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आईएसआईएस षड्यंत्र केस में इंजीनियर को सात साल की कैद

दिल्ली की विशेष एनआईए अदालत ने आईएसआईएस षड्यंत्र मामले में चेन्नई के इंजीनियर मोहम्मद नासिर को सात वर्ष कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उस पर  40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये मुस्लिम युवाओं की भर्ती करने के भारत में आतंकी संगठन का बेस बनाने की साजिश के आरोप में 2015 में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी।

एनआईए के मुताबिक, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने बुधवार को आरोपी मोहम्मद नासिर को कई मामलों में दोषी करार दिया और सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। तीन जून को मामले में नासिर समेत 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। 15 दोषियों को अक्तूबर महीने में सजा सुनाई जा चुकी है। मोहम्मद नासिर के पास बीटेक आईटी की डिग्री है और हैकिंग करने में माहिर बताया जाता है। वह 2014 में दुबई में वेब डेवलपर और ग्राफिक डिजाइनर के तौर पर नौकरी कर चुका है। केंद्रीय एजेंसी की मानें तो यूट्यूब पर अंजेम चौधरी और अबु बारा के लेक्चरर सुनकर आईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित हुआ था। इसी को आगे बढ़ाने के लिए उसने भारत में भी पैठ बनाने के लिए प्रयास करने शुरू किए थे।

यूपी में प्रदर्शनकारी किसानों को थमाए 50-50 लाख के नोटिस, बाद में किया 50 हजार

यूपी के संभल में शांति भंग की आशंका के तहत किसान आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों को 50-50 लाख रुपये नोटिस भेजे गए। हालांकि बवाल मचने के बाद इसमें बदलाव करके संभल के उपजिला मजिस्ट्रेट ने छह किसानों को 50 हजार तक का मुचलका भरने के लिए नोटिस भेज दिए। बाद में इस नोटिस को संशोधित कर दिया गया है। एसडीएम दीपेंद्र यादव ने 50 लाख वाले नोटिस पर सफाई देते हुए इसे त्रुटि माना। इसके बाद बताया गया कि किसानों को बाद में संशोधित नोटिस भेजा गया है। इसके पीछे तर्क दिया गया कि किसानों को ‘उकसाने’ से रोकने के लिए एसडीएम की तरफ से यह नोटिस भेजा गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभल में 50 लाख रुपये का यह नोटिस 6 किसान नेताओं को जारी किया गया है, जिसमें से अधिकांश भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी हैं। ऐसे ही 6 अन्य को 5 लाख के बॉन्ड का नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस 12 और 13 दिसंबर को सीआरपीसी की धारा 111 के तहत जारी किया गया है।

इस नोटिस में कहा गया है कि ‘किसान गांव-गांव जाकर किसानों को भड़का रहे हैं और अफ़वाह फैला रहे हैं, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है। इसलिए क्यों न किसानों पर 1 साल तक शांति बनाए रखने के 50 लाख रूपए का मुचलका भरवाया जाए। नोटिस में लिखा है किसान, किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं जिससे क़ानून व्यवस्था भंग हो सकती है। ये कृषक किसान संगठनों के सदस्य हैं।

एसडीएम दीपेंद्र यादव ने वीरवार को कहा, हमें हयात नगर पुलिस थाने से रिपोर्ट मिली थी कि कुछ व्यक्ति किसानों को उकसा रहे हैं और इससे शांति भंग होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि थाना अध्यक्ष की रिपोर्ट में कहा गया था कि इनको 50-50 हजार रुपये के मुचलके से पाबंद किया गया।जिन छह किसानों को नोटिस दिया गया, उनमें भारतीय किसान यूनियन (असली) संभल के जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव के अलावा जयवीर सिंह, ब्रह्मचारी यादव, सतेंद्र यादव, रौदास और वीर सिंह शमिल हैं। हालांकि किसानों ने यह मुचलका भरने से इनकार कर दिया है। वे जेल जाने के लिए तैयार हैं, पर मुचलका नहीं भरेंगे। भाकियू (असली) के डिवीजन अध्यक्ष संजीव गांधी ने कहा कि इन किसानों या उनके परिवार में से किसी सदस्य ने इस बॉन्ड पर दस्तखत नहीं किए हैं। हम अपने अधिकारों के तहत शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, यह कोई अपराध नहीं है।

