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प्रशांत भूषण पर फैसला सुरक्षित

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद सर्वोच्च अदालत की जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। प्रशांत भूषण ने 27 जून को न्यायपालिका के छ: वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी। प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायधीश और चार अन्य पूर्व मुख्य न्यायधीशों को लेकर दो ट्वीट किये थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय पर अभद्र हमला बताते हुए भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया था।

इन ट्वीट् पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। अदालत ने उन्हें नोटिस भेजा था, जिसके जवाब में भूषण ने कहा था कि सीजेआई की आलोचना करना उच्चतम न्यायालय की गरिमा को कम नहीं करता है। उन्होंने कहा था कि पूर्व सीजेआई को लेकर किये गये ट्वीट के पीछे मेरी एक सोच है, जो बेशक अप्रिय लगे लेकिन अवमानना नहीं है। प्रशांत भूषण ने कहा था कि विचारों की ऐसी अभिव्यक्ति स्पष्टवादी, अप्रिय और कड़वी हो सकती है, लेकिन इसे अदालत की अवमानना नहीं कहा जा सकता।

प्रशांत भूषण को जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 14 अगस्त, 2020 को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। सुनवाई के दौर के बाद जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण को 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी माँगने का समय दिया और मामले की सुनवाई 25 अगस्त को रखी। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इस धरती पर ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो गलती नहीं कर सकता है। आप 100 अच्छे काम कर सकते हैं, लेकिन वो आपको 10 अपराध करने की इजाज़त नहीं देते। जो हुआ, सो हुआ। लेकिन हम लोग चाहते हैं कि व्यक्ति विशेष (प्रशांत भूषण) को इसका कुछ पछतावा तो हो।

हालाँकि 24 अगस्त को प्रशांत भूषण ने माफी माँगने से इन्कार किया। भूषण ने कोर्ट के समक्ष पेश किये गये अपने बयान में कहा- ‘मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए आशा का अन्तिम केंद्र है। ट्वीट उनके विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपने बयानों को वापस लेना निष्ठाहीन माफी होगी।’  भूषण ने कहा- ‘मेरा बयान सद्भावनापूर्ण था। अगर मैं इस कोर्ट के समक्ष अपने बयान वापस लेता हूँ, तो मेरा मानना है कि अगर मैं एक ईमानदार माफी की पेशकश करता हूँ, तो मेरी नजर में मेरी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी, जिसमें मैं सर्वोच्च विश्वास रखता हूँ। अदालत ने उन्हें फैसले से पहले 30 मिनट का समय दिया, ताकि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकें।’

दिलचस्प यह रहा कि बहस के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से प्रशांत भूषण को सज़ा न देने की अपील की। वेणुगाोपाल ने कहा कि प्रशांत भूषण को पहले ही दोषी करार दिया गया है, इसलिए उन्हें सज़ा न दी जाए। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उनके पास सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की लिस्ट है, जो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र को फेल किया है। वेणुगोपाल ने कहा कि उनके पास पूर्व जजों के बयान का अंश है, जिसमें वो कहते हैं कि ऊपरी अदालतों में बहुत भ्रष्टाचार है, लेकिन जस्टिस अरुण मिश्रा ने उन्हें बीच में ही रोकते हुए कहा कि अदालत मेरिट पर सुनवाई नहीं कर रही है। अदालत ने कहा कि प्रशांत भूषण का बयान और उनका लहज़ा उसे और भी खराब बना देता है।

बताते चलें कि पिछली सुनवाई में प्रशांत भूषण ने 2009 में दिये अपने बयान पर खेद जताया था, लेकिन बिना शर्त माफी नहीं माँगी थी। उन्होंने कहा था कि तब मेरे कहने का तात्पर्य भ्रष्टाचार कहना नहीं था, बल्कि सही तरीके से कर्तव्य न निभाने की बात थी। बता दें कि 2009 में एक साक्षात्कार में वकील भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के 8 पूर्व चीफ जस्टिस को भ्रष्ट कहा था।

