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असम, मणिपुर और नागालैंड में अफस्पा का दायरा घटाया: शाह

उत्तर पूर्व के राज्यों में विरोध का विषय रहे सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को ख़त्म करने की मांग के बीच केंद्र सरकार ने तीन राज्यों असम, मणिपुर और नागालैंड में इस अधिनियम के तहत आने वाले क्षेत्र का दायरा घटा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।

एक ट्वीट में अमित शाह ने कहा कि उत्तर पूर्व के राज्यों, जिन्हें विकास में दशकों तक अनदेखा किया गया है, के प्रति हमारी कमिटमेंट के तहत वहां शांति, समृद्धि और तक विकास लाने की पूरी कोशिश की जा रही है। ‘

शाह ने कहा – ‘अफस्पा के तहत आने वाले क्षेत्रों का दायरा घटाया गया है। इसका कारण वहां स्थिति में सुधार है। यह सब कई समझौतों और आतंकवाद को ख़त्म करने की पीएम मोदी की दृढ़ इच्छा से संभव हुआ है।

अफस्पा का यह दायरा नागालैंड, मणिपुर और असम राज्यों में घटाया गया है। याद रहे कि नागालैंड में दो महीने पहले मोन जिले में पैरा कमांडों के एक ऑपरेशन में गलत पहचान के कारण कई ग्रामीणों की मौत हो गई थी। उसके बाद से असम, मणिपुर और नागालैंड में अफस्पा के खिलाफ जबरदस्त माहौल था और इसे वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही थी।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव, 14 अप्रैल ‘राष्ट्रीय सिख दिवस’ घोषित हो  

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में 14 अप्रैल को राष्ट्रीय सिख दिवस घोषित करने को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया है। अमेरिका में सिख समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते यह प्रस्ताव भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति सहित 12 से अधिक सांसदों ने पेश किया है। अमेरिका में प्रतिनिधि सभा अमेरिकी कांग्रेस सीनेट की ऊपरी सभा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सांसद मैरी गेल सानलोन 28 मार्च को सदन में पेश किए गए इस प्रस्ताव की प्रस्तावक हैं। इसमें 14 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय सिख दिवस’ घोषित करने की मांग की गयी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका के विकास में सिख समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए इस प्रस्ताव को मंजूर करने का आग्रह किया गया है।

सिख कॉक्स कमेटी, सिख को-ऑर्डिनेशन कमेटी और अमेरिकन सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एजीपीसी) ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका को सशक्त बनाने और यहां के नागरिकों को प्रेरित करने में सिख समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लिहाजा उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के तौर पर ‘राष्ट्रीय सिख दिवस’ घोषित किया जाना चाहिए।

मेरी गेल सानलोन और और राजा कृष्णमूर्ति के अलावा इस प्रस्ताव में केरेन बास, पॉल टोंको, ब्रायन के फिट्ज़पैट्रिक, डेनियल म्यूज़र, एरिक स्वलवेल, राजा कृष्णमूर्ति, डोनाल्ड नॉरक्रॉस, एंडी किम, जॉन गारामेंडी, रिचर्ड ई नील, ब्रेंडन एफ बॉयले और डेविड जी वालादाओ ने सह-प्रस्तावक के रूप में इसमें हस्ताक्षर किये हैं।

