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यूक्रेन में अब एक भारतीय छात्र को गोली लगी, अस्पताल में भर्ती किया गया

युद्धग्रस्त यूक्रेन की राजधानी कीव में अब एक छात्र को गोली मारने की बात सामने आई है। इससे पहले वहां दो छात्रों की मौत हो गयी थी जिनमें एक की दिल का दौरा पड़ने से हुई बताई गयी थी। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के मुताबिक खौफ के चलते छात्र कीव से भागने की कोशिश कर रहा था तभी गोलीबारी में घायल हो गया। इस बीच रूस ने यूक्रेन के सबसे प्रमुख परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला कर दिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक गोली में घायल छात्र को शहर में वापस लाया गया है। फिलहाल उसका औरअस्पताल में भर्ती कराया गया है। याद रहे सिंह देश के उन मंत्रियों में  शामिल हैं जो युद्धग्रस्त यूक्रेन में विशेष दूत के रूप में भारतीयों की मदद का जिम्मा देख रहे हैं।

फिलहाल रूस-यूक्रेन में युद्ध जारी है। रूस ने यूक्रेन के सबसे प्रमुख परमाणु ऊर्जा चेरनिबेल पर हमला कर दिया है। हमले के बाद संयंत्र में आग लग गई है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला बंद करने का आह्वान किया है। रूस ने खारकीव के अधिकतर हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है।

उधर फ्रांस के राष्‍ट्रपति एमेनुअल मैकरॉन ने रूसी समकक्ष व्‍लादिमीर पुतिन से बात की है। फ्रांस के राष्‍ट्रपति के एक सहयोगी के मुताबिक पुतिन ने पूरे देश (यूक्रेन) पर कब्ज़ा करने का इरादा जताया है।

मुझ पर भाजपाइयों का हमला इस बात का संकेत कि यूपी में भाजपा हार रही है : ममता

मुदित माथुर
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी गठबंधन की एक चुनाव रैली में गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल पार्टी की नेता ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं का वाराणसी में गंगा आरती में शामिल होने के लिए दशाश्वमेध घाट जाते हुए उनपर हमला यह दर्शाता है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव में सत्ता खो रही है। बनर्जी ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ वाराणसी में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को अपना समर्थन देने के लिए आयोजित रैली में कही।वरिष्ठ नेता ने इस मौके पर जनता से ‘योगी-राज’ हटाने की अपील की और उसे उन्होंने धार्मिक आधार पर लोगों को विभाजित करने वाला ‘गुंडा-राज’ बताया। भगवा कार्यकर्ताओं की तरफ से बुधवार को ‘ममता वापस जाओ’ के नारे लगाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा – ‘मैंने काले झंडे दिखाने वाले भाजपा के कार्यकर्ताओं को  कार से नीचे उतरकर  चुनौती दी कि वह इस तरह के कायरतापूर्ण कृत्यों से नहीं डरती हैं।’

बनर्जी ने उत्साह में भरे गठबंधन कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि वे एक लड़ाकू हैं और ऐसी चीजों से नहीं डरतीं। उन्होंने कहा – ‘बंगाल में माकपा के कार्यकर्ताओं ने मुझे कई बार पीटा। मुझ पर गोलियां और डंडों से हमला किया, लेकिन मैं कभी नहीं झुकी।’

भाजपा पर महिलाओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने सवाल किया कि वह वाराणसी, मथुरा, आजमगढ़, लखीमपुर या इलाहाबाद क्यों नहीं जा सकतीं? उन्होंने कहा – ‘आप सभी पश्चिम बंगाल में गंगा सागर आते हैं, वहां अपने लोगों से पूछें कि उन सभी के साथ कितना अच्छा व्यवहार किया जाता है।’

बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वायड के नाम पर लड़के-लड़कियों का अपमान करती है। ये भाजपा वाले कहां थे जब लोग कोविड के दौरान पैदल चलकर अपने घर जा रहे थे? ममता ने कहा – ‘हमने यूपी से गंगा सागर में तैरते शवों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया। भाजपा अपने चुनावी अभियानों में मंदिर मुद्दे और हिंदू-मुस्लिम बहस को भड़काती है।’

