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राहुल गांधी को लद्दाख में चीन की आक्रमकता, सैनिकों को बेहतर उपकरण की मांग पर नहीं बोलने देने पर कांग्रेस नेता ने किया रक्षा समिति की बैठक से वाकआउट

रक्षा मामलों पर संसदीय समिति की बुधवार को हुई बैठक से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के अन्य सदस्य तब वाकआउट कर गए जब राहुल ने समिति के सामने  लद्दाख में चीन की आक्रमकता और सैनिकों को बेहतर उपकरण उपलब्ध कराने की मांग वाले मुद्दे उठाने चाहे। समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जुएल उरांव ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।

जानकारी के मुताबिक बैठक में उनकी बात नहीं सुने जाने के बाद राहुल गांधी यह कहकर बैठक से चले गए कि राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे की बजाय सशस्त्र बलों की वर्दी पर चर्चा में समय बर्बाद किया जा रहा है। पता चला है कि राहुल गांधी समिति के समक्ष लद्दाख में चीन की आक्रमकता और सैनिकों को बेहतर उपकरण उपलब्ध कराने से जुड़े मुद्दे उठाने चाहते थे। राहुल गांधी का कहना था कि वर्दी के संदर्भ में फैसला सेना से जुड़े लोग करेंगे और नेताओं को इसकी बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में मौजूद एक नेता ने जानकारी दी कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में समिति की बैठक में सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के लिए वर्दी के मुद्दे पर चर्चा की जा रही थी और राहुल ने कहा कि इस पर चर्चा करने के बजाय नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों और लद्दाख में तैनात सशस्त्र बलों को मजबूत करने के बारे में चर्चा करनी चाहिए।

हालांकि, समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जुएल उरांव ने कांग्रेस नेता को इसकी अनुमति नहीं दी। इसके विरोध में राहुल गांधी ने बैठक से बाहर जाने का फैसला किया। राहुल के साथ ही बैठक में शामिल कांग्रेस सांसद राजीव सातव और रेवंत रेड्डी भी उनके साथ बाहर चले गए। पता चला है कि राहुल गांधी का कहना था कि वर्दी के संदर्भ में फैसला सेना से जुड़े लोग करेंगे और नेताओं को इसकी बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।

किसानों के हक़ में बाबा राम सिंह की मौत पर राहुल गांधी की संवेदना, कहा सरकार क्रूरता की हदें पार कर चुकी

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह के खुद को गोली मार कर आत्महत्या करने के मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। बाबा राम सिंह की खुदकुशी पर गहरा  दुःख जताते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ‘मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।’ राहुल ने मोदी सरकार जिद्द छोड़ने और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लेने की मांग है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी बाबा की मौत पर गहरी संवेदना जाहिर की है। इस बीच किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों की पत्नियां और माएं भी सिंघु बार्डर में आंदोलन में शामिल हो गयी हैं।

संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को इंसानों के समर्थन और कृषि क़ानून वापस न लेने के विरोध में आत्महत्या कर ली थी जिससे हर तरफ क्षोभ है। शुरू से तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बाबा की मृत्यु पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए गुरुवार को एक ट्वीट कर कहा – ‘करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि। कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।’

रामसिंह करनाल के पास नानकसर गुरुद्वारा साहिब से थे और उन्होंने कथित सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें उन्होंने लिखा – ‘किसानों का दुख देखा, अपने हक लेने के लिए सड़कों पर हैं। दिल बहुत दुखी हुआ, सरकार न्याय नहीं दे रही,  जुल्म है,  जुल्म करना पाप है,  जुल्म  सहना भी पाप है। किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ किया… कईयों ने सम्मान वापस किए, पुरस्कार वापस करके रोष जताया…..यह जुल्म के खिलाफ आवाज है और मजदूर किसान के हक में आवाज है।’

इस बीच आज सुबह बठिंडा के एक किसान जय सिंह की आंदोलन के दौरान मौत हो गयी। उसकी तीन छोटे बच्चे बताये गए हैं। कुंडली बार्डर पर ड्रेन से गिरकर बुधवार को भी एक किसान की जान चली गयी थी। अब तक विभिन्न कारणों से वहां 18 किसानों की जान जा चुकी है। उधर किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों की पत्नियां और माएं भी सिंघु बार्डर में आंदोलन में शामिल हो गयी हैं। इनमें कुछ अपने बच्चों को भी साथ लाई हैं।