लू के थपेड़ों से बचें 

इस बार देश में मई महीने की तरह मार्च के महीने में गर्मी पड़ने से और दिन व दिन तापमान बढ़ने से लोगों का हाल बेहाल है। लू जैसे हालात बनने लगें है। गर्म हवाओं को थपेडों से लोगों का घर से निकलना दूभर हो गया है।
दिल्ली-एनसीआर में गत दो दिनों से तापमान 40-41 के पार हो रहा है। इस तरह की गर्मी पड़ने लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। गर्मी से बचाव के बारे तहलका को जानकारी देते हुये आईएमए के पूर्व संयुक्त सचिव डॉ अनिल बंसल ने बताया कि लगातार 42 डिग्री तापमान रहने से हाइपोथर्मिया होने का खतरा रहता है। जिससे कोमा में जाने की संभावना बनी रहती है।
डॉ बंसल ने बताया कि शरीर का अंदर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक रहता है और बाहरी तापमान 42 से ऊपर तक जाता है। जिससे शारीरिक तापमान और बाहरी तापमान में काफी अंतर आ जाता है। ऐसे में जो असंतुलन बढने से लोगों को लकवा सहित हार्ट अटैक होने पड़ने की ज्यादा संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि इन दिनों धूप में जाने से बचें और ज्यादा से ज्यादा पानी  पिये ताकि शरीर में पानी की कमी न होने पाये।
दोपहर 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक अधिक धूप होती है। तभी घर से निकलने जब जरूरी काम हो ,क्योंकि इन दिनों गर्मी में संक्रमण बढ़ने के कारण हैजा और दस्त की शिकायते बढ रही है। डाँ बंसल ने  बताया कि कोरोना जैसी बीमारी देश में कम हुयी है। लेकिन पूरी तरह से गयी नहीं है। ऐसे में कोरोना गाईड लाईन का पालन करते हुये लू -गर्मी से बचें।

बढ़ती महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का हल्ला बोल, राहुल गांधी हुए शामिल

कांग्रेस के महंगाई के विरोध में देशव्यापी ‘हल्ला बोल’ कार्यक्रम के तहत गुरुवार को कई जगह प्रदर्शन किये जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित  पार्टी के कई नेताओं ने विजय चौक पर विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया। राहुल ने इस मौके पर कहा कि सरकार की गलत नीतियों से देश की जनता का जीना मुहाल हो गया है।

राहुल गांधी ने कहा – ‘ईंधन की बढ़ती कीमतों से गरीब आदमी बहुत परेशान है और उसका जीना मुश्किल हो गया है। इस बढ़ौतरी को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।  पिछले 10 दिन में 9 बार पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ाए गए हैं जिससे मध्यम वर्ग और गरीब की जेब पर बोझ और बढ़ गया है।’

गांधी ने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ाना तुरंत बंद करे। उन्होंने कहा कि महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का पूरे देश में प्रदर्शन चलेगा और काफी दिनों तक चलेगा।

प्रदर्शन के दौरान लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि  मोदी सरकार जिस तरह आम आदमी की जेब पर डाका डाल रही है, उसके खिलाफ कांग्रेस यह प्रदर्शन कर रही है। चौधरी ने कहा – ‘दस दिन में 9 बार पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ाकर मोदीजी ने इतिहास बना दिया है। धड़ल्ले से दाम बढ़ रहे हैं। हमारी मांग है कि यह दाम सरकार वापस ले।’

इस मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा – पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ने पर हर चीज़ के दाम बढ़ते हैं। दुनिया में कच्चे तेल के दाम जब सबसे कम थे तब भी केंद्र सरकार पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ा रही थी।’

राजस्थान के बड़े गुर्जर नेता कर्नल बैंसला का निधन

राजस्थान में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के बड़े नेता रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला  का गुरुवार को निधन हो गया। वो काफी समय से बीमार थे। उन्हें उनके साथी ‘गुर्जर गांधी’ के नाम से जानते थे।

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने गुर्जर नेता के निधन पर शोक जताते हुए अपने ट्वीट में कहा – ‘कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार दुखद है।  समाज सुधार और समाज को संगठित करने में आपका योगदान हमेशा याद रहेगा।’

कई मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों ने बैंसला के निधन को गुर्जर समाज के लिए बड़ी क्षति बताया है। इन नेताओं ने कहा कि गुर्जर नेता चले गए, इससे बड़ा दुख गुर्जर समाज के लिए हो नहीं सकता। उन्होंने कहा कि बैंसला ने पिछड़े वर्ग और गुर्जर समाज के लिए चेतना जगाने का काम किया। हमेशा उनके मन में गुर्जर समाज के भले की चिंता रहती थी।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ हो सकते है एमसीडी के चुनाव

