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पवार की बैठक में राजनीतिक और गैरराजनीतिक जमावड़ा

हाल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से दो बैठकें करने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार दिल्ली में अपने आवास पर तमाम बड़े विपक्षी (गैर कांग्रेस) नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। सीधे राजनीतिक बैठक न लगे, लिहाजा इससे बचने के लिए बैठक में फिल्मकार जावेद अख्तर, प्रीतीश नंदी से लेकर आर्थिक जानकार अरुण कुमार तक को भी न्योता गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के ‘राष्ट्र मंच’ के बैनर तले यह बैठक ऐसे मौके पर हो रही है जब देश में हाल में कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने में मोदी सरकार को नाकाम माना गया है, महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है और आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के हाथ खड़े दिख रहे हैं।
नेता कह रहे हैं कि इस बैठक का कोई भी एजंडा नहीं था। किसी एक ख़ास मुद्दे पर नहीं, देश के कई मुद्दों पर बातचीत हुई। इसमें कोरोना, महंगाई, खराब आर्थिक स्थिति तक सभी शामिल हैं। पवार अगले लोकसभा चुनाव से पहले अपने नेतृत्व में एक बड़ा राजनीतिक मोर्चा खड़ा करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व देने की स्थिति में नहीं और उनके पास प्रधानमंत्री बनने की अपनी ‘इच्छा पूरी करने का’ अवसर है।
आज की बैठक एक शुरुआती माहौल बनाने भर के लिए है। पवार जल्दी नहीं करना चाहते। यशवंत सिन्हा भी उनके साथ जुड़ गए हैं। वैसे विपक्षी गठबंधन की अभी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन प्रशांत किशोर खुद यह मानते हैं कि कांग्रेस को अलग करके कोई विपक्षी भाजपा का मुकाबला करने की कल्पना नहीं कर सकता। कांग्रेस आज भी देश में भाजपा के बाद सबसे ज्यादा ज़मीनी पकड़ वाली पार्टी है और उसके पास भाजपा के 22 करोड़ के मुकाबले 11 करोड़ के करीब वोट (लोकसभा के 2019 चुनाव नतीजे के मुताबिक) हैं।
शरद पवार की बैठक दरअसल कुछ देरी से हो रही है क्योंकि यह आज से चार महीने पहले होने वाली थी लेकिन अचानक पवार को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्या के चलते  सर्जरी करवानी पड़ी। अब पहली बैठक हुई है और पवार इसमें आने वाले नेताओं-गैर नेताओं की संख्या से खुश हो सकते हैं। ‘राष्ट्र मंच’ के नाम से इस बैठक के आयोजन के पीछे पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा का भी रोल अहम रोल है। राष्ट्रमंच के संस्थापक यशवंत सिन्हा ही हैं। अब वे टीएमसी के बड़े पदाधिकारी हैं।
नामी नेता जो इस बैठक में पहुंचने की जानकारी है उनमें पूर्व जेके सीएम एनसी के उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस में रहे संजय झा, एनसीपी के राज्यसभा सदस्य माजिद मेमन, भाकपा नेता बिनय विश्वम, टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा, एनसीपी से राज्यसभा सदस्य वंदन चव्हाण, पूर्व राजदूत केसी सिंह, समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी, पूर्व सांसद जयंत चौधरी, आप के सुशील गुप्ता शामिल हैं। इनके अलावा जावेद अख्तर भी शामिल हैं। माकपा के नीलोत्पल वासु, वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी, पत्रकार करण थापर और आशुतोष भी बैठक में बुलाये गए थे।
हालांकि, जिन नेताओं को इस बैठक में बुलाया गया या जो आये उनमें चर्चित राष्ट्रीय नेता कम ही हैं। इन्हें मझोले स्तर के क्षेत्रीय नेता कहा जा सकता है। वैसे भी देश में यूपीए का बड़ा गठबंधन पहले से है जिसमें शरद पवार की एनसीपी भी शामिल है। लेकिन एक पेंच जरूर है। कांग्रेस के जी -23 नेताओं का रुख अभी साफ़ नहीं है। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक इस बैठक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को बुलाया गया था लेकिन उन्होंने साफ़ मना कर दिया। इससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस के जी -23 नेता फिलहाल कांग्रेस के साथ ही हैं।
बैठक से पहले एनसीपी के प्रवक्ता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा था कि पूरे देश में सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने का काम शरद पवार शुरू कर रहे हैं। बैठक के बाद शरद पवार और यशवंत सिन्हा प्रेस कांफ्रेंस करके इसमें हुई बातचीत की जानकारी देंगे। बैठक में जेके के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी आये थे लेकिन जल्दी ही वापस चले गए।

