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महामारी का दूसरा वर्ष ‘और भी कठिन हो सकता है’: डब्ल्यू.एच.ओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोरोना महामारी का दूसरा वर्ष पहले की तुलना में ज्यादा कठिन हो सकता है। खासतौर पर उत्तरी गोलार्ध में ये महामारी ज्यादा मुशकिले पैदा कर सकती है।

डब्ल्यूएचओ के शीर्ष आपात अधीकारी डॉ माइक रयान ने सोशल मीडिया पर एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम इसके दूसरे वर्ष में जा रहे हैं, यह ट्रांसमिशन डायनेमिक्स और कुछ मुद्दों को देखते हुए और भी कठिन हो सकता है।

“महामारी शुरू होने के बाद से दुनिया भर में मरने वालों की संख्या दो मिलियन के करीब पहुंच रही है, जिसमें 91.5 मिलियन लोग संक्रमित हैं। डब्ल्यूएचओ के एपिडिमिओलोजिकल अपडेट के अनुसार  दो सप्ताह से कम मामलों की रिपोर्ट के बाद, पिछले सप्ताह कुछ पांच मिलियन नए मामले दर्ज किए गए थे, जब छुट्टियों के दौरान सोशल डिस्टन्सिंग में लापरवाही की गई, और लोग – और वायरस – एक साथ आए।”

“उत्तरी गोलार्ध में विशेषकर यूरोप और उत्तरी अमेरिका में – ठंड, और सोशल डिस्टन्सिंग में लापरवाही और अन्य कई कारणों से,  कई देशों में टांसमिशन में बढोतरी हुई है, ” डॉ रयान ने कहा।

ट्रम्प के खिलाफ अमेरिका के निचले सदन में महाभियोग प्रस्ताव पास

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ देश के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया है। अब इस पर सीनेट में चर्चा होगी और वहां भी पास हो जाता है तो ट्रम्प महाभियोग के चलते राष्ट्रपति पद से हटा दिए जाएंगे। प्रस्ताव पास करने के लिए दो तिहाई वोटों की जरूरत होगी।

दिलचस्प यह भी है कि ट्रम्प की ही रिपब्लिकन पार्टी के 10 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ निचले सदन में 232 वोट पड़े जबकि उनके पक्ष में 197 वोट पड़े। निचले सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने सदन में इसकी घोषणा की। एक ही कार्यकाल में दो बार महाभियोग झेलने वाले ट्रम्प अमेरिका के पहले राष्ट्रपति हैं।

हाल में कैपिटल हिल में जैसी हिंसा हुई उसके लिए ट्रम्प की बड़े पैमाने पर निंदा हुई है। अब महाभियोग का प्रस्ताव सीनेट में लाया जाएगा। ट्रम्प के लिए सबसे बड़ा झटका यह रहा कि उनके अपनी ही पार्टी रिपब्लिकन के 10 सांसदों ने उनके खिलाफ जाकर वोट दिया।

इसके बाद राष्ट्रपति निर्वाचित जो बाइडन ने एक ट्वीट करके कहा – ‘उम्मीद है ट्रम्प संबैधानिक जिम्मेवारी निभाएंगे।’ यदि ट्रम्प को इम्पीच कर दिया जाता है तो निश्चित ही इससे रिपब्लिकन पार्टी को बड़ा झटका लगेगा।

राम सेतु पर शोध को मिली मंजूरी : संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल

दिल्ली में आज संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रेसवार्ता को संबोधित किया जिसमें उन्होंने रामसेतु को पुराणिक और पुरातात्वक धरोहर बताते हुए कहा कि राम सेतु की उम्र के बारे में रिसर्च कर जानकारी प्राप्त करने के लिए गोवा के ओसियन सांइस सेंटर को मंजूरी दे दी गई है। जिसमें नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी के वैज्ञानिक इसमे मौजूद पत्थरों के विषय पर खोज करेंगे।

यह अंडरवाटर रिसर्च प्रॉजेक्ट इस वर्ष शुरू किया जाएगा जिसमें पानी में 40 मीटर नीचे जाकर सतह से सैंपल लिए जाऐंगे। जिससे की राम सेतु से जुड़े सभी सवालों कि यह कब, कैसे, कहा, तथा उस समय इसके आस-पास किसी गांव के होने ना होने का पता भी चल सकेगा।

ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) बोर्ड ने भी इसे मंजूरी दे दी है। इस आधुनिक तकनीक से पुल से संबंधित सभी जरूरी सवालों को पता लगाने में मदद मिलेगी। यह पुल लगभग 48 किलोमीटर लंबा व भारत और श्रीलंका को के बीच स्थित है। इसकी गहराई करीब 30 फीट है।

यह वहीं राम सेतु है जिसके बारे में हम रामायण में पढ़ते या सुनते है। राम सेतु के द्वारा भगवान राम रावण की लंका तक पहुंचे थे और माता सीता को उसकी कैद से छुड़ा कर लाए थे। इस सेतु को बनाने में वानर सेना ने पत्थरों पर राम नाम लिख कर सेतु बनाया था जिसमें कोरल और सिलिका पत्थरों का उपयोग किया गया था।

आपकों बता दें, 2005 में यूपीए 1 के कार्यकाल के दौरान सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रॉजेक्ट की घोषणा की गई थी। जिसपर काफी विवाद भी हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। जहाजों की आवाजाही के लिए पुल की चट्टानों को तोड़ने की आवश्यकता भी पड़ी जिससे गहराई बढ़ सकें और जहाज आसानी से आ जा सकें। लेकिन 2007 में इस निर्माण कार्य पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में आनिर्णित है।

पटना में ‘इंडिगो’ के स्टेशन मैनेजर की हत्या, जांच एसआईटी करेगी, विपक्ष का नीतीश पर बड़ा हमला

बिहार की राजधानी पटना में देश की सबसे बड़ी एयरलाईंस इंडिगो के स्टेशन मैनेजर रुपेश की हत्या की जांच एसआईटी को सौंप दी गयी है। विपक्ष ने जदयू-भाजपा सरकार पर इस घटना को लेकर जबरदस्त हमला किया है और इसे ‘जंगलराज’ बताया है। विपक्ष के हमले के बाद अब से कुछ देर पहले  कुमार ने डीजीपी से पूरे मामले की जानकारी माँगी है।

पटना एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइंस के स्टेशन प्रबंधक रुपेश कुमार सिंह (40) की शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र में अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने हत्यारे को पकड़ने के लिए जांच टीम गठित कर दी है, हालांकि अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस ने बुधवार को बताया कि सिंह मंगलवार की रात रुपेश जब अपने पुनाईचक स्थित कुसुमविला अपार्टमेंट में प्रवेश कर रहे थे तभी अपराधियों ने उनपर गोलियों की बौछार कर दी।

लहूलुहान रुपेश को आनन फानन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। रुपेश को छह गोली लगी हैं। पुलिस ने बताया कि घटना के वक्त अपार्टमेंट का सीसीटीवी बंद था। इससे यह भी शक होता है कि हत्यारे पूरी तैयारी से आये थे। पटना के वरिष्ठ एसपी उपेंद्र शर्मा के मुताबिक अब तक हत्या के कारणों का पता नहीं चला है। विपक्ष के हमले के बाद अब से कुछ देर पहले  कुमार ने डीजीपी से पूरे मामले की जानकारी माँगी है।

पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। रुपेश कुमार सिंह का शव सारण जिले में उनके पैतृक गांव भेज दिया गया है। पुलिस आसपास लगे सीसीटीवी को खंगाल रही है।

उधर विपक्ष ने नीतीश सरकार पर इस घटना को लेकर जबरदस्त हमला किया है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसे ‘असली जंगलराज’ करार दिया है। तेजस्वी ने कहा – ‘नीतीश बाबू चुक गए हैं। अब यह उनके बस में नहीं रहा। हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं। बिहार में अपराधी ही सरकार चला रहे हैं।’

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का स्पेशल मैरेज ऐक्ट में संशोधन कर 30 दिन के नोटिस की शर्त ख़त्म करने का आदेश  

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को एक बड़े फैसले में स्पेशल मैरेज ऐक्ट में बड़ा संशोधन किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विशेष विवाह क़ानून के तहत विवाह करने वाले जोड़े को 30 दिन के पूर्व नोटिस की जरूरत नहीं होगी और वह फ़ौरन शादी कर सकते हैं। फोटो नोटिस बोर्ड पर लगाने की पाबंदी भी कोर्ट ने ख़त्म कर दी है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कोर्ट ने इस क़ानून को निजता का उल्लंघन बताते हुए फैसला एक दंपती की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।  साफिया सुल्ताना नाम की लड़की ने धर्मांतरण कर एक हिंदू लड़के से शादी की थी। लड़की के परिजन शादी के खिलाफ थे, लिहाजा उन्होंने लड़की को अपने घर पर अवैध तरीके से बंदी बनाकर रखा। लड़के के पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई थी।

