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ज़िंदगी की दौड़ में हारे मिल्खा सिंह

स्मृति शेष : भारतीय एथलेटिक्स का अनोखा चितेरा  

वह स्प्रिंटर थे लेकिन ज़िंदगी उन्होंने लम्बी दौड़ के धावक की तरह जी। ट्रैक पर जब वे दौड़ते थे तो लगता था कोई इंसान उड़ रहा है। लिहाजा उनका नाम ही ‘उड़न सिख’ पड़ गया। ट्रैक से बाहर ज़िंदादिल मिल्खा सिंह एक बेहद संवेदनशील इंसान भी थे। शायद इसलिए अस्पताल के बिस्तर पर दो दिन पहले जब उन्होंने पत्नी निर्मल के स्वास्थ्य की फ़िक्र में घरवालों से आग्रह किया कि निम्मी से उनकी बात करवाई जाए तो घरवाले ऐसा नहीं कर सके थे। करते भी कैसे, मिल्खा की जीवनसाथी तो 13 जून को ही किसी दूसरी दुनिया में चली गयी थीं और मिल्खा को यह जानकार शॉक न लगे, उनसे खबर  छिपाकर रखी गयी थी। परिजनों की लगातार खामोशी से मिल्खा समझ गए उनकी निम्मी जा चुकी है। इसके बाद वो ज्यादा घंटे नहीं जी पाए। मिल्खा सिंह लम्बी यात्रा पर निकल गए हैं, लेकिन भारतीय एथलेटिक्स के ट्रैक पर उनके विजयी पदचिन्ह अमिट रहेंगे।

शाम 5 बजे मिल्खा सिंह (91) उसी मिट्टी में विलीन हो जाएंगे, जिस मिट्टी पर कभी नंगे पाँव दौड़ते हुए उन्होंने इतनी तेजी पकड़ी कि वे फ्लाईंग सिख बन गए। किसी भारतीय के ओलंपिक में स्वर्ण जीतने की उनकी इच्छा भले अधूरी रह गयी, शायद फिर कभी कोई मिल्खा सिंह इसे पूरा कर दे। पद्मश्री मिल्खा सिंह का जलवा ही था कि उनपर फिल्म भी बनी। जीवट से भरे मिल्खा से महीने भर लड़कर कोरोना को तो मात दे दी थी और वे नेगेटिव भी हो गए थे, लेकिन इस उम्र में शरीर की कमजोरी के बावजूद वे जीवन की जंग लड़ते रहे। शायद पत्नी निर्मल जीवित रहतीं तो मिल्खा पुरानी हिम्मत के साथ फिर हमारे सामने होते।

पद्मश्री मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात पीजीआई, चंडीगढ़ में जब निधन हुआ तब वे काफी कमजोर दिख रहे थे। इसी बुधवार को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी। शुक्रवार दोपहर अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी। बुखार भी हुआ और ऑक्सीजन लेवल भी धोखा देने लगा। पीजीआई के वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम लगातार इस दिग्गज पर नजर बनाये थी। लेकिन देर रात 11.40 बजे अंतिम सांस लेते हुए मिल्खा भारतीय एथलेटिक्स में एक बड़ा शून्य छोड़ गए।

मिल्खा सिंह के साथ उनकी पत्नी निर्मल कौर ( जिन्हें मिल्खा निम्मी कहते थे) कोरोना संक्रमित हो गईं थीं। उन्हें गंभीर हालत में मोहाली के निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था, जहाँ 13 जून की शाम वो चल बसीं थीं। निर्मल भारतीय बॉलीबाल टीम की कप्तान रही थीं और जीवट में मिल्खा सिंह से कहीं कम न थीं। लेकिन होनी को शायद यही मंजूर था।

पत्नी की मौत को परिजनों ने मिल्खा सिंह से छिपाकर रखा था। इस डर से कि कहीं उन्हें शॉक न लगे। पत्नी से मिल्खा का लगाव सभी जानते थे। सोचा था, मिल्खा पूर्ण स्वस्थ हो जायेंगे तो तब उन्हें जीवनसाथी के जाने की बुरी खबर देंगे। परिजनों के मुताबिक दो दिन से मिल्खा पत्नी निम्मी से फोन पर बात करवाने की जिद्द कर रहे थे। साथ ही यह भी कह रहे थे कि निम्मी उनके सपने में आकर कह रही हैं कि वे अब इस दुनिया में नहीं। परिजनों की खामोशी और नम आँखों से शायद मिल्खा समझ गए थे कि उनकी निम्मी से कोई अनहोनी हो गयी है। इसके बाद वे ज्यादा घंटे नहीं जी पाए।

