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कांग्रेस में रहूंगा नहीं, भाजपा में जाऊंगा नहीं : अमरिंदर

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आज भाजपा की उम्मीदों को झटका देते हुए कहा कि वह कांग्रेस में तो रहेंगे नहीं, लेकिन भाजपा में भी नहीं जायेंगे। भाजपा के लोग पिछले काफी समय से यह प्रचार कर रहे थे कि अमरिंदर भाजपा में शामिल हो रहे हैं और उन्हें कृषि मंत्री बनाया जा रहा है जिससे किसान आंदोलन ख़त्म करने को को लेकर कोई रास्ता निकाला जा सके। हालांकि, आज खुद अमरिंदर सिंह इन अफवाहों की हवा निकाल दी।

अमरिंदर सिंह ने कहा कि वे जल्द ही सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि वे और अपमान सहन नहीं कर सकते लिहाजा कांग्रेस से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, उन्होंने साफ़ तौर पर भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगा दिया। कैप्टन ने कहा – ‘नहीं, मैं भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं होने जा रहा हूँ।

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में वरिष्ठ नेता ने कहा – ‘मैं भाजपा में शामिल नहीं हो रहा हूं लेकिन कांग्रेस जल्द ही छोड़ूंगा। मुझे और अधिक अपमान सहन नहीं हो रहा है।’ कैप्टेन ने यह भी कहा कि ‘पंजाब में कांग्रेस का पतन हो रहा है और नवजोत सिंह सिद्धू बचकाना हरकत कर रहा है, जिसे पार्टी ने सदस्यता दी थी’।

अमरिंदर सिंह ने कहा – ‘मैं 52 साल से राजनीति में हूं। जिस तरह से मेरे साथ व्यवहार किया गया है उससे मैं अपमानित महसूस  हूँ। सुबह 10.30 बजे कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं कि आप इस्तीफा दें। मैंने कोई सवाल नहीं पूछा। शाम 4 बजे मैं राज्यपाल के पास गया और इस्तीफा दे दिया।’

उन्होंने कहा कि अगर उन्हें ( कांग्रेस नेतृत्व को) मुझ पर संदेह है और 50 साल के काम के बाद मेरी साख दांव पर है, अगर भरोसा नहीं है, तो मेरे पार्टी में रहने का क्या मतलब है?’ याद रहे अमरिंदर सिंह ने पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। यह माना जाता है कि उनके इस्तीफे का कारण सिद्धू थे, जिनसे उनका छतीस का आंकड़ा है।

सिद्धू-चन्नी के बीच आज 3 बजे बैठक, एकाध विवादित नियुक्ति पलटने पर हो सकती है सहमति

File Photo

पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू आज शाम पंजाब भवन में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मिलेंगे। खुद सिद्धू ने एक ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। माना जाता है कि यदि सिद्धू की तरफ से विरोध वाली एकाध नियुक्ति पर यदि फैसला हो जाता है, तो सिद्धू इस्तीफा वापस ले सकते हैं।

अपने ट्वीट में सिद्धू ने लिखा है कि मुख्यमंत्री चन्नी ने उन्हें शाम तीन बजे बातचीत के लिए बुलाया है। सिद्धू ने कहा कि वे इस बैठक में शामिल होंगे। सिद्धू ने कहा – उनका (सीएम) का बातचीत के लिए स्वागत है।

बता दें मंगलवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने अचानक पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पंजाब कांग्रेस में तूफ़ान उठ खड़ा हुआ था। उधर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह दिल्ली में जिस तरह कल भाजपा के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह और आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से मिले हैं, उसके बाद से यह चर्चा है कि वे पंजाब कांग्रेस में ही अपने राजनीतिक विरोधी नवजोत सिद्धू को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

यही नहीं अमरिंदर सिंह कांग्रेस के बागी नेताओं, जिन्हें जी-23 कहा जाता है, के साथ मिलकर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ उनकी आवाज से आवाज मिला सकते हैं। अमरिंदर सिंह को लेकर भले भाजपा में जाने की बातें भी मीडिया में चल रही हैं, अभी तय नहीं है कि वे ऐसा करेंगे, या कब करेंगे।

