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शौविक चक्रवर्ती और सैमुअल मिरांडा को एनसीबी ने अदालत में पेश किया

सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में चल रही जांच फिलहाल ड्रग्स के आसपास घूम रही है और इस मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की तरफ से गिरफ्तार किये गए अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती और सुशांत के हाउस मैनेजर रहे सैमुअल मिरांडा को मुंबई की एक अदालत में शनिवार को पेश किया गया है। उनका 6 दिन का रिमांड एनसीबी ने मांगा है।

शौविक और मिरांडा को एनसीबी ने शुक्रवार की रात गिरफ्तार किया था। एनसीबी की अभी तक की जांच से ड्रग्स का मामला  एक दिशा की तरफ बढ़ता दिख रहा है। अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती भी सुशांत के मामले में अभी तक ईडी और सीबीआई की पूछताछ का सामना कर चुकी है। इन सभी के गैजेट्स भी जांच एजंसियों ने कब्जे में लिए हैं।

उधर इस समय सीबीआई इस समय सुशांत के घर में उनकी बहन मीतू सिंह, सिद्धार्थ पिठानी और अन्य के साथ सीन रीक्रिएट कर रही है। मीतू सिंह ही सुशांत की मौत के बाद के घर पहुँचने वाले सबसे पहले लोगों में शामिल हैं। मीतू से पहले भी सीबीआई पूछताछ कर चुकी है। सीबीआई सुशांत मामले में अपराध पक्ष की जांच कर रही है। इससे पहले भी सीबीआई सुशांत के घर की गहन जांच कर चुकी है। बता दें एनसीबी टीम शुक्रवार को रिया चक्रवर्ती के घर की तलाशी लेने के लिए पहुंची थी, जिसके बाद शौविक को गिरफ्तार कर लिया गया था।

राजनाथ-फेंघे की मुलाकात के बीच अरुणाचल से चीनी सेना ने पांच 5 भारतीयों का अपहरण किया

उधर मॉस्को में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे की मुलाकात के बीच यह सनसनीखेज खबर सामने आयी है कि अरुणाचल प्रदेश से चीनी सेना पीएलए ने सीमा क्षेत्र से 5 भारतीयों का अपहरण कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस विधायक निनॉन्ग एरिंग ने इसका दावा किया है। उधर मॉस्को में राजनाथ और फेंघे की मुलाकात में चीनी रक्षा मंत्री ने बातचीत की मेज पर बहुत सकरात्मक रुख नहीं दिखाया है और आरोप लगाया है कि गलवान में मुठभेड़ और सीमा पर तनाव के लिए भारत जिम्मेदार है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कहा है कि दोनों देशों के बीच शांति के लिए अगर वह (अमेरिका) कोई रोल अदा कर सके तो उन्हें खुशी होगी।

अरुणाचल प्रदेश से 5 भारतीय युवाओं के अपहरण की खबर विचलित करने वाली है। वहां सीमा क्षेत्र सुबनसिरी जिले में चीनी सेना ने इन भारतीयों को अगवा किया है। एक ट्वीट में क्षेत्र के विधायक कांग्रेस के निनॉन्ग एरिंग ने इसका खुलासा किया है। उन्होंने अपने इस ट्वीट में #CCPChina और @PMOIndia को भी टैग किया है।

एरिंग ने दावा किया है कि ऊपरी सुबनसिरी जिले के रहने वाले इन पांच लोगों का कथित तौर पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपहरण किया है। एक ट्वीट में उन्होंने इसका दावा किया और कहा कि कुछ महीने पहले भी इसी तरह की घटना हुई थी। ट्वीट में विधायक ने मांग की है कि चीनी सेना को इसका जवाब दिया जाना चाहिए।

यह खबर तब आई है जब रूस के दौरे पर गए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे से करीब 2 घंटे 20 मिनट तक मुलाकात हुई है। माना जा रहा है कि रूस दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, इस मुलाकात से कोई बहुत सकारात्मक संकेत सामने नहीं आए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक बातचीत की मेज पर चीनी रक्षा मंत्री ने यहाँ तक कहा कि ‘चीन की सेना किसी भी मुकाबले का सामना करने को तैयार है’।

रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुलाक़ात में साफ़ शब्दों में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चीन एक जिम्मेदार राष्ट्र जैसा रवैया दिखाएगा और लद्दाख में एलएसी पर तैनात अपनी सेना को पूरी तरह से वापस करने के लिए कदम उठाएगा। भारत ने कहा कि चीन को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दोनों देश के रिश्ते और बिगड़ें।

हालांकि, चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस बैठक में चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने कहा कि बॉर्डर से जुड़े मुद्दों की वजह से दोनों देशों और दोनों सेनाओं के बीच रिश्ते बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। चीन ने कहा कि विवादों को बातचीत और संपर्कों के जरिए सुलझाने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सहमत हुए मुद्दों को गंभीरता से लागू करना चाहिए। बैठक में रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डी बी वेंकटेश वर्मा भी उपस्थित थे।

इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी दोनों कहा है कि दोनों देशों के बीच शांति के लिए अगर वह (अमेरिका) कोई रोल अदा कर सके तो उन्हें खुशी होगी।

कांग्रेस विधायक एरिंग का ट्वीट
Ninong Ering
@ninong_erring
SHOCKING NEWS: Five people from Upper Subansiri district of our state Arunachal Pradesh have reportedly been ‘abducted’ by China’s People’s Liberation Army (PLA). Few months earlier,a similar incident happened. A befitting reply must be given to #PLA and #CCPChina.
@PMOIndia

पायलट का मोदी सरकार पर हमला, बोले अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित करने का उसके पास कोई रोड मैप नहीं

कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मोदी सरकार पर करारा हमला करते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार के पास अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोई योजना और खाका नहीं है। उन्होंने कहा कि जीडीपी के जो आंकड़े कुछ दिन पहले सामने आये हैं, वे बहुत चौंकाने वाले हैं लेकिन ऐसा लगता है कि मोदी सरकार इसकी कोई चिंता नहीं है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सचिन पायलट, जो नाराजगी के बाद राहुल-प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से फिर कांग्रेस की मुख्य धारा में लौटे हैं ने मीडिया के लोगों से कहा – ”मैं बहुत चिंतित हूं। सबको मालूम है कि अर्थव्यवस्था में गिरावट तो हो रही है लेकिन चिंता मुझे इस बात की है कि गिरावट रूकने के बाद एक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिये केंद्र सरकार के पास कोई रोड मैप तैयार नहीं है।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि अभी तक सिर्फ घोषणाएं (मोदी सरकार की तरफ से) हो रही हैं। इतने महीने निकल गये। प्रोत्साहन की घोषणाएं वित्तमंत्री ने कीं लेकिन धरातल पर छोटे उद्योगपतियों को, कारखाने चलाने वालों को, मध्यमवर्ग और वेतनभोगी श्रेणी के लोगों को आर्थिक मदद नहीं पहुंच रही है। पायलट  कहा – ”जीडीपी के आंकड़े बहुत चौंकाने वाले हैं लेकिन इसके भविष्य की जो कार्ययोजना है उसके बारे में केन्द्र सरकार को है न तो चिंता है और न ही उसने कोई ठोस नीति अभी तक बनाई है।”

पायलट ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये सरकार को एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने के लिये क्या कर सकते हैं इस पर सबकी राय लेनी चाहिए।” संसद सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं करवाने पर उन्होंने कहा – ”सवाल पूछना सबसे बड़ा अधिकार होता है एक सांसद का। आप उसको छीन रहे हैं तो फिर संसद चलाने का मतलब क्या है। केंद्र सरकार का यह गलत निर्णय है और उसे इसपर पुनर्विचार करना चाहिए।”

