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जंतर-मंतर पर किसान आंदोलन में महिलाओं ने संभाला मोर्चा

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर सात महीने से डटे किसानों के आंदोलन को आठ महीने पूरे हो चुके हैं। इस दौरान बराबर की साझेदार रहीं महिलाएं जंतर-मंतर पर सोमवार को किसान संसद का संचालन कर रही है। आधी आबादी इस दौरान भारतीय कृषि व्यवस्था और आंदोलन को लेकर अपनी बेबाक राय रख रही है।

देश की राजधानी के ऐतिहासिक धरना स्थल जंतर-मंतर पर किसान संसद में शामिल होने के लिए आज कई राज्यों से महिला किसान मोर्चे पर पहुंची हैं। किसान संसद के तीन सत्र के दौरान महिलाएं कृषि कानून, खासकर मंडी एक्ट पर अपने विचार रखेंगी। किसान संसद के तीन सत्रों की अध्यक्षता की जिम्मेवारी तीन महिला प्रतिनिधियों को सौंपी गई है।

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बताया गया कि  महिला किसान संसद में 200 किसान प्रतिनिधि शामिल है।  इनमें पंजाब की 100 जबकि अन्य राज्यों की 100 अन्य महिला प्रतिनिधि शामिल है ।  इस दौरान तीन सत्रों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी महिलाएं ही है।

इसमें नए कृषि कानूनों से किसानों के साथ ही उपभोक्ताओं यानी आम लोगों पर क्या असर होने वाला है, इस पर भी चर्चा की जायेगी ।

किसानों की मौत का आंकड़ा न होने पर सरकार की निंदा
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार की ओर से किसानों की मौत का आंकड़ा न होने के बयान की निंदा की है। पंजाब सरकार ने पंजाबी प्रदर्शनकारियों की मौत की आधिकारिक संख्या 220 रखी है, लेकिन मोर्चा ने इस संख्या की पुष्टि नहीं की है। मोर्चा का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान अब तक 540 किसान जान गंवा चुके हैं।

हिमाचल में भूस्खलन की चपेट में आए पर्यटक, नौ लोगों की मौत

हिमाचल के किन्नौर जिले में रविवार को भूस्खलन की चपेट में आने से नौ पर्यटकों की मोत हो गई। तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिन्हें पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। किन्नौर जिले के बटसेरी के गुंसा के पास चट्टानें गिरने से छितकुल से सांगला की ओर आ रही पर्यटकों की गाड़ी भूस्खलन की चपेट में आ गईं। चट्टानें गिरने से नौ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। सभी पर्यटक दिल्ली-एनसीआर के बताए जा रहे हैं।

बचाव अभियान जारी है। मौसम खराब होने की वजह से पहाड़ी से लगातार पत्थर गिर रहे हैं जिस कारण बचाव अभियान में दिक्कत आ रही है। सूत्रों ने बताया कि घायलों को अस्पताल लिफ्ट करने के लिए सरकार से हेलीकॉप्टर मंगवाया गया है। किन्नौर के डीसी आबिद हुसैन सादिक, एसपी एसआर राणा भी मौके पर पहुंच गए हैं।

बटसेरी के स्थानलीय लोग पुलिस के साथ बचाव अभियान में सहयोग कर रहे हैं। भूस्खलन होने से गांव के लिए बास्पा नदी पर बना पुल भी टूट गया है जिससे गांव का संपर्क कट गया है। चट्टानों की चपेट में आने से कई अन्य वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। नेशनल हाईवे 505 काजा-समदो के तहत आने वाले काजा के लारा नाले में शनिवार आधी रात को बादल फट गया। भारी बारिश के बाद नाले में बादल फटने से बाढ़ आ गई। यहां पर सड़क के दोनों ओर दर्जनों वाहन फंस गए हैं।

