधी को भेजी चिट्ठी को लेकर कहा कि जब पार्टी राजस्थान में भाजपा से लड़ रही थी, इस तरह की चिट्ठी के क्या मायने माने जाएं।

लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करके बताया कि राहुल ने ऐसा कुछ नहीं कहा है। सुरजेवाला का यह ट्वीट तब आया जब वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट करके कहा कि चिट्ठी और अन्य कुछ घटनाओं को राहुल गांधी ने भाजपा की साजिश से जोड़कर नाराजगी जताई है, हालांकि बाद में सिब्बल ने कहा कि वे अपना ट्वीट वापस ले रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से इसे लेकर कहा कि ऐसी बात उन्होंने नहीं की है। यह भी चर्चा रही कि इस मसले पर राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने ”इस्तीफे की पेशकश” की।

इस आभासी बैठक की शुरुआत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इ अपने विचार रखे। उन्होंने सोनिया गांधी से आग्रह किया कि वे अभी अपने पद पर बने रहें। अन्य नेताओं ने भी अपने विचार रहें। वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने राहुल गांधी से पार्टी अध्यक्ष का जिम्मा संभालने का आग्रह किया। पटेल की इस मांग को महत्पूर्ण माना जायेगा, क्योंकि उनकी बात को 10 जनपथ की बात माना जाता है।

बैठक में यह विचार भी आया है कि जल्दी ही अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का अधिवेशन बुलाया जाए और तक तक सोनिया गांधी अंतरिम रूप से अध्यक्ष का जिम्मा संभाले रहें। हालांकि, इसे लेकर अंतिम फैसला होता है या नहीं, यह देखना होगा।

बैठक को लेकर अभी तक जो ख़बरें छन कर बाहर आई हैं उनसे ऐसा लगता है कि वरिष्ठ नेताओं और युवा नेताओं में तनातनी है। बैठक अभी चल रही है लिहाजा अंतिम क्या फैसला होता है यह शाम तक ही पता चलेगा। पार्टी के बीच कुछ नेता सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाये रखने तो बाकी राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की बकालत कर रहे हैं।

प्रशांत भूषण का न्यायालय की अवमानना के मामले में बिना शर्त माफी मांगने से इनकार

वरिष्‍ठ वकील प्रशांत भूषण ने न्यायालय की अवमानना के मामले में सर्वोच्च न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगने से सोमवार को इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और उनके माफी मांगने से उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें उनका सर्वोच्च स्तर का भरोसा है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय दिया था। हालांकि, आज  वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने इससे इनकार कर दिया। याद रहे 20 अगस्‍त को प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर सुनवाई 24 अगस्त तक के लिए टाल दी थी।

अब प्रशांत भूषण ने अपने उस ट्वीट, जो सारे विवाद की जड़ है, को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया है। उन्‍होंने अवमानना मामले में जवाब दाखिल किया जिसमें उन्होंने कहा है – ”मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक विश्वास के तहत थे, जिस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं। इन मान्यताओं पर अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी।”

वरिष्ठ वकील ने कहा – ”मैंने पूरे सत्य और विवरण के साथ सद्भावना में इन बयानों को दिया है जो अदालत द्वारा निपटे नहीं गए हैं। अगर मैं इस अदालत के समक्ष बयान से मुकर जाऊं, तो मेरा मानना है कि अगर मैं एक ईमानदार माफी की पेशकश करता हूं, तो मेरी नजर में मेरे अंतकरण की अवमानना होगी और मैं उस संस्थान की जिसका मैं सर्वोच्च सम्मान करता हूं।”

उन्होंने यह भी कहा कि ”मेरे मन में संस्थान के लिए सर्वोच्च सम्मान है। मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी विशेष सीजेआई को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक आलोचना की पेशकश करने के लिए ये किया था जो मेरा कर्तव्य है। मेरी टिप्पणी रचनात्मक है और संविधान के संरक्षक और लोगों के अधिकारों के संरक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालिक भूमिका से सुप्रीम कोर्ट को भटकने से रोकने के लिए हैं”।

कोरोना की रोकथाम में प्लानिंग का अभाव , गांवों में जांच का दायरा बढाना होगा

जब भी देश में कोरोना वायरस को लेकर इतिहास लिखा जायेगा, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रशंसा तो नहीं लिखी जायेगी और ना ही कोरोना को लेकर हमारे देश की स्वास्थ्य सेवा की प्लानिंग की तारीफ की जायेगी।क्योंकि आज से ठीक 5 महीनें पहले 25 मार्च को देश को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कोरोना को हराने के लिये देश में संपूर्ण लाँकडाउन  21 दिन तक के लिये लगाया जाता है । फिर ये लाँकडाउन मई के महीने तक चला और कई राज्यों में अभी भी दो दिन का लाँकडाउन जारी है। इतने सब कुछ प्रयास किये गये और किये जा रहे उसके बावजूद देश में कोरोना की रफ्तार रूकने का नाम ही नहीं ले रही है अब देश में हर रोज 60 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे है जिससे आज तक कोरोना के मामलों की संख्या 30 लाख से ज्यादा हो गयी है और हर रोज 9 सौ से अधिक लोग मर रहे है। जिससे मरने वालों का आंकडा 54 हजार से ज्यादा हो गया है। इसमें चूक और गलती कहां हो रही है । इस पर देश के डाक्टरों का कहना है कि देश में सियासत का बोलबाला इस कदर है कि स्वास्थ्य प्लानिंग को लेकर कोई पहल ही नहीं दिख रही है। जिसके कारण कोरोना बेकाबू होता जा रहा है।

