हाल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से दो बैठकें करने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार दिल्ली में अपने आवास पर तमाम बड़े विपक्षी (गैर कांग्रेस) नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। सीधे राजनीतिक बैठक न लगे, लिहाजा इससे बचने के लिए बैठक में फिल्मकार जावेद अख्तर, प्रीतीश नंदी से लेकर आर्थिक जानकार अरुण कुमार तक को भी न्योता गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के ‘राष्ट्र मंच’ के बैनर तले यह बैठक ऐसे मौके पर हो रही है जब देश में हाल में कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने में मोदी सरकार को नाकाम माना गया है, महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है और आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के हाथ खड़े दिख रहे हैं।
नेता कह रहे हैं कि इस बैठक का कोई भी एजंडा नहीं था। किसी एक ख़ास मुद्दे पर नहीं, देश के कई मुद्दों पर बातचीत हुई। इसमें कोरोना, महंगाई, खराब आर्थिक स्थिति तक सभी शामिल हैं। पवार अगले लोकसभा चुनाव से पहले अपने नेतृत्व में एक बड़ा राजनीतिक मोर्चा खड़ा करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व देने की स्थिति में नहीं और उनके पास प्रधानमंत्री बनने की अपनी ‘इच्छा पूरी करने का’ अवसर है।
आज की बैठक एक शुरुआती माहौल बनाने भर के लिए है। पवार जल्दी नहीं करना चाहते। यशवंत सिन्हा भी उनके साथ जुड़ गए हैं। वैसे विपक्षी गठबंधन की अभी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन प्रशांत किशोर खुद यह मानते हैं कि कांग्रेस को अलग करके कोई विपक्षी भाजपा का मुकाबला करने की कल्पना नहीं कर सकता। कांग्रेस आज भी देश में भाजपा के बाद सबसे ज्यादा ज़मीनी पकड़ वाली पार्टी है और उसके पास भाजपा के 22 करोड़ के मुकाबले 11 करोड़ के करीब वोट (लोकसभा के 2019 चुनाव नतीजे के मुताबिक) हैं।
शरद पवार की बैठक दरअसल कुछ देरी से हो रही है क्योंकि यह आज से चार महीने पहले होने वाली थी लेकिन अचानक पवार को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्या के चलते सर्जरी करवानी पड़ी। अब पहली बैठक हुई है और पवार इसमें आने वाले नेताओं-गैर नेताओं की संख्या से खुश हो सकते हैं। ‘राष्ट्र मंच’ के नाम से इस बैठक के आयोजन के पीछे पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा का भी रोल अहम रोल है। राष्ट्रमंच के संस्थापक यशवंत सिन्हा ही हैं। अब वे टीएमसी के बड़े पदाधिकारी हैं।
नामी नेता जो इस बैठक में पहुंचने की जानकारी है उनमें पूर्व जेके सीएम एनसी के उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस में रहे संजय झा, एनसीपी के राज्यसभा सदस्य माजिद मेमन, भाकपा नेता बिनय विश्वम, टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा, एनसीपी से राज्यसभा सदस्य वंदन चव्हाण, पूर्व राजदूत केसी सिंह, समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी, पूर्व सांसद जयंत चौधरी, आप के सुशील गुप्ता शामिल हैं। इनके अलावा जावेद अख्तर भी शामिल हैं। माकपा के नीलोत्पल वासु, वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी, पत्रकार करण थापर और आशुतोष भी बैठक में बुलाये गए थे।
हालांकि, जिन नेताओं को इस बैठक में बुलाया गया या जो आये उनमें चर्चित राष्ट्रीय नेता कम ही हैं। इन्हें मझोले स्तर के क्षेत्रीय नेता कहा जा सकता है। वैसे भी देश में यूपीए का बड़ा गठबंधन पहले से है जिसमें शरद पवार की एनसीपी भी शामिल है। लेकिन एक पेंच जरूर है। कांग्रेस के जी -23 नेताओं का रुख अभी साफ़ नहीं है। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक इस बैठक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को बुलाया गया था लेकिन उन्होंने साफ़ मना कर दिया। इससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस के जी -23 नेता फिलहाल कांग्रेस के साथ ही हैं।
