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अमित शाह के घर के बाहर धरना देने जा रहे चड्डा सहित आप के कई विधायक हिरासत में लिए

पुलिस के इजाजत न देने के बावजूद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास पर धरना देने जा रहे आम आदमी पार्टी (आप)  के नेता राघव चड्ढा सहित कई विधायकों को दिल्ली पुलिस ने रविवार सुबह हिरासत में ले लिया। आप विधायक, नगर निगम में घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी जांच सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर शाह के आवास के बाहर धरने पर बैठना चाह रहे थे।

हिरासत में लिए गए लोगों में विधायक राघव चड्ढा, ऋतुराज, कुलदीप कुमार और संजीव झा शामिल हैं। आप ने एक ट्वीट में कहा कि दिल्ली पुलिस ने विधायक आतिशी को भी गिरफ्तार किया है। आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर तस्वीरें शेयर करते हुए आप ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आप नेता को घसीटा और उन्हें गिरफ्तार किया।

उधर चड्ढा साथी विधायकों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास के बाहर धरना देना चाहते थे। उनका आरोप है कि भाजपा ने एमसीडी फंड के 2457 करोड़ रूपये की राशि का गलत तरीके से उपयोग किया है। उनकी मांग घोटाले की जांच  सीबीआई से करवाने की है। इस मांग पर जोर देने के लिए ही उन्होंने शाह के आवास के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की मंजूरी दिल्ली पुलिस से माँगी थी। हालांकि, पुलिस ने कोरोना का हवाला देते हुए इससे मन कर दिया था।

टीआरपी रेटिंग स्कैम के मामले में रिपब्लिक टीवी के सीईओ को पुलिस ने गिरफ्तार किया  

टीआरपी रेटिंग स्कैम के मामले में रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विकास खानचंदानी को मुंबई पुलिस ने रविवार सुबह गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ अब तक इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक विकास को रविवार को उनके घर से गिरफ्तार किया गया। बता दें मुंबई पुलिस की अपराध आसूचना इकाई (सीआईयू) कथित टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) घोटाले की जांच कर रही है। अपराध शाखा इससे पहले इस मामले में रिपब्लिक टीवी के वितरण प्रमुख समेत 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। मुंबई पुलिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके अक्टूबर में टीआरपी रेटिंग के फर्जीवाड़े में रिपब्लिक टीवी और दो अन्य क्षेत्रीय चैनलों के शामिल होने का आरोप लगाया था।

उधर रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए मुंबई पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट्स में अर्णब को उद्धत करते हुए कहा गया है कि जब यह मामला ट्राई के तहत आता है तो फिर मुंबई पुलिस उनके सीईओ को कैसे गिरफ्तार कर सकती है। अर्णब पहले ही टीआरपी स्कैम में मुंबई पुलिस की जांच रोकने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी लगा चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की है।

याद रहे मुंबई पुलिस ने इस मामले में 6 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की थी और हंसा रिसर्च के अधिकारी नितिन देवकर की शिकायत के बाद जांच शुरू की थी। मुंबई पुलिस ने कथित टीआरपी घोटाले में नवबंर में यहां की एक अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किया था।

जनसंख्या नियंत्रण कानून पर मोदी सरकार की सुप्रीम कोर्ट में ना

देश में बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर इसे नियंत्रित करने के कानून की मांग समय-समय पर उठती रही है। राजनीतिक दल भी जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग उठाते रहे है। जनसंख्या नियंत्रण की एक जनहित याचिका पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि परिवार नियोजन के लिए लोगों को मजबूर नहीं किया जा सकता है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, वह परिवार नियोजन में ‘अनैच्छिक तरीकों’ के इस्तेमाल के खिलाफ है और दंपती पर अधिकतम दो बच्चे करने का दबाव नहीं डाल सकते। इस तरीके से मोदी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने पर एक तरह से मना कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव से साफ है कि बच्चा पैदा करने की अधिकतम संख्या जबरन तय करने का प्रतिकूल असर पड़ता है। यह जनसांख्यिकीय विकृति की ओर ले जाता है। इसलिए पति-पत्नी पर दो बच्चे पैदा करने का दबाव नहीं डाल सकते।

भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा, सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है। राज्य को स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया का नेतृत्व करना चाहिए ताकि आम व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाया जा सके। राज्यों को निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार विभिन्न योजनाओं को लागू करने का अधिकार प्राप्त है। याचिका में दो बच्चों के मानक को सख्ती से लागू करने की मांग की गई थी।

वहीं, सांसद साध्वी बोली-क्षत्रिय ज्यादा बच्चे पैदा करें
अपने विवादित बयानों में अक्सर चर्चा में रहने वाली भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा फिर सुर्खियों में हैं। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भोपाल में साध्वी प्रज्ञा ने कहा है कि यह उन लोगों पर लागू होना चाहिए जो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं। राष्ट्र की रक्षा क्षत्रिय करते हैं, उन्हें अधिक संख्या में बच्चे पैदा करना चाहिए।

किसान नेता 14 को अनशन करेंगे, देश भर में कलेक्टरों के दफ्तरों पर धरना; तेज होगा आंदोलन : पन्नू

आंदोलनकारी किसानों ने ऐलान किया कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और 14 को मोदी सरकार के कृषि क़ानून के खिलाफ अनशन किया जाएगा और देश भर में कलेक्टरों के दफ्तरों के सामने धरना दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनमें फूट डालने की कोशिश की गयी थी लेकिन सफल नहीं हुई।

किसान नेताओं ने ऐलान किया कि उनकी आज की बैठक में आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया गया है।

सिंघू बार्डर पर प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा कि यूनियन के नेता 14 दिसंबर को अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार बातचीत करना चाहती है तो हम तैयार हैं। लेकिन साथ ही कहा कि उनकी मांग तीनों कानूनों को वापस लेने की है। किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा – सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। हमें संशोधन मंजूर नहीं हैं। हम सरकार से बातचीत से इनकार नहीं करते हैं। आज हमारी बैठक हुई है जिसमें हमने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है।

किसान नेता ने कहा कि सरकार चाहती है कि इसे लटका दिया जाए, लेकिन हमारे लोग गाँवों से चल पड़े हैं। लोग आ न सके इसके लिए बैरिकेड लगाए गए, वो भी तोड़ दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हमारा धरना दिल्ली के 4 प्वाइंट पर चल रहा है।  उन्होंने कहा – ‘कल राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाइवे बंद करेंगे जबकि 14 दिसंबर को सारे देश के डीसी ऑफिस में प्रोटेस्ट करेंगे।  हमारे प्रतिनिधि 14 दिसंबर को सुबह 8 से 5 बजे तक अनशन पर बैठेंगे’।

इस बीच आंदोलन के 17वें दिन किसान संगठनों ने कई प्रदेशों में टोल प्लाजा फ्री करवा दिए। कई जगह तो टोल प्लाज़ा सरकार ने खुले रखे। लगातार 17 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालकर बैठे किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज कर दिया है। इसके लिए किसानों ने शुक्रवार रात से ही कई जगहों पर टोल प्लाजा पर कब्जा कर उन्हें टोल फ्री कराना शुरू कर दिया है।

किसानों ने ग्रेटर नोएडा में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और एनएच-91 को टोल फ्री कर दिया गया। किसान नेता गौरव टिकैत ने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का नेतृत्व किया। दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे जिला पलवल के तुमसरा टोल प्लाजा की दो लेन बंद करके किसान धरने पर बैठकर नारेबाजी कर रहे हैं। किसान नेता दोपहर बाद दो बजे तक यहां धरना प्रदर्शन करेंगे। करनाल में किसानों ने शुक्रवार देर रात से ही बस्तारा टोल प्लाजा को बंद कर दिया है।