किसान आंदोलन में सब्जी विक्रेता भी शामिल

कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के समर्थन में अब किसानों के साथ, दिल्ली के सब्जी व्यापारी और सब्जी विक्रेता साथ देगें। दिल्ली के तामाम सब्जी विक्रेताओं ने तहलका संवाददाता को बताया कि देश में कोरोना काल के चलते आर्थिक मंदी है। काम धंधे कमजोर हो रहे है। देश का किसान आज अपने ही अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहा है। 7 महीनें होने वाले है। किसानों की मांगों को लेकर सरकार ने कोई पहल नहीं की है।

जिससे देश का किसान नाराज है। सब्जी विक्रेता ओमप्रकाश ने बताया कि वे किसान के बेटा है। देश के लिये अन्न पैदा करते है। रात –दिन मेहनत करते है। वहीं सब्जी के विक्रेता ने बताया कि देश की तामाम नामचीन संस्थानों को सरकार निजी हाथों में सौंप रही है। अब सरकार की नजर किसानों की जमीन पर है। जो देश के पूंजी पतियों को देना चाहती है। लेकिन देश का किसान हरगिज ऐसा नहीं होने देंगा। सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि वे उस राजनीतिक दल के साथ है जो किसानों के हित में सोचेगा और कृषि कानून के विरोध में होगा। उन्होंने बताया कि अगले महीने से दिल्ली के सब्जी व्यापारियों के साथ बैठक कर आगे सरकार के विरोध में रूपरेखा तैयार कर आंदोलन में शामिल होने की घोषणा की जायेगी।

कोरोना की तीसरी लहर से अभी ही तैयारी करें, राहुल गांधी की मोदी सरकार को सलाह

कोविड-19 के मामले में मोदी सरकार को लगातार सुझाव देते रहे और उसकी खिंचाई भी करते रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके कोरोना पर एक श्वेत पत्र जारी करते हुए इस बात पर जोर दिया कि विशेषज्ञ तीसरी लहर की बात कह चुके हैं लिहाजा उसका मजबूत मुकाबला करने के लिए अभी से तैयारी कर लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली और दूसरी लहर के दौरान बहुत सी कमियां रही हैं और ऐसे लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा, जिन्हें बचाया जा सकता था।
राहुल ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आनी तय है, ऐसे में सरकार इसकी तैयारी करके ही जनता को महामारी से बचा सकती है। गांधी ने कोरोना को लेकर श्वेत पत्र जारी किया और सरकार से कहा कि उसे गलती सुधारने की ज़रुरत है क्योंकि ऐसा करके ही आप लोगों को बचा सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि श्वेत पत्र का मकसद सरकार की निंदा करना नहीं बल्कि उसे  रास्ता दिखाना है। राहुल ने कहा कि दूसरी लहर में 90 फीसदी मौतें सुविधाओं के अभाव में हुईं। इनमें ऑक्सीजन से लेकर बेड और दूसरी जरूरतें शामिल हैं जिनका भयंकर अभाव रहा। उन्होंने कहा – ‘वैज्ञानिकों ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार को चेताया था, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। दूसरी लहर संभालने में सरकार विफल रही है। सरकार की लापरवाही से बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की भी मौत हो गयी जिन्हें बचाया जा सकता था। करोड़ों लोग कोरोना से प्रभावित हुए। यह समझना ज़रूरी है कि कोरोना का असर सिर्फ बीमारी के रूप में नहीं है बल्कि इसका असर आपकी आर्थिक, सामजिक ज़िंदगी पर भी पद रहा है।’
राहुल गांधी ने कहा कि ‘अब पूरा देश जानता है कि तीसरी लहर आने वाली है। ऐसे में सरकार को पहले से इसकी तैयारी करनी चाहिए। श्वेत पत्र में तीसरी लहर की तैयारी, दूसरी लहर की खामियां, आर्थिक रूप से मदद और और पीड़ित परिवारों को मुआवजे की व्यवस्था का जिक्र है। जब तीसरी लहर आए तो आम लोगों को कम से कम परेशानी हो और जिनके परिवार में कोरोना से मौत हुई है उन्हें मदद दी जाए।’
याद रहे राहुल गांधी कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने में मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट में  असमर्थता जताए जाने पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। गांधी ने इसे लेकर अपने ट्वीट में कहा – ‘जीवन की कीमत लगाना संभव नहीं है। सरकारी मुआवजा सिर्फ एक छोटी सी सहायता होती है। लेकिन मोदी सरकार यह भी करने को तैयार नहीं। कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आंकड़े और ऊपर से सरकार की यह क्रूरता।’
राहुल ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीकाकरण और कोविड-19 के मामले कम होने या इसके ख़त्म होने पर प्रचार पर ध्यान देने की जगह लोगों को सुविधाएं देने पर फोकस करने की ज़रुरत है। प्रचार करने और श्रेय लेने के लिए बहुत समय पड़ा है और ऐसा आप कोरोना के पूरी तरह ख़त्म होने के दो साल बाद भी कर सकते हैं।’
उनसे एक सवाल यह भी पूछा गया कि देखने में आया है कि अल्पसंख्यक (मुस्लिम) वर्ग और महिलाएं बहुत कम संख्या में टीकाकरण के लिए सामने आये हैं। राहुल ने कहा कि टीकाकरण में पीएम, सीएम, डीएम से लेकर जनता तक सबको इन्वाल्व करने की जरूरत है। पूरे देश को इसे लेकर बताया और जोड़ा जाना चाहिए।’

