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कांग्रेस पार्टी के ट्विटर अकाउंट को बैन हटा

A 3D-printed Twitter logo is pictured in front of a displayed Russian flag in this illustration taken March 10, 2021. REUTERS/Dado Ruvic/Illustration

करीब एक हफ्ते तक सस्पेंड होने के बाद ट्विटर ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व अन्य कांग्रेसी नेता के सी वेणुगोपाल व अजय माकन सहित सभी के ट्विटर अकाउंट से बैन हटा दिया है।

बैन हटने के बाद कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम के चेयरमैन रोहन गुप्ता ने ‘सत्यमेव जयते’ लिखकर ट्वीट भी किया है।

दिल्ली में नौ वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार करने के बाद हत्या का मामला सामने आया था। कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी पीड़िता के परिवार से मुलाकात करने उनके निवास स्थान पर गए थे, जिसकी कुछ तस्वीरें उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा की थी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राहुल गांधी के खिलाफ ट्वीट को शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें उन्होंने पीड़िता के माता-पिता की पहचान उजागर करने का आरोप लगाया था।

कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं का अकाउंट बंद किये जाने का स्क्रीन शॉट फेसबुक पोस्ट मे साझा कर जानकारी दी थी। और कहा था कि, जब हमारे नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया था हम तब नही डरे थे तो अब ट्विटर अकाउंट बंद करने से क्या डरेंगे। हम कांग्रेस पार्टी है, जनता का संदेश है, हम लड़ेंगे और लड़ते रहेंगे।

 

अफगानिस्तान में अब अमेरिका का फोकस अपने नागरिकों को बाहर निकालना

अफगानिस्तान में तालिबान का वर्चस्व दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। अगले एक महीने में उसके काबुल पर भी कब्जा करने की उम्मीद है। इस बीच, अमेरिका की जो बाइडन सरकार भी मान रही है कि एक महीने के भीतर काबुल पर भी तालिबान का कब्जा हो जाएगा और अफगान सरकार गिर जाएगी। ऐसे में अमेरिका ने अफगानिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों को निकालने की पूरी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए उसने अपने 3 हजार सैनिकों को वापस अफगानिस्तान भेज रहा है, ताकि वहां से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल सके। उसे वहां के नागरिकों और सरकार में लगता है अब कोई दिलचस्पी नहीं है। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि सैनिक लंबे वक्त के लिए नहीं भेजे जा रहे हैं, ये सिर्फ अस्थायी मिशन है।

बता दें कि अमेरिका ने 3500 सैनिक कुवैत में अमेरिकी बेस पर भी तैनात कर रखे हैं। ये सैनिक जरूरत पड़ने पर अफगानिस्तान सरकार की मदद को पहुंच सकते हैं। इसके अलावा एक हजार सैनिक कतर में भी तैनात हैं। ये उन अफगानियों की मदद कर रहे हैं, जो स्पेशल वीजा पर अमेरिका में बसना चाहते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान अब तक 34 में से 12 प्रांतों पर कब्जा कर चुका है।

पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान से सेनाओं की वापसी की बात कही थी। किर्बी ने कहा कि हमारा फोकस केवल अमेरिकी नागरिकों और सहयोगियों को अफगानिस्तान से बाहर निकालना है। उन्होंने कहा कि अभी सैनिकों को भेजना एक टेम्परेरी मिशन है। हम विदेश मंत्रालय से अपील करते हैं कि स्पेशल इमिग्रेंट वीजा एप्लीकेशन की प्रक्रिया को तेज करें ताकि कोई रुकावट न आए। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ अफगानिस्तान के हालात को लेकर बैठक कर समीक्षा की थी। इसके बाद अमेरिकी दूतावास ने अलर्ट जारी किया था कि अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी किसी भी फ्लाइट से अफगानिस्तान छोड़ दें। अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम अफगानिस्तान से दूतावासों में काम कर रहे 5400 लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए हैं, इनमें करीब 1400 अमेरिकी नागरिक हैं।

