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पुलों के नीचे जलाये जाते हैं टायर, जो फैलाते हैं प्रदूषण

सरकार के तामाम प्रयासों के बावजूद आज भी लोग वायु प्रदूषण को रोकने के लिये सरकार का सहयोग नहीं कर रहे है।  जिसके चलते दिल्ली में वायु की गुणवत्ता निरंतर खराब हो रही है। दिल्ली के बड़े-बड़े पुलों के नीचे आज भी कुछ लोग सर्दी से बचने के लिये टायर और कचड़े को जलाने में लगे है। जिससे शहर का वातावरण पूरी तरह से दूषित हो रहा है।

बताते चले, दिल्ली में वायु प्रदूषण के कहर के चलते स्कूल बंद है और सरकारी दफ्तर भी ताकि दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम किया जा सकें। लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही के काऱण वायु प्रदूषण को कंट्रोल नहीं किया जा पा रहा है।

ऐसा नहीं कि कुछ लोग पुलों में जलाये जा रहे टायरों और कचड़ा का विरोध नहीं कर रहे है। लेकिन पुलों के नीचे बैठकर रात गुजारते है। वे विरोध करने वालों के खिलाफ हिंसा पर उतर आते है।

दिल्ली के अक्षरधाम के पास रहने वाले पंडित अरविन्द कुमार ने बताया कि, सरकार को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिये। ताकि प्रदूषण पर रोक लगे। अन्यथा प्रदूषण को काबू करने में अधिक समय लगेगा।

सबसे गंभीर बात तो यह है कि, जिन लोगों को प्रदूषण को रोकने के लिये जिम्मेदारी दी गयी है। वे ही सब कार्रवाई करने से बचते है तो वायु प्रदूषण का कहर कैसे थमेगा?

इस बारे में किसान रोशन पाल का कहना है कि अभी तक सरकार तो किसानों को ही दोष देती रही है। कि किसान पराली जलाते है इसलिये वायु प्रदूषण बढ़ता है। जबकि सच्चाई ये है कि सरकार उन केन्द्रो पर गौर नहीं करती है। जो पूरे शहर को दूषित कर वातावरण को गंदा करते है। जैसे शहर के बीचों-बीच बने पुलों के नीचें टायरों के जलाना और तो और कई जगह तो भरे और बड़े बाजारों में रात दिन कचड़ा जलाया जाता है। उस पर सरकार कोर्इ संज्ञान क्यों नहीं लेती।

 

उत्तर प्रदेश को लेकर दिल्ली की सियासत में हलचल तेज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर तीन महीने से कम का समय बचा है लेकिन दिल्ली में सियासी हलचल तेज हो गयी है। उत्तर प्रदेश के जातीय और धार्मिक समीकरण को सांधने का काम तेज गति से चल रहा है।

बताते चलें, उत्तर प्रदेश में अभी तक के विधानसभा के चुनाव में बसपा, समाजवादी पार्टी, भाजपा, और कांग्रेस के बीच चुनावी जंग होती रही है। लेकिन इस बार चुनावी जंग में आम आदमी पार्टी (आप) भी पूरे दमखम के साथ चुनाव में ताल ठोकने को तैयार है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश चुनाव की रूप रेखा दिल्ली में तय की जा रही है।

सबसे गंभीर बात तो यह है कि, सभी दल एक दूसरे पर आरोप लगाते है कि वे धर्म और जाति की राजनीति करते है। जबकि सच्चाई तो ये है कि कोई भी दल नहीं है जो धर्म और जाति से हटकर के राजनीति करता हो।

समाजवादी और बसपा को छोड़कर भाजपा, कांग्रेस और आप पार्टी का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। इस लिहाज से दिल्ली में उत्तर प्रदेश से विधायक का टिकट पाने वालो का तांता लगा रहता है। दिल्ली की सियासत में उत्तर प्रदेश की सियासत का अहम रोल है। जानकारों का कहना है कि, जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जायेगी तैसे–तैसे दिल्ली की सियासी हलचल तेज होती जायेगी।