आंदोलनकारियों ने अंबाला के शंभू टोल प्लाजा को भी किसानों ने आज फ्री करा दिया। दिल्ली-आगरा हाईवे पर स्थित टोल प्लाजा को फ्री कराए जाने के बाद किसान वहां धरना देकर बैठ गए हैं। गाजियााद के दुहाई टोल प्लाजा को भी फ्री करा दिया है। पुलिस ने किसानों जेवर टोल प्लाजा पर नहीं आने दिया। किसान नीचे सर्विस लेन से ही पुलिस के सामने अपनी मांगें रखकर वापस चले गए हैं। शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील क्षेत्र में बंडा रोड पर सबली कटेली टाेल प्लाजा पर शनिवार को भारतीय किसान यूनियन के अलग-अलग संगठनों ने एकजुट होकर कब्जा कर लिया। कब्जे के बाद किसानों ने हर आने-जाने वाले वाहन के लिए टोल फ्री कर दिया।

गाजियाबाद जिले के डासना टोल पर सामान्य दिनों की तरह टोल वसूला जा रहा है। मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे के मांट टोल को किसानों ने आधे घंटे के लिए टोल फ्री कराया था और एक्सप्रेस-वे के बाजना कट पर बने टोल को करीब एक घंटे से फ्री कर रखा है।

उधर वर्तमान किसान आंदोलन से चिंतित हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने किसान आंदोलन के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ से मुलाकात की है। बता दें कि हरियाणा में भाजपा सरकार के साथ बने रहने पर जेजेपी को राजनीतिक नुक्सान की आशंका जताई जा रही है। यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि किसानों की चिंता न करते हुए जेजेपी सत्ता से चिपकी रहना चाहती है।

इस बीच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि असल में सरकार किसानों की मुक्त समस्या तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 की वापसी को हल नहीं करना चाहती। अपने जिद्दी रवैये को छिपाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है। पहले केन्द्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का यह आंदोलन राजनीतिक दलों से प्रोत्साहित है।

शिवसेना की नजर में हाथी की चाल और वजीर का रुआब वाले हैं पवार

आज शरद पवार का 80 वां जन्मदिन है। इस मौके पर शिवसेना ने उनके कार्यों और स्वभाव का उल्लेख करते हुए शरद पवार की प्रशंसा की।

‘सामना’ ने अपने एडिटोरियल में पवार को हाथी की चाल और वजीर का रुआब वाले तौर पर बताया है। एक नजर… कोविड काल में निसर्ग चक्रवाती तूफान के दौरान उन्होंने गांवों में जाकर किसानों का दुख-दर्द समझा। इसलिए श्री पवार ८० वर्ष के हो गए हैं, इस पर कोई विश्वास करेगा? आज शिवसेनाप्रमुख रहते तो उन्होंने पितृतुल्य होने के नाते ‘शरद बाबू’ को ढेरों आशीर्वाद दिया होता। परंतु आज पवार को आशीर्वाद दे सकें, ऐसे ‘हाथ’ नहीं हैं और पवार झुककर प्रणाम करें, ऐसे ‘पांव’ नजर नहीं आते। पवार खुद ही ‘सह्याद्रि’ बनकर देश के नेता बने हैं। ५० वर्ष से अधिक समय से पवार संसदीय राजनीति में हैं। वे सभी चुनावों में अजेय हैं। पवार को जनता ने खुले हाथों से आशीर्वाद दिया है। अर्थात ये आशीर्वाद जिनके संदर्भ में सफल हुए, ऐसे गिने-चुने भाग्यशाली लोगों में शरद पवार शामिल हैं। महाराष्ट्र की कांग्रेस पार्टी में कई बड़े नेता विगत ७० वर्षों में तैयार हुए, परंतु यशवंतराव चव्हाण के कद का नेता तैयार नहीं हुआ। आज भी लोग यशवंतराव को ही याद करते हैं। चव्हाण ने ही पवार को बनाया है। चव्हाण के बाद उनके समकक्ष नेता के रूप में पवार की ओर देखना चाहिए। यशवंतराव में ‘हिम्मत’ छोड़ दें तो सभी गुण थे। पवार के राजनीतिक सफर में साहस की मात्रा कई बार अधिक ही नजर आई। यशवंतराव की तरह ही लोगों को जुटाने व संभालने का शौक पवार को है। उस शौक को कोई जोड़-तोड़ की राजनीति कहता होगा तो पवार कई वर्षों से ये जोड़-तोड़ कर रहे हैं। राज्य की ‘ठाकरे सरकार’ यह हाल के दौर की सबसे बड़ी जोड़-तोड़ है। १९६२ के आसपास युवानेता के रूप में उनका उदय हुआ। पुलोद के मुख्यमंत्री विरोधी पक्ष नेता कांग्रेस छोड़े व पुन: राजीव गांधी की उपस्थिति में संभाजी नगर में शामिल हुए पवार को हमने देखा। शरद पवार लोकसभा में विपक्ष के नेता थे। पवार की चतुराई से वाजपेयी की सरकार एक मत से गिर गई। परंतु संसद के उस नेता को विश्वास में लिए बगैर सोनिया गांधी राष्ट्रपति के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने गईं और व्याकुलता के साथ वैचारिक मुद्दों पर कांग्रेस पुन: छोड़नेवाले, राष्ट्रवादी कांग्रेस की स्थापना करके पुन: कांग्रेस की ही बराबरी में निजी शान की राजनीति करनेवाले शरद पवार को देश ने देखा।

