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सांसद शताब्दी रॉय ने कहा टीएमसी में ही रहेंगी, भाजपा में नहीं जा रहीं  

भाजपा को झटका देते हुए वरिष्ठ नेता और सांसद शताब्दी रॉय ने शनिवार को कहा कि वे टीएमसी में ही रहेंगी, भाजपा में नहीं जाएंगी। उनके भाजपा में जाने की बातों को अफवाह बताते हुए रॉय ने कहा कि ममता बनर्जी जो कहेंगी, वो वहीं करेंगी।

शताब्दी रॉय ने आज कहा कि उनके टीएमसी छोड़कर भाजपा में जाने की बात महज अफवाह है। रॉय का यह ब्यान उनकी अभिषेक बनर्जी से मुलाकात के बाद आया है। बनर्जी सीएम ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी नेता हैं। शताब्दी ने कहा – ‘मैं टीएमसी में ही हूँ। इसी पार्टी में रहूंगी। मैंने अपनी समस्या से पार्टी को अवगत करा दिया है। फिलहाल मेरी जो समस्या है, उसे पार्टी सुलझा लेगी।’

हाल में चर्चा थी कि रॉय दिल्ली जाकर भाजपा नेताओं से मिल सकती हैं। उन्होंने इसे सिर्फ अटकल बताया और कहा कि उनका दिल्ली जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है। बता दें रॉय टीएमसी की सांसद हैं और उन्होंने कहा – ‘ममता बनर्जी जहां मुझे बुलाएंगी, मैं वहीं जाऊंगी। हां, कुछ समस्याएं थीं जो दूर कर ली जाएंगी। पार्टी में सभी एकजुट हैं। मैं टीएमसी के साथ हूं। जिस किसी को भी पार्टी से प्यार है, वो पार्टी के साथ ही रहेगा।’

उनको लेकर विवाद तब पैदा हुआ था जब अपनी एक फेसबुक पोस्ट में शताब्दी रॉय ने लिखा कि ‘उनके संसदीय क्षेत्र में चल रहे पार्टी के कार्यक्रमों के बारे में उन्हें नहीं बताया जा रहा है और इससे उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंची है। यदि वह कोई फैसला करती हैं तो शनिवार दोपहर दो बजे लोगों को उसके बारे में बताएंगी।’ यह माना जाता है कि रॉय बीरभूम जिला, जहाँ से वे सांसद हैं, के जिला टीएमसी अध्यक्ष अनुव्रत मंडल से मतभेद हैं।

दिल्ली के आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने एमएस को पत्र लिख ‘कोवैक्सीन’ लगवाने से मना किया, कोविशील्ड टीके की मांग

कोरोना वैक्सीन को लेकर आशंकाओं के बीच देश में आज न से शुरू हो गए टीकाकरण अभियान के बीच दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल अस्पताल) के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपने चिकित्सा अधीक्षक को एक पत्र लिखकर ‘कोवैक्सीन’ लगवाने से मन कर दिया है और उन्होंने आग्रह किया है कि इसके बजाय उन्हें ‘कोविशील्ड’ का टीका लगाया जाए। इन डाक्टरों ने लिखा है कि रेजिडेंट डॉक्टर्स कोवैक्सीन के मामले में पूर्ण परीक्षण की कमी के बारे में थोड़ा आशंकित हैं और बड़ी संख्या में टीकाकरण में भाग नहीं ले सकते हैं।

सरकारी डाक्टरों का यह पात्र तब सामने आया है जब आज देशभर में कोविड-19 टीकाकरण शुरू हो गया है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को लिखे पत्र में कहा कि ‘हमें कोवैक्सीन के बजाय कोविशील्ड का टीका लगाया जाए। हम आरडीए आरएमएल अस्पताल के वर्तमान सदस्य हैं। हमें पता चला है कि आज अस्पताल की तरफ से कोविड-19 टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। हमारे अस्पताल में सीरम इंस्टीट्यूट के   निर्मित कोविशील्ड के बजाय भारत बायोटेक का निर्मित कोवैक्सीन का टीका लगाया जा रहा है।’

