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उत्तर प्रदेश और पंजाब में आज मंत्रिमंडल का विस्तार होगा

पंजाब में कांग्रेस की तरफ से नया मुख्यमंत्री बनने के बाद आज शाम वहां मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। उधर पंजाब की ही तरह उत्तर प्रदेश में भी आज मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है। माना जाता है कि पंजाब में कांग्रेस के अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री बनाये जाने के असर को देखते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा इन वर्गों से मंत्री बना सकती है।

यूपी में चार महीने बाद चुनाव होने हैं। लिहाजा भाजपा इसे ध्यान में रखते हुए केबिनेट विस्तार कर रही है। कहा जा रहा है कि कुछ महीने पहले कांग्रेस से भाजपा में दलबदल कर आए जितिन प्रसाद समेत सात मंत्रियों को जगह मिल सकती है। इनमें पलटू राम, संजय गौड़, संगीता बिंद, दिनेश खटिक, धर्मवीर प्रजापति और छत्रपाल गंगवार के नाम चर्चा में हैं।

यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार काफी समय से प्रतीक्षित है। अब इसमें अनुसूचित को ज्यादा जगह देने की भाजपा की कोशिश है। माना जाता है कि पंजाब में कांग्रेस के अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री बनाये जाने के असर को देखते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा इन वर्गों से मंत्री बना सकती है।

याद रहे जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भी चुनाव के कारण यूपी को प्रमुखता दी गई थी और यूपी से बनाए सात मंत्रियों में चार ओबीसी, दो दलित थे। इस समय यूपी से मोदी सरकार में 15 मंत्री हैं, जो एक रेकॉर्ड है।

उधर पंजाब की कांग्रेस सरकार में भी आज मंत्रिमंडल विस्तार शाम 4.30 बजे होगा। पंजाब में नए मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी। करीब 15 मंत्रियों की शपथ होगी। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के पांच समर्थक मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है।

जानकारी के मुताबिक परगट सिंह, राजकुमार वेरका, गुरकीरत सिंह कोटली, संगत सिंह गिलजियान, अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, कुलजीत नागरा और राणा गुरजीत सिंह को केबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना है। उधर अमरिंदर सिंह के नजदीकी गुरप्रीत सिंह कांगड़, राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी  और साधु सिंह धर्मसोत मंत्रिमंडल से बाहर हो सकते हैं।

पुरानी केबिनेट के मंत्री ब्रह्म महिंदरा, मनप्रीत बादल, तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखविंदर सिंह सरकारिया, अरुणा चौधरी, रजिया सुल्तान, विजेंद्र सिंगला और भारत भूषण आशू फिर मंत्री बनाए जा सकते हैं। यह भी चर्चा है कि अरुणा चौधरी को मंत्री नहीं बनाया गया तो वे विधानसभा की अध्यक्ष बनाई जा सकती हैं। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस काफी सतर्क दिखती है, ताकि ‘संकट की किसी स्थिति’ में चीजों को संभाला जा सके।

जो देश आतंकवाद को औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे, कल यह उन पर भी भारी पड़ सकता है: यूएनजीए में मोदी

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी देश का नाम लिए (पाकिस्तान और चीन) चेतावनी दी कि जो देश आज आतंकवाद को एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, कल को यह उन पर भी भारी पड़ सकता है। पीएम ने कहा कि हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल कोई देश अपने हितों के लिए न कर सके। मोदी ने इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर कहा कि इसे खुद में सुधार करना होगा क्योंकि कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

मोदी, जो आज ही अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी से न्यूयॉर्क पहुंचे, ने यूएनजीए में अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा – ‘अध्यक्ष पद संभालने के लिए अब्दुल्ला जी को बधाई। यह विकासशील देशों के लिए गौरव की बात है। पिछले डेढ़ साल से हम 100 साल बाद आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहे हैं। ऐसी महामारी में जीवन गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देता हूं।’

पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को लेकर कहा कि भारत के महान दार्शनिक चाणक्य ने सदियों पहले कहा था कि जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता तो समय ही उस काम की सफलता को नाकाम कर देता है। पीएम ने कहा – ‘इसलिए, संयुक्त राष्ट्र को खुद में सुधार करना होगा। कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों को कोविड, आतंकवाद और अफगान संकट ने और गहरा कर दिया है।’

इस मौके पर मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसपर निशाना साधा। उन्होंने कहा – ‘आतंकवाद को टूल की तरह इस्तेमाल करने वाले देशों पर यह भारी पड़ सकता है। हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल कोई देश अपने हितों के लिए न कर सके। वहां की महिलाओं और बच्चों को संभालना है। हमें अपना दायित्व निभाना होगा।’

पीएम ने अपने भाषण में कोविड-19 का जिक्र भी किया और कहा कि भारत एक ही दिन में करोड़ों डोज लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म दे रहा है। पीएम ने कहा – ‘भारत सीमित संशाधनों के बावजूद वैक्सीन डेवलपमेंट में जी जान से जुटा है। भारत ने पहली डीएनए वैक्सीन डेवलप कर ली है। इसे 12 साल से ऊपर के सभी लोगों को लगा सकते हैं। एक और आरएनए वैक्सीन तैयार की जा रही है। नेजल वैक्सीन भी तैयार की जा रही है। भारत ने दुनिया के जरूरतमंदों को फिर वैक्सीन देना शुरू कर दी है। मैं आज दुनिया के वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स से कहना चाहता हूं। कम मेक वैक्सीन इन इंडिया।’

मोदी ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि डेमोक्रेसी विद टेक्नोलॉजी। भारतीय मूल के डॉक्टर या प्रोफेशनल्स किसी भी देश में रहें हमारे मूल्य उन्हें मानवता की सेवा करने का लक्ष्य देते रहते हैं। महामारी ने दुनिया को यह भी सबक दिया है कि वैश्विक व्यवस्था को और विकेंद्रित किया जाए। हमारा वैक्सीन प्रयास इसी भावना से प्रेरित है। ग्लोबल चेन वैक्सीनेशन जरूरी है।

पीएम ने लोकतंत्र पर भी अपने भाषण में बात कही – ‘मैं उस देश से आता हूं जिसे मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहते हैं। 15 अगस्त को भारत ने अपनी आजादी की 75वें वर्ष में प्रवेश किया है। हमारी विविधता पहचान है। यहां अलग-अलग भाषाएं और संस्कृति हैं। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक चायवाला चौथी बार इस सत्र को संबोधित कर रहा है।’

मोदी ने हिंद-प्रशांत में खुले व्यापार की वकालत की और कहा – ‘हमारे समंदर हमारी साझी विरासत हैं। इन्हें विस्तार और ताकत के जोर से कब्जा करने से बचाना होगा। दुनिया को एक सुर में आवाज उठानी होगी। सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता के दौर में भारत की पहल इस बारे में इशारा करती है। मैं अपने अनुभव से कह रहा है कि यस डेमोक्रेसी केन डिलीवर।’

अमरिंदर की अब रिटायरमेंट की उम्र, वे युवा नेताओं का मार्गदर्शन करें : बिट्टू; चन्नी को सीएम बनाना सही : जाखड़

पंजाब में अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद गंवाने के बाद अकेले पड़ रहे हैं। खासकर अमरिंदर सिंह के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के खिलाफ ब्यान के बाद उनके अपने करीबी भी उनके कन्नी काटने लगे हैं। उनके करीबी रहे लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्‌टू ने शनिवार को कैप्टन पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि अमरिंदर सिंह अब 80 साल के हो चुके हैं और रिटायरमेंट की इस उम्र में उन्हें युवा नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए। उधर वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़, जिन्हें नाराज बताया जा रहा था उन्होंने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले को सही करार दिया है। जाखड़ चंडीगढ़ से राहुल-प्रियंका गांधी के साथ ही विमान से दिल्ली गए थे।

सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने तो अमरिंदर सिंह को एक तरह से राजनीति से संन्यास लेने जैसी ही सलाह दे दी है। भले कैप्टन के बागी तेवर बरकरार हैं और उनके भाजपा में जाने के कयास भी लग रहे हैं, आलाकमान के उनके  बनने से उनके सहयोगी भी उनसे कटने लगे हैं। इनमें बिट्टू भी एक हैं, जिन्हें खुद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जाता  रहा है।

बिट्टू ने शनिवार को कहा – ‘अमरिंदर अब 80 साल के हो चुके हैं। रिटायरमेंट की उम्र में उन्हें अब हमारे जैसा नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए। कैप्टन जब पार्टी के प्रधान और मुख्यमंत्री बने थे तो राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष और प्रियंका गांधी महासचिव थीं। उन्होंने ही कैप्टन को यह अवसर दिए।’ बिट्टू ने कहा कि 45 साल तक कैप्टेन गांधी परिवार के नेतृत्व में ही कांग्रेस में रहे। उन्हें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बारे में ऐसे बात नहीं कहनी चाहिए।

यही नहीं बिट्‌टू ने कहा – ‘जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रधान और मुख्यमंत्री रहे तो सब उनके साथ थे। अब जिसके पास सत्ता है, पार्टी के नेता वहीं जाएंगे। कैप्टन से गुजारिश है कि इस तरह की बयानबाजी में कुछ नहीं रखा। गुस्सा आता है, लेकिन उसे शांत और ठंडा रखना चाहिए। कैप्टन से मिलकर हम इस पर बात करेंगे।’

उधर पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़, जिनके बारे में मीडिया में यह कयास लगाए जा रहे थे कि वे मुख्यमंत्री न बनाए जाने के कारण नाराज हैं, ने आज कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के आलाकमान के फैसले को सही कहा है। उन्होंने कहा – ‘यह राहुल गांधी का फैसला है और उन्होंने सिख परम्पराओं को पूर्ण सम्मान देते हुए यह फैसला किया है जिसका व्यापक स्वागत भी हुआ है। उन्होंने कहा – ‘विपक्षी जब इसपर टिप्पणियां कर रहे थे तो वे पेड़ों की गिनती करते हुए जंगल को मिस कर रहे थे।’

कैप्टेन के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर टिप्पणी करने के बाद कांग्रेस के नेता पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं। यहाँ तक की दिल्ली में राष्ट्रीय नेता भी  अमरिंदर सिंह को लेकर तल्ख़ शब्दों का इस्तेमाल करने लगे हैं। इससे जाहिर होता है कि अमरिंदर सिंह के प्रति दिल्ली में भी सहानुभति रखने वाला कोई नेता नहीं रह गया।

दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में हमला, गोलीबारी में 3 बदमाश मारे गए

राजधानी दिल्ली के रोहिणी के एक कोर्ट में शुक्रवार को हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गयी जबकि एक गंभीर रूप से घायल हुआ है। मारे गए लोग बदमाश और गैंगस्टर हैं। यह घटना अदालत के भीतर हुई जिसके बाद जज का रक्तचाप कम हो जाने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।

घटना न्यायमूर्ति गगनदीप की कोर्ट नम्बर 207 की है जहाँ बदमाशों ने भीतर घुसकर गोलीबारी शुरू कर दी। बदमाशों के निशाने पर कोर्ट में पेशी पर आया गैंगस्टर जितेंद्र गोगी था। बदमाशों की गोलीबारी में गोगी की मौत हो गयी।

डीएसपी रोहिणी प्रणव तयाल ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि हमलावर वकीलों के ड्रेस में आए थे। अदालत में घुसकर उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में गैंगस्टर गोगी की मौत हो गयी। इस बीच पुलिस ने भी जवाबी गोलीबारी की जिसमें दो बदमाशों के मारे जाने की सूचना है। एक व्यक्ति घायल हुआ है।

बता दें दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में नामी गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की पेशी थी। उसे कई गोलियां मारी गईं। याद रहे गोगी पर मर्डर, एक्सटॉर्शन, पुलिस पर हमला करने जैसे कई मामले थे। उसे पिछले साल पुलिस ने गुरुग्राम से किया था।