अब 2009 के साक्षात्कार में अदालत की अवमानना मामले में चल रही सुनवाई फिलहाल टल गयी है। सुप्रीम कोर्ट की नयी बेंच मामले की सुनवाई करेगी। जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने इसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पास भेजा है। अब सीजेआई नयी बेंच का गठन करेंगे। सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा वह रिटायर हो रहे हैं अब अगली सुनवाई करने वाली उचित बेंच ये तय करेगी कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जा सकता है या नहीं। यह मामला तहलका पत्रिका में प्रशांत भूषण के छपे एक साक्षात्कार से जुड़ा है। इस साक्षात्कार में भूषण ने भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में न्यायपालिका पर टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि राजीव धवन की ओर से उठाये गये सवालों पर लम्बी सुनवाई की ज़रूरत है। अभी समय कम है।

मुद्दे उठाते रहे हैं भूषण

प्रशांत भूषण पिछले दो दशक से देश के गम्भीर मसलों पर पूरी ताकत के साथ सवाल उठाते रहे हैं। हाल की बात करें तो सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से प्रशांत भूषण ने जनहित याचिक दाखिल करके कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने में राहत कार्यों के लिए पीएम केयर फंड से एनडीआरएफ को फंड ट्रांसफर करने की माँग की थी। याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) का उपयोग अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य संकट के बावजूद नहीं किया जा रहा है और पीएम केयर फंड आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के दायरे से बाहर है। केंद्र सरकार ने इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि पीएम केयर फंड के बनाने पर कोई रोक नहीं है क्योंकि यह राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से स्वतंत्र और अलग है जो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत निर्धारित है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि पीएम केयर फंड भी एक चैरिटी फंड है इसलिए उसके पैसे को कहीं और ट्रांसफर करने की ज़रूरत नहीं है। यही नहीं प्रशांत भूषण के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान एक याचिका अप्रैल, 2020 के दौरान दाखिल की गयी, जिसमें कहा गया था कि प्रवासी मज़दूर, लॉकडाउन के कारण सबसे ज़्यादा प्रभावित तबका है। जब महानगरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों की ओर पैदल जाने को मजबूर थे, तब इस याचिका में देश भर में फँसे लाखों प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक सुरक्षित भेजने की माँग की गयी थी। याचिका के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार वास्तव में प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपने स्तर पर अच्छा कर रही है।

प्रशांत भूषण राफेल खरीद मामले में भी अग्रणी रहे। सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने भारत सरकार की ओर से फ्रांसीसी कम्पनी डैसो एविएशन से 36 रफाल जट खरीदने के सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच को फिर से करने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। हालाँकि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और के.एम. जोसेफ की पीठ ने 14 नवंबर, 2019 को इनकी पुनर्विचार याचिकाओं को सुनवाई के योग्य नहीं माना था। केंद्र और राज्य सूचना आयोगों में सचूना आयुक्तों के रिक्त पदों को भरने के लिए अंजलि भारद्वाज ने याचिका दायर की थी। भारद्वाज के वकील प्रशांत भूषण ही थे। अपने तर्क में प्रशांत ने कहा था कि जो भ्रष्ट हैं सिर्फ वो ही इस कानून से डरते हैं। तब मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस.ए. बोबड़े ने कहा था कि हर कोई अवैध काम नहीं कर रहा है।

प्रशांत भूषण ने गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री हरेन पांड्या की हत्या के मामले में भी अदालत की निगरानी में जाँच की माँग वाली जनहित याचिका अपनी संस्था सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन (सीपीआईएल) के ज़रिये डाली थी।