मौजूदा समय में किसानों को लेकर मची हलचल को लेकर राजनीतिक समीकरण बने-बिगड़े है। किसानों का रूख को भाप कर राजनीति करने वाले नेता असमजंस में है। कि कही कृषि कानून बिल जो वापस हुआ है। उससे कहीं दांव उल्टा न पड़ जाये। ऐसे में सभी दल के नेता अभी चुनावी हवा का रूख देख रहे है।

दिल्ली एम सी डी चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज

दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर भले ही तीन महीने का समय बचा है, पर दिल्ली की सियासत में गर्माहट महसूस की जा रही है। आज दिल्ली भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गयी, जिसमें आगामी दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर चर्चा की गयी।

कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण दिल्ली में विकास कार्य बंद सा पड़ा है। दिल्ली में कोरोनाकाल में लोगों को सही इलाज नहीं मिला है। इसके कारण लोगों को काफी परेशानी हुई है।

इन्ही तामाम मुद्दों पर बैठक पर चर्चा की गयी है। ताकि दिल्ली में भाजपा में अपने दमखम के साथ चुनाव लड़े और जीत हासिल कर सके।

वहीं दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के नेता सुरेश कुमार का कहना है कि दिल्ली में आगामी दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरेगी। क्योंकि दिल्ली में कांग्रेस के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम में भाजपा और दिल्ली में आप पार्टी की सरकार की जनविरोधी नीतियों को जनता देख चुकी है। इसलिये जनता कांग्रेस पार्टी को मौका देगी।

कांग्रेस और भाजपा को आड़े हाथो लेते हुये आप पार्टी के नेता व परिवहन मंत्री गोपाल राय का कहना है कि, दिल्ली में हमारी सरकार ने जो विकास किया है और बिजली-पानी की निशुल्क सुविधा दी है उससे जनता , खासकर गरीब लोगों को बहुत लाभ पहुंचा है। साथ ही दिल्ली में महिलाओं को बस में फ्री सुविधा देने से भी आप पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी है।

बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसीलिए जल्द खुलें स्कूल

जैसे–तैसे दिल्ली में स्कूल खुले थे। बच्चे स्कूल जाने भी लगे थे। लेकिन दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के चलते दिल्ली में स्कूलों को बंद करना पड़ा।

बताते चलें दिल्ली में गत 20 माह से  कोरोना महामारी के चलते स्कूल पूरी तरह से स्कूल बंद थे। लेकिन शिक्षा को सुचारू रूप से जारी रखने के लिये दिल्ली सरकार ने 1 नवम्बर से स्कूलों को खोलने की अनुमति दी थी स्कूल भी खुले थे लेकिन मुश्किल से 8 नवम्बर तक ही स्कूल खुल पाये थे।

दीपावली में पटाखों की वजह से और पराली के धुएं से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का कहर बढ़ा जिसके चलते वायु स्कूली बच्चो के स्वास्थ्य को देखते हुये दिल्ली सरकार ने फिर से स्कूल बंद करने की घोषणा की है। स्कूलों के बंद होने से स्कूली बच्चो की पढ़ाई पर खासा असर पढ़ रहा है।

दिल्ली अभिभावक संघ के प्रधान धीरेन्द्र सिंह ने कहा कि, जब देश में सारी संस्थायें लगातार खुर रही है। तो स्कूलों को बंद करने का क्या मतलब है। वैसे भी आँनलाईन पढ़ाई के चलते बच्चों के स्वास्थ्य पर और आंखों पर खासा असर पड़ रहा है। उन्होंने दिल्ली सरकार से अपील की है कि पहले तो बच्चो की फीस कम की जाये और स्कूल को खोलने के लिये शीघ्र ही आदेश निकाला जाये ताकि बच्चो की पढ़ाई बाधित ना हो।