इस बीच इस सारी घटना का दौरान न्यायमूर्ति गगनदीप की तबीयत बिगड़ गयी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। बताया गया है कि उनका रक्तचाप काम हो जाने से उनकी तबीयत खराब हुई।

काँग्रेस की मांग: कोरोना से हुई मृत्यु पर परिवार को मुआवज़े मे दिए जाए 5 लाख रूपये

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कोरोना महामारी के दौरान मरने वालों के परिजनों को मुआवजे के रूप में देने वाली राशि को तय करने को कहा था। और यह राशि केंद्र सरकार ने 50 हजार रुपये मुआवजे के रूप में तय की है।

केंद्र सरकार द्वारा तय की गई 50 हजार की राशि की कांग्रेस पार्टी ने निंदा की है और कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, सरकार ने तो यह तक कह डाला की इस आपदा के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई है।

महामारी के दौरान देश में लगे लॉकडाउन में 14 करोड़ नौकरियां नष्ट हुई है। लोगों का वेतन कटा है, भविष्य निधि (ईपीएफ) से लोगों ने 66 हज़ार करोड़ रूपये लोगों ने निकाले है। व हमारे देश में किसी भी आपदा के दौरान 4 लाख रुपये मुआवजा देना हमारी गाइडलाइन में अंकित है।

किंतु सरकार लिखे हुए कानून को नहीं मानती और जब महामारी के दौरान लोगों की नौकरियां छूट गर्इ व आम आदमी बेहद परेशान व हताश उस समय केवल 50 हज़ार राशि देने का ऐलान किया है। जो कि बेहद कम है।

पिछले वर्ष सरकार ने 4 लाख करोड़ रुपये र्इधन एक्साइज ड्यूटी पर कमाए थे। यदि सरकार साढ़े चार लाख परिवारों को मात्र 5 लाख रुपये मृतक के परिवार को देती है जोकि मात्र 22 हजार करोड़ रुपये है और कुल जमा राशि का सिर्फ साढ़े पांच प्रतिशत है। ऐसे में 5 लाख रुपये की राशि सरकार बड़े ही आराम से दे सकती है।

और ऐसे में 50 हजार रुपये का मज़ाक सरकार लोगों के साथ कर रही है वे बेहद गलत है और कांग्रेस पार्टी कम से कम 50 हजार की बजाय 5 लाख की राशि मृतकों के परिवारों को देने की मांग करती है।

पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करने को तैयार : सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने गुरुवार को कहा कि पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए अदालत एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने के लिए तैयार है। सर्वोच्च अदालत अगले हफ्ते इसे लेकर आदेश जारी हो सकता है।  सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को केंद्र सरकार को झटका माना जा रहा है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है। प्रधान न्‍यायाधीश एनवी रमना ने खुली अदालत में कहा कि इस संबंध में अगले हफ्ते आदेश जारी हो सकता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से समिति का हिस्‍सा बन पाने में असमर्थता जताई है, जिसके कारण आदेश जारी करने में विलम्ब हुआ।

आज प्रधान न्यायाधीश  ने वरिष्ठ वकील सीयू सिंह को ओपन कोर्ट में बताया कि सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते पेगासस मामले में एक आदेश पारित करेगा। कहा कि  सर्वोच्च अदालत पेगासस स्नूपगेट की जांच के लिए एक समिति के गठन को तैयार है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत पेगासस जासूसी मामले में विशेषज्ञों की एक समिति बनाने पर विचार कर रही है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कुछ तकनीकी विशेषज्ञों से न्यायालय ने तकनीकी विशेषज्ञ समिति का हिस्सा बनने का अनुरोध किया है। वह व्यक्तिगत रूप से टीम का हिस्सा होने से मना करने में कठिनाई व्यक्त कर रहे हैं इसलिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति के गठन में समय लग रहा है। ‘हम अगले सप्ताह तक तकनीकी विशेषज्ञ टीम के सदस्यों को अंतिम रूप दे पाएंगे और आदेश पारित करेंगे।’