इसके बाद अदालत ने लड़की और उसके पिता को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। कोर्ट में लड़की के पिता ने कहा कि वह पहले इस शादी के खिलाफ थे, लेकिन अब उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। सुनवाई के दौरान लड़की ने अदालत के सामने अपनी समस्या रखते हुए कहा कि उसने स्पेशल मैरेज ऐक्ट के तहत शादी इसलिए नहीं कि क्योंकि इस कानून में एक प्रावधान है कि शादी के बाद 30 दिन का एक नोटिस जारी किया जाएगा। इसके तहत अगर किसी को विवाह से आपत्ति है तो वह ऑब्जेक्शन कर सकता है।

कोर्ट में लड़की ने बताया कि इस प्रावधान के कारण लोग अक्सर मंदिर या मस्जिद में शादी कर लेते हैं। कोर्ट ने लड़की की बात को संज्ञान लिया और स्पेशल मैरेज ऐक्ट की धारा 6 और 7 में संशोधन करते हुए फैसला सुनाया कि अब इस तरह के नियम की आवश्यकता नहीं है। ये नियम व्यक्ति की निजता के अधिकार का हनन है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने कहा कि अगर स्पेशल मैरेज ऐक्ट के तहत शादी करने वाला जोड़ा इच्छुक नहीं है तो इस तरह के नोटिस की बाध्यता नहीं की जा सकती। इस संबंध में आदेश की प्रति रजिस्ट्रार और अन्य न्यायिक अधिकारियों को भेजा गया है।

दिल्ली में 10वीं, 12वीं के लिए 18 से खुलेंगे स्कूल, अभिवावकों की मंजूरी लेनी होगी आवश्यक  

राजधानी दिल्ली में इसी महीने स्‍कूल खोल दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को 18 जनवरी से काफी शर्तों के साथ 10वीं और 12वीं जमात के छात्रों के लिए स्‍कूल खोलने की मंजूरी दी है। हालांकि, साथ ही कहा है कि इसके लिए पेरेंट्स की मंजूरी होनी चाहिए।

दिल्ली सरकार के आज जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सरकारी और निजी स्‍कूल खुलेंगे लेकिन सिर्फ कक्षा 10 और 12 के छात्रों के लिए। उसके लिए भी पेरेंट्स की मंजूरी जरूरी होगी। एक स्‍टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया गया है जिसका पालन सभी स्‍कूलों को करना होगा। कौन बच्‍चे स्‍कूल आ रहे हैं, इसका रिकॉर्ड रखना होगा यकीन इसे हाजिरी के‍ लिए इस्‍तेमाल नहीं किया जाएगा।

इस एसओपी के मुताबिक, स्‍कूल परिसर में कोरोना के लक्षण वाले किसी बच्‍चे या स्‍टाफ सदस्य को आने की इजाजत नहीं होगी। प्रवेश द्वार पर थर्मल स्‍क्रीनिंग अनिवार्य होगी। स्‍कूल के एंट्रेस, क्‍लासरूम, लैब्‍स और पब्लिक यूटिलिटी वाली जगहों पर हैंड सैनिटाइजेशन का इंतजाम अनिवार्य है। केवल कंटेनमेंट जोन के बाहर केू स्‍कूल ही खुलेंगे। इसके अलावा, कंटेनमेंट जोन में रहने वाला कोई भी शख्‍स स्‍कूल नहीं आ सकेगा। क्‍लासेज और लैब्‍स में इंतजाम इस तरह से करना होगा कि कोविड की गाइडलाइन टूटने न पाए। स्‍टाफ को भी टाइम टेबल के हिसाब से बुलाया जा सकता है।

