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काबुल एयरपोर्ट से कई भारतीयों समेत 150 लोगों को ले गए तालिबानी

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल एयरपोर्ट से 150 लोगों को तालिबानियों के अपने साथ ले जाने की खबर है। इनमें से ज्यादातर भारतीय बताये गए हैं। इन लोगों को कहाँ और क्यों ले जाय गया है, इसकी अभी जानकारी नहीं है। इस बीच अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और उसके खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच 85 और भारतीयों को काबुल से स्वदेश लाया जा रहा है। भारतीय वायु सेना के सी-130जे विमान इन भारतीयों को लेकर काबुल से उड़ान भर चुका है। चार दिन पहले ही 150 के करीब भारतीयों, जिनमें दूतावास अधिकारी/कर्मचारी, आईटीबीपी के जवान, पत्रकार और अन्य लोग थे, को भारत लाया गया था। उधर अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध का दायरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
काबुल के एयरपोर्ट पर अभी भी अमेरिकी सेना का अधिकार है और तालिबान वहां कब्ज़ा नहीं कर पाया है। अमेरिकी सेना की मदद से आज सुबह 85 और भारतीयों को काबुल से सुरक्षित निकाला गया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ दिन पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री से भारतीयों को निकालने में मदद की अपील की थी। यह जहाज आज दोपहर बाद हिंडन गाजियाबाद या दिल्ली पहुंचेगा।
इस बीच खबर है कि देश छोड़कर भागे राष्ट्रपति अब्दुल गनी के भाई हश्‍मत गनी अहमदजई तालिबान में शामिल हो गए हैं। उनका तालिबान की तरफ से स्वागत किए    जाने की तस्वीरें मीडिया में आ रही हैं जिसमें तालिबान के नेता खलील उर रहमान और इस्‍लामिक विद्वान मुफ्ती महमूद जाकिर गनी के साथ दिख रहे हैं। अशरफ गनी यूएई में शरण लिए हुए हैं। उनपर अफगानिस्तान से बड़े पैमाने पर संपत्ति लेकर भागने का आरोप है, हालांकि गनी ने इन आरोपों को गलत बताया है।
इस बीच 85 भारतीयों को लेकर भारतीय वायु सेना का सी-130जे विमान आज सुबह काबुल से दिल्ली के लिए रवाना हो गया है। विमान ताजिकिस्तान में ईंधन भरने के लिए रुका था। अफगानिस्तान में अभी भी 900 से ज्यादा  भारतीय फंसे हैं, जिनमें से कई ने काबुल के गुरुद्वारे में शरण ली हुई है। भारत सरकार भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए कई मोर्चों पर संपर्क जुटा रही है।
उधर काबुल में अभी तक आतंक का माहौल है और वहां नागरिक देश छोड़ कर बाहर निकलने के लिए जुटे हैं। एक घटना में एक अफगान परिवार को अपने छोटे बच्चे को अमेरिकी सैनिकों को देते हुए देखा गया ताकि उसकी जान बच सके।
इस बीच अफगान झंडे के साथ एक किलोमीटर का मार्च निकालने के अलावा कई जगह अफगान नागरिक तालिबान का विरोध करते हुए देखे जा रहे हैं। पंजशीर घाटी कुछ मजबूत नेता भी तालिबान को चुनौती देने की तैयारी में लगते हैं। पंजशीर में अभी तक तालिबान का कब्ज़ा नहीं हो पाया है।

सोनिया गांधी के निमंत्रण पर जुटा विपक्ष, भाजपा के खिलाफ देशहित में साथ आने की गांधी की अपील

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार शाम अपने आवास पर विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ बैठक कर विपक्षी एकता की तरफ एक और कदन बढ़ाया। इस मौके पर 19 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए जिनमें सीएम ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीएम एमके स्टालिन, फारूक अब्दुल्ला, सीएम हेमंत सोरेन, सीएम सीएम उद्धव ठाकरे और सीताराम येचुरी जैसे दिग्गज शामिल रहे।

