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जम्मू-कश्मीर में सिख लड़कियों के धर्मांतरण मामले में किशन रेड्डी के साथ बैठक

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी के साथ जम्मू-कश्मीर में दो सिख लड़कियों का कथित जबरन धर्म परिवर्तन कराने के मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक हुई।  मंगलवार को हुई इस बैठक में सिख समुदाय की जागो पार्टी के कार्यकर्ता और संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने शिरकत की।

बैठक में जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद के सदस्य चरणजीत सिंह खालसा, जागो पार्टी के प्रधान मंजीत सिंह प्रधान, भाजपा के प्रवक्ता आरपी सिंह व जागो पार्टी के अन्य कार्यकर्ता शामिल हुए।

हाल ही में, कश्मीर में सिख समुदाय की दो लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन और शादी की घटना के मामले सामने आए हैं।  हालांकि पाकिस्तान में हिंदू महिलाओ और बच्चो के साथ अपहरण और धर्मांतरण की घटनाएं होती रहती हैं। परंतु जम्मू कश्मीर में ऐसी घटनाओं का होना बेहद गंभीर है। इस घटना ने सबको चौंका तो दिया ही है साथ ही जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह भी लगा दिया है।

पहली घटना, कश्मीर के रेनावाड़ी की है जहां सिख समुदाय की 18 वर्ष की लड़की की शादी 62 वर्ष के बुजुर्ग के साथ जबरन करा दी गर्इ। जो की पहले से ही शादीशुदा था व उसके कर्इ बच्चे भी हैं। लड़की के परिवार ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस को बताया कि यह शादी बंदूक के बल पर कराई गई थी। पुलिसकर्मियों ने परिवार को आश्वासन दिया कि वह उनकी बेटी को 35 घंटो के भीतर उसके परिवार को सौंप दिया जाएगा। परंतु श्रीनगर की स्थानीय अदालत ने शादी को वैध करार दे दिया है।

दूसरी घटना, श्रीनगर की है जहां लडकी की जबरन शादी अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कराई गई थी। और शादी के बाद से ही लड़की लापता है। भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद के सदस्य चरणजीत सिंह खालसा ने बताया, यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है ऐसी घटना पहले भी हो चुकी हैं। और गृह राज्य मंत्री से आज की बैठक में चिंता का विषय भी कश्मीर में कराए जा रहे जबरन अपहरण और धर्मांतरण का ही है। इस गंभीर विषय पर सिख समुदाय ने एलजी को पत्र भी लिखा है जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर में कानून की मांग का अनुरोध किया है।

खालसा ने बताया कि जिस तरह यूपी और मध्य प्रदेश में लव-जिहाद कानून लाया गया है ठीक उसी प्रकार के कानून की मांग की गुजारिश हमने केंद्र सरकार से जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की है।

मोदी सरकार के पैकेज को राहुल ने बताया ढकोसला; चिदंबरम का सवाल, और क़र्ज़ क्यों ले व्यापारी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से घोषित राहत पैकेज को ढकोसला बताया है। सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ उपायों की घोषणा की थी जिसे लेकर आज कांग्रेस नेता ने कहा कि वित्तमंत्री की तरफ से दी गई आर्थिक राहत से देश का कोई भी परिवार अपने भरण-पोषण, बच्चों की फीस और दवाओं का खर्च नहीं कर सकता है।
एक ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा कि यह पैकेज नहीं, एक और ढकोसला है। हाल के महीनों में राहुल गांधी मोदी सरकार के कोरोना से निपटने के तौर-तरीकों के कटु आलोचक रहे हैं।
बता दें कोविड महामारी में डावांडोल हुई देश की अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कांफ्रेंस करके कुछ घोषणाएं की थीं। बुरी हालत में पहुँच चुकी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सीतारमण ने डेढ़ लाख करोड़ रूपये के अतिरिक्त क्रेडिट का ऐलान किया था जिसमें स्वास्थ्य और पर्यटन क्षेत्र पर ख़ास फोकस था। हालांकि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा – ‘वित्तमंत्री की तरफ से दी गई आर्थिक राहत से देश का कोई भी परिवार अपने भरण-पोषण, बच्चों की फीस और दवाओं का खर्च नहीं कर सकता है’।
उधर कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस पैकेज  सरकार को कठघरे में कहड़ा किया है। एक ट्वीट में चिदंबरम ने कहा – ‘संकट के दौर में सीधे लोगों तक पैसा पहुंचाने की जरूरत थी। खासकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए ये बेहद जरूरी है। क्रेडिट गारंटी क्रेडिट नहीं होती, क्रेडिट का मतलब और ज्यादा कर्ज। कोई भी बैंकर पहले से ही कर्ज में डूबे बिजनेस पर आगे नहीं बढ़ना चाहेगा। इस समस्या का हल ये है कि लोगों के हाथों में सीधा पैसा पहुंचाया जाए, खासकर गरीब और लोअर मिडिल क्लास के लोगों तक’।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
FM के ‘आर्थिक पैकेज’ को कोई परिवार अपने रहने-खाने-दवा-बच्चे की स्कूल फ़ीस पर ख़र्च नहीं कर सकता।
पैकेज नहीं, एक और ढकोसला!

काले धन का खेल जारी

कोरोना-काल में भारतीयों का स्विस बैंकों में क़रीब तीन गुना बढ़ा काला धन

स्विस बैंकों की ताज़ा रिपोट्र्स के मुताबिक, उनमें भारतीयों का जमा काला धन कम होने के बजाय लगातार बढ़ रहा है। यह पिछले 13 साल के दौरान रिकॉर्ड ऊँचाई के स्तर पर पहुँच गया है। वित्त मंत्रालय ने इस मामले में 19 जून, 2021 को स्विस अधिकारियों से इस काले धन के बारे में जानकारी माँगी; साथ ही इसके पीछे की वजहों की पड़ताल भी की। स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा किया गया काला धन नाटकीय तरीक़े से बढ़कर सन् 2020 के अन्त तक 20,700 करोड़ रुपये हो गया। सन् 2019 में यह 6,625 करोड़ रुपये था। स्विस बैंकों में कोरोना-काल में बेतहाशा बढ़े इस काले धन पर पड़ताल करती भारत हितैषी की यह रिपोर्ट:-

स्विस बैंकों में कथित काले धन का ख़ुलासा होने के बाद इस पर सियासत भी गरमा गयी है। स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के जारी आँकड़ों पर नज़र डालें, तो 17 जून, 2021 तक स्विस बैंकों में पिछले एक साल के दौरान भारतीयों द्वारा जमा किये गये धन में 86फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। भारतीयों की तरफ़से जमा कराया गया यह संदिग्ध काला धन स्विस बैंकों में भारत के निरंतर दबदबे को दर्शाता है, जिस पर आश्चर्य होना ला•िाम है। स्विस बैंक स्विट्जरलैंड का चर्चित गोपनीय अड्डा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी दीवारें वर्षों से काले धन के लिए बदनाम हैं। विडम्बना यह है कि काले धन में यह वृद्धि कोरोना संक्रमण यानी महामारी के भीषण-काल के दौरान देखी गयी है। यानी एक वायरस के ख़ौफ़में जहाँ लोग रोज़ी-रोटी के लिए तरस रहे हैं, वहीं कुछ लोग बेइंतहा काली कमायी करके उस काले धन को ठिकाने लगाने पर तुले हुए हैं। महामारी से लाखों लोगों की जान तो जा ही रही है, साथ ही इससे लोगों की आजीविका छिन गयी है और उनकी कमायी भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। व्यापार और उद्योग सब प्रभावित हुए हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि अर्थ-व्यवस्था इस दौरान इतनी ख़राब हो गयी कि पूरे भारत में लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। वित्त वर्ष 2020-21 में 98 लाख लोगों ने नौकरियाँ गँवायीं, जो कि रिकॉर्ड में दर्ज हैं। भारत में वित्त वर्ष 2019-20 में कुल 8.59 करोड़ वेतनभोगी नौकरियाँ थीं; जो मार्च, 2021 के अन्त में घटकर 7.62 करोड़ रह गयीं।

