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तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की ‘मौत’ और बरादर हैं बंदी, ब्रिटेन की पत्रिका का दावा

अफगानिस्तान से आ रही ख़बरें बहुत चिंता पैदा करने वाली हैं। ब्रिटेन की एक पत्रिका में दावा किया गया है कि तालिबान और उसके सहयोगी समूहों में ही सत्ता में ज्यादा ताकत हासिल करने के लिए खूनी संघर्ष छिड़ गया है। रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए तो इस जंग में तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत हो गई है। हाल में उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर को लेकर भी मीडिया में आई ख़बरें बताती हैं कि वे घायल हैं और उन्हें बंधक बनाया हुआ है। हालांकि, आधिकारिक रूप से इनकी पुष्टि नहीं हुई है।

पाकिस्तान समर्थक हक्कानी धड़ा सत्ता में ज्यादा ताकत हासिल करना चाहता है। उसके तालिबान के नेताओं के साथ जबरदस्त मतभेद और जंग शुरू हो चुकी है। यह भी बता दें कि इस गुट का नेता खलील हक्कानी संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची में शामिल है। फिलहाल वह अफ़ग़ानिस्तान में हाल में बनी तालिबान की सरकार में  शरणार्थियों से जुड़े महकमे का वजीर बनाया गया है।

पत्रिका की रिपोर्ट से जाहिर होता है कि हक्कानी गुट बरादर से बहुत खफा है कि क्योंकि वह तालिबान सरकार में गैर-तालिबानी नेताओं और अल्पलसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने की वकालत कर रहे हैं। उनकी इस कोशिश का मकसद दुनिया में तालिबान का उदार चेहरा दिखाना है। बरादर चाहते हैं कि कुछ देश तो तालिबान सरकार को मान्यता दें।

ब्रिटेन की एक पत्रिका के दावे के मुताबिक सत्ता में ताकत की इस जंग में तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत हो चुकी है। यही नहीं उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर बंधक बनाकर रखे गए हैं। कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में तो यह भी दावा किया गया था कि बरादर अफगानिस्तान छोड़कर कहीं और चले गए हैं और वे घायल हैं। हाल में उनका एक वीडियो सामने आया था जिसमें वे संगीनों के साए में एक ब्यान पढ़ते हुए दिखाई दिए थे।

पत्रिका की अफगानिस्तान को लेकर छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सितंबर में तालिबान के धड़ों की एक बैठक के दौरान तो हक्कानी गुट के नेता खली-उर-रहमान हक्कानी ने बरादर पर हमला करके उसे अपने घूंसों से घायल कर दिया था। फिलहाल बरादर कहाँ है इसे लेकर अलग-अलग रिपोर्ट्स हैं। यह भी दावा किया गया है कि उसने कंधार में आदिवासी कबीलों के नेताओं से गुपचुप मुलाकात की है ताकि उनका समर्थन हासिल किया जा सके।

ब्रिटेन की पत्रिका में अखुंदजादा को लेकर कहा गया है कि वह काफी समय से नहीं दिखा है। न ही उसकी तरफ से कोई वीडियो संदेश जारी किया गया है। लिहाजा उसकी मौत हो जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

दिलीप घोष की छुट्टी, सांसद सुकांता मजूमदार बंगाल भाजपा अध्यक्ष बने

बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी से मिली करारी हार के बाद जिस तरह पार्टी के विधायक और सांसद धड़ाधड़ भाजपा को छोड़ रहे हैं उससे पार पाने का भाजपा को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। हालांकि, उसने इस भगदड़ के बीच संगठन में उलटफेर करते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से दिलीप घोष की छुट्टी कर दी है। उनकी जगह बलूरघाट से सांसद सुकांता मजूमदार को प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।

चार दिन पहले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने भाजपा को अंगूठा दिखाते हुए  टीएमसी का दामन थाम लिया था और पार्टी में शामिल होते ही भाजपा पर हमला करते हुए ममता बनर्जी की जमकर तारीफ़ कर दी थी। बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद से भाजपा में भगदड़ मची हुई है और नेता टीएमसी में ही भविष्य देखते हुए उसमें जाने को लालायित दिख रहे हैं।

