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राहुल गांधी ने 1971 के शहीदों को याद कर कहा – ‘उस समय पड़ोसी भारतीय पीएम का लोहा मानते थे और भारत की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 1971 के भारत-पाक युद्ध की 50वीं सालगिरह पर देश के सैनिकों को नमन किया है और युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। आज के ही दिन उनकी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत की जांबाज सेना ने पाकिस्तान को करारी मात दी थी। राहुल ने इस मौके पर एक ट्वीट में कहा कि ‘उस समय पड़ोसी देश भारतीय प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और भारत की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे।’

पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ पर राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा – ‘सन् ‘71 में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के उत्सव पर देशवासियों को शुभकामनाएं और सेना के शौर्य को नमन। उस समय पड़ोसी देश भारतीय प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और भारत की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे।’

याद रहे उस युद्ध के समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं। देश में 16 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तान के खिलाफ आज के ही दिन भारत को 1971 के युद्ध में बड़ी जीत मिली थी और पाकिस्तान के 90,000 सैनिकों ने भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध में  भारत की जीत के फलस्वरूप ही बांग्लादेश एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में आया था।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
सन् ‘71 में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के उत्सव पर देशवासियों को शुभकामनाएँ और सेना के शौर्य को नमन। ये उस समय की बात है जब भारत के पड़ोसी देश भारत के प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और हमारे देश की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे !
#VijayDiwas

भारत-पाक युद्ध की 50वीं सालगिरह पर पीएम ने अमर ज्योति से स्‍वर्णिम विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कीं, देश के विभिन्न हिस्सों में भेजी जाएंगी

आज 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं सालगिरह है। लोह महिला के नाम से जाने वालीं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में तब भारत की वीर सेना ने पाकिस्तान के दांत खट्टे करते हुए उसके दो टुकड़े कर दिए थे और बांग्लादेश का जन्म हुआ था। इस युद्ध की 50वीं सालगिरह पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति से स्‍वर्णिम विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रवाना किया।

आज के इस दिन को देश भर में ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ सिविल और सैन्य अधिकारी भी इस मौके पर उपस्थित रहे।

पीएम मोदी ने इस मौके पर पुष्पचक्र समर्पित कर 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और आगंतुक पुस्तिका में अपने विचार भी व्यक्त किए। मोदी ने राष्‍ट्रीय समर स्‍मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्‍योति से चार विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कीं और उन्‍हें 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्‍न भागों के लिए रवाना किया।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा – ‘विजय दिवस के मौके पर हम अपने सशस्त्र बलों के अदम्य साहस को याद करते हैं, जिसके फलस्वरूप 1971 के युद्ध में अपने देश को निर्णायक विजय हासिल हुई। इस विशेष दिन पर मुझे राष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्जवलित करने का सम्मान मिला।’

याद रहे 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश के वीर सैनिकों ने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे। करीब 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। अमेरिका के भारी दबाव की भी इंदिरा गांधी ने परवाह नहीं की और देश के हिसाब से चीजें कीं।  साथ ही रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण तुरतुक को भी पकिस्तान के कब्जे से छुड़वाकर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में भारत की बढ़त बनवा दी।

छल,बल और दल से किसानों के आंदोलन और संगठन को तोड़ा जा रहा है: किसान

किसानों का कहना है, कि सरकार तमाम दावे करें, कि  नये कृषि कानून किसान के हित में है। लेकिन किसानों को नये कानून में किसान विरोधी साजिश दिखती है। किसानों ने नोएड़ा में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान तहलका संवाददाता को बताया। किसान जोगेद्र सिंह और जगतनारायण ने बताया कि सरकार छल ,बल और दल के दम पर किसानों के आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। लेकिन किसानों का आंदोलन कम होने के बजाय बढ़ेगा।