दिल्ली के प्राईवेट स्कूल वालों का कहना है कि वायु प्रदूषण का असर जो घरों पर बच्चो पर पड़ रहा है। वहीं स्कूलों पर पड़ता। इस लिये सरकार को बच्चो की बाधित पड़ी पढ़ाई को सुचारू रूप से जारी रखने के लिये जल्दी ही स्कूल खोलने की अनुमति देनी चाहिये। ताकि बच्चे आँफ लाईन पढ़ाई कर सकें।

पंजाब में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी भाजपा

देश भर में आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा राष्ट्र्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। बैठक में फैसला किया गया कि भाजपा पंजाब के आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।

बैठक के बाद पार्टी की फैसलों की जानकारी देते हुये पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि इसमें पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर मंथन हुआ। इसमें एक महत्वपूर्ण फैसला यह हुआ कि चुनाव में भाजपा सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।

बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि कार्यकर्ताओं के ही कारण जनता से जुड़ी है। उन्होंने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की भी तारीफ़ की और कहा वहां पार्टी की केंद्र में सरकार और जहाँ राज्यों में भाजपा के सरकारें हैं, वहां उनके कार्यों और सफलताओं को जनता तक पहुँचाया है।

यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बैठक में कार्यकर्तायों को जीत का मंत्र दिया। बैठक में चुनावी रणनीति पर व्यापक मंथन हुआ। यादव ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश लगातार तरक्की कर रहा है और यही भाजपा की ताकत है।

एक पल तो किसानों को भरोसा ही नहीं हुआ कि कानून वापस ले लिये

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब ये ऐलान किया कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाता है, तब तक देश के किसानों, जो आंदोलन कर रहे है, को इस घोषणा पर तुरंत विश्वास ही नहीं हुआ।

प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद जब मीडिया के लोग गाजीपुर और सिंधू बार्डर पर जुटे तो आंदोलनकारी किसानों ने उनसे इस घोषणा कि सच्चार्इ जाननी चाही। पत्रकारो ने किसानों को बताया, कि ये घोषणा सही है और किसानों की मांगे प्रधानमंत्री ने मान ली है।

बताते चलें, किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने को लेकर पंजाब के कई दिग्गज नेता इस अभियान में लगे थे। कि जब तक किसान आंदोलन समाप्त नहीं होता है। तब तक पंजाब में भाजपा के पक्ष में हवा तो क्या भाजपा को लेकर माहौल बनाना मुश्किल होगा।

इसी बात को लेकर किसान समर्थक भाजपा नेता भाजपा आला कमान से लगातार दबाब बना रहे थे। वे ही आंदोलनकारी किसानों के साथ बैठ कर उनका रूख भी भापते रहे है। किसान तो आंदोलन ही कर रहा था। लेकिन अचानक चौंकाने वाली बात तो मीडिया के माध्यम से पहुंचाने के पीछे एक सोची समझी राजनीति के तहत पहुंचाई गयी, ताकि किसानों के बीच ये मैसेज जाये कि सरकार किसी दबाब में नहीं बल्कि सरकार किसानों की मांगों को माना है। और भाजपा सरकार किसान हितैषी ही है।

बताते चलें देश के किसानों का बड़ा दल जो किसानों के आंदोलन की बात कर रहा था अब वो पूरी तरह से सरकार के फैसले से खुश है।

कृषि कानून तो बहाना है चुनाव भी तो जीतना है

तीनों कृषि कानून वापस होना तो बहाना है। देश में चुनाव भी तो जीतना है। बतातें चलें, अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश और पंजाब  सहित तीन अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव है।