ड्रग्स मामले में कन्नड़ अभिनेत्री के आवास पर छापे

एक ओर जहां बॉलीवुड में सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले ड्रग्स एंगल ने तूल पकड़ा है, वहीं साउथ फ़िल्म जगत में भी  ड्रग्स के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है। इसी कड़ी में कन्नड़ फिल्म उद्योग के कलाकारों और गायकों द्वारा मादक पदार्थ के  सेवन और कारोबार की जांच कर रही बेंगलुरु की केंद्रीय अपराध शाखा ने अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी के आवास पर शुक्रवार को छापे मारे।
पुलिस ने बताया, सीसीबी ने अदालत से इस संबंध में सर्च वारंट हासिल किया। पुलिस सूत्रों के अनुसार सीसीबी की टीम ने बुधवार को अभिनेत्री को नोटिस जारी करके पेश होने को कहा था, लेकिन द्विवेदी ने वकीलों की एक टीम भेजकर सोमवार तक का समय मांगा था।
पुलिस ने इसके बाद रागिनी द्विवेदी को शुक्रवार को पेश होने को कहा था। सीसीबी के सूत्रों ने बताया कि अभिनेत्री सुबह 10 बजे अधिकारियों के समक्ष पेश होंगी। इसी बीच, पुलिस ने रवि नामक शख्स को गिरफ्तार किया है जिसकी कन्नड़ फिल्म उद्योग में काफी पैठ है। रवि को मादक पदार्थ के मामले में गिरफ्तार किया गया है और एक अदालत ने उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने बेंगलुरु से तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन पर कन्नड़ फिल्म उद्योग (कन्नड़ फिल्म उद्योग को ‘सैंडलवुड’ भी कहा जाता है) के गायकों और कलाकारों को मादक पदार्थ की आपूर्ति करने का आरोप है। इसी के बाद सीसीबी ने मामले में गहन जांच शुरू की थी।

राजनाथ की आज चीनी रक्षा मंत्री से मुलाकात संभव ; सेना प्रमुख नरवणे ने कहा सीमा पर स्थिति है नाजुक

भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव जारी है और इस बीच सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे लेह के दो दिन के दौरे पर पहुंचे हैं। दौरे के पहले दिन नरवणे ने  शुक्रवार कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बरकरार है और स्थिति बहुत ही नाजुक और गंभीर है। सेना प्रमुख ने कहा कि देश के जवानों का मनोबल काफी ऊंचा है और वो हर तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। उधर रूस के दौरे पर गए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आज चीनी रक्षा मंत्री जनरल वी फेंघे से मुलाकात की संभावना है।

सेना प्रमुख नरवणे ने कहा कि अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति तनावपूर्ण है और हालात बहुत नाजुक हैं। उन्होंने साथ ही कहा – ”लेकिन इस बीच लगातार हम बातचीत करने पर विचार कर रहे हैं। फिलहाल सीमा पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं।”

सेनाध्यक्ष ने शुक्रवार लेह पहुँचाने पर कहा – ”मैंने लेह पहुंचने के बाद विभिन्न स्थानों का दौरा किया। अधिकारियों, जेसीओ से बात की और तैयारियों का जायजा लिया। जवानों का मनोबल ऊंचा है और वे सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। एलएसी पर स्थिति तनावपूर्ण है और स्थिति नाजुक और गंभीर है। स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हमने अपनी रक्षा और सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाए हैं ताकि हमारी सुरक्षा और अखंडता की रक्षा हो सके। हम बातचीत के जरिए स्थिति से निपटेंगे।”

सेनाध्यक्ष ने कहा कि जवान पूरी तरह से सक्षम हैं। उनका मनोबल ऊंचा है और वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मैं फिर से दोहराना चाहूंगा कि हमारे अधिकारी और जवान दुनिया में सबसे अच्छे हैं। वे न केवल सेना को बल्कि देश को भी गौरवान्वित करेंगे।

इस बीच पूर्वी लद्दाख में बढ़ रहे तनाव के बीच रूस के दौरे पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की आज चीनी रक्षा मंत्री वी फेंघे से मुलाकात होने की संभावना है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि राजनाथ शुक्रवार शाम मॉस्को में चीनी रक्षा मंत्री वी फेंघे के साथ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर बातचीत कर सकते हैं। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक यह बैठक होने की काफी ज्यादा संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी रक्षा मंत्री फेंघे ने बैठक से इतर राजनाथ सिंह से मिलने की इच्छा जताई की है।