याद रहे सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में 13 सितंबर को अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया था। उस समय पेगासस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक जनहित को देखते हुए हलफनामा दायर नहीं करना चाहती। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का तर्क था कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और इस मामले में डिटेल में हलफनामा के जरिये डिबेट नहीं हो सकता है। इस मामले को ज्यूडिशियल और पब्लिक डिबेट में नहीं लाया जाना चाहिए क्योंकि मामला व्यापक जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।

अलग राह पर हैं अमरिंदर सिंह; किसके साथ जाएंगे, यही सवाल

नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ विधानसभा चुनाव में मजबूत उम्मीदवार उतारने की बात सार्वजनिक रूप से कहकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बेआबरू हुए कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने साफ़ कर दिया है कि उनकी राह अब कांग्रेस से अलग होगी। अब बड़ा सवाल यही है कि वे जाएंगे किसके साथ और कब जाएंगे? कांग्रेस अपनी तरफ से उन्हें पार्टी से बाहर शायद न करे। संभावनाएं कई हैं, लेकिन अमरिंदर सिंह ‘सेफ’ खेलना चाहते हैं। उनके निशाने पर कांग्रेस से भी ज्यादा नवजोत सिंह सिद्धू हैं।

कैप्टेन जानते हैं कि सिद्धू न होते तो वे आज भी मुख्यमंत्री होते। राहुल-प्रियंका गांधी को ‘अपने बच्चों जैसा’, लेकिन ‘राजनीतिक रूप से अपरिपक्व’ बताकर कैप्टेन ने भाजपा की भाषा बोली है, हालांकि यह पक्का नहीं कि वे करेंगे क्या। पंजाब के किसानों की भाजपा के प्रति बड़ी नाराजगी के बीच एक ही रास्ता है कि कैप्टेन भाजपा के साथ चले जाएँ – यह कि मोदी सरकार विवादित तीन कृषि कानूनों को वापस ले ले या ठन्डे बस्ते में डाल दे। किसान इसे स्वीकार करेंगे या नहीं, यह बाद की बात है।

लेकिन एक और पक्ष भी है। पंजाब की जनता में इस बात को लेकर कोई गुस्सा नहीं है कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया है। चुनाव के वादे पूरे न करने और श्री गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी पर कार्रवाई न होने के कारण जनता में पहले से ही कैप्टेन के प्रति गुस्सा है। कांग्रेस की आंतरिक रिपोर्ट भी यही कहती है कि अमरिंदर उसे अगला चुनाव नहीं जिता सकते थे। दूसरी बात यह है कि उनके अपने प्रभाव क्षेत्र के लोग ही कह रहे हैं कि अमरिंदर ने तो खुद ही 2017 के विधानसभा चुनाव में उसे अपना आखिरी चुनाव बताया था।

सबसे अहम बात यह है कि जिन नवजोत सिद्धू से वे टक्कर ले रहे हैं, वे भी उनकी ही तरह जट्ट सिख हैं। और तो और अमरिंदर सिंह खुद भी सिद्धू ही हैं। लिहाजा जट्ट सिख भी इसे अच्छा नहीं मान रहे कि अपने ही समुदाय के एक ऐसे युवा नेता की वे मुखालफत कर रहे हैं, जिसमें काफी आगे जाने की क्षमता है और जिसमें जोश और जज़्बा है। अमरिंदर के सिद्धू के खिलाफ वाले अभी तक के बयानों का सिद्धू को नहीं, खुद अमरिंदर को नुक्सान हुआ है। यही नहीं एक और कद्दावर जट्ट सिख नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा, जिन्हें अब उप मुख्यमंत्री बना दिया गया है और सरकार में जिनकी नंबर दो की हैसियत है, भी सिद्धू के साथ खड़े हैं।