मुकुल रॉय और बाबुल सुप्रियो समेत कई बड़े नेताओं के टीएमसी में जाने से भाजपा के सामने आने वाले समय में अपनी ज़मीन बचाए रखने का संकट पैदा होने जैसी स्थिति बन गयी है। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद नाराजगी दूर करने के लिए दिलीप घोष को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर दिल्ली भेज दिया है। अब जबकि पार्टी को तीन सीटों भवानीपुर, समसेरगंज और जंगीपुर में उपचुनाव की सत्तारूढ़ टीएमसी से बड़ी चुनौती है, बड़े नेताओं के  पार्टी छोड़कर जाने से भाजपा नेतृत्व परेशान है। इन उपचुनावों में सीएम ममता बनर्जी भी मैदान में हैं और भाजपा की उन्हें हारने की हसरत किसी भी सूरत में पूरी होती नहीं दिख रही।

चार महीने पहले भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीती थीं लेकिन अब यह संख्या घटकर 71 रह गई है। सांसद भी कम होकर 17 रह गए हैं। बड़े नेताओं की बात करें तो बाबुल सुप्रियो से पहले मुकुल रॉय, तनमय घोष, बिस्वजीत दास और सौमन रॉय पार्टी को झटका देकर टीएमसी में जा चुके हैं।

नए अध्यक्ष सुकांता मजूमदार 2019 के लोकसभा चुनाव में बलूरघाट से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे इस समय सिक्किम में पार्टी प्रभारी और उत्तर बंगा क्षेत्र के सह-संयोजक हैं, हालांकि, अब यह पद वे छोड़ देंगे। तमाम चुनौतियों के बीच मजूमदार की राह उतनी आसान नहीं है। खासकर, पार्टी नेताओं को टीएमसी में जाने से रोकने की चुनौती को देखते हुए।

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालात में मौत, पुलिस को आत्महत्या का शक

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालात में मौत हो गयी है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में उनकी मौत की पीछे आत्महत्या की आशंका जताई है।  उनका शव संदिग्ध हालात में प्रयागराज के बाघंबरी मठ में अब से कुछ देर पहले मिला है। फारेंसिक की टीम मौके पर पहुँची है और साक्ष्यों की जांच कर रही है। बताया गया है कि एक सुसाइड नॉट मिला है जिसमें कथित तौर पर शिष्य आनद गिरी का नाम का जिक्र है।

जानकारी के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरी का शव सोमवार शाम प्रयागराज के बाघंबरी मठ में संदिग्ध हालात में मिला है। वे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे, जिसके तहत 13 अखाड़े आते हैं। पुलिस ने अभी तक की जांच के आधार पर इसे आत्महत्या बताया है। उधर फारेंसिक की टीम मौके पर पहुँची है और साक्ष्यों की जांच कर रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस मामले की जांच करवाई जाएगी। मठ के संतों ने महंत नरेंद्र गिरी की मौत को हत्या बताते हुए इसकी जांच की मांग की है। हालांकि, फिलहाल पुलिस ने अभी तक की जांच में इस मौत में आत्महत्या होने की शंका जताई है।

बताया गया है कि एक सुसाइड नॉट मिला है जिसमें कथित तौर पर शिष्य आनद गिरी का नाम का जिक्र है। अभी तक पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है।

रूस की पर्म स्टेट यूनिवर्सिटी में भयंकर गोलीबारी, 8 की मौत  

रूस में एक यूनिवर्सिटी में सोमवार को एक व्यक्ति (कुछ रिपोर्ट्स में छात्र) की तरफ से की गयी अंधाधुंध फायरिंग में 8 लोगों की जान चली गयी जबकि 14 लोग घायल हो गए। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई गयी है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावर को मार गिराया गया है, हालांकि कुछ में कहा गया है कि उसे पकड़ लिया  गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना रूस में पर्म स्टेट यूनिवर्सिटी की है। वहां एक व्यक्ति  ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी इतनी भयंकर थी कि कई लोगों को जान बचाने के लिए ईमारत से कूदते हुए देखा गया। बताया गया है कि गोली से बचने के लिए कई छात्रों और शिक्षकों ने कमरे को बंद करके जान बचाई।