कोविड-19 के 83,341 नए मामले, अब तक 68,472 लोगों की मौत

देश में कोरोना के शुक्रवार सुबह 8 बजे तक 83,341 नए मामले सामने आने के बाद अब तक कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 39,36,748 हो गयी है। संक्रमण से मरने वालों की संख्या अब 68,472 हो गयी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बीते 24 घंटे में देश में कोरोना से 1096 लोगों की मौत दर्ज की गई है जबकि 83,341 लोग संक्रमित पाए गए हैं। देश में 8,31,124 कोरोना वायरस के एक्टिव मामले हैं। देश में अबतक कुल 68,472 लोगों की संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है। देश में अबतक कुल 39 लाख से ज्यादा कोरोना वायरस मामले सामने आ चुके हैं।

देखा जाए तो भारत में कोरोनावायरस कोविड 19 के मामले दुनियाभर में सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोविड-19 के कुल मामले  39,36,748 हो चुके हैं। कुल मामलों में से अब तक 30,37,152 मरीज स्वस्थ हुए हैं।  आईसीएमआर के मुताबिक 3 सितंबर तक कोरोना वायरस के कुल 4,66,79,145 टेस्ट किए गए, जिसमें से 11,69,765 टेस्ट गुरुवार को किए गए। उधर मंत्रालय के मुताबिक भारत का कोविड-19 रिकवरी रेट 76 फीसदी से अधिक हो गया है।

मंत्रालय के मुताबिक पांच राज्यों तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में देश के कुल सक्रिय मामलों का 62 फीसदी हैं। अबतक देश में 4.50 करोड़ से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं जिनमें पिछले 24 घंटों के 11,72,000 टेस्ट शामिल हैं।

कोरोना की रोकथाम में सख्ती ना की गयी तो घातक परिणाम सामने आयेगे

कोरोना के बढते कहर को लेकर जनता लस्त और सरकार मस्त नजर आ रही है । देश में गत दो दिनों से संक्रमित मामलों की संख्या 83 हजार से ज्यादा आ रहे है और मरने वालों की संख्या भी एक हजार से अधिक है। फिर भी ना जाने सरकार से कहां पर चूक हो रही है । मामलों की संख्या में कमी नहीं हो रही। कोरोना के बढते मामलों को लेकर अब लोगों का कहना है कि सरकार ने अगर कोरोना की रोकथाम को लेकर सख्ती ना बरती तो इसके भयावह परिणाम सामने आयेगे। तहलका संवाददाता ने लोगों से बातचीत कर इस बात की पडताल की तो उन्होंने कहा कि सरकार ने जब जून माह में अनलाँक की प्रक्रिया शुरू की तो बाजारों,रे लवे स्टेशन, बसों में, अस्पतालों में , सब्जी  मंडियों में बडी सख्ती के साथ लोगों को जागरूक किया था और सख्त हिदायत दी थी कि भीडभाड एकत्रित ना होगी। जबकि तब मामले देश में 3 लाख से कम थे। पर अब ऐसा क्या हो गया कि सख्ती की बात तो दूर अब कोई कोरोना को लेकर फिक्रमंद ही नहीं दिखता है।