सीबीएसई की अधिसूचना के मुताबिक, प्रैक्टिकल्‍स/प्रॉजेक्ट्स/इंटरनल असेंसमेंट्स वगैरह पहली मार्च से थ्यूरी परीक्षा के अंतिम दिन तक होंगे। ऐसे में स्‍कूलों को सलाह दी गई है कि बोर्ड परीक्षाओं से पहले ही ये असेंसमेंट करा लें। प्री-बोर्ड एग्‍जाम 20 मार्च से 15 अप्रैल के बीच कराए जा सकते हैं। इंटरनल ग्रेड्स का असेसमेंट भी बोर्ड परीक्षाओं की शुरुआत से पहले हो जाए। दिल्ली में सीबीएसई परीक्षाओं और प्रैक्टिकल के मद्देनजर यह अनुमति प्रैक्टिकल, प्रॉजेक्‍ट, काउंसिलिंग आदि के लिए दी जा रही है।

पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कहा, मुफ्त में लगाएंगे लोगों को वैक्सीन

बंगाल सरकार के बाद अब बुधवार को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में दी जाएगी। पंजाब सरकार ने पहले दौर से ही सभी आम और खास नागरिकों को वैक्सीन की खुराक देने का ऐलान किया है। उधर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार मुफ्त में वैक्सीन नहीं देती है तो वह भी दिल्ली के लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देगी।

केंद्र ने देश के सभी नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन देने का ऐलान नहीं किया है। उसने पहले दौर के लिए जिन 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का फैसला किया है, उनमें  स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षाबल और 50 साल से अधिक उम्र के ऐसे लोग शामिल हैं, जो कोरोना से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

पंजाब सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिद्धू ने आज कहा कि सूबे में सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना वैक्सीन की 2.40 लाख डोज आ चुकी हैं। ये न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को लगाए जाएंगे, बल्कि सरकारी अस्पतालों में जो भी लोग आएंगे, उन्हें भी वैक्सीन लगाई जाएगी।

उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि अगर केंद्र सरकार कोरोना की वैक्सीन फ्री में उपलब्ध नहीं कराएगी तो दिल्ली सरकार लोगों को मुफ्त में टीका लगाएगी। केजरीवाल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि 16 जनवरी से दिल्ली में वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। ‘मैंने केंद्र सरकार से अपील की थी कि पूरे देश में सभी लोगों को मुफ्त में वैक्सीन दी जाए। हम देखते हैं कि वो इस पर क्या फैसला लेते हैं। अगर केंद्र सरकार मुफ्त में नहीं करती है तो जरूरत पड़ने पर हम लोग दिल्ली के लिए ये वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध करवाएंगे।’

हमारी मांग तीनों क़ानून रद्द करने की, आंदोलन ख़त्म नहीं होगा : टिकैत

सर्वोच्च न्यायालय के मंगलवार को तीन कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक के फैसले के बाद पहली प्रतिक्रिया में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने साफ़ किया है कि किसानों की मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की है और वो इससे कम में कुछ नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत ने कहा कि हमारी मांग कमिटी बनाने की नहीं थी।
टिकैत ने अब से कुछ देर पहले कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने किसानों के प्रति जो सकारात्मक रुख दिखाया है, उसके लिये हम सर्वोच्च अदालत का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नही होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा। टिकैत ने कहा कि हमारी मांग कमिटी बनाने की नहीं थी। उन्होंने कहा कि हम कमिटी के पास संभवता नहीं जायेंगे।
उधर सिंघू बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कानूनों पर रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए। यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले। जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट की मोदी सरकार के कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक, कमिटी भी गठित

किसान आंदोलन पर सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़े अंतरिम फैसले में मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। साथ ही इस मसले पर चर्चा के लिए सर्वोच्च अदालत ने चार सदस्यीय कमिटी का गठन कर दिया है जिसमें भूपेंद्र सिंह मान, प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत को शामिल किया है।

किसान दोपहर बाद इस मसले पर बैठक करके अपनी राय रखेंगे। हालांकि, अब लग रहा है कि वे अपना आंदोलन स्थगित कर सकते हैं। उधर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, जो भोपाल में हैं, इस फैसले के बाद दिल्ली वापस लौट रहे हैं। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है।

सर्वोच्च अदालत ने आज कहा कि किन प्रावधानों को हटाया जाए, इसपर कमिटी काम करेगी। शक्तियों का इस्तेमाल करके हमें कानूनों को निलंबित करना होगा।अभी तक सरकार का यही रुख रहा है कि वह कानूनों को किसी भी सूरत में वापस  नहीं लेगी। देश की सबसे बड़ी अदालत ने मंगलवार को कहा कि कमिटी अपने लिए बना रहे हैं।