हाल में विपक्षी दलों के साथ कांग्रेस की यह तीसरी बैठक है जिसमें एक राहुल गांधी की नाश्ते की बैठक भी शामिल है। बैठक में सोनिया गांधी ने सभी नेताओं से देशहित में संसद और संसद के बाहर एकजुट होने की अपील की।

अगले साल उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में होने वाले विधानसभा के चुनावों से पहले कांग्रेस की विपक्ष को एकजुट करने की यह कोशिशें भाजपा की परेशानी बढ़ा सकती हैं। कांग्रेस की इस बैठक में बसपा और सपा के अलावा आप को भी न्योता नहीं मिला था। आप ने कहा कि उसे कांग्रेस की तरफ से न्योता ही नहीं मिला था। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को आगे करके चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है जिससे बसपा और सपा में बेचैनी है।

सोनिया गांधी की आज की बैठक में 19 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। इनमें टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, शिवसेना, जेएमएम, भाकपा, माकपा, फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरजेडी, एआईयूडीएफ, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल, जनता दल सेकुलर, राष्ट्रीय लोक दल, केरल कांग्रेस (एम), वीसीके, आरएसपी और आईएयूएमएल शामिल हैं। ममता बनर्जी और शरद पवार के इस बैठक में शामिल होने को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अब भाजपा की सामने एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़ा होने की कोशिश करता दिख रहा है। विपक्ष के कई नेता कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्ष एक मजबूत विकल्प नहीं बन सकता लिहाजा कांग्रेस को आगे आना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अब विपक्ष के नेताओं से मिल रहे हैं।

आज की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा – ‘यह एकता भविष्य में भी संसद से लेकर बाहर तक दिखेगी।’ सोनिया ने 2024 की सियासी लड़ाई की भी बैठक में बात की और कहा अगले लोकसभा चुनाव के लिए सभ्यी विपक्षी दलों को साझा रूप से रणनीति बनाने की सख्त ज़रुरत है। गांधी ने कहा – ‘हम सबके अपने-अपने राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। लेकिन इन्हें परे रखकर राष्ट्रहित में हम एक साथ आ सकते हैं। कांग्रेस की तरफ से इस तरह की कोशिशों में कोई कमी नहीं मिलेगी।’

बैठक में सोनिया गांधी ने बार-बार भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा ज़मीनी तौर पर हम भी मजबूत हैं और भाजपा का मुकाबला कर सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा – ‘संसद में विपक्ष की एकजुटता का ही नतीजा है कि सरकार को ओबीसी बिल में संशोधन करना पड़ा। विपक्ष की एकजुटता से घबराकर सरकार ने अड़ियल रवैया अपनाया जिससे मॉनसून सत्र नहीं चल पाया।’

ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, शरद पवार जैसे नेताओं को जुटाकर सोनिया गांधी ने कांग्रेस ही नहीं विपक्ष की एकता का भी सन्देश दिया है। आज की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी भी शामिल रहे। फारूक अब्दुल्ला भी बैठक में शामिल हुए। सोनिया ने विपक्षी नेताओं से कहा – ‘आखिर  हमारा लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है। हमें ऐसी सरकार के लिए योजना बनाकर काम करना होगा जो आजादी के आंदोलन के मूल्यों में विश्वास करती हो। पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा करने में सरकार ने इच्छा नहीं दिखाई। इसके कारण संसद का मानसून सत्र पूरी तरह से धुल गया। संसद में विपक्ष की एकता का भरोसा है, लेकिन इसके बाहर बड़ी राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी।’

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ‘तहलका’ को कि बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों ने कहा कि विपक्ष को एकजुट होना होगा। इन मुख्यमंत्रियों ने आरोप लगाया कि गैर भाजपा राज्य सरकारों को परेशान किया जा रहा है। हमें साथ आना होगा और केंद्र सरकार का सामना करना होगा।