तालिबान से हमला न करने की अपील
अमेरिका के शांति वार्ताकारों ने तालिबान से अपील की है कि अगर वे राजधानी काबुल पर कब्जा कर लेते हैं तो वे उसके दूतावास पर हमला नहीं करेंगे। साथ ही उसके नागरिकों और दूतावास के अफसरों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। तालिबान के साथ मुख्य अमेरिकी दूत जाल्मय खलीलजाद के नेतृत्व में बातचीत हो रही है। बताया जा रहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबान की भावी सरकार को आर्थिक सहयोग लटकाने की धमकी देकर अपने लोगों की सुरक्षित वासी सुनिश्चत करना चाहता है।

इसरो का ईओएस-3 अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट कक्ष में स्थापित होने से चूका

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) को ईओएस-3 अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को कक्ष में स्थापित करने में चूक गया। तकनीकी खामी के चलते भारत का तीसरा प्रयास नाकाम रहा। इससे निगरानी में मदद मिलने वाली थी।

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी ने उड़ान भरी। उड़ान भरने के शुरुआती चरणों में, जिसमें चार स्ट्रैप – ऑन बूस्टर और पहला व दूसरा चरण शामिल था, सब कुछ योजना के मुताबिक ही हुआ। उड़ान भरने के 4 मिनट 55 सेकंड बाद, दूसरा चरण अलग हो गया और एक सेकंड के बाद, ऊपरी स्टेज का क्रायोजेनिक इंजन भी चालू हो गया। यानी जैसा प्लानिंग थी, वैसा ही चल रहा था।

इसरो के वेबकास्ट पर लॉन्च व्हीकल टेलीमेट्री के एनिमेशन के आधार पर ये बात सामने आई कि चरण की शुरुआत तो हुई लेकिन कुछ ही पलों में नियंत्रण खो दिया। एक बिंदु पर टेलीमेट्री स्क्रीन में दिखा कि स्टेज ने अपना एल्टिट्यूड और वेलोसिटी खो दी है, वहीं एनिमेशन में साफ तौर पर दिखा कि एटिट्यूड नियंत्रण खो दिया। इसके बाद कुछ पल के लिए खामोशी छा गई और बाद में इसरो ने स्पष्ट किया यह लॉन्च नाकामयाब रहा। कुल मिलाकर क्रायोजेनिक चरण चालू नहीं हो सका जिस वजह से मिशन असफल हो गया।

इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि क्रायोजेनिक चरण में कुछ तकनीकी खामी आ गई थी जिससे मिशन सफल नहीं हो सका। दरअसल, क्रायोजेनिक चरण स्पेस लॉन्च व्हीकल का आखिरी चरण होता है, जिसमें भारी सामग्री को उठाकर स्पेस में ले जाने के लिए सामग्री को बहुत कम तापमान पर इस्तेमाल किया जाता है। क्रायोजेनिक इंजन प्रोपेलेंट्स के तौर पर लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है। दोनों अपने-अपने टैंक में मौजूद होते हैं। यहां से उसे अलग अलग बूस्टर पंप के जरिए टर्बो पंप में पंप किया जाता है, जिससे प्रोपेलेंट्स का तेज प्रवाह दहन कक्ष में पहुंचना सुनिश्चित हो सके।

संसद के इतिहास में पहली बार राज्यसभा में सदस्यों की पिटाई और धक्का-मुक्की : राहुल गांधी

पेगासस जाजूसी कांड से लेकर कृषि कानूनों के खिलाफ राहुल गांधी की अगुवाई में गुरुवार को विपक्षी सांसदों ने राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जमकर प्रदर्शन किया। इन कई मसलों पर मोदी सरकार को घेरने और दबाव बनाने के लिए राहुल गांधी के साथी करीब 15 विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया। इस मौके पर राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पहली बार संसद के इतिहास में राज्यसभा में सदस्यों की पिटाई की गई और विपक्षी सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की गई।

गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल ने आरोप लगाया कि विपक्ष पेगासस जासूसी कांड, किसानों की समस्यायें और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा कराना चाहता था लेकिन सरकार ने यह नहीं होने दिया। उन्होंने कहा – ‘संसद का सत्र समाप्त हो गया है। देश की 60 फीसदी आवाज को कुचला गया, अपमानित किया गया, राज्यसभा में सांसदों को पीटा गया। आज हमें आपसे (मीडिया) बात करने के लिए यहां आना पड़ा क्योंकि हमें (विपक्ष) संसद में बोलने की अनुमति नहीं दी गई। यह लोकतंत्र की हत्या है।

याद रहे संसद से विजय चौक तक इस मार्च में बैनर और तख्ती लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, शिवसेना के संजय राउत और अन्य नेता शामिल हुए। मार्च के बाद राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा – ‘पहली बार राज्यसभा में सांसदों की पिटाई की गई। बाहर से लोगों को बुलाया गया और सांसदों के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की गई। चेयरमैन ने भी पक्षपात किया। चेयरमैन की जिम्मेदारी हाउस को चलाने की है तो फिर उन्होंने और स्पीकर ने सदन को क्यों नहीं चलाया। विपक्ष की बात सदन में क्यों नहीं रख सकते।’

इस मौके पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा – ‘संसद सत्र के दौरान विपक्षी दल के नेता जनता की हित की बात कहना चाहते थे। यह संसद सत्र नहीं था, बल्कि इस दौरान सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है। मार्शल की पोशाक में कल कुछ निजी लोगों ने राज्यसभा में महिला सांसदों पर हमले किये। उन्हें ऐसा लगा जैसे ‘मार्शल लॉ  लगा हो’।

डीएमके के तिरुचि शिवा ने कहा – ‘मैंने दो दशक के अपने संसदीय जीवन में मानसून सत्र की ऐसी घटनाओं को नहीं देखा था। विपक्ष जनरल बीमा विधेयक पर विस्तार से चर्चा चाहता था और उसे प्रवर समिति में विस्तृत समीक्षा के लिए भेजा जाना चाहिये था, लेकिन इसे अव्यवस्था के बीच ही पारित करा दिया गया’।
एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा – ‘यह मानसून सत्र शर्मनाक सत्र था। हमारे नेता शरद पवार ने अपने संसदीय जीवन में ऐसी शर्मनाक घटनायें नहीं देखी थी। लोकतंत्र में विपक्ष का बहुत महत्व है लेकिन सदन संचालन में सरकार ने सहयोग नहीं किया। उन्होंने कहा कि कल की घटनाओं से पवार बेहद दुखी हैं।’

राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा – ‘मानसून सत्र के दौरान सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है’। एक अन्य सांसद ने कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या कर दी है। उनकी पार्टी विपक्ष के साथ है। यह देश 135 करोड़ लोगों का है।

राज्यसभा में कल हुए हंगामे को लेकर आज विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च किया। मार्च में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।

राहुल गांधी के बाद अब कांग्रेस का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ‘लॉक’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य नेताओं के बाद अब ट्विटर ने कांग्रेस का  आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ‘लॉक’ कर दिया है। कांग्रेस ने गुरुवार को यह आरोप लगाते हुए कहा कि ट्विटर ने पार्टी के आधिकारिक हैंडल @INCIndia को लॉक कर दिया है।
कांग्रेस ने अपने फेसबुक पेज पर गुरुवार को यह जानकारी साझा की है। पार्टी ने कहा है कि वह और उसके नेता इससे डरने वाले नहीं। माना जा रहा है कि ट्विटर ने नियमों के उल्लंघन पर यह कार्रवाई की है। सोशल मीडिया कंपनी इससे पहले इसी तरह की कार्रवाई राहुल गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कर चुकी है।

