Home Blog Page 6

इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसला का ‘बिना धर्म बदले शादी अवैध’…

धर्मांतरण और लव जिहाद पर चल रही राष्ट्रव्यापी बहस के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे नई हलचल मच गई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि दो अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग बिना धर्म परिवर्तन किए शादी करते हैं, तो ऐसी शादी कानूनन अवैध (अमान्य) होगी।

यह फैसला विशेष रूप से उन आर्य समाज सोसायटियों और अन्य संस्थानों पर भी नकेल कसेगा, जो केवल शुल्क लेकर किसी को भी विवाह का प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं, भले ही शादी कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन करके की गई हो।

यह मामला पूर्वी उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के निचलौल थाना क्षेत्र से जुड़ा है। यहां सोनू उर्फ सहनूर नामक व्यक्ति के खिलाफ एक नाबालिग लड़की के अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई थी। आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस आपराधिक मुकदमे को रद्द करने की मांग की। उसकी दलील थी कि उसने पीड़िता से एक आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है और अब वह बालिग हो चुकी है, इसलिए उसके खिलाफ चल रही कार्यवाही रद्द की जाए।

वहीं, सरकारी वकील ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि लड़का और लड़की दोनों अलग-अलग धर्मों से हैं और चूंकि शादी से पहले किसी ने भी अपना धर्म नहीं बदला, इसलिए यह शादी कानून की नजर में अवैध है।

जस्टिस प्रशांत कुमार की एकल पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न केवल आरोपी की याचिका खारिज कर दी, बल्कि इस तरह से फर्जी विवाह प्रमाण पत्र जारी करने वाले आर्य समाज मंदिरों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की।

ईपीएफओ के साथ पहली बार पंजीकृत होने वाले कर्मचारियों को सरकार देने जा रही 15,000 रुपए

नई दिल्ली: श्रम और रोजगार मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि ईपीएफओ के साथ पहली बार पंजीकृत होने वाले कर्मचारियों को सरकार एक अगस्त से 15,000 रुपए की राशि पीएम विकसित भारत रोजगार योजना (पीएम-वीबीआरवाई) के तहत दी जाएगी।

पीएम-वीबीआरवाई को पहले एम्प्लॉयमेंट-लिंक्ड इंसेंटिव (ईएलआई) स्कीम के रूप में जाना जाता था। केंद्रीय कैबिनेट ने इसे 99,446 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी। मंत्रालय ने कहा, “ईपीएफओ के साथ पहली बार पंजीकृत कर्मचारियों को टारगेट करते हुए, इस योजना के तहत दो किस्तों में एक महीने का ईपीएफ वेतन 15,000 रुपए तक दिया जाएगा।” इस योजना के तहत पहली किस्त नौकरी शुरू होने के छह महीने के बाद देय होगी और दूसरी किस्त 12 महीने की सर्विस और कर्मचारी द्वारा वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा करने के बाद देय होगी। इस योजना के तहत एक लाख रुपए तक के वेतन वाले लोगों को टारगेट किया गया है। इसका उद्देश्य लोगों में बचत करने की आदत को बढ़ाना भी है।