मिल्खा सिंह  की जिम्मेवारी भी बखूबी निभाई। उनके इकलौते बेटे जीव मिल्खा सिंह अंतरराष्ट्रीय गोल्फर हैं जबकि बेटियां भी अपने जीवन में खुश हैं। मिल्खा सिंह का जाना एक युग का अंत है। उनके भारतीय एथलेटिक्स के पटल पर छा जाने के बाद अनगिनत युवाओं ने मिल्खा को आदर्श मानकर उन जैसा एथलीट बनने की कल्पना की। देश के दर्जनों प्रमुख लोगों और करोड़ों आम लोगों ने मिल्खा के निधन का शोक मनाते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

मिल्खा की उपलब्धियां भी गौर करने लायक हैं। साल 2010 की राष्ट्रमंडल खेलों तक मिल्खा सिंह के बाद कोई भारतीय एथलीट ऐसा नहीं था, जिसने इन खेलों में स्वर्ण पदक जीता हो। साल 1958 और 1962 के एशियाई खेलों में भी मिल्खा ने 400 मीटर स्प्रिंट में स्वर्ण पदक जीते।  लेकिन भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में जिस एक पल ने मिल्खा सिंह को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया, वह 1950 के ओलम्पिक स्प्रिंट का फाइनल था। वे एक सेकंड के सौवें हिस्से से कांस्य पदक से चूक गए, लेकिन 400 मीटर में 45.73 सेकंड का उनका ये गजब रेकॉर्ड देश में 40 साल तक और कोई नहीं तोड़ पाया।

शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि मिल्खा सिंह ने 1968 में जाकर पहली बार जीवन कोई मूवी देखी थी। इससे पहले मिल्खा कई बार ओलम्पिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में विदेश जा चुके थे। यह दिलचस्प संयोग ही है कि इन्हें मिल्खा सिंह पर फरहान अख्तर ने ‘भाग मिल्खा भाग’ बनाई जिसे देखकर नई पीढ़ी को उनकी ज़िंदगी के कुछ अनछुए पहलूओं की जानकारी मिली।

दुनिया भर में अपने एथ्लेटिसिज्म का लोहा मनवाने वाले मिल्खा सिंह भारतीय सेना में तीन बार कोशिश करके भी सफल नहीं हो पाए थे। चौथी बार जाकर वे सेना के लिए चुने गए और यहीं से उनके जीवन ने पलटी मारी और वे भारतीय खेल जगत का नूर बने। सेना ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनकी खेलों में भागीदारी सुनिश्चित की।

शोहरत के तमाम आयाम देखने वाले मिल्खा को जब 2001 में जाकर अर्जुन अवार्ड की घोषणा हुई तो नाराज मिल्खा ने इसे विनम्रतापूर्वक स्वीकार करने से मना कर दिया और कहा कि यह बहुत देरी से आया है, 40 साल के बाद। उनकी नाराजगी की बजह थी कि 1961 में अर्जुन पुरस्कार शुरू होने के बावजूद उनका नाम कभी अर्जुन पुरूस्कार के लिए नहीं भेजा गया जबकि वे उस समय अपनी उपलब्धियों के बूते इसके सबसे बड़े दावेदार थे।

मिल्खा सिंह की एक ऑटोबायोग्राफी भी है – द रेस ऑफ माई लाइफ। इसे उन्होंने 2013 में अपनी पुत्री सोनिया के साथ मिलकर लिखा और प्रकाशित किया था। यहाँ एक और दिलचस्प बात है। फिल्म निदेशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने जब उनपर मूवी बनाने की घोषणा की तो बड़े दिल वाले मिल्खा सिंह ने अपनी ऑटोबायोग्राफी मेहरा को महज एक रूपये की टोकन कीमत पर दे (बेच) दिया था। एयर और बात मिल्खा अपने जीवन में जीते तमाम मैडल और ट्राफियां स्पोर्ट्स म्यूजियम पटियाला को दे चुके हैं ताकि यह धरोहर नई पीढ़ियों को प्रेरणा दे सके।