भूषण का समर्थन/विरोध

वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ जब अवमानना की कार्यवाही कोर्ट में चल रही थी उस समय देश भर में कई लोगों ने उन्हें सज़ा नहीं देने का समर्थन किया था। वैसे अदालत की अवमानना के इस मामले पर लोगों के विचार अलग-अलग रहे। बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) ने इस मामले में कहा है कि शीर्ष अदालत की प्रतिष्ठा को दो ट्वीट् से धूमिल नहीं किया जा सकता। ऐसे समय में जब नागरिक बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो आलोचनाओं से नाराज़ होने की बजाय उनकी जगह बनाये रखने से उच्चतम न्यायालय का कद बढ़ेगा। वहीं 15 पूर्व जजों समेत सौ से अधिक बुद्धिजीवियों ने सुप्रीम कोर्ट के पक्ष में पत्र जारी किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर आपत्ति ज़ाहिर करना सही नहीं है। जबकि इस मामले में प्रशांत भूषण के समर्थन वाले पक्ष का कहना था कि कानूनी पेशे से जुड़े एक सदस्य के खिलाफ भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस तरह स्वत: अवमानना की कार्यवाही करने का यह तरीका निराशाजनक और चिंतित करने वाला है। कांग्रेस सहित अलग-अलग राजनीतिक दलों ने भूषण का समर्थन किया। भूषण को अवमानना केस में दोषी करार दिये जाने के बाद उनके समर्थन में तीन हजार से ज़्यादा लोग सामने आये। इन लोगों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों के आलावा रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, शिक्षाविद् और वकील  शामिल थे। इन लोगों ने बयान भी जारी किये। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 13 रिटायर्ड जजों ने अपने हस्ताक्षर भी किये। अपने बयान में इन लोगों ने लिखा कि जज और वकील दोनों, एक स्वतंत्र न्यायपालिका का हिस्सा हैं, जो संवैधानिक लोकतंत्र में कानून के शासन का आधार है और जो पारस्परिक सम्मान और जजों और बेंच के बीच सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध की पहचान है। पत्र में लिखा गया कि दोनों के बीच संतुलन का कोई भी झुकाव एक तरफा होना हानिकारक है।

अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को एक रूपये सजा, 15 सितंबर तक भरने होंगे नहीं तो तीन महीने सजा

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को 15 सितंबर तक एक रुपये का जुर्माना जमा कराने को कहा है और ऐसा नहीं करने की सूरत में उन्हें तीन महीने की सजा हो सकती है और तीन साल तक वकालत पर रोक लग जाएगी।

सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि भूषण ने अपने बयान को पब्लिसिटी दिलाई उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने फैसले में भूषण के कदम को सही नहीं माना। याद रहे 24 अगस्त को भूषण  ने माफी मांगने से इंकार किया था।

अब बेंच ने वरिष्ठ वकील भूषण को अवमानना के मामले में एक रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सजा में भूषण को 15 सितंबर तक एक रुपये का जुर्माना जमा कराने को कहा है और ऐसा नहीं करने की सूरत में उन्हें तीन महीने की सजा हो सकती है और तीन साल तक वकालत पर रोक लग जाएगी।

प्रशांत भूषण ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि वह अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगेगे। अगले दिन बेंच ने फैसले से पहले प्रशांत को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए 30 मिनट का समय दिया था।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से भूषण को भविष्य के लिए चेतावनी देकर छोड़ने का सुझाव दिया था। दूसरी तरफ भूषण का पक्ष रख रहे राजीव धवन ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कोई मर्डर या चोरी नहीं की है, लिहाजा उन्हें शहीद न बनाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो ट्वीट को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशांत भूषण ने पूरे सुप्रीम कोर्ट के कार्यप्रणाली पर हमला किया है और अगर इस तरह के हमले को सख्त तरीके से डील नहीं किया जाता है तो इससे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और ख्याति प्रभावित होगा।
इसके बाद देश भर में प्रशांत के पक्ष और खिलाफ लोगों और समूहों ने अपने विचार  व्यक्त किये थे। बहुत से लोगों ने प्रशांत को लेकर कोर्ट के फैसले परसवाल उठाये थे जबकि अन्य ने कोर्ट का समर्थन किया था।

भारत और चीन की सेना के बीच पेंगोंग त्सो झील क्षेत्र में एक और झड़प, सैनिकों ने विफल की घुसपैठ