उधर बुधवार को आत्महत्या करने वाले बाबा राम सिंह के पार्थिव शरीर का रात को ही करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम किया गया। पार्थिव देह  को सिंघडा के फेमस  नानकसर गुरुद्वारे में दर्शन के लिए रखा गया है। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम के दौरान हजारों की संख्या में सिख संगत पहुंची। इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर समेत अन्य नेताओं ने बाबा की मौत पर दुख जताया है।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि। कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।

ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो!

ब्रिटेन में नए रूप के कोरोना का कहर, आज से तीन शहरों में सख्त लॉकडाउन

दुनिया में सबसे पहले ब्रिटेन में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बावजूद कोरोना वायरस से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने चेतावनी दी है कि देश में कोरोना वायरस का नया रूप तेजी से फैल रहा है। इसके नए प्रकार ने अब तक 1000 से अधिक लोगों को बीमार किया है।
संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए लंदन समेत दक्षिणपूर्व तीन शहरों में रहने वाले एक करोड़ लोगों पर आज रात से अब तक का सबसे सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। हैनकॉक ने बताया कि देश में कोरोना वायरस के एक नए प्रकार सार्सकोव-2 की पहचान की गई है। यह ब्रिटेन के दक्षिण पूर्व इलाकों में तेजी से फैल रहा है।
वायरस के नए रूप का पहला मामला पिछले सप्ताह केंट इलाके में सामने आया था। फिलहाल विशेषज्ञ यह नहीं बता सके हैं कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार पर देश में चल रहे टीकाकरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं।
…तो टीके में नहीं करना होगा बदलाव
ब्रिटेन ने इस नए स्ट्रेन के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को जानकारी दे दी है। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के वरिष्ठ डॉ. भारत पंखानिया कहते हैं  की वे आश्वस्त हैं कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार की वजह से अपनी वैक्सीन में कोई बदलाव नहीं करना पड़ेगा। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें बदलाव करने की ज़रूरत पैड सकती है।

किसान आंदोलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और पंजाब-हरियाणा की सरकारों को नोटिस जारी

मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे लाखों किसानों का आंदोलन बुद्धवार को 21वें दिन भी जारी है। इस बीच आज सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि इस मामले पर एक कमेटी गठित की जाएगी, जो मामले को सुलझाएगी क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दा सहमति से सुलझना जरूरी है।  अब इस मामले पर 17 दिसंबर (कल) सुनवाई होगी।

इस मामले पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सर्वोच्च अदालत की प्रधान न्यायाधीश (सीजीए) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। बता दें क़ानून के छात्र  ऋषभ शर्मा ने एक अर्जी लगाकर कहा है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है।

चीफ जस्टिस ने अदालत में कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस दलील नहीं है। ऐसे में रास्ते किसने बंद किए हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं। इस पर प्रधान न्यायाधीश  ने कहा कि जमीन पर मौजूद आप ही मेन पार्टी हैं। अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ।

अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है। अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें।

आज सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं। जिस पर उनके वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग मामले में कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहियें। बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर प्रधान न्यायाधीश ने वकील को टोका और कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था ? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है।

प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है। प्रधान न्यायाधीश ने पूछा – ‘आप बताइए कौन की किसान एसोसिएशन ने रास्ता रोका है ?’ इस पर याचिकाकर्ता ने जानकारी नहीं होने की बात कही। इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने किसानों को दिल्ली बॉर्डर से हटाने की अर्जी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता ने अर्जी में यह भी कहा है कि किसान आंदोलन के प्रदर्शन वाली जगहों पर आपसी दूरी नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है। याचिका में कहा गया है कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाकर सरकार की तरफ से आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए और उन्हें कोरोना इ जुड़े दिशा निर्देशों का भी पालन करना चाहिए।