तृणमूल नेता ने कहा, ‘मुझे जय सिया राम बोलने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप (भाजपा) सीता माता के नाम का सम्मान क्यों नहीं करते? इसके बजाय, वे जय श्री राम कहते हैं जबकि यह ‘जय सिया राम’ है। बनर्जी ने मंच से दुर्गा स्तुति के कुछ भजन के अंश भी इस मौके पर सुनाये।

टीएमसी सुप्रीमो ने नोटबंदी को लेकर भाजपा सरकार पर भी हमला बोला और कहा –  ‘इन लोगों ने अच्छे दिन के नाम पर नोटबंदी की और अब वे अच्छे दिन के नाम पर खेती, रेलवे, हवाई अड्डे, बैंक और यहां तक कि जीवन बीमा भी बेच रहे हैं। उन्होंने आपके बैंक खातों में 15 लाख रुपये का वादा भी किया, क्या वे आए? बेरोजगारी बढ़ रही है, लड़के-लड़कियां नौकरी की तलाश में राज्य से बाहर जा रहे हैं।’

पश्चिम बंगाल की सीएम ने लोगों से सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को वोट देने की अपील की और वादा किया कि वह राज्य के अगले सीएम के रूप में अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगी।

इस बीच समाजवादी गठबंधन ने आज वाराणसी में अपने सहयोगियों राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, महान दल के केशव देव मौर्य, अपना दल (कमेरावादी) के कृष्णा पटेल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के शिवपाल यादव के ताकत दिखाते हुए मेगा शो किया। जनवादी पार्टी (समाजवादी) के संजय चौहान और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

पीएम मोदी आज क्वैड नेताओं की वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेंगे, पुतिन से की बात  

यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दूसरी बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के मुताबिक दोनों नेताओं ने यूक्रेन के हालात पर चर्चा की। इनमें खासकर खारकीव को लेकर चर्चा हुई जहां बड़ी संख्या में भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। मोदी ने युद्धग्रस्त क्षेत्र से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी पर चर्चा की। इस बीच पीएम मोदी क्वैड नेताओं की वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेंगे। ये बैठक आज ही होगी।

रूस लगातार अपना सैन्य अभियान सघन करता जा रहा है। यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने का अभियान जारी है। अभी तक जो जानकारियां छात्रों के जरिये भारत पहुँची हैं उनसे जाहिर होता है कि छात्र वहां बहुत गंभीर संकट झेल रहे हैं।

पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और उनसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने पर चर्चा की। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में बताया गया है कि पीएम ने पुतिन से फोन पर बात की।

यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी को लेकर भारत में गहरी चिंता पसरी हुई है। खारकीव में रूसी सेना व्यापक स्तर पर गोलीबारी कर रही है और वहां यूक्रेन की सेना पूरी ताकत से जवाबी कार्रवाई कर रही है। इससे पहले 25 फरवरी को पीएम ने पुतिन से बातचीत में शांति बनाये रखने पर जोर दिया था।

इस बीच पीएम मोदी क्वैड नेताओं की वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेंगे। ये बैठक आज ही होगी। मोदी के अलावा इसमें राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भाग लेंगे।