इसी साल दिसम्बर माह में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के साथ दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव हो सकते है। एमसीडी चुनाव को लेकर दिल्ली में सियासी पारा गर्म रहा है। लेकिन 30 मार्च को संसद से मुहर लगने के बाद ये स्पष्ट हो गया है। कि एमसीडी की तीनों जोनों को हटाकर एक जोन किया जायेगा। और 272 निगम पार्षद की सीटों की जगह अब 250 सीटों पर ही चुनाव होंगे। 250 सीटों का जब परिसीमन हो जायेगा।
तब चुनाव की प्रक्रिया व चुनाव चुनाव की तारीख के बारे में पता चलेंगा। चुनाव में देरी और तीनों जोनों की जगह एक जोन का किया जाना और 272 की जगह 250 सीटों पर चुनाव कराने जाने के पीछे की बस एक ही  सियासत है कि एमसीडी के चुनाव की आड़ में आप पार्टी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कैसे रोका जाये। ताकि आप पार्टी दिल्ली की सियासत में फंस कर रह जाये।दिल्ली की राजनीति के जानकार राजन कुमार का कहना है कि कोई भी सत्ता धारी दल हो वो अपनी राजनीति अपने तरीके से करता है। जिसमें उसका और उसकी पार्टी का भला हो। क्योंकि आप पार्टी की सियासत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
ऐसे में सियासी दांव -पेंच में आप पार्टी का उलझाकर रोकना जरूरी है। अन्यथा क्या फर्क पड़ता है 250 सीटों और 272 सीटों में।ये सब सियासी खेल है। क्योंकि आप पार्टी ने फ्री की राजनीति कर सब कुछ फ्री -फ्री की सुविधायें देकर अपनी राजनीति चमका रहे है। ऐसे मे आप पार्टी को रोकने के लिये ये सियासी खेल खेला गया है। भाजपा भली -भाँति जानती है जहां पर कांग्रेस का वोट बैंक है वहां पर आप पार्टी को चुनाव में जीत आसानी से हो रही है। क्योंकि कांग्रेसका जनाधार धीरे -धीरे खिसक रहा है।  

पाकिस्तान: इमरान गए तो शाहबाज शरीफ बन सकते हैं अगले पीएम !

सेना प्रमुख जनरल बाजवा से मिलने के बाद राष्ट्र को अपना संबोधन टालने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक भले कह रहे हों कि अविश्वास प्रस्ताव पर उनके नेता ‘अंतिम समय तक’ लड़ेंगे, पड़ौसी मुल्क के राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि इमरान खान का जाना लगभग तय है। यदि इमरान खान जाते हैं तो उनकी जगह विपक्ष के सबसे वरिष्ठ नेता और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं ! पंजाब के मुख्यमंत्री रहे शाहबाज पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ के भाई हैं।

एमक्यूएम के विपक्ष के साथ चले जाने के बाद पहले ही नैशनल असेंबली के निचले सदन में बहुमत खो चुके इमरान खान को लेकर पाकिस्तान में कयास जारी हैं। उनके खिलाफ 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने की संभावना है। हो सकता है कि अपनी हार की संभावना दिखने पर इमरान उससे पहले सदन में इस्तीफे की घोषणा कर दें या फिर बहुमत लायक सदस्यों को अपने पक्ष में जुटाने की कोशिश करें, जिसकी संभावना कम दिख रही है।

पिछले कल इमरान खान देश को संबोधित करने वाले थे लेकिन देश के सेना प्रमुख जनरल बाजवा से मुलाक़ात के बाद उन्होंने इसका विचार टाल दिया। फिलहाल अभी यह तय नहीं कि वे देश को संबोधित कब करेंगे।