मंत्रालय ने कहा,”प्रोत्साहन राशि का एक हिस्सा एक निश्चित अवधि के लिए सेविंग इंस्ट्रूमेंट या जमा खाते में रखा जाएगा और कर्मचारी द्वारा बाद में इसे निकाला जा सकेगा।” यह योजना नियोक्ताओं को नए रोजगार सृजित करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है और इसका उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर विशेष ध्यान देते हुए विभिन्न क्षेत्रों में नए रोजगार सृजन के लिए लाभ प्रदान करना है। नियोक्ताओं के लिए, यह योजना सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार सृजन को कवर करेगी, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा, “नियोक्ताओं को 1 लाख रुपए तक के वेतन वाले कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार कम से कम छह महीने तक निरंतर रोजगार वाले प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए दो वर्षों तक नियोक्ताओं को 3,000 रुपए प्रति माह तक का प्रोत्साहन देगी।” मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए प्रोत्साहन तीसरे और चौथे वर्ष तक बढ़ाए जाएंगे।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए ईपीएफओ-पंजीकृत प्रतिष्ठानों को कम से कम छह महीने के लिए निरंतर आधार पर कम से कम दो अतिरिक्त कर्मचारी (50 से कम कर्मचारियों वाले नियोक्ताओं के लिए) या पांच अतिरिक्त कर्मचारी (50 या अधिक कर्मचारियों वाले नियोक्ताओं के लिए) नियुक्त करने होंगे। मंत्रालय ने कहा कि पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों को भुगतान आधार ब्रिज पेमेंट सिस्टम (एबीपीएस) का उपयोग करके डीबीटी (डारेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) मोड के माध्यम से किया जाएगा, जबकि नियोक्ताओं को भुगतान सीधे उनके पैन-लिंक्ड खातों में किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि पीएम-वीबीआरवाई योजना का उद्देश्य दो वर्षों की अवधि में देश में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों के सृजन को प्रोत्साहित करना है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश वीज़ा-फ्री समझौते पर भारत की पैनी नजर

नई दिल्ली:  पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच राजनयिक व आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा-मुक्त प्रवेश पर सहमति ने भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस फैसले के बाद नई दिल्ली अलर्ट मोड पर है और क्षेत्र में बदलते समीकरणों पर पैनी नजर बनाए हुए है। यह महत्वपूर्ण निर्णय ढाका में पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी और बांग्लादेश के गृह मंत्री जहांगीर आलम चौधरी के बीच हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में लिया गया।

पाकिस्तानी गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, दोनों देश राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा की अनिवार्यता को समाप्त करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं। बयान में कहा गया, “राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा-मुक्त प्रवेश पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। दोनों देशों ने इस मामले पर अपनी सहमति दे दी है।” हालांकि, इस वीज़ा-मुक्त व्यवस्था के लागू होने की कोई निश्चित तारीख अभी घोषित नहीं की गई है।

रिपोर्टों के अनुसार, दोनों गृहमंत्रियों की बैठक में सिर्फ वीज़ा ही नहीं, बल्कि आतंकवाद विरोधी उपायों, आंतरिक सुरक्षा, पुलिस प्रशिक्षण, नशीली दवाओं पर नियंत्रण और मानव तस्करी से निपटने जैसे गंभीर मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा, जिसका नेतृत्व पाकिस्तानी पक्ष से वहां के गृह सचिव खुर्रम अघा करेंगे।

इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने पुलिस अकादमियों के बीच आदान-प्रदान कार्यक्रमों को शुरू करने पर भी रजामंदी जताई है। इसी कड़ी में, बांग्लादेश का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान की राष्ट्रीय पुलिस अकादमी का दौरा करेगा। इस मौके पर बांग्लादेश के गृह मंत्री ने पाकिस्तानी गृह मंत्री का गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत किया और उनके दौरे को भविष्य के सहयोग के लिए एक “अहम मील का पत्थर” बताया।

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती यह नजदीकी भारत के लिए चिंता का विषय है। भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों को आशंका है कि इस वीज़ा-मुक्त सुविधा का दुरुपयोग पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों द्वारा अपनी आवाजाही को सुगम बनाने के लिए किया जा सकता है।

नई दिल्ली की यह चिंता इसलिए भी अधिक गंभीर है, क्योंकि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बनी नई अंतरिम सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ संबंधों में अप्रत्याशित रूप से तेज़ी आई है। शेख हसीना के शासनकाल में, बांग्लादेश ने पाकिस्तान से एक निश्चित दूरी बनाए रखी थी और पाकिस्तानी राजनयिकों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी।