अपने पात्र में इन डाक्टरों ने कहा – ‘हम आपके ध्यान में लाना चाहते हैं कि रेजिडेंट डॉक्टर्स कोवैक्सीन  के मामले में पूर्ण परीक्षण की कमी के बारे में थोड़ा आशंकित हैं और बड़ी संख्या में टीकाकरण में भाग नहीं ले सकते हैं। इस प्रकार टीकाकरण का उद्देश्य कामयाब नहीं हो पाएगा। हम आपसे कोविशील्ड वैक्सीन के साथ टीकाकरण करने का अनुरोध करते हैं, जिसने टीकाकरण से पहले ट्रायल के सभी चरणों को पूरा किया है।’

बता दें राजधानी दिल्ली में आज 81 स्थानों कोविड-19 वैक्सीनेशन का काम चल रहा है। दिल्ली में 75 केन्द्रों पर ‘कोविशील्ड’ और छह स्थानों पर ‘कोवैक्सीन’ के टीके लगाए जा रहे हैं। इन स्थानों को सरकारी और निजी अस्पतालों में विभाजित किया गया है। इनमें केन्द्र सरकार के छह अस्पताल एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, कलावती सरन बाल अस्पताल और दो ईएसआई अस्पताल शामिल हैं।

इनके अलावा बाकी के 75 केन्द्रों में सभी 11 जिलों में स्थित दिल्ली सरकार के  संचालित अस्पताल भी शामिल हैं जैसे एलएनजेपी अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, डीडीयू अस्पताल, बीएसए अस्पताल, दिल्ली राजकीय कैंसर संस्थान, आईएलबीएस अस्पताल आदि। इनमें मैक्स, फोर्टिस, अपोलो, और सर गंगाराम अस्पताल भी शामिल हैं। यह साफ़ नहीं है कि किन छह स्थानों पर भारत  बायोटेक का विकसित किया गया ‘कोवैक्सीन’ टीका लगाया जा रहा है।

पहले भी इन टीकों को लेकर श वाल उठे रहे हैं। खासकर कोवैक्सीन को लेकर भले प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि लोगों को अफवाहों में नहीं आकर टीका लगाना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित हैं। 

भारत में कोरोना टीकाकरण शुरू, प्रधानमंत्री मोदी ने की शुरुआत

भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शनिवार को शुरू हो गया। एम्स, दिल्ली के फ्रंटलाइन सफाईकर्मी को पहली वैक्सीन लगी जबकि एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कोविड-19 का टीका लगाया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में की। पहले चरण में तीन लाख स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को मुफ्त में टीका लगेगा।

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा – ‘आज के दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार था।  कितने महीनों से देश के हर घर में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी की जुबान पर यही सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब आएगी। अब कोरोना की वैक्सीन आ गई है, बहुत कम समय में आ गई है। आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे।’

भारत के सभी राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों के 3006 टीकाकरण केन्‍द्र आपस में आज जुड़े हैं। पहले चरण के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके लिए कुल 3006 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं। पहले दिन तीन लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के टीके की खुराक दी जाएगी।

वैसे इतिहास गवाह रहा है कि दुनिया में महामारी की वैक्सीनेशन को तैयार करने, इसके ट्रायल करने और शुरुआत करने में आमतौर बरसों लग जाते हैं। लेकिन कोरोना का मामला अलग रहा है और बहुत काम महीनों में ही एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं।

पीएम ने कहा कि कई और वैक्सीन पर भी काम तेज गति से चल रहा है। ये भारत के सामर्थ्य, वैज्ञानिक दक्षता और भारत के टैलेंट का जीता जागता उदाहरण है। भारत का टीकाकरण अभियान बहुत ही मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है, जिसे सबसे ज्यादा जरूरत है, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा। वैक्सीनेशन अभियान से पहले पीएम ने कहा कि सबने चीन में अपनों को छोड़ा हम वापस लाये। आज सबसे पहली वैक्सीन फ्रंटलाइन सफाईकर्मी को एम्स, दिल्ली में लगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा – ‘आज मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूं। हम पिछले एक साल से पीएम के नेतृत्व में कोविड-19 के खिलाफ लड़ रहे हैं। यह वैक्सीन कोविड-19 की लड़ाई में संजीवनी का काम करेगी। आज एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी वैक्सीन की पहली खुराक ली।

किसानों-सरकार के बीच आज की बैठक बेनतीजा, 19 को फिर बैठेंगे

किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है। शुक्रवार की इस बैठक में दोनों पक्ष अपने मुद्दों पर अड़े रहे। दोनों के बीच एक और बैठक 19 जनवरी को होगी।