पर्म स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रेस सर्विस के अनुसार, हमलावर ने एक गैर-घातक बंदूक का इस्तेमाल किया। घटना होते ही विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने खुद को कमरों में बंद कर लिया और विश्वविद्यालय ने उन लोगों से परिसर छोड़ने का आग्रह किया जो ऐसा करने की स्थिति में थे। पहले रूस के गृह मंत्रालय ने बताया था कि बंदूकधारी काबू पा ल‍िया गया है जबकि कुछ रिपोर्ट्स में उसके मारे जाने की बात कही गयी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना के बाद जांच समिति ने हत्या के आरोप के साथ जांच शुरू कर दी है। सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने स्रोत के हवाले से कहा कि कुछ छात्र एक इमारत की खिड़कियों से बाहर कूद गए। घायलों को गोलीबारी और इमारत से भागने की कोशिश में चोटें आई हैं।

सीएम बनते ही चन्नी का किसानों के बकाया बिल माफ़ करने का ऐलान ; बोले, यह पंजाबी जनता की सरकार

पंजाब में नया मुख्यमंत्री बनाते ही कांग्रेस चुनाव मोड में आ गयी है। नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में किसानों के बकाया बिल माफ़ करने का ऐलान किया। किसानों पर फोकस रखते हुए चन्नी ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की भी तारीफ़ की और कहा कि कांग्रेस नेत्तृव ने आज गरीब पृष्ठभूमि के ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री के पद पर बिठाया है जिसके सर पर कभी छत भी नहीं होती थी।

चन्नी ने आज सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय जाकर अपना पदभार संभाला। बाद में चन्नी ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी उपस्थित थे। उन्होंने पंजाब में किसानों के सभी बकाया बिल माफ करने का एलान करते हुए कहा – ‘अगर किसानों और खेती करने वालों को किसी तरह की आंच भी आई तो मैं अपनी गर्दन कलम करवाने के लिए तैयार हूँगा।’

कांग्रेस सरकार के नए मुखिया ने कहा – ‘अगर किसानी टूटती है तो पंजाब टूट जाएगा। किसानी है तभी देश है। पंजाब सरकार हर तरीके से किसानों के साथ खड़ी है। हम किसानों के लिए सब कुछ देने को तैयार हैं। बिना किसी लालच के साथ हम किसानों के साथ खड़े हुए हैं। किसानी डूबी तो हिंदुस्तान डूबेगा।’ चन्नी ने मांग की कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं।

उन्होंने साफ किया कि पंजाब में अगर कोई माफिया है तो उसका फैसला जल्दी हो जाएगा। उन्होंने कहा – ‘किसी भी गरीब का कनेक्शन इस लिए नहीं कटेगा कि वो बिल नहीं भरता है। अगर कटा है तो उसके सारे बिल माफ करके उसका कनेक्शन बहाल किया जाएगा। ये पंजाब के लोगों की सरकार है, आम आदमी की सरकार है। मुझे पंजाब के लोगों के लिए बहुत सारे फैसले करने हैं।’

मुख्यमंत्री ने खुद को आम आदमी बताया और कहा – ‘मैं पंजाब आलाकमान का भी शुक्रगुजार हूँ। हमारी आलाकमान सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत पूरी पार्टी का धन्यवाद।’ चन्नी ने कहा कि वे कट्टर कांग्रेसी परिवार से हैं। खुद को मुख्यमंत्री बनाए जाने को चन्नी ने चमकौर साहिब की धरती की कृपा बताया। उन्होंने कहा – ‘मैं गरीबों को नुमाइंदा हूं। अब पंजाब के लोगों को आगे लेकर जाना है। कांग्रेस को मजबूत करना है।’

चन्नी ने इस मौके पर कहा कि जिसके घर में छत नहीं थी, आज वो सीएम बना है। उन्होंने कहा – ‘कांग्रेस ने एक गरीब को इतना बड़ा पद दिया है। राहुल गांधी गरीब लोगों के साथ खड़े हैं। मैं पंजाब के हर आम आदमी की तरफ से राहुल गांधी जी का और कांग्रेस का धन्यवाद करता हूं।’