अब, वीज़ा नियमों में ढील और द्विपक्षीय सहयोग में वृद्धि को भारत क्षेत्रीय अस्थिरता के संभावित कारक के रूप में देख रहा है। अधिकारियों को डर है कि इससे उन समूहों को बढ़ावा मिल सकता है जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं और जिन्हें पहले पाकिस्तान का समर्थन मिलता रहा है। इस नए घटनाक्रम से दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत होती दिख रही है, जिस पर भारत की सामरिक नज़र बनी हुई है।

इंडिया आउट नीति से मुख्य अतिथि के निमंत्रण तक मालदीव-भारत के रिश्तों में नया मोड़

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही की मालदीव यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू कर दिया है।लगभग 19 महीने पहले मालदीव की नयी सरकार के भारत विरोधी अभियान से लेकर मोदी को स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाना एक सुखद परिवर्तन है। ये भारत की धैर्य संयम और पड़ोसी की मदद करने वाली विदेश नीति का ही परिणाम है कि नवंबर 2023 में बिगड़े रिश्ते 2024 में ही पटरी पर आने शुरू हो गए थे। और 2025 आते आते तो मुईज्जु का हृदय परिवर्तन पूरी तरह हो चुका था। हिंद महासागर में भारत का पड़ोसी देश मालदीव भारत के मुकाबले एक छोटा सा देश है लेकिन भारत ने हमेशा इसके साथ अच्छे संबंध रखे हर मुसीबत में मदद की देश को विकास की राह पर लाने में आर्थिक सहयोग दिया। मोदी की ये यात्रा केवल मालदीव की स्वतंत्रता के 60 वर्ष पूरे होने पर मुख्य अतिथि तक ही सीमित नहीं है इसने विदेश नीति में एक नयी इबारत लिख दी है। मालदीव में उच्चायुक्त रहे विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ ध्यानेश्वर मनोहर मूले कहते हैं किसी भी देश को रिश्तों में उतार चढाव के लिए तैयार रहना चाहिए। मालदीव की अपनी राजनीतिक बाध्यताएं थीं आंतरिक राजनीति भी विदेश नीति को प्रभावित करती है। यही मालदीव में हुआ। मोइज्जु की पार्टी ने इंडिया आउट और भारत विरोधी अभियान पर चुनाव तो जीत लिया लेकिन जल्द ही उनको अहसास हो गया कि भारत के बिना उनका गुजारा नहीं है। उनको समझ आ गया कि भारत सदाबहार साथी है( ऑल वेदर फ्रेंड) बाकी मौसमी दोस्त हैं। मालदीव कर्जे में डूबा हुआ था विकास योजनाओं के लिए पैसा नहीं था एकदम आर्थिक मदद चाहिए थी चीन ने वायदा तो किया था लेकिन जो मदद करनी थी वो की नहीं। भारत के अलावा कोई स्थायी और विश्वसनीय दोस्त नहीं था। सत्ताधारी सरकार को भारत विरोध की नीति छोड़ कर दोस्ती का हाथ बढ़ाना पड़ा।

 मालदीव -भारत के मधुर संबंधों से कड़ुआहट भरे रिश्तों की कहानी जैसे शुरू हुई थी वैसे ही खत्म भी हो गयी। 19 महीने का ये सफर काफी रोचक रहा। नवंबर 2023 में सत्ता में आयी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस की नयी सरकार की जीत का आधार और चुनाव अभियान भारत विरोधी था जबकि इससे पहले सत्ता में रही मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी की सत्ताधारी सरकार के भारत के साथ बहुत मधुर संबंध थे। तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह” भारत पहले “और भारत के प्रधानमंत्री मोदी “पड़ोसी पहले” की नीति पर चलते हुए एक दूसरे के पक्के दोस्त थे। लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज्जु ने चीन की शह पर अपना पूरा चुनाव प्रचार इंडिया आऊट पर आधारित रखा और वे जीते भी। मोईज्जु सरकार के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया। मालदीव में तैनात भारतीय सेना की तुरंत वापसी की मांग की ,हाइड्रो ग्राफिक्स सर्वे समझौते का नवीनीकरण करने से इंकार कर दिया। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहे गए शब्दों से मालदीव की सरकार ने किनारा कर लिया और कहा कि ये मंत्रियों की अपनी राय है सरकार इससे  सहमति नहीं रखती और न ही कुछ लेना देना है। तीनों मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। भारत के लिए ये एक अच्छा संकेत तो था लेकिन रिश्तों में नरमी नहीं आयी थी।