आज की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ‘हमने सरकार को यह बताया है कि हमारी सबसे बड़ी मांग तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की है। कानून वापस लेने पड़ेंगे और एमएसपी पर कानून लाना पड़ेगा।’ टिकैत ने कहा अगली बैठक 19 जनवरी को होगी और उससे पहले हम साझी बैठक करेंगे।

दिल्ली के विज्ञान भवन में यह बैठक दोपहर 2 बजे शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट के किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिका पर 12 जनवरी के फैसले के बाद दोनों के बीच यह पहली बैठक थी। किसानों ने साफ़ किया है कि तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने और एमएसपी को कानूनी बनाने से कम वो किसी बात पर समझौता नहीं करेंगे।

उधर किसानों का केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन का आज 51वां दिन है। आज की बैठक को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा था जो किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक थी। कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की अस्थाई रोक के आदेश के बाद यह दोनों के बीच पहली बैठक थी।

बैठक से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि भारत सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है और उच्चतम न्यायालय की बनाई समिति जब सरकार को बुलाएगी तो हम अपना पक्ष समिति के सामने रखेंगे। आज वार्ता की तारीख़ तय थी इसलिए किसानों के साथ हमारी वार्ता जारी है।

राहुल और प्रियंका गांधी भी कांग्रेस के किसान समर्थक धरने में सड़क पर उतरे, बोले क़ानून वापस हों

कांग्रेस के किसानों के समर्थन में देशव्यापी धरने पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित कार्यक्रम में पार्टी नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी भी सड़कों पर उतरे। किसानों से बात करने के लिए राहुल गांधी एक ट्रक पर चढ़ गए। राहुल गांधी ने इस मौके पर कहा कि जब तक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं ले लेती, कांग्रेस अपना आंदोलन जारी रखेगी।

राहुल और प्रियंका पंजाब के कांग्रेस सांसदों से भी मिले हैं। धरने के दौरान राहुल ने कहा – ‘किसानों को तबाह करने के लिए तीन कानून लाए गए हैं। अगर हम इसे अभी नहीं रोकते हैं, तो यह अन्य क्षेत्रों में भी होता रहेगा। नरेंद्र मोदी किसानों का सम्मान नहीं करते और केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को सिर्फ थकाना चाहते हैं।’

अभी भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जंतर-मंतर पर कृषि कानूनों के खिलाफ धरना दे रहे हैं। धरने के दौरान राहुल एक ट्रक पर चढ़ गए। गांधी ने कहा – ‘जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते तब तक कांग्रेस आंदोलन को वापस नहीं लेगी। भाजपा सरकार को कानून वापस लेने ही होंगे।’

किसानों की 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड की काल पर गांधी ने कहा – ‘इस पर बहस  क्यों होना चाहिए? किसान परेड करना चाहते हैं, तो क्या हो जाएगा? मोदी जी को समझना चाहिए कि किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं। सरकार को पीछे हटना पड़ेगा।   कांग्रेस पार्टी भी पीछे नहीं हटेगी। ये किसानों पर आक्रमण है। यानी देश पर हमला है। मोदी जो किसानों का है उसे कुछ उद्योगपति को देना चाहते हैं। वो देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन चला कोई और रहा है। मुझे दया आती है। नाम के प्रधानमंत्री हैं।  ये बात किसानों को समझ आ गई है, युवाओं को भी समझ आ जाएगी।’

राहुल गांधी किसानों को खालिस्तानी बताने की साजिशों से भी सख्त नाराज हैं। राहुल ने कहा – ‘अब देश के किसान खालिस्तानी हो गए ! थोड़ी शर्म करनी चाहिए। चीन जो अंदर आया है, वहां क्या प्रधानमंत्री खड़े हैं ? किसके बेटे खड़े हैं? आज वो खालिस्तानी हो गए।’

कांग्रेस नेता ने इस मौके पर रोजगार को लेकर कहा कि युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। राहुल ने कहा – ‘मोदी कहते हैं कि कोरोना से नुकसान हो गया। देश के युवाओं को समझना पड़ेगा कि मोदी और उनके दो-तीन उद्योगपति मित्र आपसे आपका सबकुछ छीन लेना चाहते हैं। एयरपोर्ट, पोर्ट सबकुछ केवल पांच लोग चला रहे हैं। किसानों को समझना पड़ेगा कि आपको थकाया जा रहा है। वो समझते हैं कि किसान थक कर चले जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा।’