जून में हुई खूनी भिड़ंत के बाद 29-30 अगस्त की रात भारत और चीन के बीच पेंगोंग त्सो झील क्षेत्र में एक और झड़प हुई है। भारतीय सेना के मुताबिक पेंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सेना (पीएलए) की इस कायराना हरकत को नाकाम कर दिया गया। आज मामले को निपटाने के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की  ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत चल रही है।

सेना के मुताबिक चीनी सेना ने पैंगों और पैंगोंग झील क्षेत्र में पहले की सहमति का उल्लंघन करने की कोशिश की थी, जिसे भारतीय जवानों ने विफल कर दिया। भारतीय सेना ने चीन सेने के जवानों को वहां से खदेड़ दिया है। सेना के मुताबिक  चीन के सैनिक हथियारों के साथ आगे बढ़ रहे थे और जब उन्हें रुकने को कहा गया लेकिन भारतीय जवानों ने बाद में उन्हें वहीं रोक लिया।

भारतीय सेना के पीआरओ कर्नल अमन आनंद ने इसकी जानकारी देते हुए कहा – ”पीएलए के जवानों ने 29-30 अगस्त की रात पूर्वी लद्दाख में चल रहे तनाव के बीच  शांति के लिए हुई सैन्य और राजनयिक बातचीत के फैसले का उल्लंघन किया। उसके सैनिकों ने वहां यथास्थिति बदलने की कोशिश के लिए घुसपैठ की जिसे नाकाम कर दिया गया। इसमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है। बाकी जानकारी सेना ने साझा नहीं की है।

सेना के मुताबिक इलाके में भारतीय सैनिकों ने अपनी स्थिति को मजबूत किया है। पीआरओ ने कहा – भारतीय सेना बातचीत के माध्यम से शांति और एकता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी समान रूप से दृढ़ है। सीमा मुद्दों को हल करने के लिए चुशुल में एक ब्रिगेड कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग चल रही है।”

आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण और कोरोना हार्ट रोगियों के लिये घातक होगा

इंडियन हार्ट फांउडेशन ने शोध के आधार पर दावा किया है कोरोना हार्ट पर भी हमला कर रहा है, कोरोना का कहर जिस रफ्तार से बढ रहा है और आने वाले दिनों में अगर यही हाल रहा ,तो अन्य रोगों के साथ -साथ ये हार्ट रोगियों के लिये काफी घातक हो सकता है। जाने –माने हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ अनिल ढल का कहना है, कि कोरोना से सारी दुनिया जूझ रही है। और आने वाले दिन-महीनों में सर्दी का सितम शुरू होने वाला है ।

उत्तर भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या रही है। गत सालों में पराली के जलने के कारण वायु प्रदूषण का कहर  सर्दियों के मौसम में रहा है । जिसके कारण दिल्ली सहित कई राज्यों ने स्वास्थ्य आपातकाल लगा दिया था। डाँ अनिल ढल ने तमाम हार्ट रोग पर हो रहे शोधों का हवाला देते हुये कहा है कि वायु प्रदूषण के कारण मधुमेह , उच्च- रक्तचाप, मोटापा और मानसिक तनाव बच्चे, युवा और बुजुर्गो को अपनी चपेट में लेता है।जिसके कारण हार्ट रोग पनपता है । डाँ अनिल ढल का कहना है कि सांस लेने की दिक्कत में वायु प्रदूषण भी एक कारण है।