युद्ध किसी के लिये अवसर, तो किसी के लिये मुसीबत

यूक्रेन और रूस में चल रहे युद्ध के बीच भारत देश में व्यापारियों के बीच शंका और आशंका का अजब सा माहौल देखने को मिल रहा है। कोई व्यापारी कहता है कि युद्ध लंबा चला तो देश में महगांई के सारे रिकार्ड टूट जायेगे। वहीं एक व्यापारी ग्रुप तमाम संभावनाओं को देखते हुये काला बाजारी करने की फिराक में है।
बताते चलें युद्ध के दौरान स्वाभाविक तौर पर कुछ वस्तुओं में महगांई होती है। लेकिन सोशल मीडिया के युग में जिस अंदाज में ये बताया जा रहा है कि पांच राज्यों में चुनाव होने के बाद ही 20 से 25 रूपये डीजल-पेट्रोल के दाम और घरेलू गैस के दाम बढ़ेगे। इससे जरूर एक बडा व्यापारी वर्ग अभी से जमाखोरी करने को बढ़ावा दे रहा है। ताकि विपत्ति के दौर में ज्यादा पैसा कमा सकें।
दिल्ली के व्यापारियों ने तहलका को बताया कि अभी से खाद्य सामानों की जमाखोरी होने लगी है। साथ ही खाने के तेल का स्टॉक अचानक कम होने लगा है। इस मामले सरकार को बाजार में जाकर पता लगाना चाहिये। क्योंकि इसके पीछे कुछ सियासतदाँनों का व्यापारी वर्ग से बड़ा गठजोड़ है। जो सोशल मीडिया के जरिया महगांई का माहौल बना रहा है। जबकि अभी देश में कुछ भी ऐसा असर युद्ध का असर नहीं दिख रहा है।
महगांई का माहौल बनाने के पीछे का मुख्य मकसद ये है कि गरीब और मध्यम वर्ग पहले से ही महगांई को झेलने को तैयार रहे। सूत्रों की माने तो देश के बडे व्यापारियों के माध्यम से नहीं बल्कि इस बार मझोले व्यापारियों के माध्यम से महगांई का बम्ब फोडा जायेगा। फिर स्वयं ही बड़े व्यापारियों के हाथ में कारोबार होगा। दिल्ली के बड़े व्यापारियों ने भारत सरकार से अपील की है कि युद्ध को लेकर जो भारत में माहौल खासकर महगांई को लेकर बनाया जा रहा है। वो ठीक नहीं है। इस पर नजर रखने की जरूरत है। ताकि अफरा-तफरी का माहौल न बन सकें।

मतपेटियों में बंद होगा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह के भाग्य का फैसला

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के 7 चरण मे होने वाले चुनाव के आज छठे चरण में मतदान हो रहा है। आखिरकार शनैः शनैः छठे चरण तक आ गया है। छठे दौर के चुनाव में बड़े-बड़े नेताओं के भाग्य का फैसला आज मतपेटियों में बंद हो जायेगा। सातवें चरण के लिए मतदान दस जिलों की 57 सीटों पर होने जा रहा है।
सातवें चरण के मतदान में मुख्य तौर पर दो सीटों पर दो बड़े नेताओं की सांख दांव पर लगी है। एक गोरखपुर विधानसभा पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तो दूसरी कुशीनगर जिले की तमकुहीराज विधानसभा सीट से लगातार कांग्रेस के दो बार प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार सिंह (लल्लू)  की। चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता हैै चुनाव जीतने के लिये समीकरण सांधे जाते है। लेकिन इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण नेताओं की छवि होती है। 
बतातें चले, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे है। लेकिन वर्ष 2022 मेंं उनका पहला विधानसभा का चुनाव है। चुनाव भी पूरे प्रदेश में उन्ही की अगुवाई में लड़ा जा रहा है। गोरखपुरसीट में भाजपा का दबादबा रहा है। क्योंकि इस सीट पर गोरक्षपीठ का गहरा प्रभाव है।
वहीं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय सिंह के चुनाव में कडा मुकाबला की वजह ये है क्योंकि उनकी सीट पर सपा और बसपा पूरी दावेंदारी के साथ चुनाव लड़ रही है।
प्रदेश की राजनीति के जानकार प्रमोद गर्ग का कहना है कि चुनाव छठे दौर के मतदान के बाद अब 7वें दौर का मतदान ही लास्ट बचा है। सो ज्यादात्तर नेताओं का जमावड़ा अब यहां पर देखने को मिला है। जिसमें सबसे ज्यादा भाजपा और सपा के नेताओं की जनसभायें भी हुई है। प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति काफी पतली चुनाव के पहले से मानी जाती रही है।
लेकिन अजय सिंह की छवि ठीक है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी है। उनको भाजपा को छोड़ अन्य दलों से ये उम्मीद थी कि वे कुछ सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ मजबत उम्मीदवार नहीं उतारेगें। पर ऐसा होना सका क्योंकि ये मौजूदा दौर की राजनीति है। प्रमोद गर्ग का कहना है कि जैसे -जैसे चुनाव आखिरी दौर में आता जा रहा है। वैसे -वैसे जातीय-धार्मिक समीकरण के साथ ध्रुवीकरण की राजनीति पर जोर दिया जा रहा है।