जब तक कृषि कानून बिल वापस नहीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा- राकेश टिकैत

अजीब बिडम्बना है, कि देश में सबको बचपन से पढ़ाया और रटाया जाता रहा है, कि भारत देश कृषि प्रधान है। किसान के बलबूते पर देश की अर्थ व्यवस्था टिकी हुई है, फिर भी आज देश का किसान अपने अधिकारों के खातिर इस कड़कड़ाती सर्दी में खुले आसमान में 23 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डटा हुआ है। सरकार की ओर से किसानों को अभी तक सकारात्मक जबाव ना मिलने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार जब तक कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती है। तब तक तो आंदोलन ये समाप्त नहीं होगा। चाहे तो सरकार उठा कर देख लें।

किसान नेता वीरेन्द्र सिंह वीरू ने बताया कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तामाम दावे करें कि कृषि कानून किसान के हित में है। लेकिन किसानों को सरकार के इस कानून पर भरोसा नहीं है। वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि आज पूंजीपति इस लिये गोदामों को बनवा रहे है। ताकि किसानों की सस्ती फसल को जमा (जमाखोरी) करके मंहगे दामों में बेंच सकें।उनका कहना है कि आने वाले दिनों में आंदोलन जरूर बड़ा और उग्र होगा। तब सरकार के रोकने से नहीं रूकेगा।

दिल्ली, राजस्थान में भूकंप के झटके

देश के कुछ हिस्सों में गुरुवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं। यह झटके राजधानी दिल्ली में भी महसूस किये गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 बताई गयी है। भूकंप का केंद्र राजस्थान का सीकर क्षेत्र बताया गया है।

भूकंप के झटके महसूस करते ही कई जगह लोग डरकर घरों से बाहर निकल आये। झटके दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस किये गए। नोएडा, गाजिअबाद और गुरुग्राम में भी झटके महसूस कर लोग घरों से बाहर निकल आये।
भूकंप का केंद्र राजस्थान का सीकर बताया गया है। यह झटके देर रात करीब 11.53 बजे आए। अभी तक किसी जान-माल के नुक्सान की खबर नहीं है। और विवरण का इन्तजार है।

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कमलनाथ सरकार गिराने में थी पीएम मोदी की अहम भूमिका, विवाद बढ़ा तो बोले ‘मजाक था’

अपने बयानों से विवाद पैदा करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को भाजपा को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है। विजयवर्गीय ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिराने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की  महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनके राजनीति में भूचाल लाने वाले इस ब्यान के बाद उनका वीडियो वायरल हो गया है और भाजपा रक्षात्मक दिख रही है। कांग्रेस ने भाजपा नेता के इस ब्यान के बाद पीएम मोदी से जवाब मांगा है। बाद में विवाद देख विजयवर्गीय ने सफाई दी कि ‘उन्होंने  यह बात मजाक में कही थी’।

कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। ऐसे में उनके ब्यान का महत्व समझा जा सकता है। हालांकि, उनके ब्यान के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। विजयवर्गीय ने यह ब्यान गुरुवार को इंदौर में आयोजित किसान सम्मेलन में बड़ा बयान देते हुए कहा कि ‘यह अंदर की बात है लेकिन आपको बता रहा हूँ। कमलनाथ की सरकार गिराने में प्रधान (एमपी भाजपा के नेता धर्मेंद्र प्रधान) नहीं, प्रधानमंत्री की भूमिका है’।

विजयवर्गीय के इस ब्यान के बाद कांग्रेस हमलावर हो गयी है और उसने पीएम मोदी से इसे लेकर जवाब मांगा है। उधर विजयवर्गीय के बयान के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसे लेकर भाजपा पर बड़ा हमला किया है। दिग्विजय  सिंह ने ट्वीट कर लिखा – ‘क्या मोदी जी अब बताएंगे कि मध्यप्रदेश सरकार गिराने में उनका हाथ था? क्या मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के लिए कोरोना के लॉकडाउन करने में विलंब किया? यह बहुत ही गंभीर आरोप हैं मोदी जी जवाब दें।’