बताते चले जब देश में मामले कम थे तब रेलवे स्टेशनों में शरीर का तापमान चैक किया जाता था और सेनेटाइज भी किया जाता था और लोगों को मुंह में मास्क लगाने की संख्त हिदायत दी जाती थी। तब जाकर यात्रियों को रेलवे स्टेशन में प्रवेश दिया जाता था। इसी तरह बसों में भी यात्रियों के साथ-साथ ड्राईवरों और कंटेक्टरों को सेनेटाइज कर उनके शरीर का तापमान देखा जाता था। लेकिन अब तो ये कुछ हो नहीं रहा है। कहने को तो छोटी सी बात है । पर इसके स्वास्थ्य संबंधी परिणाम घातक हो सकते है। इसी तरह अस्पतालों और बाजारों में सब जगह लापरवाही आसानी से देखी जा रही है। जागरूक लोग अभी भी, तब घर से निकल रहे है जब उनको कोई विशेष आवश्यकता होती है। लेकिन कुछ लोग वे वजह घरों से निकल रहे है वो भी बिना मास्क के जिससे कोरोना का संक्रमण बढ रहा है।सबसे गंभीर और चौकानें वाली बात ये है स्वास्थ्य संगठनों द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है फिर भी कोई विशेष असर पडता नहां दिख रहा है। कुछ लोग तो ऐसे भी है जो मास्क लगा रहे स्वास्थ्य को देख कर नहीं बल्कि पुलिस से चालान ना कट जाये । इस लिये दिखावे के तौर पर मास्क को मुंह और नाक के नीचे लटका कर चलते है।जबकि सच्चाई ये है कि शहरों के साथ अब गांव –गांव में कोरोना ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिये है। जो देश की स्वस्थ्य व्यवस्था के लिये सही नहीं माना जा सकता है। जबकि गांव, कस्बों और जिला स्तरीय शहरों की स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। और शहरों में कोरोना के बढते मरीजों के लिये अस्पतालों में भर्ती होने के बैडों की कमी पड रही है। ऐसे सरकार को कोरोना की रोकथाम को लेकर जल्द से जल्द संख्त कदम उठाने पडेगे । अन्यथा बहुत देरी ना हो जायेगी । संजय नागर , किशन पाल और रोमेश का कहना है कि सरकार तो प्रयास कर रही है पर जिनकी ड्यूटी लगाई गयी है वे ही लापरवाही को अंजाम दे रहे है। जैसे सेनेटाइज के लिये जो सामान आ रहा है गायब दिख रहा है। सरकार अगर इस मामले जांच करेगी तो बहुत कुछ गडबडछाला सामने आयेगा।

सुनवाई पूरी होने तक एनपीए नहीं बनेंगे बैंक खाते: सुप्रीम कोर्ट

मोरेटोरियम पीरियड के दौरान ब्याज पर ब्याज लगाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने लोन मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने के मामले में कहा है कि बैंकों ने किश्तों की अदायगी में छूट के चलते 31 अगस्त तक जो लोन खाते एनपीए घोषित नहीं किए हैं, वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक एनपीए नहीं होगें। मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी।

इससे पहले केंद्र की  ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और हम कोई ऐसा फैसला नहीं ले सकते हैं जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर हो। उन्होंने कहा कि हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला किया है, लेकिन पेमेंट का दबाव कम कर देंगे।

अब जब मोरेटोरियम के 6 महीने पूरे हो चुके हैं, तो ग्राहक कह रहे हैं कि इसे और बढ़ाना चाहिए। इससे भी अहम मांग ये है कि मोरेटोरियम पीरियड का ब्याज भी माफ होना चाहिए। क्योंकि, ब्याज पर ब्याज वसूलना तो एक तरह से दोहरी मार होगी। इसकी वजह ये है कि आरबीआई ने सिर्फ ईएमआई टालने की छूट दी थी, लेकिन बकाया किश्तों पर लगने वाला ब्याज तो चुकाना पड़ेगा।

इससे पहले मंगलवार को सरकार ने कहा था कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए मोरेटोरियम पीरियड 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है। सरकार का यह जवाब इसलिए आया, क्योंकि 26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में 7 दिन में स्थिति साफ की जाए। कोर्ट ने कमेंट किया था कि सरकार आरबीआई के फैसले की आड़ ले रही है, जबकि उसके पास खुद फैसला लेने का अधिकार है।

क्या है मोरेटोरियम
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से आरबीआई ने मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की ईएमआई 3 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी। बाद में इसे 3 महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया। आरबीआई ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा। इसलिए ब्याज पर ब्याज लेने को लेकर सवाल उठाए गए थे।