दिल्ली को पवार की क्षमता से हमेशा ही डर लगता रहा है। पवार की हाथी की चाल और वजीर का रुआब उत्तर की ‘जी हुजूरी’ नेताओं के लिए परेशानियों भरी साबित हुई होती। उस पर पवार विश्वास लायक नेता नहीं हैं, ऐसा दुष्प्रचार हमेशा जारी रखा गया। रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री की हैसियत से केंद्र में पवार द्वारा किए गए कार्य दमदार ही थे। पवार पर हमेशा संदेह करने में जिन्होंने खुद को धन्य माना वे बरसाती केंचुओं की तरह राजनीति से अदृश्य हो गए। वे अपना जिला भी नहीं संभाल सके। दुनिया की तमाम आधुनिकता को समाहित कर चुका शक्तिशाली ऐसा कल का औद्योगिक महाराष्ट्र हो, ऐसा सपना पवार ने देखा। उसी ध्येय से वे काम करते रहे। पवार उद्योगपतियों की मदद करते हैं, ऐसा आरोप लगाया जाता है। उद्योगपति नहीं होंगे तो राज्य की प्रगति वैâसे होगी? इसका उत्तर कोई भी नहीं देता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुंबई में आते हैं और उद्योगपतियों से मिलते हैं, ‘उत्तर प्रदेश चलो।’ ऐसा निमंत्रण देते हैं तो किसलिए? श्री पवार ने उद्योगपतियों को बड़ा बनाया। उसी तरह किसान और सहकार क्षेत्र को भी बल दिया। निजीकरण का पवार जोरदार समर्थन करते रहे। निजी क्षेत्र से उन्होंने ‘लवासा’ जैसे सौंदर्य स्थल का निर्माण किया। पर्यटन उद्योग को बल दिया। इससे रोजगार व राजस्व निर्माण किया। तब व्यक्ति द्वेष से ग्रसित राजनीतिज्ञों ने इस प्रकल्प को ही रद्द करके महाराष्ट्र का नुकसान किया। ‘लवासा’ जैसी परियोजनाएं अन्य राज्यों में निर्माण हुई होती तो महाराष्ट्र के नेता उसका गुणगान किए होते। परंतु देश के राजनीतिज्ञों ने कई वर्षों तक सिर्फ ‘पवार विरोध’ की ही राजनीति की। महाराष्ट्र में पवार विरोधियों को समय-समय पर महत्वपूर्ण पद बांटे गए। पवार विरोध पर कांग्रेस पार्टी की तीन पीढ़ियां जीती रहीं। इसे कैसा लक्षण माना जाए? इसे भी पवार की ताकत ही कहनी चाहिए। देश का प्रधानमंत्री बनने की क्षमता रखनेवाले पवार आज विपक्ष के इकलौते सबसे शक्तिमान नेता हैं।