भाजपा की किसान आंदोलन को लेकर बड़ी किरकिरी हो रही थी। और विपक्ष की एकता में एकजुटता भी बढ़ रही थी। इसी सियासत को भाजपा आलाकमान समझ चुका था।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि भाजपा में करीब दो महीनें से मंथन चल रहा था कि अगर चुनाव में दमदार जीत चाहिये तो, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों की नराजगी को दूर करना होगा। गुरू नानक पर्व के अवसर पर पंजाब के लोगों की नाराजगी को दूर करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक तीर से कई निशानों को साधा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह-सुबह देश के नाम संबोधन में कहा कि, हमारी तपस्पा में शायद ही कोई कमी रह गयी थी। इसलिये किसान कानून को वापस लेते है। आगामी संसद सत्र में संवैधानिक प्रक्रिया के तहत कानून को वापस ले लिया जायेगा।

देश के किसानों का कहना है कि, सरकार ने देर से सही पर सही फैसला लिया है। अगर सरकार ने एक साल पहले काला कानून को वापस ले लिया होता तो 700 से अधिक किसानों की जान को बचाया जा सकता था।

गाजीपुर और सिंधू बार्डर पर बैठे किसान परमजीत सिंह का कहना है कि सरकार ने माना तो किसान जायज कानून को लेकर आंदोलन कर रहे थे। वहीं गाजीपुर पर बैठे किसान भूपेन्द्र सिंह धौना का कहना है कि अब किसानों की मांगों को पूरा मान लिया जाये ताकि किसान निर्भीकता के साथ आंदोलन को वापस कर अपने–अपने घरों में जा सकें।किसानों ने कहा कि अब किसान आंदोलन के नाम पर सियासत बंद होना चाहिये।

किसानों के आगे झुकी सरकार, पीएम मोदी का कृषि क़ानून वापस लेने का ऐलान

किसानों के लम्बे लेकिन दृढ़ संघर्ष के आगे झुकते हुए आखिर गुरु पूर्व जैसे महत्वपूर्व दिन मोदी सरकार ने वे तीनों कृषि क़ानून वापस लेने का ऐलान किया है, जिनका किसान संघर्ष समिति जबरदस्त विरोध कर रही थी। दिलचस्प यह है कि आंदोलन के दौरान भाजपा के ही कुछ लोग आंदोलनकारी किसानों को ‘खालिस्तानी और आंदोलन को ‘देश विरोधी’ बताते रहे थे। यहाँ तक की खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने आज यह क़ानून वापस लेने की बात कही है, लगातार कहते रहे थे कि कृषि क़ानून वापस नहीं लिए जाएंगे। बता दें साल भर के कृषि आंदोलन के दौरान 750 से ज्यादा किसानों की शहादत हुई है।

उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले निश्चित ही भाजपा ने यह बड़ा दांव चला है। उधर किसान संघर्ष समिति के नेता राकेश टिकैत ने कहा – ‘जब तक सरकार संसद में क़ानून वापस नहीं लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।’

भाजपा किसानों की एकता को देखते परेशान थी। उत्तर प्रदेश में उसे साफ़ तौर पर अपना राजनीतिक नुक्सान होता दिख रहा था। भाजपा की बैठकों में यह फीड बाइक लगातार आ रहा था कि किसानों से व्यवहार हो रहा है उससे न सिर्फ किसानों बल्कि सिख समुदाय मन बहुत गलत सन्देश जा रहा था।

पीएम ने आज क़ानून वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा – ‘मैं आज देशवासियों से माफी मांगते हुए कृषि क़ानून  ऐलान करता हूँ। शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण हम किसानों को समझा नहीं पाए। आज गुरु पूर्व है। दिए के प्रकाश जैसा सत्य है। हमने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय किया है। इसी संसद सत्र के दौरान कृषि क़ानून वापस लेने के लिए संवैधानिक प्रक्रिया पूरा करने का काम करेंगे। किसान अब आंदोलन वापस लें। वे खेत में लौटें, परिवार के बीच लौटें।’

इस बीच कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में किसानों की शहादत लेकर अब यह क़ानून वापस लिए हैं। हम किसानों को उनके अपनी मांगों के प्रति दृढ़ बने रहने के लिए बधाई देते हैं।