एसएनबी के मुताबिक, साल 2020 के अन्त में स्विटजरलैंड में 243 बैंक थे। यहाँ तक कि बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट के आँकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि भारतीय व्यक्तियों द्वारा स्विस बैंकों में जमा धनराशि में साल 2019 की तुलना में साल 2020 में 39फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। यह आँकड़ा इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि सन् 2014 में सत्ता सँभालने से पहले भाजपा, ख़ासकर तब के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि भारतीयों का स्विट्जरलैंड में जमा काला धन वापस लाया जाएगा। इतना ही नहीं, उन्होंने यहाँ तक कहा गया था कि अगर काले धन को हर भारतीय पर बाँटा जाए, तो यह क़रीब 15 लाख रुपये के हिसाब से हरेक को मिलेगा।

उन दिनों इस तरह की ख़बरें भी मीडिया में चलायी गयीं कि नरेंद्र मोदी अगर प्रधानमंत्री बने, तो काला धन वापस लाएँगे, जिससे हर भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपये आएँगे। स्विटजरलैंड के बैंकों में 250 अरब डॉलर (17.5 लाख करोड़ रुपये) छिपाकर जमा किये गये थे। हालाँकि, अब जारी किये गये ताजा आँकड़ों यह साबित हो जाता है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा बढ़कर 20,700 करोड़ रुपये (2.55 अरब स्विस फ्रैंक) से अधिक हो गया है। इस जमाख़ोरी ने सन् 2019 के अन्त में 6,625 करोड़ रुपये ( 899 मिलियन स्विस फ्रैंक) जमा धन में गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है। हालाँकि बैंकों द्वारा एसएनबी को बताये गये आधिकारिक आँकड़ों में यह नहीं बताया गया है कि उनके पास बहुचर्चित कथित काले धन की मात्रा स्विट्जरलैंड में कितने भारतीयों की है? रिपोर्ट में यह यह भी बताया गया है कि यह पिछले 13 साल में जमा सबसे ज़्यादा राशि है। इन आधिकारिक आँकड़ों से वित्त मंत्रालय भी पूरी तरह से बेख़बर रहा।

स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) को बैंकों द्वारा की गयी रिपोट्र्स के मुताबिक, भारतीयों द्वारा रखे गये कथित काले धन की राशि से ऐसे ही संकेत मिलते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन आँकड़ों में वो पैसा शामिल नहीं किया गया है, जो एनआरआई भारतीयों या अन्य भारत से जुड़े लोगों की संस्थाओं के नाम से स्विस बैंकों में जमा हो सकता है। यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि भारत और स्विट्जरलैंड प्रशासनिक स्तर पर बहुपक्षीय सम्मेलन पर परस्पर अपनी सहमति दे चुके हैं। टैक्स मामलों में सहायता (एमएएसी) और दोनों देशों ने बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर भी हस्ताक्षर किये हैं। इन समझौतों के ज़रिये वित्तीय खाते की जानकारी साझा करने को दोनों देशों के बीच सूचना का आदान-प्रदान ज़रूरी है। सन् 2018 के बाद के लिए हर साल इसकी जानकारी साझा की जाती है। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच एक दोहरा कराधान बचाव समझौता (डीटीएए) भी है। डीटीएए के प्रावधानों के आधार पर दोनों देश अनुरोध के आधार पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। समझौते में उल्लेखित करों से सम्बन्धित घरेलू क़ानूनों के प्रशासन या प्रवर्तन के लिए यह प्रासंगिक हैं। भारत और स्विट्जरलैंड टैक्स मामलों (एमएसी) में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता पर बहुपक्षीय सम्मेलन के हस्ताक्षरकर्ता हैं और दोनों देशों ने बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर भी हस्ताक्षर किये हैं। इसके मुताबिक, सूचना का आदान-प्रदान किया जाना है।

01 जनवरी, 2018 से प्रभावी वित्तीय खातों की जानकारी साझा करने के लिए दोनों देशों के बीच यह समझौता लागू है। इसके अलावा हर देश के भारतीय निवासियों के सम्बन्ध में वित्तीय खातों की जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए भी सन् 2019 में दोनों देशों के बीच समझौता हो चुका है। लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि वित्तीय खातों की जानकारी के आदान-प्रदान करने के लिए मौज़ूदा क़ानूनी व्यवस्था होने के बावजूद भारतीयों द्वारा काला धन जमा करने का चलन जारी रहा, वह भी कोरोना-काल में। विदेशों में अघोषित सम्पत्ति के माध्यम से भारतीयों द्वारा कर (टैक्स) चोरी महत्त्वपूर्ण कारक है। इसी के बरअक्स स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में वृद्धि हुई है, जो कि उनकी अघोषित और अनुचित आय में है।

सूचना का आदान-प्रदान संदिग्ध
स्विस बैंकों में विदेशी ग्राहकों की जमा राशि के चार्ट को देखें, तो इंग्लैंड 377 बिलियन स्विस फ्रैंक के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद अमेरिका दूसरे स्थान पर है, जिसकी राशि 152 अरब डॉलर है। शीर्ष 10 में अन्य वेस्टइंडीज, फ्रांस, हॉन्गकॉन्ग, जर्मनी, सिंगापुर, लक्जमबर्ग, केमैन आइलैंड्स और बहामास थे। इसके बाद न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क, हंगरी, मॉरीशस, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका का स्थान आता है। ब्रिक्स देशों में भारत चीन और रूस से नीचे है। लेकिन दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से ऊपर है। भारत से ज़्यादा जिन देशों का यहाँ पैसा जमा है, उनमें नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इटली, सऊदी अरब, इजरायल, आयरलैंड, तुर्की, मैक्सिको, ऑस्ट्रिया, ग्रीस, मिस्र, कनाडा, क़तर, बेल्जियम, बरमूडा, क़ुवैत, दक्षिण कोरिया, पुर्तगाल, जॉर्डन, थाईलैंड, सेशेल्स, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, मलेशिया और जिब्राल्टर प्रमुख हैं।

