संसद के मानसून सत्र में तीन हफ्ते से जारी हंगामे और विरोध के बीच पहली बार आखिर सरकार को विपक्ष का साथ मिला है। दरअसल, केंद्र सरकार राज्यों को ओबीसी सूची में जातियों को शामिल करने का अधिकार देने का बिल लोकसभा में पेश किया। सोमवार को संविधान का 127वां संशोधन बिल पेश किया गया। विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि वे इस बिल को लेकर सरकार के साथ हैं।
इस बिल के पास होने और संविधान संशोधन से राज्य को ये अधिकार मिल जाएगा कि वो ओबीसी की लिस्ट में अपनी मर्जी से जातियों की लिस्टिंग कर सकें। इससे महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल और कर्नाटक में लिंगायत को ओबीसी का दर्जा यानी आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा।
इससे पहले संसद के दोनों सदनों में पेगासस, किसानों से जुड़े कृषि कानूनो जैसे मुद्दों पर हंगामा कर रहे थे। संसद की कार्यवाही को एक तरह से ठप कर रखा था। हंगामे के बीच ही सरकार ने कुछ विधेयक पास कराए थे। ओबीसी आरक्षण सूची से जुड़े इसके बिल के लोकसभा के बाद राज्यसभा में बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिलनी बाकी है। इसके बाद यह कानून बन जाएगा।
सोमवार सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा में विपक्ष के नेता हंगामा करने लगे। इसे देखते हुए सदन की कार्यवाही 11:30 बजे तक स्थगित कर दी गई। पेगासस पर हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित की गई। वहीं, लोकसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के कुछ ही देर बाद 12 बजे तक स्थगित हुई, फिर इसे 12:30 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
दूसरी ओर, राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। वहीं, 12:30 बजे शुरू होने के बाद लोकसभा में हंगामे के बीच कुछ देर कामकाज हुआ और कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित की गई। विपक्ष का हंगामा नहीं थमने पर लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित कर दी गई। 3 बजे शुरू होने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही 3:30 बजे तक स्थगित हुई। इसके बाद, राज्यसभा में टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल पर हंगामा हुआ। विपक्ष ने इसके विरोध में वॉकआउट कर दिया। बाद में इस बिल को वापस कर दिया गया।
ओबीसी सूची में राज्यों के अधिकार वाले विधेयक पर सरकार के साथ आया विपक्ष
जंतर-मंतर पर मुस्लिम विरोधी नारे लगाए गए, ओवैसी ने संसद में उठाया मुद्दा
सोने की कीमतों पर बड़ी गिरावट, चांदी के भी गिरे दाम
इंटरनेशनल मार्केट आज सोना गिरकर अपने चार महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया है। जिसके कारण सोमवार को मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज पर गोल्ड और सिल्वर फ्यूचर में जबरदस्त गिरावट दिखाई दी। वहीं दुसरी तरफ सिल्वर में भी बड़ी गिरावट दिख रही है। स्पॉट गोल्ड भी बहुत बड़ी गिरावट के साथ ट्रेड कर रहा है।
आज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट के गोल्ड में 1.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई और सोना ओपनिंग में गिरावट के साथ 45,981 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर से ट्रेड कर रहा था।
सितंबर सिल्वर 1.9 फीसदी की गिरावट लेकर 63,730 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर था. इंटरनेशनल मार्केट में स्पॉट गोल्ड यानी सोने के हाजिर दामों में भी बड़ी गिरावट दर्ज हुई. स्पॉट गोल्ड 2.3% गिरकर 1,722.06 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था.
पुरस्कार से राजीव गांधी का नाम हटाकर मेजर ध्यान चंद खेल रत्न किया
केंद्र की मोदी सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटा दिया है। खेलों के सबसे बड़े पुरस्कार का नाम बदलकर अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
एनडीए सरकार ने शुक्रवार को खेल पुरस्कारों से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। मोदी ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह पुरस्कार हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा। मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मोदी ने कहा- ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है।
भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को तत्कालीन सरकार ने 1991-92 में शुरू किया था। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। पहला खेल रत्न पुरस्कार देश के पहले ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।
अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा, पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु, टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को इस पुरस्कार से नवाजा गया था। हॉकी में अब तक तीन खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया है। इनमें धनराज पिल्ले (1999-2000), सरदार सिंह (2017) और रानी रामपाल (2020) शामिल हैं।
हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल दागे थे। तब वहां के एक अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ तभी से उनको हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।
41 साल बाद हॉकी में पदक जीतने का तोहफा
केंद्र सरकार का यह फैसला टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पद जीतने के बाद एक दिन बाद लिया गया। बता दें कि भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है। इससे पहले भारत ने आखिरी बार ओलंपिक हॉकी में 1980 में पदक जीता था। इसके साथ ही महिला हॉकी टीम भी इतिहास में पहली बार टोक्यो ओलंपिक के सेमी फाइनल में पहुंची।
यूएनएससी: 9 अगस्त को पहली बार भारतीय पीएम करेंगे बैठक की अध्यक्षता
दुनिया की सबसे ताकतवर संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी की अगस्त माह में भारत अध्यक्षता कर रहा है। इस दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास बनाने वाले हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूएनएससी के कार्यक्रमों के बारे में वीरवार को जानकारी दी। इसमें बताया गया कि पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आयोजित होने वाली एक बैठक की अध्यक्षता करेगा।
बागची ने बताया कि अध्यक्षता माह के दौरान हम एक सिग्नेचर इवेंट आयोजित करेंगे, जिसमें तीन अहम क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा। ये तीनों क्षेत्र समुद्र की सुरक्षा, शांति अभियान और आतंकवाद के खिलाफ होंगे। उन्होंने बताया कि 9 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक उच्चस्तरीय वर्चुअल खुली चर्चा की अध्यक्षता करेंगे। इस चर्चा का मुद्दा समुद्र की सुरक्षा बढ़ाना होगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव पर भी बातचीत की जाएगी।
अरिंदम बागची ने कहा कि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाएंगे। क्योंकि ऐसा पहली बार होगा, जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बैठक की अध्यक्षता करेगा। अगले साल की आखिर में भी भारत को एक माह की अध्यक्षता का मौका मिलेगा। वर्तमान में भारत संयुक्त राष्ट्र में अस्थायी सदस्य के तौर पर शामिल है।