राहुल गांधी ने 1971 के शहीदों को याद कर कहा – ‘उस समय पड़ोसी भारतीय पीएम का लोहा मानते थे और भारत की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 1971 के भारत-पाक युद्ध की 50वीं सालगिरह पर देश के सैनिकों को नमन किया है और युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। आज के ही दिन उनकी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत की जांबाज सेना ने पाकिस्तान को करारी मात दी थी। राहुल ने इस मौके पर एक ट्वीट में कहा कि ‘उस समय पड़ोसी देश भारतीय प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और भारत की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे।’

पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ पर राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा – ‘सन् ‘71 में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के उत्सव पर देशवासियों को शुभकामनाएं और सेना के शौर्य को नमन। उस समय पड़ोसी देश भारतीय प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और भारत की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे।’

याद रहे उस युद्ध के समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं। देश में 16 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तान के खिलाफ आज के ही दिन भारत को 1971 के युद्ध में बड़ी जीत मिली थी और पाकिस्तान के 90,000 सैनिकों ने भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध में  भारत की जीत के फलस्वरूप ही बांग्लादेश एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में आया था।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
सन् ‘71 में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के उत्सव पर देशवासियों को शुभकामनाएँ और सेना के शौर्य को नमन। ये उस समय की बात है जब भारत के पड़ोसी देश भारत के प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और हमारे देश की सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे !
#VijayDiwas

भारत-पाक युद्ध की 50वीं सालगिरह पर पीएम ने अमर ज्योति से स्‍वर्णिम विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कीं, देश के विभिन्न हिस्सों में भेजी जाएंगी

आज 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं सालगिरह है। लोह महिला के नाम से जाने वालीं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में तब भारत की वीर सेना ने पाकिस्तान के दांत खट्टे करते हुए उसके दो टुकड़े कर दिए थे और बांग्लादेश का जन्म हुआ था। इस युद्ध की 50वीं सालगिरह पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति से स्‍वर्णिम विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रवाना किया।

आज के इस दिन को देश भर में ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ सिविल और सैन्य अधिकारी भी इस मौके पर उपस्थित रहे।

पीएम मोदी ने इस मौके पर पुष्पचक्र समर्पित कर 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और आगंतुक पुस्तिका में अपने विचार भी व्यक्त किए। मोदी ने राष्‍ट्रीय समर स्‍मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्‍योति से चार विजय मशालें प्रज्‍ज्वलित कीं और उन्‍हें 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्‍न भागों के लिए रवाना किया।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा – ‘विजय दिवस के मौके पर हम अपने सशस्त्र बलों के अदम्य साहस को याद करते हैं, जिसके फलस्वरूप 1971 के युद्ध में अपने देश को निर्णायक विजय हासिल हुई। इस विशेष दिन पर मुझे राष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्जवलित करने का सम्मान मिला।’

याद रहे 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश के वीर सैनिकों ने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे। करीब 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। अमेरिका के भारी दबाव की भी इंदिरा गांधी ने परवाह नहीं की और देश के हिसाब से चीजें कीं।  साथ ही रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण तुरतुक को भी पकिस्तान के कब्जे से छुड़वाकर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में भारत की बढ़त बनवा दी।

छल,बल और दल से किसानों के आंदोलन और संगठन को तोड़ा जा रहा है: किसान

किसानों का कहना है, कि सरकार तमाम दावे करें, कि  नये कृषि कानून किसान के हित में है। लेकिन किसानों को नये कानून में किसान विरोधी साजिश दिखती है। किसानों ने नोएड़ा में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान तहलका संवाददाता को बताया। किसान जोगेद्र सिंह और जगतनारायण ने बताया कि सरकार छल ,बल और दल के दम पर किसानों के आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। लेकिन किसानों का आंदोलन कम होने के बजाय बढ़ेगा।

