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नीरव मोदी को प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटेन की अदालत से झटका

14 हजार करोड़ के पंजाब नेशनल बैंक घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग का मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी को ब्रिटेन की अदालत से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने भारत प्रत्यर्पण से रोकने वाली उसकी याचिका को खारिज कर दी है।

ब्रिटेन में हाईकोर्ट के जज ने प्रस्तुत किए गए आवेदन पत्र को पढ़ने के बाद फैसला लिया कि धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए मोदी के प्रत्यर्पण रोकने के लिए वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के फरवरी के फैसले के खिलाफ अपील करने का कोई आधार नहीं है। अब उस पर शिकंज और सकता नजर आ रहा है।

गुजरात निवासी भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी और उनके साथियों ने साल 2011 में बिना तराशे हुए हीरे आयात करने को लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए पंजाब नेशनल बैंक की एक शाखा से संपर्क साधा। आमतौर पर बैंक विदेश से आयात को लेकर होने वाले भुगतान के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करता है, लेकिन पीएनबी बैंक के कुछ कर्मचारियों ने बैंक मैनेजमेंट को अंधेरे में रखकर कथित तौर पर नीरव मोदी की कंपनियों को फर्जी एलओयू जारी किया।

साजिश रचने वाले अधिकारियों ने सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन का गलत इस्तेमाल करते हुए नीरव और मेहुल चोकसी को फंड जारी करने की हरी झंडी दे दी। इस तरह इन्होंने बैंको बड़ा चूना लगाया। साथ हीरा व्यापार में भी फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया।

 मामले का खुलासा सात साल बाद उस वक्त हुआ जब ये भ्रष्ट अधिकारी रिटायर्ड हो गए और नीरव मोदी की कंपनी ने जनवरी 2018 में दोबारा इसी तरह की सुविधा शुरू करने की गुजारिश की। नए अधिकारियों ने फर्जीवाड़े को पकड़ा और घोटाले की जांच से पर्दा हटाने के लिए जांच शुरू की। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक ने जनवरी 2018 में पहली बार नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और उनके साथियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

बैंक घोटाले में जब्त संपत्ति में 9000 करोड़ बैंकों को लौटाए: ईडी

बैंक घोटालों के मामले में केंद्र सरकार की सख्ती का असर दिखने लगा है। सरकारी बैंकों के साथ धोखाधड़ी के आरोपी विजय माल्या, मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की जब्त की गई संपत्तियों में से 9,371 करोड़ रुपये बैंकों को ट्रांसफर कर दी गई है। यह जानकारी प्रवर्तन निदेशालय ने दी है।

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने ट्वीट कर कहा कि पीएमएलए के तहत विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के मामले में 18,170.02 करोड़ रुपये (बैंकों को हुए कुल नुकसान का 80.45 फीसदी) की संपत्ति जब्त की गई है। इनमे से 9371.17 करोड़ रुपये की कुड़र्की या जब्त संपत्ति का एक हिस्सा भी सरकारी बैंकों और केंद्र सरकार को ट्रांसफर कर दिया गया है।

ईडी ने कहा कि विजय माल्या और पीएनबी बैंक धोखाधड़ी मामलों में बैंकों की 40 फीसदी राशि पीएमएलए के तहत जब्त की और उसके शेयरों को बेचकर वसूली की गई है। ईडी ने कहा कि माल्या को उधार देने वाले गठजोड़ की ओर से कर्ज वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने बुधवार को यूनाइटेड ब्रेवरीज लिमिटेड (यूबीएल) के 5,800 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे, जिन्हें एजेंसी ने पीएमएलए प्रावधानों के तहत जब्त किया था। ईडी ने यह कार्रवाई माल्या के खिलाफ आपराधिक जांच के हिस्से के रूप में की।

ईडी ने कहा कि मुंबई में विशेष पीएमएलए अदालत के निर्देश पर उसने जब्त किए गए शेयर (यूबीएल के लगभग 6,600 करोड़ रुपये के शेयर) एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ को सौंपा, जिसके बाद डीआरटी ने यह कार्रवाई की। एजेंसी ने कहा कि माल्या और वांछित हीरा नीरव मोदी और मेहुल चोकसी, जो पीएनबी घोटाले में शामिल थे। इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कंपनियों के जरिए धन की हेराफेरी की। धोखाधड़ी के चलते सरकारी बैंकों को कुल 22,586 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा।