पेगासस जासूसी कांड को लेकर संसद में भिड़े पक्ष-विपक्ष

संसद के मानसून सत्र को शुरू हुए वीरवार को तीसरा दिन था। पेगासस जासूसी विवाद को लेकर पहले के दो दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके थे। अब जब दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होते ही विपक्ष ने जमकर हंगामा हुआ। बहस शुरू होने से पहले ही टीएमसी सांसद पर आरोप लगा कि उन्होंने मंत्री से पेगासस जासूसी मामले में जवाब देने के लिए रखे पर्चे को लेकर फाड़ दिया। इसके बाद बवाल और बढ़ गया। पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर आरोप मढ़े। कुल मिलाकर संसद के दोनों संदनों में खास काम नहीं हो सका। वहीं कांग्रेसी सांसदों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन किया। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन भी जारी है। लोकसभा की एक भी बैठक अब तक नहीं हो पाई है।
केंद्र सरकार राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ कथित दुव्यर्वहार मामले में सभापति के समक्ष टीएमसी सांसद शांतनु सेन के निलंबन का प्रस्ताव रख सकती है। राज्यसभा में हंगामे के दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी व टीएमसी सांसद शांतनु सेन में तकरार हुई। सांसद सेन का आरोप है कि उसी दौरान पुरी ने उन्हें अपशब्द कहे।

इतना ही नहीं, सांसद शांतनु सेन ने यह आरोप भी लगाया कि पुरी उन पर शारीरिक हमला करने वाले थे, लेकिन मुझे मेरे सहयोगियों ने बचा लिया।
शांतनु सेन ने वीरवार को राज्यसभा में सूचना प्रसारण एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा जासूसी कांड को लेकर बयान दिए जाते वक्त उनके हाथ से दस्तावेज छीनकर फाड़ दिए थे। इसके बाद सेन व पुरी के बीच तकरार हुई थी। अब सेन ने आरोप लगाया है कि पुरी ने उनके साथ  दुव्यर्वहार किया। सेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी पर गंभीर आरोप लगाए।

तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर रॉय ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव का जासूसी कांड को लेकर दिया गया बयान झूठ का पुलिंदा है। सांसद सेन के आरोप पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।

गिरफ्तारी से बचने को राज कुंद्रा ने दी 25 लाख की घूस

उद्योगपति राज कुंद्रा पोर्न से जुड़े मामले में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार कुंद्रा रोजाना इन मूवी के जरिये छह से आठ लाख रुपये की कमाई कर रहे थे।
अब दावा किया जा रहा है कि पूरे रैकेट के मास्टरमाइंड राज कुंद्रा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए मुंबई पुलिस को 25 लाख रुपये बतौर घूस दे चुके हैं। महाराष्ट्र की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को मिले चार ईमेल में यह दावा किया गया है। ये मेल राज के साथ आरोपी बनाए गए यश ठाकुर ने एसीबी को भेजे हैं। यश फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से दूर है। यश का भी कहना है कि उससे भी 25 लाख रुपये मांगे गए थे।
बता दें कि शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को 19 जुलाई की रात 11 बजे मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था। स्थानीय अदालत ने उन्हें 23 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। यश ठाकुर ने दावा किया है कि एसीबी उनके ईमेल को अप्रैल में मुंबई पुलिस कमिशनर को फॉरवर्ड किया था और जांच करने के लिए कहा था।

राज कुंद्रा का लाइफ स्टाइल बहुत हाई-फाई था। उसने एक बंगला जो किराये पर लिया था, बताते हैं कि उसका रोजाना का किराया 20 हजार रुपये था। बंगले के मालिक ने पुलिस को बताया है कि उनसे भोजपुरी और मराठी फिल्मों की शूटिंग करने के नाम पर बंगला किराये  पर लिया गया था। बताते हैं कि यही पर आॅडिशन के नाम पर युवतियों और बेरोजगारों को फंसाकर उनसे अश्लील वीडियो बनाए जाते थे, जिनको बेचकर गाढ़ी कमाई की जाती थी।

बंगले के मालिक के मुताबिक, शूटिंग के दौरान उनको और अन्य कर्मचारियों को दूर रहने को  कहा जाता था। शूटिंग शुरू होने से पहले बंगले को चारों तरफ से नीले रंग के परदे से कवर कर लिया जाता था। बंगले के भीतर सेट बना हुआ था। फिलहाल पूरे मामले की मुंबई पुलिस पड़ताल कर रही है। इसमें कुछ और दिग्गज लोगों के नाम सामने आए जाएं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