जिन देशों में स्विस बैंकों ने ग्राहकों को देय राशि में गिरावट की सूचना दी, उनमें यूएस और यूके शामिल हैं; जबकि व्यक्तियों द्वारा जमा की गयी धनराशि के मामले में बांग्लादेश के उद्यमों में भी 2020 के दौरान गिरावट आयी। सन् 2019 में भारत को पहली बार पहली बार इसकी जानकारी हासिल हुई थी। स्विस बैंक खाते के विवरण की $िकश्त और इसे काले धन के ख़िलाफ़मोदी सरकार की लड़ाई की एक बड़ी सफलता के रूप में देखा गया। हालाँकि विवरण अब भी गोपनीय रखा गया है। इसमें किसी भी नाम का ख़ुलासा नहीं कया गया है, जो कि स्विस सरकार के संघीय राजपत्र में प्रमुखता से छापे गये थे। जो भारतीय नाम छापे गये, उनमें कृष्ण भगवान, रामचंद्र, पोटलुरी राजामोहन राव, कल्पेश हर्षद किनारीवाला, कुलदीप सिंह ढींगरा, भास्करन नलिनी, ललिताबेन शामिल हैं। इसके अलावा चिमनभाई पटेल, संजय डालमिया, पंकज कुमार सरावगी, अनिल भारद्वाज, थरानी रेणु टीकमदास, महेश टीकमदास थरानी, सवानी विजय कन्हैयालाल, भास्करन थरूर, कल्पेश भाई पटेल, महेंद्र भाई, अजय कुमार और दिनेश कुमार हिम्मतसिंगका, रतन सिंह चौधरी और राकेश कुमार कठोटिया जैसे नाम शामिल हैं।

ख़ुलासे में भी खेल बेशक स्विस सरकार के संघीय राजपत्र में कुछ नामों का उल्लेख है। लेकिन फिर भी ऐसे कई मामले थे, जहाँ केवल भारतीय नागरिकों के लिए आधे-अधूरे नामों का ख़ुलासा किया गया था और इनमें केवल संक्षिप्ताक्षर या आद्याक्षर (अद्र्ध अक्षर) जैसे एनएमए, एमएए, पीएएस, आरएएस, एबीकेआई, एपीएस, एएसबीके, एमएलए, एडीएस, आरपीएन, एमसीएस, जेएनवी, जेडी, एडी, यूजी, वाईए, डीएम, एसएलएस, यूएल, एसएस, आरएन, वीएल, यूएल, ओपीएल, पीएम, पीकेके, बीएलएस, एसकेएन, वीकेएसजे, जेकेजेए।

दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई व्यक्ति और उनकी कम्पनियाँ कोलकाता, गुजरात, बेंगलूरु, दिल्ली और मुम्बई में स्थित हैं। लम्बी फ़ेहरिस्त में जिन भारतीयों को नोटिस जारी किया गया था, उनमें वे लोग भी शामिल हैं; जिनके नाम एचएसबीसी और पनामा सूची में शामिल हैं; साथ ही जिन लोगों की जाँच की जा रही है। अन्य एजेंसियों के बीच आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय भी जाँच कर रहा है। निकोलस मारियो लुशर के नेतृत्व में स्विस प्रतिनिधिमंडल, कर विभाग के उप प्रमुख, राज्य अंतर्राष्ट्रीय वित्त विभाग ने कुछ समय पहले राजस्व सचिव अजय भूषण के साथ बैठक भी की थी। पांडे और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के वरिष्ठ कर अधिकारी भी इसमें शामिल हुए थे। वित्तीय खाता जानकारी का स्वचालित आदान-प्रदान (एईओआई) सामान्य रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के तहत इन पर विचार-विमर्शों का यह नतीजा रहा।

विशेषज्ञों का कहना है कि स्विट्जरलैंड पिछले कुछ समय से स्विस बैंकों के बारे में जनता की धारणा को बदलने की कोशिश कर रहा है; क्योंकि यह काला धन जमा करने के एक सुरक्षित ठिकाने के तौर कुख्यात हो गया है। भारत में चुनावों के दौरान, राजनीतिक दलों ने प्रतिद्वंद्वियों को रौंदने के लिए ब्राउनी प्वाइंट हासिल करने के लिए इस मुद्दे को उठाया गया था। देर से ही सही, भारत और स्विटजरलैंड ने लोगों को जोडऩे (बुक करने) के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए इन संदिग्ध रिकॉर्ड को साझा करके अपने द्विपक्षीय आर्थिक सम्बन्धों को मज़बूत किया है; ख़ासकर अगर काले धन को लेकर बात की जाए तो। दोनों देशों की सूची का शीर्ष एजेंडा निश्चित रूप से भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में काला धन जमा करना है। भारत अब उन 75 देशों में शामिल है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने आदान-प्रदान किया है। एईओआई पर वैश्विक मानकों के ढाँचे के भीतर वित्तीय खातों की जानकारी देनी होती है। एईओआई महज़ कुछ मामलों में सामने आता है।

भारतीयों के नाम पर खाते
एईओआई वर्तमान में स्विटजरलैंड में लागू है और आर्थिक संगठन के ग्लोबल फोरम नामक एक प्राधिकरण भी है। ईओआई सहयोग और विकास जो कार्यान्वयन की देखरेख करता है। संघीय कर प्रशासन ने अब तक के बारे में जानकारी दी गयी है। समझौता करने वाले देशों को लगभग 3.1 मिलियन वित्तीय खाते और साझेदार राज्यों से लगभग 2.4 मिलियन के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है। सूचना का आदान-प्रदान सख़्त गोपनीयता खण्डों द्वारा शासित होता है, और एफटीए अधिकारियों ने विशिष्ट विवरण का ख़ुलासा करने से इन्कार कर दिया जाता है। खातों की संख्या या स्विस बैंकों के भारतीय ग्राहकों से जुड़ी वित्तीय सम्पत्तियों की मात्रा के बारे में नहीं दी गयी। केवल एईओआई उन खातों से सम्बन्धित है, जो आधिकारिक तौर पर भारतीयों के नाम पर हैं और उनमें व्यवसाय और अन्य वास्तविक उद्देश्यों के लिए उपयोग किये जाने वाले खातों का ब्यौरा मिल सकता है। बदले गये विवरण में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है। इनमें नाम, पता, निवास की स्थिति और कर शामिल हैं। साथ ही पहचान संख्या, साथ ही वित्तीय संस्थान, खाता शेष और पूँजीगत आय से सम्बन्धित जानकारी भी दी जाती है।

स्विस क़ानूनों के तहत, स्विस बैंकों के विदेशी ग्राहकों को अपने प्रस्तावित विवरण साझा करने के ख़िलाफ़अपील करने का अवसर दिया जाता है। आपसी सहायता सन्धि वाले देश या बहुपक्षीय सूचना विनिमय के पक्ष के बाद 30 दिन (कुछ मामलों में केवल 10 दिन), संदिग्ध वित्तीय ग़लत कामों के पर्याप्त सुबूत देते हुए विवरण माँगा जाता है। जबकि स्विस सरकार किसी विदेशी ग्राहक को अपील का अवसर दिया जाता है, तो राजपत्र अधिसूचनाएँ सार्वजनिक की जाती हैं; कुछ मामलों में उनके पूरे नाम को संशोधित किया जाता है। कुछ गोपनीयता खण्ड और केवल कुछ विवरण जैसे कि उनके आद्याक्षर, जन्म तिथि और राष्ट्रीयता को सार्वजनिक किया जाता है। इस साल की शुरुआत से जारी इस तरह की साप्ताहिक अधिसूचनाओं का विश्लेषण करने से पता चलता है कि इन नोटिसों में भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। इनमें लगभग हर हफ्ते, हालाँकि अधिकांश मामलों में पूरे नामों को संशोधित किया गया है।