कांग्रेस ने अपने लॉक किए गए ट्विटर अकाउंट का स्क्रीनशॉट फेसबुक पेज पर साझा  करते हुए आज लिखा – ‘जब हमारे नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया, हम तब नहीं डरे तो अब ट्विटर अकाउंट बंद करने से क्या ख़ाक डरेंगे। हम कांग्रेस हैं, जनता का संदेश है, हम लड़ेंगे, लड़ते रहेंगे। अगर बलात्कार पीड़िता बच्ची को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाना अपराध है, तो ये अपराध हम सौ बार करेंगे। जय हिंद…सत्यमेव जयते।’
बता दें कांग्रेस ने बुधवार देर रात दावा किया था कि रणदीप सुरजेवाला समेत पांच वरिष्ठ पार्टी नेताओं के अकाउंट के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की गई है। पार्टी ने कहा था कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन, लोकसभा में पार्टी के सचेतक मनिकम टैगोर, असम प्रभारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव के ट्विटर अकाउंट निलंबित कर दिए गए हैं।

याद रहे राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते दिल्ली में कथित बलात्कार और हत्या की शिकार नौ वर्षीय बच्ची के परिवार के साथ की तस्वीरें ट्वीट की थीं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने राहुल गांधी के ट्वीट का संज्ञान लिया और ट्विटर को नाबालिग पीड़िता की निजता का उल्लंघन करने के लिए कांग्रेस नेता के अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। बुधवार को ट्विटर ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि राहुल गांधी के 4 अगस्त को किए ट्वीट ने कंपनी की नीतियों का उल्लंघन किया था। उन्होंने रेप पीड़िता के माता-पिता के साथ अपनी तस्वीर ट्वीट की थी। इसकी वजह से उनके अकाउंट को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है।

मुख्य सचिव से मारपीट मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत 10 आरोपी बरी

दिल्ली की एक अदालत ने 2018 में तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और नौ अन्य आप विधायकों को बरी कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में आप के दो विधायकों अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।

अदालत का फैसला आने के बाद मामले में मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे सत्य की जीत बताया। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज न्याय और सच्चाई की जीत का दिन है। अदालत ने कहा कि इस मामले में सभी आरोप झूठे और आधारहीन थे। मुख्यमंत्री आज उस झूठे केस में बरी हुए। हम पहले भी कहते रहे हैं कि सभी आरोप झूठे थे। यह मुख्यमंत्री के खिलाफ एक षड्यंत्र रचा गया था।

मामले में आम आदमी पार्टी का कहना है कि उन्होंने ढाई लाख राशन कार्ड धारकों को राशन न मिलने के कारण मुख्य सचिव के साथ बैठक की थी। बैठक में जब मुख्य सचिव से इस बारे में जवाब मांगा गया तो वो बोले कि मैं सिर्फ उपराज्यपाल के आदेश लेता हूं, उन्हें ही जवाब दूंगा। प्रमुख सचिव के इस आरोप को आम आदमी पार्टी ने सिरे से खारिज कर दिया था। हालांकि पार्टी ने माना था कि आप विधायक और प्रमुख सचिव के बीच में गरमागरम बहस जरूर हुई थी, लेकिन उनसे किसी तरह की बदसलूकी की बात बेबुनियाद है।

बैठक का वीडियो व सीसीटीवी फुटेज की फॉरेंसिक जांच की गई तो उसमें वीडियो से कोई छेड़छाड़ नहीं  की गई थी। हालांकि अदालत ने मामले में आप के तेजतर्रार विधायक अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ मुकदमा चलेगा।

मानसून सत्र में लोकसभा दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं, राज्यसभा की कार्यवाही भी शोर-शराबे की वजह से दोपहर 12 बजे तक के लिए टालनी पड़ी। इसके बाद कार्यवाही फिर से शुरू हुई। बता दें कि संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक ही चलना है।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी कहा कि वह संसद में कार्यवाही न होने से दुखी हैं। उन्होंने बताया कि मानसून सत्र में महज 22 फीसदी ही काम हो सका है। सत्र में कुल 20 विधेयक ही पारित किए गए। इस दौरान राज्यों को ओबीसी सूची के अधिकार वाला विधेयक भी पास कराया गया। इसी विधेयक पर सरकार को विपक्ष का साथ मिला। इसके अलावा ज्यादातर विधेयक बिना किसी चर्चा और बहस के मिनटों में हंगामे के बीच पारित करा लिए गए।

