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टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी शाह की रैली में दलबदल कर भाजपा में शामिल, जीतेंद्र तिवारी ने ममता से माफी मांगते हुए पार्टी में बने रहने का ऐलान किया

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने दूसरी पार्टियों से नेताओं को तोड़ने की शुरुआत कर दी है। शनिवार को सत्ताधारी टीएमसी के बड़े नेता शुभेंदु अधिकारी समेत कई नेता दलबदल करके गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह की सभा में भाजपा में चले गए। उधर टीएमसी से बाहर गए वरिष्ठ नेता जीतेंद्र तिवारी ने ममता बनर्जी से माफी मांगते हुए पार्टी में बने रहने का ऐलान किया है।

शाह की यह रैली मिदनापुर में थी। इसमें टीएमसी, कांग्रेस और माकपा के कई नेता भाजपा में शामिल हुए। पिछले काफी दिनों से यह कयास लग रहे थे कि शुभेंदु दलबदल कर सकते हैं और टीएमसी छोड़ने के बाद उनके भाजपा के साथ जाने की अटकले थीं और आज सही साबित हुईं। शुभेंदु के अलावा पूर्वी बर्द्धमान से टीएमसी सांसद सुनील मंडल भी दलबदल कर टीएमसी से भाजपा में चले गए।

रैली में अमित शाह ने कहा कि आज पश्चिम बंगाल में एक सांसद, नौ एमएलए, एक पूर्व मंत्री, एक एमओएस, 15 काउंसलर, 45 चेयरमैन और जिला पंचायत के दो अध्यक्ष भाजपा में शामिल हुए हैं। विधायकों में शुभेंदु अधिकारी, तापसी मंडल, अशोक डिंडा, सुदीप मुखर्जी, सैकत पंजा, शीलभद्र दत्ता, दीपाली बिस्वास, शुक्र मुंडा, श्यामपदा मुखर्जी, विश्वजीत कुंडू और बंसारी मैती शामिल हैं। पूर्व सांसद दशरथ टिर्के भी भाजपा में शामिल हुए। शुभेंदु ने मंच पर शाह के पाँव छूकर उनका आशीर्वाद लिया।

इस बीच वरिष्ठ टीएमसी नेता जीतेंद्र तिवारी ने शनिवार को ममता बनर्जी से मांफी मांगते हुए पार्टी में ही बने रहने का ऐलान किया। पहले चर्चा थी कि वो भी शाह के कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।

देश में कोरोना के मरीज एक करोड़ पार, अगस्त तक 30 करोड़ को लगेगा टीका

भारत में कोरोना मरीजों का आंकड़ा शनिवार को एक करोड़ के पार हो गया है। इस मामले में हम दुनिया के 220 देशों में जारी करने वाले कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर हैं। अमेरिका में एक करोड़ का आंकड़ा सबसे पहले 290 दिनों में पहुंच गया था। जबकि भारत में इस आंकड़े तक पहुंचेन में 324 दिन लगे हैं। देश में शनिवार को कुल मरीज 1,00,04,599 हो। इसी साल केरल में 30 जनवरी को पहला मरीज मिला था।

अपेन देश में सक्रिय मरीजों की संख्या अब 3.05 लाख रह गई है। इनका अस्पताल में या फिर होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है। बाकी 95.41% संक्रमित अब ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.45% मरीजों की संक्रमण के चलते जान जा चुकी है। दुनिया में सक्रिय मरीजों की संख्या 2 करोड़ है। सबसे ज्यादा 60 लाख अमेरिका, इसके बाद 21 लाख फ्रांस, 7 लाख ब्राजील, 6.67 लाख इटली, 5.51 लाख बेल्जियम, 5.09 लाख रूस, 3.68 लाख यूक्रेन, 3.35 लाख जर्मनी में हैं।

ठीक होने वो मरीजों में भारत दुनिया के शीर्ष पांच संक्रमित देशों में पहले नंबर पर है। यहां अब तक 95.41% लोग ठीक हो चुके हैं। ब्राजील में 87%, रूस में 79.6%, अमेरिका में 58.4% संक्रमित बीमारी को मात दे चुके हैं। सबसे खराब स्थिति फ्रांस की है, जहां अब तक केवल 7.5% मरीज ही ठीक हुए हैं।