हाल के संसद सत्र में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने सरकार पर कई मुद्दों को लेकर दबाव बनाया था। मानसून सत्र के दौरान संसद में पेगासस जासूसी कांड, किसान आंदोलन, महंगाई समेत दूसरों मुद्दों को लेकर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा था। इन दिनों विपक्षी पार्टियों में अच्छी एकजुटता नजर आ रही है।

हाल के दिनों में राहुल गांधी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ नाश्ते पर बैठक कर चुके हैं जिसमें 14 दल शामिल हुए थे। मकसद विपक्ष को एकजुट करने का ही था। याद रहे इस बैठक के बाद राहुल गांधी साइकिल से संसद गए थे। साथ विपक्षी दलों के नेता भी थे। इसके बाद कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी विपक्ष के नेताओं को डिन्नर पर आमंत्रित करके विपक्षी एकता पर चर्चा की थी। राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं के साथ दो बार प्रेस कांफ्रेंस भी की। देखना है आने वाले दिनों में कांग्रेस की यह कोशिशें क्या रंग लाती हैं।

घटती आबादी से परेशान, चीन ने तीन बच्चे पैदा करने को दी मंजूरी

दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश अपनी जनसंख्या बढ़ाने के तरीके अपनाने में लगा है। इसके बावजूद वहां के लोग ज्यादा बच्चे पैदा करने से परहेज कर रहे हैं। वहीं, भारत में कम आय वर्ग की बड़ी आबादी में जनसंख्या दर अधिक होने से आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है, जिससे कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। यानी कहीं ज्यादा आबादी तो कहीं घटती आबादी से भी देश परेशान हैं।

आखिर चीन क्यों तीन बच्चे पैदा करने की पॉलिसी लाने को मजबूर हुआ है। इसको इस तरह समझा जा सकता है कि 36 साल तक एक बच्चे की नीति को अपनाने के बाद अब वहां पर बुजुर्गों की तादाद बढ़ गई है और कामगारों के तौर पर युवाओं की कमी हो गई है। इससे उत्पादकता पर असर हो रहा है साथ ही बढ़ती महंगाई और लोगों की जीवनशैली ने भी ज्यादा बच्चे न पैदा करने के लिए प्रेरित किया है।

चीनी युवा दंपति किसी भी हालत में एक से ज्यादा बच्चा पैदा करने के लिए खुद ही तैयार नहीं दिख रहे हैं। पिछले दिनों कराए गए एक सर्वे में भी इसी तरह की बात सामने आई थी।

अब चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार की ओर से तीन बच्चों की नीति का शुक्रवार को औपचारिक रूप से समर्थन किया है। यह नीति दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश में तेजी से कम होती जन्म दर को रोकने के मकसद से लाई गई है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति ने संशोधित जनसंख्या एवं परिवार नियोजन कानून को पारित कर दिया जिसमें चीनी दंपत्तियों को तीन बच्चे तक पैदा करने की अनुमति दी गयी है।

चीन में 1980 से लेकर 2015 तक राष्ट्रपति डेंग शाओपिंग के शासन में एक-बच्चे की नीति सख्ती से लागू की गई थी। इसके तहत माता-पिता सिर्फ एक बच्चा ही पैदा कर सकते थे। इन नियमों को तोड़ने वाले जोड़ों और उनके बच्चों से सरकारी सुविधाएं छीन ली जाती थीं। साथ ही उन्हें सरकारी नौकरियों और योजनाओं से भी दूर कर दिया जाता था।

देश में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और जन्मदर कम होने के बाद इस नीति को बदलकर दो बच्चों की नीति कर दिया गया। पिछले साल चीन का जो सर्वे सामने आया, उसके मुताबिक 2020 में चीन में महज 1.2 करोड़ बच्चे ही पैदा हुए, जो कि 2019 के 1.46 करोड़ बच्चों के आंकड़े से भी कम थे। चीन में प्रजनन दर भी 1.3 फीसदी पर ठहर गई, जिसने चीन को सबसे कम प्रजनन दर वाले देशों में शामिल किया गया।