शिकंजे के लिए एक अभियोजन मामला काफ़ी
भारत को हासिल हुए आँकड़े उन लोगों के ख़िलाफ़एक मज़बूत अभियोजन मामला स्थापित करने के लिए काफ़ी उपयोगी हो सकता है, जिनके पास बेहिसाब सम्पत्ति है। इसकी वजह यह है कि यहाँ प्रतिभूतियों और अन्य में निवेश के माध्यम से जमा और हस्तांतरण के साथ-साथ सभी आय का सम्पूर्ण विवरण प्रदान सम्पत्ति जितना ही जारी किया जाता है। हालाँकि ऐसा भी कहा जाता है कि काले धन पर वैश्विक कार्रवाई के बाद कई मूल निवासियों ने अपने खाते बन्द कर दिये होंगे। स्विस बैंकों के बारे में लम्बे समय से लगे कलंक को साफ़करने के लिए अपने बैंकिंग क्षेत्र को जाँच के लिए खोलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव में स्विट्जरलैंड कुछ झुका है; लेकिन इसके बावजूद अघोषित धन के लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है। गेंद अब अभियोजन पक्ष के पाले में है कि इसे प्राप्त आँकड़ों का उपयोग बेहिसाब धन का पता लगाने और उसे अमल में लाने के लिए देशों को क्या क़दम उठाने चाहिए। जो एचएसबीसी सूची, पनामा और पैराडाइज पेपर्स में शामिल हैं और अब स्विस बैंक सूची में शामिल हैं; उनके ख़िलाफ़मामला दर्ज किया जाना चाहिए। हालाँकि एक बड़े विवरण की पहली क़िश्त का हिस्सा उन खातों से सम्बन्धित है, जो कार्रवाई के डर से पहले ही बन्द कर दिये गये हैं; यह काफ़ी उपयोगी हो सकता है।
सरकार की तरफ़से उन लोगों के ख़िलाफ़एक मज़बूत अभियोजन मामला दर्ज किया जाना चाहिए, जिनके पास स्विस खातों में बेहिसाब सम्पत्ति है।

आख़िर यह पैसा कैसे बढ़ा?
वित्त मंत्रालय का कहना है कि इसमें कई कारक हो सकते हैं, जो स्विस बैंकों में जमा राशि में वृद्धि को दर्शाते हैं। स्विट्जरलैंड में भारतीय कम्पनियों द्वारा रखी गयी जमा राशि में वृद्धि व्यापार लेन-देन के कारण और भारत की स्विस बैंक शाखाओं के कारोबार के कारण दर्ज की गयी है। स्विस बैंकों और भारतीय बैंकों के बीच अंतर्-बैंक लेन-देन में वृद्धि भारत में एक स्विस कम्पनी की सहायक कम्पनी के लिए पूँजी वृद्धि है, जो बक़ाया यौगिक वित्तीय बही-खातों के हिसाब से इसमें इज़ाफ़ा करते हैं; जिसे इस रिपोर्ट में दर्शाया गया है।
सरकार का दावा है कि विदेशों में जमा काले धन के ख़िलाफ़कई सक्रिय क़दम उठाये गये हैं। एक व्यापक और अधिक कठोर नया क़ानून काला धन (अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम-2015, जो 01 जुलाई से लागू है। यह क़ानून कहीं ज़्यादा कठोर है, जिसमें दण्डात्मक परिणामों को निर्धारित करने के अलावा, इसमें कर से बचने के लिए जानबूझकर प्रयास आदि को अपराध के तौर पर शामिल किया गया है। धन शोधन निवारण अधिनियम-2002 (पीएमएलए) के तहत अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति को भी अपराध के तौर पर अधिसूचित किया गया है।

सरकार ने कर दाताओं को अपनी घोषणा करने का अवसर प्रदान करने के लिए तीन महीने का मौक़ा भी दिया था। नये क़ानून के अधिक कड़े प्रावधानों के अधीन होने से पहले अघोषित विदेशी सम्पत्तियाँ या जो काला धन (अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति) कर अधिनियम-2015 के तहत लाया गया। इसके बाद 648 घोषणाकर्ताओं ने 30 सितंबर, 2015 तक इस बारे में जानकारी दी। इससे 4,164 करोड़ रुपये की अघोषित विदेशी सम्पत्ति का ख़ुलासा हुआ; लेकिन इसकी आख़िरी तारीख़ निकल गयी। इस तरह क़रीब 2,476 करोड़ रुपये इस तरह सरकार ने कर और ज़ुर्माने के तौर पर हासिल किये।

सरकार की ओर से दावा किया गया कि जब भी इस सम्बन्ध में कोई विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है, तो उसने सक्रिय और प्रभावी क़दम उठाये हैं। विदेशों में जमा काला धन- चाहे एचएसबीसी मामलों में, चाहे आईसीआईजे मामलों में, पैराडाइज पेपर्स या पनामा पेपर्स के तौर पर हो, उस पर सरकार की नज़र है। इन क़दमों में संविधान के तहत बहु एजेंसी समूह के प्रासंगिक मामलों में काले धन को लाने के लिए विदेशी अधिकार क्षेत्र से निश्चित जानकारी की माँग करने जैसे प्रासंगिक क़ानून और अपराधियों के ख़िलाफ़मुक़दमे दर्ज करना आदि शामिल है।

ताज्ज़ुब है कि इन सभी बड़े-बड़े दावों और स्विस बैंक के स्वचालित विनिमय के बावजूद काले धन को रखने के लिए स्विटजरलैंड भारतीयों का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है। स्विट्जरलैंड और भारत के बीच सन् 2018 से कर मामलों की जानकारी साझा करने का नियम लागू है। चूँकि स्विस बैंकों को बड़ी जमा राशि और जमाकर्ताओं की ज़रूरत बनी थी, इसलिए यह क़ानून बनाया और समझौता किया। हालाँकि गोपनीयता भी इस मामले में एक अहम भूमिका वाला मसला था। लेकिन अब भारत और स्विट्जरलैंड पारस्परिक पर बहुपक्षीय सम्मेलन के हस्ताक्षरकर्ता हैं। इससे कर मामलों और बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकरण समझौते में प्रशासनिक सहायता को साझा करना ज़रूरी है। इससे स्वचालित आदान-प्रदान को सक्षम करते हैं।

समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद से दोनों देशों के बीच वित्तीय खातों की जानकारी और नागरिकों की जमा राशि के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करना ज़रूरी हो गया है। यह समझौता साल 2019 के साथ-साथ साल 2020 में भी लागू रहा। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि स्विस बैंकें एकमात्र ऐसी जगह नहीं हैं, जहाँ भारतीय जमाकर्ता अपनी अघोषित धनराशि रखते हैं। स्विस बैंकों के अलावा ऑफशोरिंग, लेयरिंग और समेकन जैसे कई तरीक़े हैं, जिनसे बड़ी मात्रा में काले धन को चैनलाइज (प्राणालिक) और सुरक्षित तरीक़े से ठिकाने लगा दिया जाता है। अमीर ग्राहकों को अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय लेखा फर्में और बिचौलिये विश्वस्त और दूरस्थ अंतर्देशीय कम्पनियों में धन स्थापित करने को राज़ी करते हैं और इसमें मदद करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, साइप्रस, मकाओ, ग्वेर्नसे, आइल ऑफ मैन आदि स्थानों को अपतटीय कर मुक्त क्षेत्र (टैक्स हेवन) को कथित तौर पर काले धन को ठिकाने लगाने के तौर पर जाना जाता है।
फिर भी स्विस बैंक भारतीयों द्वारा धन जमा करने के लिए पसन्दीदा स्थान बने हुए हैं। क्योंकि भारतीय बड़ी आसानी से यहाँ काला धन जमा करा लेते हैं। यही वजह है कि सन् 2019 से सन् 2020 तक यहाँ जमा भारतीयों का काला धन 6,625 करोड़ रुपये से क़रीब तीन गुना बढ़कर 20,700 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। यह भी ध्यान रहे कि पिछले 13 वर्षों में जमा पूँजी का यह उच्चतम आँकड़ा है। इनमें भारतीय व्यक्तियों और फर्मों द्वारा स्विस बैंकों में जमा की गयी राशि शामिल है। हालाँकि स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक के वार्षिक आँकड़े कहते हैं कि प्रतिभूतियों और इसी तरह के उपकरणों के माध्यम से स्वामित्व के तौर पर देखें, तो ग्राहक जमा में गिरावट आयी है।