अगस्त तक 13 हजार करोड़ रुपये में 30 करोड़ लोगों को टीका

कोरोना को मात देने के लए देश में जनवरी से वैक्सीनेशन की शुरुआत हो सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय संकेत दु चुका है कि अगले कुछ हफ्ते में कुछ वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए अनुति मिल सकती है। दो कंपनियां पहले ही इसके लिए आवेदन कर चुकी हैं। छह और वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के एडवांस स्टेज में हैं। वहीं, वित्त मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक, अगस्त तक 30 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन पर केंद्र सरकार 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। पहले फेज का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। बिहार और केरल सरकार पहले ही कह चुके हैं कि वे अपने राज्यों में लोगों के टीके का खर्च खुद उठाएंगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता एम जी वैद्य का निधन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता और पत्रकार एम जी वैद्य का निधन हो गया है। उन्होंने 97 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। नागपुर के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था ।केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसके बारे में ट्वीट कर जानकारी दी। वैद्य अपने पीछे पत्नी सुनंदा, तीन बेटियों और पांच बेटें छोड़ गय हैं। एम.जी. वैद्य की शवयात्रा रविवार 20 दिसंबर को सुबह 9.30 बजे रवाना होगी। अंबाजारी घाट पर उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

वैद्य ने 1966 पत्रकारिता शुरू की थी। उन्होंने कई महत्वपूर्ण,संवेदन विषयों पर कई उत्कृष्ट लेख, संपादकीय और टिप्पणियां लिखी हैं, उन्हें पत्रकारिता और सामाजिक सेवा क्षेत्र में कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

उन्होंने सुगम संघ नामक एक हिंदी किताब भी लिखी थी, जिसमें, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में जानकारी है । केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्विटर पर वैद्य को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक, वरिष्ठ संपादक और विचारक एम जी बाबूराव वैद्य को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। बाबूराव सौभाग्यशाली थे कि उन्होंने पूज्य गुरुजी और सभी सरसंघचालकों के साथ काम करने और उन्हें करीब से देखने का मौका मिला।’

हाथरस गैंगरेप और मर्डर मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने दाखिल की अदालत में चार्जशीट

बहुत उलझनों और कई अप्रासंगिक बातों के बाद आखिर उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती से गैंगरेप और उसकी हत्या के मामले में सीबीआई ने शुक्रवार चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। हाथरस का मामला सुर्ख़ियों में रहा है और जब आधी रात को उत्तर प्रदेश पुलिस ने लड़की के शव को बिना परिजनों की मंजूरी के जला दिया था तो देश भर में गुस्सा पैदा हो गया था। इस मामले की घटनाओं के चलते योगी आदित्यनाथ सरकार को खूब फजीहत झेलनी पड़ी थी और उसकी देश भर में आलोचना हुई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक आज आरोपियों के वकील ने अदालत के बाहर मीडिया के लोगों को बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने संदीप, लवकुश, रवि और रामू के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप लगाए हैं। हाथरस में स्थानीय अदालत ने इसका संज्ञान लिया है।

आरोप है कि हाथरस में इस दलित युवती से अगड़ी जाति के चार लोगों ने 14 सितंबर को बलात्कार किया था और उसके बाद उसकी निर्दयता से पिटाई भी की गयी थी। बहुत गंभीर हालत में पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था लेकिन 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। परिजनों ने आरोप लगाया था कि बिना उन्हें बताये यूपी पुलिस उसके शव को हाथरस ले गयी थी। बाद में आधी रात को बिना परिजनों को बताये गाँव में उसके शव को मिट्टी का तेल डालकर जला दिया गया।

मामला बढ़ने पर और देश भर में इस घटना से गुस्सा फैलने के बाद पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि अंत्येष्टि परिवार की इच्छा के अनुसार की गई। सीबीआई ने हाल ही में इस मामले के आरोपियों संदीप, लवकुश, रवि और रामू की गुजरात के गांधीनगर स्थित प्रयोगशाला (लैबोरेट्री) में आरोपियों की फोरेंसिक जांच भी की थी। यह सभी इस समय न्यायिक हिरासत में हैं।

यही मामला है जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी को हाथरस जाते हुए यूपी पुलिस की ज्यादती का शिकार होना पड़ा था। राहुल को जहां पुलिस ने धक्का देकर गिरा दिया था वहीं प्रियंका की कॉलर पकड़े पुलिस कर्मी का वीडियो वायरल हो गया था। जिसके बाद यूपी पुलिस को व्यापक स्तर पर निंदा का सामना करना पड़ा था।