उन्होंने शोधों का हवाला देते हुये कहा कि जिन लोगों में मोटापा, मधुमेह , मानसिक तनाव के साथ उच्च –रक्तचाप की शिकायत है उनको हार्ट अटैक होने का खतरा ज्यादा रहता है। वैसे तो सर्दियों के मौसम को हेल्दी माना जाता है। लेकिन इस मौसम में ही जागरूकता के अभाव में हार्ट रोग से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा पायी जाती है। इस बार कोरोना और वायु प्रदूषण सर्दियों के मौसम में घातक साबित हो सकता है । इसलिये बचाव के तौर पर घर से तब ही निकलें जब बहुत जरूरी हो और मास्क मुंह में लगाकर ही निकलें संक्रमण वाले क्षेत्रों में जाने से बचें । लगातार आ रहे बुखार और सर्दी , जुकाम और घबराहट को नजरअंदाज ना करें। अगर ये लक्षण है तो कोरोना की जांच जरूर करवाये। इंडियन हार्ट फांउडेशन के अध्यक्ष व हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ आर एन कालरा का कहना है कि देश के लोगों की इम्युनिटी पावर ठीक है जिसके कारण कोरोना का कहर धीरे –धीरे अपनी गिरफ्त में अन्य देशों की तुलना में कम अनुपात में ले रहा है। लेकिन वायु प्रदूषण और मधुमेह, उच्च-रक्तचाप मोटापा के साथ मानसिक तनाव हार्ट रोग को बढा रहा है जिसकी चपेट में सभी वर्ग के लोग के आ रहे है। बचाव के तौर पर तलीय प्रदार्थो का  कम सेवन करें। व्यायाम और योग को अपनाकर तमाम रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।

कोरोना संक्रमण से बचने को लता मंगेशकर की इमारत सील

कोरोना संक्रमण का कहर जारी है। कोरोना की वजह से महाराष्ट्र में स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। कोविड-19 से बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। इन सबके बीच बीएमसी ने 90 वर्षीया स्वर कोकिला लता मंगेशकर की बिल्डिंग को सील कर दिया है।
दक्षिण मुम्बई की इस इमारत में रहने वालों में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है। एहतियातन बीएमसी ने ये फैसला लिया कि बिल्डिंग को सील कर दिया जाए। लता मंगेशकर के परिवार ने एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि ‘हम लोगों को शाम से ही कॉल आ रही है कि प्रभुकुंज बिल्डिंग सील कर दी गई है। बिल्डिंग की सोसायटी और बीएमसी ने मिलकर ये फैसला लिया है।
संदेश में कहा गया है कि कोरोना महामारी को देखते हुए सोसायटी में गणेश चतुर्थी का सेलिब्रेशन बहुत सादगी से किया जा रहा है। आप सभी से मेरा निवेदन है कि हमारे परिवार वालों की सेहत को लेकर किसी प्रकार की अफवाहें न फैलाएं।
दरअसल, ऐसी खबरें आई थीं कि प्रभुकुंज में कुछ बुजुर्ग कोरोना पॉजिटिव आये हैं, इसके बाद बिल्डिंग सील करने की कार्रवाई की गई। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं कि गई है। इसके बाद ही बिल्डिंग और सोसायटी की ओर से संदेश जारी किया गया है।
मीडिया को जारी संदेश में कहा गया, हमारी सोसायटी के सभी लोग एक परिवार के तौर पर कोरोना को लेकर काफी सतर्क हैं। कड़ाई के साथ सभी अनुशासन का पालन कर रहे हैं। इस बात का खासतौर पर ध्यान रखा जा रहा है कि सोसायटी का हर एक बुजुर्ग पूरी तरह से सुरक्षित रहे। भगवान की कृपा और दुआओं से पूरा परिवार सुरक्षित है।

भाजपा पर आप-का पोस्टर वार

दिल्ली में आप पार्टी ने सीधे तौर पर भाजपा पर पोस्टर वार कर दिल्ली के तीनों जोनों पर काबिज भाजपा को घेरा है। बताते चले मामला ये है, कि स्वच्छता सर्वेक्षण में दिल्ली को गंदे शहरों की सूची में शामिल किया गया है। इस पर आप पार्टी का कहना है गंदगी के लिये भाजपा ही जिम्मेदार है।आप पार्टी ने भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन कर दिल्ली के फ्लाईओवरों में और सिविक सेन्टर पर बैनर –पोस्टर लगाकर निगमों पर निशाना साधा है।

