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हिसाब मामले को साम्प्रदायिक रंग: मद्रास हाईकोर्ट ने पूछा – ‘राष्ट्र सर्वोपरि है या धर्म?’

मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को हिजाब से जुड़े विवाद को लेकर देश में धार्मिक सौहार्द्र को नुकसान पहुँचाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने हैरानी जताते हुए सवाल किया कि राष्ट्र सर्वोपरि है या धर्म?

कर्नाटक में हिजाब से जुड़े विवाद पर चल रही घटनाओं पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने कहा कि कुछ ताकतों ने ‘ड्रेस कोड’ को लेकर विवाद उत्पन्न किया है और यह पूरे भारत में फैल रहा है। बता दें हिसाब पहनने से रोके जाने के खिलाफ छात्राओं ने याचिका दायर की है।

आज की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा – ‘यह निश्चित ही स्तब्ध करने वाली बात है।  कोई व्यक्ति हिजाब के पक्ष में है, कुछ अन्य टोपी के पक्ष में हैं और कुछ अन्य दूसरी चीजों के पक्ष में। यह एक देश है या यह धर्म या इस तरह की कुछ चीज के आधार पर बंटा हुआ है। यह आश्चर्य की बात है।

न्यायमूर्ति भंडारी ने भारत के पंथनिरपेक्ष देश होने का जिक्र करते हुए कहा – ‘मौजूदा विवाद से कुछ नहीं मिलने जा रहा है लेकिन धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है।’ उन्होंने कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणियां कीं।

यूपी में एक बजे तक 35.03 फीसदी मतदान, शामली में सबसे ज्यादा

दोपहर एक बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 35.03 फीसदी मतदान हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा शामली में जबकि सबसे कम गौतमबुद्धनगर में हुआ है।

जानकारी के मुताबिक पश्चिमी उत्तरप्रदेश के 11 जिलों की 58 सीटों में दोपहर एक बजे तक कुल 35.03 फीसदी मतदान में सबसे ज्यादा शामली में 41.16 फीसदी  और सबसे कम गौतमबुद्धनगर में 30.53 फीसदी मतदान हुआ था। निर्वाचन आयोग के जारी किये आंकड़ों के मुताबिक आगरा में दोपहर 1 बजे तक 36.93 फीसदी  मतदान हुआ जबकि अलीगढ़ में 32.07 फीसदी लोगों ने वोट डाले हैं।

बागपत में 38.01 फीसदी, बुलंदशहर में 37.03 फीसदी, गौतमबुद्धनगर में 30.53 फीसदी, गाज़ियाबाद में 33.40 फीसदी, हापुड़ में 39.97 फीसदी, मथुरा में 36.26 फीसदी, मेरठ में 34.51 फीसदी, मुजफ्फरनगर में 35.73 फीसदी जबकि शामली में सबसे ज्यादा 41.16 फीसदी वोट पड़े हैं।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत

लखीमपुर खीरी में किसानों को अपने वाहन से कुचलने के मुख्य आरोपी आशीष  मिश्रा को जमानत मिल गयी है। आशीष मिश्रा मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र हैं। उन्हें गुरुवार हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिली है। इस घटना में 4 किसानों और एक पत्रकार की कुचलने से मौत हो गयी थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा मुख्‍य आरोपी हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने वाहन से प्रदर्शन कर किसानों पर अपना वाहन चढ़ा दिया जिससे चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गयी।

आशीष मिश्रा को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत दी। इस मामले की सुनवाई पहले ही हो चुकी थी और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अब आज अदालत का इस मामले में फैसला आ गया है। जानकारी के मुताबिक जमानती बांड  के बाद आशीष शुक्रवार को जेल से रिहा हो सकता है।

जब यह घटना हुई थी और एसआईटी ने इसकी जांच शुरू की थी तब आशीष मिश्रा ने इन आरोपों को  कर दिया था कि उनका बेटा लखीमपुर हिंसा में शामिल हैं क्योंकि बकौल परिवार उस समय आशीष वहां था ही नहीं। हालांकि, एसआईटी ने जांच में आशीष मिश्रा को मुख्‍य आरोपी बताया है। चार्जशीट में एसआईटी ने बताया है कि आशीष घटना के समय वहां मौजूद था।

आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी घोषित, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी बैठक में आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की घोषणा कर दी। इसके अलावा बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए इसे 4 फीसदी पर बरकरार रखा है। इससे ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।

बैठक में आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को भी पुराने स्तर पर बरकरार रखने का  फैसला किया है और यह 3.35 फीसदी रहेगा। एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने ब्याज दरों को बरकरार रखने का समर्थन किया। बता दें इससे पहले आरबीआई ने 20 महीने पहले 22 मई, 2020 की बैठक में ब्याज दरों में बदलाव किया था।

आरबीआई की तरफ से आज की बैठक के बारे में बताया गया है कि आईटी आउटसोर्सिंग पर ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। ऑफशोर ओआईएस मार्केट में बैंकों को ट्रांजैक्शन की भी मंजूरी दे दी गयी है। इसके अलावा क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप के नियम भी आज जारी किए जाएंगे।

बैठक में ऑफशोर ओआईएस मार्केट में बैंकों को ट्रांजैक्शन की मंजूरी के अलावा वॉलंटरी रिटेंशन रूट (वीआरआर ) लिमिट 1 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाई गयी है। डेट मार्केट में स्कीम के तहत एफपीआई की लिमिट भी बढ़ाई गई। अन्य फैसलों में ऑन टैप लिक्विडिटी सुविधा 2 स्कीम के लिए बढ़ाई गई है, वित्त वर्ष 2022 में चालू खाता घाटा जीडीपी का 2 फीसदी से कम होने की संभावना जताई गयी है, ई-रूपी प्री-पेड डिजिटल वाउचर की लिमिट 10 हजार रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दी गयी है।

आज की बैठक में बैंकों को गवर्नेंस मजबूत करने की जरूरत जताई गयी है। बैंकों की बैलेंस शीट में मजबूती बरकरार होने और ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता बरकरार होने की बात कही गयी है। वीआरआरआर ऑक्शन जारी रहेंगे, बैंकों को रिस्क मैनेजमेंट बेहतर करने की जरूरत है, सेंट्रल बैंक का लिक्विडिटी री-बैलेंसिंग पर फोकस होगा, सिस्टम में लिक्विडिटी की कोई समस्या नहीं है, वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में महंगाई दर 4 फीसदी संभव, वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.8 फीसदी से घटकर 7 फीसदी होने का अनुमान जताया है।

उ. प्र. विधानसभा के पहले चरण की 58 सीटों पर मतदान आज

उत्तर प्रदेश (उ.प्र) के विधानसभा के पहले चरण के 11 जिलों में चुनाव 10 फरवरी यानि आज होने वाले है। कुल 58 सीटों पर 623 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटियों (ईवीएम) में बंद हो जायेगा। चुनाव प्रचार के दौरान सभी पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर शब्दों के वाणों से प्रहार किया है।

इन 11 जिलों के जानकारों का कहना है कि सपा और भाजपा के बीच तो कड़ा मुकाबला है ही। साथ ही कहीं–कहीं बसपा का हाथी भी चिंघाड़ रहा है। यानि बसपा भी कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है। भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के साथ 58 सीटों पर 623 जो निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है। उनका भी राजनीतिक अपना अस्तित्व है।

लेकिन उनमें ज्यादात्तर प्रत्याशी वे है। जिनको पार्टियों से टिकट नहीं मिला है। वे भी अपने वजूद के दम पर ताल ठोक चुनाव मैदान में है। बताते चलें 58 सीटों में सपा-रालोद का गठबंधन का काफी असर देखने को मिल रहा है। गठबंधन में सबसे बड़ी बात तो ये सामने आयी है कि दोनों के वोटर एक ही है। इस लिहाज से दोनों के वोटों में सेंध लगाने में भाजपा को कड़ा संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार हरीश मान का कहना है कि सपा और भाजपा के साथ कहीं–कही बसपा का माहौल दिखा है। लेकिन कांग्रेस का कोई असर जनता में न दिखने से इसका वोटर किस पार्टी की ओर अपना रूख करता है। ऐसे में चुनावी परिणाम चौकानें वाले साबित हो सकते है।