जनसंघ संस्थापक, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर मोदी और भाजपा नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के कई बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा वर्ष 1947 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को देश की पहली कैबिनेट में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री बनाया गया था, और मात्र 33 वर्ष की आयु में मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बन गये थे।
“एक राष्ट्र, एक विधान, एक निशान” यह नारा भी मुखर्जी ने दिया था और ये नारा देते हुए वे जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे।
गौरतलब है कि, मुखर्जी बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी के करीब 35 से 40 दिनों के भीतर ही उनकी मृत्यु जम्मू की जेल में ही हो गई थीं। हालांकि उनकी मृत्यु पर कई सवाल उठाए गए थे। लेकिन नेहरू ने उनकी मौत को स्वाभाविक बताया था।
भारतीय जनसंघ के बाद ही भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ था। और कुछ समय पश्चात जनसंघ का विलय भाजपा में कर दिया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, “श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उनके आदर्शों, समृद्ध और महान विचारों, और उनकी लोगों की सेवा करने की प्रतिबद्धता हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी। देश हित में राष्ट्रीय एकता के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।”
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा समेत तमाम बीजेपी के नेताओं ने दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय से उन्हे नमन कर श्रद्धांजलि दी।

लाहौर में आतंकी सरगना हाफिज सईद के घर के बाहर बड़ा धमाका

आतंकी सरगना हाफिज सईद के पाकिस्तान के लाहौर स्स्थित घर के बाहर अब से कुछ देर पहले जबरदस्त ब्लास्ट हुआ है। अभी यह पता नहीं है कि इसमें हाफिज सईद को कोई नुक्सान पहुंचा है या नहीं, लेकिन 10 से ज्यादा लोगों के गंभीर घायल होने की खबर है। वीडियो में उसके घर के परखचे उड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। सईद भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी है। अभी किसी ने इस हमले का जिम्मा नहीं लिया है।
जानकारी के मुताबिक घायलों को जिन्नाह अस्पताल में भर्ती किया गया है। लाहौर के जवाहर टाउन इलाके में यह ब्लास्ट हुआ है। धमाके की आवाज दूर-दूर तक सूनी गयी जिससे पता चलता है कि यह धमाका बहुत बड़ा था। वहां आसपास भवनों को इस ब्लास्ट से नुक्सान पहुँचाने की भी खबर है।
अभी यह भी जानकारी नहीं है कि ब्लास्ट के समय हाफीज सईद घर पर ही था या बाहर कहीं था। लेकिन शुरुआती तौर इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि ब्लास्ट सईद को निशाना बनाकर किया गया हो। सईद भारत का भी मोस्ट वांटेड आतंकी है। अभी किसी ने इस हमले का जिम्मा नहीं लिया है। वीडियो में उसके घर के परखचे उड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।
ब्लास्ट की सूचना मिलते ही वहां पाकिस्तान एजेंसियों के लोग पहुँच गए और इलाके को घेरे में ले लिया गया है। ब्लास्ट के सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो में लोग धमाके वाली जगह से भागते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहां धुआं दिखाई दे रहा है और भवनों का मलवा सड़क पर बिखरा पड़ा है। वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है।

कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के ‘कहर’ से तीसरी लहर की आशंका बढ़ी

देश में दूसरी लहर का भी पूरी तरह से खात्मा नहीं हुआ है कि तीसरी लहर की आशंका ने होश उड़ा दिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी आशंकित है कि यह देश में तीसरी लहर का सबब बन सकता है। कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट तेजी से फैलता है और देश के कई हिस्सों में इसके मामले भी सामने आ रहे हैं। इससे कोरोना की थमती जंग को काबू करने में सरकारों को लगता है फिर से नए सिरे से मशक्कत करनी पड़ेगी। महज बयानबाजी या टीकाकारण के खोखले दावों या वादों से काम नहीं चलने वाला है।

वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई राज्यों को सतर्क रहने की सलाह दी है। साथ में सरकार ने चिंता भी जताई है। मंत्रालय के हालिया निष्कर्षों के आधार पर महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश को इनके कुछ जिलों में पाए गए कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट के बारे में सतर्क रहने की सलाह दी है।

इस बीच, महाराष्ट्र में एक बार फिर तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। पिछलीे चैबीस घंटों के दौरान करीब 8500 मामले सामने आए। इससे एक बार फिर राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।