आप पार्टी के नेताओं का कहना है, कि भाजपा के निगम में बैठे नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान को असफल कर दिया है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी का जोर सफाई अभियान में रहा है। दिल्ली नगर निगम में भाजपा और दिल्ली में आप पार्टी की सरकार होने की वजह से दोनों के बीच सियासी खींचतान अक्सर रहती है। जिसके कारण दिल्ली में सफाई कर्मचारियों को समय पर वेतन ना मिल पाने के कारण सफाई कर्मचारियों को कई बार हडताल पर जाना पडा है । भाजपा के निगम नेताओं का कहना रहा है कि दिल्ली सरकार की लापरवाही की वजह से निगम के सफाई कर्मचारियों को वेतन समय पर वेतन नहीं मिल पाता है , जबकि आप पार्टी का कहना है कि निगम में भाजपा के नेताओं की वजह से । इसके कारण दिल्ली की सडकों में कूडे का ढेर देखा जाता रहा है। जो गंदगी का कारण बना है।

आप पार्टी के कार्यकर्ता रमेश कुमार का कहना है कि दिल्ली में जब से आप पार्टी चुनाव में हारी है तब से वो आप को बदनाम करने के फेर में खुद ही गंदगी के जाल में फंस गई है जिसका नतीजा ये हुआ कि दिल्ली को गंदे शहरों में शामिल कर दिया है जिसके कारण देश की राजधानी की क्षवि धूमिल हुई है। भले ही पोस्टर वार पर भाजपा ने अभी पोस्टर व बैनर वार शुरू ना किया हो पर आने वाले दिनों में आप पार्टी जरूर इसका जबाब देगी। भाजपा के नेता राजकुमार सिंह का कहना है कि आप पार्टी की नीतियों का खामियाजा दिल्ली वालों को भुगतना पड रहा है । क्योंकि सारी दिल्ली जब मुख्यमंत्री के अधीन है । ऐसे में जो भी विकास और अविकास होगा उसके लिये दिल्ली सरकार ही जिम्मेदार होगी। उनका कहना है कि दिल्ली की जनता सब समझ रही है कि 2022 के दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर आप पार्टी सियासी समीकरण सांधने में लगी है ।

पहली बार खिलाड़ियों के लिए वर्चुअल सम्मान समारोह आयोजित

पिछले दिनों आईआईटी-बॉम्बे ने वर्चुअल तरीके से दीक्षांत समारोह आयोजित कर नई शुरुआत कर दी थी। अब राष्ट्रीय खेल दिवस पर शनिवार को खिलाड़ियों और कोच को पुरस्कार वितरित किए गए। इतिहास में पहली बार कोरोना के कारण सम्मान समारोह राष्ट्रपति भवन में न होकर वर्चुअल तरीके से हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अलग-अलग सात श्रेणियों में 74 खिलाड़ियों और कोच को पुरस्कार प्रदान किया। इस वर्चुअल सम्मान समारोह में 74 की बजाय 60 खिलाड़ी और कोच ही शामिल हुए।
खेल मंत्रालय के प्रोटोकॉल के तहत हर खिलाड़ी और कोच को समारोह में शामिल होने से पहले कोरोना टेस्ट कराना जरूरी था। खेल रत्न के लिए चुनीं गईं महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल तो बाकायदा पीपीई किट पहनकर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के बंगलोर सेंटर में अवॉर्ड लेने पहुंचीं।
पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न
पहली बार एक साथ पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न दिया गया। इसमें से दो खिलाड़ी रोहित शर्मा और रेसलर विनेश फोगाट सेरेमनी में शामिल नहीं हुए। विनेश एक दिन पहले ही कोरोना पॉजिटिव पाई गईं। वहीं, क्रिकेटर रोहित शर्मा  आईपीएल-13 के लिए यूएई में हैं। इसके अलावा टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, 2016 के पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मरिप्पन थंगावेलु साई सेंटर से अवॉर्ड सेरेमनी में जुड़े। 27 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड प्रदान किया गया।
सम्मान समारोह सफलता का उत्सव : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि आप सबने यह साबित किया है कि इच्छा, लगन और मेहनत के बल पर सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है। यही खेल-कूद की सबसे बड़ी विशेषता है, यही अच्छे खिलाड़ी का आदर्श है। आज का यह पुरस्कार समारोह, कड़ी मेहनत और समर्पण से प्राप्त की गई आप सबकी सफलता का उत्सव है।
अमित शाह ने दी खिलाड़ियों को बधाई
राष्ट्रीय खेल दिवस के पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि मोदी सरकार खेलों को बढ़ावा दे रही है और युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिये भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपने जुनून और कठिन परिश्रम से देश का गौरव बढ़ाने वाले सभी खिलाड़ियों की सराहना की। प्रख्यात हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती को खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था।