दैनिक भास्कर के चार राज्यों के दफ्तरों पर आयकर छापे

कोरोना काल में हर वर्ग प्रभावित हुआ है। इसके बरअक्स सरकार को अपनी चमक को कायम रखने के लिए लगता है किसी भी हद की आलोचना बर्दाश्त नहीं है। वीरवार सुबह आयकर विभाग की टीम ने दैनिक भास्कर के मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में दफ्तरों पर एकसाथ छापे मारे। दावा किया गया कि अधिकारियों ने दफ्तरों में मौजूद नाइट शिफ्ट के कर्मचारियों के मोबाइल और लैपटॉप अपने कब्जे में ले लिए। इस कारण अखबार में कई घंटों तक डिजिटल न्यूज का काम प्रभावित हुआ।

आयकर विभाग की यह खबर सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया में जंगल में आग की तरह फैल गई। जहां कई लोगों इसे पत्रकारिता का दमन करार दिया तो कुछ ने इसे काबू करने का तरीका तक बता डाला। सियासी पार्टियों के अलावा आम लोगों और समाज सेवा अखबार के पाठकों ने इस कार्रवाई को सच को दबाने की कोशिश बताकर इसकी निंदा की।
दैनिक भास्कर की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, आयकर विभाग की टीमों ने समाचार पत्र के जयपुर दफ्तर पर दबिश देकर पत्रकारों तक को काम करने से रोक दिया। आम तौर पर आईटी छापों में वित्तीय ट्रांजैक्शन से जुड़े विभागों की ही पड़ताल होती है, लेकिन यहां संपादकीय टीम से जुड़े दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खंगालकर पत्रकारों के काम में बाधा पहुंचाई गई।इनकम टैक्स टीम ने भास्कर के न्यूज प्रोसेस से जुड़े काम में कई घंटों तक बाधा पहुंचाई।

हालांकि इस बारे में आयकर विभाग के अधिकारियों ने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है। पत्रकार संगठनों ने इसे सीधा प्रेस की आजादी पर हमला बताया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया- दैनिक भास्कर अखबार और भारत समाचार न्यूज चैनल के कार्यालयों पर इनकम टैक्स का छापा मीडिया को दबाने का एक प्रयास है। मोदी सरकार अपनी रत्तीभर आलोचना भी बर्दाश्त नहीं कर सकती है। यह भाजपा की फासीवादी मानसिकता है, जो लोकतंत्र में सच्चाई का आईना देखना भी पसंद नहीं करती है। ऐसी कार्रवाई कर मोदी सरकार मीडिया को दबाकर संदेश देना चाहती है कि यदि गोदी मीडिया नहीं बनेंगे तो आवाज कुचल दी जाएगी।

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में व्यवस्थाओं की खामियां उजागर करने वाले दैनिक भास्कर के मध्यप्रदेश में इंदौर और भोपाल ऑफिस में आयकर ने छापा डाला। अफसरों की टीम महाराष्ट्र पासिंग बस से देर रात भोपाल के प्रेस कॉम्पलेक्स और इंदौर में एलआईजी चैराहे के पास दफ्तर पहुंची। भोपाल दफ्तर में रिपोर्टिंग-डेस्क टीम को काम करने से रोका।
संसद में गूंजा मुद्दा

मानसून सत्र में दैनिक भास्कर ग्रुप पर इनकम टैक्स ताबड़तोड़ छापेमारी का मुद्दा विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया है। विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा में भास्कर ग्रुप पर इनकम टैक्स विभाग के छापों का विरोध किया और नारेबाजी की। इसके बाद सदन दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया। इसके बाद कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन भारी हंगामे की वजह से सदन कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