बता दें कि संसद में पेगासस जासूसी मामले और कृषि कानूनों की वापसी को लेकर इस बार शुरू से ही विपक्ष ने सख्त रुख अख्तियार किए रखा और संसद की कार्यवाही को चलने नहीं दी। वहीं सरकार भी अपने रुख पर अड़ी रही और न तो पेगासस जासूसी पर न ही कृषि कानूनों पर किसी भी तरह की चर्चा को तैयार हुई। मंगलवार को तो राज्यसभा में कुछ ज्यादा ही हंगामा हो गया और कुछ सांसद तो वेल में आने के बाद कुर्सी पर चढ़ गए और रूल बुक को नीचे फेंक दिया।

राज्यसभा में इस रुख से सभापति वेंकैया नायडू बुधवार को भावुक हो गए। उन्होंने सदन में विपक्ष के बर्ताव की निंदा की। उन्होंने कहा कि संसद में जो हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं। कल जब कुछ सदस्य टेबल पर आए, तो सदन की गरिमा को चोट पहुंची और मैं पूरी रात नहीं सो पाया। सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू बीते मंगलवार को राज्यसभा में हंगामा करने वाले और आसन की तरफ रूल बुक फेंकने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।

पश्चिम बंगाल में बाढ़ के राहत कार्य में जुटीं ममता बनर्जी

भारी बाढ़की की चपेट में आने के कारण पश्चिम बंगाल  में दर्जन से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गइ है , वहीं ढाई लाख लोग घर से बेघर हो गये है।

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया है। साथ ही राहत कार्य का नेतृत्व भी वे खुद करती नज़र आ रही है। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की इस स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया है।

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, “परियोजनाओ को जल्द से जल्द मंजूरी दिलाने के लिए वह एक टीम को दिल्ली भेजेंगी। जिससे की केंद्र पर प्रेशर बना कर मंजूरी जल्दी प्राप्त की जा सकेगी।

उन्होंने कहा, यह मानव निर्मित बाढ़ है। घाटल मास्टर प्लान के हमारे अनुरोधों पर केंद्र ध्यान नही दे रहा है। हमारे बार-बार अनुरोध, बहरे कानों में पड़ रहे हैं। मैंने इलाके का सर्वे कर लिया है। मैं इस पर एक रिपोर्ट तैयार करूंगी।”

बंगाल में पिछले सप्ताह से लगातार बारिश हो रही है जिससे 7 जिलों में बाढ़ की स्थिति विकराल बनी हुर्इ है। साथ ही 23 लोगों की मौत भी हुई है। वहीं दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) बांध द्वारा कथित तौर पर अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने को लेकर टीएमसी और विपक्षी बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है

हिमाचल के किन्नौर में भूस्खलन के कारण कई वाहन मलबे में दबे

हिमाचल के किन्नौर में बुधवार की दोपहर भूस्खलन के बाद कई वाहन मलबे में दब गए। इस मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है।

किन्नौर के रिकांग पियो-शिमला हाईवे पर तकरीबन दोपहर के 12.45 मिनट पर भूस्खलन हुआ था। रिपोर्ट्स के मुताबिक शिमला जा रही बस में करीब 30 से 45 लोग सवार थे।

भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस ने ट्वीट कर बताया,“हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जिले में रिकांगपिओ-शिमला राजमार्ग पर आज लगभग 12.45 बजे भूस्खलन की सूचना मिली। एक ट्रक, एक एचआरटीसी बस और कुछ वाहन मलबे में दब गए। कई लोगों के फंसे होने की सूचना है। आईटीबीपी की टीमें बचाव के लिए दौड़ी। अधिक विवरण की प्रतीक्षा है।“

