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मोदी नहीं जानते किसान हक़ की लड़ाई में हार नहीं मानेंगे, पंजाब की रैली में बोले राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीन दिवसीय किसान समर्थक कार्यक्रम के तहत दूसरे दिन संगरूर में कहा कि मोदी सरकार कानून बनाने की बहुत जल्दी में थी, लेकिन उसे पता नहीं है कि किसानों की शक्ति क्या है। राहुल ने कहा कि किसान अपने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए कभी हार नहीं मानेंगे।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ सोमवार को तीन दिवसीय ‘खेती बचाओ, किसान बचाओ यात्रा’ शाम को पटियाला पहुंच चुकी है। सुबह संगरूर की  भवानीगढ़ अनाज मंडी में राहुल गांधी और कैप्टन अमरिदर सिंह ने एक बड़ी रैली को संबोधित किया।

राहुल गांधी ने कहा – ‘पिछले छह साल से दिल्ली में नरेंद्र मोदी जी की सरकार है और छह साल से ये सरकार गरीबों, मज़दूरों, किसानों पर एक के बाद एक आक्रमण कर रही है। इनकी एक भी नीति गरीब जनता को फायदा पहुंचाने की नहीं है। इनकी सब नीति इनके तीन-चार चुने हुए मित्रों के लिए बनाई जाती हैं। यही वजह कि देश के अन्नदाता आज सड़कों पर हैं और उनके मित्र लोग पैसा ही पैसा कमा रहे हैं’।

कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा सरकार को कानून बनाने की बहुत जल्दी थी। राहुल ने कहा – ‘सोचा होगा कि एक बार कानून बन गया तो किसान कुछ नहीं कर पाएंगे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी किसानों की शक्ति को जानते नहीं हैं। किसान एक बार अपनी जिद पर अड़ जाए तो वे अपनी बात मनवा कर ही रहते हैं। इस बार भी किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है, जिसमें मैं और मेरी पार्टी कदम से कदम मिलाकर उनके साथ खड़ी है।’

इस रैली में खासी भीड़ देखने को मिली। इसमें बड़ी संख्या में किसान भी शामिल हुए। गांधी ने रैली में पीएम मोदी पर तंज कसा कि वे सिस्टम को सुधारने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। ‘न ही वे मंडी, पीडीपी और एमएसपी का कुछ कर पा रहे हैं, जबकि इन सभी ने मिलकर देश के अन्नतदाता को तबाह करके रखा है। अब ये नया कृषि कानून उनकी कमर तोड़ देगा। जब अन्नदाता ही खुश नहीं रहेगा, तो देश के विकास की उम्मीद कैसे की जा सकती है?’

इस मौके पर सीएम कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा – ‘कानून बन चुका है। दोनों सदनों में वह पारित हो चुका है। राष्ट्रपति की मुहर लग चुकी है, लेकिन किसने कहा कि कानून में संशोधन नहीं हो सकता। मेरी दुआ है कि राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनें, ताकि वे इस काले कानून को रद्द करके किसानों को राहत प्रदान करें। कानून में बदलाव संभव हैं, जरूरत बस कोशिश करने की होती है।’

राहुल अभी मंगलवार को भी पंजाब में ही रहेंगे। किसान कार्यक्रम के बाद के बाद वे पंजाब की राजनीति को लेकर नेताओं से मिल सक्तं। वहां अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। वैसे सिद्धू कल राहुल के कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

श्रीनगर में आतंकी हमला, दो सीआरपीएफ जवान शहीद

जम्‍मू-कश्‍मीर के श्रीनगर में सोमवार दोपहर एक आतंकी हमले में सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए हैं। इस हमले में तीन अन्‍य जवान घायल हो गए हैं। सभी को अस्पताल में भर्ती किया गया है। आतंकी अमले के बाद वहां से फरार हो गए।

जानकारी के मुताबिक श्रीनगर के बाहरी इलाके में आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर उस समय फायरिंग की जब वे हाईवे पर अपनी ड्यूटी कर रहे थे। पूरी नाकेबंदी करके आतंकियों की बड़े पैमाने पर खोज शुरू कर दी गयी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कि आतंकवादियों ने यह हमला पम्पोर बाइपास के पास रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) पर किया। आतंकवादियों ने नौगाम इलाके में जवानों के दल पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में पांच घायल जवानों को अर्मी के बेस अस्पताल ले जाया गया। वहां दो ने जख्मों की ताव न सहते हुए दम तोड़ दिया।