बता दें 2017 में भाजपा ने 58 सीटों में 53 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। तब सपा को कुल 2 सीटों पर, बसपा को 2 सीटों पर और रालोद को सिर्फ 1 ही सीट पर जीत हासिल कर पार्इ थी।

उत्तर प्रदेश की सियासत का मिजाज बदला-बदला सा

उत्तर प्रदेश के पहले चरण के मतदान को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाँक चौबंद है। 10 फरवरी को होने वाले पहले चरण के चुनाव को लेकर प्रत्याशियों ने अपनी जीत को पक्का करने के लिये जनता से अपील की है। कि एक बार उनको ही चुने।

बता दें चुनाव में भले ही बसपा, कांग्रेस अपनी जीत को लेकर हरसंभव प्रयास कर रही है। लेकिन असल में चुनाव भाजपा और सपा के बीच में है। सपा और भाजपा के बीच मुकाबला को देखते हुये नोएडा और गाजियाबाद के किसानों ने बताया कि भाजपा जब से सत्ता में आई है। तब से कुछ न कुछ गरीब जनता विरोधी काम हो रहे है।

किसानों का कहना है कि भाजपा ने 2016 में नोटबंदी करके गरीबों की कमर तोड़ी है। और अमीरों को फायदा पहुंचाया है। किसान मंगल सिंह का कहना है कि 2020 नवम्बर से 2021 नवम्बर तक किसानों का आंदोलन चला, कृषि कानून के विरोध में। केन्द्र सरकार ने जो किसानों को आश्वासन दिये थे। कि किसान अपना आंदोलन समाप्त कर दें। उनकी मांगों को मान लिया जायेगा। लेकिन आश्वासन जो दिये गये थे उनको पूरा नहीं किया गया है। जिससे किसानों में नाराजगी है।

वहीं भाजपा का कहना है कि कुछ लोग तो विरोध करते है और करते रहते है। लेकिन चुनाव में जीत भाजपा को ही मिलेगी और सरकार भाजपा ही मनाएंगी।सपा का कहना है कि इस बार साईकिल चल रही है। सपा का मानना है कि महगांई और बेरोजगारी से युवा नाराज है। इसलिये जनता सपा को ही मौका देगी।

मौजूदा सियासी दौर में तो एक बात जो निकल कर आयी है उससे तो ये साफ है कि जो भी चुनाव परिणाम हो, लेकिन प्रदेश की सियासत का मिजाज बदला–बदला सा है।

कांग्रेस के यूपी घोषणापत्र में 10 दिन में किसान कर्ज़ा माफी सहित कई वादे

उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए कांग्रेस ने बुधवार को लोगों से मिले सुझावों के आधार पर बनाया ‘उन्‍नति विधान’ के नाम से अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। चूँकि पार्टी यूपी में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है, उन्होंने ही यह घोषणा पत्र जारी किया। कांग्रेस ने अपनी सरकार बनने की सूरत में 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ करने, 2500 रुपये में गेहूं-धान और 400 रुपये में गन्‍ना खरीद करने, एससी-एसटी की पूरी शिक्षा मुफ़्त करने, कोरोना वॉरियर्स को 50 लाख रुपये देने, ग्राम प्रधान, चौकीदार का वेतन बढ़ाने और 40 फीसदी महिलाओं को नौकरी में आरक्षण देने जैसे बड़े वादे किये हैं।

प्रियंका गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह घोषणाएं कीं जिसमें प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू, वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और अन्य बड़े नेता शामिल थे। प्रियंका गांधी ने घोषणा पत्र में कहा – ‘हमने इसमें महिलाओं और युवाओं सहित समाज के हर वर्ग का ख्याल रखा है।’ प्रदेश में कल पहले चरण  एक दिन पहले यह घोषणा पत्र आया है।

