Home Blog Page 596

दिल्ली-एनसीआर: सड़कों पर कचड़ा जलाने से प्रदूषण में इजाफा

दिल्ली में लगातार बढ़ता प्रदूषण का कहर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है। अगर समय रहते दूषित –प्रदूषित पर काबू नहीं पाया गया तो, आने वाले दिनों में लोगों का घरों से निकलना मुश्किल होगा।

सबसे दुखद बात तो यह है कि, सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को काबू करने के लिये सरकारी दफ्तर से लेकर स्कूलों तक को एक सप्ताह बंद कर दिया है।

उसके बावजूद आज भी खुले आम सड़कों में दूषित कचड़े को जलाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि, कोई आम आदमी इस कचड़े को जला रहा है। बल्कि सफाई कर्मचारी खुल कर जला रहे है। जिसकी वजह से कचड़े से निकला धुआं दिल्ली शहर के पर्यावरण को दूषित कर रहा है।

मौजूदा समय में वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली में सियासत जमकर हो रही है। पर प्रदूषण को रोकने के लिये कोई कारगर राजनीति नहीं हो रही है। इस कारण दिल्ली में दूषित वातावरण दिन व दिन बढ़ता ही जा रहा है।

दिल्ली में टूटी-फूटी सड़को के कारण जगह–जगह धूल भी प्रदूषण को बढ़ा रही है। समाजसेवी व सैल्यूट तिरंगा के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने बताया कि, दिल्ली सहित जो एनसीआर में वायु प्रदूषण का कहर बढ़ा है। इस कहर पर लोगों में पर्यावरण से संबंधित जागरूकता के चलते ही इस गंभीर प्रदूषण समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

लोगों को अपने घरों के आस-पास कचड़ें को जलाने पर रोक लगाना चाहिये और सरकार को भी कड़ाई से इस नियम का पालन करवाना चाहिये।

त्रिपुरा में हिरासत में लीं दो महिला पत्रकारों को मिली जमानत, रिहा की जाएंगी

उत्तर पूर्व के त्रिपुरा में रविवार को हिरासत में ली गईं दो महिला पत्रकारों को स्थानीय अदालत से जमानत मिलने के बाद रिहा करने के आदेश हुए हैं। त्रिपुरा आईं इन महिला पत्रकारों को राज्‍य में हाल की सांप्रदायिक घटनाओं पर रिपोर्ट लिखने के कारण असम पुलिस ने हिरासत में लिया था। दोनों महिला पत्रकारों ने त्रिपुरा पुलिस पर उन्हें डराने-धमकाने का आरोप भी लगाया था।

त्रिपुरा में जिला के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोनों जमानत दे दी। एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्ण झा पर विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने आरोप लगाया था कि हिंसा पर अपनी रिपोर्ट से इन पत्रकारों ने त्रिपुरा की छवि को ठेस पहुंचाई है। विहिप के एक कार्यकर्ता ने इसे लेकर पुलिस में शिकायत की थी जिसके बाद त्रिपुरा के फातिक्रोय थाने की पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था।

अब उन्हें जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए गए हैं। यह पत्रकार राज्‍य में हुई सांप्रदायिक हिंसा को कवर करने त्रिपुरा आई हैं। उन्हें असम-त्रिपुरा बार्डर पर  करीमगंज नीलम बाजार में हिरासत में लिया गया था।

उनको हिरासत में लेने की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) और इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) ने कड़ी निंदा की थी। ईजीआई ने एक बयान में कहा – ‘एडिटर्स गिल्ड इस कार्रवाई की निंदा करता है और उनकी तत्काल रिहाई और यात्रा करने की उनकी स्वतंत्रता की बहाली की मांग करता है। उधर आईडब्ल्यूपीसी ने भी दोनों पत्रकारों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए उन्हें बिना डर या दबाव के काम करने देने को कहा था।

दोनों महिला पत्रकारों ने त्रिपुरा पुलिस पर उन्हें डराने-धमकाने का आरोप भी लगाया था। पुलिस के मुताबिक इन महिला पत्रकारों को रात में सरकारी महिला आश्रय गृह में रखा गया था और सोमवार सुबह त्रिपुरा पुलिस को सौंप दिया गया। पत्रकारों को  सिलचर हवाई अड्डे के रास्ते में हिरासत में लिया गया था। असम पुलिस के मुताबिक  त्रिपुरा पुलिस ने उसे दोनों पत्रकारों को हिरासत में लेने को कहा था।