लोकसभा में भी हंगामा हुआ, यहां फोन टैपिंग और जासूसी का मुद्दा भी उठा। इसके बाद लोकसभा को पहले 4 बजे और फिर कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। है।  विपक्ष के नेता इसे प्रेस की आजादी पर हमला बता रहे हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने रेड ऑन फ्री प्रेस के हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर लिखा कि “कागज पर स्याही से सच लिखना, एक कमजोर सरकार को डराने के लिए काफी”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा, दैनिक भास्कर और भारत समाचार पर आयकर छापे मीडिया को डराने का प्रयास है. उनका संदेश साफ है- जो भाजपा सरकार के खिलाफ बोलेगा, उसे बख्शेंगे नहीं।ऐसी सोच बेहद खतरनाक है।सभी को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। ये छापे तुरंत बंद किए जायें और मीडिया को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए। वहीं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि एजेंसियां अपना काम कर रही हैं, सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करती है।

मीडिया संस्थान दैनिक भास्कर व भारत समाचार पर आयकर विभाग की छापेमारी

मीडिया संस्थान दैनिक भास्कर और भारत समाचार के अलग-अलग शहरों में स्थित, दफ्तरों में आयकर विभाग ने गुरुवार को छापेमारी की है। यह छापेमारी भोपाल, अहमदाबाद, जयपुर व अन्य सभी भास्कर समूह के दफ्तरों में की जा रही हैं।

सूत्रों के अनुसार यह छापेमारी विभिन्न राज्यों में चल रहे हिंदी मीडिया समूह के प्रवर्तकों के विरूद्ध की जा रही है। हालांकि नीति निर्माण निकाय ने अभी किसी भी प्रकार की जानकारी साझा नहीं की है।

कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, “पत्रकारिता पर मोदी शाह का प्रहार!!  मुझे विश्वास है कि अग्रवाल बंधु डरेंगे नहीं। दैनिक भास्कर के विभिन्न ठिकानों पर इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की छापामार कार्रवाई शुरू… प्रेस कॉन्प्लेक्स सहित आधा दर्जन स्थानों पर मौजूद है इनकम टैक्स की टीम”

आपको बता दें, कि इस समय संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। और मीडिया संस्थान पर की गयी छापेमारी की गूंज संसद तक सुनाई दी है।

कोरोना संकट के चलते महामारी काल में देश की स्थिति पर दैनिक भास्कर द्वारा काफी ग्राउंड रिपोर्ट भी किए गए थे।

कांग्रेस पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह के साथ अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने संसद में इस विषय पर जमकर हंगामा भी किया। जिसके चलते राज्यसभा की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।

जंतर-मंतर पर किसानों की संसद का पहला दिन

किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन गुरुवार से शुरू कर दिया है। किसान संगठन समूह के 200 किसान सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर से बसों में भरकर जंतर-मंतर पर पहुंचे है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत व सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव भी इस दल में शामिल रहे। यह सभी किसान करीब दोपहर के 12 बजे के बाद जंतर-मंतर पहुंचे।

वहीं दूसरी तरफ, संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी व अन्य नेताओं संसद परिसर में महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की।

किसान संगठन समूह का कहना है कि वे जब तक संसद का मॉनसून सत्र चलेगा तब तक वह इसी प्रकार अपनी संसद जंतर-मंतर पर चलाऐंगे।

उन्होंने आगे कहा, दिल्ली पुलिस द्वारा बसों की चेकिंग के चलते उन्हें यहां पहुंचने में देरी हुई है। और संसद में मौजूद विपक्षी पार्टियों को हमारे लिए आवाज उठानी चाहिए।

 

सिद्धू 65 पर नॉट आउट, कैप्टेन 15 पर अब ‘रनर’ की भूमिका में

मुट्ठी से रेत की तरह विधायक कैप्टेन अमरिंदर सिंह के पाले से फिसल गए। दो हफ्ते पहले तक सर्वशक्तिमान कैप्टेन कांग्रेस आलाकमान के एक ही फैसले से चित दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी यह हालत खुद कर ली है। अमृतसर में पंजाब के नए अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ आज (बुधवार) के ‘शक्तिप्रदर्शन’ में 65 विधायक रहे। कुल मिलाकर 80 विधायकों में से सिर्फ 15 आज की तारीख में कैप्टेन के साथ खड़े हैं, लेकिन पंजाब में सांझ ढलने जैसी स्थिति में पहुँच चुकी कैप्टेन की राजनीति में कल का सूरज उगने तक इनमें से कितने और उनके साथ रहेंगे, कहना कठिन है।