अब पूरे इलाके को घेर लिया गया है। आतंकवादियों की इस कायराना हरकत के बाद हाइवे पर यातायात रोक दिया गया है। हमलावरों की तलाश में पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। पिछले कुछ समय में कड़ी सुरक्षा वाले इलाके में आतंकियों की चौथी वारदात है।

अमेरिका के वैज्ञानिकों ऑल्टर, राइस और ब्रिटेन के हॉटन को 2020 का चिकित्सा नोबेल

चिकित्सा के लिए 2020 के प्रतिष्ठित नोबेल पुरूस्कार की घोषणा कर दी गयी है। हेपेटाइटिस सी की खोज के लिए इस बार यह पुरूस्कार वैज्ञानिकों हार्वे ऑल्टर, माइकल हॉटन और चार्ल्स राइस को दिया गया है। नोबेल कमेटी के प्रमुख थॉमस पर्लमैन ने स्टॉकहोम में इसकी घोषणा की।

नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को ट्विटर पर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि रक्त-जनित हेपेटाइटिस, विश्व भर के लोगों में सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण बनता है। हार्वे ऑल्टर, माइकल हॉटन और चार्ल्स राइस ने इसके खिलाफ लड़ाई में  निर्णायक योगदान दिया।

याद रहे चिकित्सा के लिए पिछले साल नोबेल पुरूस्कार दुनिया का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार सामूहिक रूप से विलियम कायलिन,  ग्रेग सेमेन्ज़ा और पीटर रैटक्लिफ को दिया गया था। इन लोगों ने पता लगाया था कि ऑक्सीजन का स्तर किस तरह से हमारे सेलुलर मेटाबोलिज्म और शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।

इस बार अमेरिका के वैज्ञानिक हार्वे ऑल्टर, चार्ल्स एम राइस और ब्रिटेन के माइकल हॉटन  को यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। तीनों वैज्ञानिकों हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

बता दें डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में 70 मिलियन हेपेटाइटिस के मामले हैं। चिंताजनक बात यह है कि हर साल इस रोग से दुनिया भर में 4 लाख लोग अपनी जान गँवा देते हैं। लीवर से जुड़ी इस बीमारी को ‘क्रॉनिक’ की श्रेणी में रखा गया है।

बिहार: तेजस्वी-तेजप्रताप पर मर्डर का केस दर्ज होने के बाद सियासत गरमाई

विधानसभा चुनाव से ऐन पहले लालू की पार्टी राजद नेता की खुलेआम बदमाशों की हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बिहार के पूर्णिया जिले में अनुसूचित जाति के नेता की हत्या के मामले में राजद नेता तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव समेत 6 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज किये जाने के बाद सियासत गरमा गई है।
केहाट थाना इलाके में रविवार सुबह नकाबपोश अपराधियों ने दलित नेता शक्ति मलिक की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस अधीक्षक विशाल शर्मा ने बताया कि मामले में मृतक की पत्नी की शिकायत पर तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव समेत 6 लोगों के खिलाफ केहाट थाने में एफआईआर दर्ज करने की पुष्टि की है।
तेजस्वी पर शक्ति ने लगाए थे आरोप
इससे पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें शक्ति मलिक ने तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए थे। बताया गया कि शक्ति मलिक एक निदर्लीय उम्मीदवार के रूप में रानीगंज विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। वीडियो में मलिक ने दावा किया था कि तेजस्वी यादव समेत पार्टी के अन्य नेता कथित तौर पर टिकट के बदले 50 लाख रुपये की मांग की, जातिगत टिप्पणी करने के अलावा उनसे अपनी जान का खतरा तक बताया था।
दिल्चस्प ये है कि बिहार में सत्ताधारी जेडीयू के साथ ही राजद ने भी मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। राजद का कहना है चुनाव से पहले दिग्गज नेताओं की संलिप्तता बताकर सत्ताधारी सियासी  फायदा उठाना चाह रहे है। मामले की जांच कोई भी एजेंसी कर ले पर जल्द से जल्द करे। चुनावी दौर में वीडियो, ऑडियो और आरोप-प्रत्यारोप कर सिलसिला फिलहाल देखने सुनने को न मिले ऐसा संभव नहीं है।

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके और उनके भाई के घर सीबीआई छापे

भाजपा के निशाने पर रहे कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार और उनके भाई डीके सुरेश के यहां केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की बड़ी फौज ने सोमवार को कथित भ्रष्टाचार के मामले में छापेमारी की है। कुल 15 जगह छापे मारे गए हैं। सीबीआई के करीब 65 अधिकारी इस छापेमारी में शामिल रहे। कांग्रेस ने इन छापों को ‘मोदी-येदियुरप्पा का कपटी खेल’ बताया है।

