अमेरिका ने बढ़ते तनाव के बीच अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने को कहा  

यूक्रेन मामला तेजी से गर्माता दिख रहा है। रूस की यूक्रेन को नाटो का सदस्य न बनने अन्यथा परमाणु हमले झेलने की धमकी के बाद अमेरिका ने शुक्रवार को यूक्रेन में अपने नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने की एडवाइजरी जारी की है।

वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञ यूक्रेन पर बड़े देशों के बीच बढ़ रहे तनाव को विश्व शान्ति के लिए खतरा मान रहे हैं और उनको अंदेशा है कि यह तनाव बड़े टकराव का रास्ता खोल सकता है। यूक्रेन सीमा के पास रूस ने बेलारूस और काला सागर में एक दिन पहले ही युद्धाभ्यास शुरू किया है जिससे संकेत मिल रहे हैं कि वह अपनी धमकी को वास्तव में अमल में ला सकता है।

रूस लगातार यूक्रेन पर लगातार यह दबाव बना रहा है कि वह नाटो का सदस्य बनने की जुर्रत न करे। रूस को आशंका है कि इससे सीमा पर उसकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा क्योंकि इससे अमेरिका और समर्थक देशों की पहुँच वहां तक हो जाएगी।

अब रूस ने जिस तरह बेलारूस और काला सागर में अपने युद्ध टैंकों का प्रदर्शन किया है उससे विश्व स्तर पर यह आशंका जताई जा रही है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने की तरफ बढ़ रहा है। इसके बाद अब शुक्रवार को अमेरिका ने यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी करके उन्हें तुरंत यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह सलाह जारी करते हुए शुक्रवार को कहा कि यदि   रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो वह अमेरिकियों को बचाने के लिए सेना नहीं भेजेंगे। बाइडेन ने चेताया कि क्षेत्र में हालात तेजी से बदल सकते हैं। बाइडेन ने एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिकी नागरिकों को अब यूक्रेन छोड़ देना चाहिए।

रिपोर्ट्स से जाहिर होता है कि बेलारूस में रूस का युद्धाभ्यास 20 फरवरी तक चलेगा। उसके युद्धाभ्यास को नाटो और पश्चिमी देशों के लिए उसकी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। दिलचस्प यह है कि यूक्रेन, जिसे अमेरिका सहित पश्चिम देश सपोर्ट कर रहे हैं, भी सैन्य अभ्यास का ऐलान कर चुका है। बेलारूस, रूस का दशकों से सहयोगी है और उसकी यूक्रेन के साथ लंबी सीमा है।

नाटो पहले ही कह चूका है कि रूस की मिसाइलें, भारी तोपखाना और मशीन गनों के साथ जवानों की तैनाती यूरोप के लिए खतरनाक क्षण है। यूक्रेन 2014 तक रूस का सहयोगी था, लेकिन सत्ता परिवर्तन में रूस विरोधी विद्रोहियों के आने से रूस-यूक्रेन में गंभीर खाई बन चुकी है।

बता दें कि सोवियत संघ के पतन के 30 साल बाद यह हालात बने हैं। पश्चिमी नेता इस प्रयास में जुटे हैं कि रूस के साथ बातचीत के रास्ते बंद न हों। वे चाहते हैं कि नाटो के विस्तार को लेकर रूस की चिंताओं और शिकायतों को सुना जाए। यूक्रेन के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन ने हाल ही में रूस  सहमति जताते हुए नाटो के विस्तार का विरोध किया था।