पवार 80 वर्ष के हो रहे हैं। इसी समय मोदी को प्रचंड बहुमत होने के बाद भी लोगों के मन में असंतोष है। किसान, मेहनतकश दिल्ली को घेरा डालकर १५ दिनों से बैठे हैं। कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व कमजोर हो गया है। लोगों को आकर्षित करें, ऐसा नेतृत्व अब शेष नहीं बचा है। ऐसे समय में महाराष्ट्र में भाजपा का बेलगाम घोड़ा रोककर शिवसेना, कांग्रेस के साथ महाआघाड़ी की सरकार स्थापित करनेवाले उस सरकार का नेतृत्व समझदारी के साथ उद्धव ठाकरे को सौंपनेवाले शरद पवार देश के बड़े वर्ग को आकर्षित करते हैं।

वास्तविक अर्थ में लोकप्रिय संगठन, कुशल, राज्य व देश की समस्या उत्तम ढंग से जतन करनेवाले मोदी से लेकर क्लिंटन तक संबंध रखनेवाले सुस्वभावी, स्नेह और वचन का पालन करनेवाले हाथी की चाल और वजीर का रुआब रखनेवाले शरद पवार का आनेवाला जीवन गंगा-यमुना की विशालता और हिमालय की ऊंचाई को छूनेवाला हो, यही शुभकामना!

नहीं बनना चाहते यूपीए के नये अध्यक्ष 80 के शरद पवार !

कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व वाली यूपीए के नये अध्यक्ष के तौर पर शरद पवार के नाम को लेकर जारी अटकलों पर खुद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने यह कहकर कि इस बाबत मीडिया गलत खबर फैला रही है, रोक लगा दी है।

पवार के 80 वें वर्षगांठ के ऐन कुछ दिन पहले अचानक देश के सियासी हलकों में इसकी चर्चा होने लगी थी कि सोनिया गांधी इस पद से इस्तीफा दे सकती हैं और एनसीपी चीफ शरद पवार को नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

पवार ने कहा कि अगले कुछ दिनों में किसानों के आंदोलन उग्र होने की संभावना है और उन्होंने केंद्र सरकार से किसानो की सहिष्णुता का अंत नहीं होने देने की अपील की।

इसके पहले शिवसेना के संजय राउत ने गुरुवार को कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार में देश का नेतृत्व करने के सारे गुण हैं। राउत ने कहा कि पवार के पास बहुत अनुभव है और उन्हें देश के मुद्दों का ज्ञान है तथा वह जनता की नब्ज जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘उनके पास राष्ट्र का नेतृत्व करने की पूरी काबिलियत है।’

कांग्रेस को ही मिटाने का एक बड़ा प्लान – निरुपम

इन खबरों के चलते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम बिफर उठे।उन्होंने ट्विटर पर इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई है। निरुपम ने कहा है कि दिल्ली से मुंबई तक राहुल गांधी के खिलाफ जो अभियान चल रहा है, उसी का हिस्सा है, शरद पवार को यूपीए का चेयरमैन बनाने का शिगूफा। उसी अभियान के तहत 23 हस्ताक्षर वाली चिट्ठी लिखी गई थी। फिर राहुल जी के नेतृत्व में कनसिस्टेंसी की कमी ढूंढ़ी गई है। एक बड़ा प्लान है,कांग्रेस को ही मिटाने का।