उधर सिद्धू और चन्नी की आज की बैठक में उन मसलों पर बातचीत की सम्भावना है जिनपर खफा होकर सिद्धू ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। इनमें प्रदेश की कुछ नियुक्तियों के भी मसले हैं। पार्टी आलाकमान ने पहले ही निर्देश दिया हुआ है कि पंजाब की इस समस्या का हल प्रदेश इकाई खुद निकाले। उसी सिलसिले में चन्नी ने सम्भवता सिद्धू के साथ बैठक करने का फैसला किया है।

जानकारों का कहना है कि यदि इन मसलों को सुलटा लिया जाता है तो सिद्धू अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी जगह आलाकमान नया अध्यक्ष बना सकती है, जो उसने पहले ही साफ़ कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक के मुताबिक सिद्धू के सलाहकार उन्हें यह सुझाव दे रहे हैं कि उनका कोई कदम ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे यह सन्देश जाए कि उन्होंने पार्टी आलाकमान के खिलाफ  मोर्चेबंदी कर ली है, क्योंकि आलाकमान ने हाल की लड़ाई में उनका साथ दिया है। ऐसे में सिद्धू की कुछ बातें यदि मुख्यमंत्री चन्नी मान लें तो मसले का हल निकल सकता है।

सिद्धू को यह भी बताया गया है कि जितने वे कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं, उतना ही एक मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी का भी अपना अधिकार क्षेत्र है। लिहाजा उन्हें फैसले करने का अधिकार रहना चाहिए और और हर फैसले में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए, नहीं तो उनपर ‘डमी मुख्यमंत्री’ होने का ठप्पा लग जाएगा और विपक्ष इसका फायदा उठाएगा। हाँ, दागी लोगों को ओहदे देने पर बातचीत हो सकती है।

जानकारी के मुताबिक सीएम चन्नी सिद्धू की कुछ मांगों पर सहमति दे सकते हैं, और हाल की एकाध विवादित नियुक्ति पर फैसला पलटा जा सकता है। यह माना जाता है कि इनमें डीजीपी, एक मंत्री की नियुक्ति विवाद के केंद्र में है।

अमित शाह से मिले अमरिंदर; पीएम और कांग्रेस के असंतुष्टों से भी मिलेंगे!

अमित शाह से करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से नाराज चल रहे कैप्टेन अमरिंदर सिंह कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के खेमे (जी-23) से भी मिल सकते हैं। चर्चा यह भी है कि सीमावर्ती राज्य पंजाब की सुरक्षा और किसानों की मांगों के मसले पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से भी मिल सकते हैं, हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। उधर पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर अभी भी जंग चली हुई है और कोई हल नहीं निकल पाया है।

कैप्टेन अमरिंदर सिंह, जिन्होंने कल दिल्ली पहुँचने पर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से कहा था कि वे किसी भी राजनीतिक नेता से नहीं मिलेंगे, ने 24 घंटे के भीतर आज शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। समझा जाता है कि उन्होंने नवजोत सिद्धू पर ‘देश की सुरक्षा के लिए खतरा’ वाले जो आरोप लगाए थे, उसी सिलसिले में वे शाह से मिले हैं। इसके अलावा किसानों के मसले पर भी चर्चा होने के कयास हैं।  उनकी मुलाकात एक घंटे तक चली। अभी यह साफ़ नहीं है कि क्या उन्होंने अपने आरोपों के पक्ष में कोई दस्तावेज भी गृह मंत्री को दिए हैं या नहीं।

यह दिलचस्प है कि खुद अमरिंदर सिंह को उनके विरोधी पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा से कथित रिश्ते के कारण घेरते रहे हैं। यह लोग आरोप लगाते रहे हैं कि पाकिस्तानी पत्रकार से तब पंजाब के मुख्यमंत्री से मिलना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

चर्चा है कि सीमावर्ती राज्य पंजाब की सुरक्षा के मसले पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से भी मिल सकते हैं, हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। अभी यह साफ़ नहीं है कि क्या कैप्टेन भाजपा में जाने की सोच रहे हैं या उनका इरादा सिद्धू को घेरने का ही है। इसका कारण यह भी है कि आज दिन में कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे के नेता अचानक काफी सक्रिय दिखे।

