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केंद्र की शहरी विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार!

– डायनामिक प्रोग्रामेबल फसाड लाइटिंग प्रोजेक्ट में टेंडर की शर्तों को दरकिनार करने से भ्रष्टाचार की आशंका, जवाब नहीं दे रहे अधिकारी

के.पी. मलिक

केंद्र सरकार के प्रमुख आयोजन स्थल भारत मंडपम में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में जब दुनिया भर के नेता एकत्र हुए थे, तो यह आयोजन देश के गौरव का प्रतीक बन गया था। लेकिन अब ऐसे भव्य आयोजनों के तहत लागू की गयी कई योजनाएँ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। ताज़ा मामला आईटीपीओ कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली में डायनामिक प्रोग्रामेबल फसाड लाइटिंग के टेंडर से जुड़ा है, जो आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन आता है। इस टेंडर में निर्धारित शर्तों को स्पष्ट रूप से नज़रअंदाज़ किया गया है।

टेंडर शर्तों की अनदेखी

इस परियोजना के लिए जारी टेंडर में साफ़तौर पर यह उल्लेख था कि केवल भारत सरकार और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (CPSUs) द्वारा जारी किये गये वर्क ऑर्डर ही पात्र और मान्य होंगे। लेकिन प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के दौरान इन शर्तों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि मॉक-अप के दौरान ‘मेड इन चाइना’ लाइट्स का प्रयोग किया गया, जबकि टेंडर में यह स्पष्ट था कि मेक इन इंडिया के तहत भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दी जाएगी। जिन कम्पनियों ने मेड इन इंडिया उत्पाद प्रस्तुत किये, उन्हें कम अंक देकर बाहर कर दिया गया, जबकि चाइनीज ब्रांड को सर्वोच्च अंक देकर विजेता घोषित किया गया था?

संगठित भ्रष्टाचार

यदि मेड इन इंडिया शर्त के बावजूद मेड इन चाइना को उच्चतम अंक मिले, तो क्या यह सुनियोजित भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन की बर्बादी नहीं है? सवाल यह भी उठता है कि भारत सरकार और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने अब तक कितने ऐसे फसाड लाइटिंग प्रोजेक्ट किये हैं? क्या इतने बड़े पैमाने पर लाइटिंग प्रोजेक्ट्स इनकी ज़िम्मेदारी में आते भी हैं? असल में इस तरह की फसाड लाइटिंग आमतौर पर बड़ी सिविल निर्माण परियोजनाओं का एक छोटा हिस्सा होती है, जबकि विभिन्न राज्य सरकारों ने स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता शामिल रही है। फिर भी राज्य सरकारों द्वारा जारी वर्क ऑर्डर को अयोग्य घोषित कर दिया गया। जब डिजाइन और तकनीकी मानक पहले से तय थे, तो मॉक-अप क्यों किया?

टेंडर में पहले से ही बिल ऑफ क्वांटिटीज (बीओक्यू) निर्धारित किया गया था। फिर अंक आधारित मूल्यांकन प्रणाली (प्वाइंट सिस्टम) की क्या आवश्यकता थी? यदि सभी बिडर तकनीकी शर्तें पूरी कर रहे थे, तो मॉक-अप आयोजित करने का औचित्य क्या था? सामान्यत: यह प्रक्रिया तब अपनायी जाती है, जब बिडर को डिजाइन में लचीलापन दिया जाता है और मूल्यांकन क्वालिटी कम कॉस्ट बेस्ड सिलेक्शन (क्यूसीबीएस) के तहत किया जाता है। लेकिन यहाँ डिजाइन और तकनीकी विवरण पहले से तय थे, फिर भी मॉक-अप और अंक प्रणाली को लागू किया गया। यह दर्शाता है कि विभाग को ख़ुद अपनी लाइटिंग प्रभावों पर भरोसा नहीं था। फिर मेक इन इंडिया की शर्त को क्यों नज़रअंदाज किया गया? जब टेंडर में मेक इन इंडिया को एक मूलभूत शर्त के रूप में शामिल किया गया था, तो इसके बावजूद मेड इन चाइना उत्पादों को चयनित करना सीधे तौर पर उस नीति की अवहेलना है। क्या यह एक भ्रष्टाचार की संदेहास्पद स्थिति नहीं है? जब पहले से ही पूरी परियोजना की डिजाइन और मात्रा तय थी, बिडर को भी स्वयं कोई नया समाधान देने का अवसर नहीं था। ऐसे में अंक आधारित मूल्यांकन प्रणाली क्यों लागू की गयी?