इस बीच पाकिस्तान में विपक्षी दलों ने साझे रूप से एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके इमरान खान की सरकार जाने की ज़रुरत जताते हुए कहा कि ये देश के भविष्य से जुड़ी बात है। नेशनल एसेंबली में इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ 28 मार्च को जो अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था उसपर आज से चर्चा शुरू हो रही है और संभावना है कि 3 अप्रैल को उसपर मतदान होगा।

अभी तक की संभावना के मुताबिक यदि इमरान खान की सत्ता से विदाई होती है तो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ देश के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। शाहबाज इस समय विपक्ष के नेता हैं। वे पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष भी हैं। उन्हें कमोवेश सभी विपक्षी दलों का समर्थन मिल सकता है क्योंकि वे सभी इमरान खान की सरकार के सख्त खिलाफ हैं। बिलावल भुट्टो ज़रदारी की पार्टी पीपीपी भी इमरान खान का जबरदस्त विरोध कर रही है।

पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने से लेकर दर्जनों समस्यायों ने जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। इमरान खान जिस ‘नए पाकिस्तान’ का सपना लेकर सत्ता में आए थे, उसकी दूर-दूर तक कोई झलक नहीं दिखती। उलटे जनता की हालत खराब हो चुकी है।

जहाँ तक शाहबाज शरीफ की बात है यदि वे सत्ता में आते हैं तो भारत के साथ मुद्दों को लेकर बातचीत का दौर शुरू हो सकता है, जो लगभग ठप पड़ चुका है। यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि नरेंद्र मोदी जब भारत के प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ को भी अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था।  यही नहीं एक बार अफगानिस्तान से भारत वापस लौटते हुए मोदी अचानक नवाज़ शरीफ से मिलने पाकिस्तान पहुँच गए थे। ऐसे में शाहबाज सत्ता में आते हैं तो भारत-पाक के बीच बातचीत का दौर शुरू हो।

शाहबाज को एक मझा हुआ प्रशासक माना जाता है और पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में वे अफसरशाही पर मजबूत पकड़ दिखा चुके हैं। सेना से भी उनके संबंध आम तौर पर सामान्य रहे हैं, हालांकि, उन्हें अपने फैसलों में हस्तक्षेप पसंद नहीं रहा है।

देश के बड़े उद्योगपति घराने से ताल्लुक रखने वाले शाहबाज धनशोधन के एक मामले में जेल भी जा चुके हैं। वैसे तीन बार पंजाब का मुख्यमंत्री रहने वाले शाहबाज वर्तमान में देश के सबसे अनुभवी नेता हैं और उन्हें पूरे विपक्ष का समर्थन है।

महंगाई, बेरोजगारी को लेकर राहुल गांधी का पीएम पर तीखा कटाक्ष

देश में लगातार बढ़ रही महंगाई को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को  जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। इसमें राहुल ने कहा है कि महंगाई बढ़ने से लोगों की दिक्क़तें बढ़ रही हैं, लेकिन पीएम मोदी को इसकी कोई फ़िक्र नहीं है।

गांधी ने महंगाई और बेरोजगारी पर पीएम  मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाना, सरकारी कंपनियों को बेचना और किसानों को लाचार करना उनका रोजमर्रा का काम हो गया है।

उन्होंने ट्वीट में लिखा – ‘प्रधानमंत्री की रोजना के कामों की सूची : पेट्रोल-डीज़ल-गैस का रेट कितना बढ़ाऊं, लोगों की खर्चे पे चर्चा कैसे रुकवाऊं, युवाओं को रोज़गार के खोखले सपने कैसे दिखाऊं, आज किस सरकारी कंपनी को बेचूं, किसानों को और लाचार कैसे करूं।’

याद रहे हाल के 10 दिनों में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में आशातीत बढ़ौतरी हुई है। आज भी पेट्रोल की कीमत में 80 पैसे प्रति लीटर बढ़ोतरी हुई है। पिछले नौ दिन में 5.60 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है।