इस मौके पर चन्नी ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की भी तारीफ़ की। चन्नी ने कहा – ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह बहुत अच्छे इंसान है। उन्हें पानी का रखवाला भी कहते हैं। जो मुद्दे रह गए हैं, उनका समाधान निकाला जाएगा और उन्हें पूरा किया जाएगा। किसी के साथ कुछ गलत नहीं होगा। सब कुछ संविधान के मुताबिक होगा।’

चन्नी ने हड़ताल पर गए सरकारी कर्मचारियों से काम पर लौटने की अपील की और कहा कि कर्मचारियों के सभी मसले हल होंगे। कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाएगा।

चन्नी ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, रंधावा और सोनी को कांग्रेस ने उप मुख्यमंत्री बनाया  

चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने सोमवार को पंजाब राजभवन में अपने पद की शपथ ली। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पद और गोपनीयता के शपथ दिलाई। उनके साथ वरिष्ठ विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने केबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। दोनों को उप मुख्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने चन्नी को मुख्यमंत्री पद का जिम्मा सँभालने पर बधाई दी है।

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी उपस्थित रहे। आज सुबह प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने एक ट्वीट करके कहा था कि पार्टी आने वाला विधानसभा चुनाव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ेगी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह शपथ ग्रहण में नहीं आये। हालांकि, ख़बरें हैं कि उन्होंने चन्नी को दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी है।

चन्नी का कांग्रेस ने दलित चेहरे के रूप में विधानसभा चुनाव के नजरिये से मुख्यमंत्री पद पर चयन किया है। रविवार को काफी ऊहापोह के बाद कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से चन्नी को विधायक दल का नेता घोषित किया था। जट्ट सिख नवजोत सिंह सिद्धू पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं। अब हिन्दू सोनी को उप मुख्यमंत्री का दर्जा देकर संतुलन साधने की कोशिश की गयी है।

सरकार में रंधावा मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर के मंत्री होंगे। रंधावा के परिवार का  का कांग्रेस से दशकों का रिश्ता रहा है। वे किसान परिवार से हैं और किसान आंदोलन में सरकार की तरफ से किसान नेताओं से बातचीत का जिम्मा सँभालते रहे हैं। उनके पिता संतोख सिंह रंधावा दो बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। रंधावा को ‘माझा का सरदार’ कहा जाता है। यह चर्चा है कि उन्हें बहुत महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है जिसमें गृह मंत्रालय भी शामिल है।

शपथग्रहण से पहले चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर के कतलगढ़ साहिब गुरुद्वारा पहुंचे और परिवार सहित गुरद्वारे में मत्था टेका। कांग्रेस ने चन्नी के रूप में बड़ा फैसला किया है। एक दलित को मुख्य्मंत्री बनाकर कांग्रेस ने भाजपा और अकाली दल-बसपा को झटका देने की कोशिश की है, जिन्होंने हाल में चुनाव के बाद किसी दलित को उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की थी।

शपथ ग्रहण में शामिल होकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सन्देश देने की कोशिश की   है कि चन्नी का चुनाव हाईकमांड का फैसला है और उन्हें पूरा सहयोग दिया जाना चाहिए। राहुल शपथ ग्रहण में कुछ देरी से पहुंचे और आते ही चन्नी से हाथ मिलाकर, उन्हे मुख्य मंत्री बनने की बधाई दी।

चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगे, कांग्रेस विधायक दल का फैसला

यह घड़ी की उस सुई जैसा था जिसे जुए में इस्तेमाल किया जाता है। जिस नंबर पर रुकी, उसी को इनाम। दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी के बारे में यही कहा जा सकता है। अंबिका सोनी, सुनील जाखड़ और नवजोत सिद्धू के नामों के आगे से निकलते हुए सुई चन्नी के नाम के आगे जा रुकी। साल 2015 में विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे चन्नी अब पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगे, भले कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव तक। उधर पंजाब के विधायकों के फैसले के बाद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले हैं। राहुल पंजाब में विधायकों से बातचीत की लगातार अपडेट ले रहे थे।

चन्नी भी अमरिंदर सिंह विरोधी माने जाते हैं। चन्नी ने जल्द ही राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए समय माँगा है। चन्नी के मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव की खुशी में लड्डू बंटने की तस्वीरें शायद अमरिंदर को अब और निराश करेंगी !