राजनीति में कुछ भी संभव है – संजय राउत

शरद पवार के खंडन पर संजय राउत का कहना था, ‘अगर शरद पवार यूपीए के अध्यक्ष बन जाते हैं, तो यह हमारे लिए खुशी की बात है। लेकिन मुझे ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है। शरद पवार ने भी इस खबर का खंडन किया है। शरद पवार महाराष्ट्र और देश के एक महान नेता हैं। हम सभी उनके नेतृत्व में काम कर रहे हैं। अगर शरद पवार ने खुद यह कहा है, तो इस पर चर्चा करना उचित नहीं है।’ हालांकि उन्होंने इस संभावना से इंकार नहीं करते हुए कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। किसी को नहीं मालूम कि आगे क्या होगा? और अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आता है, तो हम इसका समर्थन करेंगे।

इस बीच एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि एनसीपी स्पष्ट करना चाहती है कि यूपीए के सहयोगियों के साथ इस संदर्भ में कोई चर्चा नहीं हुई है। तपासे ने कहा कि ऐसा लगता है कि मीडिया में चल रही इस तरह की खबरों को जानबूझ कर फैलाया गया है ताकि लोगों का ध्यान किसान आंदोलन से हटाया जा सके।

यूपी के पांच शहर देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित

उत्तर भारत में ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगा है। सबसे ज्यादा असर यूपी के शहरों में देखने को मिल रहा है। पिछले दिनों जहां दिल्ली-एनसीआर के शहर ज्यादा प्रदूषित रहे। वहीं, शुक्रवार को जारी आंकड़ाें के मुताबिक, शीर्ष सात शहर यूपी के सबसे ज्यादा प्रदूषित पाए गए। इनमें कानपुर पहले तो आगरा दूसरे नंबर पर रहा।

राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट की सीधी निगरानी में तमाम उपाय अपनाने के बावजूद देश में कानपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा। इसके बाद ताजनगरी आगरा रहा। कानपुर में जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 390 दर्ज किया गया, वहीं ताजनगरी आगरा में एक्यूआई 355 रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जारी सूची के मुताबिक, शुक्रवार को कानपुर देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां का एक्यूआई दिल्ली-एनसीआर के शहरों से भी अधिक रहा। हालांकि, ताजनगरी की हवा में जहरीली गैसों में कमी दर्ज की गई है, पर धूल कणों की मात्रा सामान्य से 6 गुना तक ज्यादा रही। कानपुर और आगरा के बाद एनसीआर के शहर गाजियाबाद, बुलंदशहर और ग्रेटर नोएडा रहे जहां का एक्यूआई 300 से 400 के बीच रहा। वाराणसी और लखनऊ भी इस श्रेणी में रहे जहां का एक्यूआई क्रमश 313 और 312 रिकॉर्ड किया गया।

अब सरकारी कर्मचारी नहीं पहन सकेंगे जीन्स टी-शर्ट, महाराष्ट्र का नया ड्रेस कोड

महाराष्ट्र में अब सरकारी कर्मचारी दफ्तरों में अपने मनमाफिक कपड़े पहन कर नहीं आ सकेंगे। इस बाबत ड्रेस कोड अब सरकारी कर्मचारियों पर भी लागू कर दिया गया है।

राज्य सरकार ने कार्यालयों में कर्मचारी क्या और कैसे कपड़े पहनेंगे, इस बारे में निर्देश जारी किए हैं। सरकार का मानना है कि सरकारी दफ्तर में काम करने वाले अधिकारियों का ड्रेस कोड ऐसा होना चाहिए जिससे उनकी छवि अच्छी बने।

सरकार की ओर से सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अच्छा व्यवहार करें और एक अच्छा व्यक्तित्व बनाए रखें। यदि अधिकारी और कर्मचारियों का ड्रेस कोड अशोभनीय और अस्वच्छ है, तो इससे उनके संपूर्ण प्रदर्शन पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

ड्रेस कोड के अनुसार सरकारी कर्मचारी

1) रंगीन नक्काशी / चित्रों वाले गहरे रंग के कपड़े न पहनें। साथ ही, सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय में जींस टी-शर्ट नहीं पहननी चाहिए।