जगतनारायण का कहना है कि ना जाने क्यों, क्या ऐसी जरूरत सरकार को पड़ी, कि कृषि कानून को थोप कर किसानों को दबाया और धमकाया जा रहा है।उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान किसानों की मौत हो रही है। और सरकार सो रही है। किसान आत्म हत्या कर रहे है। तो भी सरकार कोई ध्यान नहीं देती है। लेकिन पूंजी पतियों को कैसे लाभ मिले और किसानों की जमीन को कैसे पूंजी पतियों को सौपीं जाये । उस पर सरकार तुरन्त कानून बनाती है। लेकिन किसानों की सुनवाई के लिये कोई समय नहीं है। बल्कि किसानों के संगठन को तोड़ा जा रहा है। जगतनारायण ने बताया कि किसानों के संगठन को तोड़ा जा सकता है, लेकिन किसानों को नहीं । इसलिये किसान आंदोलन करते रहेगे। वो भी तब तक जबतक कानून वापस नहीं हो जाता है।

प्रणब मुखर्जी के पूर्व सांसद बेटे ने पिता की पुस्तक ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ का प्रकाशन रोकने को कहा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को अपने दिवंगत पिता की पुस्तक ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ किताब के प्रकाशन को रोकने के लिए कहा है। खुद अभिजीत ने एक ट्वीट में इसकी जानकारी दी है। दिवंगत राष्ट्रपति के बेटे ने कहा कि हाल में पुस्तक की प्रोमोशन के लिए जारी किये गए अंश ‘मोटिवेटिड’ थे और कि उनके पिता ने इनके लिए मंजूरी नहीं दी होगी।

अभिजीत ने बताया कि उन्होंने पुस्तक के प्रकाशक ग्रुप रूपा बुक्स से इसके प्रकाशन को रोकने के लिए कहा है। अभिजीत मुखर्जी ने पिता के संस्मरण ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ के प्रकाशन को लेकर आपत्ति जताई और इसपर कुछ वक्त के लिए रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने पब्लिकेशन हाउस को टैग कर एक साथ कई ट्वीट करके इस किताब को पहले पढ़ने का आग्रह किया और फिर ही इसे प्रकाशित किए जाने की मांग की।

एक अन्य ट्वीट में अभिजीत ने लिखा – ‘उनका पुत्र होने के नाते मैं आपसे मेरी लिखित अनुमति के बिना इसका प्रकाशन तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं, जब तक मैं इसकी सामग्री को पढ़ न लूं। इस संदर्भ में मैंने एक विस्तृत पत्र आपको प्रेषित किया है, जो जल्द ही आपको मिल जाएगा। सादर – अभिजीत मुखर्जी’। बता दें हाल में इस पुस्तक के कुछ अंश जारी किये गए थे जिसमें कहा गया है कि ‘सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह 2014 में कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेवार थे’।

ट्वीट में अभिजीत ने लिखा कि ‘संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए, और उन हिस्सों का भी, जो पहल ही चुनिंदा मीडिया प्लेटफॉर्मों पर मेरी लिखित अनुमति के बिना चल रहे हैं। चूंकि मेरे पिता अब नहीं रहे हैं, मैं उनका पुत्र होने के नाते पुस्तक के प्रकाशन से पहले उसकी फाइनल प्रति की सामग्री को पढ़ना चाहता हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि यदि मेरे पिता जीवित होते, तो उन्होंने भी यही किया होता।’

मुखर्जी के संस्मरणों की यह पुस्तक जनवरी, 2021 में प्रकाशित होने की बात कही गयी है। कांग्रेस ने हाल में जारी किये गए पुस्तक के अंशों पर बिना पढ़े कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया था। अभिजीत ने अब आज अपने ट्वीट में प्रकाशक कपीश मेहरा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आपसे अनुरोध है कि जब तक मैं इसकी सामग्री को मंजूरी न दूं और लिखित में अपनी सहमति न दूं तब तक आप इसका प्रकाशन रोक दीजिए।’

प्रणब मुखर्जी के बेटे का एक ट्वीट –
Abhijit Mukherjee
@ABHIJIT_LS
Since my father is no more , I being his son want to go through the contents of the final copy of the book before it’s publication as I believe , had my father been alive today , he too would have done the same.

अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज ने कहा, बाइडन को 306 और ट्रम्प को 232 वोट मिले हैं राष्ट्रपति के चुनाव में

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हार स्वीकार नहीं करने के बावजूद अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज ने सोमवार की गिनती के बाद आधिकारिक रूप से घोषित किया कि राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट जो बाइडन को 306 जबकि रिपब्लिकन ट्रम्प को 232 वोट मिले हैं। इस तरह बाइडन अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। बाइडन की जीत की औपचारिक घोषणा 6 जनवरी को सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स मिलकर अंतिम गिनती के बाद करेंगे।

बता दें कुल 538 इलेक्टोरल वोट में से बहुमत के लिए 270 इलेक्टर्स का समर्थन आवश्यक होता है। वैसे बाइडन की जीत की औपचारिक घोषणा 6 जनवरी को सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स मिलकर करेंगे। अब जीत की पुष्टि होने के बाद बाइडन ने कहा है – ‘मैं हर अमेरिकी का राष्ट्रपति बनूंगा।’

अब 6 जनवरी को दोपहर एक बजे (अमेरिकी समय) अमेरिकी संसद के दोनों सदनों की बैठक में बाकायदा इलेक्टोरल कॉलेज के वोट गिने जाएंगे। वैसे सोमवार की गिनती से साफ़ हो गया है कि बाइडन ने बहुमत से कहीं ज्यादा 306 वोट हासिल किये हैं जबकि उनके प्रतिद्वंदी राष्ट्रपति ट्रंप को 232 वोट हासिल हुए हैं।

जीत की घोषणा के बाद बाइडन ने ट्रंप की नीतियों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि  ‘ हम हालात बदलेंगे। अब बंटवारे का खेल नहीं चलने वाला।’ अब बाइडन का राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण (इनॉगरेशन डे)  20 जनवरी को होगा। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप शायद शपथ समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे। ट्रंप ने अभी तक बाइडन को जीत की उपचारिक बधाई तक नहीं दी है।

इस बीच अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बार के अगले हफ्ते पद छोड़ने की भी खबर वहां के मीडिया में आई है। ट्रंप ने भी इसकी पुष्टि की है। चुनाव के बाद हुई गिनती में साफ़ हुआ था कि बाइडन ने हर बड़े राज्य में जीत हासिल की थी। उन्हें करीब आठ करोड़ पॉपुलर वोट मिले। अमेरिका के सबसे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज वोट वाले राज्य कैलिफोर्निया के सभी 55 वोट बाइडन को मिले, जिससे उनकी जीत का अंतर काफी बड़ा हो गया।

इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं, बजट सत्र होगा जनवरी में

किसान आंदोलन के बीच सरकार ने मंगलवार को जानकारी दी कि इस बार कोरोना के चलते संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जाएगा। हाल में कांग्रेस ने किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए सत्र बुलाने की मांग की थी। बजट सत्र जनवरी में होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को एक चिट्ठी में यह जानकारी दी है। चिट्ठी में उन्हें सूचित किया गया है कि कोरोना महामारी के चलते इस बार शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जा सकता है। बता दें चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को कुछ दिन पहले चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि संसद का शीतकालीन सत्र, भले ही कुछ दिन के लिए, बुलाया जाए क्योंकि किसान आंदोलन सहित कुछ महत्वपूर्व मुद्दों पर चर्चा बहुत जरूरी है।

हालांकि, अब उन्हें संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने चिट्ठी लिखकर सूचित किया है कि महामारी के चलते शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जा सकता है। अगले साल जनवरी में सीधे बजट सत्र का आयोजन होगा। केंद्र सरकार का दावा है कि शीतकालीन सत्र न करने के लिए कई दलों के फ्लोर नेता सहमत हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चिट्ठी में जोशी ने लिखा कि कोरोना के चलते ही मानसून सत्र विलंब से सितंबर में शुरू हुआ था और इसमें बहुत ज्यादा एहितियात बरतने पड़े थे। चिट्ठी के मुताबिक संक्रमण के बढ़ते मामलों से स्थिति गंभीर हुई है और दिल्ली में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।