दो अप्रैल, 1973 में जन्मे चन्नी वरिष्ठ नेता हैं और कांग्रेस के विधायकों ने आज शाम  उनका नाम सर्वसम्मति से तय कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अंतिम फैसले के लिए भेजा था। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत और महासचिव अजय माकन ने एक-एक विधायक से बात की और जिस नाम पर सर्वसम्मति बनी वे चन्नी थे। रावत ने ट्ववीट करके इसकी जानकारी दी है।

दो उप मुख्यमंत्री भी पंजाब में होंगे। इसके लिए नाम की घोषणा अभी नहीं की गयी है। चन्नी किसान आंदोलन के दौरान किसानों के संगठनों से सरकार की तरफ से बातचीत करते रहे हैं। खुद भी किसान हैं और खेती की खासी समझ रखते हैं। कांग्रेस आलाकमान के वफादार चन्नी के ऊपर चुनाव तक के इन कुछ महीनों में पार्टी के बीच चली जंग से बिगड़ी छवि को संवारने और चुनाव के बचे वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती है। सीमा की बेल्ट से निकलकर इस पद तक पहुंचे चन्नी को अच्छा प्रशासक माना जाता है।

चन्नी ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना नाम सामने आने के बाद कहा – ‘ पंजाब की खुशहाली, शान्ति और तरक्की के लिए काम करना है। पार्टी एकजुट है। चार महीने तो बहुत होते हैं, काम करने वाला हो तो चार दिन भी बहुत होते हैं। हम (कांग्रेस) मजबूत है।’ एक दलित सिख को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक चला है और इस से भाजपा सहित अकाली दल के लिए भी। ‘आप’ भी इस मामले में कांग्रेस से मार खा बैठी है।

कल रात से मुख्यमंत्री पद के लिए वरिष्ठ नेता अम्बिका सोनी का नाम लगभग तय कर लिया गया था लेकिन खुद सोनी ने राहुल गांधी के साथ बैठक में नम्रता से पद की दौड़ से खुद को अलग करते हुए किसी सिख को मुख्यमंत्री बनाने पर जोर दिया। सिद्धू का नाम तो दौड़ में था लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों का मानना था कि सिद्धू को चुनाव के बाद ही जिम्मेदारी देना बेहतर होगा, क्योंकि यदि अगला चुनाव नतीजा पक्ष में न रहा तो सिद्धू के करियर को धक्का लग सकता है।

चन्नी भले सिद्धू के कट्टर समर्थक न हों, लेकिन उन्हें भी बादल परिवार का विरोधी माना जाता है। चन्नी बेअदबी मामले में भी बहुत मुखर रहे हैं। ऐसे में चन्नी का मुख्यमंत्री बनना बादलों के लिए भी अच्छा नहीं कहा जा सकता, हालांकि, उनका मुख्य विरोध अमरिंदर सिंह तरह सिद्धू के प्रति था। चन्नी सीएम हो जाएंगे, यह शायद बादलों को भी आभास नहीं रहा होगा।

पिछले करीब 35 घंटे के पंजाब कांग्रेस के इस घटनाक्रम में यदि किसी नेता ने सबसे ज्यादा खोया है, वह पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह हैं। इतने वरिष्ठ और अनुभवी नेता कैप्टेन ने नवजोत सिंह सिद्धू को ‘देश का दुश्मन’ तक कह दिया, और हवाला दिया इमरान खान के पीएम पद ग्रहण का जिसमें सिद्धू अपने पुराने क्रिकेटर साथी इमरान खान और पाक सेना के प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने का। भाजपा के अलावा देश भर में शायद ही कोई और अमरिंदर के इस बेतुके आरोप का समर्थन करेगा। आम लोगों ने भी अमरिंदर के इस ब्यान को ‘मुख्यमंत्री का पद छिनने की निराशा’ माना है। खुद अमरिंदर पर पाकिस्तान की पत्रकार अरुषा से रिश्तों को लेकर ढेरों आरोप लगते रहे हैं। एक दलित सिख को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक चला है और इस से भाजपा सहित अकाली दल के लिए भी। ‘आप’ भी इस मामले में कांग्रेस से मार खा बैठी है।