कपिल सिब्बत ने जहाँ बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके नेतृत्व को फिर घेरने की कोशिश की वहीं गुलाम नबी आज़ाद ने अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पात्र लिखकर सीडब्ल्यूसी की बैठक तत्काल बुलाने की मांग की है। मनीष तिवारी ने भी एक तरह से आलाकमान के खिलाफ ही बात की है। बहुत दिलचस्प बात यह है कि सबने पंजाब की सुरक्षा का मसला उठाया। सबकी एक तरह की भाषा से जाहिर होता है कि यह सब योजनावद्ध तरीके से हो रहा है।

उधर पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर अभी भी जंग चली हुई है और कोई हल नहीं निकल पाया है। सिद्धू क्या फैसला करेंगे, इसकी अभी कोई जानकरी नहीं है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें कुछ समय दिया है कि वे अपना इस्तीफा वापस ले लें अन्यथा नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी फैसला करेगी।

पंजाब में सिद्धू के पक्ष में दो मंत्रियों के अलावा पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने भी इस्तीफे दिए हैं। आज मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी सिद्धू से मिले हैं। फिलहाल कोई हल नहीं निकला है।

यह चर्चा रही है कि कांग्रेस के असंतुष्ट अपना अलग गुट बना सकते हैं या कोई नई पार्टी भी सकते हैं। एनसीपी नेता शरद पवार पहले ही तीसरे मोर्चे को खड़ा करने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में जी-23 के नेताओं की सक्रियता राजनीतिक लगती है।

सिद्धू का पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा

पंजाब की राजनीति पल-पल बदल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के दिल्ली जाने और भाजपा में शामिल होने की चर्चा के बीच प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।

सिद्धू ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे में सिद्धू ने कहा कि वे पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं कर सकते न ही अपने मूल्यों से। सिद्धू दो महीने पहले ही पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनाये गए थे।

सिद्धू ने कहा कि वे कांग्रेस में ही रहेंगे। उनके इस्तीफे पर आलाकमान क्या फैसला करती है, यह देखना होगा।

युवाओं में हार्ट रोग की शिकायतें तेजी से बढ़ी

हर साल की तरहा इस साल भी विश्व हार्ट दिवस के अवसर पर हार्ट रोग विशेषज्ञों ने कहा कि हार्ट रोग अब जागरूकता के अभाव में बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। एम्स के हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ राकेश यादव का कहना है कि खान-पान में अनियमितता और तलीय पदार्थों के अत्याधिक सेवन से हार्ट रोग के मामलें बढ़ रहे है। मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार का कहना है। कि तामाम शोधों से ये जानकारी हासिल हो रही है कि मानसिक तनाव और मोटापा की चपेट में आने से युवाओं को हार्ट रोग की शिकायतें तेजी से बढ़ी है।

डाँ विवेका का कहना है कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्राल के कारण हार्ट रोग की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि जिन को सीनें में दर्द के साथ बैचेनी हो और वायें हाथ में दर्द हो तो उसे नजर अंदाज ना करें। मैक्स अस्पताल के हार्ट ट्रांस प्लांट विशेषज्ञ डाँ केवल किशन का कहना है कि चिकित्सा के क्षेत्र में हो रही तरक्की का लाभ मरीजों को मिल रहा है। डाँ केवल ने कहा कि जो रोगी हार्ट ट्रांसप्लांट करवा चुके रोगी भी पूरी तरह से स्वस्थ्य है। डाँ केवल किशन ने बताया कि अभी तक  उन्होंने जितने भी हार्ट रोगियों के हार्ट ट्रांसप्लांट किये वे सामान्य जीवन व स्वस्थ्य जीवन यापन कर रहे है।उन्होंने बताया कि जिन रोगियों के हार्ट कमजोर है। उनको समय रहते इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ आर एन कालरा ने बताया कि भागमदौड़ व तनाव भरी जिन्दगी के कारण युवाओं में हार्ट रोग जैसी बीमारी पनप रही है। उनका कहना है कि अगर अचानक घबराहट के साथ पसीना आता हो तो उसे नजरअंदाज ना करें। गले में वाये हाथ में दर्द के साथ बैचेनी को नजर अंदाज ना करें। ये हार्ट रोग के लक्षण हो सकतें है।

चुनाव आयोग ने तीन लोकसभा, तीस विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को चुनाव की घोषणा की, 2 को नतीजे