अधिकारी ख़ामोश क्यों?

इन गंभीर आरोपों की पड़ताल के लिए रिपोर्टर ने आईटीपीओ के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर तथा कार्यकारी निदेशक प्रेम जीत लाल से ईमेल, व्हाट्सएप और फोन के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की। कई दिनों की कोशिशों के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिससे यह आशंका और गहराती है कि मामला पूरी तरह दबाने की कोशिश की जा रही है। यह स्पष्ट है कि यह टेंडर प्रक्रिया न केवल नीतिगत शर्तों की अवहेलना करती है, बल्कि मेक इन इंडिया, लोक-धन की सुरक्षा और भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता जैसी सरकार की घोषित नीतियों को भी चोट पहुँचाती है। चीन निर्मित लाइटों को सर्वोच्च अंक देना और उन्हें चयनित करना, जबकि भारतीय कंपनियों को किनारे करना सीधे तौर पर गहरे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। अब सवाल यह है कि क्या इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच कर कोई जवाबदेही तय की जाएगी?

(रिपोर्टर वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

अमेरिका के टैरिफ ऐलान पर भारत सख्त: “राष्ट्रहित सर्वोपरि”, पीयूष गोयल

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 31  जुलाई
 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बुधवार को  भारत पर 25 फीसदी टैरिफ और रूस से तेल आयात को लेकर टैरिफ का ऐलान किया।  इस घोषणा के बाद भारत सरकार ने डोनाल्ड ट्रंप को यह स्पष्ट कर दिया है कि वह राष्ट्रहित से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी।इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने  आज दोनों सदनों में लोकसभा और राज्य सभा  में कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर वार्ता जारी है। हमारे निर्यात में लगातार वृद्धि चल रही है। हम अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करेंगे।
संसद के दोनों सदनों में आज अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ और बिहार एसआईआर के मुद्दे पर जमकर  हंगामा हुआ। लोकसभा और राज्यसभा  दोनों सदनों की कार्यवाही   पहले २ बजे तक फिर ४ बजे तक  स्थगित किया  गया।  दोनों सदनों की कार्यवाही   शुरू होते ही  लोकसभा में    4 बजे और राज्यसभा में  4 30 बजे  टैरिफ को लेकर अमेरिका के इस फैसले के बाद  पीयूष गोयल ने दोनों सदनों  में  जवाब देते  हुए कहा  की  भारत ने बीते एक दशक में विकास की नई ऊंचाइयों को छू लिया है।  एक समय ‘पाँच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं’ में गिने जाने वाला भारत, आज दुनिया की पाँच सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुका है।
गोयल ने कहा, “हमने 11वीं पायदान से छलांग लगाकर टॉप-5 में जगह बनाई है। यह हमारे सुधारों, एमएसएमई, किसानों, श्रमिकों और उद्यमियों की मेहनत का परिणाम है।” उन्होंने विश्वास जताया कि भारत आने वाले कुछ वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
गोयल ने कहा  कि सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए अनेक संरचनात्मक सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि बीते 11 वर्षों में भारतीय निर्यात में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है, और भारत ने यूएई, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और ईएफटीए देशों के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर हस्ताक्षर किए हैं। अन्य देशों के साथ भी इसी तरह के समझौते की प्रक्रिया जारी है।
अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर  केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा  कि अमेरिका ने 1 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 25% तक का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।
 उन्होने ने कहा 2 अप्रैल 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति ने पारस्परिक टैरिफ पर एक कार्यकारी आदेश जारी किया। 5 अप्रैल 2025 से 10% बेसलाइन शुल्क प्रभावी। 10% बेसलाइन टैरिफ के साथ, भारत के लिए कुल 26% टैरिफ की घोषणा की गई। पूर्ण देश-विशिष्ट अतिरिक्त टैरिफ 9 अप्रैल 2025 को लागू होने वाला था। लेकिन 10 अप्रैल 2025 को इसे शुरू में 90 दिनों के लिए बढ़ाया गया और फिर 1 अगस्त 2025 तक बढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि आयात पर 10-50 फीसदी टैरिफ की बात थी और द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत हुई थी।  गोयल ने बताया कि अमेरिका और भारत के बीच चार दौर की बातचीत हुई है,और  कई बार डिजिटल माध्यम से बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। इसके समानांतर, भारत और अमेरिका के बीच एक निष्पक्ष, संतुलित और परस्पर लाभकारी व्यापार समझौते (BTA) को लेकर बातचीत चल रही है, जिसे वर्ष के अंत तक अंतिम रूप देने का लक्ष्य है।
पीयूष गोयल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां और अर्थशास्त्री आज भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थल मानते हैं। भारत अब वैश्विक विकास में 16% तक का योगदान कर रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत, समावेशी और सतत विकास की राह पर चलते हुए 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य को पूरा करेगा।