यह कमिटी यह तय करेगी कि कानूनों में से क्या चीजें हटाई जानी चाहियें। कमिटी की रिपोर्ट के बाद इसपर आदेश देंगे। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कमिटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। समस्या को बेहतर तरीके से हल करने की हम कोशिश कर रहे हैं।

कल ही ऐसा माना जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर एक कमिटी बना सकता है जो इसका हल तलाशने की कोशिश करेगी। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने यह अंतरिम फैसला सुनाया।

प्रधान न्यायधीश ने कहा कि हम आंदोलन से प्रभावित लोगों के जीवन, संपत्ति से चिंतित हैं। हम चाहते हैं कि ज़मीनी हकीकत जानने के लिए कमिटी बने। अदालत ने कहा कमिटी बनाने से हमें कोई नहीं रोक सकता।

इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आपने इस मामले को सही से हैंडल नहीं किया। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि आप कानून के अमल पर रोक लगाइए अन्यथा हम लगा देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा था कि कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का शीघ्र हल निकलना चाहिए। कोर्ट ने सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित भी किया था। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में एक कमिटी बनाने का निर्देश दे सकता है जो इस मसले का हल निकाल सके।

इस बीच केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार ने इसमें कहा है कि कृषि कानूनों को जल्दी में पास नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जाहिर करने की कोशिश की गई कि कानून जल्दी में पास किया गया है, जबकि ऐसा नहीं है। सरकार ने कहा कि इन कानूनों के लिए दो दशक से बात चल रही थी। ये ‘किसान मित्र’ कानून हैं। केंद्र ने कहा कि देश भर के किसान इस कानून से खुश हैं, क्योंकि उन्हें ज्यादा विकल्प दिया गया है और उनका कोई अधिकार नहीं लिया गया है। किसानों के साथ लगातार गतिरोध खत्म करने की कोशिश की गई है।

उधर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर सहित अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को 48वां दिन है। किसानों का रुख बेहद साफ है, वे किसी भी हालत में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान अब भी तीनों नए कृषि कानून को वापस कराने पर अड़े हुए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होता, वे मुड़कर पीछे नहीं देखेंगे।

सातवें दौर की बातचीत के समय भी किसानों के इस रुख के कारण सरकार और किसान संगठनों के बीच नोकझोंक की भी बात सामने आई थी। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने हमसे बातचीत में आरोप लगाया कि सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के अलग-अलग हथकंडे अपना रही है, लेकिन हम उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। हम यहां शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन कर रहे हैं। अपनी लड़ाई जीतकर आगे जाएंगे। किसान पूरी तरह एकजुट हो चुके हैं और उनका आंदोलन यहीं नहीं रुकेगा।

कोरोना, बर्ड फ्लू की तरह सर्दी में बी-पी का रखें ध्यान

कोरोना और बर्ड फ्लू के कहर के साथ- साथ इस कड़कड़ाती सर्दी में हाई बी -पी, ना हो सकें उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ये जानकारी कार्डियोलाँजिस्ट 2021 के सेमिनार में इंडियन हार्ट फाउंडेशन के चेयरमैन डाँ आर एन कालरा ने दी। उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।क्योंकि सर्दी के मौसम में हार्ट आर्टरी सिकुड़ने से शरीर में रक्त का संचार सही तरीके से नहीं हो पाता है। जिससे हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी होती । जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।

मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार ने बताया कि खान पान में तलीय पदार्थो का सेवन करने से कोलेस्टाँल बढ़ता है। सर्दियों में रक्त में जमने की शिकायतें ज्यादा आती है। जिससे क्लाँट बनने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके कारण हार्ट अटैक की शिकायतें आती है। डाँ विवेका कुमार का कहना है कि देश में कोरोना के साथ बर्ड फ्लू का कहर लोगों को डरा रहा है। ऐसे में मटन और चिकन खाने के शौकीन हो सकें तो इन दिनों मीट का सेवन कम करें और करें तो अच्छी तरह से पका हुआ मीट खायेँ।  संक्रमित एरिया में जाने से बचें। मुंह में मास्क लगाकर रखें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। अफवाहों पर ध्यान ना दें।