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र सरकार कल आपात बैठक बुलाए

राजधानी दिल्ली में लोगों की जान हलक में डाल चुके प्रदूषण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार पर सवाल उठाये साथ ही प्रदूषण काबू करने के लिए दिल्ली-एनसीआर में हफ्ते भर का लॉकडाउन रखने के लिए केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों से विचार करने को कहा।

सर्वोच्च अदालत में दिए अपने हलफनामे में दिल्ली सरकार ने पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर सहमति दी लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लॉकडाउन की जरूरत जताई। सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत  ने प्रदूषण का ठीकरा किसानों पर फोड़ने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।

दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह राजधानी में पूरी तरह से लॉकडाउन लगाने के लिए तैयार है। केजरीवाल सरकार ने, हालांकि, कहा कि यह तभी प्रभावी होगा, यदि दिल्ली से सटे एनसीआर के इलाकों में भी लॉकडाउन लगाया जाए। सर्वोच्च अदालत ने अब इस मामले पर सुनवाई बुधवार के लिए निश्चित की है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण का ठीकरा किसानों पर फोड़ने को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई। अदालत ने कहा कि तमाम हलफनामे आए हैं। हमारा मत है कि प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योग, वाहन और निर्माण गतिविधियां हैं। पराली का रोल कुछ जगह है। टास्क फोर्स कदम उठा रही है, लेकिन आगे कौन सा कदम उठाने जा रही है ये नहीं बताया।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया कि केंद्र सरकार को मंगलवार को एक आपात बैठक बुलाए। अदालत न कहा – ‘इसमें यह तय हो कि क्या कदम उठाने हैं, जैसा सुनवाई में बात हुई है और उस पर अमल हो। ये बात कही गई है कि पराली का प्रदूषण में ज्यादा योगदान नहीं लेकिन हम पंजाब और हरियाणा की सरकारों से  कहेंगे कि वह किसानों से दो हफ्ते तक पराली न जलाने को कहें।

इससे पहले दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च अदालत में पेश किये हलफनामे में कहा कि वह स्थानीय कारवां उत्सर्जन नियंत्रित करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने को तैयार है, हालाकि, यह ज्यादा सार्थक होगा यदि पड़ोसी राज्यों के एनसीआर क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जाए। साथ ही दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च अदालत के निर्देशों के बाद उठाए कदमों पर जानकारी उसके सामने पेश की।

दिल्ली सरकार ने कहा – ‘हमने 13 नवंबर को आपात बैठक आयोजित की। इस हफ्ते स्कूलों में शारीरिक तौर पर कोई कक्षाएं नहीं होंगी। हफ्ते तक सरकारी अधिकारी भी घर से ही काम करेंगे और निजी कार्यालयों को भी वर्क फ्रॉम होम की सलाह दी गई है। सरकार ने निर्माण कार्य भी 3 दिन तक स्थगित रखने की बात की है।

दिल्ली में जारी निर्माणाधीन का काम, उड़ाई जा रही धज्जियां

दिल्ली सरकार ने भले ही वायु प्रदूषण के बढ़ते कहर को देखते हुये दिल्ली के सभी स्कूलों और सरकारी दफ्तरों के साथ–साथ निर्माणाधीन काम को बंद करने का आदेश दिया है। ताकि वायु प्रदूषण पर काबू पाया जा सकें।

लेकिन दिल्ली के कई इलाकों में आज भी चोरी-छिपे मकानों का निर्माण का काम चल रहा है। जिससे धूल जमकर फैल रही है।

बतातें चलें, दिल्ली में दिल्ली सरकार के अलावा, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और एनडीएमसी है। दिल्ली सरकार में आप पार्टी की सरकार है तो, एमसीडी में भाजपा है।

ऐसे में सियासी तौर पर एक दूसरे के आदेश का पालन करने में आना-कानी करते है। इसी के कारण दिल्ली में निर्माणाधीन काम आसानी से बंद नहीं होता है। कई जगह दिल्ली में एससीडी के अधिकारियों के इशारे पर काम हो रहा है। पुलिस भी मूक दर्शक बनी देखती रहती है।

दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि, दिल्ली में वायु प्रदूषण फैलने से तामाम तरह की दिक्कतें होती है। फिर भी जनता सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ा रही है। सरकार का सहयोग जनता को करना चाहिये ताकि दिल्ली में वायु प्रदूषण के कहर से छुटकारा पाया जा सकें।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली में आने से कतरा रहे लोग

दिल्ली में फैलें वायु प्रदूषण को लेकर देश के अन्य राज्यों से आने वालों के बीच अजीब सी स्थिति है कि दिल्ली में जाये या फिर नहीं । क्योंकि दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ रहा है। कि दिल्ली में आने से लोग कतरा रहे है।

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लोगों का कहना है कि दिल्ली की मीडिया से जो जानकारी प्राप्त हो रही है। उससे तो लगता है कि दिल्ली में जाने से आँखों में जलन, अस्थमा और सांस जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के रहने वाले धीरज राज ने तहलका को बताया कि, दिल्ली देश की राजधानी है। इस लिहाज से देश के लोगों का आना-जाना लगा रहता है। पर सर्दियों के दिनों में हर साल दिल्ली में जो वायु प्रदूषण फैलता है इससे साफ है कि दिल्ली की शासन व्यवस्था ठीक नहीं है।

वहीं इलाहाबाद के रहने वाले प्रदीप सिंह का कहना है कि, जब देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर लोगों के जीवन के साथ खिलबाड़ कर रहा है। शासन –प्रशासन चुप है। कुछ भी कारगर कदम नहीं उठा रहा है।

कोरोना के बढ़ते मामले चिन्ताजनक

दिल्ली में कोरोना के मामलें ढ़ाई महीनें के बाद अचानक बढ़ने से चिकित्सा क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। चिकित्सों का कहना है कि दिल्ली में डेंगू के कहर के साथ–साथ कोरोना के बढ़ते मामलें घातक साबित हो सकते है।

बताते चलें कि, ढ़ाई महीनें के बाद 62 कोरोना के नये मामलें और दो मौतें हुई है। जानकारों का कहना है कि कोरोना के अचानक मामलें अगर इसी तरह बढ़ते रहे तो हमें सावधान रहने की बेहद जरूरत है।

इंडियन हार्ट फाउंडेशन के चेयरमैन डाँ आर एन कालरा का कहना है कि, “लोगों की लापरवाही और बिना मास्क के लोगों के घूमने से कोरोना के मामलें बढ़े है। अगर ऐसी ही लापरवाही रही तो कोरोना को विकराल रूप धारण करने में ज्यादा देरी नहीं लगेगी।

मौजूदा समय में दिल्ली में डेंगू, कोरोना के साथ–साथ वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिये काफी घातक है। मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार ने बताया कि गले में दर्द और बुखार के साथ  बैचेनी हो तो उसे नजर अंदाज ना करें। क्योंकि बदलते मौसम में और कोरोना के प्रकोप में जरा सी लापरवाही घातक हो सकती है।

डाँ विवेका कुमार का कहना है कि, कोरोना का कहर लगभग थम सा गया था। लेकिन देश के कई राज्यों के साथ दिल्ली में कोरोना की मामूली सी बढ़त भी चिन्ता पैदा करती है। इसलिये सावधानी के तौर पर सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें।

ग्रुप कप्तान जय किशन को दूसरी बार तेनज़िंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार

लाइफ टाइम उपलब्धियों के लिए हिमालय पर्वतारोहण संस्थान दार्जिलिंग के प्रिंसिपल ग्रुप कप्तान जय किशन को दूसरी बार तेनज़िंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार मिला है।

यह पहली बार है कि, किसी ‘सशस्त्र बल अधिकारी’ को यह ‘प्रतिष्ठित सम्मान’ मिल रहा है, अधिकारी ने माउंट एवरेस्ट में स्काईडाइविंग जंप करके उतरने के लिए विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए एयरो स्पोर्ट्स श्रेणी के लिए उक्त पुरस्कार प्राप्त किया।

ग्रुप कैप्टन जय किशन वर्तमान में हिमालय पर्वतारोहण संस्थान दार्जिलिंग के प्राचार्य के पद पर तैनात हैं। वह एक उत्साही पैराशूट जंप इंस्ट्रक्टर और एक योग्य पर्वतारोही हैं।