डाक्टरों का कहना है कि कोरोना के साथ ही जीने की आदत सबको डालनी होगी और अपने स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतनी होगी ।अन्यथा कोरोना घातक हो सकता है।आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल का कहना है कि देश में सियासत के कारण कई लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे है वे आज भी सैकडों लोगों के साथ बैठकें कर रहे है वो भी बिना मास्क के ।राजनीतिक दलों के ही लोग सबसे ज्यादा सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उडा रहे है।  बाजारों को कोला जा रहा है कोई नियम नहीं बनाये गये है। सबसे दुखद तो ये है कि सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था के कारण गरीब मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण देश में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ रही है। वैसे ही बरसाती मौसम संक्रमण के लिये जाना जाता है।आई एम ए के पदाधिकारी ने बताया कि  केन्द्र सरकार सीधा आदेश जारी करती है जिसका लाभ कोरोना से पीडितों को मिले या ना मिले पर देश का प्राइवेट हेल्थ सेवाओं को जरूर मिलता है इसकी वजह साफ है कि ज्यादात्तर लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को पाने से डरते है जिसके कारण प्राइवेट अस्पताल वाले जमकर चांदी काट रहे है । और यही हाल प्रशासन से जुडे अधिकारियों का है जो अपनी मनमर्जी से लोगों को डराने लगे है। डाँ बंसल का कहना है कि अगर कोरोना का कहर यूं ही जारी रहा तो आने वाले दिनों इसके भयावह परिणाम सामने आयेगे।ऐसे में सरकार को बचाव के तौर पर प्लानिंग करके गांवों के लिये अलग और शहरों के लिये स्वास्थ्य टीमों का गठन करना चाहिये । क्योंकि इस समय देश के गांवों में भी कोरोना ने तेजी से अपने पैर पसारने शुरू कर दिये है। गांवों में जंच का दायरा तेज करना होगा जिससे कोरोना को गांवों में ही काबू किया जा सकें।

राष्ट्रपति ट्रंप को 33 लाख रुपये पॉर्न स्टार स्टॉर्मी को देने का निर्देश

अमेरिकी अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पॉर्न एक्ट्रेस स्टॉर्मी डेनियल्स को 44,100 डॉलर ( 33 लाख रुपये) देने का निर्देश दिया है। पॉर्न स्टार स्टॉर्मी का कहना है कि उनका ट्रंप के साथ अफेयर था। हालांकि, ट्रंप इससे लगातार  इनकार करते रहे थे।
कैलिफोर्निया की अदालत ने ट्रंप को स्टॉर्मी डेनियल्स को उनकी कानूनी लड़ाई के लिए वकील के शुल्क के रूप में 33 लाख रुपये देने के आदेश दिए। एक दशक पहले उनके संबंधों के बारे में खामोश रहने के बदले में किए गए करार को डेनियल्स ने रद्द कर दिया था, जिसके बाद अदालत का यह फैसला आया है।
डेनियल्स के वकील ने कोर्ट के फैसले की जानकारी दी। स्टॉर्मी डेनियल्स ने फैसले के बाद ट्वीट किया- हां, एक और जीत!
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ‘2016 के राष्ट्रपति चुनाव के ठीक 11 दिन पहले हुए समझौते पर डेनियल्स ने ट्रंप के खिलाफ मुकदमा जीत लिया है। समझौते के मुताबिक, केस हारने वाली पार्टी को वकीलों की फीस अदा करने होगी।
राष्ट्रपति के तत्कालीन निजी वकील माइकल कोहेन ने डेनियल्स को 1,30,000 डॉलर  (97.40 लाख रुपये) दिए थे। डेनियल्स ने अपने कानूनी नाम स्टेफनी क्लिफॉर्ड के नाम से केस दायर किया था। ट्रंप के निर्वाचित होने के बाद डेनियल्स ने समझौते को खत्म करने के लिए मामला दायर किया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने मई 2018 में ट्विटर पर स्वीकार किया था और कहा था कि उन्होंने डेनियल्स को दी गई राशि अपने वकील कोहेन को अदा की थी। वहीं, डेनियल्स का कहना था कि ट्रंप के साथ कथित अफेयर के बाद उन्हें चुप रहने के लिए पैसे दिए गए। इसके लिए बाकायदा समझौता किया गया था।