यह छापे कर्नाटक और मुंबई समेत अन्य जगह मारे गए हैं और सीबीआई की टीमें इन दोनों के परिसरों में छानबीन कर रही हैं। बता दें धनशोधन निरोधी क़ानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए गए एक मामले में यह छापे मारे गए हैं। सरकारी एजेंसियों का शिवकुमार पर कर चोरी और हवाला के जरिए लेनदेन का आरोप है। सीबीआई ने यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मिली जानकारी के आधार पर की है।

बता दें साल 2017 में शिवकुमार के दिल्ली स्थित परिसरों से छापेमारी में सरकारी एजेंसी ने कथित तौर पर आठ करोड़ रुपये मिलने का दावा किया था। आयकर विभाग ने मामले में जांच की थी और उसकी शुरूआती जांच के बाद सितंबर, 2018 में ईडी ने शिवकुमार और उनके सहयोगियों के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था। ईडी ने सितंबर, 2019 में शिवकुमार को गिरफ्तार भी किया था और वे काफी दिन तिहाड़ जेल में रहे थे।

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई ने रविवार शाम एक विशेष कोर्ट से यह छापे मारने का वारंट हासिल किया था।

उधर कांग्रेस ने इन छापों को राजनीति से प्रेरित बताया है। कांग्रेस के मुख्या राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा – ‘मोदी-येदियुरप्पा का डराने-धमकाने का कपटी खेल जिसे कठपुतली सीबीआई ने डीके शिवकुमार पर छापा मार कर अंजाम दिया,है,  हमें रोक नहीं पाएगा। सीबीआई को येदियुरप्पा सरकार में भ्रष्टाचार की परतों का खुलासा करना चाहिए। कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता ऐसे कुटिल प्रयासों के आगे झुकेंगे नहीं और लोगों के लिए लड़ने और भाजपा के कुप्रशासन का खुलासा करने का उनका संकल्प और मजबूत हुआ है।’

उधर कर्नाटक के पूर्व सीएम  सिद्धारमैया ने कहा कि भाजपा हमेशा बदले की राजनीति करती है और जनता को गुमराह करने की कोशिश करती है। कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार के घर पर सीबीआई की ताजा छापेमारी उपचुनाव के लिए हमारी तैयारियों को पटरी से उतारने का एक कोशिश है। मैं इसकी कड़ी आलोचना करता हूं। हालांकि, जनता सब देख रही है और वो भाजपा को इसका जबाव देगी।’

भारत ने सुपरसोनिक टॉरपीडो का ओडिशा में सफल परीक्षण किया, डीआरडीओ को बधाई दी रक्षा मंत्री राजनाथ ने

चीन के तनाव के बीच भारत ने सोमवार को सुपरसोनिक टॉरपीडो का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओडिशा के व्हीलर आईलैंड से किया गया। देश के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। यह परीक्षण सुबह पौने 12 बजे किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ और इससे जुड़े संगठनों को बधाई दी है।

जानकारी के मुताबिक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस टॉरपीडो का परीक्षण किया है वह पनडुब्बी रोधी युद्ध में स्टैंड-ऑफ क्षमता के लिए एक प्रमुख प्रौद्योगिकी सफलता मानी जा रही है।

रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट कर इस कामयाबी की जानकारी दी है। इस ट्ववीट में रक्षा मंत्रालय ने कहा – ‘टॉरपीडो (एसएमएआरटी) के सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज को ओडिशा तट से दूर व्हीलर द्वीप से सोमवार सुबह 11:45 बजे सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। यह प्रक्षेपण पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता स्थापित करने में महत्वपूर्ण है।’

मंत्रालय के मुताबिक टॉरपीडो, एसएमएआरटी के सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह पनडुब्बी रोधी युद्ध में स्टैंड-ऑफ क्षमता के लिए एक प्रमुख प्रौद्योगिकी सफलता साबित होगी। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और अन्य संगठनों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

प्रियंका गांधी से बदसलूकी पर यूपी पुलिस ने माफी मांगी, अब महिला अधिकारी करेंगी इसकी जांच