स्विस बैंकों के साथ भारतीय ग्राहकों का कुल धनराशि सन् 2006 में लगभग 6.5 बिलियन स्विस फ्रैंक के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के मुताबिक, सन् 2011, सन् 2013 और सन् 2017 सहित कुछ वर्षों को छोड़कर जमा राशि में लगातार गिरावट दर्ज की जाती रही है। एसएनबी के आँकड़ों के मुताबिक, भारतीयों द्वारा सीधे स्विस बैंकों में रखी गयी कुल राशि बढ़कर 999 मिलियन स्विस फ्रैंक (6,891 करोड़ रुपये) हो गयी। सन् 2017 में यह 16.2 मिलियन स्विस फ्रैंक (112 करोड़ रुपये) तक बढ़ गयी। यह आँकड़ा सन् 2016 के अन्त में क्रमश: 664.8 मिलियन स्विस फ्रैंक और 11 मिलियन स्विस फ्रैंक था। स्विस बैंकों में भारतीय धन में 464 मिलियन स्विस फ्रैंक (3,200 करोड़ रुपये) ग्राहक जमा के रूप में, 152 मिलियन स्विस फ्रैंक (1,050 करोड़ रुपये) अन्य बैंकों के माध्यम से और 383 मिलियन स्विस फ्रैंक (2,640 करोड़ रुपये) 2017 के अन्त में प्रतिभूतियों, जैसे ‘अन्य देनदारियों के रूप में जमा हुए। एसएनबी के आँकड़ों के मुताबिक, पिछले साल सभी श्रेणियों में भारी गिरावट के मुक़ाबले तीनों मदों के तहत काला धन तेज़ी से बढ़ा था।
सन् 2007 तक अकेले ज़िम्मेदार व्यक्तियों (फिडुशियरी) के माध्यम से अरबों रुपये का धन इसमें जमा किया गया था। लेकिन उसके बाद कार्रवाई के डर से इसमें गिरावट दर्ज होनी शुरू हो गयी। सन् 2006 के अन्त में स्विस बैंकों के पास भारतीयों द्वारा रखा गया कुल काला धन 6.5 बिलियन स्विस फ्रैंक (23,000 करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर था। लेकिन फिर एक दशक में उस स्तर के क़रीब 10वें हिस्से पर आ गया।

उन रिकॉर्ड स्तरों के बाद से यह केवल चौथी बार है, जब भारतीयों के काले धन में में 286फ़ीसदी का इज़ा$फा हुआ है। इससे पहले इसमें सन् 2011 में 12फ़ीसदी, सन् 2013 में 43फ़ीसदी, सन् 2017 में 50.2फ़ीसदी वृद्धि हुई है। दरअसल, ज्यूरिख स्थित एसएनबी के नवीनतम आँकड़े आश्चर्यजनक हैं। हालाँकि यह एसएनबी के आधिकारिक आँकड़े भी करते हैं कि स्विस बैंकों में भारतीयों, एनआरआई भारतीयों या अन्य लोगों के नाम पर जो धन हो सकता है, उसे इसमें शामिल न किया जाए। विदेशी और घरेलू, दोनों शासन क्षेत्र (डोमेन), जिसमें एक नये क़ानून का अधिनियमन, एंटी-मनी में संशोधन शामिल है; में स्टैश-फंड (धन छिपाने) का ख़तरा रहता है, जिसमें लोगों को अपनी छिपी हुई सम्पत्ति घोषित करने के लिए लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध) अधिनियम और अनुपालन विंडो (खिड़की) का मौक़ा दिया। आयकर विभाग ने पिछली जाँचों में काले धन का पता लगाया था। भारतीयों द्वारा विदेशों में धन जमा करने के बारे में वैश्विक ख़ुलासे पर जाँच के बाद पता चला कि हज़ारों करोड़ रुपये का काला धन चलन में था, जो अब भी जारी है। इनमें से सैकड़ों के ख़िलाफ़मुक़दमा चलाया गया, जिनमें एचएसबीसी की जिनेवा शाखा में खाते भी शामिल हैं। नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि भारत से ग्राहकों के कारण अन्य राशियों में सबसे बड़ा अन्तर रहा है, जो छ: गुना से अधिक बढ़ गया है। सन् 2019 के अन्त में 253 मिलियन स्विस फ्रैंक रहा। इस दौरान सभी चार घटकों में गिरावट आयी थी।

एसएनबी के मुताबिक, भारतीय ग्राहकों के प्रति स्विस बैंकों की कुल देनदारियों के लिए इसका विवरण (डाटा) भारतीयों के सभी प्रकार के जमा धन को रिकॉर्ड में रखता है। जबकि स्विस बैंकों में ग्राहकों, व्यक्तियों, बैंकों और उद्यमों से जमा राशि सहित जानकारी होती है। इसमें स्विस बैंकों की शाखाओं का वह विवरण शामिल होता है, जिसमें ग़ैर-जमा देनदारियों के रूप में भी भारत की शाखाएँ भी हैं। दूसरी ओर बैंक के स्थानीय बैंकिंग आँकड़े अंतर्राष्ट्रीय निपटान (बीआईएस), जिसे अतीत में भारतीय और स्विस अधिकारियों द्वारा अधिक विश्वसनीय उपाय के रूप में वर्णित किया गया है। स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तियों द्वारा जमा, 2020 के दौरान इस तरह की राशि में क़रीब 39फ़ीसदी की वृद्धि होने के बाद 125.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर (932 करोड़ रुपये) रही।

यह आँकड़ा स्विस-अधिवासित बैंकों के भारतीय ग़ैर-बैंक ग्राहकों की जमा राशियों के साथ-साथ ऋणों को भी रिकॉर्ड में लेता है। और इसमें वृद्धि हुई थी। सन् 2019 में सातफ़ीसदी, सन् 2018 में 11फ़ीसदी और सन् 2017 में 44फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गयी। यह सन् 2007 के अन्त में बढ़कर 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (9,000 रुपये से अधिक) से अधिक पर पहुँच गया था।

टी-20 विश्व कप भारत से यूएई स्थानांतरित

भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए बुरी खबर यह है कि वे इस साल स्टेडियम में बैठकर मैच का लुत्फ नहीं उठा सकेंगे। टी-20 विश्व कप का आयोजन भारत में नहीं किया जाएगा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिन जय शाह ने सोमवार को बताया कि हम भारत में होने वाले टी-20 विश्व कप 2021 को संयुक्त अरब अमीरात स्थानांतरित कर रहे हैं। इस मामले में बीसीसीई की तरफ से आईसीसी को जानकारी आज ही दे दी जाएगी।