कोरोना लहर में ना पड़े बल्कि कोरोना गाइड लाइन का पालन करें

कोरोना के मामले भले ही कम हो रहे हो ऐसे में जरा सी लापरवाही घातक हो सकती है। डाक्टरों का मानना है कि, जिन्हें कोरोना हो चुका है। वे हार्ट , किडनी, लीवर सहित आँखों की जांच करवाते रहे। क्योंकि कोरोना के कुछ रोगी ऐसे भी है जिनको हार्ट और किडनी की बीमारी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है।

इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डाँ आर एन कालरा का कहना है कि कोरोना के रोगियों को स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानी बढ़ी है। मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार का कहना है कि, मधुमेह रोगी, उच्च रक्त चाप से पीड़ित मरीजों को अपने हार्ट की जांच समय –समय पर करवाते रहना चाहिये। क्योंकि कोरोना से शरीर में कमजोरी आने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल ने कहा कि, दूसरी और तीसरी लहर कोरोना को लेकर लोगों के मन में डर और भय है। उसको लेकर डरें नहीं , बल्कि कोरोना को लेकर सावधानी बरतें और कोरोना गाइड लाईन का पालन करें।

चूंकि, तमाम अध्यनों से पता चला है कि कोरोना कि कोरोना के रोगियों को शारीरिक दिक्कत के साथ अंगों के डैमेज होने के मामले सामने आ रहे है। जो चिन्ता का विषय है। ऐसे में लगातार बुखार आने और खांसी-जुकाम के साथ बैचेनी हो तो उसे नजरअंदाज ना करें। डाक्टरों से परामर्श करें । ताकि कोरोना से समय रहते लड़ा जा सकें।

कोविड प्रोटोकॉल न मानने पर यूएई ने इंडिगो उड़ानों पर लगाई हफ्ते भर की रोक

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने इंडिगो की सभी उड़ानों के संचालन पर एक हफ्ते की रोक लगा दी। दरअसल, कई यात्रियों के डिपार्चर एयरपोर्ट पर अनिवार्य आरटी-पीसीआर टेस्ट के नियम का पालन न करने पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। इंडिगो ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि परिचालन संबंधी मुद्दों के कारण संयुक्त अरब अमीरात के लिए इंडिगो की सभी उड़ानें 24 अगस्त 2021 तक रद्द रहेंगी। यह निलंबन मंगलवार से प्रभावी हो चुका है।

इंडिगो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमने अपने सभी यात्रियों को इस बारे में सूचित कर दिया है। एक बार परिचालन दोबारा शुरू होने के बाद यात्रियों को दूसरी फ्लाइट में टिकट दिए जाने या रिफंड के साथ मदद की जाएगी। यूएई सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक हर यात्री को उड़ान के लिए निर्धारित समय से 48 घंटे पहले आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव और छह घंटे पहले एयरपोर्ट पर रैपिड पीसीआर टेस्ट में निगेटिव रिपोर्ट प्राप्त करना अनिवार्य है। रैपिड पीसीआर टेस्ट के निर्देश पांच अगस्त से लागू हुए हैं।

इसके साथ ही यात्रियों को यात्रा के लिए यूएई के अधिकारियों से अनुमोदन पत्र की भी आवश्यकता होती है। हवाई अड्डे पर एयरलाइन चेक-इन कर्मचारियों को यात्रियों को अनुमति देने से पहले परीक्षण रिपोर्ट की जांच करने की आवश्यकता होती है। इसके बाद यूएई पहुंचने पर भी दस्तावेजों की जांच की जाती है। अचानक फ्लाइट कैंसिल की जानकारी मिलने पर यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की।