बहुत काम लोगों को जानकारी होगी कि मिल्खा सिंह को उड़न सिख (फ्लाईंग सिख) का नाम पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने दिया था। पाकिस्तान एक 200 मीटर की स्प्रिंट के एक अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले के दौरान पाकिस्तान के नामी एथलीट अब्दुल खालिक भी मिल्खा के साथ फाइनल में पहुंचे थे। पाकिस्तान में सबको भरोसा था कि मिल्खा को हराकर जीत अब्दुल की ही होगी।

दौड़ शुरू हुई और और जब मिल्खा दौड़े तो बाकी सब पीछे रह गए। मुख्य अतिथि के रूप में पुरूस्कार देते हुए जनरल अयूब खान ने मिल्खा की तारीफ़ में कहा – ‘अर्रे, ये सरदार दौड़ता है या उड़ता है। ये तो फ्लाइंग सिख है।’ बस यहीं से मिल्खा सिंह फ्लाईंग सिख के नाम से मशहूर हो गए। यहाँ यह जानना भी दिलचस्प है कि मिल्खा पहले इस मुकाबले में जाना नहीं चाहते थे क्योंकि भारत बंटवारे के में दंगों में उन्होंने  मुश्किल से अपनी जान बचाई थी जबकि उनके माता-पिता और बहनें इन दंगों की भेंट चढ़ गए थे। लेकिन तब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उनसे विशेष आग्रह कर उन्हें पाकिस्तान भेजा था।
मिल्खा सिंह अब हमेशा के लिए विदा ले गए हैं। देश के खेलों में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा।

अलॉटी की भी हो सुनवाई

दिल्ली-एनसीआर में सरकारी और बिल्डरों द्वारा बने फ्लैटों को अभी तक अलॉटी की भी हो सुनवाई को आंबटित नहीं किये जाने से लोगों में भारी रोष है। तहलका संवाददाता को उन लोगों ने बताया कि जो अपनी किस्तें तो जमा कर चुके है। पर उनको अभी तक फ्लैट आंवटित नहीं किये गये है। जिससे उनको अब अपने ही घर में रहने में दिकक्त हो रही है।

नोएड़ा में म्यू-1और म्यू -2 में 2013 में जिन लोगों को नोएड़ा अथाँरिटी के फ्लैट आंवटित किये गये थे।जिसमें से ज्यादात्तर लोगों ने अपने पैसा यानि की किस्तें भी जमा कर दी है। फिर भी अभी उन फ्लैटों में अभी मूल- भूत सुविधायें तक नहीं है। जिसके कारण लोगों अपने ही फ्लैटों में नहीं रह पा रहे है। जबकि ये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनवायें गये है। यहां के निवासी सुन्दर दास का कहना है कि यहां की समस्या को लेकर  अथाँरिटी में जाते है तो सुनवाई नहीं होती है। यहीं हाल नामी- गिरामी बिल्डरों का है। जो फ्लैटों का पैसा तो लें चुके है। लेकिन पजेशन देने के नाम पर आना –कानी कर रहे है।

पुरूषोत्तम दास ने बताया कि नोएड़ा में नामी –गिरामी बिल्डर अपने ही अलॉटी की भी हो सुनवाई को किसी ना किसी बहाने से पजेशन देने में आना कानी कर रहे है। इस समय बिल्डरों का कहना है कि कोरोना काल में मजदूरों के ना होने से और काम में घाटा होने से एलाँटी को उनको पजेशन नहीं दें पा रहे है।जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। लेकिन जल्द से जल्द इस मामले में काम को पूरा किया जायेगा।

बताते चलें, कोरोना काल प्राइवेट कर्मचारियों की नौकरी या तो छूट गयी है। या कम्पनी बंद होने से उनके नौकरी चली गयी है।जिसके कारण कर्मचारियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।ऐसे में इन कर्मचारियों को ईएमआई तक भरने में दिक्कत हो रही है।