इसके अलावा आलाकमान ने जिन चन्नी को अब मुख्यमंत्री बनाया है, वे अब सिद्धू के समर्थक हुए हैं। शनिवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पार्टी के 80 में से 78 विधायक उपस्थित थे। कैप्टेन के लिए बहुत मुश्किल होगा कि वे इनमें से कुछ विधायकों को साथ जोड़े रखें। एक बार सरकार बनने के बाद अमरिंदर पंजाब की राजनीति में अकेले पड़ सकते हैं। वैसे भी पंजाब में अभी भी कांग्रेस के लिए चुनाव के बाद दोबारा सत्ता में लौटने की अन्य दलों के मुकाबले सबसे संभावनाएं हैं, यह बात विधायक भी अच्छी तरह समझते हैं।

अमरिंदर सिंह ने पिछले 26 घंटे में जो ब्यान दिए हैं, उससे उन्होंने सोनिया गांधी जैसी अपनी मजबूत समर्थक की सहानुभूति भी खोने का रिस्क ले लिया है। जब उनपर भाजपा में जाने की बातें मीडिया में आ रही थीं, उन्होंने एक बार भी इनका खंडन नहीं किया। उलटे जलियांवाला बाग़ के नवीकरण पर जब राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ बोला तो कैप्टेन ने एक तरह से पीएम मोदी का पक्ष लिया जो इसका उद्घाटन करने आये थे, जबकि पंजाब में जलियांवाला बाग़ के नवीकरण के खिलाफ माहौल था।

अमरिंदर के साथ यदि विधायक नहीं रहते हैं तो उन्हें कांग्रेस से बाहर जाना भी मुश्किल होगा। बिना विधायकों के भाजपा या कोई और पार्टी 80 साल की उम्र में उन्हें क्यों साथ लेगी। क्या सिर्फ नेतृत्व देने के लिए ?

कैप्टेन अमरिंदर के हटने से यह बात साबित हो गयी है कांग्रेस आलाकमान अब मजबूत फैसले लेने लगी है। पंजाब से निपटने के बाद वह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी की जंग को लेकर फैसले कर सकती है।

अमरिंदर ने इस्तीफा दिया, कहा समर्थकों के साथ बात के बाद अगले कदम का फैसला करेंगे

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह कांग्रेस विधायक दल की 5 बजे बुलाई गयी बैठक से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके साथ पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद अमरिंदर ने जो कहा है उससे लगता है वे नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि वे समर्थकों के साथ अगले कदम का फैसला करेंगे। ‘तहलका’  की जानकारी के मुताबिक उनके साथ 4 मंत्री और 7 विधायक ही हैं।

यह पूछने पर कि कांग्रेस अगला मुख्यमंत्री किसे बनाएगी, उन्होंने कहा – ‘औ जिस मर्जी नूं बणाण (वो मर्जी को बनाएं)।’ पत्रकारों से बातचीत में उनके चेहरे से गुस्सा साफ़ झलक रहा था। हालांकि, इतने कम विधायकों के साथ अमरिंदर क्या कर पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। अमरिंदर ने कहा कि वे 4.30 बजे तक कांग्रेस के सीएम थे और अब कांग्रेस में सदस्य हैं। भविष्य का फैसला समर्थकों से बातचीत के बाद करेंगे।

