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दिल्ली में निजी कर्मियों के लिए अब सिर्फ ‘वर्क फ्रॉम होम’, ज़रूरी सेवा रहेंगी जारी

दिल्ली में सभी निजी कार्यालय बंद करने का आदेश देते हुए मंगलवार को दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) ने संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं।इनके मुताबिक बढ़ते कोविड मामलों को देखते हुए इनमें काम करने वाले कर्मियों को वर्क फ्रॉम होम करने को कहा गया है।

दिल्ली में बार और रेस्त्रां बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। निर्देश के मुताबिक मेडिकल सेवाएं और कोविड प्रोटोकॉल से  छूट मिले दफ्तर खुले रहेंगे। दिल्ली मेट्रो में 100 प्रतिशत क्षमता से लोग सफर करते रहेंगे लेकिन वे खड़े होकर सफर नहीं कर सकेंगे।

दिल्ली में कोविड के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए डीडीएमए ने यह संशोधित दिशा निर्देश जारी किये हैं। अब राजधानी में सभी निजी कार्यालय बंद रहेंगे। फिलहाल दिल्ली में 50 प्रतिशत लोगों को दफ्तर जाने की छूट थी। दिल्ली में कोविड मामलों की बढ़ती संख्या की सरकार समीक्षा कर रही थी। कल ही यहाँ 19 हजार नए मामले आने के बाद डीडीएमए ने पाबंदियां लगाई हैं।

आप सरकार की इस फैसले के बाद निंदा हो रही है, क्योंकि पंजाब में उसके नेता  चुनाव रैलियां कर रहे हैं। फिलहाल आपको बता दें कि डीडीएमए ने आज जो संशोधित दिशा निर्देश जारी किये हैं उनके मुताबिक केंद्र सरकार और सरकार के उपक्रमों के कर्मियों को दफ्तर जाने के जाने के लिए आईडी कार्ड लेकर चलना होगा। जज, न्यायिक अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, जिला कोर्ट आदि के कर्मचारियों, वकीलों और सुनवाई से जुड़े लोगों को मान्य आईडी कार्ड या फोटो एंट्री पास साथ लेकर चलना होगा। नहीं होगा तो कार्रवाई होगी।

इसके मुताबिक निजी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, लैब कर्मचारी मान्य आईडी कार्ड लेकर चलेंगे, गर्भवती महिलाएं, बीमार लोग (और उनके अटेंडेंट) डॉक्टर की पर्ची (मेडिकल दस्तावेज) से ही अस्पताल जा सकेंगे। कोविड जांच या वैक्सीनेशन के लिए जाते हुए आईडी कार्ड साथ रखना होगा।

दिशा निर्देश के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को पाबंदियों से छूट रहेगी।  है। जो लोग रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट पर बाहर से आ रहे हैं, वे अपने टिकट दिखाकर गंतव्य तक जा सकेंगे। परीक्षा देने जा रहे छात्रों को एडमिट कार्ड दिखाना होगा, शादी के लिए 20 जनों को ही मंजूरी होगी और उन्हें शादी के कार्ड की सॉफ्ट या हार्ड कॉपी साथ रखनी होगी।

दिल्ली में वीकेंड लॉकडाउन से मिठाई और ढ़ाबा वाले परेशान

अगर कोरोना का कहर बढ़ता गया तो, निश्चित तौर पर छोटे-बड़े होटलों के साथ मिठाईयों की दुकान चलाने वाले और ढ़ाबा चलाने वालों पर काफी विपरीत असर पड़ेगा साथ ही आर्थिक नुकसान भी होगा। दिल्ली में शनिवार और रविवार को हुये लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा असर मिठाईयों की दुकान चलाने वालों पर और ढ़ाबा चलाने वालों पर पड़ा है।

तहलका संवाददाता को मिठाई वालों ने और जो गली मुहल्लों में छोटे-छोटे रेस्टोरेंट (ढ़ाबा) चला रहे है। बताया कि, शनिवार–रविवार को पुलिस ने दुकानों की शटर खुलवाकर देखा है कि कोई काम–धंधा तो नहीं चल रहा है। इसके कारण काफी परेशानी हुई है। कई दुकान वालों के तो पुलिस ने चालान तक काटे है।