इस बारे में लोगों का कहना है  कि सरकार को ही कोई  पहल करनी होगी ताकि इस बारे सुनवाई हो सकें। जिससे लोगों की समस्या का समादान हो सकें।

ट्वीट को लेकर दिग्गजों पर शिकंजा कसने की तैयारी

बुजुर्ग से अभद्रता मामले में अभिनेत्री स्वरा भास्कर, पत्रकार आरफा खानम और ट्विटर हेड के खिलाफ शिकायत दर्ज

देश की राजधानी नई दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद में बुजुर्ग के साथ की गई घृणा वाली कार्रवाई से जुड़े वायरल वीडियो पर विवाद गहराता जा रहा है। इसी मामले में अभिनेत्री स्वरा भास्कर, ट्विटर इंडिया के हेड मनीष माहेश्वरी समेत अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। यह शिकायत दिल्ली के तिलक मार्ग थाने में कराई गई है।

पेशे से वकील अमित आचार्य की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में वरिष्ठ पत्रकार आरफा खानम शेरवानी और अभिनेता आसिफ खान का भी नाम शामिल किया गया है। आरोप है कि मामले में इन सभी ने भड़काऊ ट्वीट किए। पुलिस का कहना है कि अभी शिकायत दर्ज नहीं की गई है, लेकिन पुलिस मामले की जांच कर रही है।

गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया और मामले से जुड़े वेरिफाइड अकॉउंट होल्डर्स को नोटिस जारी करने की तैयारी पूरी कर ली है। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही नोटिस जारी किया जाएगा।

पत्रकार आरफा खानम ने शिकायत पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया कि यह किसी घटना के आधिकारिक वर्जन से हटकर की गई रिपोर्टिंग को अपराधिक रूप देने का प्रयास है। एक अपराध के शिकार व्यक्ति ने घटना के बारे में खुद क्या कहा है? इसकी रिपोर्टिंग के लिए द वायर पर एफआईआर दर्जकी गई है।

क्या लिखा था अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने
स्वरा ने ट्वीट किया था कि गाजियाबाद लिंचिंग पीड़ित का फैमिली बिजनेस कारपेंट्री (बढ़ई) है। वह ताबीज बनाने के बारे में कुछ नहीं जानता। गिरफ्तार किए गए सह-आरोपी का भाई भी पुलिस के बयान को चुनौती दे रहा है। इन दावों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी लिखा था कि परिवार की ओर से छह जून को की गई शिकायत की वास्तविक कॉपी में इसकी पुष्टि की गई है। हालांकि, पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। मुहर पर लिखी तारीख से पता चलता है कि एफआईआर से पहले बुजुर्ग पर उनके हमलावरों द्वारा जय श्री राम का नारा लगवाने का आरोप पुलिस संज्ञान में लाया गया था।

कड़कड़डूमा अदालत ने कलिता, नताशा और आसिफ को रिहा करने का आदेश दिया  

दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने गुरुवार को सीएए आंदोलन के समय दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए के तहत आरोपी बनाए गए ‘पिंजड़ा तोड़’ की दो सदस्यों देवांगना कलिता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की वह अर्जी खारिज कर दी है जिसमें उसने तीनों आरोपियों के पते के सत्यापन के लिए और समय मांगा था। कोर्ट ने अपने आदेश में रिलीज वारंट तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया। उधर रिहाई में देरी को लेकर यह दोबारा हाई कोर्ट पहुंचे हैं।

बता दें दिल्ली हाई कोर्ट ने तीनों को जमातन दे दी थी लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया था। हाईकोर्ट के फैसले को दिल्‍ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है और हाईकोर्ट के फैसले पर विचार करने की मांग की है। दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने यूएपीए के तहत तीनों नताशा, आसिफ और कालिता को जमातन दे दी थी।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से प्रमाणन के लिए 21 जून तक का समय मांगा था। तिहाड़ जेल में इन तीनों की रिहाई के लिए वारंट भेज दिए गए हैं। यह आदेश इन तीनों के तुरंत रिहाई के लिए दिल्‍ली हाईकोर्ट की शरण में जाने के बाद आया है।
याद रहे 15 जून को दिल्‍ली हाईकोर्ट ने दिल्‍ली दंगा मामले में देवंगाना कलिता, नताशा नरवाल और जामिया मिलिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्‍हा को जमानत दी थी। उन्हें देश से बाहर नहीं जाने का आदेश अदालत ने दिया था। तीनों को जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि ‘विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है’।