वीडियो में साफ़ सुना जा रहा है कि विजयवर्गीय किसानों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं – ‘जब तक कमलनाथ की सरकार थी, उन्हें एक दिन भी चैन से नहीं सोने दिया। नरोत्तम मिश्रा कमलनाथ के सपने में भी आते थे। ये सारी बातें मैं पर्दे के पीछे की कर रहा हूं, आप किसी को बताना मत।’

इसके बाद विजयवर्गीय ने कहा – ‘मैंने आज तक ये बात किसी को नहीं बताई है। पहली बार मैं बता रहा हूं। कमलनाथ जी की सरकार गिराने में अगर किसी की महत्वपूर्ण भूमिका थी तो नरेंद्र मोदी जी की थी। धर्मेंद्र प्रधान जी की नहीं थी।’ जब विजयवर्गीय ने यह बात मंच पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी बैठे थे।

विजयवर्गीय के ब्यान पर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। हालांकि बाद में अपने ब्यान के खतरे को समझते हुए विजयवर्गीय ने सफाई दी और कहा ‘सम्मेलन में मौजूद लोगों को पता है कि यह विशुद्ध रूप से मजाक है। यह बात मैंने हल्के फुल्के मजाकिया लहजे में ही तो कही थी’। लेकिन विजयवर्गीय के इस ब्यान ने भाजपा को बहुत असहज कर दिया है।

दिग्विजय सिंह का ट्वीट –
digvijaya singh
@digvijaya_28
क्या मोदी जी अब बताएँगे कि मध्यप्रदेश सरकार गिराने में उनका हाथ था? क्या मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के लिए कोरोना के लॉकडाइन करने में विलंब किया? यह बहुत ही गंभीर आरोप हैं मोदी जी जवाब दें।

सभी पक्ष जानने के बाद ही कमेटी का गठन, ‘राइट टू प्रोटेस्ट’ के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई टल गई है। अदालत ने कहा कि वेकेशन बेंच के सामने सभी अपना पक्ष रखेंगे। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कमेटी का गठन किसानों का पक्ष जानने के बाद ही होगा, तब तक किसान आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के दौरान केंद्र से भी भरोसा मांगा है साथ ही उससे पूछा है  कि क्या बातचीत तक कानून होल्ड पर रख सकते हैं? अटार्नी जनरल ने कहा कि वो सरकार से इसपर निर्देश लेंगे। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वो किसानों के प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करती है और वो किसानों के ‘राइट टू प्रोटेस्ट’ के अधिकार में कटौती नहीं कर सकती है।

सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस ने कहा ‘हमें यह देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के अधिकारों का उल्लंघन भी न हो’। कोर्ट ने कहा कि ‘हम किसानों की दुर्दशा और उसके कारण सहानुभूति के साथ हैं लेकिन आपको इस बदलने के तरीके को बदलना होगा और आपको इसका हल निकालना होगा’।

अदालत में किसी किसान संगठन के न होने से कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वो किसानों से बात करके ही अपना फैसला सुनाएंगे।  आगे इस मामले की सुनवाई दूसरी बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट में सर्दियों की छुट्टी है, ऐसे में वैकेशन बेंच ही इसकी सुनवाई करेगी।

अदालत ने कहा कि कमेटी का गठन भी किसानों की बात सुनने के बाद ही किया जाएगा। अदालत ने कहा कि कमेटी में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों को बतौर सदस्य शामिल किया जा सकता है। कमेटी जो रिपोर्ट दे, उसे मानना चाहिए। तब तक प्रदर्शन जारी रख सकते हैं।

आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हम ‘राइट टू प्रोटेस्ट’ में कटौती नहीं कर सकते। किसानों को प्रदर्शन का हक है, लेकिन वो सड़क बंद नहीं कर सकते। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई टाल दी गई। अदालत में किसी किसान संगठन के न होने के कारण कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया और अब इस मामले की सुनवाई वेकेशन बेंच करेगी।

तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है। कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है।

सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायधीश ने कहा कि दिल्ली को ब्लॉक करने से यहां के लोग भूखे रह सकते हैं। आपका (किसानों) मकसद बात करके पूरा हो सकता है। सिर्फ विरोध प्रदर्शन पर बैठने से कोई फायदा नहीं होगा। कहा कि हम किसान संगठनों को सुन कर आदेश जारी करेंगे। वैकेशन बेंच में मामले की सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शनिवार को मामले की सुनवाई कर लें। सीजेआई का कहना है कि किसानों को बड़ी संख्या में दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, यह पुलिस का फैसला होगा, न अदालत का और न कि सरकार का जिसका आप विरोध कर रहे हैं।