बैठक से पहले एनसीपी के प्रवक्ता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा था कि पूरे देश में सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने का काम शरद पवार शुरू कर रहे हैं। बैठक के बाद शरद पवार और यशवंत सिन्हा प्रेस कांफ्रेंस करके इसमें हुई बातचीत की जानकारी देंगे। बैठक में जेके के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी आये थे लेकिन जल्दी ही वापस चले गए।
कोरोना की तीसरी लहर से अभी ही तैयारी करें, राहुल गांधी की मोदी सरकार को सलाह
कोविड-19 के मामले में मोदी सरकार को लगातार सुझाव देते रहे और उसकी खिंचाई भी करते रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके कोरोना पर एक श्वेत पत्र जारी करते हुए इस बात पर जोर दिया कि विशेषज्ञ तीसरी लहर की बात कह चुके हैं लिहाजा उसका मजबूत मुकाबला करने के लिए अभी से तैयारी कर लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली और दूसरी लहर के दौरान बहुत सी कमियां रही हैं और ऐसे लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा, जिन्हें बचाया जा सकता था।
राहुल ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आनी तय है, ऐसे में सरकार इसकी तैयारी करके ही जनता को महामारी से बचा सकती है। गांधी ने कोरोना को लेकर श्वेत पत्र जारी किया और सरकार से कहा कि उसे गलती सुधारने की ज़रुरत है क्योंकि ऐसा करके ही आप लोगों को बचा सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि श्वेत पत्र का मकसद सरकार की निंदा करना नहीं बल्कि उसे रास्ता दिखाना है। राहुल ने कहा कि दूसरी लहर में 90 फीसदी मौतें सुविधाओं के अभाव में हुईं। इनमें ऑक्सीजन से लेकर बेड और दूसरी जरूरतें शामिल हैं जिनका भयंकर अभाव रहा। उन्होंने कहा – ‘वैज्ञानिकों ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार को चेताया था, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। दूसरी लहर संभालने में सरकार विफल रही है। सरकार की लापरवाही से बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की भी मौत हो गयी जिन्हें बचाया जा सकता था। करोड़ों लोग कोरोना से प्रभावित हुए। यह समझना ज़रूरी है कि कोरोना का असर सिर्फ बीमारी के रूप में नहीं है बल्कि इसका असर आपकी आर्थिक, सामजिक ज़िंदगी पर भी पद रहा है।’
राहुल गांधी ने कहा कि ‘अब पूरा देश जानता है कि तीसरी लहर आने वाली है। ऐसे में सरकार को पहले से इसकी तैयारी करनी चाहिए। श्वेत पत्र में तीसरी लहर की तैयारी, दूसरी लहर की खामियां, आर्थिक रूप से मदद और और पीड़ित परिवारों को मुआवजे की व्यवस्था का जिक्र है। जब तीसरी लहर आए तो आम लोगों को कम से कम परेशानी हो और जिनके परिवार में कोरोना से मौत हुई है उन्हें मदद दी जाए।’
याद रहे राहुल गांधी कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने में मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट में असमर्थता जताए जाने पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। गांधी ने इसे लेकर अपने ट्वीट में कहा – ‘जीवन की कीमत लगाना संभव नहीं है। सरकारी मुआवजा सिर्फ एक छोटी सी सहायता होती है। लेकिन मोदी सरकार यह भी करने को तैयार नहीं। कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आंकड़े और ऊपर से सरकार की यह क्रूरता।’