अमरिंदर 80 साल के आसपास हैं और लोग मानते हैं कि उन्हें सिद्धू को अपने उत्तराधिकारी के रूप में समर्थन देना चाहिए था, लेकिन कर वे इससे उलट रहे हैं। सिद्धू की पंजाब में ज़मीनी पकड़ से कोई इंकार नहीं कर सकता। अमृतसर से वे तीन बार सांसद रहे हैं। अब विधायक हैं। पंजाब में सिख और गैर सिख दोनों में वे बराबर लोकप्रिय हैं। पंजाब से बाहर भी सिद्धू की लोकप्रियता है। ऐसे में अमरिंदर की अपनी ही पार्टी के युवा नेता को चुनाव में हराने की ‘कसम’ का जनता में सही सन्देश नहीं गया है। सिद्धू के विरोध में डूब चुके अमरिंदर इतने अनुभवी होने के बावजूद कैसे इस ज़मीनी हकीकत को नजरअंदाज कर रहे हैं, यह आश्चर्य की बात है।

कहा जाता है कि अमरिंदर यह टोह लेने की कोशिश कर रहे हैं कि कितने विधायक हकीकत में उनके साथ आ सकते हैं। चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने जिस तरह मुख्यमंत्री बनाकर तुरुप का पत्ता चला है, उससे कांग्रेस विधायक दल में  किसी बड़े विघटन की संभावना नहीं दिखती। अमरिंदर सिर्फ एक ही तरीके से कांग्रेस सरकार के लिए समस्या बन सकते हैं और वह यह है कि कांग्रेस के 20 से ज्यादा विधायक राजा अमरिंदर के साथ चले जाएं। पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार इसकी संभावना न के बराबर मानते हैं। ज़मीनी हकीकत आज भी यह है कि चुनाव की दृष्टि से कांग्रेस अभी भी अन्य दलों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।

अमरिंदर कांग्रेस को अपनी तरफ से झटका देने की कोशिश कर ज़रूर रहे होंगे। अपने पद से महरूम होने का जिम्मेवार वे कांग्रेस में राहुल-प्रियंका-सिद्धू की तिकड़ी को मानते हैं। सोनिया गांधी के प्रति उनकी नाराजगी सिर्फ इतनी है कि वे युवा टोली से उनकी कुर्सी बचा नहीं पाईं। वे भाजपा के संपर्क में हैं, इसकी चर्चा कई दिन से है। भाजपा को अमरिंदर सिंह का साथ आना बहुत मुफीद होगा। भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर इसे कांग्रेस के नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी-प्रियंका गांधी के खिलाफ बगावत, के रूप में पेश करेगी। भले अमरिंदर की नाराजगी के कारण और हों।

यह भी हो सकता है कि कुछ विधायक साथ आएं तो अमरिंदर अपना कोई अलग गुट पंजाब में बना लें और चुनाव का इन्तजार करें। आम आदमी पार्टी (आप) भी चाहेगी कि अमरिंदर सिंह जैसा कद्दावर नेता उसके साथ आ जाए। लेकिन आप अमरिंदर   का शायद अंतिम विकल्प ही होगा, क्योंकि आप का नेतृत्व वरिष्ठता में अमरिंदर से कहीं ‘जूनियर’ है। लिहाजा भाजपा उनका सबसे संभावित ठिकाना हो सकता है, पेंच सिर्फ किसानों के आंदोलन और नाराजगी का है !

डीटीसी बसों में यत्रियों को सभी सीटों पर बैठकर सफर करने पर रोक, गैर डीटीसी और मैट्रो में कोई रोक नहीं; यात्री परेशान

अजीब विडम्बना है कि एक ओर तो दिल्ली मैट्रो में सभी सीटों पर सवारियों के बैठने की अनुमति है और मैट्रो में खड़े होकर यात्रा करने पर भी कोई रोक नहीं है। लेकिन दिल्ली प्रशासन ना जाने क्यों दिल्ली परिवहन (डीटीसी) की बसों में खड़े होकर यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति नहीं दें रहा है। जिससे डीटीसी बसों में चलने वाले दैनिक यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बतातें चलें डीटीसी और मैट्रो में कोरोना काल जब पीक पर दिल्ली में चल रहा था। तब सभी सीटों पर बैठकर यात्रियों को यात्रा करने पर रोक थी। अब दिल्ली में कोरोना के मामलें बहुत ही कम आ रहे है। उसके बादजूद डीटीसी बसों में खड़े होकर यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करना मना है।