गांधी ने कहा – ‘प्रदेश में हमारी सरकार बनने पर 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा और 2500 रुपये में गेहूं-धान और 400 रुपये में गन्ना खरीदा जाएगा। बिजली बिल आधा किया जाएगा। जिन परिवारों को कोरोना की मार पड़ी है, उन्हें 2500 रुपये दिए जाएंगे।’

कांग्रेस महासचिव ने कहा – ‘हम 20 लाख सरकारी नौकरियां देंगे इनमें 40 फीसदी महिलाओं को नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा। आवारा पशु से जिनकी फसल का नुकसान होगा उन्हें 3000 रुपये दिए जाएंगे।’

गांधी ने कहा – ‘श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए आउटसोर्सिंग बंद करेंगे। आउट सोर्स्‍ड और संविदा कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से नियमितीकरण करेंगे। इसी तरह संस्कृत और उर्दू शिक्षकों के खाली पद भरे जाएंगे।’

उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र में 2 रुपये किलो में गोबर खरीदने का प्रावधान है। झुग्गी की वो जमीन, जिसमें कोई रह रहा है, उसकी नाम कर दी जाएगी।  ग्राम प्रधान का वेतन 6000 रुपये बढ़ाया जाएगा जबकि चौकीदारों का वेतन 5000 रुपये बढ़ाया जाएगा।’

प्रियंका गांधी – ‘ कोविड-19 (कोरोना) में जान गंवाने वाले कोरोना वॉरियर्स को 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। सभी शिक्षा मित्रों को नियमित किया जाएगा। एससी और एसटी की पूरी शिक्षा मुफ़्त की जाएगी। कारीगर और बुनकरों के लिए विधान परिषद में एक सीट आरक्षित की जाएगी। दिव्यांगों की पेंशन प्रतिमाह 6000 की जाएगी। महिला पुलिसकर्मियों को उनके गृहनगर में पोस्टिंग दी जाएगी।’

कांग्रेस नेता ने इस मौके पर कहा – ‘दूसरी पार्टियों की तरह हमने अन्य पार्टियों के वादे  को लेकर अपने घोषणापत्र में नहीं डाले, हमने लोगों से मिले सुझावों को इसमें शामिल किया है। इस समय महंगाई और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा है।’

कर्नाटक में हिजाब विवाद पर आज हाईकोर्ट में फिर हो रही सुनवाई

हिजाब विवाद ने कर्नाटक में उथल पुथल मचा दी है। वहां सामाजिक ताना बाना तो छिन्न भिन्न हुआ ही है, इसपर राजनीति भी तेज हो गयी है। अब इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में आज सुनवाई हो रही है। मामला इतना गरमा गयाहै कि कर्नाटक सरकार को तीन दिन के लिए स्कूल-कॉलेज बंद करने पड़े हैं। इस बीच प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंद्र सिंह परमार ने कहा है कि भाजपा सरकार स्कूलों में ‘ड्रेस कोड’ लाएगी।

इस मसले पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई आज के लिए टाली थी। याद रहे कर्नाटक में हिजाब विवाद तब शुरू हुआ जब पिछले महीने राज्य के उडुपी के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज ने हिजाब पहनने के चलते 7 लड़कियों को क्लास में जाने से ही रोक दिया। लड़कियों ने इसके खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका तर्क है कि  हिजाब पहनने की इजाज़त न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है।

मुस्लिम छात्राएं स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनकर अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं, जबकि दूसरी तरफ कुछ छात्र भगवा स्कार्फ़ पहनकर इस फैसले को सही ठहरा रहे हैं। विवाद बढ़ जाने से राजनीतिक संकट में फंसे मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तीन दिन के लिए सभी स्कूल-कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है।

उधर मंगलवार को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह संविधान का पालन करेगा। कोर्ट ने छात्रों को कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति देने के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह जुनून या भावनाओं से प्रभावित नहीं होगा। कोर्ट ने शांति बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर छात्रों और जनता से अनुरोध करने का एक छोटा आदेश भी जारी किया था।