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी से हाथरस जाते हुए डीएनडी के पास हुई पुलिस बदसलूकी के लिए यूपी पुलिस को माफी मांगनी पड़ी है। यूपी पुलिस के एक अधिकारी के प्रियंका गांधी के कंधे के पास कुर्ते को पकड़ने का वीडियो ट्वीटर पर वायरल होने और इसपर लोगों के पुलिस की जबरदस्त निंदा करने के बाद यूपी पुलिस ने उनसे माफी मांगते हुए इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच एक सक्षम महिला अधिकारी ही करेंगी।

यूपी पुलिस को इस घटना पर देश भर से आलोचना सहनी पड़ी थी। कांग्रेस और विपक्ष की तरफ से इस मामले की जबरदस्त निंदा के बाद मामला तूल पकड़ गया था। पहले ही हाथरस में लड़की से गैंगरेप और आधी रात को बिना परिवार की मंजूरी के तेल डालकर पुलिस के उसको जलाने से देश भर में आलोचना से घिरी योगी सरकार ने प्रियंका वाले में देरी न करते हुए नोएडा पुलिस से माफी मंगवाकर और जांच का आदेश दिलवाकर इसे ठंडा करने की कोशिश की है।

घटना के तूल पकड़ने के बाद गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) पुलिस ने प्रियंका गांधी से माफी मांगी है। पुलिस ने कहा कि उसने शनिवार को डीएनडी फ्लाईओवर पर हुए हंगामे के दौरान कांग्रेस नेता के साथ हुई बदसलूकी की जांच के आदेश दिए हैं। यह घटना तब घटी थी जब प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी सहित अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ शनिवार की दोपहर हाथरस के रास्ते पर थीं, जब वे हाथरस गैंगरेप घटना के पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे। इस दौरान पुलिस ने लाठियां चलाईं जिसके बाद प्रियंका गांधी अपने कार्यकर्ता को बचाने के लिए कार से बाहर निकलकर भीड़ की तरफ दौड़ी और पुलिस के हाथ से लाठी छीनकर अपने कार्यकर्ता को बचाया।  इस दौरान ही उनसे बदसलूकी की घटना घटी थी।

यह तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो गई, जिसमें एक पुलिस अधिकारी ने प्रियंका गांधी के कुर्ते को कंधे के पास से पकड़ा हुआ था। प्रियंका गांधी के साथ यूपी पुलिस के इस तरह के व्यवहार की खूब आलोचना हुई। यूपी पुलिस के मुताबिक प्रियंका से बदसलूकी की जांच पुलिस आयुक्त कार्यालय, नोएडा करेगा। नोएडा पुलिस ने इस मामले में जांच के आदेश देते हुए कहा है कि कोई सक्षम महिला अधिकारी इस मामले की जांच करेंगी।

हाथापाई  के दौरान प्रियंका लड़खड़ा गई थीं और एक डंडा उनके शरीर पर भी पड़ा  था। वीडियो में हाथापाई के दौरान हेलमेट पहने एक पुलिसकर्मी को कांग्रेस महासचिव के कुर्ते से पकड़ते हुए साफ़ देखा जा सकता है। अब पुलिस ने घटना पर गहरा अफसोस जताया है और कहा है कि हम प्रियंका गांधी से इस घटना के लिए माफी मांगते हैं।

पुलिस ने अपने बयान में कहा – ‘पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) ने घटना का संज्ञान लिया है और एक वरिष्ठ महिला अधिकारी से जांच का आदेश दिया गया है। नोएडा पुलिस में हम महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।  मामले की जांच के बाद दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

नोयडा पुलिस का ट्वीट –
POLICE COMMISSIONERATE NOIDA
@noidapolice
@noidapolice profoundly regrets the incident @priyankagandhi while handling an unruly crowd at the DND. The DCP HQ has taken suomotto cognizance of it & ordered an inquiry to be conducted by a senior Lady officer. We @noidapolice are committed to ensure safety & dignity of women.

बिहार में एनडीए टूटा, एलजेपी अकेली उतरेगी चुनाव में, अकेले पड़े नीतीश कुमार

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अकेले पड़ गए हैं और एनडीए को भी जबरदस्त झटका लगा है। आरएलडी और कांग्रेस गठबंधन के सीटों का बंटवारा करने के एक दिन बाद एनडीए के प्रमुख घटक रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजीपी) ने नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक एलजेपी ने इस समय जारी अपने संसदीय बोर्ड की बैठक में अकेले चुनाव में जाने और चुनाव के बाद ‘भाजपा-एलजेपी की सरकार’ बनाने का प्रस्ताव पास किया है। एलजेपी के इस फैसले से भाजपा के ‘पर्दे के पीछे के रोल’ पर सवाल खड़े हो गए हैं।