एनईईटी, जेईई की परीक्षाएं करवाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

कांग्रेस, टीएमसी और अन्य कुछ दलों के जबरदस्त विरोध के बीच एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने के मोदी सरकार के फैसले को शुक्रवार को चुनौती दी गयी गयी है। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने इन परीक्षाओं को लेकर पहले केंद्र सरकार को अनुमति वाला जो आदेश दिया था, उसके खिलाफ छह राज्यों ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। इस बीच कांग्रेस ने देश भर में इन परीक्षाओं को करवाने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ आज भी प्रदर्शन किया।

एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने को लेकर पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान सरकारों के शिक्षा मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर इन्हें वर्तमान हालत को देखते हुए टालने की मांग की है। गुरुवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य दलों के साथ इस मसले पर बातचीत हुई थी जिसमें यह फैसला किया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन सहित कई विपक्षी नेता भी यह परीक्षाएं फिलहाल स्थगित करने की मांग कर चुके हैं।

आज जो याचिका दायर की गयी है उसमें सभी मंत्रियों ने याचिका एक साथ निजी हैसियत से दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि करोना कि वजह से सरकार अभी एग्जाम कराने कि स्थिति में नहीं है। एग्जाम के दौरान छात्रों की करोना हो सकता है या इस रोग के फैलने का खतरा भी हो सकता है।

याद रहे कि एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने की सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को खारिज करते हुए केंद्र सरकार को अनुमति दी थी अब छह राज्यों ने उस आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं क्रमशा 13 सितंबर और पहली नौ सितंबर के बीच रखी गईं हैं। आज की याचिका दाखिल करने वालों में पश्चिम बंगाल के मंत्री मोलॉय घटक, झारखंड के मंत्री रामेश्वर ओराओं, राजस्थान के मंत्री रघु शर्मा,  छत्तीसगढ़ के मंत्री अमरजीत भगत, पंजाब के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू और महाराष्ट्र के मंत्री उदय रविन्द्र सामंत शामिल हैं।

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की मांग है कि कोविड-19 के फैलने और कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए परीक्षा को टाल देनी चाहियें। हालांकि, सरकार ऑफ कर चुकी है कि परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उपयुक्त सावधानी बरतते हुए आयोजित की जायेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, विश्वविद्यालयों की फाइनल इयर परीक्षा होगी; यूजीसी का फैसला सही, बिना परीक्षा डिग्री नहीं

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को यूनिवर्सिटी ग्रांड कमीशन (यूजीसी) के यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर की परीक्षाओं के बिना डिग्री जारी नहीं करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि राज्य बिना परीक्षाओं के किसी को डिग्री नहीं दे सकते। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्य भी यह परीक्षा करवाएं, ताकि छात्र आगे बढ़ सकें।

अदालत ने विश्वविद्यालयों के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा से जुड़े मामले में आज कहा कि विश्वविद्यालयों के फाइनल इयर के एग्जाम होंगे। कोर्ट ने कहा कि किसी राज्य को लगता है, उनके लिए परीक्षा कराना मुमकिन नहीं, तो वह यूजीसी के पास जा सकता है। राज्य अंतिम वर्ष की बिना परीक्षा लिए विद्यार्थियों को प्रमोट नहीं कर सकते। यूजीसी के 30 सितंबर तक परीक्षा करवाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह मुहर लगा दी है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने कहा कि राज्य और यूटी स्वयं ही छात्रों को बिना परीक्षा पास नहीं कर सकते हैं। उन्हें कोविड-19 महामारी को देखते हुए यूजीसी से परीक्षाओं को स्थगित करने  के लिए संपर्क करना होगा। बेंच ने कहा कि यूजीसी गाइडलाइंस को खत्म करने का निवेदन अस्वीकार कर दिया गया है। किसी राज्य विशेष में परीक्षाओं को रद्द करने के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यूजीसी के निर्देशों से उपर होंगे, लेकिन राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास छात्रों को बिना परीक्षा पिछले वर्षों के आधार पर पास करने का अधिकार नहीं है।

