मंत्रिमंडल में विस्तार से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंत्रियों के इस्तीफे की कतार लग गयी है। इनमें प्रमुख मंत्री देश में अपने कार्यकाल में नई शिक्षा नीति लाने वाले मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से लेकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी शामिल हैं जिनके कार्यकाल में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश में जो कुछ हुआ उससे भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को बड़ा झटका लगा। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी का चिराग गुट पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी नेता बनाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में पहुँच गया है।
बंगाल में चुनाव के बाद अब अगले साल होने वाले 6 राज्यों के चुनाव से पहले भाजपा मंत्रिमंडल में बदलाव और विस्तार के जरिये एक नए तेवर के साथ जनता के सामने आना चाहती है। विस्तार से पहले जिन मंत्रियों के अभी तक इस्तीफे हो चुके हैं उनमें हर्षवर्धन और निशंक के अलावा जलशक्ति मंत्रालय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया, केमिकल फर्टिलाइजर मंत्री सदानंद गौड़ा, प्रताप सारंगी, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, बाबुल सुप्रियो, अश्विनी चौबे, संतोष गंगवार, राव साहेब दानवे पाटिल, प्रताप सारंगी, देबोश्री चौधरी शामिल हैं जबकि थावरचंद गहलोत को दो दिन पहले राज्यपाल बना दिया गया था।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का इस्तीफा सबसे ज्यादा हैरान करने वाला है। उनसे इस्तीफा लेकर मोदी सरकार ने एक तरह से स्वीकार कर लिया है कि वह कोरोना की दूसरी लहार को सँभालने में नाकाम रही। उनके डेपुटी अश्विनी चौबे भी उनके साथ ही सरकार से बाहर हो गए हैं। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी का चिराग गुट पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी नेता बनाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में पहुँच गया है।
आज शाम मंत्रिमंडल का फेरबदल और विस्तार है जिसमें कुल 43 मंत्री बन रहे हैं। इनमें कुछ पुराने प्रोमोशन वाले और बाकी नए होंगे। यूपी से 7 मंत्री बनने वाले हैं जबकि अनुराग ठाकुर जैसे भाजपा के युवा चेहरे को राज्यमंत्री से प्रोमोशन मिलने जा रही है। नीतीश भी अपने चार मंत्री बनवाले में सफल होने वाले हैं।
आज प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वालों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्वानंद सोनोवाल, भूपेन्द्र यादव, आरसीपी सिंह, अजय भट्ट, पशुपति पारस, नारायण राणे, अनिल बलूनी, मीनाक्षी लेखी, शोभा करांडलजे, अनुप्रिया पटेल, हिना गावित, सुश्री प्रीतम मुंडे, कपिल पाटिल, शांतनु ठाकुर, बीएल वर्मा, अजय मिश्रा, सुनीता दुग्गल, भागवत कराड, भारती पवार, अनुराग ठाकुर, जी किशन रेड्डी और पुरुषोत्तम रुपाला आदि शामिल हैं।
चला गया हिंदी सिनेमा का ‘मुगल-ए-आजम’
दिलीप कुमार के निधन पर देश भर में दुःख की लहर
दर्जनों किरदारों को जीवंत करने वाले दिलीप साहब चले गए। फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय की गहरी लकीर बांधकर। आने वाले दशकों में कई कलाकार होंगे, लेकिन दिलीप कुमार इकलौते ही थे। उनके हर दुःख-सुख में छाया बनकर उनके साथ रहीं सायरा बानो दिलीप के जाने से अकेली रह गईं। दिलीप पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे लेकिन कई बार लगता था वे 100 पार कर लेंगे। लेकिन आज सुबह करीब 7.30 बजे उनके अंतिम सांस लेते ही देश भर में सन्नाटा सा छा गया।
दिग्गज दिलीप कुमार, जिनका असली नाम युसूफ खान था, 98 साल के थे। दिलीप नाम उन्हें देविका कुमारी ने दिया था। सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें 29 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब 20 साल से स्वास्थ्य कारणों से ही दिलीप कुमार फिल्मों से दूर थे लेकिन सायरा बानो से हर जानकारी लेते रहते थे।
दिलीप कुमार के पारिवारिक मित्र फैजल फारुखी ने आज एक्टर के ट्विटर से उनके निधन की जानकारी दी। उन्होंने लिखा – ‘बहुत भारी दिल से ये कहना पड़ रहा है कि अब दिलीप साब हमारे बीच नहीं रहे’।
उनके निधन से इंडस्ट्री में शोक की लहर है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर तमाम फ़िल्मी सितारों और अन्य लोगों ने उनके निधन पर शोक जताया है।