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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के मृत अर्थव्यवस्था वाले बयान पर लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मुख्य सवाल यह है कि ट्रंप ने 30-32 बार दावा किया है कि उन्होंने युद्धविराम किया। उन्होंने यह भी कहा कि पांच भारतीय जेट गिर गए। ट्रंप अब कहते हैं कि वह 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। पीएम मोदी जवाब क्यों नहीं दे पा रहे हैं? असली वजह क्या है? उनके हाथ में नियंत्रण किसके पास है?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मोदी को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से प्रेरणा लेनी चाहिए और अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने दृढ़ता से पेश आना चाहिए। जयराम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माना लगाने का ऐलान कर दिया है। उनके और ‘हाउडी मोदी’ के बीच की तारीफें कोई मायने नहीं रखतीं।

क्या आगरा एक शहर है या वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट?

आवारा जानवरों का बढ़ता संकट: गायों, कुत्तों और बंदरों की बढ़ती संख्या ने मचाया हाहाकार

ब्रज क्षेत्र में सड़कें बनीं मैदान-ए-जंग, सरकारी कोशिशें नाकाफी 

सड़कों पर अब सिर्फ गाड़ियाँ नहीं दौड़तीं, मौत के साए भी बेखौफ मंडराते हैं!! जानलेवा कुत्तों के झुंड, उग्र सांड, आक्रामक बंदर और आवारा गायें शहरों की शांति को निगल चुके हैं। कहीं स्कूल से लौटता बच्चा कुत्ते के हमले में घायल होता है, तो कहीं बाइक सवार सांड की टक्कर से सड़क पर गिरकर जान गंवा बैठता है। छतों पर उछलते बंदर न सिर्फ लोगों को घायल करते हैं, बल्कि घरों और फसलों को भी तबाह कर रहे हैं। हर मोड़ पर खतरा घात लगाए बैठा है, लेकिन प्रशासन अब भी आंख मूंदे बैठा है।

बृज खंडेलवाल

बाकी शहर तो छोड़िए, ताज महल क्षेत्र  तक  में आवारा कुत्तों, बंदरों और कई बार लड़ते झगड़ते साँड़ और गायों  ने पर्यटकों को आतंकित कर रखा है।

ब्रज मंडल  में आवारा जानवरों—गायों, कुत्तों और बंदरों—का सैलाब सड़कों और खेतों को मैदान-ए-जंग में तब्दील कर रहा है।

गोवंश, कुत्तों और बंदरों की बढ़ती संख्या ने योगी आदित्यनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिससे जान-माल का नुकसान और सार्वजनिक सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। 

मथुरा और वृंदावन में आवारा गायों के झुंड सड़कों पर कब्जा जमाए हुए हैं, जहाँ आक्रामक सांड वाहनों और पैदल चलने वालों पर हमला कर रहे हैं। पिछले हफ्ते, वृंदावन के एक मंदिर के पास एक आवारा सांड ने एक 62 वर्षीय महिला को जख्मी कर दिया। वहीं, राज्यभर में अनुमानित 8.5 लाख आवारा कुत्तों ने काटने की घटनाओं में बढ़ोतरी की है—सिर्फ आगरा में ही अस्पताल रोजाना 200 मामले दर्ज कर रहे हैं। शहरी इलाकों में बंदरों का आतंक भी बढ़ा है; हाल ही में गोवर्धन में एक बंदरों के झुंड ने किराना दुकान का सारा सामान तबाह कर दिया।  

मथुरा के गाँवों में किसान आवारा गायों के हमलों से परेशान हैं, जो खेतों को रौंदकर प्रति एकड़ 75,000 रुपये तक का नुकसान पहुँचा रही हैं। बंदरों के झुंड बागों को उजाड़ रहे हैं। “काँटेदार तार लगाने से खर्चा बढ़ रहा है,” कुत्तों के हमलों ने भी पशुओं को निशाना बनाया है—पिछले महीने बरसाना के पास एक गाँव में 15 बकरियों को कुत्तों ने मार डाला। 