राहुल गांधी को लद्दाख में चीन की आक्रमकता, सैनिकों को बेहतर उपकरण की मांग पर नहीं बोलने देने पर कांग्रेस नेता ने किया रक्षा समिति की बैठक से वाकआउट

रक्षा मामलों पर संसदीय समिति की बुधवार को हुई बैठक से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के अन्य सदस्य तब वाकआउट कर गए जब राहुल ने समिति के सामने  लद्दाख में चीन की आक्रमकता और सैनिकों को बेहतर उपकरण उपलब्ध कराने की मांग वाले मुद्दे उठाने चाहे। समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जुएल उरांव ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।

जानकारी के मुताबिक बैठक में उनकी बात नहीं सुने जाने के बाद राहुल गांधी यह कहकर बैठक से चले गए कि राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे की बजाय सशस्त्र बलों की वर्दी पर चर्चा में समय बर्बाद किया जा रहा है। पता चला है कि राहुल गांधी समिति के समक्ष लद्दाख में चीन की आक्रमकता और सैनिकों को बेहतर उपकरण उपलब्ध कराने से जुड़े मुद्दे उठाने चाहते थे। राहुल गांधी का कहना था कि वर्दी के संदर्भ में फैसला सेना से जुड़े लोग करेंगे और नेताओं को इसकी बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में मौजूद एक नेता ने जानकारी दी कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में समिति की बैठक में सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के लिए वर्दी के मुद्दे पर चर्चा की जा रही थी और राहुल ने कहा कि इस पर चर्चा करने के बजाय नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों और लद्दाख में तैनात सशस्त्र बलों को मजबूत करने के बारे में चर्चा करनी चाहिए।

हालांकि, समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जुएल उरांव ने कांग्रेस नेता को इसकी अनुमति नहीं दी। इसके विरोध में राहुल गांधी ने बैठक से बाहर जाने का फैसला किया। राहुल के साथ ही बैठक में शामिल कांग्रेस सांसद राजीव सातव और रेवंत रेड्डी भी उनके साथ बाहर चले गए। पता चला है कि राहुल गांधी का कहना था कि वर्दी के संदर्भ में फैसला सेना से जुड़े लोग करेंगे और नेताओं को इसकी बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।

किसानों के हक़ में बाबा राम सिंह की मौत पर राहुल गांधी की संवेदना, कहा सरकार क्रूरता की हदें पार कर चुकी

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह के खुद को गोली मार कर आत्महत्या करने के मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। बाबा राम सिंह की खुदकुशी पर गहरा  दुःख जताते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ‘मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।’ राहुल ने मोदी सरकार जिद्द छोड़ने और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लेने की मांग है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी बाबा की मौत पर गहरी संवेदना जाहिर की है। इस बीच किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों की पत्नियां और माएं भी सिंघु बार्डर में आंदोलन में शामिल हो गयी हैं।

संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को इंसानों के समर्थन और कृषि क़ानून वापस न लेने के विरोध में आत्महत्या कर ली थी जिससे हर तरफ क्षोभ है। शुरू से तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बाबा की मृत्यु पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए गुरुवार को एक ट्वीट कर कहा – ‘करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि। कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।’

रामसिंह करनाल के पास नानकसर गुरुद्वारा साहिब से थे और उन्होंने कथित सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें उन्होंने लिखा – ‘किसानों का दुख देखा, अपने हक लेने के लिए सड़कों पर हैं। दिल बहुत दुखी हुआ, सरकार न्याय नहीं दे रही,  जुल्म है,  जुल्म करना पाप है,  जुल्म  सहना भी पाप है। किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ किया… कईयों ने सम्मान वापस किए, पुरस्कार वापस करके रोष जताया…..यह जुल्म के खिलाफ आवाज है और मजदूर किसान के हक में आवाज है।’