बता दें कि जून के मुकाबले जुलाई माह में देशभर में 61 फीसदी अधिक यानी 50.07 लाख घरेलू यात्रियों ने हवाई यात्रा की। यह संख्या जून में 31.13 लाख थी। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बताया कि मई में 21.15 लाख लोगों ने और 57.25 लाख लोगों ने अप्रैल के दौरान हवाई यात्रा की थी। सबसे ज्यादा लोगों ने इंडिगो से जुलाई में 29.32 लाख यानी 58.6 फीसदी यात्रियों ने हवाई यात्रा की और स्पाइसजेट के माध्यम से 4.56 लाख लोगों ने सफर किया।

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के सदस्यों द्वारा जांच का फैसला सुनाया है जो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा गया है।

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार पर आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस ने जीत के बाद राज्य में बीजेपी के कार्यकर्ताओं और महिला सदस्यों पर कई हमले किए गए है।

इन हमलों में भाजपा के कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़, हत्याएं, दुकानों व ऑफिस में लूटमार की गई है। और यह घटना खासतौर पर मतगणना के दिन हुई, जब राज्य की पुलिस का नियंत्रण पूर्ण रूप से चुनाव आयोग के हाथों में था।

हालांकि, इस मामले में जुलाई में हुई हिंसा के आरोपों को ममता बनर्जी की सरकार ने सिरे से खारिज किया है। हाई कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने समिति को गठित किया है और उसकी रिपोर्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि राज्य में चुनावो के बाद हिंसा हुई हैं।

अहमद मसूद का तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान, सालेह ने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद वहां कई घटनाक्रम देखने को मिल रहे रहे हैं। उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने संविधानी के तहत खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है जबकि नॉर्दन अलायंस के नेता अहमद मसूद ने कहा है कि तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। अफगानिस्तान में कई जगह तालिबान का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है जबकि तालिबानी गोलीबारी में कुछ लोगों की जान जाने की भी रिपोर्ट्स हैं। उधर पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के यूएई में शरण लेने की पुष्टि हुई है। काबुल के गुरुद्वारा में बड़ी संख्या में हिन्दुओं और सिखों ने पनाह ली हुई है और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। तालिबान प्रमुख मुल्ला बरादर काबुल आ गया है जबकि तालिबान के कई बड़े नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई मुलाकात से मुलाकात की है।

तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जे के बावजूद वहां उनका विरोध आने वाले समय में दिख सकता है। पंजशीर घाटी पर अभी तक तालिबान का कब्ज़ा नहीं हुआ है। उस इलाके से ताल्लुक रखने वाले अफगानिस्तान के उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को देश के संविधान के तहत राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उनके अलावा नॉर्दन अलायंस के नेता अहमद मसूद ने भी तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान किया है। वे पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। उनके अलावा मजार-ए-शरीफ के ताकतवर नेता मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम और अता मोहम्मद नूर भी तालिबान के खिलाफ ख़म ठोकने की तैयारी कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान में कई जगह तालिबान का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है जबकि तालिबानी गोलीबारी में कुछ लोगों की जान जाने की भी रिपोर्ट्स हैं। एक वीडियो में महिलाओं को तालिबान का विरोध करते हुए देखा जा रहा है।

उधर अफगानिस्तान में अभी सैकड़ों भारतीय फंसे हैं। करीब 300 हिंदू और सिख काबुल के करते परवन गुरुद्वारे में शरण लिये हुए हैं। करते परवन गुरुद्वारे में अन्य के साथ फंसे गुरुद्वारा के प्रधान गुरनाम सिंह समिति के सदस्य तलविंदर सिंह चावला ने एक भारतीय चैनल से बातचीत में कहा – ‘मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि हमें यहां से तुरंत निकाला जाए। यह हमारे और हमारे के समुदाय के लिए अच्छा होगा कि हम तुरंत भारत चले जायें। करते परवन गुरुद्वारे में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 250-300 सिख और हिंदू फंसे हैं। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि हमें यहां से तुरंत निकाला जाए।’