स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने पहुंचे सिद्धू पंजाब जैसे मुश्किल राज्य में इतनी जल्दी और  इतने बड़े स्तर पर कांग्रेस विधायकों का समर्थन जीत लेंगे, इसकी उम्मीद कैप्टेन तो  कैप्टेन, खुद सिद्धू समर्थकों को भी शायद नहीं रही होगी। माहौल साफ़ बता रहा है कि सिद्धू समझदारी से खेले और कम बोले तो कांग्रेस ही नहीं पंजाब की राजनीति में वे आने वाले सालों में एक बड़े नेता के रूप में उभर जाएंगे। कांग्रेस आलाकमान के पीछे खड़े होने की ताकत ने सिद्धू को रातों-रात कैप्टेन को टक्कर दे सकने वाला नेता बना दिया है। पंजाब की सड़कों पर सिद्धू के होर्डिंग बताते हैं कि कांग्रेस में एक नए नेता का उदय हो गया है और कांग्रेस के बड़े वर्ग ने उन्हें स्वीकार कर लिया है।

सिद्धू के पीछे विधायकों की लम्बी कतार बता रही है कि कांग्रेस आलाकमान चाहे तो राज्यों में उसके इशारे के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता। पंजाब के बहाने कांग्रेस की आलाकमान अपनी ताकत के साथ सामने आई है, जो हाल के सालों में कमजोर दिख रही थी। अब अन्य राज्यों में भी इसका असर दिखेगा और जो वेवजह आँखें दिखाने की कोशिश करेगा, उसका हाल ‘सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेवार है’ जैसा हो जाएगा। सिद्धू की तैयारी अब कांग्रेस आलाकमान के 18 सूत्रीय ‘पंजाब मॉडल’ को ताकत देने की है ताकि सभी पंजाबियों को सूबे के विकास में साझीदार बनाया जा सके।

कैप्टेन को अब जाकर एहसास हो रहा है कि खुद पर ज़रुरत से ज्यादा भरोसा करके उन्होंने जिस तरह कांग्रेस आलाकमान को हलके में लेने की भूल की, उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। आलाकमान के नियुक्त किये सिद्धू ने एक हफ्ते में ही कैप्टेन को पानी पिलाने जैसे हालत में पहुंचा दिया। विधायकों की शक्ति के बिना कैप्टेन शून्य हैं और अब अलगे कुछ दिनों में उन्हें आलाकमान की मर्जी से अपने मंत्रिमंडल का भी विस्तार करना पड़ सकता है।

अध्यक्ष बनने के बाद आज नवजोत सिंह सिद्धू के आवास पर पंजाब कांग्रेस के 62 विधायक जुटे। सिद्धू के साथियों के दावे के मुताबिक  सिद्धू के साथ जुटने वाले हैं। इसके बाद सिद्धू श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में माथा टेकने पहुंचे। दुर्गियाना मंदिर और राम तीरथ स्थल भी सिद्धू गए हैं। साफ़ है अमृतसर जैसे पंजाब के सबसे मजबूत राजनीतिक केंद्र अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए चुनकर सिद्धू ने कैप्टेन को सन्देश दे दिया है।

राजा वडिंग, राज कुमार वेरका, इंदरबीर बोलारिया, बरिंदर ढिल्लों, मदन लाल जलालपुर, हरमिंदर गिल, हरजोत कमल, हरमिंदर जस्सी, जोगिंदर पाल, परगट सिंह और सुखजिंदर रंधावा जैसे बड़े विधायक सिद्धू के साथ जा खड़े हुए हैं। परगट तो खैर पहले से ही सिद्धू के साथ हैं। कांग्रेस में अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि मंगलवार को सिद्धू के सामने किसानों का जो प्रदर्शन हुआ था, उसके पीछे कथित तौर पर कैप्टेन के ही लोग थे।