बताते चलें, दिल्ली में गली–गली में छात्रों के लिये और मध्यम वर्गीय लोगों के लिये रेस्टोरेंट (ढ़ाबा) खुले हुये है। जहां पर वे आकर भोजन भी करते है। रेस्टोरेंट चलाने वाले सुधीर गर्ग का कहना है कि 2020 से अब तक कोरोना के कहर के कारण लोगों के काम–धंधे बंद पड़े है।

जैसे–तैसे काम शुरू होता है कोरोना का कहर फिर से आ जाता है। ऐसे में सरकार व्यापारियों की परेशानी तो समझती ही नहीं है। बल्कि परेशान कर चालान और कटवा रही है। जिसके कारण व्यापारी सरकार की नीतियों से नाराज है।

लक्ष्मी नगर में ढ़ाबा चलाने वाले सुशील शर्मा ने बताया कि, उनके रेस्टोरेंट में 7 कारीगर है। जो खाना बनाते है और रेस्टोरेंट में ही रहते है। रविवार की शाम पुलिस ने आकर रेस्टोरेंट खुलवाया और कहा कि लाँकडाउन में काम कर रहे हो चालान कटेगा। लेकिन पुलिस को बताना पड़ा कि कारीगर यहीं रहते है। तब जाकर पुलिस ने चालान तो नहीं काटा लेकिन परेशान किया।

इसी तरह दिल्ली में तामाम दुकान दारों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। दिल्ली में हजारों की संख्या होटल है । वहां पर भी तामाम तरह की पाबंदियों के लगने से होटल कारोबारियों में रोष है। उन्होंने दिल्ली सरकार से अपील की है कि होटल से जुड़े काम में कई घरों की रोजी-रोटी चल रही है। अगर होटल को बंद किया गया तो हजारों लोगों की रोजी –रोटी पर संकट आ जायेगा।

ड्रग्स मामले में पूर्व मंत्री मजीठिया को हाई कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत

ड्रग्स मामले में घिरे पूर्व मंत्री और अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को राहत देते हुए अंतरिम जमानत दे दी है। मजीठिया ने इसके लिए याचिका डाली थी। अदालत ने मजीठिया को जांच में सहयोग  के निर्देश दिए हैं।

याद रहें अदालत में इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान ड्रग्स मामले में फंसे  मजीठिया की अग्रिम जमानत की याचिका पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 10 जनवरी तक जवाब देने को कहा था। पिछली सुनवाई में जस्टिस लीजा गिल ने मजीठिया की अग्रिम जमानत पर करीब डेढ़ घंटे चली बहस के बाद पंजाब सरकार को यह नोटिस जारी किया गया था।

पिछली सुनवाई में मजीठिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि मजीठिया के खिलाफ यह मामला राजनैतिक दुर्भावना और रंजिश के तहत राज्य की कांग्रेस सरकार ने दर्ज करवाया है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में फायदा ले सके। उन्होंने मजीठिया के खिलाफ लगे सभी आरोपों को भी निराधार बताया था। उन्होंने तर्क कि मजीठिया जांच में शामिल हो सकते हैं, लिहाजा उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए।

मजीठिया की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम को पेश किया था। उन्होंने मजीठिया की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि यह एफआइआर तथ्यों के आधार पर ही की गई है, यह बेहद ही गंभीर मामला है। ऐसे में मजीठिया से पूछताछ की जानी बेहद जरूरी है। लिहाजा मजीठिया को जमानत न दी जाए। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मजीठिया की अग्रिम जमानत पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर सुनवाई 10 जनवरी तक स्थगित कर दी थी। अब सोमवार को अदालत ने मजीठिया की याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी।

उत्तर प्रदेश में समानान्तर धुव्रीकरण होगा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तक जो समीकरण समाजवादी और भाजपा के बीच बन रहे थे। साथ ही चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद अब बसपा और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने भी कमर कस ली है।