कैप्टेन सिसवां स्थित अपने फ़ार्म हाउस में कुछ मंत्रियों और विधायकों के साथ हैं और संभावना है कि वे कुछ देर बाद वहां से निकलकर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मिलकर अपना इस्तीफा दे सकते हैं। कांग्रेस विधायक दल एक बैठक कर अपना नया नेता चुन सकता है या एक लाइन का प्रस्ताव पास करके इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ सकता है। वैसे मुख्यमंत्री के रूप में जो नाम चर्चा में चल रहे उनमें सुनील झाखड़, अम्बिका सोनी, नवजोत सिंह सिद्धू आदि के नाम चर्चा में हैं।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक कैप्टेन आलाकमान के फैसले के बाद बहुत मजबूत नहीं रह गए हैं क्योंकि बहुमत में कांग्रेस के विधायक उनको बदलने के पक्ष में हैं। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अमरिंदर सिंह को कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा ओहदा दे सकती है। मीडिया में कैप्टेन के ‘विद्रोह’ की ख़बरें ज़रूर आई हैं, लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा। कैप्टेन को हमेशा से सोनिया गांधी का करीबी माना जाता रहा है।

पंजाब में विधानसभा की कुल 117 सीटें हैं, जिसमें पिछले विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने 77 जीती थीं जबकि उसके बाद कुछ विधायक और उससे जुड़ गए थे। कहा जाता है कि आलाकमान ने कैप्टन को कहा है कि वह  पद छोड़ दें। अमरिंदर के इस्तीफे के बाद पंजाब का नया सीएम बनाए जाने को लेकर तीन नामों पर चर्चा तेज हो गई है और इनमें सुनील जाखड़ का नाम सबसे मजबूत बताया जा रहा है।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को सूबे के नए सीएम के तौर पर सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जाखड़ ने शनिवार दोपहर बाद एक ट्वीट में कहा – ‘वाह राहुल गांधी, आपने बेहद उलझी हुई गुत्थी के पंजाबी संस्करण के समाधान का रास्ता निकाला है। आश्चर्यजनक ढंग से नेतृत्व के इस साहसिक फैसले ने न सिर्फ पंजाब कांग्रेस के झंझट को खत्म किया है, बल्कि इसने कार्यकर्ताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया है और अकालियों की बुनियाद हिला दी है।’

सिद्धू के करीबी विधायक और महासचिव परगट सिंह ने कहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटने के लिए कहा गया है। सीएलपी की बैठक बुलाई गई है। बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा होगी।

अमरिंदर सिंह के हटने से सिद्धू खेमा खुश होगा और कांग्रेस सिद्धू की एहमियत को समझती है। अकाली दल के सख्त विरोधी सिद्धू कांग्रेस के लिए पंजाब में बहुत उपयोगी हैं। सिद्धू पंजाब का सीएम बनना चाहते हैं और अगले चुनाव में उनके लिए यह अवसर होगा भले अभी किसी और को सीएम बना दिया जाए।

अमेरिका ने माना कि काबुल ड्रोन हमले में सभी आम नागरिक मरे थे

अमेरिका ने स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में उसकी तरफ से अगस्त में किए गए ड्रोन हमले में 10 लोग मारे गए थे और वे सभी आम नागरिक थे। पेंटागन के इस ब्यान से साफ़ हो गया है कि इस ड्रोन हमले में कोई इस्लामिक स्टेट चरमपंथी नहीं मारा गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने स्वीकार किया है कि मरने वाले सभी लोग आम नागरिक थे। उन्होंने जान गंवाने वालों के प्रति अफ़सोस का भी इजहार किया।

उधर एपी की इसी तरह की एक रिपोर्ट में एक अनाम अफगानी अधिकारी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया था कि हमले में तीन बच्चों की मौत हुई है। सीएनएन की रिपोर्ट के बाद अमेरिका ने कहा है कि वह जांच कर रहा है कि हमले में नागरिकों की मौत हुई या नहीं और अगर ऐसा हुआ तो ये बेहद दुखद होगा।

याद रहे यह हमला अमेरिका के काबुल से जाने से दो दिन पहले 29 अगस्त को हुआ था। उस समय पेंटागन अधिकारियों ने दावा किया था कि यह सटीक हमला था और इसमें वे चरमपंथी मारे गए थे जो उसके निशाने पर थे। तब अमेरिका ने दावा करते हुए कहा था कि उसने आईएसआईएस के आत्मघाती कार बॉम्बर पर हमला किया  जो काबुल एयरपोर्ट पर हमले की तैयारी में था।