करतारपुर साहिब में मत्था टेक कर लौटे चन्नी बोले, पाक से व्यापार के हक़ में

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों और दो विधायकों ने गुरुवार शाम सिखों की श्रद्धा के केंद्र पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में मत्था टेका। चन्नी आज दोपहर बाद अपने मंत्रियों और कुछ अन्य लोगों के साथ करतारपुर साहिब पहुंचे। चन्नी ने वापस आने के बाद यहाँ घोषणा की कि करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए सीमा तक फ्री वाहनों की व्यवस्था की जाएगी। चन्नी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के साथ व्यापार भी दोबारा शुरू किया जाएगा ताकि दोनों देशों के व्यापार से जुड़े लोगों को फायदा हो।

बता दें करतारपुर गलियारा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती के उपलक्ष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिन के लिए खोला गया है। इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया कि भाजपा का एक और प्रतिनिधमंडल गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचा है। उनके मुताबिक भारतीय पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपने मंत्रिमंडल सदस्यों सहित कुल 30 लोगों के साथ वहां पहुंचे।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों सहित 30 लोगों के साथ गुरुवार को पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन के लिए पहुंचे। वे करतारपुर गलियारे से होकर गुरुद्वारा पहुंचे। करतारपुर गलियारा, पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है। चन्नी अब वापस पंजाब लौट आये हैं।

गुरुद्वारा दरबार साहिब में मत्था टेकने के बाद चन्नी ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के लिए भारत सरकार के साथ ही पाकिस्तान सरकार का भी शुक्रिया अदा किया। चन्नी ने भारत सरकार से पाकिस्तान के साथ व्यापार शुरू करने की मांग भी की। सीएम ने कहा – ‘हम उम्मीद करते हैं जिस तरह से करतारपुर कॉरिडोर खोला गया है, उसी तरह पाकिस्तान के साथ व्यापार भी दोबारा शुरू किया जाएगा ताकि दोनों देशों के व्यापार से जुड़े लोगों को फायदा हो।’

चन्नी ने कहा कि भाजपा के पंजाब के नेताओं का डेलिगेशन भी करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते आज ही गया था। किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी से इंकार करते हुए चन्नी ने गुरूपर्व के मौके पर सबको बधाई दी।

‘स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट’ के बिना भी बच्चों को छूना पोक्सो एक्ट में अपराध: सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को पोक्सो एक्ट से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाया है कि बच्चों के नाजुक अंगों को छूना पोक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा। सर्वोच्च अदालत ने यह आदेश पारित करते हुए बांबे हाईकोर्ट के एक फैसले को पलटते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया जिसमें कहा गया था कि यौन उत्पीड़न में तहत ‘स्किन टू स्किन टच’ ज़रूरी है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में आरोपी को तीन साल सजा का आदेश भी सुनाया है।

बता दें, बांबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेश में कहा गया था कि ‘यौन उत्‍पीड़न के लिए स्किन टू स्किन टच जरूरी है।’ हालांकि, अब गुरुवार को सर्वोच्च अदालत ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि ‘पॉक्‍सो एक्‍ट में स्‍किन टू स्किन टच जरूरी नहीं’। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ‘स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना भी बच्चों के नाजुक अंगों को छूना पोक्सो कानून के तहत यौन शोषण है’।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ‘यौन इच्छा से बच्चे के यौन अंगों को छूना पोक्सो के तहत अपराध है। हमारा मानना है कि पॉक्सो का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है। ऐसी संकीर्ण व्याख्या हानिकारक होगी।’

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है. मामले के आरोपी को तीन साल की सजा दी गई है। अदालत ने कहा कि ‘आदेश में कहा गया था कि यौन उत्‍पीड़न की मंशा से कपड़े के ऊपर से बच्‍चे के संवेदनशील अंगों को छूना यौन शोषण नहीं है। अगर ऐसा कहा जाएगा तो बच्‍चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाए गया पॉक्‍सो एक्‍ट खत्‍म हो जाएगा।’