2025-26 के बजट में आवारा जानवरों के प्रबंधन के लिए 2,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें 200 करोड़ नए गौशालाओं, 150 करोड़ कुत्तों की नसबंदी और 50 करोड़ बंदरों को हटाने के लिए हैं। मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत अब गोद ली गई गाय के लिए 60 रुपये प्रतिदिन दिए जाते हैं, लेकिन संकट इन कोशिशों पर भारी पड़ रहा है। 

8,000 से ज्यादा गौशालाओं में 14 लाख गायें हैं, मगर जगह और दवाइयों की कमी से जूझ रही हैं। “हमारे पास न जगह बची है, न दवाइयाँ—कई जानवर बीमार पड़े हैं,” मथुरा की एक गौशाला के प्रबंधक ने बताया। कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य (सालाना 2 लाख) भी पिछड़ रहा है, जबकि बंदरों को जंगलों में भेजने की योजना पर वन्यजीव संगठनों ने सवाल उठाए हैं। 

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के मुताबिक, 2025 में यूपी की सड़कों पर गायों से जुड़े 120 हादसे हुए। कुत्तों के काटने से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है—10 जिलों में एंटी-रेबीज वैक्सीन की कमी बताई गई है। बंदरों के हमलों ने तीर्थयात्रियों को पर्यटन स्थलों से दूर कर दिया है, वृंदावन के होटल व्यवसाय को आमदनी में गिरावट का सामना करना पड़ा है। 

मंदिरों के आसपास जानवरों को खिलाने की आदत ने शहरी इलाकों में इनकी तादाद बढ़ा दी है। “प्रसाद चढ़ाने के बाद जानवर बाजारों में घुस आते हैं,” एक पुजारी ने कहा।

गोबर और गोमूत्र आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिशें भी बाजार की मांग के अभाव में धीमी पड़ गई हैं। कुत्तों को गोद लेने और बंदरों को जंगलों में भेजने की मुहिम को जनसमर्थन नहीं मिल रहा। 

विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ बजट बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। नसबंदी अभियानों को तेज करने, जानवरों को खिलाने पर नियंत्रण और बेहतर आश्रयों के निर्माण पर जोर देना होगा। बिना सख्त और नवाचारी कदमों के, उत्तर प्रदेश में यह संकट और गहरा सकता है।

भारी बारिश के कारण अमरनाथ यात्रा स्थगित

भारी बारिश के कारण अमरनाथ यात्रा स्थगित होने के कारण गुरुवार को यात्रियों का कोई काफिला जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना नहीं होगा। अधिकारियों ने बताया कि खराब मौसम को देखते हुए, सावधानी के तौर पर, तीर्थयात्रियों का काफिला भगवती नगर, जम्मू से आगे नहीं बढ़ेगा।

जम्मू के संभागीय आयुक्त रमेश कुमार ने कहा, “यात्रा क्षेत्र में भारी बारिश के कारण बेस कैंप से तीर्थयात्रियों की आवाजाही प्रभावित हुई है। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि 31 जुलाई को भगवती नगर, जम्मू से बेस कैंप बालटाल और नुनवान की ओर किसी भी काफिले की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी। तीर्थयात्रियों को समय-समय पर स्थिति से अवगत कराया जाएगा।” अमरनाथ यात्रा 2025 के दौरान अब तक 3.93 लाख से अधिक तीर्थयात्री पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन कर चुके हैं। कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने कहा, “हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण श्री अमरनाथ जी यात्रा मार्ग के पहलगाम मार्ग पर तत्काल मरम्मत और रखरखाव कार्य किए जाने की आवश्यकता है। यात्रा 1 अगस्त से बालटाल मार्ग से जारी रहेगी।”

उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई को भारी बारिश के कारण दोनों आधार शिविरों (बालटाल और चंदनवाड़ी/नुनवान) से यात्रा स्थगित कर दी गई थी। इस वर्ष अब तक 3.93 लाख से अधिक यात्री श्री अमरनाथजी की पवित्र गुफा में दर्शन कर चुके हैं। इस वर्ष की यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई और 9 अगस्त को समाप्त होगी। पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वाले लोग चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी से होकर गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं और 46 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हैं। तीर्थयात्रियों को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगते हैं। वहीं, छोटे बालटाल मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है और यात्रा पूरी करने के बाद उसी दिन आधार शिविर लौटना पड़ता है। सुरक्षा कारणों से इस वर्ष यात्रियों के लिए कोई हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं है। श्री अमरनाथ जी यात्रा भक्तों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक तीर्थयात्राओं में से एक है, क्योंकि किंवदंती है कि भगवान शिव ने इस गुफा के अंदर माता पार्वती को शाश्वत जीवन और अमरता के रहस्य बताए थे।