इस तरह चुनाव से ऐन पहले बिहार में आरएलडी-कांग्रेस (यूपीए) महागठबंधन के सामने एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। संसदीय बोर्ड की बैठक में चिराग पासवान की पार्टी ने साफ़ कर दिया है कि वह नीतीश के नेतृत्व में किसी सूरत में चुनाव में नहीं उतरेगी। उसने 125 से ज्यादा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है और वह नीतीश की जेडीयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारेगी।

दिलचस्प यह है कि एलजेपी भाजपा के खिलाफ एक भी प्रत्याशी नहीं उतारेगी जिससे जाहिर होता है कि भाजपा की एलजेपी नेतृत्व को इस रणनीति के लिए ‘मौन सहमति’ है। ऐसे में कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने ही गठबंधन में अकेले पड़ गए हैं।

सूत्रों ने ‘तहलका’ को बताया कि भाजपा और एलजेपी की राय है कि नीतीश के खिलाफ जनता में नाराजगी है और इसका नुक्सान पूरी एनडीए को भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में यह सारा तमाशा रचा गया है। वैसे एलजेपी पहले से नीतीश से नाराज और उनकी विरोधी रही है। अब यह नाराजगी खुलकर सामने आ गयी है।

संसदीय बोर्ड की बैठक में एलजेपी के नेताओं ने खुलकर अपनी राय रखी। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर की राय थी कि नीतीश के चुनाव में जाना नुकसानदेह होगा  क्योंकि ‘जनता में उनके खिलाफ नाराजगी है’।

अभी एलजेपी ने आधिकारिक रूप से संसदीय  बोर्ड के फैसले की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। कुछ देर के बाद चिराग पासवान प्रेस कांफ्रेंस करके इसकी जानकारी दे सकते हैं। एलजेपी का यह फैसला तब आया है जब उसके नेता रामविलास पासवान स्वास्थ्य खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती हैं। चिराग ने कहा है कि ‘शायद 50 साल में पहली बार राम विलास पासवान इस चुनाव में शामिल नहीं हो पाएंगे’। इस तरह एलजेपी का पूरा दारोमदार खुद चिराग के करिश्मे और साथी भाजपा के प्रमुख नेता पीएम मोदी पर रहेगा।

वैसे भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में दिक्कत आएगी। चुनाव में वर्चुअल रैली ही होंगी लेकिन इसके बावजूद जनता में इससे एनडीए को लेकर खराब संदेश तो जाएगा ही। बिहार में एनडीए इस जंग का महागठबंधन को फायदा हो सकता है। वैसे वहां दो अन्य मोर्चे भी चुनाव में हैं, लेकिन असली मुकाबला महागठबंधन और एनडीए गठबंधन में होगा।

एलजेपी अब मोदी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में लड़ेगी। अब तक के घटनाक्रम से जो बात जाहिर हो रही है उससे लग रहा है कि भाजपा ने अंदरखाते नीतीश कुमार से किनारा कर लिया है। उसकी नजर चुनाव बाद अपनी सत्ता और अपना मुख्यमंत्री पर है। पिछले कई  के बाद भाजपा बिहार  में अपनी सरकार बनाकर खोई इज्जत हासिल करना चाहती है।

अब यह देखना होगा कि भाजपा नीतीश के बिनाउसके सहयोह से मिलने वाले वोट कैसे हासिल करेगी। महागठबंधन एनडीए की इस लड़ाई से खुश है। उसके नेता मान रहे हैं कि लॉक डाउन के बीच जो खराब चीजें हुई हैं उससे एनडीए, खासकर भाजपा और नीतीश कुमार को नुक्सान होगा। जानकारों का कहना है कि बिना भाजपा के टॉप नेतृत्व की सहमति के एलजीपी इतना बड़ा फैसला कर ही नहीं सकती थी।