कैप्टेन जिस तरह सिद्धू से ‘माफी मंगवाने’ पर अड़े हैं, उससे खुद कैप्टेन जैसे अनुभवी नेता की छवि को ही बट्टा लग रहा है। माफी मांगने के सवाल पर विधायक और पूर्व हॉकी दिग्गज परगट सिंह ने कहा – ‘प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू को सीएम से माफी क्यों मांगनी चाहिए ? माफी मांगना कोई सार्वजनिक मुद्दा नहीं है। ऐसे कई मुद्दे हैं जिनका समाधान सीएम ने नहीं किया है, लिहाज माफी तो जनता से उन्हें मांगनी चाहिए’।

राजकुमार वेरका जैसे मजबूत समर्थक के छिटकने से निश्चित ही कैप्टेन दुखी होंगे। लेकिन राजनीति में यही होता है। सब चढ़ते सूरज को सलाम करते हैं। ऊपर से सिद्धू के साथ आलाकमान का हाथ है। भला कौन कैप्टेन के पीछे लगा रहेगा। कैप्टन  टकसाली नेताओं को साथ रखने की कमजोर सी कोशिश कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता ब्रह्म मोहिंद्रा ने सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का स्वागत कर दिया है। वे कैप्टेन सरकार में वरिष्ठ  मंत्री हैं।

कैप्टेन की आँख-कान माने जाने वाले उनके मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने आज एक ट्वीट किया है जिससे लगता है कि कैप्टेन अभी भी ‘आर-पार की लड़ाई’ में खुद को खड़ा दिखाना चाहते हैं। वे सिद्धू को कुछ भी मानने के लिए तैयार नहीं। निश्चित ही कैप्टेन के सलाहकार उन्हें राजनीतिक रिस्क में डाल रहे हैं। ठुकराल का आज का ट्वीट कहता है – ‘ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात का समय मांगा है, जो पूरी तरह गलत है। किसी भी तरह का कोई समय नहीं मांगा गया है और न ही मुख्यमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से तब तक मुलाकात करेंगे जब तक वह सार्वजनिक तौर पर उनसे माफी नहीं मांग लेते हैं’।

अब अमरिंदर का अगला कदम क्या हो सकता है। कांग्रेस आलाकमान ने तो उनके ही नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन यह कैप्टेन थे जिन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बनाने के आलाकमान के अधिकार को भी अपने हाथ में रखने की कोशिश की। यदि कैप्टेन भाजपा में होते तो क्या ऐसा कर सकते थे? बिलकुल नहीं। कांग्रेस में विधायकों की शक्ति के बूते उन्होंने आलाकमान को ही हांकने की कोशिश की जो उन्हें उल्टी पड़ गयी।

वर्तमान स्थिति की निराशा में अब यदि वे कांग्रेस को अलविदा कहने जैसा मुश्किल फैसला कर भी लेते हैं तो उनके सामने क्या विकल्प हो सकते हैं ? एक – वे आम आदमी पार्टी (आप) जैसी पार्टी में जाएं जो एक ही सूबे में सरकार वाली पार्टी है और जिसके नेता राजनीति में उनके अनुभव और रुतबे से कहीं जूनियर हैं। आप में जाकर उनके दोबारा मुख्यमंत्री बनने की कोई गारंटी नहीं क्योंकि यह तो चुनाव जीतने पर निर्भर करेगा।

दो – वे भाजपा में जाएं, जो उन्हें साथ लेने की बहुत इच्छुक रहेगी क्योंकि कैप्टेन का साथ मिलना तो उसके लिए लाटरी हाथ लगने जैसा होगा। लेकिन किसान जिस स्तर पर भाजपा से नाराज हैं उसे देखते हुए कैप्टेन वहां क्या कर सकेंगे, यह समझा जा सकता है। विचारधारा के स्तर पर भी कैप्टेन के विचार भाजपा से मेल नहीं खाते।