राहुल गांधी का ट्वीट –
@RahulGandhi
प्रधानमंत्री की Daily To-Do List
1. पेट्रोल-डीज़ल-गैस का रेट कितना बढ़ाऊँ
2. लोगों की ‘खर्चे पे चर्चा’ कैसे रुकवाऊँ
3. युवा को रोज़गार के खोखले सपने कैसे दिखाऊं
4. आज किस सरकारी कंपनी को बेचूँ
5. किसानों को और लाचार कैसे करूँ

#RozSubahKiBaat

ईंधन के बढ़ते दामों को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग मतभेद 

अजीब विडम्बना है एक ओर तो लोग बढ़ती महंगाई, डीजल-पेट्रोल और गैस के दामों से परेशान है। वहीं कुछ लोग ऐसे है जो पेट्रोल-डीजल और गैस के बढ़ते दामों को लेकर कह रहे है कि कई बार महंगाई देश हित में होती है। जो देश के विकास के काम आती है। वहीं ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि बढ़ते ईंधन के दामों से उनके ट्रांसपोर्टरों का काम-धंधा पूरी तरह से ठप हो सकता है।
ट्रांसपोर्टर दर्शन सिंह जत्थेदार का कहना है कि सरकार को भली-भांति मालूम है कि डीजल के दाम बढ़ने से हर सेक्टर में महंगाई का असर दिखता है। लेकिन सरकार ट्रांसपोर्टरों के किराया-भाड़ा बढ़ाने में आना-काना करती है। जिससे ट्रांसपोर्टरों को काफी परेशानी होती है। अगर सरकार ने ट्रांसपोर्टरों की मांग को नहीं माना तो आने वाले दिनों में कभी भी ट्रक वाले हड़ताल कर सकते है।
वहीं दिल्ली में कुछ लोग ऐसे भी है उनका कहना है कि यूक्रेन -रूस के युद्ध के कारण महंगाई का असर दिख रहा है। कोरोना काल में सरकार ने जनता की जरूरतों को पूरा किया है। तब देश की आर्थिक हालत कमजोर हुई है। लेकिन सरकार ने जनहित में काम किया है। अब-जब सारे देश में डीजल-पेट्रोल के दामों में इजाफा हो रहा है। तो भारत में ईंधन के दामों में बढ़ोत्तरी होना लाजिमी है।लोगों का कहना है कि देश के विकास के लिये कुछ वस्तुओं के दाम बढ़ रहे है। तो इसमें क्या बुरा है।आर्थिक मामलों के जानकार सचिन का कहना है कि यह बात तो सही है कि देश-दुनिया में यूक्रेन -रूस युद्ध के चलते महंगाई बढ़ रही है।
सचिन का कहना है कि पांच राज्यों के चुनाव के चलते ईंधन के दामों में बढ़ोत्तरी नहीं की गई थी। लेकिन अब चुनाव हो गये है। तो हर रोज महंगाई होगी। जिसका नतीजा ये होगा कि गरीब वर्ग के लोगों को अपना जीवन यापन करना मुश्किल होगा।  

केंद्रीय कर्मचारियों का डीए तीन फीसदी बढ़ा, अब 34 फीसदी

बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए बुधवार को महंगाई भत्ते (डीए) में तीन फीसदी बढ़ौतरी की घोषणा की है। यह फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया।

केंद्रीय कर्मचारियों का डीए अब 31 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी हो गया है। यह एक जनवरी 2022 से लागू होगा। इससे करीब 47.68 लाख कर्मचारियों की अलावा 68.62 लाख पेंशनर्स को भी फायदा होगा। सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर हर साल 9544.50 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

डीए में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद अब (उदहारण के लिए) 18,000 रुपये के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) पर महंगाई भत्ता 6120 रुपये हो जाएगा। इसी तरह अधिकतम सैलरी स्लैब वाले कर्मचारियों का डीए बढ़कर 19346 रुपये प्रति माह हो जाएगा।

यहाँ यह बता दें कि लॉक डाउन के चलते केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 18 महीने यानी पहली जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021 के बीच डीए का भुगतान नहीं किया था, जिसकी अदायगी की कर्मचारी मांग कर रहे हैं।