आईएसआईएस षड्यंत्र केस में इंजीनियर को सात साल की कैद

दिल्ली की विशेष एनआईए अदालत ने आईएसआईएस षड्यंत्र मामले में चेन्नई के इंजीनियर मोहम्मद नासिर को सात वर्ष कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उस पर  40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये मुस्लिम युवाओं की भर्ती करने के भारत में आतंकी संगठन का बेस बनाने की साजिश के आरोप में 2015 में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी।

एनआईए के मुताबिक, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने बुधवार को आरोपी मोहम्मद नासिर को कई मामलों में दोषी करार दिया और सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। तीन जून को मामले में नासिर समेत 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। 15 दोषियों को अक्तूबर महीने में सजा सुनाई जा चुकी है। मोहम्मद नासिर के पास बीटेक आईटी की डिग्री है और हैकिंग करने में माहिर बताया जाता है। वह 2014 में दुबई में वेब डेवलपर और ग्राफिक डिजाइनर के तौर पर नौकरी कर चुका है। केंद्रीय एजेंसी की मानें तो यूट्यूब पर अंजेम चौधरी और अबु बारा के लेक्चरर सुनकर आईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित हुआ था। इसी को आगे बढ़ाने के लिए उसने भारत में भी पैठ बनाने के लिए प्रयास करने शुरू किए थे।

यूपी में प्रदर्शनकारी किसानों को थमाए 50-50 लाख के नोटिस, बाद में किया 50 हजार

यूपी के संभल में शांति भंग की आशंका के तहत किसान आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों को 50-50 लाख रुपये नोटिस भेजे गए। हालांकि बवाल मचने के बाद इसमें बदलाव करके संभल के उपजिला मजिस्ट्रेट ने छह किसानों को 50 हजार तक का मुचलका भरने के लिए नोटिस भेज दिए। बाद में इस नोटिस को संशोधित कर दिया गया है। एसडीएम दीपेंद्र यादव ने 50 लाख वाले नोटिस पर सफाई देते हुए इसे त्रुटि माना। इसके बाद बताया गया कि किसानों को बाद में संशोधित नोटिस भेजा गया है। इसके पीछे तर्क दिया गया कि किसानों को ‘उकसाने’ से रोकने के लिए एसडीएम की तरफ से यह नोटिस भेजा गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभल में 50 लाख रुपये का यह नोटिस 6 किसान नेताओं को जारी किया गया है, जिसमें से अधिकांश भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी हैं। ऐसे ही 6 अन्य को 5 लाख के बॉन्ड का नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस 12 और 13 दिसंबर को सीआरपीसी की धारा 111 के तहत जारी किया गया है।

इस नोटिस में कहा गया है कि ‘किसान गांव-गांव जाकर किसानों को भड़का रहे हैं और अफ़वाह फैला रहे हैं, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है। इसलिए क्यों न किसानों पर 1 साल तक शांति बनाए रखने के 50 लाख रूपए का मुचलका भरवाया जाए। नोटिस में लिखा है किसान, किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं जिससे क़ानून व्यवस्था भंग हो सकती है। ये कृषक किसान संगठनों के सदस्य हैं।

एसडीएम दीपेंद्र यादव ने वीरवार को कहा, हमें हयात नगर पुलिस थाने से रिपोर्ट मिली थी कि कुछ व्यक्ति किसानों को उकसा रहे हैं और इससे शांति भंग होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि थाना अध्यक्ष की रिपोर्ट में कहा गया था कि इनको 50-50 हजार रुपये के मुचलके से पाबंद किया गया।जिन छह किसानों को नोटिस दिया गया, उनमें भारतीय किसान यूनियन (असली) संभल के जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव के अलावा जयवीर सिंह, ब्रह्मचारी यादव, सतेंद्र यादव, रौदास और वीर सिंह शमिल हैं। हालांकि किसानों ने यह मुचलका भरने से इनकार कर दिया है। वे जेल जाने के लिए तैयार हैं, पर मुचलका नहीं भरेंगे। भाकियू (असली) के डिवीजन अध्यक्ष संजीव गांधी ने कहा कि इन किसानों या उनके परिवार में से किसी सदस्य ने इस बॉन्ड पर दस्तखत नहीं किए हैं। हम अपने अधिकारों के तहत शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, यह कोई अपराध नहीं है।