आईपीएल के तत्काल बाद टी-20 विश्व की शुरुआत हो जाएगी, क्वालीफायर मुकाबले ओमान में हो सकते हैं लेकिन विश्व कप मुकाबले तीन स्थानों दुबई, अबूधाबी और शारजाह में खेले जाएंगे। आईपीएल के बाकी मैच भी यूएई में ही हो सकते हैं।

जय शाह ने बताया कि यूएई में होने वाली टी-20 विश्व कप का टाइम टेबल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद तय करेगी।  टी-20 विश्व कप 2021 का आयोजन भारत में होना था, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए बीसीसीआई ने इसे संयुक्त अरब अमीरात स्थानांतरित करने का फैसला लिया। इससे पहले कोरोना की वजह से 2020 में ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाले टी-20 वर्ल्ड कप को रद्द कर दिया गया था।

बीसीसीआई के वाइस प्रेसीडेंट राजीव शुक्ला ने कहा कि जहां तक विश्व कप का संबंध है, आज डेडलाइन थी और बीसीसीआई को अपने निर्णय के बारे में आईसीसी को अवगत कराना था। बीसीसीआई अधिकारियों ने कॉन्फ्रेंस के जरिए बात की, इस दौरान हमने कोरोना की स्थिति का भी जायजा लिया।  राजीव शुक्ला ने आगे कहा, कोई नहीं जानता कि 2-3 महीने बाद क्या होने वाला है। वैसे हमारी प्राथमिकता भारत ही था, लेकिन हालात क्या रहेंगे अभी कुछ कह नहीं सकते।

इसके अलावा, बीसीसीआई आईपीएल के बाकी मैचों का आयोजन यूएई में कराने पर विचार कर रहा है। इस संदर्भ में कई फ्रेंचाइजी के अधिकारी संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर जाने वाले हैं।  ऐसा कहा जा रहे है कि मध्य सितंबर में आईपीएल का बाकी सत्र शुरू होगा जो मध्य अक्टूबर तक चलेगा। इसी के बाद विश्व कप का आयोजन किया जाएगा।

अर्थव्यवस्था की मज़बूती के लिए आठ क़दमों का ऐलान, स्वास्थ्य और पर्यटन पर ख़ास फोकस  

केंद्र सरकार ने सोमवार को अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए आठ क़दमों का ऐलान किया है। इन फैसलों की जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कांफ्रेंस में दी और इसमें स्वास्थ्य और पर्यटन पर ख़ास ध्यान दिया गया है। वित्त मंत्री ने जहाँ स्वास्थ्य सेक्टर को 50 हजार करोड़ देने का ऐलान किया वहीं कोरोना प्रभावित क्षेत्रों को 1.1 लाख करोड़ की लोन गारंटी का ऐलान भी किया गया है।
निर्मला सीतारमण के अंग्रेजी में बताये फैसलों की हिंदी में जानकारी देते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि एमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम में अतिरिक्त 1.5 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे और अब स्कीम के तहत फंडिंग को 4.5 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ा दिया गया है। कोविड से प्रभावित सेक्टर और हेल्थ सेक्टर के अलावा अन्य  सेक्टर्स के लिए भी 60 हजार करोड़ रुपए की बात कही गयी है। हेल्थ सेक्टर के लिए लोन पर 7.95 फीसदी सालाना से ज्यादा ब्याज नहीं होगा जबकि दूसरे सेक्टर्स के लिए ब्याज 8.25 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा।
इसके अलावा ईसीएलजीएस  में 1.5 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए जाएंगे।
अब इस स्कीम का दायरा 4.5 लाख करोड़ रुपए होगा। पहले स्कीम में 3 लाख करोड़ रुपए की घोषणा की थी। सभी सेक्टर्स को इसका फायदा मिलेगा।
उधर क्रेडिट गारंटी स्कीम में एनबीएफसी, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट से छोटे कारोबारी को 1.25 लाख तक का कर्ज मिलेगा। बैंक एमसीएलआर पर अधिकतम 2 फीसदी ब्याज लिया जा सकेगा। लोन की अवधि 3 साल होगी और सरकार गारंटी देगी जबकि योजना का लाभ करीब 25 लाख लोगों को मिलेगा।
अनुराग ठाकुर ने रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड/ ट्रैवल टूरिज्म को मदद का भी ऐलान किया। कोविड से प्रभावित रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड और ट्रैवल टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स को वित्तीय मदद दी जाएगी। टूरिस्ट गाइड को एक लाख रुपए और ट्रैवल एजेंसी को 10 लाख रुपए का लोन दिया जाएगा और इसपर 100 फीसदी गारंटी रहेगी। कोई प्रोसेसिंग फीस भी नहीं होगी। उन्होंने मुफ्त मिलेगा विदेशी टूरिस्ट वीजा पर कहा कि  पहले 5 लाख विदेशी टूरिस्ट वीजा मुफ्त जारी किए जाएंगे। यह योजना 31 मार्च, 2022 तक लागू रहेगी और इसके लिए 100 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद की जाएगी। एक टूरिस्ट सिर्फ एक बार स्कीम का फायदा उठा सकता है जबकि विदेशी टूरिस्टों को वीजा की अनुमति मिलते ही स्कीम का फायदा मिलेगा।
सरकार ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को भी 31 मार्च, 2022 तक बढ़ाने का ऐलान किया है। योजना के तहत सरकार 15 हजार से कम वेतन वाले कर्मचारियों और कंपनियों के पीएफ का भुगतान करती है। सरकार ने योजना में 22,810 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा है। अब तक करीब 21.42 लाख लाभार्थियों के लिए 902 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। योजना का फायदा करीब 58.50 लाख लोगों को मिलेगा।
वित्त मंत्री ने यह भी ऐलान किया कि किसानों को 14,775 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है। इसमें 9125 करोड़ रुपए की सब्सिडी डीएपी पर दी गई है जबकि 5650 करोड़ रुपए की सब्सिडी एनपीके पर दी गई। रबी सीजन 2020-21 में 432.48 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी की गई और अब तक किसानों को 85,413 करोड़ रुपए सीधे उनके खाते में दिए गए हैं।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को मई 2021 में फिर से लॉन्च किया गया है। कोविड से प्रभावित गरीबों की मदद के लिए 26 मार्च, 2020 को योजना शुरू की गई थी। माली साल 2020-21 में इस स्कीम पर 1,33,972 करोड़ रुपए खर्च हुए। करीब 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज मुफ्त बांटा जा रहा है। नंवबर तक यह मुफ्त राशन की सुविधा जारी रहेगी। स्कीम पर इस साल करीब 93,869 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
इस तरह सरकार ने आठ बड़े उपायों की घोषणा की है। हालांकि, देखा जाए तो मुख्य फोकस स्वास्थ्य और पर्यटन सेक्टर पर रखा गया है। हाल के महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर काफी चिंता जताई गयी है। हाल के महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था की यह हालत भी है कि उसकी जीडीपी माइनस 24 तक पहुँच गयी जो दुनिया भर में सबसे कमजोर थी।

जिला परिषद् अध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ेगी बसपा; मीडिया हमें कभी कमजोर न आंके, मायावती बोलीं  