बतातें चले, बसपा के नेताओं का मानना है कि उनका दलित और ब्राहमण वोट फिर से एक हो रहा है। जबकि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने सपा और भाजपा पर कई बार सियासी हमला कर बता दिया है। जब से कांग्रेस की सरकार नहीं बनी है तब से उत्तर प्रदेश में दंगा और लूटपाट–कब्जा का चलन बढ़ा है।

कांग्रेस का मानना है कि देश में बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर जनता दुखी है। इसलिये कांग्रेस से जनता ने आस लगायी है। भाजपा का मानना है भाजपा छोड़ अन्य पार्टियां मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने में जोर लगा रही है। यानि मुस्लिम वोटों का धुर्वीकरण करेगी। जबकि भाजपा मुस्लिम मतदाता की तरह हिन्दू धुर्वीकरण पर जोर दे रही है। यानि की समानान्तर धुर्वीकरण होगा।

मौजूदा समय में राजनीतिक दल इस बात पर जोर दें रहे है कि राजनीति अपने दम पर और अकेले ही अपनी पार्टी के नाम पर की जाये। अगर किसी कारण बस किसी भी दल को बहुमत में कुछ कमी रह जाती है तो चुनाव बाद भी समझौता हो सकता है।

यानि चुनाव बाद का गठबंधन हो सकता है। इसलिय राजनीतिक दल अकेले दम पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे है। उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार पवन कुमार का कहना है कि कोरोना काल चल रहा है। पहले तो ये तय नहीं हो रहा है कि चुनाव में रैली होगी या नहीं, जिस प्रकार चुनाव आयोग ने आदेश दिये है कोरोना को देखते हुये।

इससे तो स्पष्ट है कि प्रदेश में मतदाता को पहचानना मुश्किल होगा कि मतदाता किस के पक्ष में है। इसलिये चुनाव जब चरम पर होगा। तभी कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल चुनाव में कड़ा संघर्ष है।

 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च तक, 10 को नतीजे

राकेश रॉकी
देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड के लिए विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी गयी है। यह चुनाव 10 फरवरी से शुरू होकर मार्च 7 तक चलेंगे जबकि 10 मार्च को वोटों की गिनती की जाएगी। कोविड-19 के मामलों में जबरदस्त उछाल को देखते हुए 15 तक किसी भी तरह की नुक्कड़ सभा, चुनाव रैली पर रोक लगा दी है और सिर्फ वर्चुअल रैली ही होंगी। उसके बाद कोरोना के हालात देखकर रैली को लेकर आयोग फैसला करेगा।मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में चुनावों की तारीखों का ऐलान किया। उत्तर प्रदेश में 7 और मणिपुर में 2 चरणों में चुनाव होंगे जबकि पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में एक ही चरण में चुनाव करवाए जाएंगे। चुनाव 10, 14 (यूपी दूसरा चरण, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा भी) 20, 23, 27 फरवरी (मणिपुर पहला चरण) , 3 (मणिपुर दूसरा चरण भी) और 7 मार्च को होंगे।

चंद्रा ने बताया – ”उत्तर प्रदेश की 403, पंजाब की 117, उत्तराखंड में 70, मणिपुर में 60 और गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा, कोविड के मद्देनजर सुरक्षित चुनाव कराना हमारा लक्ष्य है।”

मुताबिक यूपी में 29 फीसदी मतदाता पहली बार वोट डालेंगे, पोलिंग बूथ ग्राउंड फ्लोर पर ही बनाए जाएंगे, दो लाख 15 हज़ार 368 पोलिंग बूथ बनाए गए, 1620 पोलिंग स्टेशन पर सिर्फ महिला कर्मचारियों की लड़की ड्यूटी, सभी पोलिंग बूथ पर व्हीलचेयर की होगी व्यवस्था, फूलन स्टेशन में 16 फीसदी का इजाफा, उम्मीदवार ऑनलाइन नामांकन कर सकते हैं, सुविधा एप के जरिए ऑनलाइन नामांकन,
उम्मीदवार ऑनलाइन नामांकन कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल मई में समाप्त होगा, जबकि अन्य चार राज्यों में विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च में विभिन्न तिथियों पर समाप्त हो रहा है।