जब तक कृषि कानून बिल वापस नहीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा- राकेश टिकैत

अजीब बिडम्बना है, कि देश में सबको बचपन से पढ़ाया और रटाया जाता रहा है, कि भारत देश कृषि प्रधान है। किसान के बलबूते पर देश की अर्थ व्यवस्था टिकी हुई है, फिर भी आज देश का किसान अपने अधिकारों के खातिर इस कड़कड़ाती सर्दी में खुले आसमान में 23 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डटा हुआ है। सरकार की ओर से किसानों को अभी तक सकारात्मक जबाव ना मिलने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार जब तक कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती है। तब तक तो आंदोलन ये समाप्त नहीं होगा। चाहे तो सरकार उठा कर देख लें।

किसान नेता वीरेन्द्र सिंह वीरू ने बताया कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तामाम दावे करें कि कृषि कानून किसान के हित में है। लेकिन किसानों को सरकार के इस कानून पर भरोसा नहीं है। वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि आज पूंजीपति इस लिये गोदामों को बनवा रहे है। ताकि किसानों की सस्ती फसल को जमा (जमाखोरी) करके मंहगे दामों में बेंच सकें।उनका कहना है कि आने वाले दिनों में आंदोलन जरूर बड़ा और उग्र होगा। तब सरकार के रोकने से नहीं रूकेगा।

दिल्ली, राजस्थान में भूकंप के झटके

देश के कुछ हिस्सों में गुरुवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं। यह झटके राजधानी दिल्ली में भी महसूस किये गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 बताई गयी है। भूकंप का केंद्र राजस्थान का सीकर क्षेत्र बताया गया है।

भूकंप के झटके महसूस करते ही कई जगह लोग डरकर घरों से बाहर निकल आये। झटके दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस किये गए। नोएडा, गाजिअबाद और गुरुग्राम में भी झटके महसूस कर लोग घरों से बाहर निकल आये।
भूकंप का केंद्र राजस्थान का सीकर बताया गया है। यह झटके देर रात करीब 11.53 बजे आए। अभी तक किसी जान-माल के नुक्सान की खबर नहीं है। और विवरण का इन्तजार है।

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कमलनाथ सरकार गिराने में थी पीएम मोदी की अहम भूमिका, विवाद बढ़ा तो बोले ‘मजाक था’

अपने बयानों से विवाद पैदा करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को भाजपा को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है। विजयवर्गीय ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिराने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की  महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनके राजनीति में भूचाल लाने वाले इस ब्यान के बाद उनका वीडियो वायरल हो गया है और भाजपा रक्षात्मक दिख रही है। कांग्रेस ने भाजपा नेता के इस ब्यान के बाद पीएम मोदी से जवाब मांगा है। बाद में विवाद देख विजयवर्गीय ने सफाई दी कि ‘उन्होंने  यह बात मजाक में कही थी’।

कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। ऐसे में उनके ब्यान का महत्व समझा जा सकता है। हालांकि, उनके ब्यान के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। विजयवर्गीय ने यह ब्यान गुरुवार को इंदौर में आयोजित किसान सम्मेलन में बड़ा बयान देते हुए कहा कि ‘यह अंदर की बात है लेकिन आपको बता रहा हूँ। कमलनाथ की सरकार गिराने में प्रधान (एमपी भाजपा के नेता धर्मेंद्र प्रधान) नहीं, प्रधानमंत्री की भूमिका है’।

विजयवर्गीय के इस ब्यान के बाद कांग्रेस हमलावर हो गयी है और उसने पीएम मोदी से इसे लेकर जवाब मांगा है। उधर विजयवर्गीय के बयान के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसे लेकर भाजपा पर बड़ा हमला किया है। दिग्विजय  सिंह ने ट्वीट कर लिखा – ‘क्या मोदी जी अब बताएंगे कि मध्यप्रदेश सरकार गिराने में उनका हाथ था? क्या मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के लिए कोरोना के लॉकडाउन करने में विलंब किया? यह बहुत ही गंभीर आरोप हैं मोदी जी जवाब दें।’

वीडियो में साफ़ सुना जा रहा है कि विजयवर्गीय किसानों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं – ‘जब तक कमलनाथ की सरकार थी, उन्हें एक दिन भी चैन से नहीं सोने दिया। नरोत्तम मिश्रा कमलनाथ के सपने में भी आते थे। ये सारी बातें मैं पर्दे के पीछे की कर रहा हूं, आप किसी को बताना मत।’