तीन – वे अपना ही कोई क्षेत्रीय राजनीतिक दल खड़ा कर लें। उनके साथ आप, अकाली दल और कांग्रेस के अलावा भाजपा के कुछ नेता आ सकते हैं। लेकिन बिना संसाधन वे एक मजबूत संगठन खड़ा कर लेंगे, इसे लेकर कोई दावा आज की तारीख में नहीं किया जा सकता है।

चार – अमरिंदर कांग्रेस में ही बने रहें और विधानसभा चुनाव तक अपनी लड़ाई लड़ें। सिद्धू अब अध्यक्ष बनकर चुनाव में टिकटों की बड़ी संख्या पर हाथ साफ़ कर जाएंगे, इसकी पक्की संभावना है, फिर भी अमरिंदर कोशिश तो कर ही सकते हैं। यदि चुनाव के बाद वे सीएम नहीं भी बनते हैं तो भी तमाम वर्तमान तल्खियों के बावजूद कांग्रेस संगठन में कोई सम्मानजनक पद उन्हें मिल जाएगा।

जंतर-मंतर पर किसानों की पंचायत

पिछले साल बनाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों के आंदोलन को करीब 8 महीने से अधिक समय हो गया है। और सरकार के साथ अभी तक कि किसानों की तमाम बैठकों की बातचीत विफल रही है।

संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो गया है। यह 19 जुलाई से शुरू होकर 13 अगस्त तक चलेगा। काफी समय से तमाम विपक्षी पार्टियां बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर महंगाई को कम करने की लगातार मांग भी कर रही है।

वहीं सरकार को संसद के अंदर कांग्रेस व दूसरी विपक्षी पार्टियों के विरोध और गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि, जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती वह मानसून सत्र को सामान्य रूप से चलने नहीं देंगे।

जहां संसद के भीतर सरकार विपक्षी दलों के घेरे में है वहीं दूसरी तरफ संसद के बाहर सरकार के सामने एक और समस्या खड़ी हो गर्इ है। मंगलवार को किसान संगठनों ने दिल्ली पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर कहा कि, वे संसद न जाकर, शांतिपूर्ण तरीके से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे।

दिल्ली की सीमाओं के पास प्रदर्शन कर रहे किसानों संगठन 22 जुलाई से 200 के करीब प्रदर्शनकारी प्रतिदिन जंतर-मंतर जाएंगे और संसद आयोजित करेंगे। इसका समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक का रहेगा।

बीते 24 घंटों के भीतर कोविड के नए मामलों की संख्या में हुई बढ़ोतरी

भारत में कोरोना महामारी के आंकड़ों में फिर से बढ़ोतरी देखने को मिली है। बीते 24 घंटों में कोविड के करीब 47 हजार नए मामले व जान गंवाने वालों की संख्या करीब 3990 दर्ज की गयी है।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के व्यापक प्रभाव को समाप्त होने के बाद से तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी। और इस तीसरी लहर का असर दिखना भी शुरू हो गया है। इसी बीच बीते एक दिन के भीतर अब तक कोविड से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या का आंकड़ा तेजी से बड़ा है।

अभूतपूर्व महामारी की स्थिति के कारण दुनिया सामाजिक-आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि पहली, दूसरी और अब तीसरी लहर आएगी जिसका प्रभाव बच्चों को अधिक प्रभावित करेगा।

आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 संबंधित जांच की दैनिक दर 2.27 फीसदी है जो कि बीते 30 दिनों से लगातार 3 फीसदी कम है। संक्रमण से मुक्त लोगों की संख्या 3,03,90,682 व पुष्टि की साप्ताहिक दर 2.09 प्रतिशत है।

करीब 39 दिन बाद कोरोना के चार हजार मामले देखने को मिले है साथ ही, देश में करीब 41.54 करोड़ कोरोना रोधी टीकाकरण लोगों को दिया जा चुका है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 21 जुलाई तक देश में कोरोना वैक्सीन के 41 करोड़ 54 हजार 455 डोज दिए जा चुके है। व दोनों डोज लेने वालों की संख्या 8 करोड़ 67 लाख 56 हजार 243 है।