हाल के महीनों में ज़मीन से लगभग लापता सी हो गईं बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को जहाँ भाजपा पर हमला किया वहीं यह भी ऐलान किया कि बसपा जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी और इसमें ‘वक्त बर्बाद करने’ की जगह अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी करेंगी।
मायावती, जिनकी पार्टी बसपा को हाल के महीनों में ‘भाजपा की बी टीम’ होने का तमगा मिल चुका है, ने भाजपा पर हमला इसी वजह से किया है। मायावती ने राज्य भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा – ‘भाजपा उसी तौर-तरीके से काम कर रही है, जैसा समाजवादी पार्टी करती थी। ऐसी शैली की वजह से ही उन्होंने 1995 में सपा से अलग होने का फैसला किया था, लेकिन अब भाजपा भी वही सब कर रही है।’
इस मौके पर मायावती ने पार्टी के इस निर्णय के बारे में बताया कि बसपा जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा लेकर अपना ‘वक्त बर्बाद नहीं करेगी’। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने को कहा। मायावती ने कहा – ‘पार्टी के लोगों को निर्देश है कि वे इस चुनाव में अपना समय और ताकत लगाने की बजाय पार्टी के संगठन को मजबूत बनाने और सर्व समाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने में लगाएं। इस बार उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बन सकेगी। जब यहां बसपा की सरकार बन जाएगी तो ज़िला पंचायत अध्यक्ष खुद ही बसपा में शामिल हो जाएंगे’।
बसपा सुप्रीमो ने अपनी और अपनी पार्टी को लेकर विपक्ष पर साजिश रचने का आरोप लगाया। मायावती ने कहा कि विपक्षी जानबूझकर बसपा के कम सक्रिय होने की अफवाह फैला रहे हैं। जबकि वह खुद फरवरी से लखनऊ में हैं और लगातार बैठकें कर रही हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि ‘भले ही वह मीडिया में कम दिखती हों, लेकिन उन्हें कम न आंका जाए’।
प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने 2022 के चुनाव के लिए पार्टी के नारे की जानकारी भी दी – ‘यूपी और सर्वजन को बचाना है, बसपा को सत्ता में लाना है’। मायावती ने साथ ही अपने समर्थकों को विपक्ष के हथकंडों के प्रति आगाह किया। उन्‍होंने कहा – ‘विरोधी साम, दाम, दंड, भेद हर तरह की रणनीति अपना रहे हैं। इसके तहत मीडिया के जरिए जानबूझकर अफवाह फैलाई जा रही है कि बसपा आगामी यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर सक्रिय नहीं है। जबकि ऐसा नहीं है। यह सब कार्यकर्ताओं का मनोबल और उत्‍साह कम करने की साजिश है’।
उन्‍होंने कहा कि सभी को मालूम होना चाहिए कि कोरोना की पहली लहर के मद्धिम पड़ते ही फरवरी 2021 से वह लखनऊ में ही हैं। यही नहीं कोरोना नियमों का पालन करते हुए संगठन को मजबूत बनाने के लिए लगातार छोटी-बड़ी बैठकें करती रहती हैं। उन्‍होंने मीडिया को भी बसपा को कम करके नहीं आकंने की हिदायत दी। कहा कि बसपा की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष होने के नाते अन्‍य राज्‍यों की भी बैठकें वह करती रहती हैं। लेकिन इन बैठकों को प्रचारित करने के लिए अन्‍य दलों की तरह मीडिया को नहीं बुलातीं। उन्होंने कहा कि हम अपनी हर बात को मीडिया में नहीं रखते तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्रदेश में सक्रिय नहीं है।

कश्मीर में एसपीओ, पत्नी और बेटी की हत्या की आतंकवादियों ने

जम्मू एयरपोर्ट पर ड्रोन से किये विस्फोटक हमले के कुछ घंटे के भीतर ही आतंकवादियों ने पुलवामा जिले में एक विशेष पुलिस अधिकारी ( एसपीओ), उसकी पत्नी और बेटी की हत्या कर दी है। इस परिवार को आतंकवादियों के खिलाफ जाने की सजा मिली है क्योंकि फैयाज अहमद खुद तो एसपीओ थे ही, उनका एक बेटा भी सेना में है। यह घटना तब हुई जब आतंकवादियों ने उनके घर पर हमला करके परिवारजनों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी कर दी।
इस घटना में फ़ैयाज़ की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी जबकि गंभीर घायल पत्नी और मासूम बेटी ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। पूरे गाँव वालों ने नाम आँखों से उनकी आख़िरी रसूमात में हिस्सा लिया। घटना पुलवामा जिले के अवंतीपोरा में  हरिपरिगाम गाँव की है। आतंकी फैयाज के घर में घुस गए और उनपर और परिजनों पर ताबड़तोड़ गोलियाँ चलाईं। इस हमले में फ़ैयाज़, उनकी पत्नी और बेटी गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में अस्पताल में पत्नी और बेटी की भी मौत हो गई।
पिछले तीन दशक में कश्मीर ऐसे असंख्य लोगों की आतंकवादियों ने हत्या की है जिन्होंने आतंकवादियों का विरोध करने या सुरक्षा बलों की मदद करने की ठानी। इनकी शुरुआत इख्वानियों से हुई थी जो आतंकवाद छोड़कर मुख्यधारा से जुड़े थे। इनमें से ज्यादातर की आतंकियों ने चुन-चुनकर हत्या कर दी। हालांकि, इसके बावजूद स्थानीय मुस्लिमों का आतंकवादियों की धमकियों के बावजूद सेना और पुलिस में भर्ती होना या सुरक्षा बलों का साथ देना जारी रहा है।
आतंकी दबाव बनाने के लिए उन स्थानीय मुस्लिमों और अन्य को निशाना बना रहे हैं जो या तो सेना में गए हैं, पुलिस में भर्ती हुए हैं, एसपीओ के रूप में काम कर रहे हैं, चुनाव मैदान में उतरे हैं या आतंकवाद का समर्थन नहीं करते हैं। हाल में ऐसी कई घटनाये हुई हैं जिनमें स्थानीय ऐसे मुस्लिमों को निशाना बनाया गया है। इसी जून में  17 तारीख श्रीनगर में जावेद अहमद नाम के एक पुलिसकर्मी को उसके घर में गोली मार दी गई थी, जिनकी बाद में मौत हो गयी।
इसके बाद 22 जून को पुलिस इंस्पेक्टर परवेज अहमद डार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह हत्या तब की गयी जब डार श्रीनगर के मेनगांवजी नौगाम में नमाज अदा करने जा रहे थे। डार के परिवार में 13 और 10 साल के बेटी-बेटे हैं।

कालूचकक में भी ड्रोन
इस बीच जम्मू टेक्नीकल एयरपोर्ट में ड्रोन से विस्फोटक गिराने की घटना के एक दिन बाद सोमवार को जम्मू संभाग के कालूचक में भी ड्रोन दिखाई दिए हैं। सुरक्षा बलों के चौकन्ना होने से यह ड्रोन किसी घटना को नहीं कर पाए और वहां से गायब हो गए। सुरक्षा एजेंसियां अब इस घटनाओं का गंभीरता से विश्लेषण कर रही हैं। देश के दूसरे हिस्सों में भी इन घटनाओं के बाद अलर्ट जारी किये गए हैं।

झारखंड की दीपिका ने तीरंदाजी में तीन स्वर्ण पदक जीतकर रिकॉर्ड दर्ज किया

झारखंड की दीपिका कुमारी ने पेरिस विश्व कप में एक ही दिन में तीन पदक जीतने वाली पहली महिला बनने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया। इन्होंने, पेरिस विश्व कप स्टेज 3 में रविवार को शानदार प्रदर्शन किया।