 भारत ने एक बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते बड़ा दिल दिखाया मालदीव की आंतरिक राजनीतिक परिस्थितियों को समझा और सही समय का इंतजार किया। मालदीव की मांग पर अपना सैन्य बेड़े की जगह तकनीकी दल की तैनाती कर दी। लेकिन मालदीव को एक कड़ा संदेश देना ज़रूरी था। प्रधानमंत्री मोदी मालदीव की समुद्री सीमाओं से लगते भारत के लक्षद्वीप गए । मोदी ने लक्षदीप की सुंदर बीच पर सुबह की सैर की सी डाइविंग की सुंदर तस्वीरें साझा की और सोशल मीडिया पर लिखा —” देखो अपना देश — प्राकृतिक सुंदरता के अलावा,लक्षदीप की शांति भी मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। इसने मुझे ये सोचने का अवसर दिया है कि 140 करोड़ भारतीयों के कल्याण के लिए मैं क्या कर सकता हूं”। इसका अर्थ ये लगाया गया कि मालदीव को छोड़ कर भारत के लक्षद्वीप की सैर का मोदी भारत वासियों को न्यौता दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ गयी भारत के लोगों ने बॉयकॉट मालदीव का नारा दिया और मालदीव के लोगों ने भी जम कर भारत का विरोध किया। भारत के पर्यटन उद्योग ने मुहिम चला दी मालदीव की बुकिंग रद्द कर दी और भारतवासियों ने भी स्वयं अपनी बुकिंग रद्द कर दी। भारतीय पर्यटक मालदीव की आय का बड़ा साधन हैं एकदम 42 फीसदी गिरावट आयी और मालदीव को 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। मालदीव को अपनी भूल का अहसास हो गया मई 2024 में उसने अपने विदेश मंत्री को भारत भेजा भारत ने पुरानी बातें भूला कर विदेश मंत्री के साथ बैठक की और आर्थिक मदद का भरोसा दिया। इसी  अगले महीने 9 जून को राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु मोदी तीन सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आए। उन्होंने ट्वीट किया — “मालदीव ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचे। एक मित्र और पड़ोसी के नाते हम भारत की भूमिका का आदर करते हैं”। देखा जाए तो इस ट्वीट के बड़े मायने थे ये चीन को एक संदेश था कि मालदीव भारत विरोधी किसी गतिविधि का समर्थन और सहयोग नहीं करता है। धीरे धीरे रिश्ते दिन पर दिन सुधरते गए अक्टूबर 2024 में मोईज्जु भारत की पांच दिन की राजकीय यात्रा पर आए। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। एक साझा विजन दस्तावेज बनाया गया जिसको लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय कोर समूह का गठन किया गया। इसकी दो बैठकें हो चुकी हो चुकी एक इसी साल जनवरी में और दूसरी मई महीने में माले में हुई। भारत मालदीव के बीच तब से ही लगाता नियमित यात्राएं हो रही हैं।

     26 जुलाई को मालदीव के 60 वें स्वतंत्रता समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री मोदी का जाना लगातार सुधरते रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। भारत और मालदीव के कूटनीतिक रिश्तों के भी संयोग से इसी साल 60 साल पूरे हो रहे हैं। मोदी का निमंत्रण मालदीव का भूल सुधार है तो चीन को ये बताना भी है कि भारत के साथ उसकी दोस्ती और ऊंचे स्तर पर पहुंचेगी।   

सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक का सर्वर दुनिया भर में ठप

एलन मस्क की महत्वाकांक्षी सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक (Starlink) को आज तड़के एक बड़े वैश्विक आउटेज का सामना करना पड़ा। एक तकनीकी खामी के चलते स्टारलिंक का सर्वर डाउन हो गया, जिससे अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के 140 देशों में इंटरनेट सेवाएं ठप हो गईं। सैटेलाइट इंटरनेट के लिए यह एक दुर्लभ ग्लोबल आउटेज माना जा रहा है, क्योंकि यह सर्विस अपनी भरोसेमंद कनेक्टिविटी के लिए जानी जाती है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह समस्या स्टारलिंक के इंटरनल सॉफ्टवेयर में आई एक तकनीकी खामी की वजह से हुई। सॉफ्टवेयर फेल होने के कारण दुनिया भर में हजारों यूजर्स के डिवाइस राउटर अचानक ऑफलाइन हो गए और उनकी कनेक्टिविटी टूट गई। इंटरनेट सेवाओं को ट्रैक करने वाली वेबसाइट ‘डाउनडिटेक्टर’ के अनुसार, 61,000 से अधिक यूजर्स ने स्टारलिंक की सर्विस में आई इस दिक्कत को रिपोर्ट किया। भारतीय समय के अनुसार, यूजर्स ने शुक्रवार रात करीब 12:30 बजे से समस्याओं की शिकायत करना शुरू कर दिया था।

इस दुर्लभ ग्लोबल आउटेज के कारण स्टारलिंक के 60 लाख से ज्यादा यूजर्स को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, कंपनी की टीमों ने तेजी से काम करते हुए करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद सेवाओं को फिर से बहाल कर दिया।

यह वैश्विक घटना ऐसे समय में हुई है जब स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की तैयारी के अंतिम चरण में है। एलन मस्क की कंपनी को भारत सरकार की ओर से फाइनल अप्रूवल मिल चुका है। अब केवल स्पेक्ट्रम आवंटन का इंतजार है, जिसके पूरा होते ही स्टारलिंक भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू कर देगी। इस आउटेज ने भारत में लॉन्च से पहले सर्विस की विश्वसनीयता को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।

योगी का उत्तर प्रदेश बनाम सिद्धारमैया का कर्नाटक”

गंगा बनाम कावेरी– जब मुल्क की सियासत में एक तरफ़ भगवा गंगा बह रही हो और दूसरी ओर कावेरी में लुभावनी ‘गारंटियों’ की बारिश हो रही हो, तब विकास की असली तस्वीर आंकड़ों की खामोश ज़ुबान में छुप जाती है।

उत्तर प्रदेश और कर्नाटक—दो राज्य, दो नज़ारे, दो मॉडल। एक तरफ़ योगी आदित्यनाथ की फौलादी छवि, जो यूपी को ‘नया भारत’ का इंजन बनाने पर आमादा है, और दूसरी ओर सिद्धारमैया की नरम, लोक-लुभावन सियासत, जो हर गरीब की थाली और जेब में कुछ न कुछ देने का वादा करती है।

यह महज़ विकास की नहीं, विकास की परिभाषा की लड़ाई है। क्या रफ़्तार ही तरक्की है, या सहूलियत भी ज़रूरी है?क्या आईटी हब का ग्लैमर ही जीत है, या खेत-खलिहानों से उठा पसीना भी कोई मायने रखता है?

कहती हैं आंटी ग्यानबूटी, “सियासत का खेल चालों से चल सकता है, मगर इतिहास हमेशा नतीजों से ही लिखा जाता है।”

बृज खंडेलवाल द्वारा

भारतीय राजनीति के इस रंगमंच पर उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की दो अलग-अलग तसवीरें उभरती हैं—एक जहां हिंदुत्व की लहर है, सख्त और जवाबदेह प्रशाशन है तो दूसरी ओर कल्याणकारी नीतियों की स्याही से तरक्की की इबारत लिखी जा रही है।

हाल ही में जब केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट संसद में पेश हुई तो ज़ुबानों पर एक ही बात थी: “कर्नाटक नंबर वन!”