चुनाव आयोग ने देश भर में खाली पड़ी लोकसभा और विधानसभा की सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा कर दी है। आयोग ने 3 लोकसभा और 30 विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को इन चुनावों के लिए मतदान की तारीख तय की है जबकि वोटों की गिनती 2 नवंबर को होगी।

आयोग की घोषणा के मुताबिक चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया की पहली अक्टूबर से शुरू होकर 8 अक्टूबर तक चलेगी। तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव दादरा और नागर हवेली, दमन और दीव, मध्य प्रदेश के खंडवा लोकसभा सीट और हिमाचल प्रदेश की मंडी क्षेत्र शामिल हैं।

जिन 14 राज्यों की कुल 30 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गयी है उनमें आंध्र प्रदेश की 1, असम की 5, बिहार की 2, हरियाणा की 1, हिमाचल प्रदेश की 3, कर्नाटक की 2, मध्यप्रदेश की 3, महाराष्ट्र की 1, मेघालय की 3, मिज़ोरम की 1, नगालैंड की 1 और राजस्थान की 2, तेलंगाना की एक और पश्चिम बंगाल की 4 विधानसभा सीटें शामिल हैं।

अगले साल होने वाले पांच विधानसभा चुनावों से पहले इन उपचुनावों के नतीजों पर सभी की नजर रहेगी। चुनाव आयोग भी इसके बाद इन राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगा। यह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में होने हैं।

राहुल की उपस्थिति में कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस में शामिल हुए

राहुल गांधी की राज्यों में युवा नेताओं, खासकर भाजपा-आरएसएस विचारधारा के कट्टर विरोधी नेताओं की टीम तैयार करने की योजना के तहत दो युवा नेता कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी आज कांग्रेस में शामिल हो गए। दोनों ने राहुल गांधी की उपस्थिति पार्टी की सदस्यता का फ़ार्म भरा। कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा वे देश की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी में शामिल हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस है तो ही देश में लोकतंत्र बचेगा। उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व की भी सराहना की और कांग्रेस को बड़ा जहाज बताया।

कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं, जबकि मेवाणी पिछड़े वर्ग के नेता हैं। राहुल गांधी दोनों को कांग्रेस में लेकर आये हैं। दोनों आंदोलन से जुड़े  रहे हैं लिहाजा संभावना यही है कि राहुल गांधी के मोदी सरकार के खिलाफ शीघ्र प्रस्तावित देशव्यापी आंदोलन का दोनों अहम हिस्सा हो सकते हैं। यह माना जाता है कि जाने माने रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी कांग्रेस की भविष्य की योजनाओं को लेकर राहुल गांधी का सहयोग कर रहे हैं।

कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा वे देश की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी में शामिल हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस है तो देश में लोकतंत्र बचेगा। कहा कि कांग्रेस वह पार्टी है जो गांधी  परम्परा को जीवित रखे हुए हैं। कहा – ‘जो कह रहे हैं विपक्ष कमजोर हो गया है तो वे सही कह रहे हैं क्योंकि जब विपक्ष कमजोर हो जाता है तो सत्ता तानाशाह हो जाती है।’ कहा यह वैचारिक संघर्ष है और कांग्रेस ही इसे गति  दे सकती है।

दोनों को कांग्रेस में शामिल करने के लिए पार्टी ने खासतौर पर शहीद भगत सिंह की जयंती को चुना। कन्हैया कुमार अभी तक भाकपा में थे और बिहार में पार्टी टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी  दलित नेता हैं और उनके कुछ सहयोगी भी कांग्रेस में आए हैं।

कांग्रेस में शामिल होने से पहले कन्हैया और जिग्नेश ने राहुल गांधी के साथ दिल्ली के आईटीओ पर स्थित शहीदी पार्क में भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में वहां उपस्थित रहे। बाद में  दोनों को कांग्रेस का पट्टा पहनाकर कांग्रेस दफ्तर में पार्टी में शामिल किया गया। इस मौके पर पार्टी संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रमुख प्रवक्ता सुरजेवाला, गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल भी उपस्थित थे।

राहुल गांधी बिहार में कन्हैया कुमार जबकि गुजरात में जिग्नेश को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना सकते हैं। राहुल गांधी की युवाओं को पार्टी से जोड़ने की योजना के तहत आने वाले समय में कुछ और युवा नेता कांग्रेस में शामिल होंगे। यह देखा जा रहा है कि राहुल भाजपा और संघ (आरएसएस) की विचारधारा से नैतिक दूरी रखने वाले नेताओं को कांग्रेस में तरजीह दे रहे हैं।