उन्होंने साहसिक खेलों के क्षेत्र में छह विश्व रिकॉर्ड, एक एशियाई रिकॉर्ड और छह राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए हैं। पिछले बीस वर्षों में उन्होंने भारत और विदेशों में 2000 से अधिक पैराशूट जंप किए हैं।

गौरब की बात यह है की, ग्रुप कप्तान ने अप्रैल 2021 के दौरान, उन्होंने सिक्किम हिमालय की चार चोटियों पर चढ़ाई-ए-थॉन अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, जिसमें 125 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों ने 125 घंटों में चार चोटियों पर चढ़ाई की और सिक्किम में माउंट रेनोक के ऊपर 7500 वर्ग फुट का विशाल भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

जबकि 125 की संख्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती को चिह्नित करती है, ध्वज का आकार, यानी 7500 वर्ग फुट, भारत की स्वतंत्रता के 75 गौरवशाली वर्षों का प्रतीक है।

उनकी वर्तमान उपलब्धि में माउंट एवरेस्ट पर स्काईडाइविंग के लिए विश्व रिकॉर्ड और राष्ट्रीय रिकॉर्ड, मार्सिमिक ला (पंगोगत्सो झील 186400 फीट) और किबिटू (अरुणाचल-चीन सीमा) से साइकिल अभियान, राजपथ, इंडिया गेट पर उल्टे पैराशूट का निर्माण, माउंट के ऊपर विनयसा योग, यूरोपीय उपमहाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत एल्ब्रस (18600 फीट) का प्रदर्शन शामिल हैं।

आजादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले उन्होंने दार्जिलिंग के 250 युवाओं को प्रशिक्षित किया और आपदाओं के समय समय पर सहायता प्रदान करने के लिए एक आपदा प्रतिक्रिया दल का गठन किया।

उन्होंने जनवरी 2021 में 75 घंटे के रिले सूर्य नमस्कार की कल्पना की और सफलतापूर्वक आयोजित किया, जिसमें 250 प्रतिभागियों द्वारा 250000 से अधिक सूर्य नमस्कार दोहराव के साथ, एक निर्धारित समय के भीतर सूर्य नमस्कार पुनरावृत्ति की उच्चतम संख्या का विश्व रिकॉर्ड बनाया।

एमसीडी चुनाव में छठ पूजा और छठ घाट बनेगा चुनावी मुद्दा

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव को लेकर भले ही 5 महीने से कम का समय बचा है। लेकिन दिल्ली में चुनावी सरगर्मियां तेज होती जा रही है।

हाल ही में, छठ पूजा को लेकर दिल्ली में सियासी तीर जमकर चलें। आप पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल और भाजपा के सांसद मनोज तिवारी के बीच छठ पूजा और छठ घाट को लेकर जुवानी जंग चली।

बताते चलें, दिल्ली पूर्वाचल और बिहार में लगभग 25 लाख से अधिक लोग रहते है। इस लिहाज से पूर्वाचल वासियों और बिहार वासियों का बड़ा वोट बैंक है। लेकिन कोरोना को लेकर दिल्ली सरकार ने यमुना नदी और अन्य स्थानों पर रोक लगायी थी। लेकिन भाजपा के विरोध के चलते कुछ स्थानों पर दिल्ली सरकार ने कुछ पाबंदी हटाई थी।

आगामी दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भाजपा आप पार्टी को छठ पूजा सहित अन्य मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर रही है। भाजपा का कहना है कि छठ पूजा को लेकर बिहार और पूर्वाचल वासियों की दिल्ली सरकार ने अनदेखी की है और अपमान भी किया है।

मौजूदा समय में भाजपा दिल्ली में कई मोर्चे पर आप पार्टी को घेरने की तैयारी कर रही है। जैसे दिल्ली में स्माँग सेन्टर होने के बावजूद दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और डेंगू जैसी बीमारी को लेकर है। जबकि आप पार्टी का कहना है कि दिल्ली में भाजपा को नगर निगम के चुनाव में हार साफ दिख रही है।

इसके चलते भाजपा छठ पूजा और छठ घाट को लेकर सियासत कर रही है। जबकि आप पार्टी ने छठ पूजा करने की हर संभव तैयारी की थी।

कंगना रणौत के आज़ादी को भीख कहने वाले ब्यान पर वरुण गांधी ने कहा – ‘इसे पागलपन कहूं या देशद्रोह’