नताशा, देवंगाना और , दिल्‍ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप ‘पिंजरा तोड़’ के सदस्‍य हैं और आसिफ जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया का छात्र है। फरवरी 2020 में दिल्‍ली में हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हिंसा में कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया था।

भारतीय मूल के सत्या नडेला माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन बने

भारतीय मूल के सत्या नडेला दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन नियुक्त किये गए हैं। पिछले साल से नडेला कंपनी के सीईओ हैं। कम्पनी को बुलंदियों तक ले जाने के ऐवज में उन्हें यह पुरस्कार मिला है।
नडेला जॉन थॉमसन का स्थान लेंगे जिन्हें पुनः लीड इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की भूमिका सौंपी गयी है। थॉमसन 2014 में चेयरमैन कम्पनी के चेयरमैन बनाये गए थे जिससे  पहले वह कंपनी के बोर्ड में लीड इंडिपेंडेंट डायरेक्टर थे। नडेला को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने 2014 में माइक्रोसॉफ्ट में सीईओ का पद तब संभाला था जब तो कंपनी काफी मुश्किलें झेल रही थी। अब 53 साल के नडेला ने माइक्रोसॉफ्ट को इन मुश्किलों से तो बाहर निकाला ही, कम्पनी को नई ऊंचाई तक ले गए।
नडेला ने क्लाउड कंप्यूटिंग, मोबाइल ऐप्लिकेशनंस और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर फोकस किया और साथ ही ऑफिस सॉफ्टवेयर फ्रेंजाईजी में भी नई जान फूंकी। यह उनके कार्यकाल के दौरान ही हुआ कि माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों की कीमत में सात गुना से अधिक की बढ़ौतरी हुई कंपनी का मार्केट कैप 2 लाख करोड़ डॉलर के करीब पहुंच गया। अभी तक कंपनी के इतिहास में नडेला तीसरे सीईओ थे जबकि कंपनी के वे चेयरमैन भी तीसरे ही होंगे। बिल गेट्स और थॉमसन उनसे पहले चेयरमैन पद पर रहे हैं।
माइक्रोसॉफ्ट कार्पोरेशन ने अपने एक बयान में कहा – ’72 साल के थॉमसन लीड इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के तौर पर एक्टिव रहेंगे और नडेला के कंपनसेशन, सक्सेशन प्लानिंग, गवर्नेंस और बोर्ड ऑपरेशंस देखेंगे।’

सीबीएसई ने बताया सुप्रीम कोर्ट को 12वीं के नतीजे का फार्मूला, 10वीं-11वीं के 30-30, 12वीं प्री बोर्ड के 40 प्रतिशत अंक जुड़ेंगे  

सीबीएसई ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह 12वीं के मूल्यांकन (नतीजे) के लिए 10वीं और 11वीं के अंकों पर क्रमशः 30-30 प्रतिशत वेटेज और 12वीं प्री बोर्ड के अंकों पर 40 प्रतिशत वेटेज का फार्मूला अपनाएगा। सीबीएसई ने  यह भी बताया है कि 12वीं के नतीजे 31 जुलाई तक घोषित कर दिए जाएंगे।

कोविड-19 महामारी और इसके कारण बार-बार लग रहे लॉकडाउन के चलते 12वीं   की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं कक्षा के लिए निष्पक्ष मानदंड तय करने के लिए तीन जून को केंद्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया था। सीबीएसई ने 4 जून को 13 सदस्यीय समिति का गठन करके उसे 10 दिन के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा था।