यूपी में सत्ताधारी पार्टी भाजपा और पंजाब में कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और गोवा में टीएमसी के साथ ही आम आदमी पार्टी के लिए भी बहुत मायने रखते हैं। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा और 403 विधानसभा सीटें हैं।

गोवा का विधानसभा चुनाव मुख्यतौर पर भाजपा, कांग्रेस और आप, टीएमसी के बीच माना जा रहा है। उत्तराखंड में भाजपा सरकार के सामने लगातार दो मुख्यमंत्री बदलने के बाद कई चुनौतियां हैं और वहीं मणिपुर में कांग्रेस भाजपा से सत्ता छीनने  की कोशिश में है।

कोरोना के कहर से फिर बढ़ने लगे है सब्जियों के दाम

कोरोना का कहर कहें या जमाखोरों की चाल, क्योंकि सर्दी का मौसम हरी सब्जियों का मौसम कहलाता है। लेकिन ऐसा क्या हो रहा है। कि दिल्ली की सब्जी मंडियों में सब्जियों के दाम फिर से बढ़ने लगे है। दिल्ली में प्याज की कीमतों में गत दो-दिनों से उछाल देखा जा रहा है। वहीं गोभी और पत्ता गोभी के दाम भी बढ़ने लगें।

सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि सब्जी के दाम जब सर्दी के मौसम में बढ़ते है तो, उसके पीछें जमाखोरों का हाथ होता है। मौजूदा समय में लॉकडाउन लगने की शंका और कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुये जमाखोरों ने अपने फायदे को देखते हुये प्याज को जमा करना शुरू कर दिया है। जिससे प्याज के दाम में फिलहाल 5 रूपये प्रति किलो बढ़ने लगें है।

सब्जी विक्रेता अमर सिंह का कहना है कि दिल्ली में आजादपुर सब्जी मंडी से और गाजीपुर सब्जी मंडी से थोक और रिटेल में सब्जी सप्लाई होती है। इन्ही दोनों सब्जी मंडियों में दलालों का जमावड़ा ही आपसी सहमति से जमाखोरी की योजना बनाते है। और सब्जी मंडी में जाकर एक माहौल बनाते है कि प्याज की आवक कम हो रही है। वहीं से मिलकर सब्जियों के दामों को सुनियोजित तरीके से दाम बढ़ाते है। जिससे गलियों में बिकने वाली सब्जियों के दाम बढ़ने लगते है।

आजादपुर मंडी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनता तो कई दिनों तक दो-चार रूपये बढ़े दामों का विरोध नहीं करती है। लेकिन जैसे ही दामों में इजाफा प्रति किलों 10-12 रूपये प्रति किलो बढ़ने लगता है। तब जनता विरोध करती है कि महंगाई बढ़ रही है। तब सरकार जागती है तब तक जमाखोर करोड़ो रूपये कमा लेते है।फिलहाल जो भी हो रहा है सब्जियों के दामों में इजाफा उसकी पूरी जानकारी सरकार को मालूम है लेकिन जमाखोरों की सांठगांठ के चलते कोई भी कार्रवाई नहीं होती है। जिसके चलते लोगों को महंगी सब्जी खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।

राष्ट्रपति से मिले पीएम मोदी, क्या पंजाब में राष्ट्रपति शासन की तैयारी में है केंद्र !