उधर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि उन्होंने शीत सत्र को आयोजित करने का सुझाव दिया था। चौधरी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार संसद में किसान विरोध जैसे मुद्दे पर प्रश्नों से भागने की कोशिश कर रही है।

सर्दी में हार्ट और अस्थमा रोगी बरतें सावधानी

राजधानी –दिल्ली में गत दो दिनों से कपकपाती ठंड से लोगों का हाल बेहाल होने लगा है। ऐसी सर्दी में जरा सी लापरवाही हार्ट रोगियों और अस्थमा रोगियों के लिये घातक हो सकती है।

मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार ने तहलका संवाददाता को बताया कि कहने को तो सर्दी का मौसम हेल्दी माना जाता है। पर इस मौसम में ठंड के कारण मांसपेशियों में अकड़नपन की शिकायतें एक आम बात होती है। सर्दी के मौसम में रक्त का संचार हाई कोलेस्ट्राल वालों को दिक्कत करने लगता है। जिससे उच्च रक्त चाप की शिकायतें बढ़ने लगती है।इसलिये सर्दी के मौसम में बचाव के तौर पर गर्म कपड़ों को पहनें । कोरोना काल चल रहा है। घर से तभी निकलें जब बहुत जरूरी है। सीने में दर्द को नजरअंदाज ना करें।

इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डाँ आर एन कालरा का कहना है कि ज्यादा सर्दी और ज्यादा गर्मी में अस्थमा और हार्ट रोगी को विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। मधुमेह यानि गंभीर और मीठी बीमारी है। इसमें रोगी को कई बार दर्द तक नहीं होता है। जो सांइलेंट मौत हो जाती है। डाँ कालरा का कहना है कि कोरोना काल में लोगों ने डर के मारे, स्वास्थ्य का चैकअप तक नहीं कराया है। डाँ कालरा ने जागरूकता पर बल देते हुये कहा कि नियमित व्यायाम करें , तलीय पदार्थों का सेवन कम करें। अगर सीने में दर्द के साथ बैचेनी हो, जबड़ें में दर्द और वाये हाथ में खिचाव हो तो उसे नजरअंदाज ना करें। ये हार्ट रोग के लक्षण हो सकते है।

किसान आंदोलन में गर्म कपड़ों की बिक्री, रेहड़ी –पटरी वालो का धंधा पनपा

कहते है कि,आपदा-विपदा में भी व्यापारी अपना धंधा निकाल ही लेते है। किसान आंदोलन टिकरी बार्डर, सिंधू बार्डर और गाजीपुर बार्डर पर चल रहा है। जो कि दिल्ली के बार्डर से सटे है। यहां से किसान दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पा रहे। दिल्ली में इन दिनों कड़कड़ी सर्दी से लोगों का हाल बेहाल है। वहीं किसानों को रात काटने में काफी परेशानी हो रही है। किसानों का कहना है कि अपनी मांगों के खातिर वे रात को भी खुले आसमान में इस सर्दी में पड़े रहते है। हजारों की संख्या में किसानों को देखते हुये रेहड़ी –पटरी वालों ने गर्म कपड़ो , साल, स्वेटर, जर्सी और कम्बलों की बिक्री शुरू कर दी।