चावला ने कहा कि इस समय जलालाबाद प्रांत में लोग तालिबान के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है। तालिबान प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग कर रहा है। फिलहाल, राजधानी काबुल में युद्ध जैसी स्थिति तो नहीं दिख रही है, लेकिन जल्द ही हालात खराब होने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान के एक समूह ने हाल में करते परवन गुरुद्वारे का दौरा किया था और लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया था।
इस बीच साफ़ हो गया है कि अफगानिस्तान से भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी यूएई में हैं। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा – ‘यूएई का विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय इस बात की पुष्टि कर सकता है कि यूएई ने मानवीय आधार पर राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार का देश में स्वागत किया है।’

ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अगबर ने बड़ा दावा करते आरोप लगाया है कि ‘राष्ट्रपति अशरफ गनी जब अफगानिस्तान से भागे थे, तो वह अपने साथ 16.9 करोड़ डॉलर (12.67 अरब रुपये) ले गए थे। गनी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और अफगान राष्ट्र की संपत्ति को बहाल किया जाना चाहिए।’ गनी ने, हालांकि, इसे गलत बताते हुए कहा है कि वे सिर्फ एक जोड़ी कपड़ों में अपने देश से गए और उनके जाने का कारण देश में खून खराबा रोकना था।

उधर अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। सालेह ने ट्वीट में लिखा – ‘अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और और वैध केयरटेकर प्रेसिडेंट हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।’

इस बीच तालिबान प्रमुख मुल्ला बरादर काबुल आ गया है जबकि तालिबान के कई बड़े नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई मुलाकात से मुलाकात की है। इसे काफी अहम घटना माना जा रहा है। उधर तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि ‘अफगानिस्तान अब मुक्त हो गया है और समूह कोई बदला नहीं लेना चाहता है।  काबुल में दूतावासों की सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हम सभी देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारे बल सभी दूतावासों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सहायता एजेंसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूद हैं।’

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से द्विपक्षीय व्यापार को भारी नुकसान

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही भारत में ड्राई फ्रूट्स के दामो में उछाल आया है। भारत को अफगान से मिलने वाले उत्पादों में सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी व खुबानी, चेरी, तरबूज, औषधीय जड़ी-बूटियों और ताजे फल शामिल है।

भारत दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार है। भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1.4 बिलियन अमरीकी डालर था, जबकि 2019-20 में 1.52 बिलियन अमरीकी डालर था।

भारत से निर्यात 826 मिलियन अमरीकी डालर था और 2020-21 में आयात 510 मिलियन अमरीकी डालर था। अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिति की अनिश्चितता के कारण बाजारों में कीमतें बढ़ी है। जिससे भारत को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

चूंकि अफगानिस्तान में स्थिति नियंत्रण से बाहर है। और यह एक भूमि से घिरा देश है और हवाई मार्ग निर्यात का मुख्य माध्यम है जो कि अब बाधित हो गया है। अनिश्चितता कम होने के बाद ही व्यापार फिर से शुरू होगा।

किसानों ने गलत जानकारी देने पर मौसम विभाग के खिलाफ कोर्ट जाने की दी चेतावनी

मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के किसान संगठन के नेता ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम संबंधी गलत भविष्यवाणी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इससे हाल के दिनों में फसलों को नुकसान हुआ है और विभाग के खिलाफ अदालत में जाने की चेतावनी दी है।