हाल के महीनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव जैसे युवा नेता कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं। इन सभी को राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। उनके दलबदलकर भाजपा या अन्य दलों में जाने से राहुल को झटका लगा है क्योंकि यह उनके बहुत करीबी नेताओं में शामिल थे और उनकी इनर टीम का हिस्सा थे।

किसानों का भारत बंद शुरू; कांग्रेस, विपक्ष और दर्जनों संगठनों ने दिया समर्थन

संयुक्त किसान मोर्चा का मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ भारत बंद शुरू हो गया है। कल से ही इसे दिल्ली से लेकर केरल तक समर्थन मिलता दिख रहा है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित लगभग पूरे विपक्ष के अलावा कई गैर राजनीतिक, कर्मचारी और अन्य संगठनों ने इसे समर्थन का ऐलान किया है। कई जगह सड़क और रेल मार्ग बंद हैं और दुकानें भी किसानों के समर्थन में बंद रखी गयी हैं। फिलहाल किसी अप्रिय  घटना की अभी कोई जानकारी नहीं है।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक देश के कई हिस्सों में बंद है। वहां यातायात पर बंद का असर दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भाकियू के राकेश टिकैत ने आज सुबह देश के लोगों का आह्वान किया है कि वे इस बंद को समर्थन दें। उन्होंने कहा कि बंद शाम 4 बजे तक चलेगा और जनता दोपहर के बाद ही बाहर जाएं ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े।

इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने नागरिकों से किसान-विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक भारत बंद में शामिल होने की अपील करते हुए कहा है कि समाज के विभिन्न वर्गों ने भारत बंद को समर्थन देने का संकल्प किया है। किसान संगठन तीव्र लामबंदी के प्रयास कर रहे हैं।

टिकैत ने आज के बंद को व्यापक समर्थन मिलने का दावा करते हुए कहा कि इससे जाहिर होता है कि आम जनता किसानों के साथ और मोदी सरकार के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि कई उत्तर भारतीय राज्यों में काले झंडे के विरोध का सामना कर रहे भाजपा नेताओं के अलावा, केंद्रीय मंत्रियों को भी स्थानीय काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक ब्यान में कि किसानों का विरोध हमारी अर्थव्यवस्था पर कॉर्पोरेट कब्जे को रोकने, राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा, भारतीय संघ को बचाने, लोकतंत्र को बचाने और भारत की एकता की रक्षा के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बन चुका है। एसकेएम ने बंद के दिन मजदूरों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, व्यवसायियों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के सभी संगठनों और सभी सामाजिक आंदोलनों से किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की विशेष रूप से अपील की।

मोर्चा ने कहा – ‘हम सभी राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों का भी आह्वान करते हैं, जिनमें से कई ने हमारे पहले के आह्वान का समर्थन किया है और आंदोलन का समर्थन करने वाले प्रस्ताव पारित किए हैं, इस भारत बंद को अपना समर्थन दें और लोकतंत्र और संघीय सिद्धान्तों की रक्षा के लिए किसानों के साथ खड़े हों। हमारी स्थापित नीति का पालन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे।’
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने 27 सितंबर को एसकेएम   के भारत बंद को समर्थन देते हुए भारत सरकार से विरोध कर रहे किसानों के साथ उनकी मांगों पर बातचीत फिर से शुरू करने और 2020 के किसान-विरोधी कानूनों को रद्द करने का भी आग्रह किया है।

पंजाब में 15 मंत्रियों ने शपथ ली, इनमें सात नए, दो महिलाएं भी  

पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में बनी सरकार का रविवार शाम विस्तार किया गया जिसमें 15 मंत्रियों ने राजभवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से शपथ ग्रहण की। इसमें दो महिलाओं को भी जगह दी गयी है। कैप्टन मंत्रिमंडल के मंत्रियों बलबीर सिद्धू, राणा गुरमीत सोढी, गुरप्रीत सिंह कांगड़, साधु सिंह धर्मसोत और सुंदर शाम अरोड़ा को बाहर कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सहित पंजाब में अब मंत्रियों की संख्या 18 हो गयी है।

सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने मुख्यमंत्री चन्नी के साथ पहले ही शपथ ले ली थी। अब सरकार में चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री, सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी (दोनों उपमुख्यमंत्री) के अलावा ब्रह्म मोहिंदरा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, मनप्रीत सिंह बादल, विजय इंदर सिंगला, अरुणा चौधरी, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, रजिया सुल्ताना, भारत भूषण आशु पहले भी मंत्री रहे हैं।

मंत्रिमंडल में नए चेहरों में डॉ. राजकुमार वेरका जो अनुसूचित जाति के कद्दावर नेता हैं, संगत सिंह गिलजियां, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जो राहुल गांधी के करीबी और युवा कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, परगट सिंह जो हॉकी टीम के पूर्व कप्तान हैं,  काका रणदीप, गुरकीरत सिंह कोटली जो पूर्व सीएम बेअंत सिंह के परिवार से हैं और राणा गुरजीत सिंह जिनका छह विधायकों ने विरोध किया को मंत्री बनाया गया है।

मंत्रिमंडल के 15 सदस्यों में सात नए मंत्री हैं। मंत्रिमंडल पर नज़र डालने से यह साफ हो जाता है कि केंद्रीय नेतृत्व ने संतुलन बनाने की सफल कोशिश की है। मंत्रिमंडल में कैप्टन अमरिंदर के विरोधियों को भी शामिल किया गया है तो उन लोगों को भी जगह दी गई है जो उनके नजदीक थे। संतुलन कायम रखने के लिहाज से ही दलितों को सरकार में शामिल किया गया है तो जाटों और ओबीसी को भी। एक मुसलमान को भी मंत्री बनाया गया है। सरकार में दो महिला मंत्री हैं।

योगी मंत्रिमंडल में जितिन प्रसाद सहित सात नए मंत्री, चार लोगों का विधान परिषद के लिए चयन

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का रविवार को दूसरी बार विस्तार किया गया। आज 7 नए मंत्रियों ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से राजभवन में हुए समारोह में शपथ ली। कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में आए जितिन प्रसाद ने सबसे पहले शपथ ली जिन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। अन्य 6 राज्यमंत्री होंगे, जिनमें 3 ओबीसी, दो दलित, एक अनुसूचित जनजाति से हैं। इस बीच भाजपा ने जितिन प्रसाद, संजय निषाद, गोपाल अंजान और वीरेंद्र गुर्जर को विधान परिषद् के लिए पार्टी उम्मीदवार बनाया है, जिनका चुना जाना निश्चित है।

जिन मंत्रियों ने शपथ ली उनमें जितिन प्रसाद पूर्व कांग्रेस नेता हैं। वह केबिनेट मंत्री बने हैं और ब्राह्मण हैं। तीन महीने पहले ही कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में आए हैं। पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव वे हार गए थे। कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में वे दो बार राज्यमंत्री बनाए गए थे। उनके आलावा छत्रपाल गंगवार कुर्मी है और ये बरेली के बहेड़ी से विधायक हैं। पलटू राम दलित हैं और  बलरामपुर से पहली बार जीते हैं।

संगीता बिंद ओबीसी हैं और पहली बार विधानसभा पहुँची हैं। गाजीपुर सदर सीट से वे जीती थीं। संजीव कुमार अनुसूचित जाति से हैं और सोनभद्र के ओबरा सीट से विधायक हैं। अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं।

उनके अलावा शपथ लेने वालों में दिनेश खटीक भी शामिल हैं जो सोनकर दलित हैं और मेरठ के हस्तिनापुर सीट से विधायक हैं। धर्मवीर प्रजापति ओबीसी हैं और हाथरस क्षेत्र से हैं, हालांकि वे विधान परिषद के सदस्य हैं। माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।

शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री योगी भी उपस्थित थे। जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है उन्हें काम करने का ज्यादा अवसर इसलिए नहीं मिल पायेगा क्योंकि कुछ महीने में ही उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं। लिहाजा इस विस्तार को पूरी तरह चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

इस बीच भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार से पहले 4 एमएलसी के नाम भी तय किये।  इनमें जितिन प्रसाद, संजय निषाद, गोपाल अंजान और वीरेंद्र गुर्जर के नाम शामिल हैं। जितिन प्रसाद को आज मंत्री बनाया गया है।