राहुल ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीकाकरण और कोविड-19 के मामले कम होने या इसके ख़त्म होने पर प्रचार पर ध्यान देने की जगह लोगों को सुविधाएं देने पर फोकस करने की ज़रुरत है। प्रचार करने और श्रेय लेने के लिए बहुत समय पड़ा है और ऐसा आप कोरोना के पूरी तरह ख़त्म होने के दो साल बाद भी कर सकते हैं।’
उनसे एक सवाल यह भी पूछा गया कि देखने में आया है कि अल्पसंख्यक (मुस्लिम) वर्ग और महिलाएं बहुत कम संख्या में टीकाकरण के लिए सामने आये हैं। राहुल ने कहा कि टीकाकरण में पीएम, सीएम, डीएम से लेकर जनता तक सबको इन्वाल्व करने की जरूरत है। पूरे देश को इसे लेकर बताया और जोड़ा जाना चाहिए।’
राहुल ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आनी तय है, ऐसे में सरकार इसकी तैयारी करके ही जनता को महामारी से बचा सकती है। गांधी ने कोरोना को लेकर श्वेत पत्र जारी किया और सरकार से कहा कि उसे गलती सुधारने की ज़रुरत है क्योंकि ऐसा करके ही आप लोगों को बचा सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि श्वेत पत्र का मकसद सरकार की निंदा करना नहीं बल्कि उसे रास्ता दिखाना है। राहुल ने कहा कि दूसरी लहर में 90 फीसदी मौतें सुविधाओं के अभाव में हुईं। इनमें ऑक्सीजन से लेकर बेड और दूसरी जरूरतें शामिल हैं जिनका भयंकर अभाव रहा। उन्होंने कहा – ‘वैज्ञानिकों ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार को चेताया था, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। दूसरी लहर संभालने में सरकार विफल रही है। सरकार की लापरवाही से बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की भी मौत हो गयी जिन्हें बचाया जा सकता था। करोड़ों लोग कोरोना से प्रभावित हुए। यह समझना ज़रूरी है कि कोरोना का असर सिर्फ बीमारी के रूप में नहीं है बल्कि इसका असर आपकी आर्थिक, सामजिक ज़िंदगी पर भी पद रहा है।’
राहुल गांधी ने कहा कि ‘अब पूरा देश जानता है कि तीसरी लहर आने वाली है। ऐसे में सरकार को पहले से इसकी तैयारी करनी चाहिए। श्वेत पत्र में तीसरी लहर की तैयारी, दूसरी लहर की खामियां, आर्थिक रूप से मदद और और पीड़ित परिवारों को मुआवजे की व्यवस्था का जिक्र है। जब तीसरी लहर आए तो आम लोगों को कम से कम परेशानी हो और जिनके परिवार में कोरोना से मौत हुई है उन्हें मदद दी जाए।’
याद रहे राहुल गांधी कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने में मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट में असमर्थता जताए जाने पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। गांधी ने इसे लेकर अपने ट्वीट में कहा – ‘जीवन की कीमत लगाना संभव नहीं है। सरकारी मुआवजा सिर्फ एक छोटी सी सहायता होती है। लेकिन मोदी सरकार यह भी करने को तैयार नहीं। कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आंकड़े और ऊपर से सरकार की यह क्रूरता।’
राहुल ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीकाकरण और कोविड-19 के मामले कम होने या इसके ख़त्म होने पर प्रचार पर ध्यान देने की जगह लोगों को सुविधाएं देने पर फोकस करने की ज़रुरत है। प्रचार करने और श्रेय लेने के लिए बहुत समय पड़ा है और ऐसा आप कोरोना के पूरी तरह ख़त्म होने के दो साल बाद भी कर सकते हैं।’
उनसे एक सवाल यह भी पूछा गया कि देखने में आया है कि अल्पसंख्यक (मुस्लिम) वर्ग और महिलाएं बहुत कम संख्या में टीकाकरण के लिए सामने आये हैं। राहुल ने कहा कि टीकाकरण में पीएम, सीएम, डीएम से लेकर जनता तक सबको इन्वाल्व करने की जरूरत है। पूरे देश को इसे लेकर बताया और जोड़ा जाना चाहिए।’