प्रधानमंत्री मोदी ने लॉन्च किया एम-योगा ऐप

देश समेत दुनियाभर में सोमवार को 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘योगा एन इंडियन हेरिटेज’ कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर किया गया।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल समेत संस्कृति मंत्रालय के कुल 20 अधिकारियों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। कोरोना के चलते इस आयोजन में कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया।

योग दिवस के मौके पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे 75 ऐतिहासिक स्थानों पर ‘योगा एन इंडियन हेरिटेज’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने एम-योगा ऐप को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि अब विश्व को एम-योगा ऐप की शक्ति मिलने जा रही है। इस ऐप में कॉमन योग प्रोटोकॉल के आधार पर योग प्रशिक्षण के कर्इ विडियोज दुनिया की अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि एम-योगा ऐप योग का विस्तार दुनियाभर में करने और वन वर्ड वन हेल्थ के प्रयासों को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।

दिल्ली में इस साल सबसे कम 89 कोरोना मरीज, 11 की मौत

देश में पिछले चौबीस घंटे में कोरोना संक्रमण के 52,956 मामले सामने आए।  इस साल दिल्ली में अब तक के सबसे कम महज 89 नए मरीज मिले। इसके अलावा पिछले एक दिन में 11 संक्रमितों ने जान गंवाई। इस दौरान 77,967 मरीज ठीक होकर घर लौटे। देशभर में 1,423 संक्रमितों की मौत हुई।

89 दिनों में सबसे कम मरीज पिछले चौबीस घंटे में सामने आए। हालांकि कुछ जिलों में इनकी संख्या बढ़ रही है, जो चिंता का सबब है। इससे पहले 23 मार्च को 47,239 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। वर्तमान में 6,97,893 मरीजों का इलाज चल रहा है। देश में 78 दिनों के बाद यह आंकड़ा 7 लाख से नीचे आया है। इससे पहले 3 अप्रैल को देश में 6 लाख 87 हजार 434 सक्रिय मामले थे।

दस राज्यों में हालात चिंताजनक
देश के 10 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां अब भी जारी हैं। यहां पर संक्रमितों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है। इनमें पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा और पुडुचेरी शामिल हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों में भी हालात चिंताजनक हैं। हालांकि, इसी बीच तेलंगाना सरकार ने राज्य में 20 जून से लॉकडाउन को पूरी तरह से हटा दिया है। देश में महामारी के बीच पाबंदियों को पूरी तरह हटाने वाला यह पहला राज्य बन गया है। तेलंगाना में पहली जुलाई से स्कूल भी खोल दिए जाएंगे।

करें योग रहे निरोग

अंर्तराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज देश की राजधानी दिल्ली में तामाम स्वास्थ्य संगठनों, सामाजिक संगठनों, योग संगठनों और राजनीतिक संगठनों द्वारा योग अभ्यास के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर लोगों ने कहा कि नियमित योग करने से तामाम बीमारियों को काबू पाया जा सकता है। मैक्स अस्पताल के कैथलैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार का कहना है कि नियमित योग करने से बी.पी और शुगर जैसी बीमारी को काफी हद तक काबू किया जा सकता है। इंडियन हार्ट फांउडेशन के अध्यक्ष डाँ आर. एन. कालरा का कहना है कि योग सदियों पुरानी पद्दति है। जो एक प्रकार से दवा का काम करती है। उनका कहना है कि नियमित रोग करने से शारीरिक विकारों को दूर किया जा सकता है। और मानसिक तनाव को दूर करने में योग की अहम् भूमिका है।