भाजपा विचारधारा से नजदीकी रखने वाली फिल्म अभिनेत्री कंगना रणौत के एक ब्यान पर विवाद पैदा हो गया है। कंगना ने कहा था कि देश को 1947 में तो भीख मिली थी, असली आजादी तो 2014 में मिली। इस ब्यान पर भाजपा नेता वरुण गांधी ने तीखी टिप्पणी करते हुए इसे आज़ादी के शहीदों का अपमान बताते हुए कहा – ‘कंगना की सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह।’

कंगना के इस ब्यान पर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनकी इस टिप्पणी को खराब कमेंट बताया है। अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस ब्यान पर कहा –  ‘लाखों शहादतों के बाद मिली आज़ादी को भीख कहना कंगना रणौत का मानसिक दीवालियापन है।’

भाजपा के नेता वरुण गांधी ने भी इस ब्यान के लिए कंगना को जमकर खरी खोटी सुनाई है। वरुण गांधी ने इस ब्यान को लेकर कंगना पर स्वतंत्रता सेनानियों के अपमान का आरोप लगाया और कहा – ‘कंगना की सोच को मैं मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह।’

कंगना के ब्यान पर वरुण गांधी ने ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने लिखा – ‘कभी महात्मा गांधी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे को सम्मान देना। अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का ऐसा तिरस्कार। उनकी इस सोच को पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह ?’

याद रहे एक इंटरव्यू में कंगना रणौत ने स्वतंत्रता को लेकर जो ब्यान दिया उसपर ख़ासा विवाद पैदा हो गया है। कंगना ने इस इंटरव्यू में कहा था कि ‘आजादी अगर भीख में मिले, तो क्या वो आजादी हो सकती है ? सावरकर, रानी लक्ष्मीबाई, नेता सुभाषचंद्र बोस इन लोगों की बात करूं तो ये लोग जानते थे कि खून बहेगा लेकिन ये भी याद रहे कि हिंदुस्तानी-हिंदुस्तानी का खून न बहाए। उन्होंने आजादी की कीमत चुकाई, यकीनन। पर वो आजादी नहीं थी वो भीख थी। जो आजादी मिली है वो 2014 में मिली है।’

जाहिर है कंगना के ब्यान से बड़ा विवाद बनेगा। अभी और प्रतिक्रियाएं आ सकती हैं। उधर इस ब्यान पर अकाली दल के वरिष्ठ नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कंगना के ब्यान पर ट्वीट में कहा – ‘मणिकर्णिका का रोल निभाने वाली आर्टिस्ट आज़ादी को भीख कैसे कह सकती है। लाखों शहादतों के बाद मिली आज़ादी को भीख कहना कंगना रणौत का मानसिक दीवालियापन है।’

वायु प्रदूषण से आंखों में जलन और लंग में कालापन

दीपावली के 8 दिन के बाद भी दिल्ली–एनसीआर में वायु प्रदूषण का कहर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की आंखों में जलन की शिकायतें काफी बढ़ी है। वहीं अस्थमा के रोग से पीड़ित मरीजों का संख्या मे भी इजाफा हुआ है।

वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे जानकारी देते हुये  डाँ बृजकिशोर तोमर ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में वायु प्रदूषण के कारण प्रकृति से लेकर मानव जीवन में संकट बढ़ा है। एयर क्वालिटी इन्डेक्स 4 सौ से ज्यादा होने पर लंग में काला पन होने की शिकायतों में इजाफा हुआ है।

बताते चलें, दीपावली के त्यौहार पर पटाखों पर रोक लगाने का उद्देश्य यही था। कि पटाखों के जलाये जाने से प्रदूषित माहौल पर रोक लगेगी। लेकिन, पटाखों के रोक के बावजूद भी पटाखें जलाये गये। जिससे वायु प्रदूषण बढ़ा है।

दिल्ली–एनसीआर में जहां देखों वहां प्रदूषित धुआं ही धुआं दिखायी देता है। सबसे चौकाने वाली बात तो ये है कि केन्द्र सरकार से लेकर दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को रोकने लिये जो भी इंतजाम किये है। वो सब दिखावे के ही साबित हो रहे है। ऐसे में आम जनमानस को प्रदूषित माहौल में जीने को मजबूर होना पड़ रहा है।