जी हाँ, देश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला राज्य अब कर्नाटक बन चुका है—₹2,04,605 प्रति व्यक्ति! और यह कमाल हुआ है पिछले दस सालों में 93.6% की छलांग के साथ।

दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश—देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य—जहां प्रति व्यक्ति आय अभी भी एक लाख के आसपास है, और विकास की गाड़ी पूरी ताक़त से खींची जा रही है, पर पटरी पर पूरी तरह नहीं दौड़ पा रही, कारण जो भी हों।

बेंगलुरु—कर्नाटक की अर्थव्यवस्था की धड़कन—राज्य की जीएसडीपी (₹28.83 लाख करोड़) का 36% अकेले कंट्रीब्यूट करता है। यही नहीं, टेक्नोलॉजी, फिनटेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस—ये सब मिलकर इसे भारत का सिलिकॉन वैली बना चुके हैं।

मैसूर के एक उद्योगपति बताते हैं, “40% शहरीकरण, सिर्फ 3.2% बेरोजगारी (2021–22), और 4.43 मिलियन कुशल कामगारों का पलायन इस राज्य को न केवल आकर्षक बनाता है, बल्कि इसे देश के सबसे तेज़ी से बढ़ते राज्यों में शामिल करता है। यानी, जहां ज्ञान हो, वहां पूंजी खुद चलकर आती है—और कर्नाटक इसका सजीव उदाहरण है।”

उधर यूपी के बारे में, पब्लिक कॉमेंटेटर प्रोफेसर पारस नाथ चौधरी कहते हैं, “भीड़ में खो जाना आसान होता है, मगर पहचान बनानी पड़े तो कुछ अलग करना पड़ता है। यूपी आज इसी दुविधा से जूझ रहा है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में जबर्दस्त रफ़्तार से औद्योगिकीकरण की कोशिशें हो रही हैं। पूर्वांचल में कारखानों की लाइन लगाई जा रही है, इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर है, और FDI को लुभाने के लिए ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनीज़ हो रही हैं। एक्सप्रेसवेज पर फौजी हवाई जहाज उतर रहे हैं, डिफेंस कॉरिडोर बन रही है, चौंकाने वाला जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लगभग तैयार है। ऑपरेशन लंगड़ा ने कानून को सतर और सख्त कर दिया है। मगर, जनसंख्या का बोझ, कम शहरीकरण (22.3%), और 22% से अधिक गरीबी जैसे आंकड़े हर कदम पर चुनौतियां पेश करते हैं।”

बैंगलोर के रिटायर्ड समाजशास्त्री बाबू गोपालकृष्णन बताते हैं, “योगी सरकार जहां सशक्त उत्तर प्रदेश का नारा देती है, वहीं सिद्धारमैया की कांग्रेस “गारंटी कार्ड” थमा रही है। कर्नाटक की पाँच गारंटी योजनाएं—गृह ज्योति, गृह लक्ष्मी, शक्ति, युवा निधि, अन्न भाग्य—ने गांव-गांव में उपभोग की शक्ति बढ़ाई है, जिससे जीएसडीपी को बूस्ट मिला है। ग्रामीण ग़रीबी घटकर 24.53% (राष्ट्रीय औसत से नीचे), शहरी ग़रीबी 15.25%, और ₹1.2 लाख करोड़ GST संग्रहण (2023–24)।”

इसके मुकाबले यूपी का GST संग्रह मात्र ₹80,000 करोड़ और प्रत्यक्ष कर में हिस्सेदारी 3-4% के बीच है।

कर्नाटक के पास न सिर्फ़ IT है, बल्कि खनिज संपदा, मत्स्य पालन, और भारी वर्षा (3,638.5 मिमी) से जल विद्युत भी है।