इस बीच आज सुबह बठिंडा के एक किसान जय सिंह की आंदोलन के दौरान मौत हो गयी। उसकी तीन छोटे बच्चे बताये गए हैं। कुंडली बार्डर पर ड्रेन से गिरकर बुधवार को भी एक किसान की जान चली गयी थी। अब तक विभिन्न कारणों से वहां 18 किसानों की जान जा चुकी है। उधर किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों की पत्नियां और माएं भी सिंघु बार्डर में आंदोलन में शामिल हो गयी हैं। इनमें कुछ अपने बच्चों को भी साथ लाई हैं।

उधर बुधवार को आत्महत्या करने वाले बाबा राम सिंह के पार्थिव शरीर का रात को ही करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम किया गया। पार्थिव देह  को सिंघडा के फेमस  नानकसर गुरुद्वारे में दर्शन के लिए रखा गया है। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम के दौरान हजारों की संख्या में सिख संगत पहुंची। इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर समेत अन्य नेताओं ने बाबा की मौत पर दुख जताया है।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि। कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।

ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो!

ब्रिटेन में नए रूप के कोरोना का कहर, आज से तीन शहरों में सख्त लॉकडाउन

दुनिया में सबसे पहले ब्रिटेन में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बावजूद कोरोना वायरस से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने चेतावनी दी है कि देश में कोरोना वायरस का नया रूप तेजी से फैल रहा है। इसके नए प्रकार ने अब तक 1000 से अधिक लोगों को बीमार किया है।
संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए लंदन समेत दक्षिणपूर्व तीन शहरों में रहने वाले एक करोड़ लोगों पर आज रात से अब तक का सबसे सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। हैनकॉक ने बताया कि देश में कोरोना वायरस के एक नए प्रकार सार्सकोव-2 की पहचान की गई है। यह ब्रिटेन के दक्षिण पूर्व इलाकों में तेजी से फैल रहा है।
वायरस के नए रूप का पहला मामला पिछले सप्ताह केंट इलाके में सामने आया था। फिलहाल विशेषज्ञ यह नहीं बता सके हैं कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार पर देश में चल रहे टीकाकरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं।
…तो टीके में नहीं करना होगा बदलाव
ब्रिटेन ने इस नए स्ट्रेन के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को जानकारी दे दी है। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के वरिष्ठ डॉ. भारत पंखानिया कहते हैं  की वे आश्वस्त हैं कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार की वजह से अपनी वैक्सीन में कोई बदलाव नहीं करना पड़ेगा। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें बदलाव करने की ज़रूरत पैड सकती है।

किसान आंदोलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और पंजाब-हरियाणा की सरकारों को नोटिस जारी

मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे लाखों किसानों का आंदोलन बुद्धवार को 21वें दिन भी जारी है। इस बीच आज सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि इस मामले पर एक कमेटी गठित की जाएगी, जो मामले को सुलझाएगी क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दा सहमति से सुलझना जरूरी है।  अब इस मामले पर 17 दिसंबर (कल) सुनवाई होगी।

इस मामले पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सर्वोच्च अदालत की प्रधान न्यायाधीश (सीजीए) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। बता दें क़ानून के छात्र  ऋषभ शर्मा ने एक अर्जी लगाकर कहा है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है।

चीफ जस्टिस ने अदालत में कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस दलील नहीं है। ऐसे में रास्ते किसने बंद किए हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं। इस पर प्रधान न्यायाधीश  ने कहा कि जमीन पर मौजूद आप ही मेन पार्टी हैं। अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ।

अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है। अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें।

आज सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं। जिस पर उनके वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग मामले में कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहियें। बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर प्रधान न्यायाधीश ने वकील को टोका और कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था ? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है।

प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है। प्रधान न्यायाधीश ने पूछा – ‘आप बताइए कौन की किसान एसोसिएशन ने रास्ता रोका है ?’ इस पर याचिकाकर्ता ने जानकारी नहीं होने की बात कही। इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने किसानों को दिल्ली बॉर्डर से हटाने की अर्जी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता ने अर्जी में यह भी कहा है कि किसान आंदोलन के प्रदर्शन वाली जगहों पर आपसी दूरी नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है। याचिका में कहा गया है कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाकर सरकार की तरफ से आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए और उन्हें कोरोना इ जुड़े दिशा निर्देशों का भी पालन करना चाहिए।