किसानों के हक़ में राहुल गांधी की पंजाब में रैली, बोले हमारी सरकार आने पर कृषि कानून रद्द कर दिए जाएंगे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को किसानों के साथ बड़ा धोखा करार दिया है। राहुल कहा कि मोदी सरकार ने इन कानूनों की मदद से अपने मित्र 23 अरबपतियों को किसानों को लूटने के लिए उनकी जमीन और फसल का रास्ता खोल दिया है। पंजाब में किसानों के हक़ में ‘किसान बचाओ, खेती बचाओ’  ट्रैक्टर मार्च में राहुल ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को एमएसपी से बंचित करने की तैयारी कर ली है। राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र में उनकी सरकार आने पर नए कृषि कानून को रद्द कर दिया जाएगा।
किसानों के हक़ में कांग्रेस की तीन दिवसीय ट्रैक्टर रैली के पहले दिन राहुल गांधी ने
पंजाब के बधनीकलां से शुरू हुई ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व करते हुए करीब 50 मिनट तक ट्रैक्टर पर बैठकर 22 किलोमीटर तक की यात्रा की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ट्रैक्टर पर चालक की भूमिका में रहे जबकि उनके साथ इस रैली में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह भी थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने भी रैली में शिरकत की है। राहुल की रैली को अच्छा समर्थन मिला है और उनकी रैली में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए हैं।
बता दें कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में 31 किसान यूनियनें सड़कों पर उतर चुकी हैं। आज राहुल गांधी ने कहा – ‘वर्तमान सिस्टम में कुछ खामियां हैं। इन्हें बदलने की आवश्यकता है, लेकिन इसे नष्ट करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे नष्ट करना चाहते हैं। बाद में उनकी ट्रैक्टर रैली लुधियाना के रायकोट पहुँची।
राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र में उनकी सरकार आने पर नए कृषि कानून को रद्द कर दिया जाएगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि कुछ पूंजीपति लोग किसानों की जमीन और फसल को हथियाने में लगे हुए हैं।
पीएम मोदी पर सीधा हमला करते हुए गांधी ने कहा कि वह पिछले 6 साल से देश के लोगों को झूठ ही बोल रहे हैं। राहुल ने कहा – ‘नोटबंदी की जिससे काल धन तो मिटा नहीं लेकिन लोगो को बैंकों के बाहर खड़ा कर दिया। जीएसटी लागू करके छोटे व्यपारियों को तबाह कर दिया। मोदी को अडानी और अंबानी जैसे पूंजीपति कठपुतली की तरह चला रहे हैं।’
राहुल ने कहा कि कोविड जैसे माहौल में आखिर कृषि संबंधित तीन बिलों को लाने की क्या आवश्यकता थी। केंद्र सरकार एक तरफ कह रही है कि बिल किसानों के हित में है तो देश को फूड सिक्योरिटी और अनाज संपन्न बनाने वाले पंजाब और हरियाणा के किसान इस बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि वर्तमान नीति में कुछ खामियां हैं, जिसे बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं कि पूरे सिस्टम को ही नष्ट कर दिया जाए। बेहतर होता कि केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में बहस करती लेकिन सरकार ने इन बिलों को पास करवा करके किसानों के साथ अन्याय किया।
राहुल यहां किसानों के समर्थन में तीन दिन तक ट्रैक्टर रैली करेंगे। राहुल के साथ मोगा में पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह, पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और नवजोत सिंह सिद्धू भी पहुंचे थे। राहुल ने कहा – ‘अगर आपको कोई कानून लागू करना है तो आपको पहले इसके बारे में राज्य सभा और लोकसभा में चर्चा करनी चाहिए थी। प्रधानमंत्री कहते हैं कि ये बिल किसानों के लिए बनाया गया है। अगर यही बात है तो इस पर सदन में खुली बहस क्यों नहीं की गई। अगर किसान इन कानूनों से खुश है तो फिर वह पूरे देश में प्रदर्शन क्यों कर रहा है। पंजाब में हर किसान इस बिल का विरोध क्यों कर रहा है।’
उधर मोगा में राहुल की रैली में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं। किसानों के खिलाफ कोई भी कदम बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इससे 30 हजार आढ़ती, पांच लाख मजदूर बर्बाद हो जाएंगे। सिद्धू ने कहा – ‘जब हिमाचल की सरकार सेब पर एमएसपी दे सकती है तो पंजाब सरकार अपनी एमएसपी क्यों नहीं दे सकती है। पंजाब सरकार सैकड़ों करोड़ रुपए की दाल और तिलहन को इम्पोर्ट करती है। किसान उसे क्यों नहीं उपजा सकता।