शाहदरा के पार्क में आयोजित योग कराते हुये भाजपा के नेता राजकुमार सिंह ने कहा कि प्रतिदिन का 40 मिनट को योग हमें स्वस्थ्य बनाता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि आज की भागमदौड़ व तनाव भरी जिन्दगी में योग करने से मानसिक तनाव और बीमारियों को दूर किया जा सकता है। योग संस्थान के गुरू डाँ दिव्यांग देव गोसेवामी का कहना है कि योग बच्चों से लेकर बुजुर्गों को हर रोज करना चाहिये। क्योंकि योग करने वालों में बीमारियों कम होती है। अस्थमा, बैकपैन, कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। साथ ही मन प्रसन्न रहता है। योग दिवस पर आज स्कूली बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया और हर रोज योग करने की शपथ ली है। ताकि तन और मन को प्रसन्न रखा जा सकें।

कैप्टेन अमरिंदर दिल्ली और सीएम केजरीवाल पंजाब में  

 

पंजाब कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली पहुंच गए हैं। पहले उन्हें और नवजोत सिद्धू को 20 को दिल्ली बुलाने का  कार्यक्रम था, लेकिन अब इसे बदल दिया गया है और कैप्टेन दिल्ली पहुँच गए हैं। उनकी कल सोनिया गांधी की बनाई समिति से बैठक होगी। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आज पंजाब के अमृतसर पहुंच रहे  हैं। पार्टी पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव में अच्छी सीटें जीतने में सफल रही थी और उसने अकाली दल को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था, लेकिन उसके बाद पार्टी अपने लोगों को एकजुट नहीं रख पाई है।
पंजाब में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले सभी दलों में सरगर्मियां देखने को मिल रही हैं। कांग्रेस में कैप्टेन बनाम सिद्धू जंग को ख़त्म करने के लिए कांग्रेस आलाकमान पूरी ताकत से जुटी है। अब मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह दिल्ली पहुंचे हैं। उनकी मंगलवार को सोनिया गांधी की बनाई समिति से दोबारा मुलाकात संभावित है। वे समिति के रिपोर्ट सौंपने से पहले भी उससे मिले थे। उनके अलावा सिद्धू और पार्टी के सभी विधायक और बड़े नेता समिति से मिले थे और अपनी-अपनी राय रखी थी।
सिद्धू को लेकर पेंच फंसा हुआ है। वे कैप्टेन की सरकार में काम नहीं करना चाहते। कैप्टेन उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते। ऐसे में आलाकमान के सामने पेचीदी स्थिति बनी हुई है। अब ऐसा लगता है कि कैप्टेन से आलाकमान अपने फैसले को लेकर बात करना चाहती है, साथ ही संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल/विस्तार पर भी बात हो सकती है जिसमें किसी दलित को बड़ा पद (उप-मुख्यमंत्री) देने की बात शामिल है। यह भी हो सकता है कि किसी दलित को पार्टी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दे और सिद्धू को अगले चुनाव के लिए प्रचार समिति का मुखिया बना दिया जाए।
सिद्धू अब खुले रूप से कैप्टेन की आलोचना करने लगे हैं। हाल के दिनों में सीएम अमरिंदर को भी सिद्धू के खिलाफ गोलबंदी करते देखा गया है और वे वरिष्ठ विधायकों को अपने साथ जोड़कर सिद्धू के खिलाफ ब्यान दिलवा रहे हैं। इनमें प्रताप सिंह बाजवा का नाम सबसे प्रमुख है, जिन्होंने सबसे बड़ी बात यह कही है कि सिद्दू महत्वपूर्ण हैं लेकिन उन्हें इन्तजार करना सीखना चाहिए क्योंकि उनसे पहले कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं। सिद्धू के साथ भी काफी विधायक दिखते हैं जिनमें ज्यादातर युवा हैं। इसे नए-पुराने की लड़ाई भी कहा जा सकता है। पार्टी के बीच इसे ‘सोनिया-राहुल समर्थकों की लड़ाई’ कहा जा रहा है।
कांग्रेस आलाकमान सिद्धू को खोना नहीं चाहती और कैप्टेन को उनके पद पर बनाये रखना चाहती है। ऐसे में जाहिर है कोई बीच का रास्ता ही निकाला जाएगा। अभी यह साफ़ नहीं कि क्या सिद्धू को भी दिल्ली तलब किया जा रहा है। ज्यादा संभावना यही है कि हफ्ते के आखिर तक कुछ साफ़ संकेत पंजाब कांग्रेस को लेकर मिल सकते हैं।
उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी दोपहर बाद पंजाब के अमृतसर पहुंच रहे हैं। आप ने पिछले विधानसभा चुनाव में तब बड़ी संभावना दिखाई थी जब
पंजाब की 117 सीटों में से कांग्रेस की 77 सीटों के मुकाबले उसने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते हुए तब सत्ताधारी अकाली दल से भी ज्यादा 20 सीटें जीत ली थीं और मुख्य विपक्षी दल बन गयी थी। अकाली दल के खाते में 15 ही सीटें आई थीं।
लेकिन पार्टी अपनी यह रफ़्तार नहीं बना रख सकी और उसके कुछ विधायक टूट गए। तीन हाल में कांग्रेस से जा मिले थे। केजरीवाल का कहना है कि पंजाब बदलाव चाहता है और सिर्फ आम आदमी पार्टी ही जनता की इकलौती उम्मीद है। पंजाब में आप के सबसे बड़े नेता सांसद भगवंत मान ने केजरीवाल के दौरे के लिए ख़ास तैयारी की है और संभावना है कि कुछ जाने माने लोग, जिनमें पूर्व पुलिस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह भी हैं, आप में शामिल किये जाएंगे।
केजरीवाल अब दिल्ली से बाहर भी आप का आधार बनाने की तैयारी करते दिख रहे हैं। गुजरात और यूपी के बाद वे पहले से आधार वाले राज्य पंजाब आ रहे हैं। केजरीवाल मार्च में भी पंजाब गए थे और अमरिंदर सरकार पर हमला किया था। किसानों के आंदोलन में साथ रहने के कारण कांग्रेस के अलावा आप ही पंजाब में ऐसी पार्टी है जिसका किसान विरोध नहीं करते। उधर अमृतसर में केजरीवाल के विरोध यह में युवा कांग्रेस ने होर्डिंग्स लगवाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि केजरीवाल की यह यात्रा केवल ‘राजनीतिक स्टंट’ है।