न्यायमूर्ति कृष्ण दीक्षित ने कहा, ‘संविधान मेरे लिए भगवद गीता है। मैंने संविधान का पालन करने की शपथ ली है। आइए भावनाओं को अलग रखें। भारत का संविधान एक व्यक्ति को कुछ प्रतिबंधों के अधीन अपने धर्म को मौलिक अधिकार के रूप में पालन करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। अतीत में अदालतों ने माना है कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान की तरफ से मिली तरफ से मिली सुरक्षा की गारंटी के तहत आता है।’

एम–बाई फैक्टर किसके लिये है उपयोगी

राजनीति में प्रयोग और संयोग का ऐसा संगम होता है कि जो अक्सर सामने आ ही जाता है। जैसा कि आजकल उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव में देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी (एमबाई) पर ये जुमला खूब चलता है कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम–यादव (एम-बाई) फैक्टर की राजनीति करती है।

अब यही जुमला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चल रहा है कि भाजपा भी एम बाई फैक्टर पर चल रही है। यानि मोदी और योगी। यहां के लोगों का कहना है कि प्रदेश में असली मुकाबला तो सपा और भाजपा के बीच है। दोनों दलों के बीच एम बाई फैक्टर का जादू चल रहा है। लेकिन ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि कौन सी पार्टी का एम-बाई फैक्टर का जादू चला है।

उत्तर प्रदेश की सियासत के जानकार संजय गौतम का कहना है कि राजनीति में तरह–तरह के प्रयोग होते रहते है। लेकिन संयोग भी कभी कभार बनकर सामने आ जाते है। जैसा कि सपा और भाजपा के बीच एम-बाई का फैक्टर सामने आ गया है। क्योंकि भाजपा मोदी और योगी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। यानि कि किसके लिये एम-बाई फैक्टर होता है उपयोगी।

बताते चलें, उत्तर प्रदेश की सियासत में जाति–धर्म की चुनावी जंग पुरानी है। लेकिन संयोग इस बार बना कि भाजपा और सपा के बीच एम-बाई फैक्टर एक साथ सामने आया है।कांग्रेस और बसपा को लेकर भी जुमले है। लेकिन संयोग इस बार भाजपा और सपा के बीच ही बना है। जिसको लेकर लोगों में बड़ी दिलचस्पी देखने को मिल रही है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसे चुनेगा किसान !

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश न केवल सुर्खियों में है बल्कि यहां की बाजी जीतने के लिए सभी दलों ने ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को चार्टलैंड व गन्ना बेल्ट भी कहा जाता है। इस इलाके में ‘जय जवान, जय किसान’ नारा सटीक बैठता है। यहां के जाट खेती तो करते ही है साथ ही सीमा पर जाकर देश की रक्षा भी करते है।

इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश इसलिए भी खास है क्योंकि किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत इसी इलाके (सिसौली) से है। और लगभग एक साल चला किसान आंदोलन का असर सियासी समीकरणों पर भी पड़ता नज़र आ रहा है।

किसान आंदोलन समर्थकों का मानना है कि भाजपा को किसान आंदोलन का नुकसान ज़रूर होगा। क्योंकि जाट भाजपा से नाराज़ है। जबकि भाजपा का दांवा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसे पहले से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी।

भाजपा के कद्दावर नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना में घर-घर जाकर भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह के लिए चुनाव प्रचार कर पर्चे भी बांटे। अमित शाह ने वहां हिंदुओं के पलायन, 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों को बड़ा मुद्दा बनाया।

तहलका संवाददाता ने जब कैराना से भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह से बात की तो उन्होंने बताया, “मैं पिछले दो दिनों में ना केवल हिंदू परिवारों से मिली बल्कि सभी जातियों के घर गई और मुझे सभी से एक समान इज्जत व आदर मिला। यहां भाजपा से कोई भी नाराज नहीं है। बल्कि इस बार कैराना में भाजपा की ही जीत होगी।”