आईआईटी कानपुर के अध्ययन और अनुमान के हिसाब से बताया गया था कि दिल्ली और यूपी में कोरोना खत्म होने की कगार पर है। और अगले दो हफ्तों के बाद इन दोनों ही राज्यों में प्रतिदिन दस से कम नए मरीज मिलने का दावा  किया गया था। इसी बीच, तीसरी लहर के सितंबर में पीक पर होने की भी आशंका जताई जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि महाराष्ट्र के रत्नागिरी और जलगांव जिलों के जीनोम सिक्वेंसिंग में इस वायरस के होने की पुष्टि हुई है। वहीं, केरल के पलक्कड़ और पथनमथिट्टा जिले, और मध्य प्रदेश के भोपाल और शिवपुरी जिले में भी डेल्टा स्वरूप पाया गया है। महाराष्ट्र में खतरनाक डेल्टा प्लस के अभी तक 21 मामले सामने आ चुके हैं।

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने सोमवार को बताया था कि इस स्वरूप के सबसे अधिक नौ मामले रत्नागिरी, जलगांव में सात मामले, मुंबई में दो और पालघर, ठाणे तथा सिंधुदुर्ग जिले में एक-एक मामला सामने आया है। उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से 7,500 नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।

पवार की बैठक में राजनीतिक और गैरराजनीतिक जमावड़ा

हाल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से दो बैठकें करने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार दिल्ली में अपने आवास पर तमाम बड़े विपक्षी (गैर कांग्रेस) नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। सीधे राजनीतिक बैठक न लगे, लिहाजा इससे बचने के लिए बैठक में फिल्मकार जावेद अख्तर, प्रीतीश नंदी से लेकर आर्थिक जानकार अरुण कुमार तक को भी न्योता गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के ‘राष्ट्र मंच’ के बैनर तले यह बैठक ऐसे मौके पर हो रही है जब देश में हाल में कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने में मोदी सरकार को नाकाम माना गया है, महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है और आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के हाथ खड़े दिख रहे हैं।
नेता कह रहे हैं कि इस बैठक का कोई भी एजंडा नहीं था। किसी एक ख़ास मुद्दे पर नहीं, देश के कई मुद्दों पर बातचीत हुई। इसमें कोरोना, महंगाई, खराब आर्थिक स्थिति तक सभी शामिल हैं। पवार अगले लोकसभा चुनाव से पहले अपने नेतृत्व में एक बड़ा राजनीतिक मोर्चा खड़ा करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व देने की स्थिति में नहीं और उनके पास प्रधानमंत्री बनने की अपनी ‘इच्छा पूरी करने का’ अवसर है।
आज की बैठक एक शुरुआती माहौल बनाने भर के लिए है। पवार जल्दी नहीं करना चाहते। यशवंत सिन्हा भी उनके साथ जुड़ गए हैं। वैसे विपक्षी गठबंधन की अभी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन प्रशांत किशोर खुद यह मानते हैं कि कांग्रेस को अलग करके कोई विपक्षी भाजपा का मुकाबला करने की कल्पना नहीं कर सकता। कांग्रेस आज भी देश में भाजपा के बाद सबसे ज्यादा ज़मीनी पकड़ वाली पार्टी है और उसके पास भाजपा के 22 करोड़ के मुकाबले 11 करोड़ के करीब वोट (लोकसभा के 2019 चुनाव नतीजे के मुताबिक) हैं।
शरद पवार की बैठक दरअसल कुछ देरी से हो रही है क्योंकि यह आज से चार महीने पहले होने वाली थी लेकिन अचानक पवार को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्या के चलते  सर्जरी करवानी पड़ी। अब पहली बैठक हुई है और पवार इसमें आने वाले नेताओं-गैर नेताओं की संख्या से खुश हो सकते हैं। ‘राष्ट्र मंच’ के नाम से इस बैठक के आयोजन के पीछे पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा का भी रोल अहम रोल है। राष्ट्रमंच के संस्थापक यशवंत सिन्हा ही हैं। अब वे टीएमसी के बड़े पदाधिकारी हैं।
नामी नेता जो इस बैठक में पहुंचने की जानकारी है उनमें पूर्व जेके सीएम एनसी के उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस में रहे संजय झा, एनसीपी के राज्यसभा सदस्य माजिद मेमन, भाकपा नेता बिनय विश्वम, टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा, एनसीपी से राज्यसभा सदस्य वंदन चव्हाण, पूर्व राजदूत केसी सिंह, समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी, पूर्व सांसद जयंत चौधरी, आप के सुशील गुप्ता शामिल हैं। इनके अलावा जावेद अख्तर भी शामिल हैं। माकपा के नीलोत्पल वासु, वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी, पत्रकार करण थापर और आशुतोष भी बैठक में बुलाये गए थे।
हालांकि, जिन नेताओं को इस बैठक में बुलाया गया या जो आये उनमें चर्चित राष्ट्रीय नेता कम ही हैं। इन्हें मझोले स्तर के क्षेत्रीय नेता कहा जा सकता है। वैसे भी देश में यूपीए का बड़ा गठबंधन पहले से है जिसमें शरद पवार की एनसीपी भी शामिल है। लेकिन एक पेंच जरूर है। कांग्रेस के जी -23 नेताओं का रुख अभी साफ़ नहीं है। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक इस बैठक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को बुलाया गया था लेकिन उन्होंने साफ़ मना कर दिया। इससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस के जी -23 नेता फिलहाल कांग्रेस के साथ ही हैं।
बैठक से पहले एनसीपी के प्रवक्ता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा था कि पूरे देश में सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने का काम शरद पवार शुरू कर रहे हैं। बैठक के बाद शरद पवार और यशवंत सिन्हा प्रेस कांफ्रेंस करके इसमें हुई बातचीत की जानकारी देंगे। बैठक में जेके के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी आये थे लेकिन जल्दी ही वापस चले गए।