तहलका ब्यूरो
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को किसानों के साथ बड़ा धोखा करार दिया है। राहुल कहा कि मोदी सरकार ने इन कानूनों की मदद से अपने मित्र 23 अरबपतियों को किसानों को लूटने के लिए उनकी जमीन और फसल का रास्ता खोल दिया है। पंजाब में किसानों के हक़ में ‘किसान बचाओ, खेती बचाओ’  ट्रैक्टर मार्च में राहुल ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को एमएसपी से बंचित करने की तैयारी कर ली है। राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र में उनकी सरकार आने पर नए कृषि कानून को रद्द कर दिया जाएगा।
किसानों के हक़ में कांग्रेस की तीन दिवसीय ट्रैक्टर रैली के पहले दिन राहुल गांधी ने
पंजाब के बधनीकलां से शुरू हुई ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व करते हुए करीब 50 मिनट तक ट्रैक्टर पर बैठकर 22 किलोमीटर तक की यात्रा की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ट्रैक्टर पर चालक की भूमिका में रहे जबकि उनके साथ इस रैली में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह भी थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने भी रैली में शिरकत की है। राहुल की रैली को अच्छा समर्थन मिला है और उनकी रैली में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए हैं।
बता दें कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में 31 किसान यूनियनें सड़कों पर उतर चुकी हैं। आज राहुल गांधी ने कहा – ‘वर्तमान सिस्टम में कुछ खामियां हैं। इन्हें बदलने की आवश्यकता है, लेकिन इसे नष्ट करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे नष्ट करना चाहते हैं। बाद में उनकी ट्रैक्टर रैली लुधियाना के रायकोट पहुँची।
राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र में उनकी सरकार आने पर नए कृषि कानून को रद्द कर दिया जाएगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि कुछ पूंजीपति लोग किसानों की जमीन और फसल को हथियाने में लगे हुए हैं।
पीएम मोदी पर सीधा हमला करते हुए गांधी ने कहा कि वह पिछले 6 साल से देश के लोगों को झूठ ही बोल रहे हैं। राहुल ने कहा – ‘नोटबंदी की जिससे काल धन तो मिटा नहीं लेकिन लोगो को बैंकों के बाहर खड़ा कर दिया। जीएसटी लागू करके छोटे व्यपारियों को तबाह कर दिया। मोदी को अडानी और अंबानी जैसे पूंजीपति कठपुतली की तरह चला रहे हैं।’
राहुल ने कहा कि कोविड जैसे माहौल में आखिर कृषि संबंधित तीन बिलों को लाने की क्या आवश्यकता थी। केंद्र सरकार एक तरफ कह रही है कि बिल किसानों के हित में है तो देश को फूड सिक्योरिटी और अनाज संपन्न बनाने वाले पंजाब और हरियाणा के किसान इस बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि वर्तमान नीति में कुछ खामियां हैं, जिसे बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं कि पूरे सिस्टम को ही नष्ट कर दिया जाए। बेहतर होता कि केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में बहस करती लेकिन सरकार ने इन बिलों को पास करवा करके किसानों के साथ अन्याय किया।
राहुल यहां किसानों के समर्थन में तीन दिन तक ट्रैक्टर रैली करेंगे। राहुल के साथ मोगा में पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह, पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और नवजोत सिंह सिद्धू भी पहुंचे थे। राहुल ने कहा – ‘अगर आपको कोई कानून लागू करना है तो आपको पहले इसके बारे में राज्य सभा और लोकसभा में चर्चा करनी चाहिए थी। प्रधानमंत्री कहते हैं कि ये बिल किसानों के लिए बनाया गया है। अगर यही बात है तो इस पर सदन में खुली बहस क्यों नहीं की गई। अगर किसान इन कानूनों से खुश है तो फिर वह पूरे देश में प्रदर्शन क्यों कर रहा है। पंजाब में हर किसान इस बिल का विरोध क्यों कर रहा है।’
उधर मोगा में राहुल की रैली में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं। किसानों के खिलाफ कोई भी कदम बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इससे 30 हजार आढ़ती, पांच लाख मजदूर बर्बाद हो जाएंगे। सिद्धू ने कहा – ‘जब हिमाचल की सरकार सेब पर एमएसपी दे सकती है तो पंजाब सरकार अपनी एमएसपी क्यों नहीं दे सकती है। पंजाब सरकार सैकड़ों करोड़ रुपए की दाल और तिलहन को इम्पोर्ट करती है। किसान उसे क्यों नहीं उपजा सकता।