बस डिपों, अस्पतालों और बाजारों में तापमान के नाम पर दिखावा

केन्द्र और दिल्ली सरकार चाहे कितने ही दावे करें कि वह कोरोना महामारी की रोकथाम के लिये सतत प्रयास कर रही है। लेकिन धरातल पर हो रहा है, सब कुछ विपरीत। अस्पतालों और बस स्टैण्डों के साथ बाजारों में जमकर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियाँ उडाई जा रही है । लोगों के तापमान चैक के लिये जो मशीन लिये गार्ड खडे होते है उनके हाथों में ज्यादात्तर मशीन खराब ही होती है। वे बस दिखावे के तौर पर चैक रहे है।  जिसका नतीजा ये है , कि देश में कोरोना का कहर लगातार बढता ही जा रहा है। आज देश में लगभग 85 हजार मामले सामने आये और दिल्ली में 25 सौ से अधिक मामले सामने आये है।दिल्ली के लोगों ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार अर्थ व्यवस्था के सुधार के चक्कर में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड कर रही है।गरीब, दिहाडी मजदूरों और बेरोजगारों ने बताया कि जितने नियम कोरोना महामारी में बने है । उन सबका हम गरीबों को ही पालन करना  है । जैसे मास्क लगाना , सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना, जबकि अमीर और जो ठीक-ठाक जाँब में है ।उनको किसी प्रकार का कोई पालन नहीं करना पड रहा है, वे बिना मास्क के घूम रहे है।

अब बात करते है । उन लोगों की जिन लोगों ने अपनी पीडा बताते हुये सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर किया है जैसे एक बस में सिर्फ 20 ही सवारी को बैठाने का प्रावधान सरकार  ने सुनिश्चित किया है।  गरीब ,दिहाडी मजदूर और बेरोजगार जो रोजगार की तलाश में जाते है दिल्ली सरकार की बसों से ही जाते है। वे एक- दो घंटे पहले ही बस डिपो पर आ जाते है और लाइनों में लग जाते है। ताकि उनको बस में बैठने को मिल जाये और अपना रोगगार प्राप्त कर सकें।फिर भी बसों के अभाव में समय पर बस ना मिलने से कई लोग रोजगार पाने से बंचित रह जाते है। शाहदरा बस डिपों पर आप बीती बताते हुये । गिरजा प्रसाद , दिलीप कुमार और संतोष ने बताया कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा अगर परेशानी और आर्थिक तंगी किसी ने देखी है तो गरीबों ने । आज गरीब मेहनत से रोजी रोटी कमाना चाहता है। तो उसको साधन नहीं मिल रहे है, कि वो समय से काम को ज्वाइन कर लें। यहीं हाल दिल्ली सरकार के अस्पतालों का है जहां पर अस्पताल परिसर से ही  गरीब मरीजों के साथ ऐसा भेदभाव किया जाता है जैसे वे इस देश के नागरिक ना हो ।इलाज कराने आये मरीजों ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल हो या लोकनायक अस्पताल हो या अन्य सरकारी अस्पताल हो सब जगह उन मरीजों के साथ जिनकी अस्पताल में अप्रोच नहीं है । उनको परेशान किया जाता है। जबकि मरीजों का आरोप है कि अस्पतालों में कोई जाता है तो गेट पर हाथों में शरीर का तापमान चैक करने लिये जो मशीन लिये होते है ।उनमें तो आधी से ज्यादा दिखावे की है । किसी में भी सही तापमान की जानकारी नहीं आ रही है। बस दिखावा है। गरीब मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है। मरीज रतन और उनके साथ आये परिजनों ने बताया कि रतन को हार्ट में दिक्कत है । सफदरजंग अस्पताल गये तो डाक्टरों से मिलने से पहले और ओपीडी कार्ड बनने से पहले उनके साथ गार्डो ने ऐसा अमानवीय व्यवहार किया जैसे वे रोगी ना होकर अपराधी हो। रतन ने आपबीती बताई और कहा कि उनके साथ जो अमानवीय व्यवहार किया गया है तो उसकी मूल बात ये है कि उन्होंने गार्ड से बस इतना ही कहा कि दिखावे के तौर पर तापमान चैक ना करों क्योंकि जो मशीन से चैक कर रहे हो वो बंद सी ही इसलिये तापमान सही नहीं आयेगा। बस इस बात पर भडक कर गार्ड ने कहा कि कल आना और तभी ओपीडी कार्ड बनेगा। इस बात पर दोनों के बीच काफी कहा सुनी हुई । आखिरकार  रतन को बिना चैकअप के ही अस्पताल से लौटना पडा। समाजसेवी अशोक शर्मा का कहना है कि दिल्ली में कुछ अस्पताल दिल्ली सरकार के अधीन आते है तो कुछ केन्द्र सरकार से अधीन आते है। इस लिहाज से दोनों सरकारें अस्पतालों को लेकर अपनी अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान तो कर रहे है । पर हकीकत में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर ना के बराबर सुविधा मिल रही है। सिर्फ आंकडे बाजी में उलझाया जा रहा है। यहीं हाल बाजारों का है जहां पर तापमान चैक के नाम पर दिखावा किया जा रहा है। जिससे कोरोना के मरीजों की पहचान आसानी से नहीं की जा रही है। ऐसे में लोगों काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है।और कोरोना के बढने का एक प्रमुख कारण भी बन रहा है। पर सरकारें इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली में रेल पटरियों के आसपास 48,000 झुग्गी-झोंपड़ियां तीन महीने में हटाने का आदेश