मानसून सत्र में विपक्ष का आक्रामक रुख, सरकार को चारों तरफ से घेरा

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में बुधवार का दिन विपक्ष की एकजुटता और आक्रामक तेवरों का गवाह बना। कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने संसद के भीतर और बाहर, दोनों मोर्चों पर सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई। मुद्दे चाहे डोनाल्ड ट्रंप के विवादित दावे हों, ननों की गिरफ्तारी, बिहार का एसआईआर विवाद या फिर नेहरू पर बार-बार हो रहे राजनीतिक हमले विपक्ष ने हर मोर्चे पर तीखा हमला बोला।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में भूमिका निभाने के दावे पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी को घेरा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ट्रंप का नाम तक नहीं ले पा रहे, क्योंकि उन्हें डर है कि ट्रंप सच्चाई उजागर कर देंगे। प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार की विदेश नीति को निशाने पर लेते हुए कहा कि विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री गोलमोल जवाब दे रहे हैं, जबकि उन्हें साफ तौर पर कहना चाहिए कि ट्रंप गलत बोल रहे हैं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार कुछ छिपा रही है और जवाब देने से बच रही है। वहीं गुरजीत सिंह औजला ने सवाल उठाया कि अगर ट्रंप 29 बार ‘सीजफायर’ का दावा कर चुके हैं, तो प्रधानमंत्री खुलकर इसका खंडन क्यों नहीं कर रहे?
छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर कांग्रेस ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में कांग्रेस सांसदों ने बीजेपी सरकार पर अल्पसंख्यकों को टारगेट करने का आरोप लगाया। प्रियंका ने कहा कि ये महिलाएं निर्दोष हैं और उन्हें जबरन झूठे मामलों में फंसाया गया है। उन्होंने इनकी तत्काल रिहाई की मांग की।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर भी विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। सोनिया गांधी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे गरीबों, प्रवासी मजदूरों और महिलाओं के खिलाफ साजिश करार दिया। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग के जरिए मतदाता सूची में छेड़छाड़ कर रही है। हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एसआईआर एक नियमित प्रक्रिया है और चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है। जयराम रमेश ने कहा, “सरकार के पास आज की समस्याओं का हल नहीं है, इसलिए वह नेहरू को दोष देने की रणनीति अपना रही है। यह ‘नेहरू फोबिया’ का प्रमाण है।
वही आज लोकसभा में प्र्शनकल और शून्यकाल में सभी सांसदों ने अपने अपने राज्यों से जुड़े मुद्दे को रखा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंहने प्रश्नकाल के दौरान कहा, “डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी मिशन, अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत), अंतरिक्ष का उपयोग करके कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान, कृषि मौसम विज्ञान और भूमि आधारित अवलोकन (फसल) (फसल क्षेत्रफल आकलन और उत्पादन पूर्वानुमान) सहित सरकार की कई प्रमुख पहलों के समर्थन में अंतरिक्ष-आधारित इनपुट का उपयोग किया जा रहा है।
शून्यकाल में कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह वायनाड के भूस्खलन पीड़ितों के ऋण माफ करे। इस प्राकृतिक आपदा ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली, सैकड़ों परिवार उजड़ गए और अब भी प्रभावित लोग पुनर्वास की राह देख रहे हैं।
उन्होंने केंद्र से अपील की कि वह वायनाड के लिए विशेष पैकेज जारी करे और पीड़ितों पर लादे गए ऋण को तत्काल माफ किया जाए, ताकि वे एक नई शुरुआत कर सकें।जालौर-सिरोही से लोकसभा सांसद लुंबाराम चौधरी ने अपने संसदीय क्षेत्र की जल संकट की गंभीर समस्या को उठाते हुए नर्मदा का पानी जालौर और सिरोही जिलों तक पहुंचाने की मांग की। उन्होंने कहा कि दोनों जिले डार्क जोन घोषित हैं, जहां पीने के पानी और सिंचाई के लिए आवश्यक जल संसाधन मौजूद नहीं हैं

अमेरिका के टैरिफ फैसले से भारतीय शेयर बाजार हिला, सेंसेक्स 800 अंक लुढ़का

अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा का सीधा असर गुरुवार सुबह भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिला। कारोबारी सप्ताह के चौथे दिन बाजार की शुरुआत से ही बिकवाली का दबाव हावी रहा, जिससे सेंसेक्स करीब 800 अंकों की गिरावट के साथ नीचे आ गया, जबकि निफ्टी 50 भी 24,650 के नीचे फिसल गया।