मौके पर एनडीआरएफ की टीमें व स्थानीय प्रशासन सहित पुलिस भी बचाव कार्य में लगातार जुटी हुई है।

पिछले कुछ हफ्तों में हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लगातार भारी बारिश के कारण कई भूस्खलन हुए है, जिससे कई गांवों में पानी के तेज प्रवाह से अनेकों लोगों की जान भी गई है।

मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के मामले में अश्विनी उपाध्याय समेत छह गिरफ्तार

दिल्ली के ऐतिहासिक धरना स्थल जंतर-मंतर पर आठ अगस्त को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ कार्यक्रम के दौरान आपत्तिजनक और भड़काऊ नारेबाजी के मामले में पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के वकील और भाजपा से जुड़े रहे नेता अश्विनी उपाध्याय समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम विरोध नारे लगाए गए थे, जिनका वीडियो सोशल मीडिया में वायर हो गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया था। जिसके बाद यह मामलां संसद तक में गूंजा था।

कनॉट प्लेस थाने में सोमवार को मामला दर्ज किए जाने के बाद  सोमवार देर रात ही पूछताछ के लिए अश्विनी उपाध्याय समेत बाकी लोगों को थाने तलब किया गया था। करीब छह घंटे की पूछताछ के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस उपायुक्त दीपक यादव ने मंगलवार दोपहर इनकी गिरफ्तारी की जानकारी दी। मामले में अपराध शाखा ने भी कुछ आरोपियों से पूछताछ की। मामले की छानबीन जारी है।

पुलिस उपायुक्त दीपक यादव ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान भाजपा के पूर्व प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय, प्रीत सिंह, दीपक सिंह, दीपक कुमार, विनोद शर्मा और विनीत बाजपेयी हैं। प्रीत सिंह सेव इंडिया फाउंडेशन का निदेशक है। इस फाउंडेशन के बैनर तले विवादित ार्यक्रम का आयोजन किया गया था। पुलिस ने कहा था कि इस कार्यक्रम की अनुमति भी नहीं ली गई थी।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरूआत में यहां पर करीब 50 लोग इकट्ठा हुए थे। इसके बाद धीरे-धीरे इनकी संख्या और बढ़ गई। बाद में सैकड़ों लोगों के जमा होने का दावा किया गया। इन लोगों ने यहां एक धर्म विशेष के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कर घोर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। उसी दिन इसका वीडियो वायरल हो गया। जिसके बाद कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई। मामला संज्ञान में आते ही पुलिस ने इस संबंध में नफरत फैलाने व सरकारी आदेश के उल्लंघन का मामला दर्ज कर लिया।
पुलिस वीडियो के आधार पर अन्य आरोपियों की तलाश में दबिश दे रही है। कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। आरोपियों में पिंकी चैधरी का नाम भी शामिल है। इससे पहले वर्ष 2020 में जेएनयू में हुए बवाल में भी पिंकी चैधरी ने हमला करने की जिम्मेदारी ली थी। पिंकी पर गाजियाबाद में अरविंद केजरीवाल पर हमला करने का भी आरोप है।
वकील अश्विनी उपाध्याय सोमवार देर रात 3 बजे कनॉट प्लेस थाने पहुंचे और पूछताछ में शामिल हुए। उसने पुलिस के सामने अपने आपको बेकसूर बताकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। उसने दावा किया कि उसकी मौजूदगी तक ऐसे नारे नहीं लगाए। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में दीपक सिंह व दीपक कुमार से पूछताछ की। जांच के बाद सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस को मामले में कई अन्यों की तलाश…

जंतर-मंतर पर हुई नारेबाजी के मामले में पुलिस को कई अन्य आरोपियों की तलाश है। नारेबाजी के बाद पिंकी ने खुद के जंतर-मंतर पर होने की बात की थी। पिंकी ने नारेबाजी करने की बात से इनकार किया है। पिंकी ने स्वीकार किया है कि उनके कहने पर ही हिंदू संगठन के लोग वहां पहुंचे थे।