किसान आंदोलन में सब्जी विक्रेता भी शामिल

कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के समर्थन में अब किसानों के साथ, दिल्ली के सब्जी व्यापारी और सब्जी विक्रेता साथ देगें। दिल्ली के तामाम सब्जी विक्रेताओं ने तहलका संवाददाता को बताया कि देश में कोरोना काल के चलते आर्थिक मंदी है। काम धंधे कमजोर हो रहे है। देश का किसान आज अपने ही अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहा है। 7 महीनें होने वाले है। किसानों की मांगों को लेकर सरकार ने कोई पहल नहीं की है।

जिससे देश का किसान नाराज है। सब्जी विक्रेता ओमप्रकाश ने बताया कि वे किसान के बेटा है। देश के लिये अन्न पैदा करते है। रात –दिन मेहनत करते है। वहीं सब्जी के विक्रेता ने बताया कि देश की तामाम नामचीन संस्थानों को सरकार निजी हाथों में सौंप रही है। अब सरकार की नजर किसानों की जमीन पर है। जो देश के पूंजी पतियों को देना चाहती है। लेकिन देश का किसान हरगिज ऐसा नहीं होने देंगा। सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि वे उस राजनीतिक दल के साथ है जो किसानों के हित में सोचेगा और कृषि कानून के विरोध में होगा। उन्होंने बताया कि अगले महीने से दिल्ली के सब्जी व्यापारियों के साथ बैठक कर आगे सरकार के विरोध में रूपरेखा तैयार कर आंदोलन में शामिल होने की घोषणा की जायेगी।