अब इस समिति ने सर्वोच्च अदालत के सामने 12वीं के नतीजे का अपना फार्मूला रखा है। इसमें यह भी गुंजाइश राखी गयी है कि यदि कोई छात्र नतीजे से संतुष्ट नहीं है तो वह इसके खिलाफ संभावित समिति के सामने अपील कर सकता है। वैसे छात्र चाहें तो घर बैठकर ही अपने रिजल्ट और मार्क्स का गुना-भाग कर सकते हैं।
सरकार के मुताबिक छात्रों की मार्कशीट 10वीं, 11वीं और 12वीं प्री बोर्ड के रिजल्ट को आधार बनाकर तैयार की जाएगी। इसके लिए कक्षा 10वीं के रिजल्ट के आधार पर 30 फीसदी, 11वीं के रिजल्ट के आधार पर 30 फीसदी और 12वीं प्री बोर्ड या यूनिट टेस्ट के आधार पर 40 फीसदी अंक जुड़ेंगे।

सीबीएसई ने कहा है कि कक्षा 10वीं के 5 विषय में से जिन 3 विषयों में सबसे अच्छे अकं होंगे, उन्हें लिया जाएगा। इसी तरह कक्षा 11वीं के 5 विषयों का औसत लिया जाएगा और कक्षा 12वीं की प्री बोर्ड परीक्षा और प्रैक्टिकल के अंक लिए जाएंगे। सौ  फीसदी रिजल्ट तैयार करने के लिए 10वीं के अंकों का 30 फीसदी, 11वीं के अंकों का 30 फीसदी और 12वीं के अंकों का 40 फीसदी लिया जाएगा और इसी के आधार पर फिर फाइनल रिजल्ट तैयार होगा।

सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई की ओर से कहा गया है कि समिति ने ये फैसला परीक्षा की विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए किया है। अब सीबीएसई के स्कूलों में एक परिणाम समिति का गठन होगा जिसमें स्कूल के दो वरिष्ठ शिक्षक और पड़ोसी स्कूल के शिक्षक ‘मॉडरेशन कमिटी’ के तौर पर काम करेंगे। ऐसा करके ये सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल अंकों को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर न बताए। समिति छात्रों के बीते तीन साल का प्रदर्शन भी देखेगी।

सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना के अलावा अन्य रोगियों को तांता

कोरोना के मामले कम होते ही, दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में हार्ट रोगी, किडनी रोगी सहित अन्य रोग से पीड़ित अब बिना डर-भय के अपने इलाज कराने के लिये अस्पतालों में आ-जा रहे है। अस्पतालों में मरीजों का तांता लगा हुआ है। एम्स के डाक्टरों का कहना है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी के साथ घातक बीमारी है। इसमें जरा सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। एम्स के डाँ आलोक कुमार का कहना है कि कोरोना के साथ-साथ हमें अन्य बीमारियों का रूटीन चैकअप समय-समय पर करवाते रहना चाहिये। ताकि किसी अन्य प्रकार की स्वास्थ्य समस्या ना हो सकें।

डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल का कहना है कि जिन लोगों को हार्ट , अस्थमा, किडनी सहित अन्य बीमारी है। वे इलाज जरूर करवायें। क्योंकि इन रोगियों को कोरोना ज्यादा अटैक करता है।रोगियों को इलाज कराने में लापरवाही नहीं करनी चाहिये। कोरोना की जांच भी कराने में हिचकना नहीं चाहिये। क्योंकि कोरोना का इलाज भी है। जागरूकता और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने से कोरोना जैसी बीमारी को काबू पाया जा सकता है। हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ अनिल ढ़ल का कहना है कि जब से कोरोना के मामलें कम हुये है। तब से हार्ट रोग से पीड़ित मरीज इलाज कराने को अस्पतालों में आये है। सरकारी और निजी अस्पतालों में अन्य रोग से पीड़ित मरीज अब सावधानी और जागरूकता के साथ इलाज कराने में हिचक नहीं रहे है। जो स्वास्थ्य के लिये बेहत्तर है।

अनलाँक के बाद बाजारों में लौटी रौनक, व्यापारियों में खुशी

राजधानी दिल्ली के बाजारों भले ही रौनक लोटने लगी हो पर, लोगों में और व्यापारियों में अभी भी इस बात का डर है कि कोरोना का संक्रमण फिर से कोहराम ना मचा दे। बता दें कि 14 जून से दिल्ली के बाजारों को अनलाँक किया गया है। जिससे व्यापारियों में खुशी का माहौल है।