इसके बाद विजयवर्गीय ने कहा – ‘मैंने आज तक ये बात किसी को नहीं बताई है। पहली बार मैं बता रहा हूं। कमलनाथ जी की सरकार गिराने में अगर किसी की महत्वपूर्ण भूमिका थी तो नरेंद्र मोदी जी की थी। धर्मेंद्र प्रधान जी की नहीं थी।’ जब विजयवर्गीय ने यह बात मंच पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी बैठे थे।

विजयवर्गीय के ब्यान पर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। हालांकि बाद में अपने ब्यान के खतरे को समझते हुए विजयवर्गीय ने सफाई दी और कहा ‘सम्मेलन में मौजूद लोगों को पता है कि यह विशुद्ध रूप से मजाक है। यह बात मैंने हल्के फुल्के मजाकिया लहजे में ही तो कही थी’। लेकिन विजयवर्गीय के इस ब्यान ने भाजपा को बहुत असहज कर दिया है।

दिग्विजय सिंह का ट्वीट –
digvijaya singh
@digvijaya_28
क्या मोदी जी अब बताएँगे कि मध्यप्रदेश सरकार गिराने में उनका हाथ था? क्या मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के लिए कोरोना के लॉकडाइन करने में विलंब किया? यह बहुत ही गंभीर आरोप हैं मोदी जी जवाब दें।

सभी पक्ष जानने के बाद ही कमेटी का गठन, ‘राइट टू प्रोटेस्ट’ के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई टल गई है। अदालत ने कहा कि वेकेशन बेंच के सामने सभी अपना पक्ष रखेंगे। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कमेटी का गठन किसानों का पक्ष जानने के बाद ही होगा, तब तक किसान आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के दौरान केंद्र से भी भरोसा मांगा है साथ ही उससे पूछा है  कि क्या बातचीत तक कानून होल्ड पर रख सकते हैं? अटार्नी जनरल ने कहा कि वो सरकार से इसपर निर्देश लेंगे। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वो किसानों के प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करती है और वो किसानों के ‘राइट टू प्रोटेस्ट’ के अधिकार में कटौती नहीं कर सकती है।

सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस ने कहा ‘हमें यह देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के अधिकारों का उल्लंघन भी न हो’। कोर्ट ने कहा कि ‘हम किसानों की दुर्दशा और उसके कारण सहानुभूति के साथ हैं लेकिन आपको इस बदलने के तरीके को बदलना होगा और आपको इसका हल निकालना होगा’।

अदालत में किसी किसान संगठन के न होने से कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वो किसानों से बात करके ही अपना फैसला सुनाएंगे।  आगे इस मामले की सुनवाई दूसरी बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट में सर्दियों की छुट्टी है, ऐसे में वैकेशन बेंच ही इसकी सुनवाई करेगी।

अदालत ने कहा कि कमेटी का गठन भी किसानों की बात सुनने के बाद ही किया जाएगा। अदालत ने कहा कि कमेटी में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों को बतौर सदस्य शामिल किया जा सकता है। कमेटी जो रिपोर्ट दे, उसे मानना चाहिए। तब तक प्रदर्शन जारी रख सकते हैं।

आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हम ‘राइट टू प्रोटेस्ट’ में कटौती नहीं कर सकते। किसानों को प्रदर्शन का हक है, लेकिन वो सड़क बंद नहीं कर सकते। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई टाल दी गई। अदालत में किसी किसान संगठन के न होने के कारण कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया और अब इस मामले की सुनवाई वेकेशन बेंच करेगी।

तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है। कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है।

सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायधीश ने कहा कि दिल्ली को ब्लॉक करने से यहां के लोग भूखे रह सकते हैं। आपका (किसानों) मकसद बात करके पूरा हो सकता है। सिर्फ विरोध प्रदर्शन पर बैठने से कोई फायदा नहीं होगा। कहा कि हम किसान संगठनों को सुन कर आदेश जारी करेंगे। वैकेशन बेंच में मामले की सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शनिवार को मामले की सुनवाई कर लें। सीजेआई का कहना है कि किसानों को बड़ी संख्या में दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, यह पुलिस का फैसला होगा, न अदालत का और न कि सरकार का जिसका आप विरोध कर रहे हैं।