सबसे गंभीर बात तो ये है कि डीटीसी में सीटों पर बैठकर यात्रा करने की अनुमति है। जबकि गैर डीटीसी में कोई रोक नहीं है उसमें ठूंस-ठूंस कर सवारी बस वालें जम कर दाम कमा रहे है।

डीटीसी बसों में दैनिक यात्रा करने वाले दिनेश सिंह का कहना है कि डीटीसी का उनके पास मासिक पास है।इस लिहाज से वो बस में ही यात्रा करना चाहते है। क्योंकि दिल्ली मैट्रो में किराया मंहगा है। इसी तरह अन्य यात्रियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिये ताकि यात्रियों को कोई परेशानी ना हो। क्योंकि दैनिक पास और मासिक पास होने के बावाजूद भी कई घंटों यात्रियों को परेशानी होती है।

एयर मार्शल विवेक राम चौधरी अगले वायुसेनाध्यक्ष होंगे, 30 सितम्बर को करेंगे पद ग्रहण

एयर मार्शल विवेक राम चौधरी अगले वायुसेना अध्यक्ष होंगे। रक्षा मंत्रालय ने नए वायुसेना अध्यक्ष पद पर चौधरी की तैनाती का ऐलान अब से कुछ देर पहले किया है। वे एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया का स्थान लेंगे जो 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

रक्षा मंत्रालय की तरफ से  जारी सूचना के मुताबिक एयर मार्शल वीआर चौधरी को देश को अगला वायुसेना प्रमुख बनाने का फैसला किया है। चौधरी वर्तमान में उप वायुसेना प्रमुख हैं।

इस समय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया 30 सितंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं।  एयर मार्शल विवेक राम चौधरी ने इसी साल पहली जुलाई को उप वायुसेना प्रमुख का पदभार ग्रहण किया था।

बता दें एयर मार्शल चौधरी को 29 दिसंबर, 1982 को वायु सेना की लड़ाकू विंग में शामिल किया गया था। चौधरी को विभिन्न प्रकार के लड़ाकू और प्रशिक्षण विमानों पर 3800 घंटे से अधिक का उड़ान का अनुभव है।

इसके अलावा चौधरी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन के छात्र भी रहे हैं। उप वायुसेना प्रमुख बनाए जाने से पहले, वह पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे।

उधमपुर के पास सेना हेलीकॉप्टर के हादसे में दो पॉयलट की मौत

जम्मू के उधमपुर जिले के पटनीटॉप के पास सेना के एक हेलीकॉप्टर हादसे में दो पॉयलट की मौत हो गयी है। चीता हेलीकॉप्टर सुबह हादसे का शिकार हो गया था। घायल दोनों पॉयलट को अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

जानकारी के मुताबिक यह हादसा जम्मू के उधमपुर जिले के पटनीटॉप इलाके में शिवगढ़ धार में हुआ। हेलीकाप्टर में दो ही लोग सवार थे। खराब मौसम के कारण यह हादसा हुआ। घटना में पायलट और को-पायलट घायल हो गए थे जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।

सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि घायल पायलटों को नजदीकी  अस्पताल ले जाया गया था जहां उनकी मौत हो गई। हादसे की जो तस्वीरें सामने आई थीं उनसे साफ़ लग रहा था कि दोनों पायलट गंभीर घायल हैं। पुलिस टीम जानकारी मिलते ही मौके पर पहुँची।

उधमपुर के डीआईजी उधमपुर सुलेमान चौधरी ने बताया – ‘हमें जानकारी मिली थी कि हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग हुई है। बचाव कार्य के लिए तुरंत पुलिस टीम को रवाना किया गया। घने कोहरे के चलते यह हादसा हुआ। हालांकि, अभी यह कहना मुश्किल है कि यह क्रैश लैंडिंग थी या फिर हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ।’