दीपिका अचूक तीरंदाजी का प्रदर्शन करते हुए, पहले कोमालिका बारी और अंकिता भक्त के साथ स्वर्ण पदक जीता और फिर कुछ देर बाद मिक्स डबल्स रिकर्व प्रतियोगिता में तीसरा पदक अपने पति अतनु के साथ जीता।

जुलाई में होने वाले टोक्यो ओलंपिक से पहले मेगा इवेंट में तीन स्वर्ण पदक जीतना देश के लिए एक अभूतपूर्व है। और बाकी लोगों के लिए उम्मीद की किरण को परवान चढ़ाना है।

दीपिका कुमारी वर्ष 2012 में पहली बार शीर्ष स्थान हासिल करने वाली रांची की 27 वर्षीय महिला ने रविवार को तीन रिकर्व स्पर्धा- महिला व्यक्तिगत, महिला टीम और मिश्रित टीम में स्वर्ण पदक जीते।

विश्व तीरंदाजी ने दीपिका के स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपने अधिकारिक हैंडल पर ट्वीट कर कहा, “यह दीपिका को विश्व रैंकिंग में नंबर एक स्थान पर ले जाने वाला है।“

चालान काटने में हो रही धांधली

राजधानी दिल्ली में उमस भरी गर्मी से लोगों का हाल बे हाल है। कोरोना काल चल रहा है। ऐसे में लोगों को मुंह में मास्क लगाने से ही लोगो को तकलीफ हो रही है। तहलका संवाददाता को लोगों ने बताया कि सरकार आदेश जारी करके फुर्सत तो हो जाती है और अपनी जिम्मेदारी से बच जाती है। लेकिन उसके लाभ और हानि के साथ –साथ लोगों को हो रही परेशानी को नजरअंदाज कर जाती है।

दिल्ली के सदर बाजार के व्यापारी रतन लाल अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल चल रहा है। लोग सोशल डिस्टेसिंग के साथ कोरोना गाइड लाईन का पालन करते है। साथ ही मुंह में मास्क भी लगाते है। अगर सांस लेने में दिक्कत होती है तो मुंह से मास्क पल दो पल को हटा भी लेते है। ऐसे में दिल्ली सरकार की पुलिस तुरन्त 2 हजार को चालान काटने से नहीं चूकती है। कार के अंदर बैठे लोगों को तो ऐसे तकती है जैसे वे अपराधी हो। तुरन्त लपक कर मोबाइल से फोटो निकाल लेतें है और 2 हजार का चालान काट देते है।

इस झगड़े में कई बार जाम तक लग जाता है। इस मामले में लोगों ने दिल्ली व्यापारी घनश्याम गोयल , सुरेश पंचाल और अमन गुप्ता ने  दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को लिखित में शिकायत की है। कि उमस भरी गर्मी में अगर कोई सांस लेने में दिक्कत होने पर मास्क हटाता है। तो उसका चालान ना काटे। क्योंकि चालान काटे जाने से धांधली और भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा मिल रहा है।क्योंकि लोग दो हजार के चालान से बचने के लिये सेटिंग और सिफारिश करने लगते है। जिससे सरकार की योजना और जागरूकता को पलीता लगता है।धांधली को बल मिलता है।

जम्मू एयरपोर्ट टेक्निकल एरिया में धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों को गहरी चिंता में डाला, ड्रोन का भी इस्तेमाल होने की आशंका

कश्मीर के नेताओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के तीन दिन के भीतर शनिवार-रविवार की आधी रात को जम्मू एयरपोर्ट के टेक्निकल एरिया में धमाके की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को गहरी चिंता में डाल दिया है। यह घटना तब हुई है जब इस जगह में आधुनिक तकनीक और उच्चतम क्षमता वाले गैजेट्स लगे हैं और किसी भी हरकत को इनमें पकड़ा जा सकता है। इस घटना में भारतीय वायुसेना के दो जवान घायल हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इसके आतंकी घटना होने की संभावना से इंकार नहीं किया है।
अभी तक की  जांच में सामने आया है कि एयरपोर्ट क्षेत्र में विस्फोटक पहुंचाने के लिए संभवता ड्रोन इस्तेमाल किये गए हैं। राष्ट्रीय जांच दल (एनआईए) की टीम मौके पर पहुँच गयी है और उसने कुछ साक्ष्य जुटाए हैं। एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक वहां सभी फ्लाइट्स का संचालन सामान्य चल रहा है, हालांकि, ऑपरेशनल कारणों से  रविवार को दो फ्लाइट्स पहले ही रद्द की गई थीं।
जांच में ऐसा प्रतीत होता है कि ड्रोन का संभावित लक्ष्य शायद डिसपर्ल एरिया में खड़े एयरक्राफ्ट थे। भारतीय वायु सेना का एक उच्च स्तरीय जांच दल भी जम्मू पहुंच रहा है। अभी तक की जानकारी से जाहिर होता है कि दो धमाके हुए जो कम तीव्रता के थे।भारतीय वायुसेना के दो जवान इस घटना में घायल हुए हैं, हालांकि, उनकी चोटें गंभीर नहीं हैं। जांचकर्ता यह देख रहे हैं कि कड़े सुरक्षा तामझाम के बावजूद ड्रोन (यदि ड्रोन का इस्तेमाल हुआ) वहां विस्फोटक लाने में कैसे सफल रहे !
‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक घटना वाले पूरे क्षेत्र में आधुनिक तकनीक से लैस और उच्चतम क्षमता वाले गैजेट्स लगे हैं और किसी भी हरकत को इनमें पकड़ा जा सकता है। लेकिन ड्रोन का इनकी पकड़ में नहीं आना हैरानी पैदा करने वाला है। पाकिस्तान के साथ सीमा होने के कारण यहाँ आधुनिकतम गैजेट्स स्थापित हैं।
यह धमाके एक ही जगह नहीं हुए हैं। एक ब्लास्ट में इमारत की छत को कुछ नुकसान पहुंचा है। दूसरा ब्लास्ट खाली (खुली) जगह में हुआ है। धमाकों में किसी भी तरह किसी उपकरण को नुक्सान नहीं पहुंचा है। ब्लास्ट शनिवार-रविवार की आधी रात करीब पौने दो बजे हुए बताये गए हैं। घटना के बाद वहां बम डिस्पोजल स्क्वॉड और फरेंसिक टीम को बुलाया गया।
यह जगह सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील है क्योंकि भारतीय वायुसेना स्टेशन हेडक्वार्टर और जम्मू का मुख्य एयरपोर्ट भी इसी परिसर में हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू वायु सेना स्टेशन पर हुई इस घटना को लेकर वाइस एयर चीफ एयर मार्शल एचएसअरोड़ा से बात कीम्है। एयर मार्शल विक्रम सिंह भी जम्मू जा रहे हैं। घटना के बाद जम्मू और कश्मीर सीमा पर रेड-अलर्ट जारी किया गया है। पड़ौसी पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भी अलर्ट जारी किया गया है और संवेदनशील जगह सुरक्षा चाक चौबंद की गयी है। तमाम चेक-प्वाइंट्स पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। डीआईजी सीआरपीएफ़ भी घटना स्थल पर पहुंचे हैं।