सर्वोच्च न्यायालय ने राजधानी दिल्ली में करीब 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48,000 झुग्गी-झोंपड़ियों को तीन महीने के भीतर हटाने का आदेश दिया है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया है कि अदालतें इसमें किसी तरह का ”स्टे” न दें।

जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने यह आदेश बुधवार को एमसी मेहता मामले में पारित किया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोई भी अदालत इस मसले पर यदि अंतरिम आदेश (स्टे आदि) जारी करती है तो यह प्रभावी नहीं होगा। साल 2018 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने इन झुग्गियों को लेकर चिंताएं जाहिर करते हुए एक फैसला दिया था।

इसके बाद सर्वोच्च अदालत में रेलवे ने बताया था कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के साथ झुग्गीवासियों का अतिक्रमण हैं जिसमें 70 किलोमीटर लाइन के साथ यह बहुत ज़्यादा है, जो कि क़रीब 48000 झुग्गियां है।

रेलवे ने कहा था कि एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था जिसके तहत इन झुग्गी बस्ती को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स का गठन किया था लेकिन राजनैतिक दख़लंदाज़ी के चलते रेलवे लाइन के आसपास का यह अतिक्रमण हटाया नहीं जा सका है। रेलवे का कहना था कि बहुत से अतिक्रमण रेलवे के सुरक्षा ज़ोन तक में है जिन्हें बहुत चिंताजनक माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये झुग्गी बस्ती हटाने के लिए चरणबद्ध तरीक़े से काम किया जाए और रेलवे सुरक्षा ज़ोन में सबसे पहले अतिक्रमण हटाया जाए, जो कि तीन महीने में पूरा कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा है कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम में किसी भी तरह के राजनैतिक दबाव और दख़लंदाज़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

राजधानी में रेलवे पटरी के किनारे अतिक्रमण एक बड़ी समस्या रहे है। झुग्गियों से न सिर्फ रेलवे की विकास योजनाएं बाधित हुई हैं, सुरक्षित रेल परिचालन में भी यह बड़ी समस्या है। यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण समस्या दूर नहीं हो पा रही है।

दिल्ली में दया बस्ती, आजादपुर, ओखला, तिलक ब्रिज, वजीरपुर, शकूरबस्ती, किशनगंज, सराय रोहिल्ला में झुग्गियों को लेकर हालात ज्यादा खराब हैं। दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (डीयूएसआइबी) के अनुसार रेलवे की 60 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अवैध तरीके से लगभग 48 हजार झुग्गियां बनी हुई हैं, जिनमें से दस हजार से ज्यादा सेफ्टी जोन में (ट्रैक से 15 मीटर के अंदर) हैं।