किसान जमकर गर्म कपड़ो की बिक्री भी कर रहे है। इन तीनों बार्डरों में जहां पर किसानों का आंदोलन चल रहा है। वहां पर छोटे बाजार की शक्ल भी देखने को मिल रही है। रेहड़ी पर गर्म कपड़ों को बेचने वाले धीरज ने बताया कि वे दिल्ली में साप्ताहिक बाजारों में रेहड़ी- पटरी लगाकर अपने परिवार का पालन –पोषण करते है। अब यहां पर उन्होंने देखा कि किसानों को गर्म कपड़ों की जरूरत है। सो उन्होंने रेहड़ी लगा ली। किसान जग्गी और इन्दरजीत ने बताया कि सर्दी के मौसम से बचाव के लिये अगर यहां पर सामान व गर्म कपड़े मिल रहे है। तो ये खुशी की बात है।किसान हरप्रीत सिंह ने बताया कि सरकार की तानाशाही का नतीजा है कि किसानों को खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ रही है। उन्होंने किसानों की ओर से सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि अगर सरकार ने कृषि कानून को वापस नहीं लिया तो ये आंदोलन उग्र होता जायेगा।

चिंता बरकरार : खुदरा महंगाई गिरी, पर थोक कीमतों में उछाल

पिछलों दिनों जहां खुदरा महंगाई से लोग हलकान थे, तो अब थोक महंगाई ने आगे फिर से कीमतों में उछाल के संकेत दे दिए हैं।  खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी से खुदरा महंगाई नवंबर में गिरकर 6.93 फीसदी हो गई। अक्तूबर में यह 11 फीसदी पर थी। हालांकि, इस दौरान थोक कीमतों पर आधारित महंगाई बढ़कर नौ महीने के शीर्ष स्‍तर पर 1.55 फीसदी हो गई।
नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित खुदरा महंगाई घटकर 6.93% पर आ गई। हालांकि, यह आरबीआई के तय लक्ष्य से ज्यादा है। खाद्य कीमतें घटकर 9.43% पर आ गईं, जो अक्तूबर में 11% पर थीं। उधर, विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में तेजी से थोक महंगाई 1.55 फीसदी बढ़कर नौ महीने के शीर्ष पर पहुंच गई। अक्तूबर, 2020 में यह 1.48% और पिछले साल नवंबर में 0.58% रही थी।
सरकार ने केंद्रीय बैंक को 2% घट-बढ़ के साथ महंगाई दर को 4% पर रखने का लक्ष्य दिया है। महंगाई को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं किया था।

अमेरिका में नर्स को लगा पहला टीका, कनाडा में भी शुरुआत

अमेरिका में ब्रिटिश कंपनी फाइजर और बायोएनटेक की तैयार किये गए कोरोना का पहला टीका न्यूयॉर्क के क्वीन्स क्षेत्र में एक अस्पताल के आईसीयू में तैनात नर्स सांद्रा लिंड्से को लगाया गया। इसके साथ सैकड़ों केंद्रों पर टीका लगाने की शुरुआत की गई। वहीं,  कनाडा में भी सोमवार से ही टीके लगने की शुरुआत हो गई।
अमेरिका के इतिहास में कोरोना का टीकाकरण अब तक का सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है। अमेरिका में पहली खेप में वैक्सीन की 1,84,275 वॉयल की आपूर्ति मिशिगन प्लांट से हुई  है। सोमवार को देश के 50 राज्यों में वैक्सीन के 189 वॉयल की आपूर्ति हो जाएगी। इसके अलावा 3,90,000 वॉयल की आपूर्ति मंगलवार तक हो जाएगी। एक वॉयल में पांच खुराक हैं।
आईआईटी मद्रास में 100 से ज्यादा संक्रमित
देश में बंद चल रहे शिक्षण संस्थानों के खुलने के साथ ही वायरस ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास में विस्फोटक रूप ले लिया है। एक दिसंबर से 12 दिसंबर के बीच किये टेस्ट में करीब 100 छात्र और स्टाफ संक्रमित पाए गए हैं।  इसके बाद संस्थान में स्वास्थ्य महकमे सक्रिय हुआ।  आईआईटी मद्रास ने सफाई दी कि महामारी को देखते हुए नियमानुसार संस्थान
का संचालन हो रहा था। छात्रावासों में केवल 10 फीसदी छात्रों को रहने की इजाजत थी। फिलहाल कैम्पस को बंद कर दिया गया है। छात्रों का इलाज जारी है।