बैठक जारी  
इस बीच विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच 9वें दौर की बैठक इस समय चल रही है। बैठक से ‘तहलका’ को मिले इनपुट्स के मुताबिक बैठक में साफ़ किया है कि सरकार को तीनों क़ानून वापस लेने होंगे। बैठक 3 बजे शुरू हो गयी और अभी जारी है। अभी यह साफ़ नहीं है कि बैठक कितनी देर चलेगी और इसका क्या नतीजा रहेगा। एक किसान नेता ने इस संवाददाता को बताया कि सरकार समय खींच रही है, वह क़ानून कभी वापस नहीं लेगी।

नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुरू

नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुक्रवार को शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 दिसंबर को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी।

बताया जा रहा है नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार का होगा. साल 2022 तक, देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर इसका निर्माण पूरा होने की उम्मीद है।

इस सप्ताह की शुरुआत में 14 सदस्यीय धरोहर समिति ने नए संसद भवन के निर्माण को मंजूरी दे दी थी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने  भी संसद भवन के निर्माण कार्य के लिये हरी झंडी‘ दे दी है।

भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना पर 971 करोड़ रुपये की लागत लगाये जाने का अनुमान है।

नए भवन का निर्माण पुराने संसद के सामने किया जाएगा. नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के बड़े कक्ष होंगे, जहाँ लोकसभा के लिये 888 और राज्यसभा के लिये 384 सीटों की व्यवस्था की जायेगी।

संयुक्त सत्र बुलाने के लिये लोकसभा कक्ष में 1,272 सीटों की होगी। साल 2022 का मानसून सत्र नए भवन में होने की संभावना करना है।

नए भवन के निर्माण के बाद पुराने भवन को संग्रहालय में तब्दील कर दिया जाएगा। पुराने संसद भवन का निर्माण 94 साल पहले लगभग 83 लाख रुपये में किया गया था।

किसानों-सरकार के बीच 2 बजे बैठक, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोनों में यह पहली बैठक

किसानों और सरकार के बीच 8वें  दौर की बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में 2 बजे शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट के किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिका पर 12 जनवरी के फैसले के बाद दोनों के बीच यह पहली बैठक है। किसानों ने साफ़ किया है कि तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने और एमएसपी को कानूनी बनाने से कम वो किसी बात पर समझौता नहीं करेंगे।

वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा – ‘कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। कानून वापस लेने पड़ेंगे और एमएसपी पर कानून लाना पड़ेगा।’

किसानों का केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन का आज 51वां दिन है। आज की बैठक को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बातचीत दिल्ली में 2 बजे होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज दोपहर 2 बजे किसानों और सरकार के बीच 8वें दौर की बैठक होगी। कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की अस्थाई रोक के आदेश के बाद यह दोनों के बीच पहली बैठक है।

बैठक से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है और उच्चतम न्यायालय की बनाई समिति जब सरकार को बुलाएगी तो हम अपना पक्ष समिति के सामने रखेंगे। आज वार्ता की तारीख़ तय थी इसलिए किसानों के साथ हमारी वार्ता जारी है।

उधर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री, कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन के नेता सुप्रीम कोर्ट से भी बड़े हो रहे हैं। चौधरी ने कहा – ‘मंत्री जी (तोमर) ने लगातार सात दौर की वार्ता की। गृहमंत्री लगातार उनके संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री ने भी आश्वासन दिया है। कोर्ट ने कानूनों पर रोक लगा दी है। उन्हें (किसानों को) जिद छोड़ देनी चाहिए।’