दिलीप का पूरा नाम मोहम्मद युसूफ खान और उनका जन्म 11 दिसंबर, 1922 को हुआ। उन्हें हिंदी सिनेमा में ‘मेथड एक्टिंग’ के जनक माने जाने वाले दिलीप -ट्रेजेडी किंग’ माने गए। हालांकि, ट्रेजगेड़ी फ़िल्में करतेकरते अवसाद से घिरने के बाद उन्होंने चिकित्सक की सलाह पर विविध रोल निभाए।
दिलीप कुमार की एक्टिंग की शुरुआत 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से हुई। बॉम्बे टॉकी ने इसे प्रोड्यूस किया। करीब पांच दशक के एक्टिंग करियर में 65 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने काम किया। दिलीप कुमार की कुछ मशहूर फिल्मों में अंदाज (1949), आन (1952), दाग (1952), देवदास (1955), आजाद (1955),
मुग़ल-ए-आज़म (1960), गंग जमना (1961), राम और श्याम (1967) ख़ास हैं। साल
1976 में दिलीप कुमार ने काम से पांच साल का ब्रेक लिया। उसके बाद 1981 में उन्होंने ‘क्रांति’ से वापसी की। इसके बाद शक्ति (1982), मशाल (1984), करमा (1986), सौदागर (1991) में दिलीप ने अपनी अदाकारी का झंडे गाड़े। उनकी आखिरी फिल्म किला थी जो 1998 में रिलीज हुई।
दिलीप कुमार लगातार कई फिल्में हिट दी हैं। उनकी फिल्म मुगल-ए-आजम ने उस वक्त की सबसे कमाई करने वाली फिल्म बनी। अगस्त 1960 में रिलीज हुई यह फिल्म उस वक्त की सबसे महंगी लागत में बनने वाली फिल्म थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फिल्म की उस वक्त की कमाई का 2011 के हिसाब से 1000 करोड़ की कमाई का अनुमान लगाया गया था। फिल्म को दो नेशनल, फिल्मफेयर समेत कई फिल्म अवॉर्ड मिले थे।
पाकिस्तान सरकार ने साल 1998 में दिलीप कुमार को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से नवाजा जिससे जाहिर होता है कि उनकी अदाकारी के दीवाने पाकिस्तान में भी कम न थे। दिलीप कुमार पर साल 2014 में उदयात्रा नैयर ने एक किताब ‘दिलीप कुमार: द सब्सटांस एंड द शैडो’ लिखी थी।
दिलीप कुमार ने अपने अभिनय से कई अवार्ड्स अपने नाम किये। साल 1991 में ‘पद्मा भूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था। साल 1994 में ‘दादासाहेब फाल्के’ अवार्ड्स से सम्मानित किया गया था। साल 1998 में पाकिस्तान सरकार की तरफ से उन्हें ‘निशान-ए-इम्तिआज़’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था। साल 2015 में ‘पद्मा विभूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
मोदी मंत्रिमंडल का कल विस्तार, 6 बजे होगा शपथ ग्रहण समारोह
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार और फेरबदल करेंगे। राष्ट्रपति भवन को इस बाबत सूचना भेज दी गयी है। इसके लिए कार्यक्रम कल शाम 6 बजे हो सकता है। कल के विस्तार में क्षेत्रीय, जातीय और दलीय समीकरणों का ख़ास ख्याल रखा जाएगा।
कल के विस्तार/फेरबदल में काफी युवा चेहरों को लिए जाने की संभावना है। हाल में पीएम मोदी ने अपने सभी 52 मंत्रियों के कामकाज का हिसाब किताब लिया था। पिछले शासनकाल में भी वे मंत्रियों के कामकाज का हिसाब मांगते रहे हैं। हाल के बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद भाजपा काफी ज्यादा दबाव में है और अगले साल होने वाले पांच विधानसभा चुनाव से पहले अपनी हालत मजबूत करना चाहती है।
अभी तक की जानकारी के मुताबिक कल के विस्तार/फेरबदल में जातिगत समीकरणों का ख़ास ध्यान रखा जाएगा। चुनाव वाले राज्यों को भी ख़ास तरजीह दी जाएगी। करीब 7 मंत्री सरकार से बाहर करके संगठन में लिए जा सकते हैं। मंत्री थावर चंद गहलोत को तो आज ही राज्यपाल बनाकर कर्नाटक भेजने का फरमान जारी कर दिया गया है।
कल के विस्तार में 23 से 28 के बीच नए मंत्री बनाये जा सकते हैं। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक जिन सांसदों के मंत्री बनने की चर्चा है उनमें सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नारायण राणे, जाम्यांग नामग्याल, ललन सिंह, संतोष कुशवाह, कपिल पाटिल, पशुपति पारस, विनोद सोनकर, सकलदीप राजभर, अजय मिश्रा, शांतनु ठाकुर, सुशील मोदी, राजीव रंजन, अनुप्रिया पटेल, वरुण गांधी और प्रवीण निषाद, रामनाथ ठाकुर, चंदेश्वर प्रसाद आदि शामिल हैं।
केबिनेट विस्तार का एक कारण मोदी सरकार में इस वक्त कई मंत्रियों के पास एक से अधिक मंत्रालय होना भी है। पीयूष गोयल और हरदीप पुरी जैसे मंत्री एक से ज्यादा मंत्रालयों का काम देख रहे हैं। यदि 25 मंत्रियों को भी विस्तार में मंत्रिमंडल में जगह मिलती है तो इन मंत्रियों का बोझ काम हो जाएगा।