बीएसई सेंसेक्स ने दिन की शुरुआत 80,695.50 अंकों पर की, जो इसके पिछले बंद स्तर 81,481.86 से 786 अंक नीचे था। शुरुआती मिनटों में ही यह और लुढ़ककर 80,695.15 के स्तर तक पहुंच गया। उधर, निफ्टी 50 ने भी 213 अंकों की गिरावट के साथ 24,642.25 पर शुरुआत की और कुछ ही देर में 24,635.00 तक गिर गया।

बाजार में आई इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार की ओर से भारतीय उत्पादों पर 1 अगस्त से 25% टैरिफ लगाने की घोषणा रही। इस फैसले ने निवेशकों की भावनाओं पर सीधा असर डाला है और भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में तनाव के संकेत दिए हैं। बड़ी कंपनियों के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी जोरदार बिकवाली देखी गई। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 2% तक की गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह साफ हो गया कि बाजार में गिरावट व्यापक स्तर पर फैली है।

कारोबार शुरू होते ही निवेशकों को बड़ा झटका लगा। महज 10 मिनट के भीतर बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 452 लाख करोड़ से घटकर 449 लाख करोड़ तक आ गया। यानी सिर्फ कुछ मिनटों में ही करीब 3 लाख करोड़ की पूंजी डूब गई। फिलहाल निवेशक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या आने वाले दिनों में यह व्यापारिक तनाव और गहराएगा, या भारत और अमेरिका के बीच किसी बातचीत के जरिए समाधान निकल पाएगा।

लालू यादव को झटका, लैंड फॉर जॉब स्कैम केस में कार्यवाही पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नौकरी के बदले जमीन (लैंड फॉर जॉब) घोटाले में फंसे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक और बड़ा झटका देते हुए निचली अदालत में चल रही मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है।

शीर्ष अदालत ने लालू यादव की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इस मामले से जुड़ी एक याचिका पहले से ही दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने टिप्पणी की कि निचली अदालत द्वारा आरोप तय किया जाना, दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर करेगा।

यह मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का आरोप है कि इस दौरान रेलवे के ग्रुप ‘डी’ पदों पर भर्ती के लिए नियमों को ताक पर रखकर कई लोगों को नौकरी दी गई। इसके बदले में आवेदकों से उनकी जमीनें लालू यादव के परिवार के सदस्यों और करीबियों के नाम पर लिखवाई गईं।

लालू यादव की ओर से उनके वकील मुदित गुप्ता ने अर्जी दाखिल कर 12 अगस्त तक ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही स्थगित करने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। बता दें कि इससे पहले 18 जुलाई को भी शीर्ष अदालत ने लालू की ऐसी ही एक याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

सीबीआई इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच कर रही है और दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में लालू यादव, उनके परिवार के सदस्यों समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद अब निचली अदालत में उन पर आरोप तय होने का रास्ता साफ हो गया है।

जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में सिंध नदी में गिरी ITBP की बस, सर्च ऑपरेशन जारी

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में बुधवार सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया, जब भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों को ले जाने वाली एक बस अनियंत्रित होकर सीधे सिंध नदी में जा गिरी। घटना के बाद बस में रखे कुछ हथियारों के गायब होने की खबर से सुरक्षा महकमे में खलबली मच गई है, जिसके बाद पुलिस, SDRF और सेना ने नदी में एक बड़ा तलाशी अभियान छेड़ दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार, यह हादसा गांदरबल के कुल्लन पुल के पास हुआ। एक खाली बस, जो आईटीबीपी के जवानों को ले जाने के लिए निर्धारित थी, एक तीखे मोड़ पर ड्राइवर के नियंत्रण से बाहर हो गई और फिसलकर सीधे सिंध नदी के तेज बहाव में समा गई। गांदरबल के एसएसपी ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि हादसे में बस का ड्राइवर बाल-बाल बच गया और उसे मामूली चोटें आई हैं। फिलहाल, उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। सबसे बड़ी चिंता का विषय बस में रखे गए आईटीबीपी के जवानों के हथियारों का नदी में बह जाना है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) गांदरबल और एसडीआरएफ सब कंपोनेंट गुंड की टीमों ने तुरंत संयुक्त रूप से खोज एवं बचाव अभियान शुरू किया।

अधिकारियों ने बताया है कि अब तक चलाए गए सघन तलाशी अभियान में तीन हथियार बरामद कर लिए गए हैं। हालांकि, अभी भी कुछ और हथियारों के नदी में होने की आशंका है, जिनकी तलाश के लिए ऑपरेशन जारी है। गोताखोरों की टीमें नदी के चप्पे-चप्पे को खंगाल रही हैं।