अदालतों में वर्चुअल के बजाय सामान्य सुनवाई के लिए वकीलों का सीजेआई को पत्र

कोरोना महामारी के दौर ने लोगों की ज़िंदगी और काम करने के तौर तरीकों को बदलकर रख दिया है। कोई भी तबका इससे अछूता नहीं है। अब हालात सामान्य हो रहे हैं साथ ही कल से टीकाकरण की शुरुआत भी हो रही है। देशबन्दी से न्याय की उम्मीद में कोर्ट पहुंचने वालों का इंतज़ार और बढ़ा दिया है। इससे वकील तबका भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
10 महीने बीत चुके सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई हो रही है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के 500 से अधिक वकीलों ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिखा है, जिसमें सर्वोच्च अदालत में कोरोना से पहले की तरह सुनवाई शुरू करने की अपील की गई है।
पत्र में वकीलों का कहना है कि सुनवाई का वर्चुअल तरीका असफल और निष्प्रभावी है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में पहले की तरह कामकाज शुरू हो और सुनवाई की पुरानी व्यवस्था तत्काल बहाल की जाए। कोरोना के चलते देशभर में अचानक लगाये गए लॉकडाउन की वजह से अदालतों में पिछले साल मार्च से वर्चुअल तरीके से सुनवाई हो रही है।
सीजेआई बोबडे को लिखे पत्र में वकील कुलदीप राय, अंकुर जैन और अनुज ने कहा, वर्तमान में सुनवाई का वर्चुअल तरीका फेल हो गया है। वर्चुअल तरीके से हो रही सुनवाई में कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। शाखा सही समय पर फोन का जवाब नहीन देती हैं, जिसकी वजह से महत्वपूर्ण मामले लंबित हो जाते हैं। नेटवर्क कनेक्टिविटी के मुद्दों और रजिस्ट्री का उचित प्रबंधन नहीं होने जैसी तमाम खामियां हैं।
पत्र में लिखा गया है कि वर्चुअल सुनवाई के कारण देश के कई नागरिक, विशेष रूप से युवा वकील, पिछले 10 महीनों में महामारी और सुप्रीम कोर्ट के वर्चुअल कामकाज के बीच कठिन दौर से गुजर रहे हैं। किराये के मकानों में रह रहे बहुत से वकीलों को दिल्ली छोड़ना पड़ा है। इसके फायदे कम, नुकसान ज़्यादा हुए हैं।  सिस्टम प्रभावी तरीके से न्याय वितरण व्यवस्था के मकसद को पूरा करने में विफल रहा है।

मान ने सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति से अपना नाम वापस लिया, कानूनों का समर्थन करने पर हुआ है विवाद

विवाद के बाद भारतीय किसान युनियन के नेता भूपेंद्र सिंह मान ने उस समिति से अपना नाम वापस लेने का ऐलान किया है जिसे दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर चर्चा के लिए गठित किया था।

‘तहलका’ को मिली किसान यूनियन की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक मान को कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट के उन्हें चार सदस्यों की समिति का सदस्य बनाने के लिए आभारी हैं, जिसे किसानों के मसले पर बात करनी है। लेकिन वो खुद किसान होते हुए समिति को लेकर व्यक्त हो रही प्रतिक्रियायों को देखते हुए खुद को इस समिति से अलग करना छाते हैं। मान ने कहा कि वे किसानों के लिए काम करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति के सदस्य के रूप में वेअपना नाम वापस लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि वे पंजाब और देश के किसानों के मुद्दों से कोई समझौता नहीं चाहते। मान ने कहा – ‘मैं खुद को समिति से अलग को अलग कर रहा हूँ।

याद रहे सुप्रीम कोर्ट ने उनके अलावा प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत को समिति में शामिल किया है।  सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को एक बड़े अंतरिम फैसले में मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी साथ ही इस मसले पर चर्चा के लिए सर्वोच्च अदालत ने कमिटी का गठन किया था। इसके बाद समिति के चारों सदस्यों को लेकर विवाद [पैदा हो गया था क्योंकि सभी मोदी सरकार के कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं।

बलात्कार के आरोप के मामले में घिरे महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे की परेशानियां बढ़ीं !

बलात्कार के आरोपों के चलते कठिनाइयों का सामना कर रहे महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पता चला है कि धनंजय मुंडे के खिलाफ आरोप लगाने वाली महिला को मुंबई पुलिस एक-दो दिन में जवाब तलब करेगी। उसके बाद, निर्णय लिया जाएगा कि आगे क्या करना है।

राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे के एक फेसबुक पोस्ट से राज्य में खलबली मच गई । धनंजय मुंडे ने बलात्कार के आरोप के बाद फेसबुक पर पोस्ट किया कि “आरोपी रेनू शर्मा करुणा शर्मा की बहन है। महत्वपूर्ण बात यह है कि करुणा शर्मा के साथ हमारे संबंध अच्छे थे, उनसे हमारे दो बच्चे हैं, हम उनकी परवरिश कर रहे हैं और हमारे परिवार को सब कुछ पता है।”