इस बीच, मौसम विभाग का कहना हैकि किसानों को गुमराह किया गया होगा, क्योंकि एक निजी मौसम सेवा ने आईएमडी के पूर्वानुमान के विपरीत इस साल मानसून जल्द आने की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को यह जांचना चाहिए कि जानकारी क्या वास्तविक स्रोत से उनके पास आ रही हैद्ध भारतीय किसान संघ, मालवा प्रांत के प्रवक्ता भरत सिंह बैस ने बुधवार को एक एजेंसी से बातचीत में दावा किया कि ज्यादातर मामलों में आईएमडी द्वारा जारी मौसम की भविष्यवाणी असफल रही है।  इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि वे आईएमडी के गलत पूर्वानुमानों के खिलाफ अदालत में जाने की योजना बना रहे हैं और इस संबंध में अंतिम फैसला जल्द ही किया जाएगा।

उज्जैन के किसान नेता बैस ने कहा कि कई बार किसान आईएमडी के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार बुवाई के लिए खुद को तैयार करते हैं, लेकिन गलत पूर्वानुमानों के कारण उन्हें नुकसान झेलना पड़ा है।

किसानों का कहना है कि मौसम विभाग पर कैसे भरोसा किया जाए। अमेरिका व अन्यत्र मौसम का पूर्वानुमान सटीक होता है और उसी के अनुसार किसान तैयारी करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सरकार भारी खर्च कर रही है, लेकिन मौसम के पूर्वानुमान गलत साबित हो रहे हैं।

वहीं, भोपाल मौसम केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को निजी एजेंसियों व सरकारी एजेंसियों के पूर्वानुमानों से भ्रम हो गया। उन्होंने कहा कि इन आरोपों में कोई सचाई नहीं है। कई जिलों में स्वयंभू मौसमविद पैदा हो गए हैं, वे ऐसे मौसम भविष्यवाणी करते हैं, मानो वे भारतीय मौसम विभाग के प्रतिनिधि हों। उनके कारण भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।

बैस ने कहा कि मौसम विभाग के गलत पूर्वानुमान के कारण मध्य प्रदेश में किसानों को हुए नुकसान का वह आंकड़ा एकत्र कर रहे हैं और पिछले दो-तीन सालों के गलत पूर्वानुमानों का डाटा भी जुटाया जा रहा है। उन्होंने कहा, आंकड़े जमा करने के बाद हम अगले माह एक बैठक में इस मामले में अदालत में जाने के बारे में फैसला करेंगे। वर्तमान में वह और उसके सहयोगी संगठनात्मक चुनावों में व्यस्त हैं। बैस ने कहा कि उन्होंने भारतीय मौसम केंद्र के गलत पूर्वानुमानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था।

राजस्थान उच्च न्यायालय: विवाहित महिला का दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन संबंध में रहना अवैध

राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि, विवाहित महिला का किसी दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन संबंध में रहना अवैध है। यह आदेश न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा की एकल न्यायाधीश पीठ ने याचिकाकर्ताओं की अनुरोध याचिका को खारिज करते हुए सुनाया।

यह याचिका 30 वर्षीय विवाहित महिला व 27 वर्षीय अविवाहित पुरूष के द्वारा संयुक्त रूप से दायर की गई थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि, उन्हें प्रतिवादियों द्वारा उनके लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के कारण लगातार धमकियां दी जा रही है और उनकी जान को बेहद खतरा है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि, दोनों याचिकाकर्ता वयस्क हैं और सहमति से लिव-इन रिलेशनशिप में है। याचिका में कहा गया है कि महिला शादीशुदा है लेकिन पति द्वारा शारीरिक शोषण और क्रूरता के कारण उसे अलग रहने के लिए मजबूर किया गया है।

प्रतिवादियों के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा था कि, दो याचिकाकर्ताओं के बीच संबंध अवैध, असामाजिक और कानून के खिलाफ भी है और कहा था कि वे सुरक्षा पाने के हकदार नहीं थें।

दोनों पक्षों के दस्तावेजों की जांच के बाद जस्टिस शर्मा ने यह साफ कहा कि, याचिकाकर्ता पहले से ही शादीशुदा है और उनका तलाक नहीं हुआ है। और किसी दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन में रहना अवैध संबंधों की श्रेणी में आता है।