फिलहाल, इस घटना के बारे में विस्तृत जानकारी का इंतजार किया जा रहा है और सुरक्षाबल पूरी मुस्तैदी के साथ तलाशी अभियान में जुटे हुए हैं ताकि गायब हुए सभी हथियारों को जल्द से जल्द बरामद किया जा सके।

उदासीनता और भ्रष्टाचार से आगरा के हरियाली के ख्वाब बेमानी हुए

सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद तीस वर्षों में, 1995 से 2025 तक जितने पौधे, या  वृक्ष सरकारी स्तर पर लगे हैं, उसके हिसाब से तो ताज ट्रिपेजियम जोन अब तक अमेजन फॉरेस्ट बन जाना चाहिए था!!

बृज खंडेलवाल

उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित वृक्षारोपण मुहिमें, जिन्हें अक्सर पर्यावरणीय मील का पत्थर बताया जाता है, ज़मीनी हकीकत में बार-बार नाकाम हो रही हैं। इसका कारण है — सरकारी लापरवाही, जवाबदेही की कमी और भ्रष्टाचार का धुंधलका। 2019 में घोषित 22 करोड़ पौधारोपण लक्ष्य की तरह कई घोषणाएं सिर्फ़ काग़ज़ों पर रह गईं। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पौधे तो लगाए जाते हैं, लेकिन देखरेख न होने से बड़ी संख्या में सूख जाते हैं, और फंड नौकरशाही की भूलभुलैया में गुम हो जाते हैं।

हरित कार्यकर्ता उंगली उठाते हैं: योजना की कमी: पौधों के लिए पॉलिथीन बैग और गुणवत्तापूर्ण नर्सरी पौधे समय से पहले ही अनुपलब्ध थे, जिससे किसानों को घटिया बीज इस्तेमाल करने पड़े जिनकी जीवन संभावना नगण्य थी।

रखरखाव भी नदारद: 2018 के महाअभियान में एक दिन में 9 करोड़ पौधे लगाए गए, लेकिन थर्ड पार्टी निगरानी के अभाव में ज़्यादातर नष्ट हो गए — “ना रहेगा बाँस, ना बजेगी बाँसुरी”।

भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं: नर्सरी और देखभाल के लिए तय बजट का ग़लत इस्तेमाल हुआ। “कागज़ी पेड़ों” ने सरकारी फाइलों में खूब हरियाली फैलाई, मगर धरातल पर सूखा ही सूखा।

यह सिलसिला जारी है — “सियासी तमाशा हावी है, पर्यावरणीय असर बेअसर।” और भ्रष्टाचार सिर्फ फाइलों में हरियाली उगाता है, धरती पर नहीं। जब तक पारदर्शिता और जन-सहभागिता को प्राथमिकता नहीं मिलेगी, यूपी की हरियाली सिर्फ़ “मृग-मरीचिका” बनी रहेगी।

ताज ट्रेपेजियम ज़ोन (TTZ) — 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अति-संवेदनशील क्षेत्र में, जहां ताजमहल और अन्य मुग़ल धरोहरें स्थित हैं, वहां हरियाली घटती जा रही है। लाखों पौधे हर साल लगाए जाने के दावों के बावजूद ज़मीन पर जंगल कटते जा रहे हैं। वजह — अंधाधुंध निर्माण, प्रशासनिक उदासीनता, भ्रष्टाचार, और ज़मीन की भारी किल्लत।

रिवर कनेक्ट कैंपेन सदस्य कहते हैं कि ये असफलताएं केवल पर्यावरण के लिए ख़तरा नहीं हैं, बल्कि आगरा की ऐतिहासिक धरोहरों को रेगिस्तानी हवाओं और प्रदूषण से बचाने के संतुलन को भी बिगाड़ रही हैं। बड़ी-बड़ी परियोजनाएं — जैसे एक्सप्रेसवे, फ्लाईओवर, 29.6 किमी लंबा आगरा मेट्रो रेल मार्ग और चौड़े नेशनल हाइवे — ने हरे क्षेत्रों को निगल लिया है। “यमुना और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे” के विस्तार ने जंगलों को छीन लिया है, जिससे ताजमहल अब राजस्थान की धूलभरी हवाओं के निशाने पर है। अवैध बस्तियाँ, यमुना के डूब क्षेत्र में कॉलोनियां, रेलवे ज़मीन की नीलामी — इन सबने शहर की हरियाली को कंक्रीट में बदल डाला है। कभी अग्रवन (वन क्षेत्र) कहलाने वाला शहर अब मात्र 9% से भी कम हरित आवरण के साथ खड़ा है — जो राष्ट्रीय लक्ष्य 33% से बहुत कम है।