धनंजय मुंडे के इस फेसबुक पोस्ट के बाद बीजेपी ने उन पर हमला बोला है। बीजेपी नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने उनके इस्तीफे की मांग की। इतना ही नहीं, सोमैया ने सीधे मुख्यमंत्री पर भी हमला किया। किरीट सोमैया ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री बंगले को छिपाते हैं, तो उनके मंत्री अपनी पत्नी को छुपाते हैं।

जैसा कि धनंजय मुंडे पर बलात्कार का सीधा आरोप लगाया गया है, राजनीतिक हलकों का ध्यान अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भूमिका पर केंद्रित है कि वह किस तरह की कार्रवाई करेंगे?

उद्धव ठाकरे का स्वभाव कूल माना जाता रहा है

सवाल यह है कि क्या एक सभ्य और सुसंस्कृत राजनेता के रूप में जाने जाने वाले मुख्यमंत्री अब धनंजय मुंडे के खिलाफ कार्रवाई करेंगे? एक महिला द्वारा सीधे लगाए गए गंभीर आरोप, पुलिस में दर्ज की गई शिकायत मुख्यमंत्री पर नैतिक और कानूनी दबाव बना सकती है। इसलिए, यह देखना महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री स्टैंड क्या होगा? मुख्यमंत्री ठाकरेके साथ साथ धनंजय मुंडे की पार्टी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की प्रतिक्रिया को देखना महत्वपूर्ण है। शरद पवार के शब्दों को न केवल एनसीपी में बल्कि महाविकास आघाडी में भी तवज्जो दी जाती है।अगर शरद पवार सख्त रुख अपनाते हैं, तो मुख्यमंत्री धनंजय मुंडे के मंत्रिपद को भी नहीं बचा पाएंगे। धनंजय मुंडे को पद छोड़ना पड़ सकता है।यदि कोई निर्णय होता है, तो जांच का सामना भी करना होगा।

दरअसल शरद पवार की नाराजगी धनंजय मंडे को लेकर उस वक्त की है जब महा विकास आघाडी सरकार के गठन होने से पहले अजीत पवार ने अलसुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ लेकर महाराष्ट्र में हलचल मचा दी थी।उस समय एनसीपी के कुछ विधायक अजीत पवार के साथ देखे गए थे। लेकिन सुबह शपथ ग्रहण के बाद एनसीपी के एक और वरिष्ठ नेता धनंजय मुंडे पूरे दिन गायब रहे। माना जाता है कि उस वक्त शरद पवार मुंडे से काफी नाराज थे।

फिलहाल अध्यक्ष शरद पवार ने आज अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा कि मुंडे के खिलाफ आरोप गंभीर थे और वह एक पार्टी के रूप में तत्काल निरणय लेंगे।

धनंजय मुंडे के खिलाफ बलात्कार के आरोप पर शरद पवार ने आज अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि धनंजय मुंडे मुझसे मिले और मुझे उनके खिलाफ लगे आरोपों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उसके कुछ लोगों के साथ करीबी रिश्ते थे। कुछ शिकायतें पुलिस थाने में दर्ज कराई गईं। धनंजय मुंडे ने को अंदेशा था कि इस तरह से कुछ होगा इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट से पहले इस मामले में आदेश मांगा था।

हालांकि, आरोप गंभीर हैं और एक पार्टी के रूप में तत्काल विचार करने की आवश्यकता है। मैं इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करूंगा। वह उन्हें धनंजय मुंडे के मामले की विस्तृत जानकारी देंगे। उनके विचार जानने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच इस मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि किसी के पारिवारिक मुद्दों का राजनीतिकरण न करें, शरद पवार इस संबंध में सही निर्णय लेंगे। शिवसेना सांसद ने कहा कि इस घटना से महाविकास अआघाडी सरकार को कोई खतरा नहीं है। साथ ही उनका कहना था कि इस मामले को तूल देनने के बजाय अगर किसानों के कानूनों को वापस ले लिया जाता है, तो केंद्र सरकार की छवि उज्जवल होगी, सरकार को समन्वय दिखाना चाहिए और किसानों के हित में एक कदम वापस लेना चाहिए।