क्या केंद्र सरकार पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी में है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति रामनाथ कोविद से अब से कुछ देर पहले अचानक मुलाकात के बाद यह कयास लग रहे हैं, क्योंकि भाजपा बुधवार को पंजाब यात्रा के दौरान पीएम मोदी के उनके एक फ्लाईओवर पर 15 मिनट तक फंसे रहने के मामले को राजनीतिक रूप से उठा रही है। हालांकि, पंजाब के मुख्यमंत्री  चरणजीत सिंह चन्नी ने इस मामले में अपनी बात कही है कि सरकार को पीएम के सड़क से जाने की बात की जानकारी नहीं थी।

इससे पहले राष्ट्रपति कोविंद ने कल की घटना पर अपनी चिंता जाहिर की थी। गृह मंत्रालय ने भी इसपर कड़ी टिप्पणी की थी और पंजाब सरकार से जवाब तलबी की है। एक तीन सदस्यी कमेटी भी बनाई गयी है।

अब पीएम मोदी के राष्ट्रपति से मिलने  राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि जिस तरह से भाजपा ने इस मसले पर राजनीतिक रुख अपनाया है और अब मोदी राष्ट्रपति से मिले हैं, क्या केंद्र धारा 356 का इस्तेमाल करके पंजाब की चुनी सरकार को भंग करके वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी में है ?

भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मसले पर जमकर राजनीतिक जंग छिड़ गयी है। कांग्रेस का आरोप है कि चूँकि प्रधानमंत्री की फ़िरोज़पुर रैली में हज़ार से भी कम लोग थे, उस तरफ से ध्यान हटाकर सुरक्षा में चूक का मामला खड़ा किया गया।

राष्‍ट्रपति के सुरक्षा में चूक पर चिंता जताने के बाद उप-राष्‍ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी पीएम मोदी को फोन किया था। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रपति भवन में पीएम मोदी ने मुलाकात की।

चाँदनी चौक की लाजपत राय मार्केट में भीषण आग, 105 खोखे जले

दिल्ली में आगजनी की एक बड़ी घटना में चाँदनी चौक की लाजपत राय मार्केट में तड़के करीब पौने पांच बजे के करीब 105 खोखा दुकानें जल गईं। किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चांदनी चौक में स्थित लाजपत राय मार्केट में लगी आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियों को मौके पर लगाया गया। आग लगने के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है, हालांकि बिजली लाइन में कुछ तकनीकी गड़बड़ को इसका कारण बताया जा रहा है।

जहाँ आग लगी वो इलाका तह बाज़ारी कहलाता है। हादसे में कोई हताहत या घायल नहीं हुआ। आग पर काबू पाने के बाद उस जगह की कूलिंग की गयी है ताकि दोबारा आग न भड़के।

सूरत में  प्रिंटिंग मिल में गैस लीक होने से 6 की मौत, 25 अस्पताल में

एक बड़े हादसे में गुजरात के सूरत में एक प्रिंटिंग मिल में गुरुवार तड़के करीब सवा चार बजे गैस लीक होने से 6 कर्मचारियों की मौत हो गयी है। इस हादसे में करीब 25 लोग दम घुटने से बीमार हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत काफी गंभीर बताई गयी है। गैस लीक होने का कारण मिल के पास एक नाले में किसी व्यक्ति के जहरीला केमिकल डालना बताया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना सूरत की है जहाँ विश्व प्रेम डाइंग एंड प्रिंटिंग नाम की  मिल के नजदीक एक टैंकर से गैस रिसाव हुआ जिसके बाद मिल के भीतर लोगों का  दम घुटने लगा जिसमें 6 लोगों की मौत हो गयी जबकि 25 के करीब गंभीर रूप से अस्पताल में भर्ती किये गए हैं। इनमें से काफी की हालत गंभीर बताई गयी है।

गैस लीक होने की खबर फैलते ही इलाके में अफरा-तफरी मच गई। इस बीच लोगों ने पुलिस को सूचना दी जिसमें मौके पर आकर हालत सँभालने की कोशिश की। गंभीर  लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। मौके पर पहुंचकर दमकल कर्मियों ने बचाव अभियान शुरू किया। हादसे में अब तक 6 लोगों की जान जाने की पुष्टि हुई है।

गैस की चपेट में आने के बाद अस्पताल में भर्ती किये गए 25 लोगों में से 5 की हालत गंभीर बताई गयी है और उन्हें आईसीयू में रखा गया है। डाक्टर उनकी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस हादसे के सही कारण का पता लगाने की कोशिश कर रही है। नाले में जहरीला केमिकल डालने वाला व्यक्ति  कौन था पुलिस उसकी भी खोज कर रही है।