वृक्षारोपण अभियानों का नाटक देखिए: 2023 में 45 लाख, 2024 में 50 लाख और 2025 में 60 लाख पौधे लगाए जाने का दावा किया गया — लेकिन ये आंकड़े सिर्फ़ “काग़ज़ी पेड़” हैं। कोई देखरेख नहीं, कोई सुरक्षा नहीं — तो पौधे सूख ही जाते हैं। 2021 में यमुना किनारे, नदी की तलहटी में  12,000 पौधे लगाए गए थे, जो पहली बारिश में ही बह गए — फिर भी ठेकेदार को पूरा भुगतान हुआ। “इससे बड़ा सबूत क्या चाहिए कि व्यवस्था गड़बड़ है?”

उदासीनता का आलम ये है कि सुप्रीम कोर्ट का 1996 का निर्देश कि TTZ में हरित बफर जोन बने — आज भी अनसुना है।  चारों तरफ, वृंदावन से लेकर फिरोजाबाद तक पेड़ काटने की खबरें आ रही हैं।  बिल्डर्स पेड़ कटवा रहे हैं, अवैध कटाई धड़ल्ले से जारी है।

सूर सरोवर बर्ड सेंक्चुरी और कीठम झील, जो अति महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी क्षेत्र हैं, वो भी अब कॉलोनाइज़रों की गिरफ्त में हैं, बताते हैं डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य।

भूमि की कमी एक बड़ी चुनौती:

फिल्म सिटी, एयरपोर्ट, मॉल — सबने ज़मीन खा ली। 60 लाख पौधों के लिए 5 मीटर की दूरी पर 1.5 लाख हेक्टेयर ज़मीन चाहिए — कहाँ से आएगी? सरकारें 1990 से हर साल करोड़ों पौधे लगाने का दावा करती हैं, पर हरियाली वहीं की वहीं — “नंबरों का घोटाला है ये!”

ग्रीन एक्टिविस्ट्स कहते हैं कि पौधे गलत मौसम और गलत जगहों पर लगाए जाते हैं, देखभाल के अभाव में सूख जाते हैं। आगरा में बंदरों की आबादी एक लाख से ज़्यादा है — प्रशासन इन्हें दोष देता है। लेकिन कार्यकर्ता कहते हैं — बंदर तो बहाना हैं, असली गुनहगार है जवाबदेही की कमी और लालच।

परिणाम भयावह हैं: बढ़ता प्रदूषण, घटती बारिश, जल-स्तर का गिरना, और ताजमहल की संगमरमर पर काले दाग। सिर्फ दयालबाग क्षेत्र में ग्रीन एरिया बढ़ा है, बाकी इलाकों में बढ़ती बसावट ने हरियाली नीली है।

पर्यावरण और हरियाली की मुहिम से जुड़े एक्टिविस्ट्स, TTZ में किए गए सभी वृक्षारोपण अभियानों की स्वतंत्र ऑडिट की मांग कर रहे हैं, ताकि गड़बड़ियाँ उजागर हो सकें और दोषियों को जवाबदेह ठहराया जा सके।

ऑपरेशन शिवशक्ति के दौरान जम्मू-कश्मीर के पुंछ में नियंत्रण रेखा पर मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के देगवार सेक्टर में सुबह सुरक्षाबलों ने एक संयुक्त अभियान में 2 आतंकियों को मार गिराया। सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा चलाए गए इस संयुक्त ऑपरेशन में आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया गया।

नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया गया था। इसी दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके जवाब में की गई कार्रवाई में दोनों आतंकी मारे गए। सूत्रों के अनुसार, मारे गए आतंकी पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। मुठभेड़ के बाद पूरे क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य आतंकी इलाके में छिपा न हो।

इससे पहले सोमवार को श्रीनगर के लिडवास इलाके में सेना ने ऑपरेशन ‘महादेव’ के तहत पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों को ढेर कर दिया था। यह कार्रवाई घने दाचीगांव जंगलों में की गई थी, जहां से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और कई दिनों का राशन बरामद हुआ था। सेना के अनुसार, मारे गए तीनों आतंकी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) से जुड़े थे। इनमें लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी मूसा भी शामिल था। ऑपरेशन के बाद ड्रोन फोटोग्राफी से तीनों आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि की गई।