जगतनारायण का कहना है कि ना जाने क्यों, क्या ऐसी जरूरत सरकार को पड़ी, कि कृषि कानून को थोप कर किसानों को दबाया और धमकाया जा रहा है।उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान किसानों की मौत हो रही है। और सरकार सो रही है। किसान आत्म हत्या कर रहे है। तो भी सरकार कोई ध्यान नहीं देती है। लेकिन पूंजी पतियों को कैसे लाभ मिले और किसानों की जमीन को कैसे पूंजी पतियों को सौपीं जाये । उस पर सरकार तुरन्त कानून बनाती है। लेकिन किसानों की सुनवाई के लिये कोई समय नहीं है। बल्कि किसानों के संगठन को तोड़ा जा रहा है। जगतनारायण ने बताया कि किसानों के संगठन को तोड़ा जा सकता है, लेकिन किसानों को नहीं । इसलिये किसान आंदोलन करते रहेगे। वो भी तब तक जबतक कानून वापस नहीं हो जाता है।

प्रणब मुखर्जी के पूर्व सांसद बेटे ने पिता की पुस्तक ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ का प्रकाशन रोकने को कहा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को अपने दिवंगत पिता की पुस्तक ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ किताब के प्रकाशन को रोकने के लिए कहा है। खुद अभिजीत ने एक ट्वीट में इसकी जानकारी दी है। दिवंगत राष्ट्रपति के बेटे ने कहा कि हाल में पुस्तक की प्रोमोशन के लिए जारी किये गए अंश ‘मोटिवेटिड’ थे और कि उनके पिता ने इनके लिए मंजूरी नहीं दी होगी।

अभिजीत ने बताया कि उन्होंने पुस्तक के प्रकाशक ग्रुप रूपा बुक्स से इसके प्रकाशन को रोकने के लिए कहा है। अभिजीत मुखर्जी ने पिता के संस्मरण ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ के प्रकाशन को लेकर आपत्ति जताई और इसपर कुछ वक्त के लिए रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने पब्लिकेशन हाउस को टैग कर एक साथ कई ट्वीट करके इस किताब को पहले पढ़ने का आग्रह किया और फिर ही इसे प्रकाशित किए जाने की मांग की।

एक अन्य ट्वीट में अभिजीत ने लिखा – ‘उनका पुत्र होने के नाते मैं आपसे मेरी लिखित अनुमति के बिना इसका प्रकाशन तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं, जब तक मैं इसकी सामग्री को पढ़ न लूं। इस संदर्भ में मैंने एक विस्तृत पत्र आपको प्रेषित किया है, जो जल्द ही आपको मिल जाएगा। सादर – अभिजीत मुखर्जी’। बता दें हाल में इस पुस्तक के कुछ अंश जारी किये गए थे जिसमें कहा गया है कि ‘सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह 2014 में कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेवार थे’।

ट्वीट में अभिजीत ने लिखा कि ‘संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए, और उन हिस्सों का भी, जो पहल ही चुनिंदा मीडिया प्लेटफॉर्मों पर मेरी लिखित अनुमति के बिना चल रहे हैं। चूंकि मेरे पिता अब नहीं रहे हैं, मैं उनका पुत्र होने के नाते पुस्तक के प्रकाशन से पहले उसकी फाइनल प्रति की सामग्री को पढ़ना चाहता हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि यदि मेरे पिता जीवित होते, तो उन्होंने भी यही किया होता।’

मुखर्जी के संस्मरणों की यह पुस्तक जनवरी, 2021 में प्रकाशित होने की बात कही गयी है। कांग्रेस ने हाल में जारी किये गए पुस्तक के अंशों पर बिना पढ़े कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया था। अभिजीत ने अब आज अपने ट्वीट में प्रकाशक कपीश मेहरा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आपसे अनुरोध है कि जब तक मैं इसकी सामग्री को मंजूरी न दूं और लिखित में अपनी सहमति न दूं तब तक आप इसका प्रकाशन रोक दीजिए।’

प्रणब मुखर्जी के बेटे का एक ट्वीट –
Abhijit Mukherjee
@ABHIJIT_LS
Since my father is no more , I being his son want to go through the contents of the final copy of the book before it’s publication as I believe , had my father been alive today , he too would have done the same.

अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज ने कहा, बाइडन को 306 और ट्रम्प को 232 वोट मिले हैं राष्ट्रपति के चुनाव में

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हार स्वीकार नहीं करने के बावजूद अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज ने सोमवार की गिनती के बाद आधिकारिक रूप से घोषित किया कि राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट जो बाइडन को 306 जबकि रिपब्लिकन ट्रम्प को 232 वोट मिले हैं। इस तरह बाइडन अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। बाइडन की जीत की औपचारिक घोषणा 6 जनवरी को सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स मिलकर अंतिम गिनती के बाद करेंगे।

बता दें कुल 538 इलेक्टोरल वोट में से बहुमत के लिए 270 इलेक्टर्स का समर्थन आवश्यक होता है। वैसे बाइडन की जीत की औपचारिक घोषणा 6 जनवरी को सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स मिलकर करेंगे। अब जीत की पुष्टि होने के बाद बाइडन ने कहा है – ‘मैं हर अमेरिकी का राष्ट्रपति बनूंगा।’

अब 6 जनवरी को दोपहर एक बजे (अमेरिकी समय) अमेरिकी संसद के दोनों सदनों की बैठक में बाकायदा इलेक्टोरल कॉलेज के वोट गिने जाएंगे। वैसे सोमवार की गिनती से साफ़ हो गया है कि बाइडन ने बहुमत से कहीं ज्यादा 306 वोट हासिल किये हैं जबकि उनके प्रतिद्वंदी राष्ट्रपति ट्रंप को 232 वोट हासिल हुए हैं।

जीत की घोषणा के बाद बाइडन ने ट्रंप की नीतियों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि  ‘ हम हालात बदलेंगे। अब बंटवारे का खेल नहीं चलने वाला।’ अब बाइडन का राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण (इनॉगरेशन डे)  20 जनवरी को होगा। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप शायद शपथ समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे। ट्रंप ने अभी तक बाइडन को जीत की उपचारिक बधाई तक नहीं दी है।

इस बीच अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बार के अगले हफ्ते पद छोड़ने की भी खबर वहां के मीडिया में आई है। ट्रंप ने भी इसकी पुष्टि की है। चुनाव के बाद हुई गिनती में साफ़ हुआ था कि बाइडन ने हर बड़े राज्य में जीत हासिल की थी। उन्हें करीब आठ करोड़ पॉपुलर वोट मिले। अमेरिका के सबसे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज वोट वाले राज्य कैलिफोर्निया के सभी 55 वोट बाइडन को मिले, जिससे उनकी जीत का अंतर काफी बड़ा हो गया।

इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं, बजट सत्र होगा जनवरी में

किसान आंदोलन के बीच सरकार ने मंगलवार को जानकारी दी कि इस बार कोरोना के चलते संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जाएगा। हाल में कांग्रेस ने किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए सत्र बुलाने की मांग की थी। बजट सत्र जनवरी में होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को एक चिट्ठी में यह जानकारी दी है। चिट्ठी में उन्हें सूचित किया गया है कि कोरोना महामारी के चलते इस बार शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जा सकता है। बता दें चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को कुछ दिन पहले चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि संसद का शीतकालीन सत्र, भले ही कुछ दिन के लिए, बुलाया जाए क्योंकि किसान आंदोलन सहित कुछ महत्वपूर्व मुद्दों पर चर्चा बहुत जरूरी है।

हालांकि, अब उन्हें संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने चिट्ठी लिखकर सूचित किया है कि महामारी के चलते शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जा सकता है। अगले साल जनवरी में सीधे बजट सत्र का आयोजन होगा। केंद्र सरकार का दावा है कि शीतकालीन सत्र न करने के लिए कई दलों के फ्लोर नेता सहमत हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चिट्ठी में जोशी ने लिखा कि कोरोना के चलते ही मानसून सत्र विलंब से सितंबर में शुरू हुआ था और इसमें बहुत ज्यादा एहितियात बरतने पड़े थे। चिट्ठी के मुताबिक संक्रमण के बढ़ते मामलों से स्थिति गंभीर हुई है और दिल्ली में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।

उधर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि उन्होंने शीत सत्र को आयोजित करने का सुझाव दिया था। चौधरी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार संसद में किसान विरोध जैसे मुद्दे पर प्रश्नों से भागने की कोशिश कर रही है।