देश मेंं मेडिकल कॉलेजों की संख्या को बढ़ाया जाना जरूरी है

अगर आज देश में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों की पर्याप्त संख्या होती तो हमारे देश की युवा पीढ़ि उच्च शिक्षा के लिये रूस और यूक्रेन सहित अन्य देशों में डिग्री लेने नहीं जाती । देश को आजाद हुये 75 साल से ज्यादा हो गये है। तब से सरकारी मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बहुत ही कम बढ़ाई गयी है। जबकि प्राइवेट कॉलेजो की संख्या में जमकर इजाफा हुआ है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व संयुक्त सचिव डॉ अनिल बंसल का कहना है कि जब वे 1978 में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। तब देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगभग एक सौ के करीब थी। तब से अब तक देश में बहुत ही कम मेडिकल कॉलेजों को खोला गया है। लेकिन प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी आज काफी बढ़ोत्तरी हुई है। उनका कहना है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज वालों की फीस काफी अधिक होने से मध्यम और गरीब वर्ग का छात्र अपने ही देश में फीस देने में अक्षम होता है।
ऐसे में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र मजबूरी में विदेशों में जाकर पढ़ाई करते है।सरकार को चाहिये की समय रहते अपने ही देश में मेडिकल काँलेजों की संख्या बढ़ाये ताकि, अपने देश के छात्र अपने ही देश में पढ़ सकें और अपने देश की इकाँनामि अपने देश में रहे । डॉ बंसल का कहना है कि सरकार कहती है कि सरकार मेडिकल खोलने के लिये पर्याप्त बजट नहीं है। जबकि सरकार के पास बजट की कोई कमी नहीं है। डॉ बंसल का कहना है कि भारत जैसे बढ़ी संख्या वाले देश में डाँक्टरों की बढ़ी कमी है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक हजार की संख्या पर एक डॉक्टर होना चाहिये। लेकिन यहां पर नहीं है। यहां पर 15 हजार से अधिक संख्या पर एक डॉक्टर है।
डॉ बंसल ने बताया कि देश में जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है उस अनुपात में डाक्टरों की जनसंख्या न के बराबर बढ़ रही है। वजह साफ है कि मेडिकल काँलेजों की कमी का होना। उनका कहना है कि अगर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को खोलना है तो फीस कम से कम ऐसी होनी चाहिये ताकि मध्यम और गरीब वर्ग का पढने वाला छात्र आसानी से एडमिशन लें सकें।

योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर पर चुनाव कल

उत्तर प्रदेश के छठें चरण में होने वाले चुनाव मेंं सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक गोरखपुर विधानसभा की सीट पर कल यानि 3 मार्च को चुनाव होने है। इस सीट से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ चुनाव लड़ रहे है। इस वजह से प्रदेश के लिये ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिये इस सीट पर लोगों के साथ देश के नेताओं की नजर है।
प्रदेश की राजनीति के जानकार और गोरखपुर विधानसभा सीट पर पैनी नजर रखने वाले सुभाष पचौरी ने बताया कि यह सीट भाजपा तो निकाल लेगी। लेकिन इस सीट के कई मायने है। एक तो योगी की लोकप्रियता का सही आंकलन हो सकेंगा कि जीत का अंतर कितना है। क्योंकि जो चुनाव में माहौल बनाया गया कि भाजपा का प्रदेश में सपा से कड़ा मुकाबला है।
इससे ये बात सामने आ रही है। कि पार्टी की एक लॉबी भाजपा को चुनाव में कमजोर करने में तुली है। चुनाव में योगी ने जी-तोड़ पूरे प्रदेश में जनसभायें कर भाजपा को जिताने की अपील की है। गोरखपुर वैसे तो भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस गढ़ में योगी के चाहने वालें और भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर उत्तर प्रदेश से लेकर कई राज्यों के नेताओं ने वोट मांगे है। वहीं सपा के अलावा भाजपा विरोधी नेताओं ने योगी को हराने के लिये जोरआजमाइश में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। सो ये चुनाव प्रदेश के साथ देश के लिये सुर्खियों में है। 