तहलका संवाददाता ने भाजपा सरकार में कैबिनेट गन्ना मंत्री व थानाभवन विधायक (उत्तर प्रदेश) सुरेश राणा से बातचीत की और लम्बे समय से लंबित गन्ने की पेमेंट व गन्ने की रिकवरी से नाराज किसान की परेशानी पर उसे जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि, “मैं आपकी बात से सहमत हूं। जो भी आपने कहा है हमें इस बात से बिल्कुल भी आपत्ति नहीं है और वो इसलिए क्योंकि लगातार 120 चीनी मिल उत्तर प्रदेश में है 94 मिले ऐसी है जिसका भुगतान 14 दिनों के अंतर्गत किया जा रहा है, 12 मिले ऐसी है जिनका करंट का भुगतान 75 प्रतिशत तक किया जा चुका है।

बाकी बची 10 मिले और यह वह मिले है जो कि बजाज ग्रुप की थी जो कि बहुत ही कठिनाई और भुगतान में रही है। यह मिले 2004 में लगी थी तबसे लगातार यह मिले कठिनाई में ही रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण चीनी के पैसे को अन्य उद्योग में परिवर्तित (डाइवर्ट) करना था। भाजपा सरकार ने यह डाईवर्जन रोक दिया। इसके साथ ही सरकार के पास भुगतान करने के केवल दो तरीके थे जिसमें पहला तरीका मिल की आरसी करने का और दूसरा तरीका मिल की एफआईआर करने का। और यदि हम आरसी करते है तो उसका कितना बकाया है उसका 10 प्रतिशत टैक्स सरकार को चला जाएगा।

उन्होंने आगे कहा, तो मैं योगी जी का धन्यवाद करूंगा की वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री है प्रदेश के जिन्होंने चौधरी चरण सिंह जी से प्रेरित हो कर यह कानून बनाया कि यदि कोई शुगर मिल भुगतान नहीं करती तो सभी सिस्टर कंसर्न कंपनियों को जब्त करके हम गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित करेंगे। और कानून के उसी क्रम में जद में सबसे पहले बजाज ग्रुप आया और ढाई महीने पहले कानून बना और हमने 1 हजार करोड़ रूपया बजाज एनर्जी से लेकर किसानों का भुगतान करना सुनिश्चित किया और आज यहां एक भी रुपया बकाया नहीं है।”

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांटे की टक्कर मुख्य रूप से भाजपा और सपा इन दो पार्टियों के बीच मानी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) व कांग्रेस भी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जद्दोजहद में लगी हुई है। किंतु उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन भी ग्राउंड जीरो पर बेहद पसंद किया जा रहा है।

बड़ौत के किसानों से बातचीत तो उन्होंने बताया की गन्ने की रिकवरी व सही समय पर गन्ने की पेमेंट पिछले एक साल से ना होने से हमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही युवाओं के लिए रोजगार की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

तहलका संवाददाता ने कैराना जिले में स्थित ‘कैरियर वील्स’ नाम की कंपनी के मालिक से बातचीत तो उन्होंने बताया कि, “पहले यहां डकैती, लूटमार और फिरौती का बेहद खौफ था। और शाम को कंपनी में काम करते हुए यदि कोई वर्कर लेट हो जाता था तो वह घर न जाकर कंपनी में ही सो जाता था। साथ ही उनकी कंपनी में पहले एक भी महिला नहीं हुआ करती थी लेकिन जब से योगी आदित्यनाथ जी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है तब से हमारी कम्पनी में आज 25 से 30 के करीब महीलांए है। जो कि ऐसे जगह पर बेहद बड़ी बात है। और आज हमारे वर्कर यदि शाम को काम करते हुए देर-सवेर हो भी जाए तो निश्चिंत होकर अपने घर जाते है।“

इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव किसान आंदोलन व गन्ने पर सिमट गया है। इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि किसान नाराज़ है। लेकिन सभी पार्टियां हर बार की तरह इस बार भी चुनाव प्रचार में नए-नए तमाम वादे कर रही है। जहां साफ तौर पर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन इन दो पार्टियों के बीच आर पार की लड़ाई दिख रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश का किसान इन दोनों में किसे चुनेगा।