हाथरस कांड में न्याय की उम्मीद पालने वालों पर लाठीचार्ज

उत्तर प्रदेश के हाथरस में अनुसूचित जाति की युवती के साथ हैवानियत के तीन हफ्ते बीत चुके हैं, पर न्याय की उम्मीद की किरण अब भी दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रही है। युवती की न सिर्फ रीढ़ की हड्डी तोड़ी गई, बल्कि वो बोल न सके इसलिए ज़ुबान काट दी गई। अब जो उसके हक़ में जुबान खोल रहे हैं उन पर डंडे और सत्ता का रौब दिखाकर दबाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है।
चूंकि मामला एक आम दलित परिवार से जुड़ा है और इसमें भीम आर्मी के चंद्रशेखर शुरू से आंदोलनरत हैं; इसलिए मामले को  तूल तो पकड़ना ही था। दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर लखनऊ और असम से लेकर बंगाल तक हाथरस कांड की गूंज सुनाई दी।
दरअसल, मामले में प्रशासन की शुरुआत से ही घोर लापरवाही सामने आई। मामले को रफा-दफा करने के तमाम प्रयत्न नाकाम साबित हुए। इन सबके बावजूद प्रशासन अपनी हरकतों से निरंतर बाज नहीं आया।
सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को पीड़िता की मौत के बाद  से हंगामा शुरू हो गया। 29 की ही रात को पुलिस ने हाथरस में युवती के परिवार को घर में बंधक बना दिया। योगी सरकार के खाकीधारियों ने बिना परिवार की सहमति के ही शव पर पेट्रोल डालकर रात 2.30 बजे अंतिम संस्कार कर डाला। इसके बाद मुद्दा और गरम हो गया। यानी ज़्यादती पे ज़्यादती। धर्म पर लगातार अधर्म हावी नज़र आया।
अगले दो दिन पीड़िता के गाँव को छावनी में तब्दील कर दिया गया। किसी के भी गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। मीडिया तक को जाने नहीं दिया। इसी बीच, 1 अक्टूबर को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रियंका गांधी के साथ हाथरस के लिए निकले। उनको ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर पुलिस ने जबरन रोक लिया। उनकी पुलिस वालों से बहस भी हुई। फिर जबरन हिरासत में लेकर पुलिस की गाड़ी में ले गए। इसके बाद कांग्रेसियों पर लाठियां भांजीं, जिसमे कुछ कार्यकर्ता घायल भी हुए। पुलिस से झड़प में राहुल गांधी गिर गए, इसपर भी किसी सत्ताधारी का साथ देने के बजाय फ़ोटो सेशन बताना उनके  मंसूबों को बता गया। अगले दिन 2 अक्टूबर को बंगाल के टीएमसी सांसदों का दल हाथरस जाना चाह रहा था, तब टीएमसी की दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को पुलिस ने धक्के मारकर गिरा दिया और महिला सांसदों के साथ पुलिस ने बदसलूकी की गई।
3 अक्टूबर को राहुल गांधी ने ऐलान किया कि दुनिया की कोई ताकत उन्हें हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलने से नहीं रोक सकती। इसके बाद दिग्गज कांग्रेस नेताओं के साथ दिल्ली से हाथरस के लिए निकल पड़े। चंद किलोमीयर के बाद यूपी में एंटर होते ही डीएनडी पुल पर उनके काफिले को रोक लिया गया। इस फौरन भारी तादाद में पुलिस फोर्स तैनात किया गया। बाद में पुलिस ने झुककर सिर्फ 5 लोगों को जाने की इजाजत दे दी। इसके साथ ही लाठीचार्ज कर दिया। इसने कुछ कांग्रेसी गिर पड़े, तभी अपने कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय को रोकने के लिए प्रियंका और राहुल गांधी गाड़ी से उतरकर उनको बचाने गए। इसी बीच, एक पुरुष पुलिस वाले ने प्रियंका का कुर्ता पकड़ कर खींचा। राहुल भी बैरिकेड फांदकर कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी को दबाने के लिए फ्रंट पर पहुंचे। और रात में परिजनों से मिलकर उनका दुखदर्द साझा किया। वहीं, कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हाथरस कांड पर रैली की।
भारी दबाव के बीच, यूपी की योगी सरकार को सीबीआई से जांच कराने का ऐलान करना पड़ा।
इसी दौरान रोज़ाना सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में न्याय के नाम पर पुलिसिया लाठी खाते रहे। ध्यान देने वाली बात ये है पीड़ित के पक्ष वालों के लिए नियम कानून का हवाला दिया जाता रहा। और इसी दरमियान आरोपियों को पक्ष में  दो बार महापंचायत भी बैठ चुकी जिसमें दर्जनों लोग जमा हुए। लाठियों के बल पर नेताओं को तो रोक सकते हैं, लेकिन इंसाफ और सच को नहीं। उसे जितना दबाने की कोशिश करोगे वो उतना उतना ही अधिक उछाल मारेगा और अच्छे अच्छों को बेनकाब कर देगा।