कोरोना की तीसरी लहर से अभी ही तैयारी करें, राहुल गांधी की मोदी सरकार को सलाह

कोविड-19 के मामले में मोदी सरकार को लगातार सुझाव देते रहे और उसकी खिंचाई भी करते रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके कोरोना पर एक श्वेत पत्र जारी करते हुए इस बात पर जोर दिया कि विशेषज्ञ तीसरी लहर की बात कह चुके हैं लिहाजा उसका मजबूत मुकाबला करने के लिए अभी से तैयारी कर लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली और दूसरी लहर के दौरान बहुत सी कमियां रही हैं और ऐसे लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा, जिन्हें बचाया जा सकता था।
राहुल ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आनी तय है, ऐसे में सरकार इसकी तैयारी करके ही जनता को महामारी से बचा सकती है। गांधी ने कोरोना को लेकर श्वेत पत्र जारी किया और सरकार से कहा कि उसे गलती सुधारने की ज़रुरत है क्योंकि ऐसा करके ही आप लोगों को बचा सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि श्वेत पत्र का मकसद सरकार की निंदा करना नहीं बल्कि उसे  रास्ता दिखाना है। राहुल ने कहा कि दूसरी लहर में 90 फीसदी मौतें सुविधाओं के अभाव में हुईं। इनमें ऑक्सीजन से लेकर बेड और दूसरी जरूरतें शामिल हैं जिनका भयंकर अभाव रहा। उन्होंने कहा – ‘वैज्ञानिकों ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार को चेताया था, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। दूसरी लहर संभालने में सरकार विफल रही है। सरकार की लापरवाही से बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की भी मौत हो गयी जिन्हें बचाया जा सकता था। करोड़ों लोग कोरोना से प्रभावित हुए। यह समझना ज़रूरी है कि कोरोना का असर सिर्फ बीमारी के रूप में नहीं है बल्कि इसका असर आपकी आर्थिक, सामजिक ज़िंदगी पर भी पद रहा है।’
राहुल गांधी ने कहा कि ‘अब पूरा देश जानता है कि तीसरी लहर आने वाली है। ऐसे में सरकार को पहले से इसकी तैयारी करनी चाहिए। श्वेत पत्र में तीसरी लहर की तैयारी, दूसरी लहर की खामियां, आर्थिक रूप से मदद और और पीड़ित परिवारों को मुआवजे की व्यवस्था का जिक्र है। जब तीसरी लहर आए तो आम लोगों को कम से कम परेशानी हो और जिनके परिवार में कोरोना से मौत हुई है उन्हें मदद दी जाए।’
याद रहे राहुल गांधी कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने में मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट में  असमर्थता जताए जाने पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। गांधी ने इसे लेकर अपने ट्वीट में कहा – ‘जीवन की कीमत लगाना संभव नहीं है। सरकारी मुआवजा सिर्फ एक छोटी सी सहायता होती है। लेकिन मोदी सरकार यह भी करने को तैयार नहीं। कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आंकड़े और ऊपर से सरकार की यह क्रूरता।’
राहुल ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीकाकरण और कोविड-19 के मामले कम होने या इसके ख़त्म होने पर प्रचार पर ध्यान देने की जगह लोगों को सुविधाएं देने पर फोकस करने की ज़रुरत है। प्रचार करने और श्रेय लेने के लिए बहुत समय पड़ा है और ऐसा आप कोरोना के पूरी तरह ख़त्म होने के दो साल बाद भी कर सकते हैं।’
उनसे एक सवाल यह भी पूछा गया कि देखने में आया है कि अल्पसंख्यक (मुस्लिम) वर्ग और महिलाएं बहुत कम संख्या में टीकाकरण के लिए सामने आये हैं। राहुल ने कहा कि टीकाकरण में पीएम, सीएम, डीएम से लेकर जनता तक सबको इन्वाल्व करने की जरूरत है। पूरे देश को इसे लेकर बताया और जोड़ा जाना चाहिए।’

प्रधानमंत्री मोदी ने लॉन्च किया एम-योगा ऐप

देश समेत दुनियाभर में सोमवार को 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘योगा एन इंडियन हेरिटेज’ कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर किया गया।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल समेत संस्कृति मंत्रालय के कुल 20 अधिकारियों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। कोरोना के चलते इस आयोजन में कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया।

योग दिवस के मौके पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे 75 ऐतिहासिक स्थानों पर ‘योगा एन इंडियन हेरिटेज’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने एम-योगा ऐप को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि अब विश्व को एम-योगा ऐप की शक्ति मिलने जा रही है। इस ऐप में कॉमन योग प्रोटोकॉल के आधार पर योग प्रशिक्षण के कर्इ विडियोज दुनिया की अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि एम-योगा ऐप योग का विस्तार दुनियाभर में करने और वन वर्ड वन हेल्थ के प्रयासों को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।

दिल्ली में इस साल सबसे कम 89 कोरोना मरीज, 11 की मौत

देश में पिछले चौबीस घंटे में कोरोना संक्रमण के 52,956 मामले सामने आए।  इस साल दिल्ली में अब तक के सबसे कम महज 89 नए मरीज मिले। इसके अलावा पिछले एक दिन में 11 संक्रमितों ने जान गंवाई। इस दौरान 77,967 मरीज ठीक होकर घर लौटे। देशभर में 1,423 संक्रमितों की मौत हुई।

89 दिनों में सबसे कम मरीज पिछले चौबीस घंटे में सामने आए। हालांकि कुछ जिलों में इनकी संख्या बढ़ रही है, जो चिंता का सबब है। इससे पहले 23 मार्च को 47,239 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। वर्तमान में 6,97,893 मरीजों का इलाज चल रहा है। देश में 78 दिनों के बाद यह आंकड़ा 7 लाख से नीचे आया है। इससे पहले 3 अप्रैल को देश में 6 लाख 87 हजार 434 सक्रिय मामले थे।

दस राज्यों में हालात चिंताजनक
देश के 10 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां अब भी जारी हैं। यहां पर संक्रमितों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है। इनमें पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा और पुडुचेरी शामिल हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों में भी हालात चिंताजनक हैं। हालांकि, इसी बीच तेलंगाना सरकार ने राज्य में 20 जून से लॉकडाउन को पूरी तरह से हटा दिया है। देश में महामारी के बीच पाबंदियों को पूरी तरह हटाने वाला यह पहला राज्य बन गया है। तेलंगाना में पहली जुलाई से स्कूल भी खोल दिए जाएंगे।