वहीं, यूपी की खेती गंगा के मैदानों पर आधारित है—गन्ना, गेहूं, आलू—मगर जलवायु संकट, वनों की कटाई और यमुना-गंगा की गंदगी राज्य की सेहत बिगाड़ रहे हैं।

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू, चुनाव आयोग ने शुरू की तैयारियां

नई दिल्ली- जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को जारी अपने राजपत्र (गजट) के माध्यम से धनखड़ के इस्तीफे को अधिसूचित किया।

संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव आयोजित कराने का अधिकार प्राप्त है। यह चुनाव “राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952” तथा “राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974” के अंतर्गत संपन्न कराया जाता है। निर्वाचन आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रारंभिक तैयारियां पूर्ण होते ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही की जाएगी। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पूर्व मुख्य गतिविधियां इस प्रकार होती हैं। निर्वाचक मंडल की तैयारी, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित व मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी एवं सहायक निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति होती है। अब तक हुए सभी उपराष्ट्रपति चुनावों की पृष्ठभूमि संबंधी जानकारी का संकलन व प्रचार-प्रसार होता है। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने हेतु सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

उपराष्ट्रपति के लिए इनका नाम चल रहा आगे- बिहार चुनावों को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायन सिंह और स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के पुत्र राम नारायण ठाकुर के नाम की चर्चा चल रही है। इसके अलावा बहुत से लोग नीतीश कुमार का भी नाम ले रहे हैं पर नीतीश कुमार शायद ही उपराष्ट्रपति के लिए तैयार हों। दूसरे उनका स्वास्थ्य राज्यसभा के सभापति के लिए ठीक नहीं समझा जा सकता। इनमें राजनाथ सिंह का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। यद्यपि सिंह को उपराष्ट्रपति बनाए जाने के पीछे कोई आधार नहीं दिख रहा है। क्योंकि वो बीजेपी के बहुत से रास्ते साफ करते रहते हैं। उन्होंने केंद्र में अपनी महत्ता बनाए रखी है। केंद्रीय सड़क परिवहन नितिन गडकरी का भी नाम उपराष्ट्रपति पद के दावेदारों में लिया जा रहा है।

बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के लिए अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।” भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि वह स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। 16 जुलाई 2022 को भाजपा ने एनडीए की ओर से धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था। 6 अगस्त 2022 को हुए चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराया था।

नेशनल हाईवे पर सड़क हादसों के डराने वाले आंकड़े, पिछले छह महीने में करीब 27,000 लोगों की गई जान

नई दिल्ली: देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाले सड़क हादसों को लेकर सरकार ने डरावने आंकड़े पेश किए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को संसद को बताया कि साल 2025 के पहले छह महीनों (जनवरी से जून) में ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए सड़क हादसों में 26,770 लोगों की जान चली गई है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इससे पहले, पूरे साल 2024 के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 52,609 जानलेवा दुर्घटनाएं हुई थीं। ये आंकड़े देश में सड़क सुरक्षा को लेकर एक गंभीर चिंता पैदा करते हैं।

सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देते हुए गडकरी ने सदन को बताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अधिक यातायात घनत्व वाले राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) स्थापित किया है।

उन्होंने बताया कि यह आधुनिक प्रणाली दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, ट्रांस-हरियाणा एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे जैसे प्रमुख मार्गों पर लगाई गई है, ताकि यातायात का बेहतर प्रबंधन किया जा सके और हादसों को कम किया जा सके।

केरल से दोहा जा रही फ्लाइट में हवा मेंआई खराबी, 188 यात्रियों संग वापस लौटा विमान

केरल के कोझिकोड से कतर की राजधानी दोहा के लिए उड़ान भरने वाले एअर इंडिया एक्सप्रेस के एक विमान में बुधवार सुबह तकनीकी खराबी आ गई। उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद पायलट ने विमान में आई गड़बड़ी की सूचना हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) को दी, जिसके बाद विमान को 188 यात्रियों के साथ वापस कोझिकोड हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतार लिया गया।

हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि उड़ान संख्या IX 375 ने सुबह 9:17 बजे कोझिकोड से दोहा के लिए उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद ही पायलट को विमान के केबिन एयर कंडीशनिंग (AC) सिस्टम में कुछ तकनीकी समस्या का पता चला। जिसके बाद पायलट ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विमान को वापस कोझिकोड लाने का फैसला किया। विमान करीब दो घंटे बाद सुबह 11:12 बजे हवाई अड्डे पर सुरक्षित लैंड हुआ। विमान में चालक दल समेत कुल 188 लोग सवार थे। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह आपातकालीन लैंडिंग नहीं थी, बल्कि एक एहतियाती लैंडिंग थी।

इस घटना पर एअर इंडिया एक्सप्रेस के एक प्रवक्ता ने बताया, “हमारी एक उड़ान तकनीकी खराबी के कारण उड़ान भरने के बाद कोझिकोड लौट आई। हमने प्राथमिकता के आधार पर यात्रियों के लिए एक वैकल्पिक विमान की व्यवस्था की। देरी के दौरान सभी मेहमानों को जलपान उपलब्ध कराया गया, जिसके बाद उड़ान दोहा के लिए रवाना हो गई।”

पहलगाम हमले और बिहार वोटर लिस्ट पर भी विपक्ष ने उठाए सवाल, काली पट्टी बांधकर किया विरोध

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 23 जुलाई
संसद के दोनों सदनों में लगातार तीसरे दिन भी गतिरोध और हंगामा देखने को मिला।
बिहार वोटर वेरिफिकेशन (एसआईआर) पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर मुद्दे को लेकर विपक्षी सदस्यों द्वारा लगातार नारेबाजी के बाद लोकसभा और राज्य सभा दोनों सदनों की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
अब दोनों सदनों में ऑपरेशन सिंदूर पर 28 और 29 जुलाई को चर्चा होगी।
दोनों सदनों में चर्चा के लिए 16-16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है।समय आवंटित करने का निर्णय आज सुबह हुई कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक के दौरान लिया गया।
बीते तीन दिनों से विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर और बिहार वोटर वेरिफिकेशन जैसे मुद्दों पर लगातार हो रहे हंगामे के चलते अब तक कोई गंभीर चर्चा नहीं हो सकी है।
लोकसभा में आज विपक्षी सांसद नारेबाजी करते हुए वेल में चले आए। उन्होंने काले कपड़े लहराए। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें शांत रहने की अपील की।
स्पीकर ने विपक्षी सांसदों को नारेबाजी से मना किया और कहा आप सड़क का व्यवहार संसद में न करें। देश के नागरिक आपको देख रहे हैं। लोकसभा की कार्यवाही 20 मिनट तक चली, पहले दोपहर 12 बजे, फिर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा सरकार कहती है कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप पहले ही इसे बंद कराने का दावा कर चुके हैं। ट्रंप 25 बार कह चुके हैं कि उन्होंने सीजफायर कराया। ऐसे में सरकार किस आधार पर इसे अभी भी सक्रिय बता रही है? इससे साफ लगता है कि दाल में कुछ काला है।
बॉक्स
संसद परिसर के बाहर बिहार में मतदाता सूचियों के स्पेशल इंटेसिव रिविजन (SIR) मुद्दे पर संसद के मकर द्वार पर विपक्ष ने प्रदर्शन किया। विपक्षी सांसदों ने काली पट्टी बाँधकर और काले कपड़े पहन कर प्रदर्शन किया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव काले जैकेट ओर गले में काली पट्टी डालकर विरोध में हिस्सा लिया। उनके साथ कांग्रेस महासचिव एवं सांसद प्रियंका गांधी, डिंपल यादव समेत कई नेता भी थे।