बेंच ने कहा कि यदि किसी राज्य में परीक्षाएं आयोजित करना संभव नहीं है तो राज्य सरकार यूजीसी से परीक्षाओं की तिथि में विस्तार की मांग कर सकती है। परीक्षाएं आयोजित करने की डेडलाइन बढ़ाई जा सकती है। लेकिन परीक्षाएं करानी ही होंगी।

दिल्ली नगर निगम के 2022 के चुनाव के लिये कांग्रेस ने कमर कसी

भले ही कांग्रेस आला कमान में, चिट्टी विवाद को लेकर मामला अभी शांत होता नहीं दिख रहा है , पर दिल्ली में  कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का जोश बढ रहा है उनका कहना है कि उनकी निष्ठा और आस्था सोनिय़ा गांधी और राहुल गांधी में है। बताते चले दिल्ली में 2022 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव है। भाजपा का तीनों जोनों में कब्जा है। वहीं 2017 के दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आप पार्टी भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर थी। कांग्रेस के नेताओं का कहना है, कि केन्द्र में भाजपा और दिल्ली में आप पार्टी की मिली भगत से कोई भी ऐसा काम दिल्ली में नहीं हो रहा है, जिसकी जनता में सराहना हो रही है।

दिल्ली में कोरोना का कहर अब फिर से बढ रहा है और दिल्ली  मुख्यमंत्री  अरविन्द केजरीवाल बाजारों और साप्ताहिक बाजार को खुलवाने में लगे है। जिससे जनका भीड बढेगी और कोरोना का वायरस भी फैल सकता है।स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बुरा है। कांग्रेस के नेता अंबरीश रंजन का कहना है कि देश में जिस तरीके से लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड रहा है और सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिय कोरोना महामारी का बहाना बना रही है । जिससे देश का हर नागरिक काफी परेशान है। दिल्ली में आप और भाजपा की खींचतान में जनता पिस रही है।

कांग्रेस नेताओं का कहना कि कांग्रेस ने कोरोना काल में लोगों की काफी मदद की है और कांग्रेस के प्रति जो लोगों का गुस्सा था वो भी काफी कम हुआ है । अब दिल्ली नगर निगम में आप और भाजपा का एक बिकल्प बन कर कांग्रेस उभरेगी। क्योंकि कोरोना महामारी में केजरीवाल की सांख को बट्टा लगा है । भले ही आप पार्टी अपनी बढाई करें पर धरातल पर कुछ और ही है।दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल धर्मनिरपेक्ष की बजाय हिन्दुत्व की राजनीति में ज्यादा फोकस कर रहे है।कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि भाजपा के साथ-साथ आप पार्टी से इस बार कांग्रेस दिल्ली नगर के चुनाव में मुकाबला करेगी । जिससे कांग्रेस के चुनाव परिणाम चौकाने वाले होगे। दिल्ली कांग्रेस के नेता श्याम सुन्दर कद का कहना है कि भाजपा का तीनों जोनों में कब्जा है वहां के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है ।

स्थानीय समस्यायें जैसे सडकों और सीवरों का टूटा होना तमाम मोर्चों पर भाजपा दिल्ली में असफल है। जिसका विरोध कांग्रेस लगातार कर रही है, और जो विकास दिल्ली में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के शासन में हुआ है वैसा विकास अरविन्द केजरीवाल नहीं कर पा रहे है। उनका कहना है कि आप पार्टी और भाजपा की जन विरोधी नीतियों का वह पुरजोर विरोध कर रहे है। जो गलती दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020में कांग्रेस से हुई है अब वो 2022 के दिल्ली नगर निगम के चुनाव में ना होगी।