इस बार होली पर कोरोना दहन

कोई भी त्यौहार हो बाजारों में 15 दिन पहले त्यौहार से संबंधित सामानों की धूम दिखने लगती है। इसी तरह होली पर्व से संबंधित सामान पिचकारी, रंग-गुलाल और रंग-बिरंगी टोपियों की दुकानें बाजारों में सजने लगी है। होलिका दहन 17 मार्च को है।
तहलका संवाददाता को दिल्ली के व्यापारियों ने बताया कि कोरोना का कहर हर रोज कम हो रहा है। और इसी कोरोना के कारण देश-दुनिया के बाजारों पर काफी असर देखने को मिला है। लेकिन इस बार व्यापारियों ने तय किया है कि होलाी के पर्व पर होली का सामान भी बेचेंगें। और होली पर कोरोना नामक महामारी का दहन भी करेगें।
दिल्ली के लक्ष्मी नगर बाजार के व्यापारी सुरेश ने बताया कि इस बार होली के सामान की बिक्री हो रही है। क्योंकि बाजारों से कोरोना संबंधी जो पाबंदियां लगी थी। वो पाबंदियां सरकार द्वारा हटा दी गयी है। जिससे बाजारों में रौनक आ गयी है।चांदनी चौक के व्यापारी अमन सेठ का कहना है कि चांदनी चौक का जो बाजार है वह होली का सामान देश के छोटे-छोटे कस्बों और गांवों में बेचने के मामलें में हब माना जाता है।
इस लिहाज से देश के गांव-गांव से छोटे-बड़े व्यापारी यहां से सामान लेने आ रहे है। उनका कहना है कि इस बार की होली में एक व्यापारी -दूसरे व्यापारी के माध्यम से लोगों से अपील कर कह रहा है कि इस बार होली पर कोरोना दहन करें। क्योंकि कोरोना ने ही लोगों की जानें ली है। लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलबाड़ किया है। और बाजार को तहस-नहस किया है। अब कोरोना का कहर कम हो रहा है। सो, होली का पर्व भी सावधानी के साथ भी बनायेगें और होली पर कोरोना का सदैव के लिये होली पर दहन कर जश्न मनाएंगे।
बतातें चलें दो साल से कोरोना के कहर के कारण त्यौहारों पर फींका पन देखा गया है। इस बार लोगों ने ठाना है कि कोरोना को भगाना है तो हाली की गुलाल की तरह उड़ाना है।

कोरोना को लेकर सजग-सतर्क रहे, डरे नहीं

कोरोना को लेकर आई आई टी कानपुर के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना की चौथी लहर 22 जून से आ सकती है। और अगस्त के महीने में चरम पर होगी। कोरोना की चौथी लहर को लेकर आईएमए के पूर्व संयुक्त सचिव डॉ अनिल बंसल का कहना है कि आईआईटी ने जो दावा किया है वह ठीक है क्योंकि कोरोना का वायलस नये-नये स्वरूप में आ सकता है।
इसलिये कोरोना को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि सावधानी और सतर्कता की जरूरत है।भीड-भाड़ वालें इलाके में जाने से बचना चाहिये। क्योंकि कोरोना का वायरस हो या कोई अन्य वायरस हो आदमी से आदमी में आसानी से संक्रमित कर सकता है।एम्स के डॉ आलोक कुमार ने बताया कि कई बार कोरोना को लेकर जो भी शोध किये जाते है और अनुमान लगाये जाते है वो अक्सर सही साबित नहीं होते है।
लेकिन ऐसे में एक माहौल जो नकारात्मकता का बनता है उससे जरूर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने लगती है। उन्होंने बताया कि भी कोरोना गया नहीं है। इसलिये कोरोना को लेकर जो भी गाईड लाईन बनायी गयी है। उसका पालन होना चाहिये । अन्य़था संक्रमित बीमारी के फैलने में देरीा नहीं  लगती है। कोरोना का कहर रूक-रूक कर आया है।
वर्ष 2020 के बाद 2021 के अप्रैल -मई के महीने में कोरोना ने लोगों को बीमार ही नहीं किया ता बल्कि लोगों की जान भी ली थी। फिर जनवरी 2022 में ओमिक्रोन ने दहशत फैलाई थी। और लाखों मामलें हर रोज आने लगे थे  ओर एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत होने लगी थी।ऐसे में कोरोना से बचाव के लिये हमें सावधानी के साथ जागरूकता पर बल देना चाहिये।