बाजारों में भीड़ कही मुसीबत में ना डाल दें

भले ही कोरोना के मामले कम हो रहे है, लेकिन दिल्ली के बाजारों और सार्वजनिक स्थानों में लोगों की भीड़ देखकर तो लगता है। कि अगर ऐसे ही रहा तो आने वाले दिनों में कोरोना के मामलें बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर डाँ रणदीप गुलेरिया भी कोरोना की तीसरी लहर की 4 से 6 सप्ताह के भीतर आने की आशंका जता रहे है।इन्हीं तमाम पहलुओं पर तहलका ने बाजारों में जाकर पड़ताल की और लोगों सेजाना कि आखिर क्यों कोरोना को लेकर लोगों में भय नहीं है। इस पर दिल्ली के शाहदरा के निवासी अश्विनी कुमार ने बताया कि ये बात तो पक्की है। कि कोरोना का कहर लगातार जारी है और आने वाले दिनों में कोरोना के मामले भी बढ़ेगे।लेकिन उनकी मजबूरी ये है। कि कोरोना काल में दो महीने जब लाँकडाउन लगा रहा तब उनका प्लास्टिक का कारोबार बंद रहा है। ऐसे में वे अपने परिवार की रोजी-रोटी के लिये निकल रहे है। इसी तरह अन्य लोगों की यही दास्तान है। जबकि व्यापारियों का कहना है कि अभी कोरोना की तीसरी लहर की आशंका ही व्यक्त की जा रही है। तब तो लोगों का ये हाल है। सदर बाजार व्यापार एसोसिएय़न के अध्यक्ष राकेश यादव का कहना है कि व्यापारी वर्ग लोगों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने की अपील कर रहा है। और साथ ही मास्क भी वितरित कर रहा है। लेकिन लोगों की भीड़ को कैसे काबू की जाये। व्यापारियों का कहना है कि लोगों में इस बात का भय है कि आने वाले दिनों में अगर कोरोना की तीसरी लगर दो महीनें तक चली तो काफी दिक्कत हो सकती है। इसलिये छोटे व्यापारी व अन्य लोग बाजारों से सामान ले जाकर एकत्रित कर रहे यानि जमा कर रहे है।उन्होंने बताया कि रक्षा बंधन का त्योहार आने वाला है। इसलिये बाजारों रौनक है। लेकिन भीड़ भी है।