तहलका संवाददाता को व्यापारी पदम सिंह ने बताया कि कोरोना का कहर कम हुआ है। लेकिन कोरोना गया नहीं है। ऐसे में हमें व्यापार करते समय इस बात की सावधानी रखनी चाहिये ताकि, व्यापारी के साथ ग्राहक भी कोरोना जैसे संक्रमण से बच सकें। सरोजनी नगर मार्केट के अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि कोरोना को काबू पाने के लिये हम सब को जागरूकता के साथ सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा पर, साथ ही सरकार का दायित्व बनता है कि वो भी लोगों को लोगों मास्क और सेनेटाइज आदि वितरित करें।

दिल्ली के सदर बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव का कहना है कि जब से दिल्ली में बाजार खुले है। तब से व्यापारियों और आम लोगों में खुशी है। कि कोरोना का कहर कम हुआ है। उनका कहना कि रूका हुआ व्यापार तो धीरे-धीरे चलने लगा है। जिससे आर्थिक व्यवस्था पटरी पर आयेगी। ऐसे में उनका सरकार से कहना है कि सरकार बुनियादी तौर पर ग्राहकों और व्यापारियों के बीच एक राहत के तौर पर सोशल डिस्टेसिंग के नाम पर दिल्ली पुलिस या सरकारी अधिकारियों द्वारा तंग करने वालों को रोके ताकि व्यापार धड़ल्ले से चल सकें। उनका कहना है कि कोरोना के मामले कम होने से आशा की किरण जागी है कि आने वाले दिनों में व्यापार सही चलेगा।

चिराग और चाचा पारस में पार्टी को लेकर लंबी लड़ाई तय

बिहार में लोक जनशक्ति पाटी यानी लोजपा में टूट को लेकर लंबी लड़ाई तय है। संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमारपारस और चिराग पासवान के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार को लोजपा  नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध किया है। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि यह लोजपा के विधान के विरुद्ध है।
पासवान ने लिखा कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने पारस समेत उन पांच सांसदों को लोजपा से निष्कासित कर दिया है जो उनके खिलाफ एकजुट हुए हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सदन में उन्हें लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता देने का नया परिपत्र जारी करें।
बिहार के जमुई से लोकसभा सदस्य पासवान ने कहा कि लोजपा के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत केंद्रीय संसदीय बोर्ड को यह अधिकार है कि वह यह फैसला करे कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा। ऐसे में पशुपति पारस को संसदीय दल का लोजपा का नेता बनाया जाना हमारी पार्टी के संविधान के प्रावधान के खिलाफ है।
बता दें कि पिदले दिनों लोजपा के छह सांसदों में से पांच ने चिराग पासवान की जगह पारस को अपना नेता चुना था। अब दोनों समूह यह दावा कर रहे हैं कि उनका गुट ही असली लोजपा है। इस पार्टी की स्थापना रामविलास पासवान ने की थी जिनका कुछ महीने पहले निधन हो गया था। वह चिराग पासवान के पिता और पारस के बड़े भाई थे।अब पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर भी जंग शुरू हो चुकी है। मंगलवार को पटना में चिराग समर्थकों ने पारस के आवास काघेराव भी किया गया।

सोनिया गांधी ने पंजाब का मसला हल करने के लिए अमरिंदर-सिद्धू को 20 जून को दिल्ली तलब किया  

कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह और उनसे जंग में उलझे नवजोत सिंह सिद्धू को 20 जून को दिल्ली तलब किया है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बैठक करके इन नेताओं से मुलाकात करेंगी। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सुनील झाखड़ और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत को भी बुलाया जा सकता है। बैठक में सोनिया गांधी अपने फैसले से इन नेताओं को अवगत करवा सकती हैं।
यह बैठक 20 जून को तलब की गयी है और सोनिया गांधी इस बैठक में पंजाब कांग्रेस को लेकर अपना फैसला नेताओं को बता सकती हैं। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक कैप्टेन और सिद्धू को सोनिया गांधी सख्ती से अपनी गुटबाजी ख़त्म करने और चुनाव से पहले पूरी ताकत झोंक देने को भी कहेंगी।
यह लगभग तय है कि नवजोत सिंह सिद्धू को सरकार या संगठन में बड़ा औहदा दिया जाएगा और अन्य नाराज लोगों को भी एडजस्ट किया जा सकता है। वैसे पार्टी ने सिद्धू को राष्ट्रीय स्तर पर भी पद की पेशकश की हुई है। कांग्रेस ने लगभग तय कर लिया है कि पंजाब में दूसरे समुदायों को सरकार में ज्यादा  प्रतिनिधित्व दिया जाए।
सिद्धू और कैप्टेन दोनों जट्ट सिख हैं। ऐसे में कांग्रेस वहां दो या एक उप मुख्यमंत्री पद सृजित कर दलित और गैर सिख को बड़ा प्रतिनिधित्व दे सकती है। ऐसी स्थिति में सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं। अकाली-बसपा गठबंधन बनने से कांग्रेस के लिए यह बहुत ज़रूरी हो गया है कि दलित वर्ग को अपने साथ जोड़े रखने के लिए उपमुख्यमंत्री पद दिया जाए।
सिद्धू सरकार में जाना नहीं चाहते हैं। राष्ट्रीय राजनीति में जाने को लेकर भी वे अनिच्छा जता रहे हैं। ऐसे में उनके लिए प्रवाल संभावना प्रदेश अध्यक्ष या अगले विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब कांग्रेस की किसी बड़ी समिति – जैसे प्रचार समिति – का अध्यक्ष बनने की रह जाती है। इसके लिए वे तैयार भी हैं। सिद्धू को लगता है कि इससे वे अगले चुनाव में अपने ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल  हो सकते हैं और कांग्रेस के जीतने के स्थिति में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मजबूत दावेदार बन सकते हैं।
इस बैठक में राहुल गांधी सहित कुछ वरिष्ठ नेता भी बुलाये जाने का संभावना है। अहमद पटेल की मृत्यु के बाद कांग्रेस की संकट मोचक के रूप में उभरीं प्रियंका गांधी भी आएं, तो हैरानी नहीं। वैसे अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि सोनिया गांधी की मीटिंग में सिद्धू और कैप्टेन के अलावा पंजाब के वरिष्ठ नेता बुलाये जा रहे हैं या नहीं।
पिछले चुनाव के प्रचार में कैप्टेन अमरिंदर खुद कह चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है, इसलिए उन्हें वोट देकर अवसर दें। ऐसा माना जाता है कि तब राहुल गांधी ने नवजोत सिद्धू से अगले चुनाव (2022) में उन्हें ‘बेहतर जगह’ देने की बात कही थी। हालांकि, जिस तरह कैप्टेन मैदान में डटे हैं, उससे लगता नहीं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। वैसे भी यह साफ़ है कि चुनाव तक पार्टी उन्हें सीएम पद से नहीं हटाएगी।
कैप्टेन अभी भी पंजाब में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं। सुखबीर बादल से लेकर वे किसी भी अकाली (प्रकाश सिंह बादल को छोड़कर) नेता, आप नेता और यहाँ  तक कि किसी कांग्रेस नेता पर भी लोकप्रियता के मामले में भारी पड़ते हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान कोई रिस्क नहीं लेगी। हाँ, सोनिया गांधी कैप्टेन को पंजाब के उन बड़े मसलों, जिनमें गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी और उसके बाद पुलिस फायरिंग की घटनाओं में न्याय की मांग भी शामिल है, को हल करने की हिदायत दे सकती हैं। यह सब मसले मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली कांग्रेस समिति के सामने भी रखे गए हैं।
पंजाब कांग्रेस का मसला सुल्ताने के लिए बनाई इस समिति में सोनिया गांधी ने
जेपी अग्रवाल और प्रभारी महासचिव हरीश रावत को भी शामिल किया था। इस समिति ने लगातार 5 दिन तक कैप्टेन, सिद्धू और अन्य सभी विधायकों-वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया था।
ज्यादा संभावना यही है कि पंजाब कांग्रेस का मसला हल करने की सोनिया गांधी की पूरी तैयारी है। वे प्यार और सख्ती दोनों से मसले हल करने के लिए जानी जाती हैं। वैसे भी न तो कैप्टेन और न सिद्धू आमने-सामने की बैठक में सोनिया गांधी की बात टालने की हिम्मत रखते हैं। ऐसे में निश्चित ही 20 जून की बैठक बहुत मायने रखती है।