युद्ध की विभीषिका

‘तहलका’ की कवर स्टोरी इस बार रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर है। व्लादिमीर पुतिन (रूस) ने यूक्रेन पर हमला करके पूर्व औपनिवेशिक रूसी साम्राज्य के अपने पूर्ववर्ती क्षेत्रों को पुन: प्राप्त करने की अपनी योजना का संकेत दिया है। ज़ाहिर है यह सब कुछ रूस को समझने में पश्चिम की विफलता के कारण हुआ है। यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका की सीमित सीमा के कारण भी था; जिसकी प्रतिष्ठा अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेना की वापसी के बाद पहले ही धूमिल हो चुकी है। साथ ही चेचन्या और जॉर्जिया के ख़िलाफ़ छोटे युद्धों में रूस की सफलता और सीरिया, क़ज़ाकिस्तान तथा पूरे अफ्रीका में सत्ता के खेल ने यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए अपनी सीमाओं से परे अपने शासन को महान् शक्ति के पायदान तक पहुँचाने के उद्देश्य से आक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित किया। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कार्य ने अपनी कार्रवाई से साफ़ कर दिया कि उनका उद्देश्य यूक्रेन को नियंत्रण में लेना और कीव में अपने समर्थन वाला शासन सुनिश्चित करना है; जो मास्को के लिए अनुकूल है। ऐसा करके रूस ने एक ऐसे राज्य की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखण्डता और सम्प्रभुता के सम्मान के सिद्धांत का उल्लंघन किया, जो संयुक्त राष्ट्र का एक मान्यता प्राप्त सदस्य है और जिसकी सम्प्रभुता को रूस ने भी पिछले तीन दशकों से मान्यता दी थी।

राष्ट्रहित में भारत ने अब तक यूक्रेन के संकट पर किसी का पक्ष नहीं लिया है। बेशक उसके लिए यह तलवार की धार पर चलने जैसा है। भारत ने रूस की आलोचना करने के लिए अमेरिकी लाइन पर चलने जैसा सन्देश नहीं जाने दिया। हालाँकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से कहा है कि हिंसा बन्द होनी चाहिए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ठीक ही पाया कि संकट की जड़ें सोवियत के बाद की राजनीति और नाटो के विस्तार में हैं। यह एक तथ्य है कि लम्बे समय से पुतिन क्रीमिया पर रूस की सम्प्रभुता को मान्यता देने के लिए कीव पर दबाव डाल रहे थे। जैसे काला सागर प्रायद्वीप, जिस पर मास्को ने सन् 2014 में यूक्रेन से ज़ब्त करने और नाटो में शामिल होने की अपनी ज़िद छोडऩे के बाद क़ब्ज़ा कर लिया था। यह रूस के इस डर से उपजा है कि यूक्रेन के नाटो क्लब में प्रवेश करने के बाद उस (रूस) पर अमेरिका और उसके सहयोगियों का दबाव बढ़ेगा। यूक्रेन पर आक्रमण का भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक दृष्टि से रणनीतिक परिणाम होना तय है। पहले हज़ारों भारतीय, जिनमें अधिकतर छात्र थे; यूक्रेन के हवाई क्षेत्र के बन्द होने के कारण युद्धग्रस्त यूक्रेन में फँस गये। हालाँकि हमारी सरकार ने उन्हें सडक़ मार्गों से निकालना शुरू कर दिया है।

भारत के लिए रूस पर कड़े अमेरिकी प्रतिबंध उस देश के साथ हमारी रक्षा आपूर्ति लाइन के साथ-साथ भविष्य में एस-400 मिसाइल प्रणाली जैसे अधिग्रहण को प्रभावित कर सकते हैं। भारतीय सेना के 3,000 से अधिक मुख्य युद्धक टैंकों में से 90 फ़ीसदी से अधिक रूसी टी-72 और टी-90एस हैं। भारत कथित तौर पर रूस से एक और 464 रूसी टी-90एमएस टैंक ख़रीदने के लिए बातचीत कर रहा था। तेल के मोर्चे पर भारत और बाक़ी दुनिया को अनिश्चित-काल तक तेल और गैस की ऊँची क़ीमतों का सामना करना पड़ेगा। तेल की क़ीमतें आठ साल के उच्च स्तर 105 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गयी हैं, जिससे मुद्रास्फीति में तेज़ी आ सकती है। शेयर बाज़ारों में जहाँ उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, वहीं सोना 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। हम चाहते हैं कि युद्ध और आगे न बढ़े, ताकि पूरी दुनिया शान्ति से रह सके और कोरोना महामारी के दौर से गुज़र रही कमज़ोर अर्थ-व्यवस्था और कमज़ोर न हो।