कपड़ों पर जीएसटी स्थगित, जूतों और स्टेशनी पर य़थावत

आखिरकार कपड़ा पर लगाये जाने वाले जीएसटी को क्यों स्थगित करना पड़ा। जबकि जूता और स्टेशनरी में बढ़ाया गया जीएसटी जारी रखा गया है। कपड़ा व्यापारियों ने बताया कि कपड़ा के व्यापारियों ने गांव से लेकर शहर तक सरकार और जीएसटी को लेकर जमकर विरोध किया था, कपड़ा की दुकानें बंद कर दी थी। कपड़ा व्यापारियों के विरोध को भांपते हुये सरकार ने फिलहाल फरवरी माह तक कपड़ा पर बढ़ाये गये जीएसटी को स्थगित कर दिया है। अगामी फरवरी में वित्त मंत्रालय में जीएसटी को लेकर बैठक में फैसला लिया जायेगा कि जीएसटी को बढ़ाया जाये या स्थगित किया जाये।

बताते चलें, कपड़ा, जूता और स्टेशनरी पर 5 से बढ़ा कर 12 प्रतिशत तक बढ़ार्इ गर्इ जीएसटी को 1 जनवरी 2022 से लागू किया जाना था। जिसको लेकर व्यापारियों ने विरोध किया था। भारतीय व्यापार मंडल के अध्यक्ष विजय प्रकाश जैन का कहना है कि कपड़ा व्यापारियों ने सड़को पर उतरकर विरोध किया था। सरकार जान चुकी थी कि अगर समय रहते कपड़ा व्यापारियों की मांगों को नहीं माना तो ये आंदोलन का रूप भी ले सकती है। इसलिये सरकार ने कपड़ा व्यापारियों की मांगों को माना है और बढ़ाये गये जीएसटी को फरवरी माह तक के लिये स्थगित कर दिया है। उनका कहना है कि अगर स्टेशनरी और जूता व्यापारी सड़को पर उतरतें और अपनी मांगों को लेकर सरकार के समक्ष रखते तो उनकी मांगों को जरूर माना जाता। लेकिन ऐसा नहीं होने से स्टेशनरी और जूता पर बढ़ाया गया जीएसटी यथावत है।

जूता व्यापारी पंकज सूद का कहना है कि कोरोना काल चल रहा है आर्थिक मंदी के चलते जूता का व्यापार कम है। रहा सवाल विरोध का तो सरकार को खुद समझना चाहिये। कि व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बिगड रही है। ऐसे में जूता पर जीएसटी थोपें जाने के कारण विपरीत असर पड़ेगा। स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले रतन गुप्ता का कहना है कि कोरोना काल में स्टेशनरी का काम लगभग बंद सा है। क्योंकि स्कूल और काँलेजों के बंद होने के कारण पढ़ाई आँनलाईन होने की वजह से दुकानों पर ग्राहक कम आ रहे है। रहा सवाल जीएसटी बढ़ाये जाना का तो उससे महंगे समान होने से बिक्री पर विपरीत असर पड़ेगा।

सरोजनीनगर मार्केट अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि सरकार की नीतियां व्यापारी विरोधी है। उनका कहना है कि कपड़ा पर बढ़ाये गये जीएसटी को हटाया नहीं है बल्कि स्थगित किया है। क्योंकि आने वाले दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा के चुनाव है। उनका कहना है कि देश में कपड़ा का कारोबार है बढ़ा है। लाखों की संख्या में व्यापारी और उससे जुड़े लोगों को देखते हुये वोट बैंक को नापते और मापते हुये सरकार ने सियासी दांव चला है। इसलिये कपड़ा पर जीएसटी को हटाया गया है। अशोक रंधावा का कहना है कि सरकार को जूता और स्टेशनरी पर बढ़ाये गये जीएसटी को वापस लेना चाहिये।