अब पेंटागन ने अपने ब्यान को बदलते हुए कहा है कि इस 10 लोगों की मौत हुई थी और यह सभी आम नागरिक थे। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल में आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट खुरासान के आत्‍मघाती बम हमलावर के नाम पर किए गए अमेरिकी ड्रोन हमले में 6 बच्‍चों समेत 10 आम नागरिकों की मौत हो गई थी। रिपोर्ट्स में कहा गया था कि ये सभी 10 लोग एक ही परिवार के सदस्‍य थे।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर की ‘अग्निपरीक्षा’, चंडीगढ़ में विधायक दल की आज बैठक बुलाई रावत ने

एक दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से मिलने के बाद पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी महासचिव हरीश रावत आज चंडीगढ़ जा रहे हैं। वहां आज कांग्रेस विधायकों की बुलाई गयी है। पंजाब कांग्रेस में चल रही लड़ाई के बीच रावत के इस दौरे को महत्वपूर्व माना जा रहा है। सबकी नजर इस बैठक पर है कि क्या भाजपा की तरह कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब सहित कुछ राज्यों में अपने मुख्यमंत्री बदलने की कवायद शुरू कर सकती है ?

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी ने रावत से कहा है कि वे जल्दी से जल्दी पंजाब कांग्रेस की जंग पर लगाम लगाएं और कोई फैसला करें। इस संबंध में रावत की दोनों नेताओं से बातचीत भी हुई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के परगट सिंह सहित अन्य समर्थक विधायक तुरंत विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं। लिहाजा आज चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक बुलाये जाने को महत्वपूर्ण कहा जा सकता है।

सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के बीच चल रही लड़ाई भले पिछले कुछ दिनों में हल्की पड़ी हैं, लेकिन तल्खियां दोनों तरफ बनी हुई हैं। यह माना जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस में सीएम अमरिंदर सिंह की मुश्किलें बढ़ रही हैं। उनके भाजपा में जाने की अफवाहों ने भी उनके लिए दिक्क्तें पैदा की हैं।

अब आज शाम 5 बजे पंजाब कांग्रेस के विधायकों की बैठक चंडीगढ़ में होने जा रही है जिसके बाद यह चर्चा है कि आलाकमान अमरिंदर सिंह को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकती है। हाल में भाजपा ने जिस तरह अपने मुख्यमंत्री बदले हैं उससे कांग्रेस नेतृत्व को भी बल मिला है कि विधानसभा चुनाव से पहले वह भी मुख्यमंत्री बदलकर जनता के बीच नए चेहरों के साथ जाए।

विधायक दल की बैठक को लेकर अपने दो ट्वीट में रावत ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक आज शाम 5 बजे पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय, चंडीगढ़ में बुलाई गई है। रावत ने जो महत्वपूर्ण बात ट्वीट में लिखी है कि वह यह है कि ‘ऐसा बड़ी संख्या में विधायकों के अनुरोध पर किया जा रहा है’। बता दें कि इस तरह का अनुरोध वास्तव में सिद्धू समर्थक विधायक ज्यादा कर रहे थे। लिहाजा इस बैठक को महत्वपूर्व समझा जा सकता है।

हरीश रावत ने दूसरे ट्वीट में कहा कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमिटी दफ्तर में होने वाली  इस बैठक के लिए तैयारी करने को उन्होंने कहा है। उन्होंने पंजाब के तमाम पार्टी  विधायकों से अनुरोध किया है कि वे इस इस बैठक में हिस्सा लें। अपने इस ट्वीट में रावत ने राहुल गांधी, कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को टैग भी किया है। अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा के चुनाव और प्रदेश कांग्रेस की लड़ाई के बीच इस बैठक को अहम माना जा रहा है।

रावत, जिन्हें कांग्रेस ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की कमान दे रखी है, पंजाब से जल्दी ‘फ्री’ होना चाहते हैं, ताकि अपने राज्य पर फोकस कर सकें। अभी तक बहुत कोशिशों के बाद भी पंजाब में कांग्रेस के दो बड़ों के बीच तनाव कम नहीं हुआ है। हाल में सिद्धू समर्थकों ने कैप्ट