2) खादी को बढ़ावा देने के लिए, सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सप्ताह में एक बार (शुक्रवार) खादी पहननी चाहिए।

3) महिला अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय में सैंडल, जूते का उपयोग करना चाहिए और पुरुष अधिकारियों और कर्मचारियों को जूते, सैंडल का उपयोग करना चाहिए।

4) कार्यालय में चप्पल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए

5) सभी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा पहनी जाने वाली पोशाक साफ-सुथरी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, महिला कर्मचारियों को साड़ी, सलवार / चूड़ीदार कुर्ता, ट्राउजर पैंट और कुर्ता या शर्ट पहननी चाहिए, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर दुपट्टा भी। पुरुष कर्मचारियों को शर्ट, पैंट / पतलून पहननी चाहिए।

6) इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि पहनी गई पोशाख साफ और सुव्यवस्थित हो।

किसान आंदोलन पर अन्ना की सरकार को चेतावनी मांगें न मानीं तो करेंगे जनआंदोलन

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं हुई तो वह केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के समर्थन में जनआंदोलन शुरू कर देंगे।

अन्ना ने कहा, ‘लोकपाल आंदोलन ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिला कर रख दिया था। मैं किसानों के विरोध प्रदर्शनों को उसी तरह देख रहा हूं।अगर सरकार किसानों की मांगों को नहीं मानती, तो मैं एक बार फिर ‘जन आंदोलन’ के लिए बैठूंगा, जो लोकपाल आंदोलन के समान होगा।’

देश में किसानों की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए अन्ना का कहना था कि ऐसे किसी भी देश में किसान के खिलाफ कानून को मंजूरी नहीं दी जा सकती है, जो कृषि पर निर्भर है। अगर सरकार ऐसा करती है, तो इसके खिलाफ आंदोलन जरूरी है।

गौरतलब है कि भारत बंद के दिन, अन्ना ने अपने गांव रालेगण-सिद्धि में किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास भी किया था।

मिश्रितपैथी के खिलाफ आईएमए का विरोध -प्रदर्शन

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आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति मिलने के बाद से देश भर के एलोपैथ डाक्टरों में सरकार के इस फैसले से रोष है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के तत्वावधान में आज डाक्टर्स सुबह 6 बजे से ओपीडी सेवायें बंद कर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। प्रदर्शन कारी डाक्टरों का कहना है, कि सरकार आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति दे दी है। सरकार मिश्रितपैथी को जन्म दे रही है। इससे चिकित्सा के क्षेत्र में खतरा पैदा हो जायेगा।

आईएमए के अध्यक्ष डाँ राजन शर्मा व डीएमसी के उपाध्यक्ष डाँ नरेश चावला ने तहलका संवाददाता को बताया कि कोरोनाकाल चल रहा है। कोरोना रोगियों किसी भी प्रकार की परेशानी हो उसके लिये कोविड-19 से जुड़ी सेवायें सुचारू रहेगी। लेकिन सामान्य रोगियों के लिये सरकारी और निजी सेवायें वाधित रखी है।डाँ नरेश चावला का कहना है कि एलोपैथ ,आयुर्वेद और होम्योपैथ चिकित्सा प्रणाली में इलाज करने और पढ़ने में जमीन –आसमान का अंतर है। ऐसे में एलोपैथ की तरह अन्य पैथियों के पढ़े छात्र और डाँक्टर्स कैसे इलाज कर सकते है।ईएनटी रोग विशेषज्ञ डाँ महेन्द्र तनेजा का कहना है कि सरकार ने तामाम पहलुओं को समझें बिना ही मिश्रितपैथी को बढ़ावा दे रही है। इससे डाँक्टरों को रोगियों का इलाज करने में दिक्कत होगी और रोगी को कराने में, उनका कहना है कि सरकार को इस मामले पुनः विचार करने की आवश्यकता है।