उत्तर प्रदेश में दरोगा नहीं, सीओ बनाएं वांछितों की लिस्ट: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 35 साल पुराने गैंगस्टर एक्ट के अब तक नियम न बनाने पर राज्य सरकार पर नाराजगी जताई है। अदालत ने प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह व पुलिस महानिदेशक को गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप कानून 1986 के तहत 31 दिसंबर 2021 तक नियमावली तैयार करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक नियम नहीं बन जाते, तब तक सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों व पुलिस अधीक्षकों को सर्कुलर जारी कर अपने यहां डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी की तैनाती करने का निर्देश दिया जाए। सीओ रैंक के उक्त अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाकर संगठित अपराध के आरोपियों का गैंगचार्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए और एसपी व एसएसपी के क्रास चेक करने के बाद उनके अनुमोदन से गैंगचार्ट जारी हो।

न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने गैंगस्टर एक्ट के मामले में आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि गैंगचार्ट में अपराध, अपराध की प्रकृति, अपराधों की संख्या, पारिवारिक पृष्ठभूमि, अवैध संपत्ति, सामाजिक व आर्थिक स्तर, जिले से लेकर प्रदेश के बाहर तक का गैंगक्षेत्र आदि पूरा ब्योरा दिया जाए।

हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराधियों के गैंगचार्ट बनाने में पुलिस की लुकाछिपी वाली कारगुजारियों पर नाराजगी जताई। साथ ही कहा कि पुलिस की यह मनमानी संगठित अपराध से कठोरता से निपटने के लिए बने गैंगस्टर एक्ट के उद्देश्य को विफल करने वाला है।

कोर्ट ने कहा कि गिरोहबंद कानून को बने 35 साल हो गए और अब तक नियम नहीं बने। पुलिस इसका दुरुपयोग कर रही है और अपराधियों के आधे-अधूरे गैंगचार्ट बना रही है। नतीजतन आरोपी जमानत के समय इसका फायदा उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि थाना इंचार्ज अधूरा गैंगचार्ट तैयार करते हैं और उच्च अधिकारी बिना सत्यापन किए उसका अनुमोदन कर देते हैं, जिसका फायदा आरोपी आसानी से जमानत मंजूर कराने के वक्त उठा लेते हैं।

अगर चेते नहीं तो कोरोना की तीसरी लहर 6-8 सप्ताह के अंदर संभव : गुलेरिया

एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने लोगों को आगाह किया है कि वह समय रहते चेत जाएं वर्ना तीसरी लहर से कोई नहीं रोक सकता है। अगर ऐसे ही भीड़ भाड़ पर काबू नहीं पाया गया तो अगले छह से आठ सप्ताह में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है।

एम्स निदेशक ने कहा कि जब तक देश की बड़ी संख्या में आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक कोविड के लिए जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करना हर एक के लिए जरूरी है। उन्होंने संक्रमण के मामलों में बड़ी वृद्धि होने पर कड़ी निगरानी और क्षेत्र-विशेष में लॉकडाउन की आवश्यकता पर जोर दिया। गुलेरिया ने एक बार फिर कहा है कि ऐसी कोई संभावना नहीं है कि अगली लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे।

इससे पहले विशेषज्ञों ने चेताया था कि कोरोना की तीसरी लहर अपरिहार्य है। इसके सितंबर-अक्तूबर से शुरू होने की आशंका है। भारत अप्रैल और मई में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई थीं और विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण संकट बढ़ गया था।
वर्तमान में मामले तो नियंत्रण में होते जा रहे हैं, और कुछ दक्षिण के राज्यों तक ही सीमित होता जा रहा है। लेकिन अगर लापरवाही बरती गई तो हालात पिछली दफा से भी ज्यादा घातक हो सकते हैं।

गुलेरिया ने कहा कि देशभर में हर शख्स के टीकाकरण होने तक एक और बड़ी लहर को रोकने के लिए आक्रामक तरीके से काम करने की जरूरत है। कोविड हॉटस्पॉट में आक्रामक निगरानी और संक्रमण के मामलों में अधिक वृद्धि होने पर लॉकडाउन जैसेी सख्ती की जरूरत होगी। किक्षेत्र विशेष में संक्रमण दर पांच प्रतिशत से अधिक होती है तो क्षेत्र में लॉकडाउन और रोकथाम उपायों को लागू किया जाना चाहिए।